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________________ (xxi) अनुक्रमणिका सं० क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय श्लोक | सं० | सं० . सं० बारहवाँ सर्ग २३ छठी भाव दिशा के उठारह भेद ६० १ मंगलाचरण २४ सातवीं प्रज्ञापक दिशा -६४ २ लोक का स्वरूप | २५ सूची रज्जु . १०४ ३ रजू का ज्ञान २६ प्रतर रज्जु १०८ ४ चौदह राज लोक के विषय में २७ घन रज्जु . १०६ ५ खंडुक के विषय में २८ वर्जित लोकमान के विषय में ११० ६ त्रस नाड़ी का स्वरूप २६ घन लोकमान के विषय में ११६ ७ १-१४ रज्जु में खंडुक की संख्या १८| ३० लोक का प्रमाण (काल्पनिकं १४३ ८ वर्जित लोक के खंडुकों की संख्या ३४.] - दृष्टान्त से) ६ रूचक प्रदेशों के स्थान तथा ४२| ३१ अधो लोक का विशेष स्वरूप १६० आकाश प्रदेश ३२ सातों नरकों का नाम गोत्र १६१ १० मध्य लोक का आकार तथा स्थान ४५ ३३ सातों पृथ्वियों के आकार १६५ ११ अधो लोक का आकार तथा स्थान ४६ ३४ सातों नरक भूमि की अलग- १६६ १२ ऊर्ध्व लोक का आकार तथा स्थान ४७ __अलग लम्बाई-चौड़ाई १३ तीन लोक के मध्य भाग के ५१ ३५ रत्न प्रभा की खड़ाई (ऊचाँई) १६८ विषय में ३६ रत्न प्रभा के तीन काँड़ के नाम १६६ १४ दिशा विदिशा के नाम ५७ व गुण १५ दिशाओं के देव सम्बंधी नाम ६० ३७ प्रथम खरकांड से सोलह कांडों १७१ १६ दिशाओं के प्रदेश, विस्तार और ६१ के नाम .. आकार ३८ रत्न प्रभा का सार्थक नाम १७५ १७ विमला (उर्ध्व) दिशा का आरंभ ६६ ३६ रत्न प्रभा का स्थान १८ तम (अधो) दिशा का आरंभ ७१ ४० रत्न प्रभा का आकार १७७ १६ इन दिशाओं का मूल ४१ घनोदधि का आकार तथा ऊँचाई १७६ २० कृत युग का स्वरूप | ४२ घनवायु की खड़ाई (ऊँचाई) १८३ २१ दूसरी अपेक्षा से दिशाओं के सात ७८ ४३ तन वायु की खड़ाई (ऊंचाई) १८६ प्रकार ४४ धर्मा पृथ्वी १६२ २२ पाँच दिशाओं का अलग-अलग ७६ __व्यन्तर के विषय में वर्णन | ४५ व्यन्तरों आदि की वास्तविकता १६३ १७६
SR No.002272
Book TitleLokprakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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