________________
( XXVI)
मं०
स्थिति
१६७
क्र० . विषय श्लोक | क्र० . विषय श्लोक सं० सं०
सं० ३३ सम्यकत्व दृष्टि नारको की स्थिति७० | ५४ हर एक प्रतर के नारकों का शरीर १४४ ३४ मिथ्या दृष्टि नारकों की स्थिति ७२ मान .३५ परमाधार्मिक कृत भयंकर वेदना ८५ | ५५ हर एक प्रतर के नारकों की आयु १५०
का वर्णन ३६ परमाधामीयों की स्थिति ८८ | ५६ नारकों की लेश्या तथा अवधि ज्ञान १६१ ३७ अंडगोलिक तथा परमाधामियों ६० का विषय का वर्णन ,
| ५७ उत्पत्ति, च्यवन में अन्तर १६२ ३८ धर्मा नारकी की ऊष्ण क्षेत्र वेदना ६१/५८ तीसरे 'शैला' नरक पृथ्वी का १६३ .... का वर्णन
• वर्णन ३६ कुंभी में उपपात . ६४] ५६ उनके वलय के मान
१६४ ४० इन नारकीयों के प्रस्तर प्रमाण में १०३/६० इसकी ऊँचाई शरीर का मान
६१ इसके नौ प्रस्तरों का स्थान-मान १६८ ४१ इसमें उत्तर वैक्रियं शरीर का मान १०५/६२ नरकेन्द्रों का मान
१७० ४२ प्रतर प्रमाण से नारकों की आयुष्य १०७ | |६३ पंक्ति नरक आवास, उसमें प्रथम १७२ _ स्थिति
प्रतर के दूसरे प्रतर से नौ प्रतर तक ४३ उनकी लेश्या तथा अवधि ज्ञान के ११८६४ नरक वासों की संख्या १७४
६५ कुल पंक्तिगत नरक वासों की १७८ ४४ इनकी उत्पत्ति का अन्तर ११६] ४५ एक समय में उत्पत्ति का अन्तर १२१/६६ कुल पुष्पावकीर्ण नरक आवासों १७६ ..४६ दूसरी वंश' नरक पृथ्वी का . १२२ की संख्या वर्णन
६७ तीसरे से सब नरक आवासों की १८० ४७ उनके वलयों का मान १२४ संख्या ४६ इसकी ऊँचाई.. . १२७/६८ उसके हर एक प्रतर के नारकियों. १८१ ४ उसके ग्यारह प्रतरों के नरकेन्द्रों के १३० का शरीर मान . नाम .
६६ उसके हर एक प्रतर के नारकियों १८५ ५० हर एक प्रतर में नरक आवास १३३| के उत्तर वैक्रिय शरीर मान . ५१ पंक्ति गत सब नरक वासों के १४०/७० उसमें हर एक प्रतर के नारकों की १८६ . सरवाल
आयु स्थिति. ५२ सब के सरवाल
१४१/७१ इसकी लेश्या तथा स्थिति १६५ ५३ पुष्पावकीर्णक नरक वासों की १४१/७२ आयुष्य सम्बंधी लेश्या स्थिति सरवाल
७३ इसके अवधि ज्ञान के क्षेत्र २००
विषय में
संख्य
१६८