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और सिंह विक्रम गति नामक चार-चार लोकपाल है । अमित गति इन्द्र में इतना सामर्थ्य है कि एक चरण प्रहार से जम्बूद्वीप को कम्पायमान कर सकता है । जबकि दूसरा अमितवाहन इससे भी विशेष प्रदेश को कम्पायमान करने में समर्थ है । (२६६-२७१)
इन्द्रौ वायु कुमारेषु वेलंबाख्यप्रभंजनौ । श्यामौ सन्ध्यारागवस्त्रौ मकरांकितभूषणौ ॥२७२॥ कालश्चाथ महाकालोंजनश्च रिष्ट एव च । स्युरोक पाला वेलंबप्रभंजनसुरेन्द्रयोः ॥२७३॥ मरूत्तरंगेणैके न जम्बद्वीपंप्रपूरयेत् । वेलंबेन्द्र सातिरेकं तं पूरयेत् प्रभंजनः ॥२७४ ।।
वायु कुमार जाति के देवों के दोनों दिशा के वेलम्ब और प्रभंजन नाम के इन्द्र है । इनकी कान्ति श्याम है और संध्या के वर्ण सद्दश वस्त्र है और इनका मकर चिन्ह से अंकित मुकुट होता है। दोनों को काल, महाकाल, अंजन और रिष्ट नाम के चार-चार लोकपाल होते हैं । वेलम्ब इन्द्र में पवन चपेट से जम्बू द्वीप को भर देने में समर्थता होती है जब कि प्रभंजन इन्द्र में इससे भी अधिक प्रदेश को भर देने की समर्थता होती है । (२७२-२७४) ..
इन्द्रौ घोषमहोघोषौ स्तनिताख्यकुमारयोः । स्वर्णवर्णी शुक्लवस्त्रौ वर्द्धमानांक भूषणौ ॥२७५॥ आवत्तौ व्यावर्त्तनामा नन्द्यावर्तस्तथापरः । महानन्द्यावर्त एते लोकपालाः स्युरेतयोः ॥२७६॥ स्तनितध्वनि के न बघिरीक तुमीश्वरः । घोषो जम्बूद्वीपमेनं महाघोषस्तु साधिकम् ॥२७७॥
अब अन्तिम दसवां स्तनिक कुमार जाति के देवों के दोनों दिशा के घोष और महाघोष नामक इन्द्र हैं । इनका सुवर्ण समान वर्ण है और इनके वस्त्र सफेद होते हैं तथा स्वस्तिक के चिन्ह से अंकित मुकुट होता है । दोनों इन्द्रों को आवर्त व्यावर्त नन्द्यावर्त और महानन्द्यावत नाम के चार-चार लोक पाल होते हैं । जो घोष नाम का इन्द्र है वह अपनी गर्जना की आवाज से समग्र जम्बूद्वीप को बहरा कर देने में सामर्थ्य रखता है और महाघोष इन्द्र इससे अधिक प्रदेश को बहरा करने में समर्थत है । (२७५-२७७)