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“जैन के इस अंकका क्रोड़ पत्र.
* वन्दे जिनवरम् * हितैषी औषधालय-इटावाका. वीर संवत २४४२ वीक्रम संवत १९७२
का
जैन पंचांग.
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Ramanan
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विनामूल्य वितरित.
eGo दवा मंगाक्वार्नु स्थलाचन्द्रसेन जैन वैद्य. चन्द्राश्रम-इटावह.
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भावनगर-भानन्द प्रिन्टींग प्रेसमां शाद गुलाबचन्द ललुभाइए छाप्यु.
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* बन्दे जिनवरम् * GC हितैषी औषधालय-इटावाकी
॥ पवित्र सस्ती दवाइयां ॥
॥ धातु सज्जीवन सत. ॥ इस दवा के सेवन करने से स्वप्न में तथा विना कारण धातु का गिरना, किसो वातका याद न रहना, नेत्रों के आगे अन्धकार, सिरमें दर्द, हाथ पैरों में जलन, भोजन में अरुचि, खफीफ बुखार का रहना, कब्जी सुस्ती आदि सम्पूर्ण विकार दर होकर बदन में ताकत आती तथा दिमाग में तरावट नेत्रों की ज्योति बठाती और शरीर हृष्ट पुष्ट हो जाता है । की० फी वक्स १) तीन वक्स २॥) छ: वक्स ५) बारह १०) डॉ० अ०
नपुंसकत्वारि तैल ॥ इस को इन्द्री पर लगाने से इन्द्री की नपुंसकता सुस्ती टेठापन हथरस का दोष और सुहबतका न होना या हो कर जल्द मिट जाना धातुक्षीण आदि इन्द्री सम्बन्धी सर्व रोग फौरन दूर होजाते हैं । हजारो दफा आजमाया हुआ है कीमत १) डांकखर्च अ०
स्तम्भन वटी॥ यथा नाम तथा गुणः ये दवा हमने बडे परिश्रम से अधिक खर्च कर बनाई है। की० ।) शी० दर्जन शा)
दन्त कुसुमाकर. _इस मंजन से दांतका हिलना, मसूडों का फूलना, कीडे का लगना, टीस आदि दांतों के सर्व रोग दूर होजाते हैं और दांत वज्र समान मजबूत रहते तथा मोती समान चमकते लगते हैं. रोज लगाने से बूढापेमें कोई तकलीफ नहीं होती है दांत बहुत जल्द नहीं गिरते हैं और दांतो की बीमारी वास नहीं आति है की डिब्बी। ) दर्जन २)
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तिथि.
वार.
कार्तिक. वीर संवत् २४४२ विक्रम संवत् १९७२ (प्रभव) वार. | तारीख.
पर्वो. न.८ गौतमस्वामीने केवळज्ञान, सुधर्मास्वामी पाटे बेठा.
भाइबीज, मुविधिनाथने केवळज्ञान. | ज्ञानपंचमी.
अठाइ बेठी. (कल्पादि) १४ | मोतीशा शेठे मुंबइमां पांजरापोळ बंधावी,
पंचक घ, १६-१९ पछी बेठां.
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१७
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पंचक घ. ४७-४७ सुधी छे, ही. देवदीवाळी. अरनाथपभुने केवळज्ञान, मु० ताबुत ठंडा. चोमासी चौदश, चोमासी प्रतिक्रमण, मुनि विहार शरु. कातकी पुनम, सिद्धाचळ यात्रा, दावीड अने वारीखी
ल्यनो दशकोटी परिवार साथे मोक्ष, श्री हेरोहिणी. मिचंद्राचार्यनो धंधुकामां ११४५ मां जन्म. हिरविजयसरिए १५९६ मा दिक्षा लीधी.
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सिद्धियोग
२७ | सुविधिनाथनो जन्म दिवस. २८ | सुविधिनाथर्नु दिक्षा कल्याणक. २९ | मोतीशा शेठे १८८७ मां पालीताणामांधर्मशाळा बंधावी. डी.१ डीसेंबर मास बेठो सने १९१५. २ महावीरस्वामीनु दिक्षा कल्याणक.
पद्मप्रभु मोक्षे गया.
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तिथि,
सु१
वार.
मंगळ
२ बुध
३ गुरु
४ शुक्र
शनी
रवी
सोम
८ मंगळ
९ बुध
१०
गुरु
११ शुक्र
१२ शनी
* ३
रवी
१४ सोम
१५ मंगळ
व१ बुध
२ गुरु
३
४ शनि
५ रवि
६ सोम
७ मंगळ
८ बुध
९ गुरु १० शुक्र ११ शनि १२ रवि १३ सोम
मंगळ
०))। बुध
तारीख.
डी. ७
१०
११
१२
१३
१४
१५
१६
१७
१८
१९
१०
२१
२२
२३
२४
२५
२६
२७
२८
२९
३०
३१
जा. १
२
मागशर. *
पर्वो
शेठ हेमाभाइए अमदावादमां धर्मशाळा बंधावी १९१२.
पंचक घ. ३५-४३ पछी बेठां.
मुंबई भायखळा देरासर मोतीशा शेठे १८८५ मां बंधाव्युं.
सिद्धियोग. दिल्ही यायतख्त १९११
श्री हिरवीजयसूरनो १५८३ मां जन्म. [६-९ सुधी. अरनाथ प्रभुनुं जन्म तथा मोक्ष कल्याणक. पंचक घ. मौन एकादशी अरनाथ प्रभुने दिक्षा, मल्लिनाथ प्रभुतुं च्यवन, जन्म, दिक्षा तथा केवळ ज्ञान, नेमीनाथ प्रभुने केवळज्ञान.
रोहिणी, संभवनाथनुं जन्म कल्याणक. संभवनाथनुं दिक्षा कल्याणक, हीं. अंबाजीनी यात्रा.
क्रि. नातालना तहेवारनी शरुआत.
[ तिर्थनो जीर्णोद्धार १९६३ मां थयो. पोश दशम, पार्श्वनाथनो जन्म दिवस, दवण-कुलपाक श्री पार्श्वनाथनुं दिक्षा क, श्री अजीतनाथने केवळज्ञान. चंद्रप्रभु जन्म कल्याणक. [सने १९१६ नुं नवं वर्ष. ३ चंद्रप्रभुनुं दिक्षा कल्याणक.
२
४
श्री शीतळनाथने केवळ तथा श्री अभीनंदनने केवळज्ञान.
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पोष.
वार.
तारीख
___पर्वो.
----
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पंचक घ. ५५-३० पछी बेठा
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१६
श्री विमळनाथने केवळज्ञान. पंचक २४-४७ सुधी.
श्री शांतिनाथने केवळज्ञान. | मकर सक्रांत.
श्री अजीतनाथने केवळनान.
रोहिणी. १७ १८ | श्री अभिनंदन स्वामीने केवळज्ञान.
श्री धर्मनाथने केवळज्ञान. पाटण पंचासरा पार्श्वनाथनी ___वर्षगांठ. ( सिद्धियोग ) श्री श्रेयांसनाथने केवळज्ञान.
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श्री पद्मपभुर्नु च्यवन कल्याणक. | रत्नशेखरसुरीनो १५१७ मां देहोत्सर्ग.
श्री अजीतनाथनुं दिक्षा कल्याणक. श्री शीतळनाथना जन्म तथा दिक्षा कल्याणक. मेरु तेरश, आदिश्वर निर्वाण. फेब्रुआरी मास बेठो. श्री श्रेयांस प्रभुने केवळज्ञान. सिद्धियोग.
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माहा.
तिथि.
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वार. . | तारीख.
पर्वो. फे.४॥ पंचक घ. १५-४४ पछी बेठी (वळज्ञान.
श्री अभिनंदन स्वामीनों जन्म, श्रीवासुपुज्य स्वामीने के| श्री वीमळनाथ तथा श्री धर्मनाथनो जन्म दिवस.
७] श्री वीमळनाथनुं दोक्षाकल्याणक. मंगळ
८ ! वसंतपंचमी, करांचीमा श्रीसहस्त्रफणा पार्श्वनाथनी वर्षगांठ बुध
पंचक ४३-सुधी | श्री अजितनाथनो जन्म दिवस.
१२ | श्री अजीतनाथर्नु दिक्षाकल्याणक. रवी
रोहिणी. भोयणीमा मल्लीनाथनी वर्षगांठ. मेळो. १४ १५ | श्री अभिनंदन प्रभुनु दिक्षाकल्याणक. १६ | श्री धर्मनाथनुं दिक्षा क. मुंबइ पायधुनीपर.श्रीशांतिना
श्री संभवनाथनो जन्मदिवस. [थना देरासरनी वर्षगांठ..
शनी
मंगळ
बुध
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मंगळ
बुध
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गुरु
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मुंबइ कोटना शांतिनाथना देरासरनी वर्षगांठ. श्री सुपार्श्वनाथने केवळज्ञान.
श्री चंद्रप्रभुने केवळज्ञान तथा श्रीसुपार्श्वनाथनुं मोक्ष२६
कल्याणक. २७ | श्री सुविधिनाथनुं च्यवन कल्याणक. २९ | श्री आदिश्वर प्रभुने केवज्ञज्ञान. . [ मार्च मास बेठो. मा.१ | श्रीश्रेयांस प्रभुनो जन्म, श्रीमुनिसुव्रतस्वामीने केवळज्ञान
२ | श्री श्रेयांसनाथने दीक्षाक. पंचक घ. ३६-१२ पछी बेठा. | ३ | श्री वासुपुज्यनुं जन्मकल्याणक, [ डुंगर उपर यात्रा. | ४ | श्री वासुपुज्यस्वामीनुं दीक्षाक. धारापुरी तथा कहनेरीना
मंगळ
बुध
काना
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फागण. तिथि.] वार. | तारीख. |
पर्वो. मा. ५ श्री अरनाथन च्यवन क. अमदावाद शांतिनाथना देरानी
मुंबइ मांडवी आदिश्वरना देरानी वर्षगांठ. [ वर्षगांठ, पंचक घ-३-१८ सुधी छे. | मल्लीनाथ स्वामीनुं च्यवनकल्याणक. मारवाड-शीवगंज आदेश्वरना देरानी वर्षगांठ. रोहिणी, अट्ठाइ बेठी.. सिद्धाचळनी यात्रा, श्री संभवनाथनुं च्यवन क. नमिविनमि सिद्धाचळ उपरबे कोडी मुनि साथे मोक्षे गया श्री मल्लीनाथनो जन्म दिवस. [मीनुं मोक्ष क. श्री.मुनि सुतस्वामीनु दिक्षा क० तथा मल्लीनाथ स्वासिद्धाचळनी छ गाउनी प्रदक्षिणानो दिवस.. . चामासी चौदश. हुताशनी, श्री वासुपुज्यनुं दिक्षा क०
श्री वासुपुज्यस्वामीनुं दिक्षा क० धुळी पडवो. मंगळ: बुध
श्री पार्श्वनाथनुं च्यवन तथा केवळ कल्याणक. शुक्र
| श्री चंद्रप्रभुनुं च्यवन क० तथा श्री कुंथुनाथर्नु दिक्षा क० रवि
सिद्धियोग.
केशरीयाजीमां महोत्सव, आदिश्वर जन्म, तथा दिक्षा क० मंगळ
वर्षांतपनो प्रारंभ दिवस. २९ | पंचक घ. ५६-४९ पछी बेठां.
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गुरु
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एप्रील मास बेठो, नेमिराजानी ६४ पुत्रीओ श्री सिद्धाशके १८३७ नुं वर्ष संपूर्ण. [चळ उपर सिद्धिवर्या.
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चैत्र.
तारीख.
पर्वो.
तिथि. | वार. सु.१ | सोम
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मंगळ
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ཀྐཱ ཀྐཱ ཡྻ བྷྱཱ ཙྩཱ ཡྻོ # # ཡྻོ སྒྱུ ,ཀྐཱ ཡྻ བྷྱཱ ཉྫ།
बुध
ए. ३ शालीवाहन अनल नामे शक १८३८ शरु पंचक घ. |
२२-५९ सुधी छे. श्री कुंथुनाथने गजपुरमां केवळज्ञान. | रोहिणी. श्री अजीतनाथ, श्री संभवनाथ तथा श्री अ
नंतनाथनुं मोक्ष क. आयंबीलनी ओळी बेठी (नवपद आराधन.) अष्टापदनी ओळी (चार वर्ष थाय छे.) श्री सुमतिनाथर्नु मोक्ष कल्याणक. श्री सुमतिमाथने अयोध्यामां केवळज्ञान. | श्री महावीरस्वामीनो जन्म दिवस. (जयंति पर्व) ..
[श्री पद्मप्रभुने केवळज्ञान, ओळी संपूर्ण. चैत्री पुनम, सिद्धाचळ यात्रा, पुंडरीक गणधर मुक्ति वो. श्री कुंथुनाथ मोक्षकल्याणक. जैनपत्रनो जन्म सं. श्री शितळनाथ, मोक्षकल्याणक. [१९५९ मां श्री कुंथुनाथ दिक्षा कल्याणक. श्री शितळनाथनुं च्यवन कल्याणक. श्री बापहडीजी सूरिपदे आव्या. सं. ११९ पंचक घ. १७-३८ पछी बेठां.
श्री नमिनाथनुं मोक्षकल्याणक. २९
[४२-४० मुधी छे. ३० | श्री अनंतनाथनो अयोध्यामा जन्म दिवस. पंचक घडी मे. १ | मे मास बेठो, श्री अनंतनाथनु दिक्षा अने केवळ का
तथा श्री कुंथुनाथनो जन्म दिवस.
मंगळ बुध
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बुध
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________________
वैशाख.
वार.
तारीख.
पो .
मंगळ
बुध गुरु
मे.३
| रोहिणी. [पार्श्वनाथना देरानी वर्षगांठ.
अक्षयत्रोज ( अखात्रीज) वर्षितपना पारणां, माणसामां | श्री अभिनंदनस्वामीनुं च्यवन कल्याणक.
थाणामां आदिनाथ प्रभुना देरानी वर्षगांठ. | श्री धर्मनाथस्वामीनुं च्यवन कल्याक. १० | श्री सुमतिनाथनो जन्मदिवस, श्री अभीनंदनस्वामीनुं
श्री सुमतिनाथर्नु दिक्षा कल्याणक. [ मोक्ष कल्याण
श्री महावीरप्रभुने केवळज्ञान. क तथा वृद्धि१३ मुंबइ गोडीजीना देरानी वर्षगांठ. चंद्रजी महारा
श्री विमळनाथनुं च्यवन क. । जनी देहोत्सर्ग श्री अजीतनाथर्नु च्यवन कल्याणक । तिथि.
तथा क्षमा मुनिए जीनशतक उपर टीका लखी. १७ १८
| भावनगर दादासाहेबना देरे श्री बीरप्रभुनी वर्षगांठ.
शुक्र
१४
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बुध
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मगळ
[पंचक घ. ३८-२४ पछी बेठां.] सिद्धाचळनी वर्षगांठ, श्री श्रेयांसपभुनुं च्यवन क० . श्री मुनिसुतस्वामीनो जन्मदिवस. श्री मुनि सुवृतनु मोक्ष कल्याणक.
बुध
२४
पंचक घ. २-४४ सुधी छे. २९ | श्री शांतिनाथनो जन्म तथा मोक्ष क.
श्री शांतिनाथ प्रभुनु दिक्षा कल्याणक.
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जेठ.
विधि.
तारीख.
पो. जुन मास बेठो १९१६, रोहिणी.
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སྨཱ ཀྐཱ ཡྻ བྷྱཱ ཙྪཱ བྷྱཱ ཡྻོ ཡྻ ཙྪཱ བྷྱཱཤྩ བྷཱུ བྷྱཱ ཡྻ ཟླ་ལྕེ༔ བྷྱཱ ཙྪཱ ཀྐཱ ཡྻ ཟླ ཙྪཱཟླ, ཙྪཱ ཨཱ༔
श्री धर्मनाथ मोक्षकल्याणक, मुंबइ पायधुनी चिंताम
शीना देरानी वर्षगांठ. | श्री आत्मारामजी महाराजनो गुजरानवालामां देहोत्सर्ग.
श्री वासुपुज्य च्यवन कल्याणक.. [१९५३] | मुंबइ श्री ऋषभदेवना देरानी वर्षगांठ. श्री सुपार्श्वनाथनो जन्मदिवस तथा श्री सुपार्श्वनाथनु
दिक्षाकल्याणक शुद १३ -
पंचक घ.५९-२ पछी बेठा. श्री आदीनाथनुं च्यवन क. २१ | आर्दा बेठा, केरी त्याग. २२ ] श्री विमलनाथ- मोक्षकल्याणक.
पंचक घ. २२-२ सुधी छे. श्री नमीनाथनुं दिक्षाकल्या०
रोहिणी.
१४
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| वार. | तारीख.
वार.
अषाड.
पर्वो. जुलाइ मास बेठो सने १९१६
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बुध
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श्री महावीर मधुनु च्यक्नकल्याणक. अठाइ बेठी. श्री नेमनाथ प्रभुनु मोक्षकल्याणक.
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चौमाशी चौदश वासुपूज्य स्वामी- मोक्षकल्याणक.
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श्री श्रेयांसनाथ मोक्षक० पंचक घ.१९-२४ पछी छे. दोडमासतुंधर. | श्री अनंतनाथर्नु च्यवनक० पंचक घ.४१-२२ सुधी छे.
श्री नमीनाथनो जन्मदिवस. . श्री कुंथुनाथर्नु च्यवन कल्याणक. रोहिणी.
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श्रावण.
तिथि.
तारीख.
पर्वो.
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| कच्छी महीलासमाजनी स्थापना. (कल्याणक.
ओगष्ट मास बेठो स. १९१६ श्री सुमतिनाथनुं च्यवन
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महीनानुं धर. श्री नेमनाथ प्रभुनो जन्म दिवस. श्री नेमनाथ प्रभुनु दिक्षा कल्याणक. श्री पार्श्वनाथ प्रभु मोक्ष कल्याणक. वीरपसली. मुंबइ मांडवी अनंतनाथना देरासरनी वर्ष
(गांठ. शुद १०
(घ.३९-२५ पछी बेठा. श्री मुनिसुव्रतस्वामीनुं च्यवन कल्याणक, पंचक
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(पंचक घ. ०-३१ सुधी छे. __(भोयवाडा चिंतामणी पार्श्वनाथना देरानो वर्षगांठ. पंदरनुं धर, श्री मुनि सुतस्वामीनु च्यवन क०, मुंबई श्री शांतिनाथनुं च्ववन क० तथा चंद्रप्रभुवं मोक्ष क० श्री सुपार्श्वनाथनुं च्यवन कल्याणक. रोहिणी. अमदावाद खेतरपाळ पोळमां संभवनाथना देरानी वर्षगांठ अहाइधर, पर्युषण पर्व बेठा. पाखी पर्व. कल्पधर.
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________________
तिथि वर.
सु. १ | मंगळ
२
बुध
३ गुरु
४ शुक्र
शनि
७
८
सोम
मंगळ
९ बुध
१०
गुरु
११ शुक्र
शनि
१२ १४ रवि
१५
सोम
व. १ मंगळ
२
बुध
३ गुरु
४
शुक्र
शनि
रवि
७ सोम
८ मंगळ
९ बुध
गुरु
१०
१० शुक्र
११ शनि १२ रवि
१३ सोम
१४
मंगळ
० ) )
बुध
तारीख.
२९ | महावीर जन्मोत्सव. तेलाघर.
३०
३१
स. १
४
६
७
८
१०
११
१२
१३
१४
१५
१६
૧૧
भादरखो.
२१
२२
२३
२४
२५
२६
२७
पर्वों.
सप्टेम्बरमास बैठो. स. १९१६ संवत्सरी वार्षिक पर्व पर्युषणनो छेलो दिवस, क्षमायाचना.
१७
१८ रोहिणी.
१९
२०
दुबळी आठम.
श्रोसुविधिनाथनुं मोक्ष कल्याणक. श्रीहिरसुरिनो देहोत्सर्ग १६५२
पंचक घ. ५९ - २१ पछी बेठां.
पंचक घ. १९ - ३२ सुधी छे.
वस्तुपाळ शेठनो स्वर्गवास १२९८
श्री नेमनाथ प्रभुने केवळज्ञान.
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तिथि.
सु. १
३ २
३
गुरु
शुक्र
शनी
४ स्वी
५ सोम
६ मंगळ
८ बुध
गुरु
शुक्र ११ शनी १२ रवी
१३ सोम
१४
मंगळ
१५ बुध
गुरु
शुक्र
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च. १
वार,
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३
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मंगळ
६
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गुरु
शुक्र
शनी
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सोम
११
१२
१३ मंगळ
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बुध
गुरु
तारीख.
२८
२९
३०
अ. १
२
३
४
११
१२
१३
१४
१५
१६
१७
६ माँगरोळ जैन समानो वार्षिक तिथि, विजयादशमी. पंचक घ. १९-३ पछी बेठां.
१८
१९
ફર
आसो.
२०
२१
२२
२३
२४
२५
२६
पर्वो.
ओकटोबर मास बेठो १९१६
आयंवीलनी ओळी बेठी. अष्टापदजीनी ओळी बेठी.
ओळी संपूर्ण, पंचक घ. ३८-१८ सुधी छे, श्री नमी[ नाथ प्रभुतुं च्यवन कल्याणक.
रोहिणी.
श्री संभवनाथ प्रभुनुं केवळ कल्याणक,
श्री पद्मप्रभ्रुनो जन्मदिवस तथा नेमनाथ प्रभुनुं च्य. क. धनतेरस, लक्ष्मीपूजन, श्री पद्मप्रभुनुं दिक्षा कल्याणक. रूप चौदश.
दीवाळी महावीर नीर्वाण (पावापुरीमां मोक्ष क०) गौतम स्वामीने केवळ ज्ञाग. वीर सं. २४४२ नुं वर्ष संपूर्ण.
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खुश जाहेरात.
कर्ण रोग नाशक तेल ।
इस दवा से कानों का बहरापन, पीव का बहना, जलन होना, सनसनाहट, खुट २ होना सब दूर होते हैं । की० 1 ) एकदर्जन 2||) डा० अ० खांसी का क्षार ।
इस से खुश्क या तर खांसो स्वांस कफ आदि सब दूर होते हैं । १ शी० ।। ) to बद करने की ।
इस से सब प्रकार का अतीसार दस्तों का होना बंद होता है | को० ॥ ) ६० ५) रु०
दवा तिजारी की ।
यह तिजारी की तो शर्तिया दवा है ही पर इस से चौथिया इकतस जाड़े का ज्वर भी जाता रहता है. की० ॥1) डा०|)
सतत
बटिक ।
इस से फसली ज्वर आदि सब ज्वर यकृत् तिल्ली रोग समूल नष्ट होते हैं और ज्वर की संसार में इस से बढ़ कर दवा नहीं है. की० ॥) डा० ।) दर्जन ५) गंधकवटी बालकों की ॥
इस गोली को रोजीना बालकों को खिलाते रहने से बालक के पास कोई भी रोग नहीं आता है। हाजमा बढ़ाती है और भूख खूब खुल कर लगती है तथा बालक हृष्ट पुष्ट होजाता है. और खूब दूध पोने लगता है. प्रत्येक गृहस्थ को एक शोशी अवश्य पास रखना चाहिये | फी० ॥) डा०|) दवा सफेद दागों की ।
शरीर में जो सफेद २ चकते होते हैं, वह एक तरह का कोढ़ होता है। हमारी दवा से यह समूल नष्ट होजाता है. की० फी सी १) डा० ।) प्रदरान्तक चूर्ण |
इस दवा से स्त्रियों का श्वेत तथा लाल प्रदर फौरन दूर हो जाता है, और
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शरीर रुष्टपुष्ट होकर मन में प्रसन्नता रहती है । की ३० रोज के वास्ते १) डां० ख०)
चूर्ण हाजमा दस्तावर । चार मासे शामको खालेने से सवेरे दस्त खुलकर होता है शरीर हलका हो जाता है और भूख खुलकर लगती है। की 1) डिब्बा डां।)
अमृतवल्ली कषाय ।
(अर्थात दवा खून खराब की) इससे खून खराबी से उत्पन्न हुए शरीर में घाव लाल काले चकते सुई सी छिदना देहका रंग बिगड़ना और आतश आदि से बिगड़े हुए खून को शुद्धकर शरीर को कान्तिमान् बना देता है । कुष्ठ और खुजली को भी दूर करता है। यह अमृत के समान गुणदायक खदेशी सालसा है. फी डिब्बा १) डॉ०)
___ दवा बालकों के ज्वर खांसीकी । . इससे बालकों के ज्वर खांसी आदि रोग फौरन दूर होते हैं । यह बालकों के लिये सैंकड़ो वार को आजमूदा रामबाण सम लाभदायक हुक्मी दवा है। फी शी० 1) डॉ० अ०
खुजली नाशक तेल । इस तेलके लगाने से खाज और खुजली आदि चमड़ी के रोग फौरन दूर होते हैं। फी शीशी ।).
नई ईजाद ! नई ईजाद !!!
बाल उड़ाने का साबुन । इस साबुन को बालों पर लगाने से वगैर तकलीफ के दो तीन मीन ट में बाल साफ उड़कर चमड़ी साफ चिकनी और कोमल होजाती है । की० फो टिकिया का वक्स ।) तीन टिकिया ॥ छः टिकिया ११) बारह टि० २॥) .
भोजन सुधार । यह एक अनोखी ही वस्तु है । स्वाद का स्वाद है दवा की दवा है। दाल साग आदि में डालकर खाने से बड़ी ही लज्जत आती है और भोजन स्वादिष्ट होजाता है । चूर्णकी तरह खाने से पेट की तमाम बीमारियां दूर होती हैं। यहो पानीमें डालकर खाने से चटनी का काम देता है । परदेश में बड़े काम की चीज है । को० फी डिब्बा ।) तीन डिब्बा ॥
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ताम्बूल रंजन ।
यह पवित्र वस्तुओं के योगसे सुगंधित और गुणकारी बनाया है । पान के साथ खाने में लज्जत आती है । और मुंहको दुर्गन्ध दांतों की कमजोरी दिल दिभाग की कमजोरी को दूर कर चित्त प्रसन्न करता है। कीमत फी शीशी 1) तीन शीशी ॥ -= )
चन्द्रकला |
( गौरे और खूबसूरत होनेकी दवा )
इस के लगाने से चेहरे की खूबसूरती बढ़ती है और गुलाबी छटा दमकने लगती है। खूशबू निकलने लगता है और चेहरे को स्पाही, मुहांसे, छोप, झुर्रियां, फोडा फुसी, खुजली, मुंह का फटना दूर हो जाता है। की० फी सीसी ॥ ) तीन सी ० १ । )
चन्द्रामृत |
( अनेक रोगोंकी एक दवा )
दर्द,
यह बादो, बदहजमी, दस्त, कै, खांसो, दमा, सिरदर्द, जुखाम, आंखका दर्द, रोग, दाद, खुजलो, खाज, हैजा, सूजन, गठियावार्त, लकवा, कमजोरी, अशक्ति, नामद, जहरी डंक, प्लोहा, अण्डवृद्धि, प्रदररोग, सर्दी, ववासीर, मुंहके छाले, प्रमेह रक्त शुद्ध जलना ताप ( बुखार ) नहरुआ, हिचकी, दुर्गन्धि, खटमल आदि प्रायः सब रोगों का पूरा २ इलाज है । गृहस्थों को एक शीशी अवश्य पास रखनी चाहिये। कीमत अमोर गरीब सबके लिये कम रक्खी है । खाने लगाने की तकींव दवा के साथ मोलती है की० फी शीशी ।। ) तीन सीसी २ )
दवा सुजाक की ।
इससे सब तरह का नया या पुराना सुजाक बहुत जल्द आराम हो | को० १ )
जाता
दवा आतश की ।
इससे कठीन कठीन आतस (गर्मी) आराम हो जाती है, कोई हानि नहीं होती । की ० १ )
दवा ववासीर की ।
इससे खूनी और बादी दोनों तरह की ववासीर अच्छी हो जाती है । की ० १ )
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दवा तिल्ली की ।
• इससे कठिन से कठिन तिल्ली लरक कछुइया अच्छी हो जाती है । की० १) कल्याण वटिका |
इससे स्वप्नदोष और सब तरहका धातुविकार अच्छा होजाता है । की० १) दवा कुष्ठ की ।
यह खाने लगाने की दो दवाइयां हैं कुष्ठ को बहुत जल्दी आराम करती है । की ० १ )
दवा पीनस की ।
नाकका स्वर बिगडना खुशबू न आना आदि पीनस की बीमारी इस से अच्छी होती है । की ० १ )
नयनसुधा अञ्जन ।
• इससे आंखका जाला धुन्ध फुली माडा आदि सब अच्छे होते हैं। की० ॥) ग्रहणी कपाट रस ।
इससे सब तरहकी नई पुरानी संग्रहणी आराम हो जाती है । की ० १) - दवा पशुलीके दर्दकी ।
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इससे पशुलीका दर्द लगाते ही बहुत जल्दी आराम हो जाता है । की ० ।) दवा आई आंख की ।
इससे आई हुई आंख का दई लाली आदि फौरन आराम होती है । की ० 1 ) दवा पेटके दर्द की ।
इससे सब तरहका पेटका दर्द (शूल) फौरन आराम हो जाता है की ●||) कृमि नाशक वटी ।
इससे पेटमें जो छोटे २ कीडे पड जाते हैं वह दूर होकर कृमिरोग नाश होजाता है । की० ॥)
कोकिल कंठ वटिका ।
इससे किसी कारण से बैठ गया हो वह साफ होकर आवाज साफ हो जाती है । की० । )
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दाद का मरहम । यों तो बाजार में दाद की दवाइयां कई तरह की हैं पर उन में किसी न किसी तरहका नुक्स जरूर पाया जाता है, परन्तु हमारी इस दवा से किसी तरह की तकलीफ नहीं होती और न बूरी बू आती है तथा दाद के दादा को तगादा कर भगाती है । की डि01) पवित्र असली २० वर्षका आजमूदा सैकडों प्रशंसापत्र प्राप्त.
नमक सुलेमानी। फायदा न करे तो दाम वापस. ये हैजा बदहजमी पेचिश शूल वायु रोग पेटका दर्द बरबट में रामबाण सम है, गठिया बात खांसी दमा नामदी व स्त्रियों के मासिकधर्म की खराबी में जादू का असर देता है जिगर व पेट की सब खराबीयों को दूर करके पाचनशक्तिको बढाता है । दाम फी शीशी ।।) डा० ख०) तीन शीश) डा ) छः शी० २) डा० ॥) बारह शी० ५) डाकखर्च )
नयनामृत सुरमा । इसके लगाने से आंखों का जाला धुन्ध फुली नेत्रों से पानोका बहना नजले का उतरना आंखों की सुखीं परवर आदि नेत्रों के सर्व रोग दूर हो जाते हैं और चस्मे का लगाना छुट जाता है और बुढापे तक नेत्रोंकी ज्योति कम नहीं होतो और रोज लगाने से आंखों में ठण्डक रहती तथा पढते पढते आंखें नहीं पकती है की० फो शीशी १) डा० अ० ।।
असली अर्क कपूर । इस मशहर दवा की अधिक प्रशंसा करना व्यर्थ है क्योंकि सर्व साधारण पर वर्षों से यह असली अर्क कपूर हैजा और संग्रहणों के लिये अत्यन्त मुफीदा
और परमोत्तम गुणकारी हजारों वार क्या लाखों वार प्रतीत हो चुका है मंगाइये कीमत फी शीशी ।) आना
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________________ कैशबिहार तैल। हमने यह तेल अपने आयुर्वेदीय ग्रन्थों को मथन कर अत्यन्त सुगन्धित और लाभदायक बनाया है / इसके लगाने से बालों का गिरना, शिर घूमना मस्तककी निबलता, हमेशा दर्द, धातु दौर्बल्य, शुक्र दोष कमजोरी, राजयदमा इनको दूर कर बालों की जड़ें मजबूत करता शिर में ठंडक पहुंचाता आंखों की ज्योति बढाता और मानसिक रोगों को लाभ पहुंचाता है फी शी) दर्जन 5) डा० अ० नारायण तेल। इस तैल से गठिया पक्षाघात बात का दर्द व सर्दी से उत्पन्न हुए सब प्रकार के दर्द फौरन आराम होते हैं की शीशी 1) डा०) शिर दर्द नाशक तेल। इस तैल को शिर में लगाने से शिर का दर्द चाहें किसी तरह का हो फौरन दूर होजाता है और आधाशीशी कनपटी का दर्द दूर हो जाता है कीमत फी शीशी।) एक दर्जन 2) अद्भुत हुलास। इससे शिर दर्द जुकाम आदि बहुत जल्द आराम हो जाता है / की।) दवा मुंह के छालों की। इससे सब तरह के छाले आराम हो जाते हैं। की) मरहम / इस से सब तरह के घाव (जखम) आराम हो जाते हैं / की।) कोमलक। इस से फटे हुए हाथ पैर आराम होकर मुलायम हो जाते हैं की०) गभेदाता रसायन / यह गर्भधारण कराने के लिये अक्सीर दवा है / कीमत 1) सरस्वती चूर्ण। इससे मृगी आदि दूर होकर बुद्धि जढती है और स्मरणशक्ति तेज होती है। को० 1) मीलनेका पत्ता-- चंद्रसेन जैन वैद्य. चंद्राश्रम-इटावह. U.P.