SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रन्थ - इतिहास-श्रीसीमंधरस्वामी श्रीयुगमंधरस्वामी।" नरेश को भीम द्वितीय (वि.सं. १२३४-१२७७.ई. सन् ११७८इस लेख में चैत्रगच्छीय आचार्य भवनचन्द्रसरि के शिष्य १२२१) तथा मेदपाट (मेवाड़) के राजा को गुहिलवंशीय शासक का उल्लेख है, किन्तु उनका नाम नहीं दिया गया है। साहित्यिक सामंतसिंह (वि.सं. १२२८-१२५८. ई. सन् ११७१-१२०२) साक्ष्यों में भुवनचन्द्रसूरि के शिष्य देवभद्रसरि का उल्लेख मिलता अथवा उसके उत्तराधिकारी कुमारसिंह से समीकृत किया जा है, अत: यह संभावना व्यक्त की जा सकती है कि चित्तौड के उक्त सकता है। लेख में वर्णित भुवनचन्द्रसूरि के शिष्य उक्त देवभद्रसूरि ही हों। चूंकि चैत्रगच्छ से संबद्ध कोई भी साक्ष्य वि.सं. १२६५/ देवभद्रसरि के शिष्य जगच्चन्द्रसरि से वि.सं. १२८५ ई. ई. सन् १२०२ के पूर्व का नहीं है, किन्तु अंतर्साक्ष्यों के आधार सन् १२२९ में तपागच्छ का प्रादुर्भाव हआ. अत: देवभद्रसरि पर उक्त मितिरहित लेख निश्चय ही वि.सं. १२६५ के पूर्व का का समय उनसे लगभग ३० वर्ष पूर्व अर्थात वि.सं. १२५५ के सिद्ध होता है, अतः इसे चैत्रगच्छ का सबसे प्राचीन साक्ष्य माना आसपास माना जा सकता है। प्रायः यही समय उक्त लेख का जा सकता है। भी हो सकता है। इस आधार पर उक्त लेख में उल्लिखित गुर्जर चैत्रगच्छ से संबद्ध प्रतिमालेखों का विवरण इस प्रकार है-- क्रमांक वि.सं. तिथि/वार प्रतिष्ठास्थान संदर्भग्रंथ १२६५ तिथिविहीन आचार्य का नाम प्रतिमा लेख /स्तम्भ लेख पद्मदेवसूरि पार्श्वनाथ की धातुप्रतिमा का लेख आदिनाथ जिनालय, (नाहटों में) बीकानेर २. १२७३ फाल्गुन वदि २ धर्मसिंहसूरि रविवार गुरुमूर्ति पर उत्कीर्ण लेख चिन्तामणिपार्श्वनाथ जिनालय, सादड़ी(राज.) अगरचंद नाहटा, संपा., बीकानेर जैन लेख संग्रह, लेखाङ्क १४८० अरविन्दकुमारसिंह, "चिन्तामणिपार्श्वनाथ मंन्दिर के तीन जैन प्रतिमालेख" पं.दलसुखभाई मालवणिया - अभिनन्दनग्रन्थ, पृष्ठ १७२-७३ नाहटा, पूर्वोक्त लेखाङ्क. १२६ आषाढ़ सुदि १०..सूरि शुक्रवार चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिना; बीकानेर १३०० माघ वदि २ हरिचन्द्रसूरि लख १३१२ वैशाख वदि४ यशोदेवसूरि के पट्टधर देवेन्द्रसूरि १३१२ माघ वदि ५ देवेन्द्रसूरि बुधवार के पट्टधर धर्मदेवसूरि शांतिनाथ आदिनाथ दौलतसिंह लोढा की प्रतिमा पर जिनालय, सम्पा; श्रीप्रतिमालेखसंग्रह उत्कीर्ण लेख थराद लेखाङ्क......। पार्श्वनाथ की धातु चिंतामणि पार्श्वनाथ जिना., मुनि विशालविजय की प्रतिमा पर चिंतामणि शेरी, राधनपुरप्रितमालेख उत्कीर्ण लेख राधनपुर संग्रह लेखाङ्क. ३६ चन्द्रप्रभ की चिन्तामणि जिनालय, नाहटा, पूर्वोक्त, प्रतिमा पर बीकानेर लेखाङ्क १५३ उत्कीर्ण लेख ६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210491
Book TitleChaitra Gaccha ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherZ_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf
Publication Year1999
Total Pages19
LanguageHindi
ClassificationArticle & Jain Sangh
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy