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________________ (७२) किं पुरुषो महारिष्टस्तथा गीतयशा इति । बलि नाम्नोः सुरपतेः क्रमात् सप्तेति सैन्यपाः ॥१७१॥ युग्मं । बजीन्द्र को भी १- महा द्रुम २- महासौदास ३- मालंकान ४- महालोहिताक्ष ५- किं पुरुष ६- महारिष्ट और ७- गीतयशा इन नाम वाले सात सेनाधिपति होते हैं (१७०-१७१) पत्तीशस्याद्य कच्छायां षष्टिर्देवसहस्रकाः । कच्छाः षडन्याश्चततः स्युरस्य द्विगुणाः क्रमात् ॥१७२॥ .. पैदल सेना के अधिपति के हाथ के नीचे पहली कच्छा में साठ हजार देव है इसके बाद की छः कच्छाओं में अनुक्रम से उत्तरोत्तर दो गुणा करते उतनी संख्या होती है । (१७२) एवं सामानिकै स्त्रायस्त्रिंशकैर्लोकपालकैः । सेव्योऽग्रमहिषीभिश्च सप्तभिः सैन्यसैन्यपैः ॥१७३॥ षष्टया सहस्त्रैः प्रत्याशें सेव्यमानोऽङ्गरक्षकैः । चत्वारिंशत्सहस्त्राढयलक्षद्वयमितैः 'समैः ॥१७४॥ श्यामवर्णो रक्तवासश्चुडामण्यंकमौलिभृत । सुरूपः सातिरेकै क सागरोपम जीवितः ॥१७॥ भवनावास लक्षणां त्रिंशतोऽनुभवत्यसौ । असुरीणां चासुराणामुदीच्यानामधीशताम् ॥१७६॥ कलापकं॥ इस तरह सामानिक देव, त्रायस्त्रिंशक देव, लोकपाल देव, पटरानियां, सैन्य, सैनापति और प्रत्येक के साठ-साठ हजार मिलकर कुल दो लाख चालीस हजार रक्षक परिवार वाला और श्याम वर्ण वाला, लाल वस्त्र युक्त चुडामणि से अंकित मुकुट वाला, मनोहर रूप वाला और एक सागरोपम से अधिक आयुष्य वाला यह बलीन्द्र तीस लाख भवन तथा उत्तर दिशा के देव देवियों पर साम्राज्य भोगते हैं. । (१७३-१७६) परिवारयुतस्यास्त शक्तिर्विकुर्वणाश्रिता । चमरेन्द्रस्येव किन्तु सर्वत्र सातिरेकता ॥१७७॥ इस बलीन्द्र की तथा इसके परिवार की वैक्रिय शक्ति चमरेन्द्र के समान है, फिर भी सर्वत्र कुछ अधिक है । (१७७)
SR No.002272
Book TitleLokprakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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