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________________ पू. हेमचन्द्रसू. म. नो जन्म वि. सं० ११४५, दाक्षा वि. सं. १४५०, सूरिपद वि. सं. ११६६, स्वर्गवास वि. सं. १२२९मां छे. सिद्धराजनो समय वि. सं. ११४९ थी ११९९ छे. कुमारपालनो राज्य समय ११९९ थी १२३० छे. अजयपाल १२३० मां गादीए आव्यो. त्रण वर्ष राज्य कयु. जेसलमेरना भंडारमां वि. सं. १२०२ मां लखेल पू. रामचन्द्रसू. म. ना रघुविलासनी ताडपत्रीय प्रत छे. वि. सं. १२४१मां रचाएल 'कुमारपाल प्रतिबोध' मां तथा वि. सं १२९५ मां रचायेल गणधर सार्धशतक वृत्तिमां 'नलविलास' ग्रन्थना अवतरण आप्या छे. श्री रामचन्द्रसू. म. आ त्रणे राजाओना समयमां हता जेथी तेमनो सत्तासमय ११४९ था १२३३ वच्चेनो गणाय. १२३०मां अजयपाल सोलंकी राजा थयो. तेने बालचन्द्र मुनि साथ मेल हतो. केमके - एक वार रात्रे कुमारपाल मंत्री आभड साथै श्री हेमचन्द्रसू. म. साथै वात करता हता. राजाए पूछयु - 'मारी गादी उपर कोने बेसाडु ?' गुरु बोल्या, 'धर्मनी स्थिरता माटे तमारा दोहित्र प्रतापमल्लने राजा करो. जो तमारो भत्रीजो अजयपाल राजा थशे तो आ विस्तारेलो धम नाश पामशे'. आभड कहे- 'जेवो तेवो तो य पोतानो सारो, अजयपाल सोलंकी पोतानो कहेवाय. फरी श्री हेमसू. म. बोल्या अजयपाल तो न थाय तो सारूं' आ वात बालचन्द्र मुनिए सांभलीने अजयपालने कही. हेमचन्द्रसू. म. ना स्वर्गवास बाद अजयपाले आपेला भर थी कुमारपाल मृत्यु पाम्या. अजयपाल राजा थयो तेणे श्री रामचन्द्रसू. म. ने बालचन्द्रमुनिने आचार्यपद आपका का सूरिजीए गुरुनी मनाइ होवाथी ना पाडी. राजा कहे जो पदवी न आपो तो आ तपावेली तांबानी पाट उपर बेसो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001891
Book TitleNalvilasnatakam
Original Sutra AuthorRamchandrasuri
AuthorVijayendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1984
Total Pages154
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size6 MB
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