________________
(८६)
.. जम्बद्वीपं हस्ततलेनैकं स्थगयितुं क्षमः । पूर्णे द्वीपकुमारेन्द्रो वसिष्ठस्तं च साधिकम् ॥२६५॥
द्वीप कुमार जाति के देवों के दोनो दिशाओं के पूर्ण और वसिष्ट नामक दो इन्द्र है, इनकी तपे हुए स्वर्ण समान कान्ति है, इनके नील वस्त्र हैं, और सिंह के चिन्ह के अंकित मुकुट इनके सिर पर होता है । इन दोनों इन्द्रों के रूप, रूपांश रूप कान्त और रूप प्रभ नाम के चार-चार लोकपाल होते हैं । पूर्ण इन्द्र में सम्पूर्ण जम्बूद्वीप को हथेली में छिपाने का सामर्थ्य होता है जबकि वसिष्ठेन्द्र में जम्बू द्वीप से भी अधिक को छिपा देने का सामर्थ्य होता है । (२६३-२६५)
अथोदधि कुमारेन्द्रौ जलकान्तजलप्रभौ । .... शुक्लबूती नीलवस्त्राश्वरूपांक भूषणौ ॥२६६॥ । जलश्च जलरूपश्च जलकान्तो जलप्रभः । । लोकपालाः स्युरूदधिकुमारसुरराजयोः ॥२६७॥ ... एकेनाम्बुतरंगेण जम्बू द्वीपं प्रपूरयेत् । जलकान्तः सुराधीशः साधिकं तं जलप्रभः ॥२६८॥
उदधि कुमार जाति के देवों के दोनों दिशा के जलकांत और जल प्रभ नामक दो इन्द्र है उनका श्वेत वर्ण है, नील वस्त्र धारण करने वाले है, और अश्व चिन्ह से अंकित मुकुट को धारण करने वाले हैं । इनके जल, जलरूप, जलकांत
और जलप्रभ नामों के चार-चार लोकपाल हैं । जलकांत इन्द्र जल की एक तरंग से समस्त जम्बूद्वीप को पूरा भर सकने में समर्थ हैं जबकि जो जलप्रभ है, वह इससे अधिक भरने में समर्थ हो सकता है । (२६६-२६८) .
दिक्कु मारेशावमितगतिश्चांमित वाहनः । स्वर्ण गौरौ शुभ वस्त्रौ गजरूपांक भूषणौ ॥२६६॥ एतयोस्तवरितः क्षिप्रः सिंहश्च सिंहविक्रमः । चत्वारो गत्युपपदा लोकपालाः प्रकीर्तिताः ॥२७०॥ एकपाणिप्रहारेण जम्बूद्वीपं प्रकम्पयेत् । इन्द्रोऽमितगतिः सातिरेकं त्वमितवाहनः ॥२७१॥
दिक्कुमार जाति के देवों के दोनों दिशा के अमित गति और अमित वाहन नामक दो इन्द्र है । इनका वर्ण सुवर्ण जैसा पीला है, वस्त्र सफेद और मस्तक का मुकुट हस्ति के चिन्ह से अंकित है । दोनों इन्द्रों के त्वरित गति, क्षिप्रगति, सिंहगति,