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________________ ૧૩ दवा तिल्ली की । • इससे कठिन से कठिन तिल्ली लरक कछुइया अच्छी हो जाती है । की० १) कल्याण वटिका | इससे स्वप्नदोष और सब तरहका धातुविकार अच्छा होजाता है । की० १) दवा कुष्ठ की । यह खाने लगाने की दो दवाइयां हैं कुष्ठ को बहुत जल्दी आराम करती है । की ० १ ) दवा पीनस की । नाकका स्वर बिगडना खुशबू न आना आदि पीनस की बीमारी इस से अच्छी होती है । की ० १ ) नयनसुधा अञ्जन । • इससे आंखका जाला धुन्ध फुली माडा आदि सब अच्छे होते हैं। की० ॥) ग्रहणी कपाट रस । इससे सब तरहकी नई पुरानी संग्रहणी आराम हो जाती है । की ० १) - दवा पशुलीके दर्दकी । 1 इससे पशुलीका दर्द लगाते ही बहुत जल्दी आराम हो जाता है । की ० ।) दवा आई आंख की । इससे आई हुई आंख का दई लाली आदि फौरन आराम होती है । की ० 1 ) दवा पेटके दर्द की । इससे सब तरहका पेटका दर्द (शूल) फौरन आराम हो जाता है की ●||) कृमि नाशक वटी । इससे पेटमें जो छोटे २ कीडे पड जाते हैं वह दूर होकर कृमिरोग नाश होजाता है । की० ॥) कोकिल कंठ वटिका । इससे किसी कारण से बैठ गया हो वह साफ होकर आवाज साफ हो जाती है । की० । )
SR No.546252
Book TitleJain Panchang 1916
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasen Jain Vaidya
PublisherChandrashram
Publication Year1916
Total Pages20
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Panchang, & India
File Size7 MB
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