Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री निरयावलिकादी सूत्र ॥श्री आगम-गुण-मञ्जूषा ।। ॥श्री. मागम-गु-भं०४५।।। Il Sri Agama Guna Manjusa il (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू.आ.भ.स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOROS555555555555555555555555555 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 555555555555555555555555555QUOTE | ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय | ११ अंगसूत्र के जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है। द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यत: धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको शत्रुजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती 5 कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। है। श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान में विद्यमान है । १८० श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त मुख्य विषय रहा है। करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी मे भी है । कुलमिला के इसके २०० श्लोक है। संग्रहग्रंथ है । एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया मे उपलब्ध है। धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है। श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र (भगवती सूत्र) :- यह सबसे बडा सूत्र है, इसमे ४२ १२ उपांग सूत्र शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ मे प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है । इस मे चंपानगरी किया है। प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुइ है। चारो अनुयोगो कि बाते का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। श्री राजप्रश्नीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है। २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। १७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको Gorak45555555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा G555555555555555555555555555555ory OG5555555555555555555555555555555555555555555555553535959595959OLICE Gan Education Interna rnww.iainelibrary.orp) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %。 %%%%%%85 २) त्रास %%%%%%%%%%% doOKHAR153835555555555555555555345555555555555555555555555ODXOS KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है। १०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। %%%%% %%% %%%% %% %%%% %%%% %%%%% १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। (GainEducation-international 2010-03 VOON N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा E f54 www.dainelibrary.00) $$# KOR Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐乐乐玩玩乐乐听听听听听听圳坂圳乐乐听听听听的 १०८) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबधित बड़े ग्रंथो का सार है। ३) उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। श्री नियुक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में ७ है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ नियुक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं । पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताइ हें। ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं। छह छेद सूत्र श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बडे सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रात: एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है । अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि असे करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत क उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे * मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रंन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। चार मूल सूत्र श्री दशवकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए रतिवाक्या व, विवित्त चरिया नाम से दी हैं । इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गइ है । अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पड़ती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम्॥ श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। ) Gain Education International 2010_03 Mora :58498499934555555555; आगमगुणमजूषा-5555555555555555555555555 ) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKO ALLA RURU RAREO ai i ferox (9) (3) KC国乐国为乐明明明明明明明明乐明明明明明F%%%%明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明军5B Introduction 45 Agamas, a short sketch I Eleven Angas : Acäränga-sutra : It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 ślokas. Sayagadanga-sutra : It is also known as Sütra-Kytänga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 ślokas. Thápānga-sūtra : It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 ślokas. Samavāyanga-sutra : This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 Slokas. Vyakhya-prajñapti-sutra : It is also known as Bhagavati-sutra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 ślokas. Jäätādharma-Kathanga-sutra : It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 ślokas. Upasaka-dasānga-sutra : It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahavira, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. It is of the size of around 800 Slokas. (8) Antagada-dasänga-sutra : It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vrsni, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akşobhakumara, 6 sons of Devaki, Gajasukumāra, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Krsna, 8 queens like Rukmini. It is available of the size of 800 Slokas. Anuttarovavayi-daśãnga-sútra: It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimana, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumāra and other 9 princes of king Srenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Anagara, etc. It is of the size of 200 ślokas. (10) Prasna-vyakarana-sūtra : It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahāvira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 ślokas. (11) Vipaka-sütrānga-sūtra : It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 ślokas. 图纸娱乐明明明明明明明明明明垢玩垢圳明明听听听听听听听听听听听垢乐明明明明明明明明明听听听听听听听听 (5) (6) (1) II Twelve Upangas Uvaväyi-sütra : It is a subservient text to the Acāranga-sutra. It deals with the description of Campā city, 12 types of austerity, procession-arrival of Koñika's marriage, 700 disciples of the monk Ambada. It is of the size of 1000 ślokas. Rayapaseni-sutra : It is a subservient text to Süyagađanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 ślokas. (7) (2) www.Lainelibrary XXXX XXXXL PITJUGET TOYOX Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ DEFFFFFFFFFFFFFFFFFFFhible Gamin nh* HIFThe ha EEEEEEEEEEEE开F听听听听听听听听明明Ow (3) Jivābhigama-sutra : It is a subservient text to Thāṇānga-sūtra. It one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişadha. deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambo continent and its areas, etc. and the detailed description of the III Ten Payanna-sutras : veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, (1) Aurapaccakhāņa-sūtra : It deals with the final religious practice etc. published recently are composed on the line of the topics of this and the way of improving (the life so that the) death (may be Sutra and of the Pannavaņa-sutra. It is of the size of 4700 Slokas. improved). Pannavaņā-sutra : It is a subservient text to the Samavāyānga- (2) Bhattaparinna-sutra : It describes (1) three types of Pandita death, sätra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 (2) knowledge, (3) Ingini devotee ślokas. (4) Pādapopagamana, etc. (5) Sürya-prajfapti-sutra and (4) Santhäraga-payannā-sutra : It extols the Samstäraka. Candra-prajñapti-sätra : These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the ** These four payannás can also be learnt and recited by the Jain movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, householders. ** northward and the southward solstices, etc. Each one of these Āgamas are of the size of 2200 Slokas. (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Jambadvipa-prajñapti-sutra : It mainly deals with the teaching Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the describes what amount of food an individual soul will eat in his life objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners of 100 years, the human life can be justified by way of practising a (ära). It is available in the size of 4500 Slokas. religious life. Nirayávali-pacaka : (6) Candāvijaya-payannā-sūtra : It mainly deals with the religious (8) Nirayávali-sütra : It depicts the war between the grandfather and practice that improves one's death. the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death (7) Devendrathui-payanna-sutra : It presents the hymns to the Lord of king Greñika's 10 sons who attained hell after death. This war is sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpini) (8) Maranasamadhi-payanna-sutra : It describes at length the final age. religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing (9) Kalpāvatamsaka-sutra : It deals with the life-sketches of with death. Kalakumara and other 09 princes of king Sreņika, the life-sketch of (9) Mahäpaccakhāņa-payanna-sutra : It deals specially with what a Padamakumpra and others. monk should practise at the time of death and gives various beneficial (10) Pupphiya-upanga-sutra : It consists of 10 lessons that covers the informations. topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikā, (10) Gaņivijaya-payanna-sūtra : It gives the summary of some treatise Purnabhadra, Manibhadra, Datta, sila, Bala and Aņāddhiya. on astrology (11) Pupphacultya-upanga-sutra : It depicts previous births of the 10 These 10 Payannās are of the size of 2500 ślokas. queens like Sridevi and others. Besides about 22 Payannās are known and even for these above (12) Vahnidaśa-upanga sätra : It contains 10 stories of Yadu king 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra Andhakavrşni, his 10 princes named Samudra and others, the tenth is taken, by some, in place of the Candāvijaya of the 10 Payannās. 明明明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐手乐乐乐乐乐明與乐乐乐乐乐乐乐乐FFFF乐乐乐明 XOXOFF $ farmark ** F YOX Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKOK YU BALLU BURU VERLO PLA Xoxo (1) (2) IV Six Cheda-sūtras (1) Vyavahāra-sūtra, (2) Nisītha-Sutra, (3) Mahānisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-satra, (5) Daśāśruta-skandha-Sotra and (6) Bhatkalpa-sutra. These Chedasätras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. VI Two Colikas Nandi-sutra : It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirtharkaras and 11 Ganadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Slokas. Anuyogadvāra-sutra : Though it comes last in the serial order of the 45 Ágamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. * It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 ślokas. ** ********* V Four Molas atras (1) Dajavaikalika-sutra : It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Colikas called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthūlabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahavideha region and received four Calikas. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra : It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. . (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Piryaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. Avašyaka-sútra: It is the most useful Agama for all the four groups of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are: (1) Samayika, (2) Caturvimšatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kāyotsarga and (6) Paccakhana. 明明明明明明明明明與乐乐乐为历历明明明明明明明明兵兵兵兵兵兵兵兵乐乐乐乐玩玩乐乐明步兵兵玩乐乐乐恩 * O YOK LOXOV L FT STATUTEUT- O 20:10 03 www.ainelibrary.org Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( en eyorell our કોણિક સાથે યુદ્ધ અને તે યુદ્ધમાં કાલકુમાર વગેરે નવ રાજકુમારોનો સહયોગ, કાલકુમારનું મૃત્યુ પછી ચોથા નરકમાં ગમન ત્યાંથી ચ્યવીને મહાવિદેહમાં જન્મ, વૈરાગ્ય, પ્રવ્રજ્યા, સાધના અને અંતે નિર્વાણનું કથાનક– આર્ય સુધર્મા દ્વારા ભગવાન જંબૂસ્વામીને કહેવામાં આવ્યું છે. (૨-૧૦) આ નવ અધ્યયનોમાં અનુક્રમે સુકાલ વગેરે નવ રાજકુમારોના ઉપર મુજબ વર્ણન છે. આગમ - ૧૯ થી ૨૩ ધર્મકથાનુયોગમય નિરયાવલિકાદિ સૂત્ર – ૧૯ થી ૨૩ પાંચ ઉપાંગ ૨. કલ્પાવતંસિકા વર્ગ – કપ વર્ડિ સિયા (૧) અધ્યયન : પદ્મ આ અધ્યયના આરંભે ૧૦ અધ્યયનોના નામ આપીને કાલકુમારની રાણી પદ્માવતીના પુત્ર પદ્મકુમારના ભગવાન મહાવીર પાસે પ્રવ્રજ્યા ગ્રહણ પછી રત્નત્રયની ‘નિરચ’ એટલે નરકનો જીવ અર્થાત્ ‘નારક’ અને આવલિ એટલે ‘શ્રેણિ’ નારકોની સાધના, સૌધર્મના ચંદ્રિમ વિમાનમાં ઉત્પત્તિ, દેવલોકમાંથી ચ્યવીને મહાવિદેહમાં જન્મ, શ્રેણિના વર્ણનરૂપ ગ્રન્થનું અન્યનામ નિરિયાવલિયા છે. વૈરાગ્ય, સાધના અને અંતે નિર્વાણનું વર્ણન છે. શ્રુતસ્કંધ અધ્યયન ૧ પર ૫ વર્ગ -૧૧૦૦ શ્લોક પ્રમાણ (૨-૧૦) આ નવ અધ્યયનોમાં પહેલા વર્ગમાં વર્ણિત અને યુદ્ધમાં હણાયેલા અન્ય નવ શ્રેણિકકુમારોના પુત્રોના પ્રવ્રજ્યા ગ્રહણથી નિર્વાણ સુધીનું વર્ણન છે. ૩. પુષ્પિકા વર્ગ – (પુષ્ક્રિયા - પુષ્પિતા) (૧) અધ્યયન : ચંદ્ર આવર્ગના આરંભે ૧૦ અધ્યયનનાનામો આપીને રાજગૃહ નગરીના રાજા શ્રેણિક, ગુણશીલ ચૈત્ય, ભગવાન મહાવીરનું પદાર્પણ વગેરે વર્ણન પછી તારાપતિ ચંદ્રનું ભગવાન મહાવીરના દર્શનાર્થે આગમન અને પ્રત્યાગમન, ભગવાન ગૌતમ દ્વારા ચંદ્રના પૂર્વભવ સંબંધી જિજ્ઞાસાને તોષવા ભગવાન મહાવીર દ્વારા ચંદ્રના શ્રાવસ્તી નગરીમાં અંગતી નામે ભવમાં ભગવાનની ધર્મકથાનું શ્રવણ, સંયમ- સાધના વગેરેથી તેના નિર્વાણ પ્રાપ્ત કરવા સુધીની વાત કહેવામાં આવી છે. અધ્યયન : સૂર્ય (૨) ઉપરના અધ્યયન મુજબ વર્ણન પછી સૂર્યનો શ્રાવસ્તી નગરીમાં સુપ્રતિષ્ઠ નામે પૂર્વભવ, પાર્શ્વનાથ પાસે અણગાર પ્રવ્રજ્યા, સાધના વગેરેથી નિર્વાણ સુધીનું સ્થાનક છે. અધ્યયનઃ શુક્ર મૂલપાઠ ૧. નિર્યાવલિકા વર્ગ ‘“કયિા’” – ‘કલ્પિતા’ (૧) અધ્યયન : કાલ આ અધ્યયનમાં આર્ય સુધર્મા સ્વામીનું સમવસરણ, ભગવાન જંબૂની જિજ્ઞાસા, ભગવાન મહાવીર દ્વારા ઉપાંગો વિષયક ક્થન, ઉપાંગના પાંચ વર્ગ અને પહેલા વર્ગના ૧૦ અધ્યયનોમાંના આ અધ્યયનમાં ચંપા નગરીના રાજા શ્રેણિક અને રાણી કાલીના પુત્ર કાલકુમારના યુદ્ધગમન અને મૃત્યુ પશ્ચાત્ ચોથા નરકમાં ગમન, નરગમનના હેતુ તરીકે રાણી ચેલણાની દોહદ, કુણિકકુમારનો જન્મ, તેને ઉકરડામાં નાંખવાથી કૂકડા દ્વારા આંગળીમાં ચંચુઘાત, રાજા શ્રેણિકદ્વારા કુમારને ઉકરડામાંથી મંગાવવો, કુમારની આંગળીભગવાન પાકવી, કોણિક નામકરણ, મોટા થઈને કોણિક દ્વારા રાજા શ્રેણિકને બંદી બનાવવા, ચેલણા દ્વારા કોણિકનું પૂર્વવૃત્તાંતક્શન, પિતાને બંધનમુક્તિ, રાજા શ્રેણિક દ્વારા વિષપાન, કોણિકને બેહડના રાજકુમાર સાથે શત્રુતા થવી, બેહડકુમારની બાજુએથી રાજા ચેટકનું (૩) sc 名卐卐卐纸纸纸原纸 श्री आगमगुणमंजूषा ४३ પહેલા અધ્યયન મુજબ વર્ણન પછી શુક્રના વારાણસીમાં સોમિલ નામના પૂર્વભવમાં ભગવાન પાર્શ્વનાથ પાસે શ્રાવકધર્મ સ્વીકૃતિ, પુનઃમિથ્યાત્વી, વાનપ્રસ્થ, તાપસ વગેરે 20 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ STRO 555555555555555555s a real curl 5555 $$$$$$$$$$$消消乐乐出出 ઈને પુનઃ શ્રાવકધર્મની આરાધના, શુક્રાવતંસક વિમાનમાં ઉત્પત્તિથી નિર્વાણ સુધીનું સ્થાનક છે. (૪) અધ્યયન : બહુપુત્રિકા આ અધ્યયનમાં રાજગૃહ, ગુણશીલ ચૈત્ય, શ્રેણિક રાજા, ભગવાન મહાવીરનું સમવસરણ, ધર્મદેશના વગેરે વર્ણન પછી બહુપુત્રિકા દેવીનું આગમન અને તેમના વિષે ભગવાન ગૌતમ ગણધર દ્વારા ભગવાન મહાવીર પાસે કરાયેલી જિજ્ઞાસાને સંતોષવા માટે ભગવાન મહાવીર દ્વારા બહુપુત્રિકાના વારાણસીના ભદ્ર રોઠની સુભદ્રા પત્ની નામેપૂર્વભવ, તેમાં અણગાર પ્રવ્રજ્યા, સંયમ, સૌધર્મકલ્પમાં બહુપુત્રિકા દેવી, દેવલોકમાંથી ચ્યવીને જંબૂદીપના ભરતખંડમાં બિબેલના બ્રાહ્મણ કુળમાં જન્મ, નામ સોમા, વિવાહ, ૩૨ પુત્રોને જન્મ, અણગાર પ્રવ્રજ્યા વગેરે પછી નિર્વાણ સુધીના ક્થાનકનું વર્ણન છે. (૫) અધ્યયન : પૂર્ણભદ્ર આ અધ્યયનમાં રાજગૃહ નગરી, ગુણશીલ ચૈત્ય, ભગવાનનું સમવસરણ, ધર્મદેશના વગેરે વર્ણન પછી પૂર્ણભદ્ર દેવનું આગમન અને નાટ્ય પ્રદર્શન પછી ભગવાન ગૌતમ ગણધરની પૂર્ણભદ્ર દેવના પૂર્વભવ વિષયક જિજ્ઞાસા, ભગવાન મહાવીર દ્વારા પૂર્ણભદ્રના મણિવંતિકા નગરીમાં પૂર્ણભદ્રના ભવમાં કરેલા ધર્મશ્રવણ, અણગાર પ્રવ્રજ્યા વગેરેથી નિર્વાણ સુધીનું સ્થાનક કહેવાયું છે. (૬-૧૦) આ પાંચ અધ્યયનોમાંનામાનુસાર અનુક્રમે મણિભદ્રના મણિવંતિકા નગરીમાં, દત્તના ચંદનાનગરીમાં, શિવના મિથિલાનગરીમાં, ખલના હસ્તિનાપુરમાં અને અનાધૃતના કાકંઠી નગરીમાં થયેલા પૂર્વભવ અને તેમાં કરેલી સાધના વગેરેથી નિર્વાણ સુધીના ક્થાનક કહેવામાં આવ્યાં છે. ૪. પુષ્પચૂલા વર્ગ (પુચૂલિયા - પુષ્પચૂલિકા) (૧) અધ્યયન : ભૂતા આ વર્ગના આરંભે ૧૦ અધ્યયનોના નામો આપીને પહેલા અધ્યયનમાં રાજગૃહ નગરી, ગુણશીલ ચૈત્ય, ભગવાન મહાવીરનું સમવસરણ, ધર્મદેશના વગેરે વર્ણન પછી શ્રી દેવીનું આગમન અને નાટ્યપ્રદર્શન પછી ભગવાન ગૌતમ ગણધરની શ્રૃદેવીના પૂર્વભવ વિષે જિજ્ઞાસાના પ્રત્યુત્તરમાં ભગવાન મહાવીર દ્વારા શ્રીદેવીના રાજગૃહમાં સુદર્શન અને પ્રિયાની પુત્રી ભૂતા નામે પૂર્વભવ, તેમાં પુષ્પચૂલા સાધ્વીપાસે અણગાર પ્રવ્રજ્યા દરમિયાન કરેલી શ્રામણ્ય – વિરાધનાને લીધે સૌધર્મ ૫માં ઉપપાત, ત્યાંથી ચ્યવન, મહાવિદેહમાં જન્મ અને અંતે નિર્વાણ વગેરે વર્ણન છે. 06 (૨-૧૦) આનવ અધ્યયનોમાં અનુક્રમે હ્રી, ધૃતિ, કીર્તિ, બુદ્ધિ, લક્ષ્મી, ઈલા, સુરા, રસદેવી અને ગંધદેવી નામની અન્ય નવ દેવીઓના પૂર્વભવમાં પુષ્પચૂલા સાધ્વી પાસે પ્રવ્રજ્યા, શ્રામણ્ય-વિરાધના અને શેષ વર્ણન પહેલા અધ્યયન મુજબ છે. ૫. વહ્લિદશા વર્ગ (વૃષ્ણિદશા) (૧) અધ્યયન : નિષદ્ધ આવર્ગના આરંભે ૧૨ અધ્યયનોના નામો આપીને પહેલા અધ્યયનમાં દ્વારિકામાં શ્રીકૃષ્ણના શાસન સમયે બલરામ અને રેવતીના ૧૨ કુમારોમાં જ્યેષ્ઠ નિષકુમારની ભગવાન અરિષ્ટનેમિનાથના સમવસરણ પછી ધર્મદેશના, શ્રાવકધર્મ, અણગાર વીરદત્તની ભગવાન અરિષ્ટનેમિનાથ પાસે નિષકુમારના પૂર્વભવ વિષે જિજ્ઞાસા, પૂર્વભવમાં નિષદ્રકુમાર રોહીડા નગરના રાજા મહાબલ અને રાણી પદ્માવતીનો વીરંગતકુમાર, આચાર્ય સિદ્ધાર્થની ધર્મદેશના પછી વૈરાગ્ય, અણગાર પ્રવ્રજ્યા, સંયમસાધના, મનોરમ વિમાનમાં ઉપપાત અને દેવલોકમાંથી ચ્યવીને નિષકુમાર તરીકે વર્તમાન જન્મ નિષદ્રકુમારની પ્રવ્રજ્યા, સંયમસાધના, દેહત્યાગથી મહાવિદેહમાં જન્મ અને નિર્વાણ સુધીનું વર્ણન છે. (૨-૧૨) આ ૧૧ અધ્યયનોમાં બલામ અને રેવતીના અન્ય ૧૧ રાજકુમારોના પૂર્વભવ અને વર્તમાન સાધના તેમજ અંતે નિર્વાણ સુધીના સ્થાનકો છે. આ નિરયાવલિકાદિ ઉપાંગમાં એક શ્રુતસ્કંધ અને પાંચ વર્ગો છે. તેના ચાર વર્ગોમાં ૧૦-૧૦ ઉદ્દેશકો છે જ્યારે પાંચમાં ઉદ્દેશકમાં ૧૨ ઉદ્દેશકો છે. આમ કુલ ૫૨ ઉદ્દેશકો છે. श्री आगमगुणमजूषा ४४ , 有555555555555555 520X Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० (१९-२२) निरयावल प. उवंगसुतं (८-१२) (१) कप्पिया काले [१] फ्र सिरि उसहदेव सामिस्स णमो । सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो । नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वाण सामिस्स । सिरि गोयम-सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो । सिरि सुगुरु- देवाणं णमो । 555 श्रीनिरयावलिकोपाङ्गम् ॥ 555 तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं णयरे होत्था रिद्धत्थिमियसमिद्धे० गुणसिलए चेइए वन्नओ, असोगवरपायवे पुढवीसिलापट्टए । १ । तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अज्जसुहम्मे नाम अणगारे जातिसंपन्ने जहा केसी पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे जेणेव रायगिहे नगरे जाव अहापडिरूवं उग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं जाव विहरति, परिसा निग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया |२| तेणं कालेणं० अज्जसुहम्मस्स अणगारस्स अंतेवासी जंबू णामं अणगारे समचउरंससंठाणसंठिए जाव संखित्तविउलतेयलेस्से अज्जसुहम्मस्स अणगारस्स अंदूरसामंते उडुंजाणू जाव विहरति । ३ । तए णं से भगवं जंबू जातसडे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी उवंगाणं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ?, एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं एवं उवंगाणं पंच वग्गा पं० तं निरयावलियाओ कप्पवडिसियाओ पुप्फिथाओ पुप्फचूलियाओ वण्हिदसाओ, जइ णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं पंच वग्गा पं० तं०- निरयावलियाओ जाव वहिदसाओ पढमस्स णं भंते! वग्गस्स उवंगाणं निरयावलियाणं समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कइ अज्झयणा पं० ?, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं पढमस्स वग्गस्स निरयावलियाणं दस अज्झयणा पं० तं०- काले सुकाले महाकाले कण्हे सुकण्हे तहा महाकण्हे वीरकण्हे य बोद्धव्वे रामकण्हे तहेव य पिउसेणकण्हे नवमे दसमे महासेणकण्हे उ |४| जइ णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं पढमस्स वग्गस्स निरयावलियाणं दस अज्झयणा पं० पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स निरयावलियाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पं० १, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे द्दीवे भारहे वासे चंपा नामं नयरी होत्था रिद्ध०. पुन्नभद्दे चेइए, तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए कूणिए नामं राया होत्था महता०, तस्स कूणियस्स रन्नो पउमावई नामं देवी होत्था सोमाला जाव विहरइ, तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रन्नो भज्जा कूणियस्स रन्नो चुल्लमाउया काली नामं देवी होत्था सोमाला जाव सुरूवा, तीसे णं कालीए देवीए पुत्ते काले नामं कुमारे होत्था सोमाल जाव सुरूवे । ५। तते णं से काले कुमारे अन्नया कयाई तीहिं दंतिसहस्सेहिं तीहिं रहसहस्सेहिं तीहिं आससहस्सेहिं तीहिं मणुयकोडीहिं गरुलवूहे एक्कारसमेणं खंडेणं कूणिएणं रन्ना सद्धिं रहमुसलं संगामं ओयाए । ६ । ततेणं तीसे कालीए देवीए अन्नदा कदाई कुटुंबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झत्थि ए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु ममं पुत्ते कालकुमारे तीहिं दंतिसहस्सेहिं जाव ओयाए, से मन्ने किं जइस्सति ? नो जइस्सति ? जीविस्सति ? णो जीविस्सति ? पराजिणिस्सइ ? णो पराजिणिस्सइ ? कालं णं कुमारं अहं जीवमाणं पासिज्जा ? ओहयमण जाव झियाइ, तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे समोसरिते, परिसा निग्गया, ततेणं तीसे कालीए इमीसे कहाए लद्धट्ठाए समाणीए अयमेतारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु समणे भगवं० पुव्वाणुपुव्विं० इहमागते जाव विहरति तं महाफलं खलु तहारूवाणं जाव विउलस्स अट्ठस्स गहणताए तं गच्छामि णं समणं जाव पज्जुवासामि इमं च णं एयारूवं वागरणं पुच्छिस्सामित्तिकट्टु एवं संपेहेइ त्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति त्ता एवं वद्दसी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तमेव उवट्ठवेह त्ता जाव पच्चप्पिणंति, ततेणं सा काली देवी पहाया कयबलिकम्मा जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा बहूहिं खुज्जाहिं जाव महत्तरगविंदपरिक्खित्ता अंतेउराओ निंग्गच्छइ ता जेणेव बाहिरिया उवट्टाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहति ता नियगपरियालसंपरिवुडा चंपं नयरी मज्झंमज्झेणं निग्गच्छति जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ त्ता छत्तादीए जाव धम्मियं जाणप्पवरं ठवेति त्ता धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहति त्ता बहूहिं जाव खुज्जाहिं जाव विंदपरिक्खित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति त्ता समणं भगवं० तिक्खुत्तो वंदति० ठिया चेव सपरिवारा सुस्सूसमाणा नम॑समाणा अभिमा सौन्य :- मातुश्री शारजेन हाल गंगर पौत्रो विराग तेश मेरा (४२६) फ्रफ़ फ्री श्री आगमगुणमंजुषा - १२६२ फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FQXON OLO%%%%%%%%%%%%%%%] __(१९-२२) निरयावलि प (१) कप्पिया काले २] 5%%%%%%%%%%%% %%% O2 विणएणं पंजलिउडा पज्जुवासति, तते णं समणे भगवं जाव कालीए देवीए तीसे य महतिमहालियाए धम्मकहा भाणियव्वा जाव समणोवासए वा समणोवासिया वा जविहरमाणा आणाए आराहए भवति, ततेणं सा काली देवी समणस्स भगवओ० अंतियं धम्म सोच्चा निसम्म जाव हियया समणं भगवं० तिक्खुत्तो जाव एवं वदासी एवं खलु भंते ! मम पुत्ते काले कुमारे तीहिं दंतिसहस्सेहिं जाव रहमुसलसंगामं ओयाते सेणं भंते ! किं जइस्सति? नो जइस्सति ? जाव कालं कुमारं अहं जीवमाणं ॐ पासिज्जा ?, कालीति समणे भगवं० कालिं देवि एवं वयासी- एवं खलु काली ! तव पुत्ते काले कुमारे तीहिं दंतिसहस्सेहिं जाव कूणिएणं रन्ना सद्धिं रहमुसलं संगाम 5 संगामेमाणे हयमहियपवरवीरघातितनिवडितचिंधज्झयपडागं निरालोयातो दिसातो करेमाणे चेडगस्स रन्नो सपक्खिं सपडिदिसि रहेणं पडिरहं हव्वमागते, ततेणं से चेडए राया कालं कुमारं एज्जमाणं पासति त्ता आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धणुं परामुसति त्ता उसुं परामुसइ त्ता वइसाहं ठाणं ठाति त्ता आययकण्णायतं उसुं करेमाणे कालं कुमारं एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियाओ ववरोवेति, तं कालगते णं काली ! काले कुमारे, नो चेव णं तुमं कालं कुमारं जीवमाणं पासिहिसि, तते णं सा काली देवी समणस्स भगवओ० अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म महया पुत्तसोएणं अप्फुन्ना समाणी परसुनियत्ताविव चंपगलता धसत्ति धरणीतलंसि सव्वंगेहिं संनिवडिया, ततेणं सा काली देवी मुहुत्तरेणं आसत्था विसत्था समाणी उट्ठाए उठेति त्ता समणं भगवं० वंदइ नमसइ त्ता एवं वयासी- एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! सच्चे णं एसमढे से जहेतं तुब्भे वदहत्तिकट्ट समणं भगवं० वंदइ नसंमइत्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरूहति त्ता जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगता ।७। भंते त्ति भगवं गोयमे जाव वंदति नमंति त्ता एवं वयासी - काले णं भंते ! कुमारे तीहिं दंतिसहस्सेहिं जाव रहमुसलं संगामं संगामेमाणे चेडएणं रन्ना एगाहच्चं कूडाहच्वं जीवियाओ ववरोविते समाणे कालमासे कालं किच्चा कहिंगते कहिं उववन्ने ?, गोयमाति! समणे० भगवं गोयम एवं वदासीएवं खलु गो० ! काले कुमारे तीहिं दंतिसहस्सेहिं जाव जीवियाओ ववरोवित समाणे कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेमाभे नरगे दससागरोवमठिइएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उववन्ने ।८। काले णं भंते ! कुमारे केरिसएहिं आरंभेहिं केरिसएहिं (समारंभेहिं केरिसएहिं) आरंभसमारंभेहिं केरिसएहिं भोगेहिं केरिसएहिं संभोगेहिं केरिसएहिं भोगसंभोगेहिं केरिसेण वा असुभकडकम्मपन्भारेणं कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए जाव नेरइयत्ताए उववन्ने ?, एवं खलु गो० ! तेणं कालेणं० रायगिहे नाम नयरे होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे०, तत्थ णं रायगिहे नयरे सेणिए नामं राया होत्था महया० तस्सणं सेणियस्स रन्नो नंदा नामं देवी होत्था सोमाला जाव विहरति, तस्स णं सेणियस्स रन्नो नंदाए देवीए अत्तए अभए नाम कुमारे होत्था सोमाले जाव सुरूवे साम० जहा चित्तो जाव रज्जधुराचिंतए यावि होत्था, तस्स णं सेणियस्स रन्नो चेल्लणा नामं देवी होत्था सोमाला जाव विहरइ, तते णं सा चिल्लणा देवी अन्नया कयाई तंसिं तारिसयंसि वासघरंसि जाव सीहं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा जहा पभावती जाव सुमिणपाढगा पडिविसज्जिता जाव चिल्लणा से वयणं पडिच्छित्ता जेणेव सए भवणे तेणेव अणुपविट्ठा ।९। तते णं तीसे चेल्लणाए देवीए अन्नया कयाईतिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउन्भूए- धन्नाओणं ताओ अम्मयाओ जाव जम्मजीवियफले जाओ णं सेणियस्स रन्नो उदरवलीमंसेहिं सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जितेहि य सुरं च जाव पसन्नं च आसाएमाणीओ जाव परिभाएमाणीओ दोहलं पविणेति, तते णं सा चेल्लणा देवी तंसिंदोहलंसि अविणिज्जमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा नित्तेया दीणविमणवयणा पंडुल्लइयमुही ओमंथियनयणवयणकमला जहोचियं पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारं अपरि जमाणी करतलमलियव्व कमलमाला ओहतमणसंकप्पा जाव झियायति, ततेणं तीसे चेल्लणाए देवीए अंगपडियारियातो चेल्लणं देवि सुक्कं भुक्खं जाव झियायमाणिं पासंति त्ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छंति त्ता जाव कट्ट सेणियं रायं एवं म वयासी- एवं खलु सामी ! चेल्लणा देवी न याणामो केणई कारणेणं सुक्का भुक्खा जाव झियायति, तते णं से सेणिए राया तासिं अंगपडियारियाणं अंतिए एयम8 के सोच्चा निसम्म तहेव संभंते समाणे जेणेव चेल्लणा देवी तेणेव उवागच्छइ त्ता चिल्लणं देविं सुक्कं भुक्खं जाव झियायमाणिं पासित्ता एवं वयासी- किन्नं तुम २ देवाणुप्पिए! सुक्का भुक्खा जाव झियायसि ?, तते णं सा चेल्लणा देवी सेणियस्स रण्णो एयमझु णो आढाति णो परिजाणाति तुसिणीया संचिट्ठति, ततेणं से सेणिए Mero555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२६३ 555555555555555555555556 乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FGO Q明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6666666666 (१९-२२) निरयावलि प. (१) कप्पिया काले [३] राया चेल्लणं दैवि दोच्वंपि तच्वंपि एवं वयासी- किं णं अहं देवाणुप्पिए ! एयमट्ठस्स नो अरिहे सवणयाए जं णं तुमं अयमहं रहस्सीकरेसि ?, तते णं सा चेल्लणा, देवी सेणिएणं रन्ना दोच्चपि तच्वंपि एवं वृत्ता समाणी सेणियं रायं एवं वयासी णत्थि णं सामी ! से केति अट्ठे जस्स णं तुब्भे अणरिहा सवणयाए, नो चेव णं इमस्स अट्ठस्स सवणयाए एवं खलु सामी ! ममं तस्स ओरालस्स जाव महासुमिणस्स तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउन्भूए-धन्नातो तातो अम्मयाओ जाव जाओ णं तुब्भं उदरवलिमंसेहिं सोल्लिएहि य जाव दोहलं विणेति, तते णं अहं सामी ! तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि सुक्का भुक्खा जाव झियायामि, तते णं से सेणिए राया चेल्लणं देवि एवं वदासी-माणं तुमं देवाणुप्पिए! ओहय जाव झियायाहि, अहं णं तहा घत्तिस्सामि जहा णं तव दोहलस्स संपत्ती भविस्सतीतिकट्टु चिल्लणं देवि ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं ओरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं मियमधुरसस्सिरीयाहिं वहिं समासासेति, चिल्लणाए देवीए अंतियातो पडिनिक्खमत्ति त्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ त्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे निसीयति, तस्स दोहलस्स संपत्तिनिमित्तं बहूहिं आएहिं उवाएहि य उप्पत्तियाए य वेणइयाए य कम्मियाहि य पारिणामियाहि य परिणामेमाणे २ तस्स दोहलस्स आयं वा उवायं वा ठिई वा अविंदमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियायति, इमे य णं अभए कुमारे ण्हाए जाव सरीरे सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमति त्ता जेणेव बाहिरिया उवट्टाणसाला जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति त्ता सेणियं राय ओहय जाव झियायमाणं पासति त्ता एवं बदासी- अन्नया णं तातो! तुब्भे मम पासित्ता हट्ठजावहियया भवह, किन्नं तातो ! अज्ज तुब्भे ओहय जाव झियायह ?, तं जइ णं अहं तातो ! एयस्सट्ठस्स अरिहे सवणयाए तो णं तुब्भे मम एयमट्ठ जहाभूतमवितहं असंदिद्धं परिकहेह जे (जा) णं अहं तस्स अट्ठस्स अंतगमणं करोमि, तत्ते णं से सेणिए राया अभयं कुमारं एवं वदासी - णत्थि णं पुत्ता ! से केइ अट्ठे जस्स णं तुमं अणरिहे संवणयाए, एवं खलु पुत्ता ! तव चुल्लमाउयाए चेल्लणाए देवीए तस्स ओरालस्स जाव महासुमिणस्स तिण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं जाव जाओ णं मम उदरवलीमंसेहिं सोल्लेहि य जाव दोहलं विणेति, तते णं सा चिल्लणा देवी तंसिं दोहलसि अविणिज्नमाणंसि सुक्का जाव झियाति, तते णं अहं पुत्ता ! तस्स दोहलस्स संपत्तिनिमित्तं बहूहिं आएहिं य जाव ठितिं वा अविंदमाणे ओहय जाव झियामि, तए णं से अभए कुमारे सेणियं रायं एवं वदासी मा णं तातो! तुब्भे ओहय जाव झियायह अहं णं तहा ज (घ) त्तिहामि जहा णं मम चुल्लमाउयाए चिल्लणाए देवीए तस्स दोहलस्स संपत्ती भविस्सतीतिकट्टु सेणियं रायं ताहिं इट्ठाहिं जाव वग्गूहिं समासासेति त्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ त्ता अब्भिंतरए रहस्सितए ठाणिज्जे पुरिसे सद्दावेति त्ता एवं वयासी - गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सूणातो अल्लं मंसं रूहिरं बत्थिपुडगं च गिण्हह, तते णं ते ठाणिज्जा पुरिसा अभएणं कुमारेणं एवं वृत्ता समाणा हट्ठ० करतल जाव पडिसुणेत्ता अभयस्स कुमारस् अंतियाओ पडिनिक्खमंति त्ता जेणेव सूणा तेणेव उवागच्छन्ति त्ता अल्लमंसं रूहिरं बत्थिपुडगं चा मिण्हंति त्ता जेणेव अभए कुमारे तेणेव उवागच्छंति ता करतल० तं अल्लमंसं रूहिरं बत्थिपुडगं च उवर्णेति, तते णं से अमष कुमारे तं अल्लमंसं रूहिरं कप्पणिकप्पियं करेति त्ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवा० त्ता सेणियं यं रहस्सिगयं सयणिज्जंसि उत्ताणयं नुवज्जावेति त्ता सेणियस्स उदरवलीसु तं अल्लमंसं रूहिरं विस्वेति त्ता बत्थिपुडएणं वेढेति त्ता सवंतीकरणं करेति त्ता चेल्लणं देवि उप्पिं पासादे अवलोयणकरगयं ठवावेति त्ता चेल्लणाए देवीए अहे सपक्खिं सपडिदिसिं सेणियं रायं सयणिज्जंसि उत्ताणगं निवज्जावेति, सेणियस्स रन्नो उदरवलिमंसाइं कप्पणिकप्पियाइं करेति त्ता सेयभायणंसि पक्खिवति, तते णं से सेणिए राया अलियमुच्छ्यिं करेति त्ता मुहुत्तंतरेणं अन्नमन्नेणं सद्धिं संलवमाणे चिट्ठति, तते णं से अभयकुमारे सेणियस्स रन्नो उदरवलिमंसाइं गिण्हेति त्ता जेणेव चिल्लणा देवी तेणेव उवागच्छइ त्ता चेल्लणाए देवीए उवणेति, तते णं सा चिल्लणा सेणियस्स रन्नो तेहिं उदरवलिमंसेहिं सोल्लेहिं जाव दोहलं विणेति, तते णं सा चिल्लणा देवी संपुण्णदोहला एवं संमाणियदोहला विच्छिन्नदोहला तं गब्र्भ सुहंसणं परिवहति ॥ १०॥ तते णं तीसे चेल्लणाए अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था - जइ ताव इमेणं दारएणं गब्भगएणं चेव पिउणो उदरवलिमंसाणि खाइयाणि तं सेयं खलु मम एयं गब्भं साडित्तए वा पाडित्तए वा गालित्तए वा विद्धंसित्तए वा, एवं संपेहेति त्ता तं गब्भं बहूहिं ॐ श्री आगमगुणमंजूषा १२६४ U UA UA UA UA Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Education Internal For Pavaje & son use Only .langlor sho Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * નિરચાવલી પંચક : અવસર્પિણી કાળનું સૌથી ભયાનક યુદ્ધ જેમાં કોણિક અને ચેડારાજા સામસામે છે અને તેમાં ૧ કરોડ ને ૮૦ લાખ માણસો મરાયા જેમાંના બે ચાર સિવાય લગભગ બધા જ નરકે ગયા. આ યુદ્ધ કુંડળ, હાર અને હાથીના કારણે થયું. ** નિયાવની પંપ : अवसर्पिणी कालका सबसे भयानक युद्ध जिस में कोणिक और चेडाराजा आमने-सामने है। उस युद्ध में १ करोड़ ८० लाख लोग मर गए जिन में से दो चार को छोड़ कर अन्य सभी नर्क को प्राप्त हुए। *Niryāvali-Pahcaka: The most terrible war in the lowering period of this age. It was fought between Konika and King Ceda. In it I crore & 80 lacs men were killed out of those almost all (except three-four) reached hell. The root-causes of this war were earring, necklace and an elephant. Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TO % %%%%% %%%%%% % (१९-२२) निरयावलि पर (१) कप्पिया काले [४] 55555555588%E ORIAL ICF听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明明明听听听听听听乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听 गब्भसाडणेहि य गब्भपाडणेहि य गब्भगालणेहि य गन्भविद्धंसणेहि य इच्छति साडित्तए वा पाडित्तए वा गालित्तए वा विद्धंसित्तए वा, नो चेवणं से गब्भे सडति वा पडति वा गलति वा विद्धंसति वा, तते णं सा चिल्लणा देवी तं गन्भं जाहे नो संचाएति बहूहिं गब्मसाडणेहि य जाव विद्धंसित्तए वा ताहे संता तंता परितंता निम्विन्ना समाणी अकामिया अवसवसा अट्टवसदृदुहट्टा तं गब्भं परिवहति ।११। तते णं सा चिल्लणा देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव सोमालं सुरूवं दारयं पयाया, तते,णं तीसे चेल्लणाए देवीए इमे एतारूवे जाव समुप्पज्जित्था-जइ ताव इमेणं दारएणं गब्भगएणं चेव पिउणो उदरवलिमसाई खाइयाइं तं न नज्जइ णं एस दारए संवड्ढमाणे अम्हं कुलस्स अंतकरे भविस्सति तं सेयं खलु अम्हं एयं दारगं एगंते उक्कुरूडियाए उज्झावित्तए, एवं संपेहेति त्ता दासचेडिं सद्दावेति त्ता एवं वयासीगच्छह णं तुमं देवाणुप्पिए! एयं दारगं एगते उक्कुरूडियाए उज्झाहि, तते णं सा दासचेडी चेल्लणाए देवीए एवं वुत्ता समाणी करतल जीव कटु चिल्लणाए देवीए एतमद्वं विणएणं पडिसुणेति त्ता तं दारगं करतलपुडेणं गिण्हेइ त्ता जेणेव असोगवणिया तेणेव उवा० त्ता तं दारगं एगते उक्कुरूडियाए उज्झति, तते णं तेणं दारएणं एगते उकुरूडियाए उज्झितेणं समाणेणं सा असोगवणिया उज्जोविता यावि होत्था, तते णं से सेणिए राया इमीसे कहाए लद्धढे समाणे जेणेव असोगवणिया तेणेव उवा०त्ता तं दारगं एगते उकुरूडियाए उज्झियं पासेति त्ता आसुरूत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तं दारगं करतलपुडेणं गिण्हति त्ता जेणेव चिल्लणा देवी तेणेव उवा०त्ता चेल्लणं देविं उज्जावयाहिं आओसणाहिं आओसति उच्चावयाहिं निब्भच्छणाहिं निब्भच्छेति एवं उद्धंसणाहिं उद्धंसेति त्ता एवं वयासी-कीस णं तुमं मम पुत्तं एगंते उकुरूडियाए उज्झावेसित्तिकटु चेल्लणं देविं उच्चावयसवहसावितं करेति त्ता एवं वयासी-तुमं णं देवाणुप्पिए ! एयं दारगं अणुपुव्वेणं सारक्खमाणी संगोमाणी संवड्ढेहि, तते णं सा चेल्लणा देवी सेणिएणं रन्ना एवं वुत्ता समाणी लज्जिया विलिया विड्डा करतलपरिग्गहियं० सेणियस्स रन्नो विणएणं एयमट्ठ पडिसुणेति त्ता तं दारगं अणुपुव्वेणं सारक्खमाणी संगोवेमाणी संवड्ढेति।१२।तते णं तस्स दारगस्स एगते उकुरूडियाए उज्झिज्जमाणस्स अग्गंगुलियाए कुक्कुडपिच्छएणं दूमिया यावि होत्था, अभिक्खणं २ पूयं सोणियं च अभिनिस्सवेति, तते णं से दारए वेदणाभिभूए समाणे महता २ सद्देणं आरसति, तते णं सेणिए राया तस्स दारगस्स आरसितसई सोच्चा निसम्म जेणेव से दारए तेणेव उवा० ता तं दारगं करतलपुडेणं गिण्हइ त्ता तं अग्गंगुलियं आसयंसि पक्खिवति त्ता पूइं च सोणियं च आसएणं आमुसति, तते णं से दारए निव्वुए निव्वेदणे तुसिणीए संचिट्ठइ, जाहेविय णं से दारए वेदणाए अभिभूते समाणे महता २ सद्देणं आरसति ताहेविय णं सेणिए राया जेणेव से दारए तेणेव उवा० त्ता तं दारगं करतलपुडेणं गिण्हति तं चेव जाव निव्वेयणे तुसिणीए संचिट्ठइ, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो ततिए दिवसे चंदसूरदंसणियं करेंति जाव संपत्ते बारसाहे दिवसे अयमेयारूवं गुण्णं गुणनिप्फन्नं नामधिज्जं करेति-जहाणं अम्हं इमस्स दारगस्स एगते उकुरूडियाए उज्झिज्जमाणस्स अग्गंगुलिया कुक्कुडपिच्छएणं दूमिया तं होउणं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्जं कूणिए, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधिज्जं करेति-कूणियत्ति २, तते म णं तस्स कूणियस्स आणुपुव्वेणं ठितिवडियं च जहा मेहस्स जाव उप्पिं पासायवरगए विहरति, अट्ठओ दाओ।१३। तते णं तस्स कूणियस्स कुमारस्स अन्नदा पुव्वरत्ता जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं सेणियस्स रन्नो वाघाएणं नो संचाएमि सयमेव रज्जसिरिं करेमाणे पालेमाणे विहरित्तए तं सेयं खलु मम सेणियं रायं नियलबंधणं करेत्ता अप्पाणं महता २ रायाभिसेएणं अभिसिंचावित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेति त्ता सेणियस्स रन्नो अंतराणि य छिड्डाणि य विवराणि य पडिजागरमाणे विहरति, तते णं से कूणिए कुमारे सेणियस्स रन्नो अंतरं वा जाव मम्मं वा अलभमाणे अन्नदा कयाई कालादीए दस कुमारे नियघरे सद्दावेति त्ता एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हे सेणियस्स रन्नो वाघाएणं नो संचाएमो सयमेव रज्जसिरिं करेमाणा पालेमाणा विहरित्तएतं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं सेणियं रायं नियलबंधणं करेत्ता रजं च रटुं च बलं च वाहणं च कोसं च कोट्ठागारं च जणवयं च एक्कारसभाए विरिचित्ता सयमेव रज्जसिरिं करेमाणाणं पालेमाणाणं जाव विहरित्तए, तते णं ते कालादीया दस कुमारा कूणियस्स कुमारस्स एयमद्वं विणएणं पडिसुणेति, तते णं से कूणिए कुमारे अन्नदा कदाई सेणियस्स रन्नो अंतरं जाणति त्ता सेणियं रायं नियलबंधणं करेति त्ता अप्पाणं महता २ रायाभिसेएणं अभिसिंचावेति, तते णं से कूणिए कुमारे राजा जाते महता-, तते णं से कूणिए राया अन्नदा कदाई ण्हाए जावा Exerci5555FFFFFFFFFFFFFFFFFFF[ श्री आगमगुणभंजूषा - १२६५ ) 5 #FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFOROK 乐乐乐乐乐乐玩玩乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐最 HOROSE Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Yo95555555555555555 (१९-२२) निरयावलि प. (१) कप्पिया काले [५] $$$$555555555seROR सव्वालंकारविभूसिए चेल्लणाए देवीए पायवंदए हव्वमागच्छति ।१४। तते णं से कूणिए राया चेल्लणं देविं ओहय जाव झियायमाणिं पासति त्ता चेल्लणाए देवीए. पायग्राहणं करेति त्ता चेल्लणं देवि एवं वदासी-किंणं अम्मो ! तुम्हं न तुट्ठी वा न ऊसए (बे) वा न हरिसे वा नाणंदे वा ? जंणं अहं सयमेव रज्जसिरिं जाव विहरामि, मतते णं सा चेल्लणा देवी कूणियं रायं एवं वयासी कहण्णं पुत्ता ! ममं तुट्ठी वा उस्सए वा हरिसे वा आणंदे वा भविस्सति ? जंणं तुम सेणियं रायं पियं देवयं गुरूं जणगं अच्चंतनेहाणुरागरत्त नियलबंधणं करित्ता अप्पाणं महता २ रायाभिसेएणं अभिसिंचावेसि, तते णं से कूणिए राया चिल्लणं देवि एवं वदासी-घातेउकामे णं अम्मो! ममं सेणिए राया, एवं मारेतुं बंधितुं णिच्छुभिउकामए णं अम्मो ! ममं सेणिए राया, तं कहन्नं अम्मो ! ममं सेणिए राया अच्चंतनेहाणुरागरत्ते?, तते णं सा चेल्लणा देवी कूणियं कुमारं एवं वदासी-एवं खलु पुत्ता ! तुमंसि ममं गन्भे आहूते समाणे तिण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं ममं अयमेयारूवे दोहले पाउन्भूते धन्नातो णं तातो अम्मयातो जाव अंग़पडिचारियाओ निरवसेसं भाणियव्वं जाव जाहेविय णं तुमं वेयणाए अभिभूते महता जाव तुसिणीए संचिट्ठसि, एवं खलु तव पुत्ता ! सेणिए राया अच्चंतनेहाणुरागरते, तते णं से कूणिए राया चेल्लणाए देवीए अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म चिल्लणं देवि एवं वदासी-दुठु णं अम्मो ! मंए कयं सेणियं रायं पियं देवयं मुरूंजणगं अच्वंतनेहाणुरागरत्तं नियलबंधणं करतेणं, तं गच्छामि णं सेणियस्स रन्नो सयमेव नियलाणि छिंदामित्तिकटु परसुहत्थगते जेणेव चारगसाला तेणेव पहारित्थ गमणाए, तते णं सेणिए राया कूणियं कुमारं परसुहत्थगयं एज्जमाणं पासति त्ता एवं वयासी-एस णं कूणिए कुमारे अपत्थियपत्थए जाव सिरिहिरिपरिबज्जिए परसुहत्थगए इह हव्वमागच्छति तं न नज्जइ णं ममं केणई कुमारेणं मारिस्सतीतिकटु भीए जाव संजायभए तालपुडगं विसं आसगंसि परिक्खवइ, तते णं से सेणिए राया तालपुडगविसे आसगंसि पक्खित्ते समाणे मुहुत्तंतरेणं परिणममाणंसि निप्पाणे निच्चेटे जीवविप्पजढे ओइन्ने, तते णं से कूणिए कुमारे जेणेब चारगसाला तेणेव उवागए, सेणियं रायं निप्पाणं निच्चेटुं जीवविप्पजढं ओइन्नं पासति त्ता महता पितिसोएणं अप्फुण्णे समाणे परसुनियत्तेविव चंपगवरपादवे धसत्ति धरणीतलंसि सव्वंगेहिं संनिवडिए, तते णं से कूणिए कुमारे मुहुत्तंतरेणं आसत्थे समाणे रोयमाणे कंदमाणे सोयमाणे विलवमाणे एवं वदासीअहोणं मए अधन्नेणं अपुन्नेणं अकयपुन्नेणं दुठ्ठ कयं सेणियं रायं पियं देवयं० अच्वंतनेहाणुरागरत्तं नियलबंधणं करतेणं मम मूलागं चेवणं सेणिए राया कालगतेत्तिकटु ईसर० जाव संधिवाल सद्धिं संपरिवुड़े रोयमाणे० महया इडिढसक्कारसमुदएणं सेणियस्स रन्नो नीहरणं करेति, बहूइं लोइयाई मयकिच्चाई करेति, तते णं से कूणिए कुमारे एतेणं महया मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूते समाणे अन्नदा कदाई अंतेउरपरियालसंपरिवुडे सभंडमत्तोवकरणमाताए रायगिहातो पडिनिक्खमति त्ता जेणेव चंपा नगरी तेणेव उवागच्छइ, तत्थवि णं विपुलभोगसमितिसमन्नागए काले णं अप्पसोए जाए यावि होत्था ।१५। तते णं से कूणिए राया अन्नया कयाई कालादीए दस कुमारे सद्दावेति त्ता रज्जं च जाव जणवयं च एक्कारसभाए विरिंचति त्ता सयमेव रज्जसिरिं करेमाणे पालेमाणे विहरति ।१६। तत्थ णं चंपाए नगरीए सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए कूणियस्स रन्नो सहोयरे कणीयसे भाया वेहल्ले नाम कुमारे होत्था सोमाले जाव सुरूवे, तते णं तस्स वेहल्लस्स कुमारस्स सेणिएणं रन्ना जीवंतएणं चेव सेयणए गंधहत्थी अट्ठारसवंके य हारे पुव्वदिन्ने, तए णं से वेहल्ले कुमारे सेयणएणं गंधहत्थिणा अंतेउरपरियालसंपरिबुडे चंपं नगरि मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ त्ता अभिक्खणं २ गंगं महानई मज्जणयं ओयरइ, तते णं से सेयणए गंधहत्थी देवीओ सोंडाए गहाय ताओ उद्धयत्तइ त्ता अप्पेगइयाओ पुढे ठवेति अप्पेगइयाओ खंधे ठवेति एवं अप्पे० कुंभे ठवेति अप्पे० सीसे ठवेति अप्पे० दंतमुसले ठवेति अप्पे० सोंडाए गहाय उड्ढं वेहासं उब्विहइ अप्पे० सोंडाशयाओ अंदोलावेति अप्पे० दंतंतरेसु नीणेति अप्पे० सीभरेणं पहाणेति अप्पे०. अणेगेहिं कीलावणेहिं कीलावेति, तते णं चंपाए नयरीए सिंघाडगतिगचउक्कचच्चरमहापहपहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेति-एवं खलु देवाणुप्पिया ! वेहल्ले कुमारे सेयणएणं गंधहत्थिणा अंतेउरं तं चेव जाव णेगेहिं कीलावणएहिं कीलावेति तं एस णं वेहल्ले कुमारे रज्जसिरिफलं पच्चणुब्भवमाणे विहरति, नो कूणिए राया, तते णं तीसे पउमावईए देवीए इमीसे कहाए लद्धट्ठाए समाणीते अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु वेहल्ले कुमारे सेयणएणं गंधहत्थिणा जाव अणेगेहिं कीलावणएहिं कीलावेति तं एसणं वेहल्ले Moro55559999999999999श्री आगमगुणमंजूषा- १२६६9555555555555 OLIC}乐听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明纸F6C 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 %%%%%听听听听听听听听听听听听听听听听听$听听听听252 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 明明明明明明明明明明明 Gorkhptistin g :३२) निरयावाल पर (१) कप्पिया काले ६y-2+ 055555555555ERROR कुमारे रज्जसिरिफलं (२२४) पच्चणुब्भवमाणे विहरति, नो कोणिए राया, तं किं अम्हं रज्जेण वा जाव जणवएण वा जइ णं अम्हं सेयणगे गंधहत्थी नत्थि?, तं सेयं 5 क खलु मम कुणियं रायं एयमद्वं विनवित्तएत्तिकटु एवं संपेहेति त्ता जेणेव कूणिए राया तेणेव उवा० त्ता करतल जाव एवं बयासी-एवं खलु सामी | वेहल्ले कुमारे + सेयणारण गंधहत्थिणा जाब अणेगेहिं कीलावणएहिं कीलावेति, तं किण्णं सामी ! अम्हं रज्जेण वा जाव जणवएण वा जति णं अम्हं सेयणए गंधहत्थी नत्थि?. तए कणं से कूणिए राया पड़मावईए देवीए एयमद्वं नो आढाति नो परिजाणति तुसिणीए संचिट्ठति, तते णं सा पउमावई देवी अभिक्खणं २ कूणियं रायं एयमट्ठ विन्नवेइ, तते फणं से कूणिए राया पउमावईए देवीए अभिक्खणं २ एयमद्वं विन्नविज्जमाणे अन्नया कयाई वेहल्लं कुमारं सद्दावेति त्ता सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं जायति, तते णं से वेहल्ले कुमारे कूणियं रायं एवं वयासी एवं खलु सामी ! सेणिएणं रपणा जीवंतेणं चेव सेयणए गंधहत्थी अट्ठारसवंके य हारे दिन्ने, तं जइणं सामी ! तुब्भे 5 ममं रज्जस्स यजणवयस्सय अद्धं भागं दलयह तो णं अहं तुब्भं सेयणयं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हार दलयामि, ततेणं से कूणिए राया वेहल्लस्स कुमारस्स एयम8 नो आढाति नो परिजाणाइ, अभिक्खणं २ सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं जायति, तए णं तस्स वेहल्लस्स कुमारस्स कूणिएणं रन्ना अभिक्खणं २ सेयणगंज गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हार जायमाणस्स एवं संकप्पे समुप्पज्जित्था-अक्खिविउकामे णं गिहिउकामे णं उद्दालेउकामे णं ममं कूणिए राया सेयणगं गंधहत्थिं , अट्ठारसवंकं च हारं तं जावताव ममं कूणिए राया सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं न उद्दालेइ ताव मे सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसर्वकं च ह्यरं गहाय, अंतेउरपरियालसंपरिवुडस्ससभंडमत्तोवकरणमाताए चंपातो नयरीतो पडिनिक्खमित्ता वेसालीए नयरीए अज्जगं चेडयं रायं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, एवं संपेहेति त्ता कूणियस्स रन्नो अंतराणि जाव पडिजागरमाणे २ विहरति, तते णं से वेहल्ले कुमारे अन्नदा कदाई कूणियस्स रन्नो अंतरं जाणति ता सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं गहाय अंतेउरपरियालसंपरिवुडे सभंडमत्तोवकरणमायाए चंपाओ नयरीतोपडिनिक्खमति त्ता जेणेव वेसाला नगरी तेणेव उवागच्छति वेसालाए नगरीए अज्जगं चेडयं राय उवसंपजित्ताणं विहरति, तते णं से कूणिए राया इमीसे कहाए लद्धद्वे समाणे एवं खलु वेहल्ले कुमारे ममं असंविदितेण सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं गहाय अंतेउरपरियालसंपरिबुडे जाव अज्जयं चेडयं रायं उवसंपज्जित्ताणं विहरति, तं सेयं खलु ममं सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं० (पडुच्च) दूतं पेसित्तए, एवं संपेहेति त्ता दूतं सदावेति त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! वेसालिं नगरि, तत्थ णं तुम ममं अज्जगं चेडगं रायं करतल० है वद्धावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु सामी! कूणिए राया विन्नवेति-एस णं वेहल्ले कुमारे कूणियस्स रन्नो असंविदितेणं सेषणगं अट्ठारसर्वकं हारं च गहाय हव्वमागते, अतएणं तुब्भे सामी ! कूणियं रायं अणुगिण्हमाणा सेअणगं अट्ठारसर्वकं च हारं कूणियस्स रन्नो पच्चप्पिणह, वेहल्लं कुमारं च पेसेह, ततेणं से दूए कूणिएण रण्णा एवं वुत्ते समाणे करतल० जाव पडिसुणति त्ता जेणेव सते गिहे तेणेव उवा०त्ता जहेव चित्ते तहेव जाव चेडयं रायं जएणं विजएणं वद्धावइत्ता एवं वयासी-एवं खलु सामी! 5 कूणिए राया विन्नवेइ-एस णं वेहल्ले कुमारे तहेव भाणियव्वं जाव वेहल्लं कुमारं पेसेह, तते णं से चेडए राया तं दूयं एवं वयासी-जह चेव णं देवाणुप्पिया ! कूणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए ममं नत्तुए तहेवणं वेहल्लेवि कुमारे सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए मम नत्तुए, सेणिएणं रन्ना जीवंतेणं म चेव वेहल्लस्स कुमारस्स सेयणगे गंधहत्थी अट्ठारसवंके य हारे पुव्वविदिन्ने, तं जइ णं कूणिए राया वेहल्लस्स रज्जस्स य जणवयस्स य अद्धं दलयति तोणं अहं 9 सेयणगं अट्ठारसवंकं हारं च कूणियस्स रन्नो गच्चप्पिणामि, वेहल्लं च कुमारं पेसेंमि, तं दूयं सक्कारेति संमाणेति त्ता पडिविसज्जेति, तते णं से दूते चेडएणं रन्ना पडिविसज्जिए समाणे जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइं त्ता चाउग्घंटं आसरहं दुरूहति, वेसालिं नगरि मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ त्ता सुभेहिं वसहीहिं पायरासेहिं जाव वद्धावित्ता एवं वदासी एवं खलु सामी ! चेडए राया आणवेति-जह चेवणं कूणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेल्लणाए दैवीए अत्तए मम नत्तुएतं चैव F भाणियव्वं जाव वेहल्लं च कुमारं पेसेमि, तं न देति णं सामी ! चेडए राया सेयणगं अट्ठारसवंकं हारं च वेहल्लं च नो पेसेति, तते णं से कूणिए राया दुच्चंपि यं २ सद्दावेइ त्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुम देवाणु० ! वेसालि नगरि तत्थ णं तुमं मम अज्नगं चेडगं रायं जाव एवं वयासी-एवं खलु सामी ! कूणिए राया विन्नवेइ-जाणि PROSO55555555555555555555555.55 श्री आगमगुणमजूषा - १२६७ 155555555555555555555 95 96 9E EXCLOR 历历历5555555%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%% 1明明明明明明明 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९-२२) निरयावल प (१) कप्पिया काले [७] काणि रयणाणि समुप्पज्जेति सव्वाणि ताणि रायकुलगामीणि, सेणियस्स रन्नो रज्जसिरिं करेमाणस्स पालेमाणस्स दुवे रयणा समुप्पन्ना, तं० - सेयणए गंधहत्थी अट्ठारसवंके य हारे, तन्नं तुब्भे सामी ! रायकुलपरंपरागयं ठिइयं अलोवेमाणा सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं कूणियस्स रन्नो पच्चप्पिणह, वेहल्लं कुमारं च पेसेह, तते णं से दूते कूणियस्स रन्नो तहेव जाव वद्धावित्ता एवं वयासी एवं खलु सामी ! कूणिए राया विन्नवेइजाणि काणि जाव वेहल्लं कुमारं पेसेह, तते णं से चेडए राया तं दूयं एवं वयासी-जह चेव णं देवाणुप्पिया ! कूणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते चिल्लणाए देवीए अत्तए जहा पढमं जाव वेहल्लं च कुमारं पेसेमि, तं दूतं सक्कारेति संमाणेति त पडिविसज्जेति, तते णं से दूते जाव कूणियस्स रन्नो० वद्धावित्ता एवं वयासी चेडए राया आणवेति-जह चेव णं देवाणुप्पिया ! कूणिए राया सेणियस्स रन्नो पुत्ते चिल्लणाए देवीए अत्तए जाव वेहल्लं च कुमारं पेसेमि, तं न देति णं सामी ! चेडए राया सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं वेहल्लं च कुमार नो पेसेति, तते णं से कूणिए राया तस्स दूयस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा निसम्म आसुरूत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तच्चं दूतं सद्दावेति त्ता एवं वयासीगच्छह णं तुम देवाप्पिया ! वेसालीए नयरीए चेडगस्स रन्नो वामेणं पादेणं पायपीढं अक्कमाहि त्ता कुंतग्गेणं लेहं पणामेहि त्ता आसुरूत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडिं निडाले साहट्टु चेडगं रायं एवं वयासी हंभो चेडगराया ! अपत्थियपत्थिया ! दुरंत जाव परिवज्जित्ता एस णं कूणिए राया आणवेइ-पच्चप्पिणाहि णं कूणियस्स रन्नो सेयणगं अट्ठारसवंकं च हारं वेहल्लं च कुमारं पेसेहि अहव जुद्धसज्जो चिट्ठाहि, एस कूणिए राया सबले सवाहणे सखंधावारे जुद्धसज्जे इह हव्वमागच्छति, तते णं दूते करतल व जाव जेणेव चेडए राया तेणेव उवा० त्ता करतल० जाव वद्धा० त्ता एवं वयासी एस णं सामी ! ममं विणयपडिवत्ती, इयाणिं कूणियस्स रन्नो आणत्तित्ति चेडगस्स रन्नो वामेणं पाएणं पादपीढं अक्कमति त्ता आसुरूत्ते कुंतग्गेण लेहं पणामेति तं चेव सबलखंधावारे इह हव्वमागच्छति, तते णं से चेडए राया तस्स दूयस्स अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म आसुरूत्ते जाव साहट्टु एवं वयासी-न अप्पिणामि णं कूणियस्स रन्नो सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं, वेहल्लं च कुमारं नो पेसेमि, एसणं जुद्धसज्जे चिट्ठामि तं दूयं असक्कारिय असंमाणिय अवद्दारेणं निच्छुहावेइ | १७| तते णं से कूणिए राया तस्स दूतस्स अंतिए एयम सोच्चा णिसम्म आसुरूत्ते कालादीए दस कुमारे सद्दावेइ त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! वेहल्ले कुमारे ममं असंविदितेणं सेयणगं गंधहत्थिं अट्ठारसवंकं च हारं अंतेउरं सभंडं च गहाय चंपातो निक्खमति त्ता वेसालिं० अज्ज चेडगं रायं उवसंपज्जित्ताणं विहरति, तते णं मए सेयणगस्स गंधहत्थिस्स अट्ठारसवंकस्स हारस्स य अट्ठाए दूया पेसिया, ते य चेडएण रण्णा इमेणं कारणेणं पडिसेहिता अदुत्तरं च णं ममं तच्चं दूतं असक्कारित० अवद्दारेणं निच्छुहावेति तं से खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं चेडगस्स रन्नो जत्तं गिण्हित्तए, तए णं कालाईया दस कुमारा कूणियस्स रन्नो एयमहं विणएणं पडिसुर्णेति, तते णं से कूणिए राया कालादीते दस कुमारे एवं वयासी- गच्छहणं तुब्भे देवाणुप्पिया सएस २ रज्जेसु पत्तेयं २ ण्हाया जाव पायच्छित्ता हत्थिखंधवरगया पत्तेयं २ तीहिं दंतिसहस्सेहिं तीहि रहसहस्सेहिं तीहिं आससहस्सेहिं तीहिं मणुस्सकोडीहिं सद्धिं संपरिवुडा सव्विड्ढीए जाव रवेणं सतेहिंतो २ नगरेहिंतो पडिनिक्खमह त्ता ममं अंतियं पाउब्भवह, तते णं ते कालाईया दस कुमारा कोणियस्स रन्नो एयमहं सोच्चा सएस २ रज्जेसु पत्तेयं २ ण्हाया जाव तीहिं मणुस्सकोडीहिं सद्धिं संपरिवुडा सव्विड्ढीए जाव रवेणं सएहिंतो २ नगरेहिंतो पडिनिक्ख मंति जेणेव अंगाजणवए जेणेव चंपा नगरी जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागता करतल जाव वद्धावेति, तते णं से कूणिए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हयगयरहचातुरंगिणिं सेणं संनाहेह त्ता ममं एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह जाव पच्चप्पिणंति, तते णं से कूणिए राया जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ जाव निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जाव नरवई दुरूढे, तते प से कूणिए राया तीहिं दंतिसहस्सेहिं जाव रखेणं चंपं नगरीं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छति त्ता जेणेव कालादीया दस कुमारा तेणेव उवागच्छइ ता कालाइएहिं दसहिं कुमारेहिं सद्धिं एगतो मिलायंति, ततेां से कूणिए राया तेत्तीसा दंतिसहस्सेहिं तेत्तीसाए आससहस्सेहिं तेत्तीसाए रहसहस्सेहिं तेत्तीसाए मणुस्सकोडीहिं सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्ढीए जाव वेणं सुभेहिं वसहीहिं पायरासेहिं नातिविगिट्ठेहिं अंतरावासेहिं वसमाणे २ अंगाजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव विदेहे जणवते जेणेव वेसाली नगरी तेणेव पहारित्थ गमणाते, तते णं से चेडए राया इमीसे कहाए लट्ठे समाणे नव मल्लई नव लेच्छई कासीकोसलका अट्ठारसवि गणरायाणो सद्दावेति त्ता एवं वयासी एवं YOOK श्री आगमगुणमंजूषा १२६८ OK Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९-२२) निरयावलि ए (१) कनिया काले / सुकाले [८] *******Y खलु देवाणुप्पिया ! वेहल्ले कुमारे कूणियस्स रन्नो असंविदितेणं सेयणगं अट्ठारसवंकं च हारं गहाय इह हव्वमागते, तते णं कूणिएणं सेयणगस्स अट्ठारसवंकस्स य अट्ठा तओ दूया पेसिया, ते य मए इमेणं कारणेणं पडिसेहिया, तते णं से कूणिए ममं एय मट्ठे अपडिसुणमाणे चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे जुज्झसज्जे इहं हव्वमागच्छति, तं किन्नु देवाणुप्पिया ! सेयणगं अट्ठारसवंकं हारं च कूणियस्स रन्नो पच्चप्पिणामो ? वेहल्लं च कुमारं पेसेमो ? उदाहु जुज्झित्था ?, तते णं नवल्लई नव लेच्छती कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो चेडगं रायं एवं वदासी न एवं सामी ! जुत्तं वा पत्तं वा रायसरिसं वा जन्नं सेयणगं अट्ठारसवकं च हारं कूणियस्स रन्नो पच्चप्पिणिज्जति वेहल्ले य कुमारे सरणागते पेसिज्जति, त जइ णं कूणिए राया चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे जुज्झसज्जे इहं हव्वमागच्छति तणं अम्हे कूणिएणं रण्णा सद्धिं जुज्झामो, तते णं से चेडए राया ते नव मल्लई नव लेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो एव वदासी - जइ णं देवाप्पिया! तुभे कूणिएणं रन्ना सद्धिं जुज्झह तं गच्छह णं देवाणुप्पिया ! सतेसु २ रज्जेसु ण्हाया जहा कालादीया जाव जएणं विजएणं वद्धावेति, तते णं से चेडए राया कोटुंबियपुरिसे सद्दावेति त्ता एवं वयासी आभिसेक्कं जहा कूणिए जाव दुरूढे, तते णं से चेडए राया तीहिं दंतिसहस्सेहिं जहा कूणिए जाव वेसालिं नगरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छति त्ता जेणेव ते नव मल्लई नव लेच्छती कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो तेणेव उवागच्छति, तते णं से चेडए राया सत्तावन्नाए दंतिसहस्सेहिं सत्तावन्नाए आससहस्सेहिं सत्तावन्नाए रहसहस्सेहिं सत्तावन्नाए मणुस्सकोडीहिं सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्ढीए जाव रवेणं सुभेहिं वसहीहिं पातरासेहिं नातिविगिट्ठेहिं अंतरावासेहिं वसमाणे २ विदेहं जणवयं मज्झंमज्झेणं जेणेव देसपंते तेणेव उवा० त्ता खंधावारनिवेस करेति त्ता कूणियं रायं पडिवालेमाणे जुज्झसज्जे चिट्ठ, तते गं से कूणिए राया सव्विड्ढीए जाव रवेणं जेणेव देसपंते तेणेव उवा० चेडयस्स रन्नो जोयणंतरियं खंधावारनिवेसं करेति, तते णं ते दोन्निवि रायाणो रणभूमिं सज्जात तारणभूमिं जयंति, तते णं से कूणिए तेत्तीसाए दंतिसहस्सेहिं जाव मणुस्सकोडीहिं गरूलवूहं रएइ ता गरूलवूहेणं रहमुसलं संगामं उवायाते, तते से चेडए राया सत्तावन्नाए दंतिसहस्सेहिं जाव सत्तावन्नाए मणुस्सकोडीहिं सगडवूहं रएइ त्ता सगडवूहेणं रहमुसलं संगामं उवायाते, तते णं ते दोपहवि राई या सन्नद्ध जाव गहियाउहपहरणा मंगतितेहिं फलतेहिं निक्कट्ठाहिं असीहिं अंसागएहि तोणेहिं सजीवेहिं धणूहिं समुक्खित्तेहिं सरेहिं समुल्लालिताहिं डावाहिं ओसारियाहिं उरूघंटाहिं छिप्पतूरेणं वज्जमाणेणं महया उक्तिट्टसीहनायबोलकलकलरवेणं समुद्दरवभूयंपिव करेमाणा सव्विड्ढीए जाव रखेणं हयगया हयगए हिं गया गयगतेहिं रहगया रहगतेहिं पायत्तिया पायत्तिएहिं अन्नमन्नेहिं सद्धिं संपलग्गा यावि होत्था, तते णं ते दोण्हवि रायाणं अणिया णियगसामीसासणाणुरत्ता महता जणक्खयं जणवहं जणप्पमद्दं जणसंवट्टकप्पं नच्चंतकबंधवार भीमं रूहिरकद्दमं करेमाणा अन्नमन्त्रेणं सद्धिं जुज्झति, तते णं से काले कुमारे तीहिं दंतिसहस्सेहिं जाव मणूसकोडीहिं गरूलवूहेणं एक्कारसमेणं खंधेणं कूणिएणं रण्णा सद्धिं रहमुसलं संगामं संगामेमाणे हयमहित जहा भगवता कालीए देवीए परिकहियं जा जीवियाओ ववरोवेति, तं एवं खलु गो० ! काले कुमारे एरिसएहिं आरंभेहिं जाव एरिसएणं असुभकडकम्मपब्भारेणं कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेमा नरए नेरइयत्ताए उववन्ने । १८। काले णं भंते! कुमारे चउत्थीए पुढवीए अनंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उव्वज्जिहिति ?, गो० ! महाविदेहे वासे जाई कुलाई भवंति तं०- अड्ढाई जहा दढप्पइओ जाव सिज्झिहिति बुज्झिहिति जाव अंतं काहिति, तंएवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं निरावलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स 555 अयमट्ठे पं० | १९|| कालज्झयणं ८-९ ॥ जइ णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमद्वे पं० दोच्चस्स णं भंते! अज्झयणस्स निरयावलियाणं समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं के अट्ठे पं० ?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं० चंपा नामं नगरी होत्था, पुन्नभद्दे चेइए, कोणिए राया, पउमावई देवी, तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रन्नो भज्जा कोणियस्स रन्नो चुल्लमाउया सुकाली नामं देवी होत्था सुकुमाला०, तीसे णं सुकालीए देवीए पुत्ते सुकाले नामं कुमारे होत्था सुकुमाले०, तते णं से सुकाले कुमारे अन्नया कयाति तीहिं दंतिसहस्सेहिं जहा कालो कुमारो निरवसेसं तं चेव जाव महाविदेहे वासे अंतं काहिति एवं निरयावलियाणं बीयस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्तेत्तिं बेमि || बितियं सुकालअज्झयणं ८-२ ॥ एवं सेसावि अट्ठ अज्झयणा नेयव्वा पढमसरिसा, णवरं मायातो सरिसणामाओ | २०|| अज्झयणाणि ३-१०|| निरयावलियातो समत्तातो ८। ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - १२६९ ४० Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MONO乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明 (२०) कप्पबडिसियाण [१] %%%%%% %%%% %% % 2 C CSC5乐乐历历明明明明明明明听听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听GO सिरि उसहदेव सामिस्स णमो। सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो । नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण. ॐ सामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो। सिरि सुगुरु - देवाणं णमो। कप्पवडिंसियाणं नवमं उवंग पदम अज्झयणं-पउमं१) जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं पढमस्स वग्गस्स निरयावलियाणं अयमढे पन्नने दोच्चस्स णं भंते वग्गस्स कप्पवडिसियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं कइ अज्झयणा पन्नत्ता एवं खलु जंब समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता तं जहा पउमे महापउमे भद्दे सुभद्दे पउमभद्दे पउमसेणे पउमगुम्मे नलिणिगुम्मे आनंदे नंदने जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता पढमस्स णं भंते अज्झयणस्स कप्पवडिसियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अढे पन्नत्ते एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था पुन्नभद्दे चेइए कूणिए राया पउमावई देवी तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रण्णो भज्जा कूणियस्स रण्णो चुल्लमाउया काली नामं देवी होत्था-सूमाला तीसे णं कालीए देवीए पुत्ते काले नाम कुमारे होत्था-सूमाले, तस्सणं कालस्स कुमारस्स पउमावई नामं देवी होत्थासूमालपाणिपाया जाव विहरइ तए णं सा पउमावई देवी अन्नया कयाई तसिं तारिसगंसि वासघरंसि अभितरओ सचित्तकम्मे जाव सीहं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा एवं जम्मणं जहा महाबलस्स जाव नामधेज-जम्हा णं अम्हं इमे दारए कालस्स कुमारस्स पुत्ते पउमावईए देवीए अत्तए तं होउणं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेज पउमें-पउमे सेसं जहा महाबलस्सस अट्ठओ दाआ जाव उप्पिं पासायवरगए विहरइ सामी समोसरिए परिसा निग्गया कूणिए निग्गए पउमेवि जहा महबले निग्गए तहेव अम्मापिइआपुच्छणा जाव पव्वइए अणगारे जाएइरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी तए णं से पउमे अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारुवाणं । थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ अजिज्जित्ता बहूहिं चउत्तथछट्ठमं - (दसम-दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे) विहरइ तएणं से पउमे अणगारे तेणं ओरालेणं जहा मेहो तहेव धम्मजागरिया चिंता एवं जहेव मेहो तहेव समणं भगवं महावीरं आपुच्छित्ताविउले जाव पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरइ तए णं से पउमे अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारुवाणं थेराणं अंतइए सामाइयमाइयाई एक्कारस.. अंगाई अहिज्जित्ता बहुपडिपुन्नाई पंच वासाई सामण्णपरियागं. पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसेत्ता सढि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता आणुपुव्वीए कालगए थेरा ओइण्णा भगवं गोयमे पुच्छइ सामी कहेइ जाव सढि भत्ताइं अणसणाए छेद्दित्ता आलोइय-पडिक्कंते उड्ढे चंदिम-सूर-गहगण-नक्खत्त-तारारुवाणं सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववण्णे दो सामराई ठिई, से णं भंते पउमे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं पुच्छा गोयमा महाविदेहे वासे जहा दढपइण्णो जाव अंतं काहिइ तं एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणें कप्पवडिसियाणं पढमस्स अज्झयणसस अयमढे पन्नत्ते त्ति बेमि ।१ (२१) पढम अज्झयणं समत्तं बीअं अज्झयणं- महापउमं★★★२) जइणं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं पढमस्स अज्झयणस्स - अयमढे पन्नत्ते दोच्चस्स णं भंते अज्झयणस्स कप्पवडिसियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अढे पन्नत्ते एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नयरी होत्था पुन्नभद्दे चेइए कूणिए राया पउमावई देवी तत्थ पौ चंपाए नयरीए सेणियस्स रण्णो भुज्जा कूणियस्स रण्णो चुल्लमाउया सुकाली नामं देवी होत्था तीसे णं सुकालीए पुत्ते सुकाले नाम कुमारे तस्सणं सुकालस्स कुमारस्स महापउमा नाम देवी होत्था-सूमाला तए णं सा महापउमा देवी अन्नया कयाई तसि तारिसगंसि एवं तहेव महापउमे नामं दारए जाव सिज्झहिइ नवरं-ईसाणे कप्पे उववाओ उक्कोसट्ठिइओतं एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं दोच्चस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्ति बेमि।२-१। (२२-१) बीअं अज्झयणं समत्तं ३-१०-अज्झयणाणि ३) एवं सेसावि अट्ठ नेयव्वा, मायाओ सरिसनामाओ कालाईणं दसण्हं पुत्ताणं आनुपुव्वीए।२-२। (२२-२) ४) दोण्हें च पंच चत्तारि तिण्हं तिण्हं च होति तिण्णेव दोण्हं च दोण्णि वासा सेणियनत्तूमं परियाओ॥१॥ ५) उववाओ आनुपुव्वीए-पढमो सोहम्मे बिइओ ईसाणे तइओ सणंकुमारे चउत्थो माहिदे पंचमो बंभलोए छट्ठो लंतए सत्तमों महासुक्के अट्ठमो सहस्सारे नवमो पाणए दसमो अच्चुए सव्वत्थ उक्कोसर्दुिइ भाणियव्वा महाविदेहे सिज्झिहिति।।-(२२) ३.१० अज्झयणाणि 3 समत्तानि २० कप्पवडिंसियाणं समत्तं नवमं उर्वगं समत्तं Sonicational aspaly Keross 55555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १२७०555555555 mulpinelibrasyang) ONO乐乐年历历明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐明明明明明明明听听听听听听听听听听$22 (GMEducation international 2010-03 Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॐॐॐॐॐ अ अ अ अ अ अ अ आ आ आ आ आ आ आ (२१) पुष्फियाणं (१) चंद (२) सूरे (३) सुक्के सिरि सहदेव सामिस्स णमो । सिरि गोडी जिराउला सव्वोदयपासणाहाणं णमो नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स । सिरि गोयम सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो । सिरि सुगुरु देवाणं णमो 5 पुष्फियाणं दसमं उवंगं पढमं अज्झयणं चंदे 555१) जइ णं भंते समणेण भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं दोच्चस्स वग्गस्स कप्पवडिसियाणं अयमठ्ठे पन्नत्ते तच्चस्स णं भंते वग्गस्स उवंगाणं पुप्फयाण के अट्ठे पन्नत्ते एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेण जाव संपत्तेण उवंगाणं तच्चस्स वगस्स पुप्फियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता तं जहा । १-११ (२३१) २) चंदे सूरे सुक्के बहुपुत्तिय पुण्ण माणिभद्दे य दत्ते सिवे बले य अणाढिए चेव बोद्धव्वे ॥ १॥ (॥२॥) -१ ३) जइणं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पुफियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता पढमस्स णं भंते अज्झयणस्स पुम्फियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पन्नत्ते एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे परिसा निग्गया तेणं कालेणं तेणं समएणं चंदे जोइसिदे जोइसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए चंदंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव विहरइ इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवे दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे- आभोएमाणे पासइ पच्छा समणं भगवं महावीरं जहा सूरियाभे अभियोगं देवं सद्दावेत्ता जाव सुरिंदाभिगमणजोग्गं करेत्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिति सूसरा घंटा जाव विउव्वण्णा नवरं जावविमाणं जोयणसहस्सविच्छिण्णं अद्धतेवद्विजोयणमूसियं महिंदज्झओ पणुवीसं जोयणमूसिओ सेसं जहा सूरियाभस्स जाव आगओ नट्टविही तहेव पडिगओ भंते त्ति भगवं समणं भगवं महावीरं पुच्छा कूडागारसाला दिवंतो सरीरं अनुपविट्ठा पुव्वभवो एवं खलु गोयमा तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नामं नयरी होत्या कोट्ठए चेइए तत्थ णं सावत्थीए नयरीए अंगई नाम गाहावई होत्था - अड्ढे जाव अपरिभूतए से अंग गाहावई सावत्थीए नयरीए बहूणं नगर निगम जहा आनंदो तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे णं अरहा पुरिसादाणीए आइगरे जहा महावीरो नवुस्सेहें सोलसहिं समणसाहस्सीहिं अट्ठतीसाए अज्जियासाहस्सेहिं जाव कोट्ठए समोसढे परिसा निग्गया तए णं से अंगई गाहावई इमीसे कहाए लद्धट्ठे समाणे हट्टतुट्टे जगा कत्तिओ सेट्ठी निरगच्छ जाव पज्जुवासइ धम्मं सोच्चा निसम्म जं नवरं देवाणुप्पिया जेट्ठपुत्तं कुटुंबे ठावेमि तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयामि जहा गंगदत्ते तहा पव्वइए अणगारे जाए-इरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी तए णं से अंगइ अणगारे पासस्स अरहओ तहारुवाणं थेराणं अंतिए सामाइय-माइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्जइ अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ जाव भावेमाणे बहूइं वासाइं सामण्णं परियागं पाउणइ पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए •तीसं भत्ताई अणसणाए छेदित्ता विराहियामण्णे कालमासे कालं किच्चा चंदवडिंसए विमाणे उववातसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूसंतरिया चंदजोइसिंदत्ताए उववण्णे तए णं से चंदे जोइसिदे जोइसराया अहुणोववण्णे समाणे पंचविहाए पज्जत्तीए-आहारपज्जत्तीए जाव भासमणपज्जत्तीए पज्जत्तभावं गए चंदस्स णं भंते जोइसिंदस्स जोरण केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता गोयमा पनिओवमं वाससहस्समब्भहियं एवं खलु गोयमा चंदस्स जोइसिंदस्स जोइरण्णो सा दिव्वा देविड्ढी चंदे णं भंते • जोइसिदे जोइसराया ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिइ गोयमा महाविदेहे वासे सज्झि • एवं खलु जंबू समणेण भगवया महावीरेण पुप्फियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते त्ति बेमि । १ । (२३)-1★★ बीअं अज्झयणं - सूरे ★★★ ४) जइणं भंते समणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं उक्खेवओ भाणियव्यो एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया समोसरणं जहा चंदो तहा सूरोवि आगओ जाव नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगओ पुव्वभवपुच्छा सावत्थी नयरी सुपरट्ठे नामं गाहावई होत्था - अड्ढे जहेव अंगई ara fars पास समोसढो जहा अंगई तहेव पव्वइए तहेव विराहियसामण्णे जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं करेहिए एवं खलु जंबु समणेणं भरावया महावीरेण दोच्चस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते त्ति बेमि |२| ★★ (२४) तइयं अज्झयणं सुक्के ★★★ ५) जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं श्री आगमगुणमंजूषा - १२७१ 20 [8] Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YGKOK (२१) पुप्फियाणं ३ सुक्के [૨] 萬事! 蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋OTOR जाव संपत्तेणं उक्खेवओ भाणियव्वो रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया सामी समोसढे परिसा निग्गया तेणं कालेणं तेणं समएणं सुक्के महग्गहे सुक्कवडिस विमाणे सुक्कंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहेव चंदो तहेव आगओ नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगओ भंते त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं पुच्छा कूडागारसाला दिट्ठतो पुव्वभवपुच्छा एवं खलु गोयमा तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरी होत्था तत्थ णं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणे परिवसइ अड्ढे जाव अपरिभूए रिउव्वेय जाव बहूसु बंभण्णेसु य सत्थेसु सुपरिनिट्ठिए पासे समोसढे परिसा, पज्जुवासइ तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स इमीसे कहाए लद्धट्ठस्स समाणस्स इमे एयारुवे अज्झत्थिए जाव एवं खलु पासे अरहा पुरिसादाणीए पुव्वाणुपुव्विं जाव अंबसालवणे विहरइ तं गच्छामि पास अरहओ अंतिए पाउब्भवामि इमाई च णं एयारुवाइं अट्ठाई हेऊइं हेऊइं जहा पन्नत्तिए जाव संबुद्धे सावगधम्मं पडिवज्जित्ता पडिगए तए णं पासे अरहा अन्नया या वाणारसीओ नयरीओ अंबसालवणाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ, तए णं से सोमिले माहणे अण्णया कयाइ असाहुदंसणेण य अपज्जुवासणयाए य मिच्छत्तपज्जवेहिं परिवड्ढमाणेहिं सम्मत्तपज्जवेहिं परिहायमाणेहिं मिच्छत्तं विप्पडिवण्णे तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणस्स जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माह अच्वंतमाहण-कुलप्पसूए तए णं मए वयाई चिण्णाई जाव जूवा निक्खित्ता तं सेयं खलु मम इयाणि कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दियरे तेयसा जलते वाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अंबारामे य माउलिंगारामे य बिल्लारामे य कविद्वारामे य चिंचारामे य पुप्फारामे य रोवावित्तए एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए जाव पुप्फारामे य रोवावेइ तए णं बहवे अंबारामा य जाव पुप्फारामा य अणुपुव्वेणं सारक्खिज्जमाणा संगोविज्जमाणा संवडिज्नमाणा आराम जाया किण्हा किण्होभासा जाव रम्मा महा-मेहनिकुरंबभूया पत्तिया पुष्प्फिया फलिया हरियगरेज्जिमाणसिरीया अईव - अईव उवसोभेमाणा चिट्ठति तए णं स्स सोमिलस्स माहणस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणे अच्वंतमाहण कुलप्पसूए तए णं मए वयाई चिण्णाई जाव जूवा निक्खित्ता तए णं मए वाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अंबारामा जाव पुप्फारामाय रोवाविया तं सेयं खलु ममं इयाणिं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सुबहुं सोहकडाकडुच्छुयं तंबियं तावसभडं घडावेत्ता विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ - जाव सम्माणेत्ता तस्सेव मित्त- नाइ० पुरओ जेट्ठपुत्तं कुटुंबे ठावेत्ता तं मित्त ० जेट्ठपुत्तं च आपुच्छित्ता सुबहु लोहकडाहकडुच्छुयं तंबियं तावसभंडंग गहाय जे इमे गंगाकूला वाणपत्था तावसा भवंति लोहकडाहकडुच्छ्रयं तंबिय तावसभंडंग गहाय जे इमे गंगाकूला वाणपत्था तावसा भवंति लोहकडाहकडुच्छुयं तंबियं तावसभंडगं गहाय जे इमे गंगाकूला वाणपत्था तावसा भवंति तं जहा - होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जण्णई सड्ढई थालइ हुंबरट्टा दंतुक्खलिया उम्मज्जगा संमज्जगा निमज्जगा संपक्खालगा दक्खिणकूला उत्तरकूला संखधमा कूलधमा मियलुद्धा हत्थितावसा उद्दंडगा दिसापोक्खिण वक्कवासिणो बिलवासिणो जलवासिणो रक्खमूलिया अंबुभक्खिणो वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुप्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडिय-कंद-मूल-तय- पत्त- पुप्फ-फलाहारा जलाभिसेयकढिण-गायभूया आयावणाहिं पंचग्गिहतावेहिं इंगालस्सोल्लियं कंदुसोल्लियं कट्टसोल्लियं पिव अप्पाणं करे-माणा विहरंति तत्थ णं जेते दिसापोक्खिया तावसा तेसिं अंतिए दिसापोक्खिय तावस त्ताए पव्वइत्तए पव्वइए वि य णं समाणे इमं एयारुवं अभिग्गहं अभिगिण्हिस्सामि - कप्पर मे जावज्जीवाए छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाओ पगिज्झियपगिज्झिय सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहइसंपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए जाव दिसापोक्खयतावसत्ताए पव्वइए, पव्वइए वि य णं समाणे इमं एयारुवं अभिग्गहं अभिगिन्हित्ता पढमं छट्ठक्खमणं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ तए णं सोमिले माहणरिसी पढमछट्ठक्खमण-पारणगंसि आयावणभूमिओ पच्चो रुह पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता किढिणं-संकाइयं गेण्हइ गेण्हित्ता पुरत्थिमं दिसि पोक्खेइ पुरत्थिमाए दिसाए सोमे श्री आगमगुणमजूषा १२७२ Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२१) पुष्फियाणं ३ सुक्के [३] ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसि अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसिं जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताणि अनुजाण - उत्तिक पुरत्थिमं दिसं पसरइ पसरित्ता जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताइं गेण्हइ गेण्हित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता किढिण-संकाइय ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ वड्ढेत्ता उवलेवणसमंज्जणं करेइ करेत्ता दब्भकलसहत्थगए जेणेव गंगा महानई तेणव उवागच्छइ उवागच्छित्ता गंगं महानई ओगाहइ ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ करेत्ता जलाभिसेयं करेइ करेत्ता जलकिड्डुं करेइ करेत्ता आयंते चोक्खे परमसुइभूए देवपिउकयकज्जे दब्भकलसहत्तगए गंगाओ महानईओ पच्चुत्तरइ पच्चुत्तरित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दब्भे य कुसे य वालुयाए य वेदिं रएइ रएत्ता सरयं करेइ करेत्ता अरणिं करेइ करेत्ता सरएणं अरणिं महेइ महेत्ता अग्गिं पाडेइ पाडेत्ता अग्गिं संधुक्केइ संधुक्केत्ता समिहाकट्टाणि पक्खिवइ पक्खिवित्ता अग्गिं ६) सकथं वक्कलं ठाणं सेज्जभंड कमंडलुं दंडदारु तहप्पाणं अहे ताई समाद ||२|| ( ||३||) - २७) महुणा य धएणं य तंदुलेहि य अग्गिं हुणइ चरुं साहेइ साहेत्ता बलिं वइस्सदेवं करेइ करेत्ता अतिहियपूयं करेइ करेत्ता तओ पच्छा अप्पणा आहारं आहारेई तए णं से सोमिले माहणरिसी दोच्चंछट्ठक्खमणपारणगंसि तं चैव सव्वं भाणियव्वं आहारं आहारेइइए णं तस्स सोमिलमाहणरिसिस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अणिच्चजागरियं जागरमाणस्स जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणरिसी अच्वंतमाहणकुलप्पसूए तए णं मए वयाई चिण्णाई जाव जूवा निक्खित्ता तए णं मए वाणारसीए जाव पुप्फारामा य रोवाविया तए णं म सुबहुं लोए कडाहकडुच्छयं तंबियं तावसभंडं धडावेत्ता विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेत्ता जाव जेट्ठपुत्तं कुटुंबे ठवेत्ता जाव जेट्ठपुत्तं आपुच्छित्ता सुबहु लोह जाव धडावेत्ता पव्वइए पव्वइए वि य णं समाणे छट्ठछद्वेणं जाव विहरिए तं सेयं खलु ममं इयाणि कल्लं पाउप्पभाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहसरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते बहवे तावसे दिट्ठभट्ठे य पुव्वसंगइए य परियायसंगइए य आपुच्छित्ता आसमसंसियाणि य बहूइं सत्तसयाइं अणुमाणइत्ता वागलवत्थनियत्तस्स किढिण-संकाइय-गहितग्गिहोत्त-संभंडो-वगरणस्स कट्ठमुद्दाए मुहं बंधित्तउत्तरदिसाए उत्तराभिमुहस्स महप्पत्थाणं पत्थाइत्तए एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ बंधित्ता अयमेयारुवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ जत्थेव णं अहं जलंसि वा थलंसि वा दुग्गंसि वा निन्नंसि वा पव्वयंसि वा विसमंसि वा गड्डाए वा दरीए वा पक्खलेज्ज वा पवडेज्ज वा नो खलु मे कप्पर पच्छुट्टित्तएत्तिकट्टु अयमेयारुवे अभिग्गहं अभिगिण्हइ उत्तराए दिसाए उत्तराभिमु महप्पत्थाणं पत्थिए तए णं से सोमिले माहणरिसी पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागए असोगवर पायवस्स अहे किढिय-संकाइयं ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ वड्ढेत्ता उवलेवणं-संमज्जणं करेइ करेत्ता दब्भकलसहत्थगए जेणेव गंगा महानई जहा सिवो जाव गंगाओ महानईओ पच्चुत्तरइ पच्चुतरित्ता जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दब्बेहि य कुसेहि य वालुयाए य वेदिं रएइ रएत्ता सरगं करेइ करेत्ता जाव बलिं वइस्सदेवं करेइ करेत्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ बंधित्ता तुसिणीए संचिट्ठइ तए णं से सोमिले तस्स देवस्स दोच्चंपि तच्वंपि एयमट्ठे नो आढाइ नो परिजाणइ जाव तुसिणीए संचिट्ठइ तए णं से देवे सोमिलेणं माहणरिसिणा अणाढाइज्जमाणे जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए तए णं से सोमिले कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठिम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिनयरे तेयसा जलंते वागलवत्थनियत्थे किढिण-संकाइय-गहियग्गिहोत्त-भंडोवगरणे कट्ठमुहाए मुहं बंधइ बंधित्ता उत्तराभिमुहे संपत्थिए तए णं से सोमिले बिइयदिवसम्मि पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव सत्तिवण्णे तेणेव उवगाए सत्तिवण्णस्स अहे किढिण-संकाइयं ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ जहा असोगवरपायवे जाव उग्गिं हुणइ कट्ठमुद्दाए मुहं बंदइ तुससिणीए संचिट्ठिइ तए णं तस्स सोमिलस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे अंतियं पाउब्भूए तए णं से देवे अंतलिक्खपडिवण्णे जहा असोगवरपायवे जाव पडिगए तए णं से सोमिले कल्लं पाउप्पभायाए जाव उत्तराभिमुहे संपत्थिए तए णं से सोमिले तइयदिवसम्मि पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स अहे किढिण-संकाइयं ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ जाव गंगाओ महानईओ पच्चुत्तराइ पच्चुत्तरित्ता जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता वेदिं रएइ रएत्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ बंधित्ता तुसिणीए संचिट्ठइ तए णं तस्स सोमिलस्स पुव्वरत्तावत्तका 五五五五五五五 5 श्री आगमगुणमंजूषा १२७३ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PROG55555555555555 (२१) पुफियाण३ सुके / (8) बहुपुत्तिया र 第五步虽555552 ICCs听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐明明乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 एगे देवे अंतियं पाउब्भूए तं चेव भणइ जाव पडिगए तए णं से सोमिले कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उत्तराभिमुहे संपत्थिए तए णं से सोमिले चउत्थिदिवसम्मि पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव वडपायवे तेणेव उवागए वडपायवस्स अहे किढिण-संकाइयं ठवेइ ठवेत्ता वेदि वड्ढेइ उवलेवण संमज्जणं करेइ जाव कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ तुसिणीए संचिट्ठइ तए णं तस्स सोमिलस्स पुव्वर-त्तावरत्तकाले एगे देवे अंतियं पाउब्भूए तं चेव भणइ जाव पडिगए तए णं से सोमिले कल्ले पाउप्पभायाए रयणीए जाव उत्तराभिमुहे संपत्थिए तए णं से सोमिले पंचमदिवसम्मि पच्चावरण्हकालसमयसि जेणेव उंबरपायवे तेणेव उवागच्छइ उंबरपायवस्स अहे किढिणसंकाइयं ठवेइ जाव संचिट्ठइ तएणं तस्स सोमिलमाहणस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे जाव एवं वयासी-हंभो सोमिला पव्वइया दुप्पव्वइयं ते तए णं से सोमिले तेणं देवेणं दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्ते समाणे तं देवं एवं वयासी-कहं णं देवाणुप्पिया मम दुप्पव्वइयं तए णं से देवे सोमिलं माहणं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया तुमं पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्स अंतियं पंचाणुव्वइए सत्तसिक्खावइए दुवालसविहे सावगधम्मे पडिवण्णे तए णं तव अण्णया कयाइं असाहुदंसणेणं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणस्स जाव पुव्वचितियं देवो उच्चारेइ जाव जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छसि उवागच्छित्ता किढिणसंकाइयं जाव तुसिणीए संचिट्टसि तए णं अहं पुव्वरत्तावरत्तकाले तव अंतियं पाउब्भवामि हंभो सोमिला पव्वइया दुप्पव्वइयं ते तह च्चेव देवो निरवयं भणइ जाव पंचमदिवसम्मि पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव उंबरपायवे तेणेव उवागए किढिण-संकाइयं ठवेसि वेदि वड्ढेसि उवलेवण-संमज्जणं करेसि करेत्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंधेसि बंधेत्ता तुसिणीए संचिट्ठसि तं एवं खलु देवाणुप्पिया तव दुप्पव्वइयं तएणं से देवे सोमिलं एवं वयासि-जइणं तुम देवाणुप्पिया इयाणिं पुव्वपडिवण्णाइं पंच अनुव्वयाइं सयमेव उवसंपज्जित्ताणं विहरइतएणं सेसोमिले बहूहिं चउत्थ-छट्ठम जाव विचित्तेहिंतवोवहाणेहि अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाई समणोवासंगपरियागं पाउणइ पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेइ झूसेत्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेइ छेदेत्ता तस्स ठाणस्स अणालेझ्यपडिक्कंते विराहियसम्मत्ते कालमासे कालं किच्चा सुक्कविडंसए विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि जाव ओगाहणाए सुक्कमहग्गहत्ताए उववण्णे तएणं से सुक्के महग्गहे अहुणोववण्णे समाणे जाव भासमणपज्जत्तीए पज्जत्तभावं गए एवं खलु गोयमा सुक्केणं महग्गेणं सा दिव्वा जाव अभिसमण्णागए एंगं पलिओवमं ठिई सुक्के णं भंते महंग्गहे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं कहिंगच्छिहिइ गोयमा महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ निक्खेवो ० तिबेमि।३। (२५)-★★★३ चउत्थं अज्झयणं-बहुपुत्तिया ★★★ (८) उक्खेवओ ० एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया सामी समोसढे परिसा निग्गया तेणं समएणं बहुपुत्तिया देवी सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तिए विमाणे सभाए सुहम्माए बहुपुत्तियंसि सोहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं महत्तरियाहिं जहा सूरियाभे जाव भुंजमाणी विहरइ इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवे दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणी-आभोएमाणी पासइ पच्छा समणं भगवं महावीरं जहा सूरियाभो जाव नमंसित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहा संनिसण्णा आभिओगा जहा सूरियाभस्स सूसरा घंटा आभिओगं देवं सद्दावेइ जाणविमाणं जोयणसहस्सावित्थिण्णं जाणविमाणवण्णओ जाव उत्तरिल्लेणं निजाणमग्गेणं जोयणसाहस्सिएहिं विग्गहेहिं तहा आगया जहा सूरियाभो धम्मकहा समत्ता तए णं सा बहुपुत्तिया देवी दाहिणं भुयं पसारेइ-देवकुमाराणं अट्ठसयं देवकुमारियाण य वामाओ भुयाओ तयाणंतरं च णं बहवे दारगा य दारियाओ य डिभए डिभियाओ य विउव्वइ नट्टविहिं जहा सूरियाभो उवदंसित्ता पडगिया भंते त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ कूडागारसाला दिट्ठतो बहुपुत्तियाए णं भंते देवीए सा दिव्वा देविड्ढी पुच्छा जाव अभिसमण्णागया एवं खलु गोयमा तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरी अंबसालवणे चेइए तत्थ णं वाणारसीए नयरीए भद्दे नाम सत्थवाहे होत्था-उड्ढे जाव अपरिभूए तस्स णं भद्दस्स सुभद्दा नाम भारिया-सूमाला वंझा अवियाउरी जाणुकोप्परमाया यावि होत्था तए णं तीस सुभद्दाए सत्थवाहीए अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुंबजागरियं जागरमाणीए ० संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं भद्देणं सत्थवाहेणं सद्धिं विउलाई NORO5955555555555555555555555555555555555555555555FOSTORY KOLo##5 555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १२७४55555555555555 O OR Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AGRO KOTTOF55555$$$$$$$$$$$$ %% $$$$$$$$$$$$$$$$$55555555 AGR955555555555555 (२१) पुफियाण (8) बहुपुत्तिया 历步步步步步五步步步五五五OOT र भोगभोगाई भुंजमाणी विहरामि नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि तं धन्नओ णं ताओ अम्मयाओ जाव सुलद्धे णं तासिं अम्मयाणं मणुए जम्मजीवियफले 5 जासिं मण्णे नियगकुच्छिसंभूयगाई थणदुद्धलुद्धगाई महुरमुल्लावगाणि मम्मणपजंपियामि थणमूला कक्खदेसभागं अभिसरमाणाणि पण्हयं पियंति पुणो य, कोमलकमलोवमेहिं हत्थेहिं गिण्हिऊणं उच्छंगनिवेसियाणि देति समुल्लवाए सुमहुरे पुणो-पुणो मंजुलप्पणिए अहं णं अधण्णा अपुन्ना अकयपुण्णा एत्तो एगमवि, न पत्ता ओहय जाव झियाइ तेणं कालेणं तेणं समएणं सुव्वयाओ णं अज्जाओ इरियासमियाओ जाव गुत्तबंभचारिणीओ बहुस्सुयाओ बहुपरियाराओ पुव्वाणुपुग्विं ॐ चरमाणीओ० जेणेव वाणारसी नयरी तेणेव उवागयाओ जाव विहरंति तए णं तांसिं सुव्वयाणं अज्जाणं एगे संघाडए वाणारसीए नयरीए उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई, म. घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे भद्दस्स सत्थवाहस्स गिहं अनुपविट्टे तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही ताओ अज्नताओ एज्जमाणीओ पासइ पासित्ता हसुट्ठा, ॐ खिप्पामेव आसणाओ अब्भुढेइ अब्भुतॄत्ता सत्तट्ठपयाई अनुगच्छइ अनुगच्छित्ता वंदइ जावं एवं वयासी-एवं खलु अहं अज्जाओ भद्देणं सत्यवाहेणं सद्धिं विउलाई भोग-भोगाई भुंजमाणी विहरामी नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि तं धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव एत्तो एगमवि न पत्ता तं तुब्भे णं अज्जाओ, बहणायाओ बहुपढ़ियाओ बहूणि गामागर-जाव सण्णिवेसाई आहिंडह बहूणं राईसर-जाव सत्यवाहप्पभिइणं गिहाई अनुपविसइ अत्थि से केइ कहिं चि विज्जापओए वा मंतप्पओए वा वमणं वा विरेयणं वा वत्थिकम्मे वा ओसहे वा भेसज्जे वा उवलद्धे जेणं अहं दारगं वा दारियं वा पयाएज्जा एवं णं ताओ अज्जाओ सुभई सत्थवाहि, का एवं वयासी-अम्हे णं देवाणुप्पिए समणीओ निग्गंथीओ इरियासमियाओं जाव गुत्तबं-भचरिणीओ नो खलु कम्पइ अम्हें एयमहूँ कण्णेहिं वि निसामेत्तए किमंग पुण, उवदंसित्तए वा समायरित्तए वा अम्हे णं देवाणुप्पिए पुणं तव विचित्तं केवलिपन्नत्तं धम्म परिकहेमो तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही तासिं अज्जाणं अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठा ताओ अज्जाओ तिक्खुत्तो वंदइ जाव एवं वयासी-सदहामि णं अज्जाओ निग्गंथं पावयणं पत्तियामि अज्जाओ निग्गंथं पायवर्ण रोएमिणं अज्जाओ निग्गंथं पायवणं एवमेयं तहमेयं अवितहमेयं जाव से जहेयं तुब्भे वयह इच्छामिणं अहं तुब्भं अंतिए सावगधम्म पङिबज्जित्तए अहासुहं देवाणुप्पिएमा पडिबंधं करेहि क तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही तासिं अज्जाणं अंतिए सावगधम्म पडिवज्जइ पडिवज्जित्ता ताओ अज्जाओ वंदइ जाच पडिविसज्जई तए णं सा सुभद्दा सत्यवाही म समणोवासिया जाया जाव विहरइ तए णं तीसे सुभद्दाए समणोवासियाए अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि जागरमाणीए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं भद्देणं सत्थवाहेणं सद्धि विउलाई जाव विहरामि नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि त सेयं खलु ममं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव भई सत्थवाहं आपुच्छित्ता सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तएं-एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्ले जेणेव भद्दे सत्थवाहे तेणेव उवागया जाव' म एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणुप्पिया तुब्भेहिं सद्धिं बहूई वासाइं जाव विहरामि नो चेव णं दारगं वा दारियं वा पयामि तं इच्छामिणं देवाणुप्पिया तुब्भेहिं ॥ म अब्भणुण्णाया समाणी सुव्वयाणं अज्जाणं जाव पव्वइत्तए तए ण से भद्दे सत्थवाहे एवं वयासी-मा णं तुम देवाणुप्पिए झ्याणिं ० पव्वयाहि भुंजाहिं ताव देवाणुप्पिए म मए सद्धिं विउलाइंभोगभोगाई तओ पच्छा भुत्तभोई सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए ० पव्वयाहिं तए णं सुभद्दा सत्थवाही भद्दस्स एयम४ नो आढाइनो परियाणइ दोच्चंपिऊ म तच्चपि एवं वयासी-इच्छामि णं देवाणुप्पिया तुब्भेहिं अब्मणुण्णाया समाणी जाव पव्वइत्तए तए णं से भदै सत्थवाहे जाहे नो संचाएइ बहूहिं आघवणाहिं य पन्नवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य आघवित्तए वा ० जाव विण्णवित्तए वा ताहे अकामए चेव सुभदए निक्खमणं अनुमण्णित्था तए णं से भद्दे सत्थवाहे विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेइ मित्त नाइ-जाव आमंतेइ तओ पच्छा भोयणवेलाए जाव मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियण विपुलेणं असणपाण-खाइम-साइमेणं धूव-पुप्फ-वत्थगंध-मल्लालंकारेण य सक्कारेइ सम्माणेइ सुभई सत्थवाहिण्हायं जाव पायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरुहेइ तए णं से भद्दे सत्यवाहे मित्त-जाव परियणेण सद्धिं संपरिखुडे सव्विड्ढीए जाव दुंदुहि-निग्घोसणाइयवरवेणं वाणारसीनयरीए मझमज्झेणं जेणेव २ सुव्वयाणे अज्जाणं उवस्सए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता पुरिसंसहस्स - वाहिणिं सीयं ठवेइ सुभई सत्थवाहिं सीयाओ पच्चोरुहेइ तए णं भद्दे सत्थवाहे सुभई 9 . . .-..-.-.-.-.-.-.-.-.--.-eneray 99995555555555555fool Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XK6666666 (२१) पुप्फियाणं (४) बहुपुत्तिया [६] 五五五五五五五五五五五五五ESTOK सत्थवाहिं पुरओ काउं जेणेव सुव्वया अज्जा तेणेव उवागच्छइ जाव नमंसित्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया सुभद्दा सत्यवाही मम भारिया इट्ठा कंता जाव मा णं वाइया पित्तिया सिभिया सण्णिवाइया विविहा रोगायंका फुसंतु एस णं देवाणुप्पिया संसारभउव्विग्गा भीया जम्मणमरणाणं देवाणुप्पियाणं अंतिए ० पव्वयाइ तं एवं अहं देवाप्पियाणं सीसिणिभिक्खं दलयामि पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया सीसिणिभिक्खं अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंध करेहि तए णं सा सुभद्दा सत्यवाही सुव्वयाहिं अज्जाहिं एवं वृत्ता समाणी हट्टतुट्ठा उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ अवक्कमित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ करेत्ता जेणेव सुव्वयाओ अज्जाओ तेणेव उवागच्छइ जाव नमंसित्ता एवं वयासी आलित्ते णं अज्जा लोए जहा देवाणंदा तहा पव्वइया जाव अज्जा जायाइरियासमिया जाव गुत्तबंभयारिणी तए णं सा सुभद्दा अज्जा अण्णया कयाइ बहुजणस्स चेडरुवेसु मुच्छिया जाव अज्झोववण्णा अब्भंगणं च उव्वटणं च फासुयपाणं च अलगत्तंग च कंकणाणि य अंजणं च वण्णगं च चुण्णगं च खेल्लणगाणि य खज्जल्लगाणि य खीरं च पुप्फाणि य गवेसइ गवेसित्ता बहुजणस्स दारए य जाव डिभियाओ य अप्पेगइयाओ अब्भंगेइ जाव ण्हावेइ अप्पेगइयाणं पाए रयइ अप्पेगइयाणं ओट्ठे रयइ अप्पेगइयाणं अच्छीणि अंजेइ अप्पेगइयाणं उसुए करेइ अप्पेगइयाणं तिलए करेइ अप्पेगइ-याओ दिगिंदलइ करेइ अप्पेगइयाणं पंतियाओ करेइ अप्पेगइयाइं छिज्जाई करेइ अप्पेगइया वण्ण-एणं समालभइ अप्पेगइया चुण्णएणं समालभइ अप्पेगइयाणं खेल्लणगाई दलयइ अप्पेगइयाणं खज्जलगाई दलयइ अप्पेगइयाओ खीरभोयणं भुंजावेइ अप्पेगइयाणं पुप्फाई ओ अप्पेगइयाओ पाएसु ठवेइ अप्पेगइयाओ जंघासु ठवेइ एवं ऊरुसु उच्छंगे कडीए पिट्ठीए पिट्टे उरसि खंधे सीसे य करयलपुडेणं गहाय हलउलेमाणी-हलउलेमाणी आगायमाणी आयायमाणी परिगायमाणी - परि-गायमाणी पुत्तपिवासं च धूयपिवासं च नत्तुयपिवासं च नत्तिपिवासं च पच्चणुभवमाणी विहरइ तए णं तओ सुव्वयाओ अज्जाओ सुभदं अज्जं एवं वयासी- अम्हे णं देवाणुप्पिए समणीओ निग्गंधीओ इरियासमियाओ जाव गुत्तबंभयारिणीओ नो खलु अम्हं कप्पइ धाइकम्मं करेत्तुए तुमं देवाप्पिए बहुजणस्स चेडरुवेसु मुच्छिया जाव नत्तिपिवासं वा पच्चणुभवमाणी विहरसि तं णं तुमं देवाणुप्पिए एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पायच्छित्तं पडिवज्जाहि तए णं सा सुभद्दा अज्जा सुव्वयाणं अज्जाणं एयमहं नो आढाइ नो परिजाणइ अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी विहरइ तए णं ताओ समणीओ निग्गंथीओ सुभद्दं अज्जं हीलेतिं अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी विहरइ तए णं ताओ समणीओ निग्गंधीओ सुभद्दं अज्जं हीलेति निदंति खिंसंति गरहंति अभिक्खणं-अभिक्खिणं एयमहं निवारंति तए णं तीसे सुभद्दाए अज्जाए समणीहिं निग्गंधीहिं हीलिज्जमामीए जाव अभिक्खणं अभिक्खणं एयमहं निवारिज्जमाणीए अयमेयारुवे ० संकप्पे समुप्पज्जित्था - जया णं अहं अगारवासं आवासामि तया णं अहं अप्पवसा जप्पभिरं च णं अहं ० पव्वइया तप्पभिडं च णं अहं परवसा पुव्विं च मम समणीओ निग्गंधीओ आढेति परिजाणेति इयाणिं ना आढेति नो परिजाणंति तं सेयं खलु मे कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलंते सुव्वयाणं अज्जाणं अंतियाओ पडिनिक्खमित्ता पाडिएक्कं उवस्सयं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं पाउप्प-भायए रयणीए जाव उपसंपज्जित्ता णं विहरइ तए णं सा सुभद्दा अज्जा अज्जाहिं अणोहट्टिया अणिवारिया सच्छंदमई बहुजणस्स चेडरुवेसु मुच्छिया जाव अब्भगणं च जाव नत्तिपिवासं च पच्चणभवमाणी विहरइ तए णं सा सुभद्दा अज्जा पासत्था पासत्थविहारी ओसण्णा ओसण्णविहारी कुसीला कुसीलविहारी संसत्ता संसत्तविहारी अहाछंदा अहाछंदविहारी बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स अणालोइय अपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तियाविमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूसंतरिया अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेत्ताए ओगाहणाए बहुपुत्तियदेवित्ताए उववण्णा तए णं सा बहुपुत्तिया देवी अहुणोववण्णमेत्ता समाणी पंचविहए पज्जत्तीए जाव भासमणअभिसमण्णागर से केणद्वेणं भंते एवं वुच्चइ - बहुपुत्तिया देवी बहुपुत्तिया देवी गोमा बहुपुत्तिया णं देवा जाहे-जाहे सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो उवत्थाणियं करेइ ताहे-ताहे बहवे दारए य जाव डिभियाओ य विउव्वइ विउव्वित्ता जेणेव सक्के देविदे देवराया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो दिव्वं देविडिंढ दिव्वं देवज्जुनं दिव्वं देवाणुभावं उवदंसेइ से तेणद्वेणं गोयमा एवं वुच्चइMOTOR श्री आगमगुणमंजूषा - १२७६ ॐ ॐ Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FROLO555555555555555 (२१) पुफियाणं (४) बहुपुत्तिया [] 听听听听听听听听听听听听听听听老总 155555FFODog 步步贝乐乐明明明明明明明 बहुपुत्तिया देवी बहुपुत्तिया देवी, बहुपुत्तियाएणं देवीए चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता, बहुपुत्तिया णं भंदे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता कहिंगच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिइगोयमा इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विंझगिरिपायमूले विभेलसण्णिवेसे माहण-कुलंसि दारियत्ताए पच्चायाहिए तए णं तीसे दारियाए अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइक्कंते निवत्ते असुइजाकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे अयमेयारुवं नामधेनं करेहिति-होउ णं अम्हं इमीसे दारियाए नामधेनं सोमा तए णं सा सोमा उम्मुक्कबालभावा विण्णय-परिणयमेत्ता जोव्वणगमणुप्पत्ता रुवेणं य जोव्वणेणं य लावण्णेय उकिकट्ठा उकिकट्ठसरीरा विभविस्सइतएणं तं सोमंदारियं अम्मापियरो उम्मुक्कबालभावं विण्णय-परिणयमेत्तं जोव्वणगमणुप्पत्तं पडिरुविएणं सुकेणं पडिविएणं य विणएणं नियगस्स भाइणेज्जस्स रट्टकूडस्स भारियत्ताए दलइस्संति साणं भारिया भविस्सइ-इट्ठा कंता जाव भंडकरंडगसमाणा तेल्लकेला इव सुसंगोविया चेलपेला इव सुसंपरिहिया रयणकरंडगो विव सुसारक्खिया सुसंगोविया मा णं सीयं जाव विविहा रोयायंका फुसंतु तए णं सा सोमा माहणी रट्ठकूडेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणी संवच्छरे-सवंच्छरे जुयलंग पयायमाणी सोलसेहिं संवच्छरेहिं बत्तीसं दारगरुवे पयाहिइ तए णं सा सोमा माहणी तेहिं बहूहिं दाहगेहि य जाव डिभियाहि य9 अप्पेगइएहिं उत्ताणसेज्जएहिं अप्पेगइएहिं थणपाएहि अप्पेगइहिं पीइग-पाएहिं अप्पेगइएहिं परंगणएहिं अप्पेगइएहिं परक्कममाणेहिं अप्पेगइएहिं पक्खेलणेहिं अप्पेगइएहिं थणं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं खीरं मग्गमाणेहि अप्पेगइएहिं तेल्लं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं खेल्लणयं मग्गमाणेहि अप्पेगइएहिं खज्जगं मग्गमाणेहिं अप्पेगइएहिं कूरं मग्गमाणेहि अप्पेगएहिं पाणियं मग्गमाणेहि अप्पेगइएहिं हसमाणेहि अप्पेगइएहिं हणमाणेहिं अप्पेगइएहिं हम्ममाणेहि अप्पेगइएहिं विप्पलायमाणेहिं अप्पेगइएहिं अणुगम्ममाणेहि अप्पेगइएहिं रोयमाणेहि अप्पेगइहिं कंदमाणेहिं अप्पेगइएहिं विलवमाणेहिं अप्पेगइएहिं कूवमाणेहिं अप्पेगइहिं कक्वमाणेहि अप्पेगइएहिं निद्दायमाणेहिं अप्पेगइएहिं पलवमाणेहि अप्पेगइहिं हदमाणेहि अप्पेगइएहिं वममाणेहि अप्पेगइहिं छेरमाणेहिं अप्पेगइएहिं मुत्तमाणेहिं मुत्त-पुरिस-वमियसुलित्तोवलित्ता मइलवसणपोच्चडा असुइबीभच्छा परमदुग्गंधा नो संचाएहिए रट्ठकूडेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणी विहरत्तिए तए णं तीसे सोमाए माहणीए अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि जाव संकप्पे समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं इमेहिं बहूहिं दारगेहिं यजाव डिभियाहि य अप्पेगइएहिं उत्ताणसेज्जएहिं जाव अप्पेगइएहिं मुत्तमाणेहिं दुज्जाएहिं दुज्जम्मएहिं हयविप्पहयभग्गेहिं एगप्पहारपडिएहिं जेणं मुत्त-पुरीस-वमिय-सुलित्तोवलित्ता जाव परमदुग्गंधा नो संचाएमि रट्ठकूडेणं सद्धिं जाव विहरित्तए तं धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव सुलद्धे णं तासिं अम्मयाणं मणुए जम्मजीवियफले जाओ णं वंझाओ अवियाउरियाओ जाणुकोप्परमायाओ सुरभिसुगंधगंधियाओ विउलाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणीओ विहरंति अहं णं अधण्णा अपुण्णा जाव विहरित्तए तेणं कालेणं तेणं समएणं सुव्वयाओ नाम अज्जाओ इरियासमियाओ जाव बहुपरिवराओ पुव्वाणुपुव्विं चरमाणीओ ० विभेले सण्णिवेसे उवागच्छंति उवागच्छित्ता अहापडिरुवं ओग्गहं जाव विहरंति तए णं तासिं सुळ्याणं अजाणं एगे संघाडए विभेले सण्णिवेसे उच्च-नीय-जाव अडमाणे रट्टकूडस्स गिहं अनुपविढे तए णं सा सोमा माहणी ताओ अज्जाओ एज्जमाणीओ पासइ पासित्ता हट्ठा खिप्पामेव आसणाओ अब्भुढेइ अब्बुढेत्ता सत्ताट्ठपयाइं अनुगच्छइ जाव पडिलाभेत्ता एवं वयासी-एवं खलु अहं # अज्जाओ रट्ठकूडेणं सद्धिं ० सोलसहिं संवच्छरेहिं बत्तीसं दारगरुवे पयाया तए णं अहं तेहिं बहूहिं दारएहि य जाव डिभियाहि य अप्पेगइएहिं उत्ताणसेज्जएहिं जाव मुत्तमाणेहिं दुज्जाएहिं जाव नो संचाएमि विहरित्तए तं इच्छामि णं अहं अज्जाओ तुम्हं अंतिए धम्म निसामेत्तए ते णं ताओ अज्जाओ सोमाए माहणीए विचित्तं ॥ केवविपन्नत्तं धम्म परिकहेतिं तए णं सा सोमा माहणी तासिं अज्जाणं अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठ जाव एवं वयासी-सद्दहामि णं अज्जाओ निग्गंथं पावयणं जाव अन्भुढेमि णं अज्जाओ निग्गंथं पावयणं एवमेयं अज्जाओ जाव से जहेयं तुब्भे वयह जं नवरं-अज्जाओ रट्टकूडं आपुच्छामि तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए ० पव्वयामि अहासुहं देवाणुप्पिए मा पडिबंध, तएणं सा सोमा माहणी ताओ अज्जाओ वंदइ जाव पडिविसज्जेइ तए णं सा सोमा माहणी जेणेव रट्टकूडे तेणेव उवागया जाव एवं क्यासी-एवं खलु मए देवाणुप्पिया अज्जाणं अंतिए धम्मे निसंते से वि य णं धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिसईए तए णं अहं इच्छामि देवाणुप्पिया तु हिंदी SO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩乐乐听听听听听听听听听听玩明明明明明明明明 Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ NORO (२१) पुप्फियाण ४ बहुपुत्तिया ५ पुन्नभद्दे [2] downlodgol ...अणाया सुव्वाणं अज्जाणं अंतिए ० पव्वइत्तए तए णं से रट्टकूडे सोमं माहणिं एवं वयासी मा णं तुमं देवाणुप्पिए इयाणि मुंडा भवित्ता ० पव्वयाहि भुंजाहि तावदेवाप्पिएमए सद्धिं विउलाई भोगभोगाई तओ पच्छा भुत्तभोई सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए ० पव्वयाहि तए णं सा सोमा माहणी रट्ठकूडस्स एयमट्टं पडिसुणेइ तए णं सा सोमा माहणी पहाया जाव अप्पमहग्धाभरणालंकियसरीरा चोडि-वरचक्कवालपरिकिण्णा साओ गिहाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता विभेलं सण्णिवेसं मज्झमज्झेण जेणेव सुव्वयाणं अज्जाणं उवस्सए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सुव्वयाओ अज्जाओ वंदइ नमसइ पज्जुवासह तए णं ताओ सुव्खयाओ अज्जाओ सोमाए माहणी विचित्तं केवलिपन्नत्तं धम्म परिकर्हेति जहा जीवा बज्झंति जहा जीवा मुच्छंति तए ण सा सोमा माहणी सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए दुवालसविहं धम्मं पडिवज्जर पडिवज्जित्ता सुब्बयाओ अज्जाओ वंदइ जाव नमंसित्ता जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया तए णं सा सोमा माहणी समणोवासिया जाया- अभिगयजीवाजीवा जाव अप्पाणं भावेमाणी विहरइ तए णं ताओ सुव्वयाओ अज्जाओ अण्णया कयाइ विभेलाओ सण्णिवेसाओं पड़िनिक्खमंति पडनिमित्ता बहिया जणवयबिहारं विहरंति तए णं ताओ सुव्वयाओ अज्जाओ अण्णया कयाइ पुव्वाणुपुव्विं चरमाणीओ जाव विहरंति तए णं सा सोमा माहणी इमसे कहाए लखट्टा समाणी हट्टा पहाया तहेव निम्गया जाव वंदइ नमसइ वंदित्ता नर्मसित्ता धम्मं सोच्चा जाव जं नवरंरट्टकूडं आपुच्छामि तए णं पव्वयामि अहासुहं तए णं सा सोमा माहणी सुव्वयाओ अज्जाओ वंदइ जाव जेणेव सए गिहे जेणेव रट्ठकूड़े तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहिया तहेव आपुच्छइ जाव पत्त असुहं देवाणुप्पिए मा पडिबंध ते णं से रट्ठकूड़े विउलं असणं तहेव जहा पुव्वभवे सुभद्दा जाव अज्जा जाया इरियासमिया जाव गुत्तेबंभयारिणी तए णं सा सोमा अज्जा सुव्वाणं अज्जाणं अंतिए सामाइयमाझ्याई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ अहिज्जित्ता बहूहिं छट्ठमदस्म - दुवालसेहिं जाव भावेमाणी बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता सद्वि भत्ताई अणसणाए छेइत्ता आलोइय-पडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सामाणियदेवत्ताए उववज्जिहि तत्थ णं अत्थेमइयाणं देवाणं दो सागरोवमाई टिई पन्नत्ता तत्थ णं सोमस्सवि देवस्स दो सागरोवमा ठिई पन्नत्ता से णं भंते सोमे देवताओ देवलोगओ आउक्खएणं भवक्खएमा ठिक्खएणं चयं चता कहिं गच्छिहि कहिं उतवज्जिहिद गोयमा महाविदेहे वासे जाव अंतं 38 SEL एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महाबीरेण जाव सांपत्तेणं पुप्फियाणां चउत्यस्स अज्झयणस्स अयमट्टे पकते त्ति बेमि 181-8★★★ पंचम अज्झयाणंपुन्नभद्दे ★★★ ९) जइ णं भंदे समणेण भगवया महावीरेण उक्खेवओ एवं खलु जंबू तेणं कारणं तेणं समएणं सम्यगिहे नामं नवरे गुणसिलए चेइए सेणिए राखा. सामी समोसरिए परिसा निग्गया तेण कालेन तेणें समएणं पुन्नभद्दे देवे सोहम्मे कप्पे पुन्नभद्दे विमाणे समाप सुहम्माएं पुत्रमसि सीहासांसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहा सूरिया जाव बत्तीसइविहं नट्टविहिं उवदंसित्ता जाव जामेव दिसिं पाउब्भूएतामेव दिसिं पडिगए कूडागारसाला पुष्कम्भवपुच्छा एवं खलु गोयमा तेणं कालेणं तेणं समए इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे मणिवइया नाम नयरी होत्था- रिद्धत्थिमिय समिद्धा चंदोतारायाण चेइए तत्थ णं मणिवइयाए नयरीए पुन्नभद्दे नाम गाहावई. परिवसईअड्ढे तेणं कालेणं तेणं समएणं थेरा भगवंतो जाइसंपन्ना जाव जीवियास-मरणभय- विप्षमुक्का बहुस्सुया बहुपरियारा पुव्वाणुपुच्विं चरमाणा जाव समोसढा परिसा निम्गया तए णं से पुनभद्दे गाहावई इमीसे कहाए लट्ठे समाणे हट्ठतुट्ठे जाव जहा पन्नत्तीए गंगदते तहेव निग्गच्छइ जाव निक्खतो जाव गुत्तबंभयारी तए णं से पुन्नभद्दे अणगारे तहारुवाणा घराणं भगवंताणं अंतिए सामाइयमाझ्याई एक्कारस अंगाई अहिनइ अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ चट्ठट्ठम दसम - दुबालसेहिं नाव भावित्ता 'बहूई वासाई सामण्णपरियाम पाउणइ पाउणित्ता मासियाएं संलेहणाए अप्पाणं झोसेत्ता सट्टिं भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता आलोइय पडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासेकाल - किच्चा सोहम्मे कप्पे पुन्नभद्दे विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि जाव भासमणपज्जत्तीए पज्जत्तभावं गए एवं खलु गोयमा पुन्नभद्दे देवेणं सा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णा गया पुन्नभद्दस्स देवस्स दो सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता पुन्नभद्दे देवे ताओ देवलोगाओ ० महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं काहिए एवं खलु जंबू ॐॐॐॐॐॐॐॐ श्री आगमगुणमानूषा १२७८ Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ LOKO$$455555555555 (२१) पुफियाण अ. ५ पुन्नभद्दे, ६ मणिभद्दे ७-१० अज्झयण - [९] 5555555 5SOORY समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं निक्खेवओ० त्ति बेमि ।५। (२७)-५ ★★★ छटुं अज्झयणं-माणिभद्दे *** १०) जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं उक्खेवओ ० तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया सामी समोसरिए तेणं कालेणं तेणं समएणं माणिभद्दे देवे सभाए सुहम्माए माणिभदंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहा पुन्नभद्दो तहेव आगमणं नट्टविही पुव्वभवपुच्छा मणिवई नयरी माणिभद्दे गाहावई थेराणं अंतिए पव्वज्जा एक्कारस अंगाई अहिज्जइ बहूइं वासाइं परियाओ मासिया संलेहणा सट्ठि भत्ताइं माणिभद्दे विमाणे उववाओ दो सागरोवमाई ठिई महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ एवं खलु जंबु निक्खेवओ।६-११६-१***७-२०-अज्झयणाणि *** ११) एवं दत्ते सिवे बले अणाढिए सव्वे जहा पुन्नभद्दे देवे दो सागरोवमाई ठिई विमाणा देवसरिनामा पुव्वभवे दत्ते चंदणानामाए सिवे मिहिलाए बले हत्थिणपुरे नयरे अणाढिए काकंदीए चेइयाई-जहा संगहणीए ६। (२८)- पुप्फियाणं सम्मत्तं दसम उवंगं समत्तं CISCF乐乐乐乐明乐手乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐项乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明听乐乐乐HOTO CF听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$$5552KL mintesDemanannly S GnEducatch.inmolnational2010-03- 1 B . MurricucicineEEEEEEEEEEEEEEEERIEजी भाग www.anelibrary 15555555555555555555500 Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२२) पुप्फचूलियाणं अज्झयणं १-१० [3] *****xo सिरि उसहदेव सामिस्स णमो । सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो । नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर व सामिस्स। सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो । सिरि सुगुरु- देवाणं णमो । पुप्फचूलियाणं 555 एक्किारसमं उवंगं १-१० अज्झयणाणि १) जइ णं भंते समणेणं (भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं तइयस्स वग्गस्स पुप्फियाणं अयमठ्ठे पन्नत्ते चउत्थस्स णं भंते वग्गस्स पुप्फचूलियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं कइ अज्झयणा पन्नत्ता एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पुप्फचूलियाणं) दस अज्झयणा पन्नत्ता तं जहा - (१-१) (२९-१) २) सिरि-हिरि - धिइ कित्ति - बुद्धि-लच्छी य होइ बोद्धव्वा इलादेवी सुरादेवी रसदेवी गंधदेवी य ॥ १॥ ( ||४|| ) ३) जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेण जाव संपत्तेणं उवंगाणं चउत्थस्स वग्गस्स पुप्फचूलियाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता पढमस्स णं भंते (अज्झयणस्स पुप्फचूलियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पन्नत्ते) एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया सामी समोसाढे परिसा निग्गया तेणं कालेणं तेणं समएणं सिरिदेवी सोहम्मे कप्पे सिरिवडिंसए विमाणे समाए सुहम्माए सिरिवडिंसयंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं महत्तरियाहिं सपरिवाराहिं जहा बहुपुत्तिया जाव नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगया नवरं दारियाओ नत्थि पुव्वभवपुच्छा एवं खलु गोयमा तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए जियसत्तू राया तत्थ णं रायगिहे नयरे सुदंसणे नामं गाहावई परिवसई - अड्ढे तस्स णं सुदंसणस्स गाहावइस्स पिया नामं भारिया होत्थामालपाणिपाया तस्स णं सुदंसणस्स गाहावइस्स धूया पियाए गाहावइणीए अत्तया भूया नामं दारिया होत्था - वुड्ढा वुड्ढकुमारी जुण्णा जुण्णकुमारी पडियपुतत्थणी वरगपरिवज्जिया यावि होत्या, तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए जाव नवरयणिए वण्णओ सो चेव समोसरणं परिसा निगगया तए णं सा भूया दारिया इमीसे कहाए लखट्ठा समाणी हट्टतुट्ठ जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता एवं वयासी एवं खलु अम्मताओ पासे अरहा पुरिसादाणीए पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे जाव गणपरिवुडे विहरइ तं इच्छामि णं अम्मताओ तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणी पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्स पायवंदिया गमित्तए अहासु देवाणुप्पिएमा पडिबंधं तए णं सा भूया दारिया ण्हाया अप्पमहग्धाभरणालंकियसरीरा चेडीचक्कवालपरिकिण्णा साओ गिहाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता धम्मियं जाणप्पवरं दुरुढा तए णं सा भूया दारिया नियगपरिवारपरिवुडा रायगि नयरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता चेडीचक्कवालपरिकिण्णा जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ जाव पज्जुवासइ तए णं पासे अरहा पुरिसादाणी भूयाए दारियाए तीसे य महइमहालियाए परिसाए धम्मं परिकहेइ धम्मं सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठा वंदइ नमंसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी सद्दहामि णं भंते निग्गंथं पावयणं जाव अब्भुट्ठेमि णं भंते निग्गधं पावयणं से जहेयं तुब्भे वयह जं नवरं भंते अम्मापियरो आपुच्छामि तए णं अहं (देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं) पव्वयामि अहासुहं देवाणुप्पिए तए णं सा भूया दारिया तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ दुरुहित्ता जेणेव रायगिहे नयरे तेणेव उवागया रायगिहं नयरं मज्झंमज्झेणं जेणेव स गिहे तेणेव उवागया रहओ पच्चोरुहित्ता जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागया करयल (परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु ) जहा जमाली आपुच्छ अहासुहं देवाणुप्पिए तए णं से परियणं आमंतेइ आमंतेत्ता जाव जिमियभुत्तुत्तरकाले सुईभूए निक्खमणमाणेत्ता कोडुं बि-यपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया भूयाए दारियाए पुरिसस - हस्सवाहिणिं सीयं उवंट्ठवेह उवट्ठवेत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह तए णं ते कोडुंबियपुरिसा तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति तए णं से सुदंसणे गाहावई भूयं दारियं ण्हायं जाव सव्वालंकारवि-भूसियसरीरं पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरुहेइ दुरुहेत्ता मित-नाइ (नियग-सयण-संबंधि ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - १२८० Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२२) पुप्फचूलियाणं परियणेणं सद्धि संपरिवुडे सव्विड्ढीए जाव दुंदुहि निग्घोसणाइयरवेणं) रायगिहं नयरं मज्झमज्झेणं जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव उवागए छत्तातीए तित्थयरातिसए पासइ पासित्ता सीयं ठवेइ ठवेत्ता भूयं दारियं सीयाओ पच्चोरुहेइ तए णं तं भूयं दारियं अम्मापियरो पुरओ काउं जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागया तिक्खुत्तो वंदंति नमंसंति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया भूया दारिया अम्हं धूया इट्ठा एस णं देवाणुप्पिया संसारभउव्विग्गा भीया जम्मणमरणाणं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयाइ तं एयं णं देवाणुप्पिया सिस्सिणीभिक्खं दलयामो पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया सिस्सिणिभिक्खं अहासुहं देवाणुप्पिया तए णं सा भूया दारिया पासेणं अरहा एवं वुत्ता समाणी हट्टतुट्ठा उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमई अवक्कमित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओइ जहा देवाणंदा पुप्फचूलाणं अंतिए जाव गुत्तबंभयारिणी तए णं सा भूया अज्जा अण्णया कयाइ सरीरबा ओसिया जाया यावि होत्था-अभिक्खणं अभिक्खणं हत्थे धोवइ पाए धोवइ सीसं धोवइ मुहं धोवइ थणगंतराई धोवइ कक्खंतराई धोवइ गुज्झंतराइं धोवइ जत्थ जत्थ वि य णं ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेइए तत्थ-तत्थ वि य णं पुव्वामेव पाणएणं अब्भुक्खेइ तओ पच्छा ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेएइ तए णं ताओ पुप्फचूलाओ अज्जाओ भूयं अज्जं एवं वयासी-अम्हे णं देवाणुप्पिए समणीओ निग्गंथीओ इरियासमियाओ जाव गुत्तबंभयारिणीओ नो खलु कप्पइ अम्हं सरीरबाओसियाणं होत्तए तुमं च णं देवाणुप्पिए सरीरबाओसिया अभिक्खणं अभिक्खणं हत्थे धोवसि जाव निसीहियं चेएसिं तं णं तुमं देवाणुप्पिए एयस्स ठाणस्स आलोएहिं सेसं जहा सुभद्दाए जाव पाडिएककं उवस्सयं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ तए णं सा भूया अज्जा अणोहट्टिया अणिवारिया सच्छंदमइ अभिक्खणं अभिक्खणं हत्थे धोवइ जाव निसीहियं वा चेएइ एणं सा भू अज्जा बहूहिं चउत्थ छट्ठ - (ट्ठम- दसम दुवालसेहिं मासद्ध-मासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणी) बहूइं वासाई सामण्णपरियागं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सिरिवडेंसए विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि (देवदूसंतरिया अंगुल असंखेज्जइभागमेत्ताए) ओगाहणए सिरिदेवित्ताए उववण्णा पंचविहाए पज्जत्तीए जाव भासमणपज्जत्तीए पज्जत्तभावं गया एवं खलु गोयमा सिरीए देवीए एसा दिव्वा देविड्ढी लद्धा पत्ता ठिई एगं पलिओवमं सिरी णं भंते देवी (ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खणं ठिइक्खएणं अनंतरं चरं चइत्ता) कहिं गच्छहि कि उववज्जिहि गोयमा महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ एवं खलु जंबू (समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पुप्फचूलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते बेमि) एवं सेसाणवि नवण्हं भाणियव्वं सरिनामा विमाणा सोहम्मे कप्पे पुव्वभवे नयरचेइयपियमाईणं अप्पणो य नामाई जहा संगहणीए सव्वा पासस्स अंतिए निक्खता पुप्फचूलाणं सिस्सिणीयाओ सरीरबाउसियाओ सव्वाओ अनंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे सिज्झिर्हिति । १ । (२९) एक्कारसमं उवंगं समत्तं पुप्फचूलियाणं समत्तं KGRO 5 श्री आशमा 1973 [२] KEROR Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 025%%%%%%%%%岁男男 (२३) वण्हिदसाणं १-१२ अज्झयणं [१] G虽听听听听听听听听听听听听听听乐 OTG乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听纸明6C视 सिरि उसहदेव सामिस्स णमो। सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो। नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो । सिरि सुगुरु - देवाणं णमो । वण्हिदसाणं बारसमं उवंगं पढमं अज्झयणं-निसढे ★★★१) जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं चउत्थस्स वग्गस्स पुप्फचूलियाणं अयमढे पन्नत्ते पंचमस्स णं है भंते वग्गस्स उवंगाणं वण्हिदसाणं ० दुवालस अज्झयणा पन्नत्ता तं जहा - ।१-१। - (३०-१) २) निसढे मायणि-वह-वहे पगया जुत्ती दसरहे दढरहे य महाधणू सत्तधणू दसधणू नामे सयधणू य ॥१॥ ॥५॥) ३) जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं पंचमस्स वग्गसस् वण्हिदसाणं दुवालस अज्झयणा पन्नत्ता पढमस्स णं भंते उक्खेवओ ० एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं बारवई नाम नयरी होत्था-दुवालस-जोयणायामा नवजोयणवित्थिण्णा नाव पच्चक्खं देवलोयभूया पासादीया दरिस-णिज्जा अभिरुवा पडिरुवा तीसे णं बारवईए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए एत्थ णं रेवतए नामं पव्वए होत्था-तुंगे गगणतलमणुलिहंतसिहरे नाणाविहरुक्ख-गुच्छ-गुम्म-लया-वल्ली-परिगया-भिरामे हंस-मिय-मयूर-कोंच-सारस-चक्कवाग-मदणसालाकोइलकुलोववेए तड-कडग-विवर-उज्झर-पवात-पन्भारसिहरपउरे अच्छरण-देव-संघ-विज्जाहरमिहुणसंनिचित्ते निच्चच्छणए दसार-वर-वीरपुरिसतेल्लोक्कबलवगाणं सोमे सुभए पियदंसणे सुरुवे पासादीए जाव पडिरुवे तस्स णं रेवयगस्स पव्वयस्स अदूरसामंते एत्थ णं नंदनवने नाम उज्जाणे होत्थासव्वोउय पुप्फ जाव पडिरुवे तत्थ णं नंदनवने उज्जाणे सुरप्पिए नामं जक्खस्स जक्खाययणे होत्था-चिराईए जाव बहुजणो आगम्म अच्चेइ सुरप्पियं जक्खाययणं से णं सुरप्पिए जक्खायणे एगेणं महया वनसंडेणं सव्वओ संमता संपरिक्खित्ते जहा पुन्नभद्दे जाव पुढविसिल्लावट्टए तत्थ णं बारवईए कण्हे नामं वासुदेवे राया होत्था जाव रज्जं पसासेमाणे विहरइ से णं तत्थ समुद्दविजयपामोक्खाणं दसण्हंदसाराणं बलदेवपामोक्खाणं पंचण्हमहावीराणं उग्गसेणपामोक्खाणं सोलसण्हराईसाहस्सीणं पज्जुण्णपामोक्खाणं पंचण्हमहावीराणं उग्गसेणपामोक्खाणं सोलसण्हराईसाहस्सीणं पज्जुण्णपामोक्खाणं अद्भुट्ठाणं कुमारकोडीणं संबपामोक्खाणं सट्ठीएदुद्दतसाहस्सीणं वीरसेणपामोक्खाणं एक्कवीसाएवीरसाहस्सीणं रुप्पिणिपामोक्खाणं सोलसण्हदेवीसाहस्सीणं अणंगसेणापामोक्खाणं गणिया-साहस्सीणं अण्णेसिंच बहूणं राईसर वेयड्ढगिरिसागरमेरागस्स दाहिणड्ढभरहस्स आहेवच्चं जाव विहरइ तत्थ णं बारवईए नयरीए बलदेवे नामं राया होत्था-महयाहिमवंत-महंत-मलय-महिंदसारे जाव रज्जं पसासेमाणे विहरइ तस्स णं बलदेवस्स रण्णो रेवई नामं देवी होत्था-सूमालपाणिपाया जाव विहरइ तए णं सा रेवई देवी अन्नया कयाइ तंसि तारसगंसि सयणिज्जसि जाव सीहं सुमिणे पासित्ता णं पुडिबुद्धा एवं सुमिणदंसणपरिकहणं कलाओ जहा महाबलस्स पन्नासओ दाओ पन्नासं रायवरकण्णगाणं एगदिवसेणं पाणिग्गहणं नवरं-निसढे नामं जाव उप्पिं पासाए विहरए तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठनेमी आइगरे दसधणूई वण्णओ जाव समोसरिए परिसा निग्गया तए णं से कण्हे वासुदेवे इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हट्टतुढे कोडुंबियपुरिसं सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया सभाए सुहम्माए सामुदाणियं भेरिं तालेहिं तए णं से कोडुंबियपुरिसे जाव वयणं पडिसुणित्ता जेणेव सभाए सुहम्माए सामुदाणिया मेरी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सामुदाणियं भेरि महया-महया सद्देणं तालेइ तए णं तीसे सामुदाणियाए भेरीए महया-महया सद्देणं तालियाए समाणीए समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा देवीओ भाणियव्वाओ जाव अणंगगेणापामोक्खा अणेगा गणियासहस्सा अण्णे य बहवे राईसर जाव सत्थवाहप्पभिइओ ण्हाया ० पायच्छित्ता-सव्वालंकारविभूसिया जहाविभवइड्ढीसक्कारसमुद्दएणं अप्पेगइया हयगया जाव पुरिसवग्गरापरिक्खित्ता जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छंति जाव वद्धाति तएणं से खण्हे वासुदेवे कोडुबियपुरिसे एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया आभिसेक्कहत्थिं कप्पेह हय-गय-रह-जाव पच्चप्पिणणंति तए णं SOF明明听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 WORKO8955555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१२८२55555555555555555555EOPOR Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३) वहिदसाणं [२] ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ से कण्हे वासुदेवे जेणेव मज्जणघरे जाव दुरुढे अट्ठट्ठ मंगलगा जहा कूणिए सेयवरचामरेहिं उद्धव्वमाणेहिं- उद्धव्वमाणेहिं समुद्दविजयपामोक्खेहिं दसहिं दसारेहिं जाव सत्थवाहप्पभिईहि सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्ढीए जाव दुंदहिं निग्घोसणाइवरवेणं नयरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ सेसं जहा कूणिओ जाव पज्जुवासइ तए णं तस्स निसदस्स कुमारस्स उप्पिं पासायवरगयस्सं तं महया जणसद्दं च जहा जमाली जाव धम्मं सोच्चा निसम्मं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी सहामि णं भंते निग्गंथं पावयणं जहा चित्तो जाव सावगधम्मं पडिवज्जइ पडिवज्जित्ता पडिगए तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहओ अरिट्टनेमिस्स अंतेवासी वरदत्ते नाम अणगारे उराले जाव विहरइ तए णं से वरदत्ते अणगारे निसढं कुमारं पासइ पासित्ता जायसड्ढे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी अहो णं भंते निसढे कुमारे इट्ठे जाव सोमे सोमरुवे पियंदसणे सुरुवे, निसढेणं भंते कुमारेणं अयमेयारुवा मणुयइड्ढी किण्णा लद्धा किण्णा पत्ता पुच्छा जहा सूरियाभस्स एवं खलु वरदत्ता तेणं काणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे रोहीडए नामं नयरे होत्था - रिद्धत्थिमिय- समिद्धे मेहवण्णे उज्जाणे मणिदत्तस्स जक्खस्स जक्खाययणे तत्थ णं रोहीड नयरे महब्बले नामं राया पउमावई नामं देवी अण्णया मणिदत्तस्स जक्खस्स जंक्खाययणे तत्थ णं रोहीडए नयरे महब्बले नामं राया पउमावई नामं देवी अण्णा या तंसितारसगंसि सयणिज्नंसि सीहे सुमिणे एवं जम्मणं भाणियव्वं जहा महाबलस्स नवरं वीरंगओ नामं बत्तीसओ दाओ बत्तीसाए रायवरकण्णगाणं पाणि जाव उवगिज्जमाणे उवगिज्जमाणे पाउस - वरिसारत सरय- जाव पव्वंसे छप्पि उऊ जहावि भवेणं भुंजमाणे- भुंजमाणे कालं गालेमाणे इट्ठे जाव विहरइ तेणं कालेणं तेणं समएणं सिद्धत्य नाम आयारिया जाइसंपन्ना जहा केसी नवरं बहुस्सुया बहुपरियारा जेणेवे रोहीडए नयरे जेणेव मेहवण्णे उज्जाणे जेणेव मणिदत्तस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागया अहापडिरुवं जाव विहरंति परिसा निग्गया तए णं तस्स वीरंगयस्स कुमारस्स उप्पिं पासायवरगयस्स तं महया जणसद्दं जहा जमाली निग्गओ धम्मं सोच्चा जं नवरं - देवाणुप्पिया अम्मापियरो आपुच्छामि जहा जमाली तहेव निक्खंतो जाव अणगारे जाए जाव गुत्तबंभयारी तए णं से वीरंगए अणगारे सिद्धत्थाणं आयरियाणं अंतिए सामाइयमाइयाई जाव एक्कारस अंगाई अहिज्जइ बहूहिं चउत्थ जाव भावेमाणे बहुपडिपुन्नाइं पणयालीसं वासाइं सामण्ण-परियागं पाउणित्ता दोमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता सवीसं भत्तसयं अणसणाए छेइत्ता आलोइय-पडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा भलोए कप्पे मणोरमे विमाणे देवत्ताए उववण्णे तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दससागरोवमाई ठिई तत्थ णं वीरंगयस्स देवस्स दससागरोवमानं ठिई से णं वीरंगए देवे ताओ देवलगाओ आउक्खएणं जाव अनंतरं चयं चइत्ता इहेव बारवईए नयरीए बलदेवस्स रण्णो रेवईए देवीए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववण्णे तए णं सा रेवई देवी तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि सुमिणदंसणं जाव उप्पिं पासायवरगए विहरइ तं एवं खलु वरदत्ता निसढेणं कुमारेणं अयमेयारुवा उराला मणुयइड्ढी लद्धा पत्ता अभिसणाया पभू णं भंते निसढेकुमारे देवाणुप्पियाणं अंतिए ० पव्वइत्तए हंता पभू से एवं भंते से एवं भंते वरदत्ते अणगारे जाव भावेमाणे विहरइ तए णं अरहा अरिट्ठनेमी कयाइ बारवईओ नयरीओ जाव बहिया जणवयविहारं विहरइ तए णं से निसढे कुमारे समणोवासए जाए - अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ तए णं से निसढे कुमारे अण्णया कयाइ जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता जाव दब्भसंथारोवगए विहरइ तए णं तस्स निसढस्स कुमारस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारुवे समुप्पज्जित्था तं धण्णा णं ते गामागार जाव सण्णिवेसा जत्थ णं अरहा अरिट्ठनेमी विर धण्णा णं ते राईसर जाव सत्थवाहप्पभिइओ जे णं अरहं अरिट्ठनेमिं वंदंति जाव पज्जुवासंति तं जइ णं अरहा अरिट्ठनेमी पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्माणे नंदनवने विहरेज्जा तो णं अहं अरहं अरिट्ठनेमिं वंदिज्जा जाव पज्जुवासिज्जा तए णं अरहा अरिट्ठनेमी निसढस्स कुमारस्स अयमेयारुवं अज्झत्थियं जाव वियामित्ता अट्ठारसहिं समणसहस्सेहिं जाव नंदनवने उज्जाणे समोसढे परिसा निग्गया तए णं निसढेकुमारे इमीसे कहाए लट्ठे समाणे हट्ठतुट्ठे चाउग्धंटेणं आसरहेणं निए जहा जमाली जावं अम्मापियरो आपुच्छित्ता पव्वइए अणगारे जाए इरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी तए णं से निसढे अणगारे अरहओ अरिट्ठनेमिस्स तहारुवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एक्किारस अंगाई अहिज्जइ अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थं जाव भावेमाणे बहुपडिपुन्नाइ नव वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ Coom श्री आगमगुणमंजूषा १२८३ • Borsonal Line Of ww.jainelibrary Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ho$55555555 (23) वण्हिदसाणं [3] MORRO555 पाउणित्ता बायालीसं भत्ताइं अणसणाए छेएइ आलोइय-पडिक्कंते समाहिपत्ते आणुपुवीए कालगए तए णं से वरदत्ते अणगारे निसढं अणगारं कालगयं जाणित्ता जेणेव अरहा अरिट्ठनेमी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता जाव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी निसढे नाम अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए सेणं भंते निसढे अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववण्णे, वरदत्ता 0 सव्वट्ठसिद्धे वीमाणे देवत्ताए उववण्णे तत्थ णं 0 निसढस्स देवस्स तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता से णं भंते निसढे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं जाव अनंतरं चयं चइत्ता 0 इहेव जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वास उण्णाएं नयरे विसुद्धपिइमाइवंसे रायकुले पुत्तत्ताए पच्चायाहिइ सेणं उम्मुक्कबालभावे विण्णयपरिणयमेत्तेजोव्वणगणमणुप्पत्तेतहारुवाणं थेराणं अंतिए केवलबोहिं बुज्झिहिइ बुज्झिहित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वज्जिहिइ से णं तत्थ अणगारे भविस्सइ-इरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी से णं तत्थ बहूहिं० विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे बहूइं झूसेत्ता सढि भत्ताई अणसणाए छदेहिइ जस्सवाए कीरइ नग्गभावे मुंडभावे अण्हाणए अदंतवणए अच्छत्तए अणोवाहणए फलहसेज्जा कट्ठसेज्जा केसलोए बंभचेरवासे परधरवेसे पिंडवओ लद्धावलद्धे उच्चावया गामकंटगा अहियासिज्जति तमढें आराहेहिति आराहेत्ता चरिमेहिं उस्सासनिस्साहेहिं जाव सव्वदुक्खाणं अंतं काहिइ एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं निक्खेवओ 0 / 1-2 / (३०-२)२-१२-अज्झयणाणि 4) एवं सेसावि एक्कारस अज्झयणा नेयव्वा संगहणीअणुसारेणं एवं अहीण मइरित्तं एक्कारससुवि त्ति बेमि।१। (30) वण्हिदसाणं समत्तह बारसमं उवंगं समत्तंभ 明明明明明明明明明听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听乐乐乐乐乐明乐乐C 乐听听听听听听乐明明明明明明听听听听听听听听乐明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听FOTO ROYo5555555555$$$$ // श्री आगमगुणमंजूषा 128455555555555555555555555555OOR