Book Title: Chaitra Gaccha ka Sankshipta Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Z_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चैत्रगच्छ का संक्षिप्त इतिहास डॉ. शिवप्रसाद...... ध्ययुगीन श्वेताम्बर-गच्छों में चैत्रगच्छ भी एक था। चैत्रपर गुणाकरसूरि की दूसरी कृति है वि.सं. १५२४ ई. सन् नामक स्थान से इस गच्छ की उत्पत्ति मानी जाती है। १४६८ में रचित भक्तामरस्तवव्याख्या। इसकी प्रशस्ति से इस गच्छ के कई नाम मिलते हैं,यथा चित्रवालगच्छ, चैत्रवालगच्छ, ज्ञात होता है कि चैत्रगच्छीय आचार्य धनेश्वरसूरि की मूल परंपरा चित्रपल्लीयगच्छ, चित्रगच्छ आदि। धनेश्वरसूरि इस गच्छ के में गुणाकरसूरि हुए, जिन्होंने उक्त कृति की रचना की। वि.सं. आदिम आचार्य थे। इनके पट्टधर भुवनचन्द्रसूरि हुए जिनके १५५४/ई. सन् १४९८ में लिपिबद्ध की गई भक्तामरस्तवव्याख्या प्रशिष्य और देवभद्रसूरि के शिष्य जगच्चन्द्रसूरि से वि.सं. १२८५ की एक प्रति मुनि पुण्यविजय जी के संग्रह में उपलब्ध है, ई. सन् १२२९ में तपागच्छ का प्रादुर्भाव हुआ। देवभद्रसूरि के जिसकी दाताप्रशस्ति में चैत्रगच्छीय मुनि चारुचन्द्र का उल्लेख है। अन्य शिष्यों से चैत्रगच्छ की अविच्छिन्न परंपरा जारी रही। दशवैकालिकसत्र की वि.सं. १७६८/ई. सन १७१२ चैत्रगच्छ के इतिहास के अध्ययन के लिए साहित्यिक में लिखी गई एक प्रति की दाताप्रशस्ति' में चैत्रगच्छ की देवशाखा और अभिलेखीय दोनों प्रकार के साक्ष्य उपलब्ध है। साहित्यिक का उल्लेख है। यह प्रति उक्त शाखा के आचार्य रत्नदेवसूरि के साक्ष्यों के अंतर्गत इस गच्छ से संबद्ध केवल तीन प्रशस्तियाँ पट्टधर सौभाग्यदेवसूरि की परंपरा के मुनि बेलजी के पठनार्थ मिलती हैं। इस गच्छ की कोई पट्टावली नहीं मिलती, किन्तु लिखी गई थी। चैत्रगच्छ से संबद्ध यही साहित्यिक साक्ष्य प्राप्त तपागच्छीय आचार्यों की प्राचीन कृतियों की प्रशस्तियों एवं इस होते हैं। जैसा कि पूर्व में कहा गया है तपागच्छ से संबद्ध प्राचीन गच्छ की विभिन्न पट्टावलियों में चैत्रगच्छ के प्रारम्भिक चार प्रशस्तियों एवं पट्टावलियों में चैत्रगच्छ के प्राचीन आचार्यों का आचार्यों का उल्लेख मिलता है । अलबत्ता इस गच्छ के विवरण प्राप्त होता है। जो इस प्रकार है-- मुनिजनों द्वारा प्रतिष्ठापित अनेक जिनप्रतिमाएँ उपलब्ध हुई इन । धनेश्वरसूरि पर उत्कीर्ण लेखों से ज्ञात होता है कि ये वि.सं. १२६५ /ई. सन् भुवनचन्द्रसूरि १२०९ से वि.सं. १५९१/ ई. सन् १५३५ के मध्य प्रतिष्ठापित की । गई थीं। अभिलेखीय और साहित्यिक साक्ष्यों द्वारा इस गच्छ की . देवभद्रसूरि विभिन्न शाखाओं जैसे भर्तृपुरीय शाखा, धारणपद्रीय (थारापद्रीय) जगच्चन्द्रसूरि शाखा, चतुर्दशीपक्ष शाखा, चन्द्रसामीय शाखा, सलषणपुरा शाखा, कम्बोइया और अष्टापद शाखा, शार्दूल शाखा आदि का भी पता (वि.सं. १२८५ /ई. सन् १२२९ में तपागच्छ के प्रवर्तक) चलता है। चैत्रगच्छ से संबद्ध दो लेख चित्तौड़ से प्राप्त हुए हैं। इनमें अध्ययन की सविधा के लिए सर्वप्रथम साहित्यिक साक्ष्यों से एक लेख चैत्रगच्छ की मूलशाखा और दूसरा भर्तृपुरीयशाखा से संबद्ध है। त्रिपुटी महाराज ने प्रथम लेख की वाचना इस और तत्पश्चात् अभिलेखीय साक्ष्यों का विवरण प्रस्तुत है-- प्रकार दी है-- सम्यक्त्वकौमुदी-- चैत्रगच्छीय आचार्य गुणाकरसूरि ने वि.सं. १५०४ / ई. सन् १४४८ में उक्त ग्रंथ की रचना की। ".......... कार्तिक सुदि १४ चैत्रगच्छे रोहणाचल चिंतामणि इसकी प्रशस्ति ३ में यद्यपि उन्होंने अपनी गुरुपरंपरा के किसी ..........सा मणिभद्र सा. नेमिभ्याम् सह वंडाजितायाः सं. राजन आचार्य का नामोल्लेख नहीं किया है, किन्तु चैत्रगच्छ से संबद्ध श्रीभवनचन्द्रसूरिशिष्यस्य विद्वत्तया सहृत्तया च रंजितं श्रीगुर्जरराज सबसे प्राचीन प्रशस्ति होने से यह महत्त्वपूर्ण है। श्रीमेदपाटप्रभुप्रभृतिक्षितिपतिमानितस्य श्री (३) x x x लघुपुत्र देदासहितेन स्वपितुरामित्य प्रथमपुत्रस्य वर्मनसिंहस्य पूर्वप्रतिष्ठित -----चैत्रगच्छीय-- answamironiromiraniramidnironirdrobordorariword-6- ३२ Hdvirodrridoramiovidroidrioritonironidroidrea Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रन्थ - इतिहास-श्रीसीमंधरस्वामी श्रीयुगमंधरस्वामी।" नरेश को भीम द्वितीय (वि.सं. १२३४-१२७७.ई. सन् ११७८इस लेख में चैत्रगच्छीय आचार्य भवनचन्द्रसरि के शिष्य १२२१) तथा मेदपाट (मेवाड़) के राजा को गुहिलवंशीय शासक का उल्लेख है, किन्तु उनका नाम नहीं दिया गया है। साहित्यिक सामंतसिंह (वि.सं. १२२८-१२५८. ई. सन् ११७१-१२०२) साक्ष्यों में भुवनचन्द्रसूरि के शिष्य देवभद्रसरि का उल्लेख मिलता अथवा उसके उत्तराधिकारी कुमारसिंह से समीकृत किया जा है, अत: यह संभावना व्यक्त की जा सकती है कि चित्तौड के उक्त सकता है। लेख में वर्णित भुवनचन्द्रसूरि के शिष्य उक्त देवभद्रसूरि ही हों। चूंकि चैत्रगच्छ से संबद्ध कोई भी साक्ष्य वि.सं. १२६५/ देवभद्रसरि के शिष्य जगच्चन्द्रसरि से वि.सं. १२८५ ई. ई. सन् १२०२ के पूर्व का नहीं है, किन्तु अंतर्साक्ष्यों के आधार सन् १२२९ में तपागच्छ का प्रादुर्भाव हआ. अत: देवभद्रसरि पर उक्त मितिरहित लेख निश्चय ही वि.सं. १२६५ के पूर्व का का समय उनसे लगभग ३० वर्ष पूर्व अर्थात वि.सं. १२५५ के सिद्ध होता है, अतः इसे चैत्रगच्छ का सबसे प्राचीन साक्ष्य माना आसपास माना जा सकता है। प्रायः यही समय उक्त लेख का जा सकता है। भी हो सकता है। इस आधार पर उक्त लेख में उल्लिखित गुर्जर चैत्रगच्छ से संबद्ध प्रतिमालेखों का विवरण इस प्रकार है-- क्रमांक वि.सं. तिथि/वार प्रतिष्ठास्थान संदर्भग्रंथ १२६५ तिथिविहीन आचार्य का नाम प्रतिमा लेख /स्तम्भ लेख पद्मदेवसूरि पार्श्वनाथ की धातुप्रतिमा का लेख आदिनाथ जिनालय, (नाहटों में) बीकानेर २. १२७३ फाल्गुन वदि २ धर्मसिंहसूरि रविवार गुरुमूर्ति पर उत्कीर्ण लेख चिन्तामणिपार्श्वनाथ जिनालय, सादड़ी(राज.) अगरचंद नाहटा, संपा., बीकानेर जैन लेख संग्रह, लेखाङ्क १४८० अरविन्दकुमारसिंह, "चिन्तामणिपार्श्वनाथ मंन्दिर के तीन जैन प्रतिमालेख" पं.दलसुखभाई मालवणिया - अभिनन्दनग्रन्थ, पृष्ठ १७२-७३ नाहटा, पूर्वोक्त लेखाङ्क. १२६ आषाढ़ सुदि १०..सूरि शुक्रवार चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिना; बीकानेर १३०० माघ वदि २ हरिचन्द्रसूरि लख १३१२ वैशाख वदि४ यशोदेवसूरि के पट्टधर देवेन्द्रसूरि १३१२ माघ वदि ५ देवेन्द्रसूरि बुधवार के पट्टधर धर्मदेवसूरि शांतिनाथ आदिनाथ दौलतसिंह लोढा की प्रतिमा पर जिनालय, सम्पा; श्रीप्रतिमालेखसंग्रह उत्कीर्ण लेख थराद लेखाङ्क......। पार्श्वनाथ की धातु चिंतामणि पार्श्वनाथ जिना., मुनि विशालविजय की प्रतिमा पर चिंतामणि शेरी, राधनपुरप्रितमालेख उत्कीर्ण लेख राधनपुर संग्रह लेखाङ्क. ३६ चन्द्रप्रभ की चिन्तामणि जिनालय, नाहटा, पूर्वोक्त, प्रतिमा पर बीकानेर लेखाङ्क १५३ उत्कीर्ण लेख ६. Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वही, लेखाङ्क १६२० ८. ९. मुनि जयन्तविजय, संपा.अर्बुद प्राचीन जैनलेख-संदोह, लेखाङ्क ५२९ पूरनचन्द नाहर, संपा.जैन-लेख-संग्रह भाग-२, लेखाङ्क १९२१ मुनि बुद्धिसागर, संपा.जैन-धातु-प्रतिमा-लेख-संग्रह, भाग-१,लेखाङ्क ४६२ मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-१,लेखाङ्क ४६३ १०. ११. १२. - यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ - इतिहास१३२० फाल्गुन सुदि १२ रविप्रभसूरि पार्श्वनाथ की धातु पार्श्वनाथ जिनालय, की प्रतिमा पर (कोचरों में) उत्कीर्ण लेख बीकानेर १३२१ चैत्र सुदि ३ शालिभद्रसूरि आदिनाथ . अनुपूर्ति लेख, शुक्रवार की प्रतिमा आबू का लेख १३२१ फाल्गुन सुदि आमदेवसूरि शांतिनाथ बावन जिनालय की चौबीसी करेड़ा, मेवाड़ प्रतिमा लेख १३२६ चैत्रवदि १२ शालिभद्रसूरि पार्श्वनाथ देरासर, शुक्रवार के शिष्य लाडोल धर्मचन्द्रसूरि १३२६ चैत्रवदि १२ शालिभद्रसूरि अजितनाथ पार्श्वनाथ देरासर, शुक्रवार के शिष्य की धातु की लाडोल धर्मचन्द्रसूरि प्रतिमा का लेख १३२६ ...वदि ३ पद्मप्रभसूरि जिन प्रतिमा पर चिन्तामणि जिनालय, बुधवार उत्कीर्ण लेख बीकानेर १३२७ फाल्गुन सुदि१२ अजितसिंहसूरि चन्द्रप्रभ जिनालय, के संतानीय जैसलमेर कनकप्रभसूरि १३३१ तिथिविहीन पार्श्वनाथ की चिंतामणि पार्श्वनाथ प्रतिमा का लेख जिनालय, बीकानेर १३३२(?) वैशाखसुद११ देवेन्द्रसूरि के संतानीय चतुर्विशति रविवार धर्मदेवसूरि पट्ट पर उत्कीर्ण लेख १३३३ आषढ़ सुदि २ देवाणंदसूरि शांतिनाथ की शांतिनाथ जिनालय, धातु की प्रतिमा शांतिनाथ पोल, का लेख अहमदाबाद १३३३ माघ सुदि १ देवचन्द्रसूरि के स्तम्भलेख जैन मंदिर, पट्टधर अमरचन्द्रसूरि रत्नपुर, के शिष्य अजितदेवसूरि मारवाड़ १३३४ वैशाख सुदि ५ भद्रेश्वरसूरि जिन प्रतिमा पंचायती मंदिर, गुरुवार के शिष्य पर उत्कीर्ण जयपुर नरचन्द्रसूरि १३३४ " देवभद्रसूरि कायोत्सर्ग जैनमंदिर नाहटा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क १६८ नाहर, पूर्वोक्त, भाग ३, लेखाङ्क २२२९ १३. १४. नाहटा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क १७८ वही. लेखाङ्क १८३ १५. , १६. मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-१,लेखाङ्क १२९७ १७. नाहर, पूर्वोक्त, भाग-१ लेखाङ्क ९३५ विनयसागर, संपा.प्रतिष्ठालेखसंग्रह, लेखाङ्क ८६ नाहर, पूर्वोक्त, लेख १९. Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेखाङ्क २०९० २०. मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-१, लेखाङ्क ४५६ नाहर, पूर्वोक्त, भाग-३,लेखाङ्क २४१६ -यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रन्थ - इतिहासके संतानीय जिन प्रतिमा तिवरी,सिरोही भाग-२ पं. सोमचंद्र पर उत्कीर्ण लेख १३३५ चैत्र वदि५ पद्मचंद्रसूरि शालिभद्रसूरि पार्श्वनाथ रविवार के पट्टधर की प्रतिमा पर देरासर, शालिभद्रसूरि के उत्कीर्ण लेख लाडोल शिष्य रविचन्द्रसूरि और धर्मचन्द्रसूरि १३३९ तिथिविहीन धर्मदेवसूरि नेमिनाथ वीर जिनालय, की प्रतिमा पर जैसलमेर उत्कीर्ण लेख १३४० ज्येष्ठ सुदि १३ देवप्रभसूरि पार्श्वनाथ सुपार्श्वनाथ का रविवार के संतानीय की प्रतिमा बड़ा पंचायती अमरभद्रसूरि का लेख जैनमंदिर, के पट्टधर जयपुर अजितदेवसूरि ११३४.... ....५ रत्नप्रभसूरि पार्श्वनाथ नवखंडापार्श्वनाथ रविवार के पट्टधर की धातुप्रतिमा जिनालय, पद्मप्रभसूरि का लेख भोयरापाडो,खंभात १३५२ फाल्गुन सुदी १ गुणचन्द्रसूरि वासुपूज्य शीतलनाथ जिनालय, बुधवार की धातु-प्रतिमा उदयपुर का लेख २२. विनयसागर, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ११३४ २३. २४. मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-२ लेखाङ्क ८७९ आचार्य विजयधर्मसूरि, संपा., प्राचीन लेख-संग्रह लेखाङ्क५० एवं नाहर, पूर्वोक्त, भाग-२ लेखाङ्क १०४१ मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग -२, लेखाङ्क ९२६ २५. १३५४ माघ वदि ५ धर्मदेवसूरि पार्श्वनाथ की धातु-प्रतिमा कालेख पार्श्वनाथ जिनालय, माणेक चौक, खंभात २६. १३५९(?)वैशाख सुदि ६ रत्नसिंहसूरि चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय, बीकानेर लूणवसही,आबू नाहटा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क २८१ मुनि जयन्तविजय, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ३८४ १३६१ तिथिविहीन स्तम्भलेख वर्धमानसूरि के शिष्य जयसेन उपाध्याय आमदेव सूरि १३६९ ॥ महावीर की प्रतिमा चिन्तामणि पार्श्वनाथ का लेख जिनालय, बीकानेर आदिनाथ की प्राचीन जैनमंदिर प्रतिमा का लेख लालबाग, मुंबई नाहटा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क २४४ मुनि कान्तिसागर, संपा.जैन-धातु-प्रतिमा-लेख, लेखाङ्क २९. १३६९ फाल्गुन सुदि ९ अजितदेवसूरि सोमवार tosaridroidrstarsa-sosiationsasrandiba sic ३५ /Horomailonsidasidasionsidensidusrordibasnesiandorar Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०. ३१. ३२. ३३. ३४. ३५. ३६. ३७. ३८. ३९. ४०. ४० अ. Amm १३७१ १३७३ १३७८ १३७८ १३८१ १३८६ १३८७ १३८८ १३८८ १३८८ १३९१ आषाढ़ सुदि ३ गुरुवार वैशाख सुदि ७ पद्मदेवसूरि सोमवार ज्येष्ठ वादि ९ सोमवार वैशाख सुदि ६ रत्नसिंहसूरि बुधवार पद्मदेवसूरि के पट्टधर मानदेवसूरि १३...? फाल्गुन सुदि ८ मानदेवसूरि माघ वदि २ सोमवार श्री उद...? वैशाख सुदि १ धर्म्मदेवसूरि माघ वदि ९ शुक्रवार - यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ - इतिहास मप्रभसूर के शिष्य रामचन्द्रसूरि तिथिविहीन मार्गशीर्ष सुदि ९ मदनसूरि शनिवार चैत्रवदि ७ सोमवार पद्मदेवसूरि पट्टधर मानदेवसूरि वैशाख वदि २ हरिचन्द्रसूरि सोमवार के पट्टधर धर्मसिंहसूर आमदेवसूरि मानदेवसूरि महावीर की धातु- जैनमंदिर प्रतिमा का लेख भावरी ग्राम, सिरोही शांतिनाथ की प्रतिमा का लेख जिनप्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख सुमतिनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख पार्श्वनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख शांतिनाथ की धातुप्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख पार्श्वनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख "" महावीर प्रतिमा का लेख शांतिनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख " चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय, बीकानेर For Private " विमलवसही, आबू चन्द्रप्रभ जिनालय, जैसलमेर पद्मदेवसूरि के शिष्य भीमा के मूर्ति पर उत्कीर्ण लेख चन्द्रप्रभ जिनालय, जानीशेरी, बडोदरा स्तम्भन पार्श्वनाथ जिनालय, खारवाड़ा, खंभाग चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय, बीकानेर जैन देरासर, कोलवड़ा चन्द्रप्रभदेरासर, जैसलमेर शत्रुञ्जय ३६টक Personal Use Only मुनि जयंतविजय, संपा. - अर्बुदाचल- प्रदक्षिणा - जैन-लेख-संदोह, लेखाङ्क ५२४ नाहटा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क २५३ वही, लेखाङ्क २७६ मुनि जयंतविजय, संपा. अर्बुद - प्राचीन जैन - लेख - संदोह, लेखाङ्क १३९ एवं मुनि जिनविजय, संपा. - प्राचीन जैनलेख संग्रह भाग - २, लेखाङ्क २०२ नाहर, पूर्वोक्ति, भाग-३ लेखाङ्क २२४९ मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-२, लेखाङ्क १५० मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-२, लेखाङ्क १०४१ नाहटा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ३८१ वही, लेखाङ्क ३२६ मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त भाग-१, लेखाङ्क ६५९ नाहर, पूर्वोक्त, भाग-३, लेखाङ्क २२५५ मधुसूदन ढाँकी और लक्ष्मण भोज "शत्रुञ्जयगिरिनाकेटलाक अप्रकट प्रतिमा लेखो" सम्बोधि वर्ष ७, अंक १-४ SGRA Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ - इतिहास१३९१ माघ सुदी ६ हरिप्रभसूरि अजितनाथ वीर जिनालय- मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्तरविवार के शिष्य धर्मदेवसूरि की प्रतिमा का लेख बड़ोदरा भाग २, लेखाङ्क ४९ ४२. १३९२(३) माघ वदि ११ पद्मदेवसूरि नमिनाथ सीमंधरस्वामी वही, भाग-२ शुक्रवार के शिष्य मानदेवसूरि की धातु की का मंदिर लेखाङ्क १०६८ प्रतिमा का लेख खारवाडो, खंभात ४३. १३९६ माघवदि २ मानदेवसूरि पार्श्वनाथ पार्श्वनाथ देरासर, वही, भाग-१ सोमवार की धातु की देवसानो पाडो, लेखाङ्क १०९३ प्रतिमा का लेख अहमदाबाद १३९७ माघ... " शांतिनाथ जिनालय वही, भाग-२ छाणी, बड़ोदरा लेखाङ्ग २५६ १४०५ वैशाख सुदि २ धर्मदेवसूरि आदिनाथ की शांतिनाथ देरासर, वही, भाग-१ धातु की प्रतिमा कनासानो पाडो, लेखाङ्क ३५७ का लेख पाटण १४०८ वैशाख सुदि ५ पद्मदेवसूरि के शांतिनाथ की धातु- शीतलनाथ जिनालय मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, गुरुवार पट्टधर मानदेवसूरि प्रतिमा का लेख कुंभारपाडो, खंभात भाग-२, लेखाङ्क ६५० १४१७ ज्येष्ठ सुदि ९ मानदेवसूरि आदिनाथ की धातु शांतिनाथ देरासर, वही, भाग-१ गुरुवार की प्रतिमा का लेख कनासानो पाडो, पाटण लेखाङ्क ३२४ वैशाख सुदि १२ मुनिरत्नसूरि शांतिनाथ की चिंतामणि जिनालय, नाहटा, पूर्वोक्त, बुधवार की प्रतिमा का लेख बीकानेर लेखाङ्क ४४९ आषाढ़ सुदि६ धर्मदेवसूरि आदिनाथ की धातु " वही, लेखाङ्क ४७० गुरुवार की प्रतिमा का लेख धर्मचन्द्रसूरि शतिनाथकी धातुकी संभवनाथ देरासर, मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, प्रतिमा का लेख पादरा भाग-२,लेखाङ्क १४ ५० अ. १४३२ फाल्गुन सुदि २ गुणाकरसूरि गुरुप्रतिमा मधुसूदन ढाकी और के शिष्यरत्नप्रभसूरि की पर उत्कीर्ण लेख लक्ष्मण भोजकप्रतिमा के प्रतिष्ठापक "शत्रुजयगिरिना केटलाक उनके शिष्य गुणसमुद्रसूरि अप्रकट प्रतिमा लेखों", सम्बोधि, जिल्द ७, अंक १-४, लेखाङ्क २७ १४३५ माघ वदि १३ गुणदेवसूरि पार्श्वनाथ की धातु चिंतामणि जिनालय, नाहटा, पूर्वोक्त, सोमवार की पंचतीर्थी बीकानेर लेखाङ्क५१६ प्रतिमा का लेख १४४६ वैशाख वदि..... देवंचन्द्रसूरि आदिनाथ सुमतिनाथ मुख्य बावन बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, के पट्टधर की धातु की जिनालय,मातर भाग-२,लेखाङ्क ५२४ पार्श्वचन्द्रसूरि प्रतिमा का लेख शुक्रवार సారసాగరంగరంగరంగరంగ 29 గారు రంగుగరుకుగాంతంలో Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४७७ " - यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रन्थ - इतिहास. ५३. १४५१ ज्येष्ठ सुदि ४ पासदेवसूरि शांतिनाथ की जैनमंदिर, ऊँझा वही, भाग-१, रविवार धातु की पंचतीर्थी लेखाङ्क १५५ प्रतिमा का लेख ५४. १४५८ फाल्गुन वदि १ वीरचन्द्रसूरि आदिनाथ चिंतामणि जिनालय, नाहटा, पूर्वोक्त, शुक्रवार की धातु की प्रतिमा बीकानेर लेखाङ्क५८५ का लेख वैशाख सुदि ३ धर्मदेवसूरि शांतिनाथ की धातु संभवनाथजिनालयबोलपीपलो, मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, सोमवार के पट्टधर पार्श्वचन्द्रसूरि की प्रतिमा का लेख खंभात भाग-२,लेखाङ्क ११३३ मार्गशीर्ष सुदि१० वीरचन्द्रसूरि। आदिनाथ की धातु चिंतामणि पार्श्वनाथ नाहटा, पूर्वोक्त, बुधवार की प्रतिमा का लेख जिनालय,बीकानेर लेखाङ्क ६२९ फाल्गुन सुदी ९ पार्श्वचन्द्रसूर सूरके शिष्य धर्मनाथ देरासर, मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त,भाग-१, सोमवार मलयचन्द्रसूरि उपलोगभारो, अहमदाबाद लेखाङ्क १११३ १४७७ वैशाख सुदि ५ गणेशदेवसूरि अनन्तनाथ की धातु शांतिनाथ देरासर, वही, भाग-२, की चौबीसी प्रतिमा छाणी, बड़ोदरा लेखाङ्क २६७ पर उत्कीर्ण लेख शांतिनाथ की धातु सहस्रफणा पार्श्वनाथ मुनि विशालविजय, की चौबीसी प्रतिमा जिनालय, बम्बावाली पूर्वोक्त, लेखाङ्क १०० का लेख शेरी, राधनपुर (१४)७८ वैशाख सुदि६ जयानन्दसूरि पार्श्वनाथ की अनुपूर्ति लेख, अर्बुद-प्राचीन-जैन-लेख-संदोह, सोमवार प्रतिमा का लेख आबू लेखाङ्क६६० १४८४ वैशाख सुदि ११ जिनदत्त (देव) सूरि धातु की चौबीसी कल्याण पार्श्वनाथ, मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त,भाग १, रविवार जिनप्रतिमा पर देरासर, वीसनगर लेखाङ्क५३४ . उत्कीर्ण लेख __ १४८७ मार्गशीर्ष सुदि ९ जिनदेवसूरि श्रेयांसनाथ की मुनि सुव्रतनाथ जिनालय,वही, भाग-२, शनिवार धातु की प्रतिमा खारवाडो, खंभात लेखाङ्क १०२५ का लेख १४९३ माघ सुदि ८ धनदेवसूरि पार्श्वनाथ की धातु की आदिनाथ जिनालय, नाहटा, पूर्वोक्त, शुक्रवार प्रतिमा का लेख राजलदेसर लेखाङ्क २३४७ ६४. १४९९ कार्तिक सुदि १५ ...तिलकसरि धर्मनाथ की वीर जिनालय, वही, लेखाङ्क १३४१ गुरुवार धातु की पंचतीर्थी बीकानेर प्रतिमा का लेख ५. १४९९ माघ सुदि६ मुनितिलकसूरि सुमतिनाथ आदिनाथ जिनालय, नाहर, पूर्वोक्त सोमवार के पट्टधर की प्रतिमा सेठों की हवेली भाग-२,लेखाङ्क १९०१ गुणाकरसूरि का लेख के पास, उदयपुर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६. -यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रन्थ - इतिहास-- १४९९ फाल्गुन वदि २ जयानन्दसूरि, मुनिसुव्रत की पार्श्वनाथ जिनालय, नाहटा, पूर्वोक्त, गुरुवार मुनितिलकसूरि धातु की सरदार शहर लेखाङ्क २३८४ गुणाकरसूरि चौबीसी प्रतिमा का लेख वैशाख सुदि ५ श्रीसूरि शांतिनाथकी धातु शांतिनाथ जिनालय, मुनि विशालविजय, गुरुवार चौबीसी प्रतिमा कडुवामत की शेरी, पूर्वोक्त, लेखाङ्क १३२ का लेख . माघ सुदि १० सुमतिसूरि, चन्द्रप्रभ की चौबीसी पंचायती मंदिर, विनयसागर, पूर्वोक्त, सोमवार गुणाकरसूरि प्रतिमा का लेख जयपुर लेखाङ्क ३४६ फाल्गुन सुदि१३ मुनितिलकसूरि शांतिनाथ की प्रतिमा " नाहर, पूर्वोक्त, शनिवार का लेख भाग-२, लेखाङ्क ११४५ १५०३ मार्गशीर्ष वदि१० " संभवनाथ की शांतिनाथ विनयसागर, पूर्वोक्त, पंचतीर्थी प्रतिमा जिनालय, रतलाम लेखाङ्क ३७० का लेख १५०३ मार्गशीर्ष सुदि६ मलयचंद्रसूरि सुमतिनाथ चन्द्रप्रभ जिनालय, नाहर, पूर्वोक्त, जैसलमेर भाग-३, लेखाङ्क २३२० १५०४ माघ सुदि ५ गुणाकसूरि के श्रेयांसनाथ की चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय, नाहटा, पूर्वोक्त, रविवार सानिध्य में धातु की प्रतिमा बीकानेर लेखाङ्क ९०४ मुनितिलकसूरि कालेख १५०५ माघ वदि ७ मुनितिलकसूरि मुनिसुव्रत की पंचतीर्थी शांतिनाथ जिनालय विनयसागर, पूर्वोक्त प्रतिमा का लेख रतलाम लेखाङ्क ३९७ १५०६ माघ वदि ३ वासुपूज्य चिंतामणि पार्श्वनाथ नाहटा, पूर्वोक्त, गुरुवार की धातु की जिनालय, बीकानेर लेखाङ्क ९०० प्रतिमा का लेख १५०६ माघ सुदि६ धर्मनाथ की प्रतिमा अस्पष्ट नाहर, पूर्वोक्त, भाग-१ का लेख लेखाङ्क २१३ १५०७ भाद्रपद सुदि१३ गुणदेवसूरि के सुविधिनाथ की महावीरजिनालय, मुनि कान्तिसागर, शुक्रवार संतानीय धातु की प्रतिमा पायधुनी, मुंबई पूर्वोक्त, भाग-१, जिनदेवसूरि का लेख लेखाङ्क १०६ ७२. ७३. ७४. ७५. ७६. ७७. मुनि तिलकसूरि १५०७ माघ सुदि ५ गुरुवार सुमतिनाथ बावन जिनालय, की धातु की प्रतिमा पेथापुर का लेख मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-१, लेखाङ्क ७०४ driodromidnironidiomadroomidnidmoonGridwara ३९ HorrioririwariwaroroGramirikarGrorionitoriorrowd For Private & Personal use only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८. ___७९. ८०. ८१. ८२. ___८३. - यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ - इतिहास१५०८ वैशाख सुदि ५ " धर्मनाथ की धातु की जैनमंदिर, नाहर, पूर्वोक्त, सोमवार प्रतिमा का लेख पटना (बिहार) भाग-१, लेखाङ्क २७७ १५०८ " श्रेयांसनाथ की गौड़ी पार्श्वनाथ, जिनालय, मुनि कान्तिसागर, धातु की प्रतिमा पायधुनी, मुंबई पूर्वोक्त, भाग-१ लेखाङ्क १११ का लेख १५०८ मार्गशीर्ष वदि २ मुक्तिवि...सूरि आदिनाथ की पंचायती मंदिर, विनयासगर, पूर्वोक्त, बुधवार पंचतीर्थी जयपुर लेखाङ्क ४३४ प्रतिमा कालेख १५०८ मार्गशीर्ष सुदि ३ गुणदेवसूरि शांतिनाथ की धातु की जैनमंदिर, विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, शुक्रवार के संतानीय प्रतिमा के लेख बोटाड लेखाङ्क २३५ . जिनदेवसूरि १५०९ माघ वदि ९ वीरदेवसूरि के पट्टधर आदिनाथ की धातु जैनमंदिर , मुनि कान्तिसागर, मंगलवार पासदेवसूरि की प्रतिमा का लेख चांदवाड, नासिक पूर्वोक्त, लेखाङ्क ११५ १५११ ज्येष्ठ वदि ९ गुणदेवसूरि कुन्थुनाथ नेमिनाथ जिनालय, मुनि विशालविजय, रविवार के संतानीय की धातु की सेठ की शेरी, पूर्वोक्त, लेखाङ्क १७६ जिनदेवसूरि के पंचतीर्थी राधनपुर पट्टधर रत्नदेवसूरि प्रतिमा का लेख १५१२ वैशाख वदि ३ " विमलनाथ की धातु शांतिनाथ देरासर, मुनि बुद्धिसागर, शुक्रवार की चौबीसी प्रतिमा वीसनगर पूर्वोक्त, भाग-१,लेखाङ्क ५०४ का लेख १५१२ पौष वदि ५ मुनितिलकसूरि चौमुख शांतिनाथ वही, भाग-१, शुक्रवार देरासर, अहमदाबाद लेखाङ्क ८९५ १५१३ वैशाख सुदि५ गुणदेवसूरि के संतानीय शांतिनाथ की धातु कल्याण पार्श्वनाथ मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, शनिवार रत्नदेवसूरि प्रतिमा का लेख देरासर, मामानी पोल, भाग-२ लेखाङ्क ३२ बड़ोदरा, १५१३ वैशाख सुदि ५ मुनितिलकसूरि संभवनाथ की आदिनाथ जिनालय, नाहर, पूर्वोक्त, भाग-२, शुक्रवार के पट्टधर प्रतिमा का लेख नागौर लेखाङ्क १२६४ एवं गुणाकरसूरि विनयासगर,पूर्वोक्त, लेखाङ्क ५०५ १५१३ माघ वदि ५ गुणाकर सूरि चिंतामणि पार्श्वनाथ नाहटा, पूर्वोक्त, जिनालय, बीकानेर लेखाङ्क ९७५ १५१३ माघ सुदि६ " विमलनाथ धर्मनाथ जिनालय, नाहर, पूर्वोक्त, रविवार की प्रतिमा का लेख बड़ा बाजार, कलकत्ता भाग-१, लेखाङ्क १०१ १५१५ ज्येष्ठ सुदि ५ रामदेवसूरि कुन्थुनाथ की शीतलनाथ जिनालय, वही, भाग-२, . प्रतिमा का लेख उदयपुर लेखाङ्क १०९० ८४. ... ९०. శారతారురురురురువారం సాయరుగారుసారంగుసారులో o సాగురువారసాగరసారసాసారుసారంగారసాగరం Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९१. ९२. ९३. ९४. ९५. ९६. ९७. ९८. ९९. १००. १०१. १०२. १५१५ १०४. १५१७ १५१९ १५१९ १५२३ १५२४ १५२५ १५२७ १५२७ १५२४ वैशाख सुदि ३ सोमवार १५२७ १५२८ १०३. १५२९ १५३१ मार्गशीर्ष वदि११ मुनितिलकसूरि के पट्टधर गुणाकरसूरि माघ वदि १२, गुरुवार आषाढ़ वदि ९ शनिवार पौष वदि १३ मंगलवार श्रीसूरि वैशाख वदि ४ गुणदेवसूरि गुरुवार ज्येष्ठ वदि ४ बुधवार आषाढ़ सुदि१३ रविवार "" माघ सुदि ९ बुधवार चैत्र वदि १० गुरुवार " वैशाख सुदि ६ रामचन्द्रसूरि गुरुवार ज्येष्ठ सुदि ५ बुधवार माघ वदि ६ रविवार - यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ - इतिहास. संभवनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख के पट्टधर रत्नदेवसूरि गुणदेवसूरि के संतानीय जिनदेवसूरि सोमकीर्तिसूरि ......? सोमकीर्तिसूरि के पट्टधर चारूचंद्रसूरि साधु कीर्तिसूरि चारुचन्द्रसूरि ज्ञानदेवसूरि सोमकीर्तिसूरि फाल्गुन सुदि ८ सोमकीर्तिसूरि शनिवार श्रेयांसनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख शांतिनाथ की प्रतिमा का लेख संभवनाथकी धातु की प्रतिमा का लेख कुन्थुनाथ की धातु प्रतिमा का लेख मुनिसुव्रत की धातु की प्रतिमा का लेख धर्मनाथ की प्रतिमा का लेख शीतलनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख कुन्थुनाथ की धातु की पार्श्वनाथ जिनालय, प्रतिमा का लेख भरुच शांतिनाथ की धातु की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय, बीकानेर जैन मंदिर, अलवर सुमतिनाथ की धातु के पट्टधर वीचन्द्रसूरि की प्रतिमा का लेख For Private संभवनाथ देरासर, झवेरीवाड़, अहमदाबाद ४१. शंखेश्वर पार्श्वनाथ देरासर, वीरमगाम आदिनाथ जिनालय, शेखनो पाडो, अहमदाबाद सुमतिनाथ की प्रतिमा का लेख उदयपुर धर्मनाथ की धातु की चिंतामणि पार्श्वनाथ प्रतिमा का लेख जिनालय, बीकानेर Personal Use Only बालावसही, शत्रुञ्जय वीर जिनालय, बीकानेर शीतलनाथ जिनालय, चन्द्रप्रभ की प्रतिमा पंचायती जैन मंदिर, का लेख मिर्जापुर गौड़ी पार्श्वनाथ जिनालय, गौड़ीजी की खड़की, राधनपुर शीतलनाथ जिनालय, उदयपुर नाहटा, पूर्वोक्त, लेखा ९८५ वही, लेखाङ्क १००३ नाहर, पूर्वोक्ति, भाग-१, लेखाङ्क ९९२ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग - १, लेखाङ्क ८६४ वही, भाग-१, लेखाङ्क १५०५ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग - १, लेखाङ्क १०१९ वही, भाग-२, लेखाङ्क ३१२ मुनि कान्तिसागर, शत्रुञ्जयवैभव, लेखाङ्क १८ नाहटा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क १२२६ नाहर, पूर्वोक्त, भाग-२, लेखाङ्क १०९४ नाहटा, पूर्वोक्त लेखाङ्क १०५४ ノ मुनि विशालविजय, पूर्वोक्त, लेखाङ्क २५७ नाहर, पूर्वोक्त भाग-१, लेखाङ्क ४३२ वही, भाग-२, लेखाङ्क १०९६ के Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रन्ध - इतिहास१०५ १५३४ वैशाख वदि १३ सोमकीर्तिसूरि पार्श्वनाथ जिनालय, मुनि कान्तिसागर सोमवार के पट्टधर भद्रावती जैन-धातु-प्रतिमा-लेख, वारवेन्द्र (वीरचन्द्र) सूरि भाग-१, लेखाङ्क २२७ १०६. १५३७ ज्येष्ठ वदि ४ सोमकीर्तिसूरि धर्मनाथ की धातु की संभवनाथ देरासर मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, मंगलवार के पट्टधर चारुचन्द्रसूरि प्रतिमा का लेख झवेरीवाड़, अहमदाबाद भाग-१, लेखाङ्क ८४२ १०७. १५३८ वैशाख वदि ५ रत्नदेवसूरि के पट्टधर चन्द्रप्रभ की धातु की आदिनाथ का बड़ा चैत्य, लोढ़ा, पूर्वोक्त, बुधार अमरदेवसूरि प्रतिमा के लेख थराद लेखाङ्क २१३ १५४० मार्गशीर्ष सुदि ५ सोमकीर्तिसूरि वासुपूज्य की धातु विमलनाथ जिनालय नाहटा, पूर्वोक्त, के पट्टधर चारुचन्द्रसूरि की प्रतिमा का लेख कोचरों का चौक, बीकानेर लेखाङ्क १५८३ १५४२ वैशाख सुदि ९ सोमकीर्तिसूरि आदिनाथ की पाषाण शांतिनाथ जिना; वही, लेखाङ्क २५३६ की प्रतिमा का लेख हनुमानगढ़, बीकानेर - वैशाख वदि १० सोमदेवसूरि पार्श्वनाथ की धातु की पार्श्वनाथ देरासर, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, शुक्रवार प्रतिमा का लेख अहमदाबाद भाग-१, लेखाङ्क ९१९ ११. १५४८ कार्तिक सुदि ११ सोमदेवसूरि धर्मनाथ की जैनमंदिर, पंजाबी शत्रुञ्जयवैभव गुरुवार प्रतिमा का लेख धर्मशाला, पालिताना लेखाङ्क २४३ चन्द्रप्रभ की बड़ा मंदिर, वही, लेखाङ्क २४१, प्रतिमा का लेख पालिताना एवं नाहर, पूर्वोक्त, भाग-१, लेखाङ्क ६७५ ___ ११३. १५५८ माघ सुदि ५ गुणदेवसूरि के शांतिनाथ देरासर, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-१, बुधवार संतानीय रत्नदेवसूरि ऊँझा लेखाङ्क २१३ ___ १५५९ माघ सुदि १० भुवनकीर्तिसूरि श्रेयांसनाथ की धातु आदिनाथ जिना; अदाचलप्रदक्षिणाजैनलेख. की प्रतिमा का लेख बासा, सिरोही संदोह, लेखाङ्क ५५३ ___ वैशाख सुदि ७ " अजितनाथ की धातु वीर जिनालय, नाहटा, पूर्वोक्त, की प्रतिमा का लेख बीकानेर लेखाङ्क १३६८ ११६. १५७९ तिथिविहीन वीरदेवसूरि के पट्टधर संभवनाथ की धातु संभवनाथ देरासर, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-१, पासदेवसूरि का प्रतिमा का लेख कड़ी लेखाङ्क ७३७ ११७. १५९१ वैशाख वदि २ वीरचन्द्रसूरि शीतलनाथ की धातु पार्श्वनाथ देरासर वही, भाग-१, सोमवार की प्रतिमा देवसानो पाडो, लेखाङ्क १०८२ का लेख अहमदाबाद, ११८. १५९१ " " सुमतिनाथ की धातु अजितनाथ जिना, वही, भाग-१, की प्रतिमा का लेख शेखनो पाडो, अहमदाबाद लेखाङ्क १००२ ११९. १५९१ वैशाख वदि ६ विजयदेवसूरि पार्श्वनाथ की प्रतिमा कपडवज का मंदिर शत्रुञ्जयवैभव, शुक्रवार का लेख शत्रुञ्जय लेखाङ्क २८५ अभिलेखीय साक्ष्यों की पूर्वोक्त सूची से यद्यपि चैत्रगच्छीय अनेक मुनिजनों के नाम ज्ञात होते हैं, किन्तु उनमें से कुछ के पूर्वापर संबंध ही स्थापित हो पाते हैं, जो इस प्रकार हैं--- Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - यतीन्द्रसरि स्मारक ग्रन्य - इतिहास - जिनेश्वरसूरि रत्नप्रभसूरि जिनदेवसूरि वि.सं. १३०३ पद्मप्रभसूरि वि.सं. १३२४-१३४...? यशोदेवसूरि देवेन्द्रसूरि वि.सं. १३१२ धर्म देवसूरि वि.सं. १३१२-१३५४ हेमप्रभसूरि • रामचन्द्रसूरि वि.सं. १३७८ पद्मचन्द्रसूरि शालिभद्रसूरि । रविचंद्रसूरि धर्मचंद्रसूरि पद्मदेवसूरि वि.सं. १३७३ अजितसिंहसूरि मानदेवसूरि वि.सं. १३८६-१४१७ कनप्रभसूरि वि.सं १३२७ मदनसूरि देवचन्द्रसूरि : धर्मसिंहसूरि वि.सं.१३८८ अमरप्रभसूरि अजितदेवसूरि वि.सं. १३३३-१३६९ हरिप्रभसूरि देवचन्द्रसूरि धर्मदेवसूरि (वि.सं. १३९१-१४३०) देवप्रभसूरि पार्श्वचन्द्रसूरि वि.सं. १४४६ पार्श्वचन्द्रसरि(विसं. १४४६-१४६६) सोमचन्द्रसूरि वि.सं. १३३४ मलयचन्द्रसूरि(वि.सं. १४७४-१५०३) రంగురంగుగరుగారురంగురంగురువారం వారసాగశారువారసాగరరరరరwood Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रन्थ - इतिहास. साहित्यिक साक्ष्यों के अंतर्गत सम्यक्त्वकौमुदी(रचनाकाल वि.सं. १५०४/ई. सन् १४४८) और भक्तामरस्तवव्याख्या गुणदेवसूरि वि.सं. १५३५-१५७७ (रचनाकाल वि.सं. १५२४/ई. सन् १४६८) के कर्ता चैत्रगच्छीय गुणाकरसूरि का नाम आ चुका है, किन्तु वे किसके शिष्य थे, जिनदेवसूरि वि.सं. १५०७-१५०८ यह बात उक्त साक्ष्य से ज्ञात नहीं होती। अभिलेखीय साक्ष्यों में जयानन्दसूरि के पट्टधर मुनितिलकसूरि (वि.सं. १५०१-१५०८, रत्नदेवसूरि वि.सं. १५११-१५५८ .. प्रतिमालेख) के शिष्य गुणाकरसरि (वि.सं. १४९९-१५१९, प्रतिमालेख) का उल्लेख मिलता है। अतः समयामयिकता के आधार पर मुनितिलकसूरि के पट्टधर गुणाकरसूरि को सम्यक्त्वकौमुदी आदि के कर्ता गुणाकरसूरि से अभिन्न माना जा सकता है। जयानन्दसूरि मुनितिलकसूरि वि.सं. १५०१-१५०८ गुणाकरसूरि वि.सं. १४९९-१५१९ जयानन्दसूरि मुनितिलकसूरि (वि.सं. १५०१-१५०८) प्रतिमा लेख वीरदेवसूरि गुणाकरसूरि (वि.स. १४९९-१५१९) प्रतिमा लेख पासदेव (पार्श्वदेव) सूरि वि.सं. १५०९ वि.सं. से १५०४/ई. सन् १४४८ में सम्यक्त्वकौमुदी और वि.सं. १५२४ / ई. सन् १४६८ में भक्तामरस्तवव्याख्या के रचनाकार ठीक इसी प्रकार चैत्रगच्छीय सोमकीर्तिसरि के शिष्य चारुचन्द्रसूरि (वि.सं. १५२७-१५४०, प्रतिमा लेख) और वि.सं. १५५४/ई. सन् १४९८ में प्रतिलिपि की गई भक्तामरस्तवव्याख्या की दाता प्रशस्ति में उल्लिखित चैत्रगच्छीय चारुचन्द्रसूरि एक ही व्यक्ति मालूम पड़ते हैं-- सोमकीर्तिसूरि चारुचन्द्रसूरि वीरचन्द्रसूरि वि.सं. १५२७-१५४० वि.सं. १५३१-१५३४ परंतु इन सबको मिलाकर भी चैत्रगच्छीय मनिजनों की गुरु-शिष्य परंपरा की नामावली की अविच्छिन्न तालिका का पुर्नगठन कर पाना कठिन है। రంగురంగురువారంవారు గురువారందరగారం లో రంగురంగురువారందరగారురంగురంగులో Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रन्ध - इतिहास जयन्तविजय जी ने इस लेख की वाचना इस प्रकार दी है-- _ 'संवत् १३३८ श्रीचैत्रगच्छे भर्तृपुरीय सा. खुनिया भा. होली सोमकीर्तिसूरि (वि.सं. १५२७-१५४२, प्रतिमालेख) पु. हरया केशववाण रावण बेल पु. नरसिंह खीमड हरिचंदेण निजपूर्वजपित्रोः श्रेयो) श्रीशांतिनाथबिंब का. श्रीवर्धमानसूरभिः।' शांतिनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख चारुचन्द्रसूरि वीरचन्द्रसूरि अनुपूर्तिलेख, आबू (वि.सं. १५२७-१५४०, प्रतिमालेख) (वि.सं. १५३१-१५३४, प्रतिमा लेख) इस शाखा से संबद्ध तृतीय लेख वि.सं. x x १४ का है। वि.सं. १५५४/ई. सन् १४९८ में लिपिबद्ध की गई यह चित्तौड़ से प्राप्त हुआ है। त्रिपुटी महाराज ने इनकी वाचना भक्तामरस्तवव्याख्या इस प्रकार की है-- की दाताप्रशस्ति में उल्लिखित 'संवत् x x १४ वर्षे मार्गसुदि ३ श्रीचैत्रपुरीयगच्छे चैत्रगच्छ की शाखायें-- जैसा कि पूर्व में कहा जा चुका है, श्रीवुडागणि भतृपुर महादुर्ग श्री गुहिलपुत्रवि xx हार श्रीडवड़ादेव । साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों से चैत्रगच्छ की कई शाखाओं आदिजिन बाभांग दक्षिणाभिमखदारगफायां कलिं तदेवीनां चत. का पता चलता है। इनका अलग-अलग विवरण इस प्रकार है-- xxxx लानां चतुर्णां विनयकानां पादुकाघटितसहसाकार १. भर्तपरीय शाखा -- जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, सहिताश्रीदेवीचित्तोडरी मूर्ति xxxx श्रीभ्र (भ) र्तृगच्छीय चैत्रगच्छ की इस शाखा का नामकरण भर्तृपुर (वर्तमान भटेवर, महाप्रभावक श्रीआम्रदेवसरिभिः xxx श्री सा. सामासु सा. राजस्थान) नामक स्थान से हुआ प्रतीत होता है। इस शाखा से हरपालेन श्रेयसे पण्योपार्जना x व्यधीयते।। संबद्ध तीन लेख मिले हैं। प्रथम लेख वि.सं. १३०३ और द्वितीय लेख वि.सं. १३३४ का है। तृतीय लेख...१४ का है, अर्थात् यद्यपि इस लेख के प्रथम दो अंक नष्ट हो गए हैं, फिर भी इसके प्रथम दो अंक नष्ट हो गए हैं। श्रीपूरनचन्द नाहर और र लख क लेख की भाषाशैली पर राजस्थानी भाषा के प्रभाव को देखते विजयधर्मसूरि ने वि.सं. १३०३/ई. सन १२४७ के लेख की हुए इसे १६वीं शती के प्रारंभ अर्थात् १५१४ वि.सं. का माना जा वाचना इस प्रकार दी है--९ सकता है। 'संवत् १३०३ वर्षे चैत्र वदि ४ सोमदिने श्रीचैत्रगच्छे भर्तृपुरीय शाखा से संबद्ध उक्त लेखों से यद्यपि कई श्रीभद्रेश्वरसंताने भर्तृपुरीयवत्स श्रे. भीम अर्जुन कडवट श्रे. चूडा मुनिजमुनों के नाम ज्ञात होते हैं, किन्तु उनके आधार पर इस पुत्र श्रे. वयजा धांधल पासड उवादिभि : कुटुंबसमेतैः... प्रतिमा शाखा के मुनिजनों की गुरु-परंपरा की कोई लंबी तालिका नहीं कारिता। प्रति. श्रीजिनेश्वरसूरिशिष्यैः श्रीजिनदेवसूरिभिः।।' - बन पाती है। .. तीर्थङ्कर की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख २. धारणपद्रीयशाखा- यद्यपि प्रतिमालेखों में 'धारणपद्रीय' प्रतिष्ठास्थान--करेड़ा पार्श्वनाथ जिनालय, करेड़ा नाम मिलता है, जो संभवतः थारणपद्रीय होना चाहिए। इस भर्तृपुरीय शाखा से संबद्ध द्वितीय लेख वि.सं. १३३८/ई. शाखा से संबद्ध २५ प्रतिमालेख प्राप्त हुए हैं, जो वि.सं. १४०० से सन् १२८२ का है, जो शांतिनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण है। मुनि वि.सं. १५८२ तक के हैं। इनका विवरण इस प्रकार है-- १. १४०० तिथिनष्ट राजदेवसूरि शांतिनाथ की धर्मनाथ जिनालय, मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, धातु की पंचतीर्थी उपलोगभारो, भाग-१, लेखाङ्क १०१९ प्रतिमा का लेख अहमदाबाद श्रेयांसनाथ की संभवनाथ देरासर, वही, भाग-१, धातु की प्रतिमा झवेरीवाड़, अहमदाबाद लेखाङ्क ८६६ का लेख . २. १४५७ आषाढ सुदि ५ पासदेवसूरि गुरुवार Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३. लेखाङ्क५ - यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रन्थ - इतिहास १५०६ पौष वदि ६ विजयदेवसूरि सुविधिनाथ की शांतिनाथ जिनालय, वी, भाग-२, सोमवार धातु की प्रतिमा पादरा का लेख १५०७ वैशाख सुदि११ लक्ष्मीदेवसूरि विमलनाथ की धातु अजितनाथ जिनालय, वही, भाग-१, सोमवार की प्रतिमा का लेख शेखनोपाडो, अहमदाबाद लेखाङ्क ९९८ १५०७ कुन्थुनाथ की धातु शांतिनाथ जिनालय, विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, की प्रतिमा का लेख मांडल लेखाङ्क २३० १५११ माघ सुदि५ आदिनाथ की आदिनाथ चैत्य, दौलतसिंह लोढ़ा, पूर्वोक्त, प्रतिमा का लेख थराद लेखाङ्क ६७ पौष वदि ५ नमिनाथ आदिनाथ देरासर, विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, रविवार की धातु प्रतिमा जामनगर लेखाङ्क २८४ का लेख अजितनाथ की वीरचैत्य, लोढ़ा, पूर्वोक्त, प्रतिमा का लेख थराद लेखाङ्क १७ . १५१३ पौष वदि ५ लक्ष्मीदेव सूरि अजितनाथ की वीर चैत्य, लोढ़ा, पूर्वोक्त, रविवार प्रतिमा का लेख थराद लेखाङ्क ३ १५१७ ज्येष्ठ सुदि ५ " जैन देरासर, विजयधर्मसूरि, गुरुवार की धातु प्रतिमा महुवा पूर्वोक्त, लेखाङ्क ३१५ का लेख १५१३ " कुन्थुनाथ १५१७ ॥ ज्येष्ठ सुदि सुमतिनाथ की धातु शांतिनाथ जिनालय, मुनिविशालविजय, की पंचतीर्थी प्रतिमा भानीपोल, राधनपुर पूर्वोक्त, लेखाङ्क २१२ का लेख १५१७ पौष वदि५ " सुविधिनाथ की मोतीसा की शत्रुञ्जयवैभव, गुरुवार प्रतिमा का लेख टूक,शत्रुञ्जय लेखाङ्क १५१ ३. १५१७ " सुमतिनाथ शांतिनाथ देरासर, मुनि बुद्धिसागर, की धातु की प्रतिमा अहमदाबाद पूर्वोक्त, भाग-१, का लेख लेखाङ्क १०३१ कुन्थुनाथ की धातु चन्द्रप्रभजिना, वही, भाग-२, प्रतिमा का लेख सुल्तानपुरा, बड़ोदरा लेखाङ्क १९९ १५१७ माघ सुदि १० " धर्मनाथ की धातु नेमिनाथ जिना, मुनि विशालविजय, बुधवार की पंचतीर्थी प्रतिमा सेठ की शेरी, पूर्वोक्त, लेखाङ्क २०७ का लेख राधनपुर १५२२ तिथिविहीन शांतिनाथ देरासर विजयधर्मसूरि, जामनगर पूर्वोक्त, लेखाङ्क ३६६ १५२४ चैत्र वदि ५ " श्रेयांसनाथ की आदिनाथ चैत्य, लोढ़ा, पूर्वोक्त, प्रतिमा का लेख थराद लेखाङ्क १५५ १८. १५२७ कार्ति वदि २ ज्ञानदेवसूरि नमिनाथ की शांतिनाथ जिना, मुनि बुद्धिसागर, शनिवार धातु की प्रतिमा. लिंवडीपाडा, पाटन पूर्वोक्त, भाग-१, ridridiadridorandutoradardidrordibrariedo ४६ Fordarodaridroidroiddlondndibaabardasranitarivaran Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९. २०. २१. २२. २३. २४. २५. १५२८ १५२८ १५२८ १५३० १५३२ १५५४ १५८२ चैत्रवदि १ गुरुवार पौष वदि ३ सोमवार तिथिविहीन पौष ... रविवार ज्ञानदेवसूरि - यतीन्द्रसूरि स्मारक राज्य - इतिहास. वैशाख वदि १० सोमदेवसूरि शुक्रवार तिथिविहीन वैशाख सुदि १० विजयदेवसूरि शुक्रवार 37 लक्ष्मीदेवसूरि के पट्टधर शीतलनाथ की धातु ज्ञानदेवसूर की पंचतीर्थी प्रतिमा का लेख ? राजदेवसूरि (वि.सं. १४००) १ प्रतिमा लेख धर्मनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख पासदेवसूरि (वि.सं. १४५७) १ प्रतिमा लेख 1 विमलनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख आदिनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर धारणपद्रीय (थारापद्रीय) शाखा के मुनिजनों की तालिका इस प्रकार बनती है- नमिनाथ की धातु की चौबीसी प्रतिमा का लेख ? आदिनाथ देरासर, जामनगर आदिनाथ चैत्य, थराद चन्द्रप्रभ, जिनालय, जानीशेरी, बड़ोदरा, नेमीनाथ जिना, शेठ की शेरी राधनपुर ম{ ४७ चिंतामणि पार्श्वनाथ, देरासर, कड़ी, जैनमंदिर, लुआणा, थराद लक्ष्मीदेवसूरि (वि.स. १५०७ - १५२८) १४ प्रतिमालेख विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ४१४ 1 ज्ञानदेवसूर (वि.सं. १५२७-१५३०) ५ प्रतिमालेख लोढ़ा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ३७ For Private Personal Use Only मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-२, लेखाङ्क १५३ मुनि विशालविजय, पूर्वोक्त, लेखाङ्क २६८ अगरचंद नाहटा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क १८१८ मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-१, लेखाङ्क ७४१ विजयदेवसूरि (वि.सं. १५०६ ) १ प्रतिमा लेख लोढ़ा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ३६७ सोमदेवसूरि (वि.सं. १५३२ - १५५४) २ प्रतिमा लेख विजयदेवसूरि (वि.सं. १५८२) १ प्रतिमालेख 1 ३. चतुर्दशीपक्ष - चैत्रगच्छ की इस शाखा का केवल एक लेख मिला है, जो वि.सं. १५०६ का है। मुनि बुद्धिसागर ने इस लेख की वाचना इस प्रकार दी है- “संवत् १५०६ वर्षे माघ सुदि १३ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय सा. मेलाभा. करमादेसुतश्रीरंगभा. अमरी स्वेश्रेोहेतवे श्री श्रीचन्द्रप्रभनाथमुख्यचतुर्विंशतिपट्टः कारितः चतुर्दशीपक्षे चैत्रगच्छे श्रीगुणदेवसूरिसंताने श्रीजिनदेवसूरिभिः प्रतिष्ठितः शुभं भवतु।।” प्रतिष्ठास्थान-- श्री अमीजरा पार्श्वनाथ जिनालय, जीरारवाडो, खंभात Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ - इतिहास४. चन्द्रसामीय शाखा - चैत्रगच्छ की इस शाखा से संबद्ध कई लेख मिले हैं, जो वि.सं. १५१० से वि.सं. १५४७ तक के हैं। इन सभी लेखों में मलयचन्द्रसूरि के पट्टधर लक्ष्मीसागरसूरि का प्रतिमाप्रतिष्ठापक के रूप में उल्लेख है। इनका विवरण इस प्रकार है-- १. १५१० माघ सुदी ५ मलयचन्द्रसूरि के पट्टधर चन्द्रप्रभ की धातु महावीर जिना, मुनि विशालविजय, शुक्रवार लक्ष्मीसागरसूरि की पंचतीर्थी प्रतिमा भयराशेरी,राधनपुर पूर्वोक्त, लेखाङ्क १६३ का लेख २. १५१८ पौष वदि१३ शीतलनाथ की धातु कुंथुनाथ जिना, मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, मंगलवार की प्रतिमा का लेख मांडवीपोल खंभात भाग-२, लेखाङ्क ६४५ ३. १५२० चैत्र वदि८ विमलनाथ की धात शांतिनाथ जिना..भानीपोल मुनि विशालविजय, शुक्रवार की पंचतीर्थी प्रतिमा राधनपुर पूर्वोक्त, लेखाङ्क २२६ कालेख विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ३४६ ४. १५२० चैत्रवदि८ लक्ष्मीसागरसूरि संभवनाथ की धातु अजितनाथ जिना., मुनिविशालसागर, शुक्रवार की पंचतीर्थी प्रतिमा भौंयराशेरी राधनपुर पूर्वोक्त, लेखाङ्क २२८ का लेख ५. १५२० पौष वदि१३ शांतिनाथ की धातु जैनमंदिर, कोबा, मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, मंगलवार की प्रतिमा का लेख अहमदाबाद भाग-१, लेखाङ्क ७६९ जगवल्लभ,पार्श्वनाथ देरासर, वही, भाग १, नीशापोल,अहमदाबाद लेखाङ्क ११९६ ७. १५२१ माघ सुदि१ चौमुखजी वही, भाग-१, गुरुवार देरासर, ईडर लेखाङ्क १४५७ ८. १५२१ माघसुदि१३(?) सुपार्श्वनाथ की धातु जगवल्लभ पार्श्वनाथ, वही, भाग-१, गुरुवार का प्रतिमा का लेख, देरासर, नीशापोल, लेखाङ्क ११९५ अहमदाबाद, १५२२ कार्तिक सुदि२ " वासुपूज्य की धातु जैन मंदिर, वही, भाग-१, की प्रतिमा का लेख डभोई लेखाङ्क १५ ज्येष्ठ वदि १ कुन्थुनाथ की धातु महावीर जिनालय, मुनि कान्तिसागर शुक्रवार की प्रतिमा का लेख पायधुनी, मुंबई पूर्वोक्त, लेखाङ्क २१० ११. १५३२ ज्येष्ठ सुदि ५ शीतलनाथ की धातु शांतिनाथ जिना, मुनि विशालविजय, सोमवार की पंचतीर्थी प्रतिमो भानीपोल,राधनपुर पूर्वोक्त, लेखाङ्क २८० का लेख १२. १५३४ कार्तिक सुदि१३ " शांतिनाथ की सुपार्श्वनाथ का बड़ा नाहर, पूर्वोक्त प्रतिमा का लेख पंचायती मंदिर, जयपुर भाग-२,लेखाङ्क ११६३ १३. १५३४ कार्तिक सुदि१३ लक्ष्मीसागरसूरि शांतिनाथ की गौडीपार्श्वनाथ, मुनि कान्तिसागर, रविवार प्रतिमा का लेख जिनालय, पालिताना संपा.,शत्रुञ्चयवेभव,लेखाङ्क २१६ १४. १५३६ ज्येष्ठ सदि६ " विमलनाथ की पंचायतीमंदर, सराफाबाजार नाहर, पूर्वोक्त, मंगलवार प्रतिमा का लेख लश्कर, ग्वालियर भाग-२,लेखाङ्क १४१० १५. १५४७ माघ सुदि १३ " श्रेयांसनाथ चौमुखशांतिनाथ देरासर, मुनि बुद्धिसागर, रविवार की धातु की प्रतिमा अहमदाबाद पूर्वोक्त, भाग-१,लेखाङ्क ८८४ का लेख viodiooooooooooooootomorronditionarsionardar[ ४८ Foominiroinsomewormitosdmiridiostonsionitoriority गुरुवार रविवार Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ - इतिहासअभिलेखीय साक्ष्यों द्वारा चैत्रगच्छीय मलयचन्द्रसूरि की का. प्र. चैत्रगच्छ सलषणपुरा भ. श्रीज्ञानदेवसूरिभिः।।" गुरु परंपरा इस प्रकार निश्चित की जा चुकी है-- वासुपूज्य की धातुप्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठास्थान--आदिनाथ जिनालय, जामनगर हरिप्रभसूरि चैत्रगच्छीय धारणपद्रीय (धारापद्रीय) शाखा के लक्ष्मीसागरसूरि के शिष्य ज्ञानदेवसूरि (वि.सं. १५२७-१५३०, धर्मदेवसूरि (वि.सं. १३९१-१४३०) प्रतिमालेख) का उल्लेख मिलता है। ये दोनों ज्ञानदेवसूर एक ही व्यक्ति है, या अलग-अलग, इस संबंध में निश्चयात्मक रूप से पार्श्वचन्द्रसूरि (वि.सं. १४४६ - १४६६) । कुछ भी कह पाना कठिन है। मलयचन्द्र सूरि (वि.सं. १४७४ - १५०३) ६-७ कम्बोइया शाखा और अष्टापदशाखा राजगच्छपट्टावली (रचनाकार, अज्ञात, रचनाकाल वि.सं. की समसामयिकता के आधार पर पार्श्वचन्द्रसूरि के शिष्य १६वीं शती का अंतिम चरण) में चैत्रगच्छ की इन दो शाखाओं मलयचन्द्रसूरि और चैत्रगच्छ की चन्द्रसामीय शाखा के का उल्लेख है, परंतु किन्हीं अन्य साक्ष्यों से उक्त शाखाओं के लक्ष्मीसागरसूरि के गुरु मलयचन्द्रसूरि को एक ही व्यक्ति माना बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पाती। जा सकता है। लक्ष्मीसागरसूरि के पश्चात् इस शाखा का कोई उल्लेख नहीं मिलता, अत: यह कहा जा सकता है कि उसके ८. शार्दूलशाखा - चैत्रगच्छ की इस शाखा का एकमात्र लेख बाद इस शाखा का अस्तित्व समाप्त हो गया। चैत्रगच्छ की यह वि.सं. १६८६/ई. सन् १६३० का है।५ इस लेख में राजगच्छ के एक अन्वय के रूप में चैत्रगच्छ की उक्त शाखा का उल्लेख है। शाखा चन्द्रसामीय क्यों कहलाई, इस संबंध में हमें कोई सूचना इस शाखा के संबंध में अन्यत्र किसी भी प्रकार का कोई विवरण प्राप्त नहीं होती। अनुपलब्ध है। ५.सलषणपुराशाखा---इस शाखा से संबद्ध केवल दो प्रतिमायें ९.देवशाखा - जैसा कि पूर्व में हम देख चुके हैं,दशवैकालिक मिली हैं, जो वि.सं. १५३०/ई. सन् १४७४ में एक ही तिथि में - एक ही मुहूर्त में और एक ही आचार्य द्वारा प्रतिष्ठापित हुई हैं। ये . सूत्र की वि.सं. १७६८/ई. सन् १७१२ की प्रतिलिपित प्रशस्ति में चैत्रगच्छ की देवशाखा का उल्लेख है।१६ इस शाखा के प्रवर्तक प्रतिष्ठापक आचार्य हैं चैत्रगच्छीय सलषणपुरा शाखा के आचार्य कौन थे, यह कब अस्तित्व में आयी इस बारे में कोई विवरण ज्ञानदेवसूरि। आचार्य विजयधर्मसूरि१३ ने इन लेखों की वाचना प्राप्त नहीं होता। चैत्रगच्छ तथा उसकी किसी शाखा का उल्लेख इस प्रकार दी है-- करने वाला अंतिम साक्ष्य होने से यह महत्त्वपूर्ण है। ___संवत् १५३० वर्षे पो (पौ)ष वदि६ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय ऐसा प्रतीत होता है कि भर्तपुर (भटेवर) थारापद्र (थराद) श्रे. देपाल भा. हरपू सुत भूमाकेन भा. माल्हणदे हेदान (नि) और सलषणपुर में चैत्रगच्छ का उपाश्रय बन जाने पर वहाँ के मित्तं सुसुवसहितेन स्वये (श्रे) यस (से) श्रीवासुपूज्यबिंबं क. चैत्रगच्छीय आचार्यों के साथ उक्त स्थानवाचक विशेषण जोड़ा (का.) श्रीचे (चै)त्रगछे (च्छे) श्रीज्ञानदेवसूरिभिः प्रतिष्ठित (ष्ठितं) जाने लगा होगा। इनमें से सलषणपुरा शाखा का अस्तित्व तो त...न्य. गाम...." अल्पकाल में ही समाप्त हो गया, किन्तु भर्तपरीय और थारापद्रीय वासुपूज्य की धातुप्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख शाखा का लगभग २०० वर्षों तक अस्तित्व बना रहा। प्रतिष्ठास्थानआदिनाथ जिनालय, जामनगर निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता हैकि यह गच्छ ई. सन् "संवत १५३० वर्षे पौष वदि ६, रवी श्रीश्रीमालज्ञा. श्रे. की १२ वीं शती के प्रारंभ में अस्तित्व में था और १८ वीं शती गेला भा. पूरी स. रत्नाकेन भा. रूपिणि द्वि. भा. कीरूहितेन के प्रथम चरण तक विद्यमान रहा। लगभग ६०० वर्षों के लंबे स्वपितृपूर्वजन, (नि) मितं (त्तं) आत्मश्रेयार्थं श्रीवासुपूज्यबिंबं इतिहास में इस गच्छ के मुनिजनों (गुणाकरसूरि, चारुचन्द्रसूरि Abramontimerimangonomorransemen Granarod te promenerannsacramenrG GAGDAGA Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -- यतीन्द्रसूरी स्मारक ग्रन्थ : इतिहासआदि को छोड़कर) ने न तो स्वयं कोई ग्रन्थ लिखा है और न ही मुनि कल्याणविजयगणि, संपा., श्री पट्टावलीपरागसंग्रह किन्हीं ग्रन्थों की प्रतिलिपि कराई, बल्कि प्रतिमाप्रतिष्ठापक के (कल्याणविजय शास्त्रसंग्रह-समिति, जालोर, ई.सन् 1966) रूप में अपनी भूमिका निभाते रहे। धनेश्वरसूरि, भुवनचन्द्रसूरि, देवभद्रसूरि और जगच्चन्द्रसूरि को छोड़कर इस गच्छ में ऐसा 3. A.P. Shah Catalogue of Sanskrit and Prakrit Mss Muni Shri Punyavijayajis Collection (L.D. कोई प्रभावक आचार्य भी नहीं हुआ, जो श्वेताम्बर श्रमणपरंपरा Series No. 2, Ahamedabad, 1963 A.D.) Part I, P.P. में विशिष्ट स्थान प्राप्त कर सकता / ई. सन् की 18 वीं शताब्दी 131, No.2554 के प्रथम चरण के बाद इस गच्छ से संबद्ध साक्ष्यों के अभाव से यह सुनिश्चित है कि इस समय के बाद इस गच्छ का स्वतंत्र 4. |bid, Part I, P 93, No. 1464 अस्तित्व समाप्त हो गया और इस गच्छ के अनुयायो किन्ही 5 bid. part I p83.No. 1018 अन्य गच्छों में सम्मिलित हो गए होंगे। 6. द्रष्टव्य, पादटिप्पणी, क्रमांक 2 सन्दर्भ 7. त्रिपुटी महाराज, जैनतीर्थोनो इतिहास, (श्री चारित्र-स्मारक 1. अगरचन्द्र नाहटा-'जैन-श्रमणों के गच्छों पर संक्षिप्त ग्रन्थमाला, अहमदाबाद, 1949 ई.) पृष्ठ 385 और आगे. प्रकाश' यतीन्द्रसरि-अभिनंदन-ग्रन्थ (आहोर, 1958 8. G.C. Choudhary. Political History of Northern Inई.) पृष्ठ 147 पर श्री नाहटा द्वारा उद्धृत मुनि बुद्धिसागर का dia (Sohanlal Jaindharma Pracharak Samiti, मत। Amritsar, 1954 A.D.) P.P. 172-173. मुनि कान्तिसागर, शत्रुञ्जय वैभव (कुशल संस्थान, जयपुर, 9. पूरनचन्द्र नाहर, सम्पा. जैनलेखसंग्रह, भाग-२ (कलकत्ता 1990 ई.) पृष्ठ 269 1927 ई.), लेखाङ्क 1942 तथा 2. तपागच्छीय देवेन्द्रसूरि-कृत श्राद्धदिनकृत्यप्रकरण की विजयधर्मसूरि, संग्राहक-प्राचीनलेखसंग्रह (यशोविजय जैन प्रशस्ति Muni Punyavijay- Catalogue of Palm Leaf . ग्रंथमाला, भावनगर, 1929 ई.) लेखाङ्क 39. Manuscripts in the Shanti Nath Jain Bhandara, 10. मुनि जयन्तविजय, संपा., अर्बुद प्राचीन जैन, लेख-संदोह Canbay (g.o.s. no. 149 Part two, Baroda, 1966, A.D.) PP 263-265. उज्जैन वि.सं. 1994) लेखाङ्क 535. तपागच्छीय क्षेमकीर्तिसूरिकृत बृहत्कल्पसूत्रवृत्ति (रचनाकाल वि.सं. 1322/ ई. सन् 1256) की प्रशस्ति। 11. त्रिपुटी महाराज-जैन तीर्थोनों इतिहास, पृष्ठ 385 और आगे C. D. Dalal -A. Desciptive Catalogue of Manu- 12. मुनि बुद्धिसागरसूरि संपा., जैन धातुप्रतिमालेखसंग्रह भागscripts in the jain Bhandars at pattan (G.O.S. 2, (श्री अध्यात्मज्ञानप्रसारक-मंडल, पादरा, ई. सन् 1924) No. LXXVI, Baroda, 1937 A.D.) PP 354-356. लेखाङ्क 754 तपागच्छीय विभिन्न पावलियों के सन्दर्भ में दृष्टव्य 13. आचार्य विजयधर्मसूरि-पूर्वोक्त, लेखाङ्क 428-429 त्रिपुटी महाराज, संपा., पट्टावलीसमुच्चय, भाग-१-२ 14. मुनि जिनविजय, पूर्वोक्त, पृष्ठ 57-71. (चारित्र-स्मारक, ग्रन्थमाला, ग्रन्थाङ्क, 22 एव 44, 15 मनि जिनविजय-संपा.. प्राचीन जैनलेखसंग्रह. भाग-२. अहमदाबाद 1933-1950 ई.) (जैन आत्मानंद, सभा, भावनगर, 1921 ई.) लेखाङ्क 398. मुनि जिनविजय, संपा.,विविधगच्छीयपट्टावली-संग्रह पूरनचंद नाहर, पूर्वोक्त, भाग-१, लेखाङ्क 830. (सिंधी जैन-ग्रन्थमाला, ग्रन्थाङ्क 53, बंबई 1961 ई.) 16. द्रष्टव्य, पादटिप्पणी, क्र.५.