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________________ (xxii) क्र०, विषय श्लोक | क्र० विषय श्लोक सं. सं० सं० सं० २०२ २७१ x . M ४६ व्यन्तरों का स्वभाव २०३/६८ च्यवन उत्पत्ति का अन्तर ४७ अलग-अलग आठ जाति के २०७/६६ अवधि ज्ञान का प्रमाण २७२ - व्यन्तरों का वर्णन |७० सर्ग समाप्ति २७५ ४८ इनकी ध्वजाओं के चिन्ह २०६ तेरहवां सर्ग ४६ इनके चैत्य वृक्षों के नाम | १ भवनपति देवों के स्थान ५० व्यन्तरों के अर्थघटन २ भवन पति देवों के नाम ५१ व्यन्तरों के सोलह इन्द्रों के नाम २१८ ३ बीस भवन पति इन्द्रों के भवन ५ ५२ हर एक व्यन्तर की चार-चार. २२३ पटरानीयों के नाम ४ दिशाओं के कुल भवन १२ ५३ व्यन्तरों की पटरानियों के पूर्व २३० ५ उन भवनों के आकार-विशालता १४ 'भव चमरेन्द्र का वर्णन ५४ उनका परिवार २३५, ६ चमरेन्द्र का उत्पात, पर्वत का वर्णन १८ ५५ तीन सभाओं तथा उन दैवों की २३६, ७ चमरेन्द्र का सिंहासन २५ संख्या | ८ इस पर्वत का प्रयोजन २६ ५६ इनकी सभा प्रमाण से आयुष्य २४० - चमरया राजधानीका स्थान २८ : स्थिति | १० उसकी लम्बाई-चौड़ाई आदि ३२ ५७ - इन सामानिक आदि देवों की २४३ । विस्तार • संख्या ११ उसके दरवाजे, दीवारे-महल तथा ३४ ५८ वाण व्यन्तरं के नाम भवान्तर प्रासादों का वर्णन ५६ इनके इन्द्रों का नाम . | १२ प्रासादों का वर्ण '६० • उनका स्थान १३ सात सभाओं का स्थान, नाम और ४४ ६१ व्यन्तरपन की उत्पत्ति का मान - . कारण . ६२ उनका शरीर मान १४ सात सभाओं का प्रयोजन ६३ उत्तरवैक्रिय शरीर का उत्कृष्ट २६२ १५ वर्तमान चमरेन्द्र के पूर्वभव १६ चमरेन्द्र के उत्पात का कारण ६८ ६४. उनकी लेश्या और आहार १७ उत्पात करने पूर्व तैयारी ... ६५ कौन जीव यहाँ आता है तथा २६८ १८ उत्पात का स्वरूप :- संघयण | १६ सौधमेन्द्र का क्रोध ६.६६ इसकी गति | २० परमात्मा वीर की शरण में जाना ६३ ६.६७ एक समय उत्पन्न-च्यवन का २७०/ २१ परमात्मा वीर की कृपा से, बचाने ६५ प्रमाण का वर्णन हों का वर्ण ४२ , पूवभव ५६
SR No.002272
Book TitleLokprakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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