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________________ (१४८) क्रौंच क्रौंच वरः क्रौंचवरावभासकोऽपि च । एकविंशतिरित्येते समनामाब्धि वेष्टिताः ॥१७॥ उसके बाद तीन बार अरूण आदि द्वीप और अरूणा आदि समुद्र आए है उसके नाम इस प्रकार है - अरूण, अरूणवर, अरूणावराव भासक, कुंडल कुंडलवर, कुंडलवराव भासक,शंख,शंखवर शंखवराव भासक, रूचक, रूचकवर, रूचकवराव भासक, भुजग भुगजगवर, भासक, कृश कुशवर कुशवरावभासक, क्रौंच क्रौंचवर, क्रौंचवरावभासक । इस प्रकार इक्कीस नाम के जो द्वीप है उसी नाम के उसके आस पास वलयाकार समुद्र आए है। इस प्रकार समझना। (१३-१७ तक) एवं चामी असंख्यत्वान्नियतैर्नामभिः कथम् । ... शक्यन्ते वक्तुमित्यत्राम्नायो नाम्नां निरूप्यते ॥१८॥ विभूषणानि वस्त्राणि गन्धाः पद्मोत्पलानि च । तिलकानि निधानानि रत्नानि सरितोऽद्रवः ॥१६॥ पद्मादयो हृदाः कच्छाप्रमुखा विजयां अपि । . वक्षस्करायो वर्ष धराश्च कुरुमन्दराः ॥२०॥ सौधर्म प्रमुखाः स्वर्गाः शक्रादयः सुरेश्वराः । चन्द्रसूर्यग्रहरूक्षताराः कूटानि भूभृताम् ॥२१॥ इत्यादि शस्तवस्तुनां यानि नामानि विष्ट्रपे । . द्वीपाब्धयः स्युस्तैः सर्वेः त्रिशः प्रत्यवतारितैः ॥२२॥ कलापकं ॥ इस तरह असंख्य द्वीप और असंख्य समुद्र है । इनके नाम कितने है ? परन्तु उन नामों की आम्नाय इस प्रकार है - आ भूषण, वस्त्रो, सुगन्धी, कमल, तिलक, निधान, रत्न, नदी, पर्वत, पद्मद्रह, आरि द्रह, कच्छ आदि विजय, वक्ष स्कार पर्वत, वर्षधर पर्वत, कुरु, मंदर, सौधर्म आदि स्वर्ग, शक्र आदि इन्द्र, चन्द्र, सूर्य, ग्रह नक्षत्र, तारा पर्वत के शिखर इस तरह उत्तम वस्तुओं का जगत में जो-जो नाम है उन प्रत्येक नाम के अनुसार तीन-तीन द्वीप समुद्र है । (१८-२२) एकैकेनाभिधाने नाभिधेयास्तेऽप्यसंख्यशः । यथा जम्बू द्वीप नाम्ना द्वीपा परेऽप्यसंख्यशः ॥२३॥ इतना ही नहीं परन्तु एक ही नाम के भी असंख्य द्वीप और असंख्य समुद्र है उदाहरण रूप में 'जम्बू' नाम के असंख्य द्वीप है (२३)
SR No.002272
Book TitleLokprakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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