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________________ कैशबिहार तैल। हमने यह तेल अपने आयुर्वेदीय ग्रन्थों को मथन कर अत्यन्त सुगन्धित और लाभदायक बनाया है / इसके लगाने से बालों का गिरना, शिर घूमना मस्तककी निबलता, हमेशा दर्द, धातु दौर्बल्य, शुक्र दोष कमजोरी, राजयदमा इनको दूर कर बालों की जड़ें मजबूत करता शिर में ठंडक पहुंचाता आंखों की ज्योति बढाता और मानसिक रोगों को लाभ पहुंचाता है फी शी) दर्जन 5) डा० अ० नारायण तेल। इस तैल से गठिया पक्षाघात बात का दर्द व सर्दी से उत्पन्न हुए सब प्रकार के दर्द फौरन आराम होते हैं की शीशी 1) डा०) शिर दर्द नाशक तेल। इस तैल को शिर में लगाने से शिर का दर्द चाहें किसी तरह का हो फौरन दूर होजाता है और आधाशीशी कनपटी का दर्द दूर हो जाता है कीमत फी शीशी।) एक दर्जन 2) अद्भुत हुलास। इससे शिर दर्द जुकाम आदि बहुत जल्द आराम हो जाता है / की।) दवा मुंह के छालों की। इससे सब तरह के छाले आराम हो जाते हैं। की) मरहम / इस से सब तरह के घाव (जखम) आराम हो जाते हैं / की।) कोमलक। इस से फटे हुए हाथ पैर आराम होकर मुलायम हो जाते हैं की०) गभेदाता रसायन / यह गर्भधारण कराने के लिये अक्सीर दवा है / कीमत 1) सरस्वती चूर्ण। इससे मृगी आदि दूर होकर बुद्धि जढती है और स्मरणशक्ति तेज होती है। को० 1) मीलनेका पत्ता-- चंद्रसेन जैन वैद्य. चंद्राश्रम-इटावह. U.P.
SR No.546252
Book TitleJain Panchang 1916
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasen Jain Vaidya
PublisherChandrashram
Publication Year1916
Total Pages20
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Panchang, & India
File Size7 MB
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