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________________ (२१) पुष्फियाणं ३ सुक्के [३] ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसि अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसिं जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताणि अनुजाण - उत्तिक पुरत्थिमं दिसं पसरइ पसरित्ता जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताइं गेण्हइ गेण्हित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता किढिण-संकाइय ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ वड्ढेत्ता उवलेवणसमंज्जणं करेइ करेत्ता दब्भकलसहत्थगए जेणेव गंगा महानई तेणव उवागच्छइ उवागच्छित्ता गंगं महानई ओगाहइ ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ करेत्ता जलाभिसेयं करेइ करेत्ता जलकिड्डुं करेइ करेत्ता आयंते चोक्खे परमसुइभूए देवपिउकयकज्जे दब्भकलसहत्तगए गंगाओ महानईओ पच्चुत्तरइ पच्चुत्तरित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दब्भे य कुसे य वालुयाए य वेदिं रएइ रएत्ता सरयं करेइ करेत्ता अरणिं करेइ करेत्ता सरएणं अरणिं महेइ महेत्ता अग्गिं पाडेइ पाडेत्ता अग्गिं संधुक्केइ संधुक्केत्ता समिहाकट्टाणि पक्खिवइ पक्खिवित्ता अग्गिं ६) सकथं वक्कलं ठाणं सेज्जभंड कमंडलुं दंडदारु तहप्पाणं अहे ताई समाद ||२|| ( ||३||) - २७) महुणा य धएणं य तंदुलेहि य अग्गिं हुणइ चरुं साहेइ साहेत्ता बलिं वइस्सदेवं करेइ करेत्ता अतिहियपूयं करेइ करेत्ता तओ पच्छा अप्पणा आहारं आहारेई तए णं से सोमिले माहणरिसी दोच्चंछट्ठक्खमणपारणगंसि तं चैव सव्वं भाणियव्वं आहारं आहारेइइए णं तस्स सोमिलमाहणरिसिस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अणिच्चजागरियं जागरमाणस्स जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणरिसी अच्वंतमाहणकुलप्पसूए तए णं मए वयाई चिण्णाई जाव जूवा निक्खित्ता तए णं मए वाणारसीए जाव पुप्फारामा य रोवाविया तए णं म सुबहुं लोए कडाहकडुच्छयं तंबियं तावसभंडं धडावेत्ता विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेत्ता जाव जेट्ठपुत्तं कुटुंबे ठवेत्ता जाव जेट्ठपुत्तं आपुच्छित्ता सुबहु लोह जाव धडावेत्ता पव्वइए पव्वइए वि य णं समाणे छट्ठछद्वेणं जाव विहरिए तं सेयं खलु ममं इयाणि कल्लं पाउप्पभाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहसरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते बहवे तावसे दिट्ठभट्ठे य पुव्वसंगइए य परियायसंगइए य आपुच्छित्ता आसमसंसियाणि य बहूइं सत्तसयाइं अणुमाणइत्ता वागलवत्थनियत्तस्स किढिण-संकाइय-गहितग्गिहोत्त-संभंडो-वगरणस्स कट्ठमुद्दाए मुहं बंधित्तउत्तरदिसाए उत्तराभिमुहस्स महप्पत्थाणं पत्थाइत्तए एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ बंधित्ता अयमेयारुवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ जत्थेव णं अहं जलंसि वा थलंसि वा दुग्गंसि वा निन्नंसि वा पव्वयंसि वा विसमंसि वा गड्डाए वा दरीए वा पक्खलेज्ज वा पवडेज्ज वा नो खलु मे कप्पर पच्छुट्टित्तएत्तिकट्टु अयमेयारुवे अभिग्गहं अभिगिण्हइ उत्तराए दिसाए उत्तराभिमु महप्पत्थाणं पत्थिए तए णं से सोमिले माहणरिसी पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागए असोगवर पायवस्स अहे किढिय-संकाइयं ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ वड्ढेत्ता उवलेवणं-संमज्जणं करेइ करेत्ता दब्भकलसहत्थगए जेणेव गंगा महानई जहा सिवो जाव गंगाओ महानईओ पच्चुत्तरइ पच्चुतरित्ता जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दब्बेहि य कुसेहि य वालुयाए य वेदिं रएइ रएत्ता सरगं करेइ करेत्ता जाव बलिं वइस्सदेवं करेइ करेत्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ बंधित्ता तुसिणीए संचिट्ठइ तए णं से सोमिले तस्स देवस्स दोच्चंपि तच्वंपि एयमट्ठे नो आढाइ नो परिजाणइ जाव तुसिणीए संचिट्ठइ तए णं से देवे सोमिलेणं माहणरिसिणा अणाढाइज्जमाणे जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए तए णं से सोमिले कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठिम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिनयरे तेयसा जलंते वागलवत्थनियत्थे किढिण-संकाइय-गहियग्गिहोत्त-भंडोवगरणे कट्ठमुहाए मुहं बंधइ बंधित्ता उत्तराभिमुहे संपत्थिए तए णं से सोमिले बिइयदिवसम्मि पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव सत्तिवण्णे तेणेव उवगाए सत्तिवण्णस्स अहे किढिण-संकाइयं ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ जहा असोगवरपायवे जाव उग्गिं हुणइ कट्ठमुद्दाए मुहं बंदइ तुससिणीए संचिट्ठिइ तए णं तस्स सोमिलस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे अंतियं पाउब्भूए तए णं से देवे अंतलिक्खपडिवण्णे जहा असोगवरपायवे जाव पडिगए तए णं से सोमिले कल्लं पाउप्पभायाए जाव उत्तराभिमुहे संपत्थिए तए णं से सोमिले तइयदिवसम्मि पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स अहे किढिण-संकाइयं ठवेइ ठवेत्ता वेदिं वड्ढेइ जाव गंगाओ महानईओ पच्चुत्तराइ पच्चुत्तरित्ता जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता वेदिं रएइ रएत्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ बंधित्ता तुसिणीए संचिट्ठइ तए णं तस्स सोमिलस्स पुव्वरत्तावत्तका 五五五五五五五 5 श्री आगमगुणमंजूषा १२७३
SR No.003269
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunsagarsuri
PublisherJina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
Publication Year1999
Total Pages34
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, F000, F005, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size4 MB
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