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________________ सूरिजी कहे-'जगतने प्रकाश आपनार सूर्य पण अस्त थाय छे. जे थवानु होय ते थाय, एम कही आराधना करी धगती पाट उपर बेसो स्वर्गवास पाम्या.... अजयपाले कुमारपाले बंधावेला घणा मंदिर तोड़ी नाख्या. बालचन्द्रमुनिने पण स्वगोत्रहत्याकारक-एम कही ब्राह्मणोए मनथी उतारी पाम्यो ते लज्जा थी मालवा गयो भने तेमां मृत्यु पाम्यो. अजयपालने जल देव नामना प्रतीहारे छरी मारी तमां जोवात पडी नरक जेवी वेदना अनुभवी मरण पाम्यो. तेणे १२३० थी १२३३ मांत्रण वर्ष राज्य कर्यु. __ श्री रामचन्द्रसू. म. नुं साहित्य (१) नाट्यदर्पणम् (स्वोपज्ञ) (२) द्रव्यालङ्कारः (स्वोपज्ञ) (३) सत्य हरिश्चन्द्रनाटकम् (४) नलविलासनाटकम् (५) कौमुदीमित्राणन्दनाटकम् (६) राघवाभ्युदयम् (७) यदुविलासम् (८) निर्भय भीमव्यायोगः (६) रोहिणमृगाङ्कप्रकरणम् (१०) कुमारविहार शतकम् (११) सुधाकलश सुभाषित कोश: (१२) हैमबृहद्वृत्तिन्यासः (५३००० श्लोक प्रमाण) (१३) ऋषभपञ्चाशिका (१४) व्यतिरेकद्वात्रिशिका (१५) अपह्न ति द्वात्रिशिका (१६) अर्थान्तर० द्वात्रिंशिका (१७) दृष्टांतगर्भजिनस्तुति (१८) शांतिद्वात्रिंशिका (१९) भक्तिद्वात्रिशिका (२०) नेमिद्वात्रिंशिका (२१) उदयनविहार प्रशस्ति (२२-३७) षोडशका: साधारणजिनस्तवाः (३८) जिनस्तोत्राणि (३९) मल्लिकामकरन्दप्रकरणम् (४०) यादवाभ्युदयम् (४१) रघुविलासम् (४२) वनमालानाटिका (४३) युगादिदेवद्वात्रिशिका (४४) प्रसादद्वात्रिशिका (४५) मुनिसुव्रतदेवस्तवः (४६) नेमिस्तवः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001891
Book TitleNalvilasnatakam
Original Sutra AuthorRamchandrasuri
AuthorVijayendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1984
Total Pages154
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size6 MB
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