Book Title: Aagam Manjusha 28 Painnagsuttam Mool 05 Tandulveyaliya
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [२८] तंदुलवेयालियं * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर M.Com.M.Ed., Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीदुलबैचारिकपकीर्णकम्-निजरियजरामरणं वंदित्ता जिाणवरं महावीर।वोच्छं पइन्नगमिणं तंदुलक्यालियं नाम॥१॥४४८॥सुणह गणिए दस दसा वाससयाउस्स जह विभज्जति। संक लिए(म योगसिए) वाससए जं चाऊ सेसर्य होइ॥२॥ जत्तियमिते दिवसे जत्तिय राई मुहुन ऊसासे । गम्भंमि वसइ जीवो आहारविहिं च वोच्छामि ॥३॥ (द्वारगाथा) (२२९) 1- ९१६ नन्दुलवैचारिक, 18/-१-३ मुनि दीपरत्नसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दोन्नि अहोरत्तसए संपुणे सत्तसत्तरि चेय। गर्भमि वसइ जीवो अद्धमहोरत्तमन्नं च ॥४॥ एए उ अहोरत्ता नियमा जीवस्स गम्भवासमि। हीणाहिया उइत्तो उवधायवसेण जायंति ॥५॥अट्ठ सहस्सा तिनि उसया मुहुत्ताण पण्णवीसा य। गम्भगओ वसइ जीवो नियमा हीणाहिया इत्तो॥६॥ तिन्नेव य कोडीओ पाउदस य हवंति सयसहस्साई। दस चेव सहस्साई दोनि सया पन्नवीसाय ॥७॥ उस्सासानिस्सासा इत्तिअमित्ता हवंति संकलिया। जीवस्स गम्भवासे नियमा हीणाहिआ इत्तो॥८॥आउसो :-इत्थीए नाभिहिट्ठा सिरादुर्ग पुष्फनालियागारं। तस्स य हिडा जोणी अहोमुहा संठिया कोसा ॥९॥ तस्स य हिट्ठा चूयस्स मंजरी वारिसा उमंसस्स। ते रिउकाले फुडिया सोणियलण्या चिमुचंति॥१०॥ कोसायारं जोणी संपत्ता सुकुमीसिया जइया। तइया जीवुवाए जोग्गा भणिया जिणिंदेहिं ॥१॥ वारस व मुहुत्ता उवरि विद्धंस गच्छई सा उ। जीवाणं परिसंसा लक्सपुहुत्तं च उस्कोसा ॥२॥ पणपण्णाय परेणं जोणी पमिलायए महिलियाण । पणसत्तरीय परओ वासेहि पुमं भवेऽवीओ ॥३॥ वाससयाउयमेयं परेण जा होइ पुषकोडीओ। तस्सदे अमिलाया सचाउयवीसभागो उ॥४॥ रत्तुक्कड़ा य इत्थी लक्सपुत्तं च वारस मुहत्ता । पिउसंख सयपुहुत्तं वारस वासा उ गम्भस्स ॥५॥ दाहिणकुच्छी पुरिसस्स होइ वामा उ इस्थियाए उ। उभयंतरं नपुंसं तिरिए अटेव वरिसाइं ॥६॥ इमो खलु जीवो अम्मापिउसंयोगे माऊओयं पिउसुकं तं तदुभयसंसर्ल्ड कलुस किविसं तप्पढमयाए आहारं आहारित्ता गम्भत्ताए क्कमह। १(२) सत्ताहं कललं होइ, सत्ताहं होइ अन्चुर्य । अन्चुया जायए पेसी, पेसीओपिघणं भवे ॥ ७॥ तो पढमे मासे करिसूर्ण पलं जायइ बीए मासे पेसी संजायए घणा नईए मासे माउए डोहलं जणे चउत्थे मासे माऊए अंगाई पीणेइ पंचमे मासे पंच पिडियाओ पाणिं पायं सिरं चेव निवत्तेइ छट्टे मासे पित्तसोणिय उवचिणेइ सत्तमे मासे सत्त सिरासयाई पंच पेसीसयाई नव घमणीओ नवनउयं च रोमकूपसयसहस्साई निवत्तह, विणा केसमंसुणा अबुहाओ रोमकूवकोडीउ निवत्तेइ, अट्ठमे मासे वित्तीकप्पो हवा । २। जीवस्स णं भंते ! गम्भगयस्स समाणस्स अस्थि उचाइ वा पासवणेइ वा खेलेर वा सिंघाणेइ वा तेइ वा०', णो इणढे समढे, से केणतुणं भंते ! एवं बुचइ-जीवस्स गभगयस्स समाणस्स नस्थि उचारेर वा जाव सोणिएइवा?, गो०! जीवे णं गभगए समाणे जं आहारमाहारेड त चिणाइ सोइंदियत्ताए बक्सु०पाणिदिजिभि कासिं० अहिअहिमिंजकसमसुरोमनहत्ताए, से एएणं अट्ठणं गो एवं बुबह-जीवस्स ण गभगयस्स समाणस्स नस्थि उच्चारेड वा जाव सोणिए वा।३। जीवे णं भंते ! गम्भगए समाणे पर मुहेणं कावलियं आहारं आहारित्तए', गो० नो इणडे समढे, से केणतुणं भंते ! एवं युबइ जीवेणं गम्भगए समाणे नो पर मुहेणं कावलियं आहारं आहारित्तए?, गो०! जीवेणं गभगए समाणे सघओ आहारेर सबओ परिणामेह साओ ऊससइ सब्बओ नीससह अभिक्खणं आहारेइ जाव अभिक्खणं नीससह आहब आहारेर जाव आहब निस्ससइ, से माउजीवरसहरणी पुत्तजीवरसहरणी, पुत्तजीवरसहरणी माउजीवपडिपदा पुत्तजीवं फुडा 9 तम्हा आहारेइ तम्हा परिणामेइ, अपराऽपि यण पुत्तजीवपडियद्धा माउजीवफुडा तम्हा चिणाइ तम्हा उवचिणाइ, से एएणं अद्वेणं गो० एवं पुच्चाह-जीवे णं गम्भगए समाणे नो पहू मुहेणं कावलियं आहारं आहारित्तए ।४। जीवेणं भंते ! गभगए समाणे किमाहारं आहारेइ ?, गो०! जं से माया नाणाविहाओ रसचिगईओ तित्तकदुकसायंबिलमदुराई दवाई आहारेइ तओ एगदेसेणं ओअमाहारेइ, तस्स फलविंटसरिसा उप्पलनालोवमा भवइ नाभी, रसहरणी जणणीए सयाइ नाभीए पडियदा नाभीए, ताओ गम्भो ओर्य आइयडू, अण्हयंतीए आयाए, तीए गम्भोऽवि बढ जाव जाउत्ति । ५करणं भंते ! माउअंगा पं०१,गो! तओ माउअंगा पं० त०.मसे सोणिए मत्थुलंगे, करणं भत! पिउअगा पार पिउअंगा पं० सं०- अढि अद्विमिंजा केसमंसुरोमनहा । ६। जीवेणं भंते! गभगए समाणे नरएसु उववजिजा', गो०! अत्यंगइए उक्वजिजा अत्वेगहए नो उक्वजिजा, से केणडेणं भंते! एवं बुचइ-जीवे णं गभगए समाणे नरएसु अस्थेगुइए उववजिजा अत्यंगइए नो उबवजिजा?, गो०! जे णं जीवे गम्भगए समाणे सन्नी पंचिदिए सबाहिं पजत्तीहिं पजत्तए बीरियलदीए विभंगनाणलदीए बेडविअलदीए, वेठबिलदिपत्ते पराणीअं आगयं सुचा निसम्म पएसे निच्छ्हइना बेउब्वियसमुन्धाएणं समोहणइत्ता चाउरंगिणि सेन्नं सन्नाहेइ त्ता पराणीएणं सदि संगाम संगामेइ, से ण जीवे अत्यकामए रज० भोग० काम अत्यलिए रजा भोग० काम अत्यपिवासिए रज. भोग काम तचित्ते तम्मणे तासे तबज्मबसिए तत्तिबावसाणे तयट्ठोषउत्ते तदप्पियकरणे सम्भावणाभाविए, एयंसिं चणं अंतरंसि कालं करिजा नेरइएमु उववजिजा, से एएणं अद्वेणं एवं पुचडू-गो० जीवे णं गभगए जीवेणं भंते ! गभगए समाणे देवलोएम उववजिजा.गो! अत्थेगडए उपय. अत्येनो उवव०. से केण. टेणं भने ! एवं युबइ अत्थे• जाप नो उपय०१, गो० जेणं जीवे गम्भगए समाणे सण्णी पंचिदिए सचाहिं पजत्तीहिं विउशियलदीए पीरियलबीए ओहिनाणलदीए तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमचि आयरियं धम्मियं सुवयणं सुच्चा निसम्म तओ से भवद तिवसंवेगसंजायसड्ढे तिवधम्माणुरायरने, से गं जीये धम्मकामए पुण्ण० सम्म ९१० नन्दुलवैचारिक, महा-7-२५ मुनि दीपरनसागर 12 PO4 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ バンザメショパン मुक्स्यः धम्मर्कखिए पुन्नः सम्गः मुक्ख धम्मपिवासिए पुन्नः सग्ग० मुक्ख०, तच्चित्ते जाव तम्भावणाभाषिए, एयंसि णं अंतरंसि कालं करिजा देवलोएस उववज्जिज्जा से एए अद्वेणं गोः! एवं युच्चइ-अत्थेगइए उववज्जिज्जा अत्थेगइए नो उववजिज्ञा । ८। जीवे णं भंते! गम्भगए समाणे उत्ताणए वा पासिलए अंबजाए वा अच्छिन वा चिट्टिज वा निसी - इज्ज वा तुयट्टिज वा आसन वा सइज्ज वा माऊए सुयमाणीए सुबह जागरमाणीए जागरइ सुहिआए सुहिओ भवइ दुहिआए दुखिओ भवइ ?, हंता गो० जीवे णं गब्भगए समा उत्तान वा जाव दुक्खआए दुक्खओ भवइ । ९ । थिरजायंपि हु रक्खइ सम्मं सारखई तओ जणणी संवाहई तुयहई रक्खड़ गन्भं च अप्पं च ॥ ८ ॥ अणुमुयइ सुयंतीए जागरमाणीए जागरइ गच्भो। सुहियाए होइ सुहिओ दुहिआए दुखिओ होइ ॥ ९ ॥ उच्चारे पासवणे खेले सिंघाणओऽवि से नत्थि । अद्विऽडिमिंजनहकेसमंसुरोमेसु परिणामो ॥२०॥ आहारो परिणामो उसासे तह य चैव नीसासो सङ्घपएसेसु भवई कवलाहारो य से नत्थि ॥ १ ॥ (प्र० एवं बुंदिमइगओ गब्भे संवसह दुक्खिओ जीवो। परमतमिसंधयारे अमेज्झभरिए पाएसंमि ॥ १ ॥) आउसो ! तओ नवमे मासे तीए वा पडुप्पन्ने वा अणागए वा चउन्हं माया अन्नयरं पयाय, तं० इत्थिं वा इत्थिरूणं पुरिसं वा पुरिसरुवेणं नपुंसगं वा नपुंसगरूणं विवं वा विंचरूवेणं 'अप्पं सुकं बहुं उउयं, इत्थीया तत्थ जायई। अप्पं उउयं बहुं सुकं, पुरिसो तत्थ जाय ॥ २ ॥ दुष्हंपि रत्तमुक्काणं, तुलभावे नपुंसओ। इत्थीओयसमाओगे, बिंबं (वा) तत्थ जायइ ॥ ३ ॥ १० ॥ अहव णं पसवणकालसमयंसि सीसेण वा पाएहिं वा आगच्छ संममागच्छइ, तिरियमागच्छइ विणिघायमाकजइ । ११ । 'कोई पुण पावकारी वारस संवछराई उक्कोसं अच्छइ उ गन्भवासे असुइप्पभवे असुइयंमि ॥ ४ ॥ जायमाणस्स जं दुक्खं, मरमाणस्स वा पुणो तेण दुक्खेण संमूढो, जाई सरइ नऽप्पणो ॥ ५ ॥ विस्सरसरं रसंतोअह सो जोणीमुहाउ निप्फिडइ माऊए अप्पणोऽवि य वेयणमडलं जणेमाणे ॥६॥ गम्भघरयम्मि जीवो कुंभीपागम्मि नरयसंकासे। बुच्छो अमिज्झमज्झे असुइप्पभवे असुइयंमि ॥७॥ पित्तस्स व सिंभस्स य सुकस्स य सोणियस्सऽविय मज्झे। मुत्तस्स पुरीसस्स य जायद जह बच्चकिमिउव ॥ ८॥ तं दाणिं सोयकरणं केरिसयं होइ तस्स जीवस्स ? । सुकरुहिरागराओ जम्मुप्पत्ती सरीरस्स ॥ ९ ॥ एयारिसे सरीरे कलमलभरिए अमिज्झसंभूए। निययं विगणितं सोयमयं केरिसं तस्स ? ॥ ३० ॥ आउसो ! एवं जायस्स जंतुस्स कमेण दस दसाओ एवमाहिजति तं बाला किड्डा मंदा बला य पना य हायणि पवंचा पब्भारा मुम्मुही सायणी य दसमा य कालदसा ॥ १ ॥ जायमित्तस्स जंतुस्स जा सा पढमिया दसा न तत्य भुंजिउं (जई) भोए, जड़ से अस्थि घरे भुवा ॥ २ ॥ बीयाए किड्डया नामं, जं नरो दसमस्सिओ किडारमणभावेण, दुलहं गमइ नरभवं ॥ ३ ॥ तईयाए मंदया नामं, जं० । मंदस्स मोहभावेण इत्थी भोगेहिं मुच्छिओ ॥ ४ ॥ ( प्र० न तत्थ सुहं दुक्खं वा बहुं जाणंति बालया ॥ १ ॥ विइयं च दसं पत्तो, नाणाकीलाहिं कीडई। न य से कामभोगेसु तिषा उप्पज्जई रई ॥ २ ॥ तइअं च दसं पत्तो, पंचयामगुणो नरो। समत्यो भुंजिउं भोए, जइ से अस्थि घरे धुवा ॥ ३ ॥ ) चउत्थी उ बलानाम, जं० । समत्यो बलं दरिसेउं, जइ सो भवे निरुवद्दवो ॥ ५ ॥ पंच तु दसं पत्तो, आणुपुडीइ जो नरो। समत्थोऽत्थं विचितेउं कुटुंबं चाभिगच्छ ॥ ६ ॥ छडी उ हायणी नाम, जं०। विरज्जई अ कामेसु. इंदिएस पहायई ॥ ७ ॥ सत्तमी य पचाउ, जं० । निभइ चिकणं खेलं, खासई य खणे खणे ॥ ८ ॥ संकुइ अवलीचम्मो, संपतो अडमिं दसं नारीणं च अणिडो य, जराए परिणामिओ ॥ ९ ॥ नवमी मुम्मुहीनाम, जं नरो दसमस्सिओ । जराघरे विणस्संते, जीवो क्सइ अकामओ ॥ ४० ॥ हीणभिनसरो दीणो, विवरीओ विरूवओ। दुब्बलो दुक्लिओ सुयइ, संपत्तो दसमिं दस ॥ १ ॥ दसगस्स उबक्वेवो वीसइवरिसाउ गिण्हई किज्जं भोगा य नीसगम्स य चन्नालीसस्स य विज्ञाणं ॥ २ ॥ पन्नासयस्स चक्खं हायइ सकियस्स बाहुबलं भोगा य सत्तरिस्स य असीययस्सा य वित्राणं ॥ ३ ॥ नउई नमइ सरीरं वाससए जीविअं पुणो चयइ । कित्तिओऽत्थ सुहो भागो दुहभागो य कित्तिओ १ ॥ ४ ॥ १२ ॥ जो वाससयं जीवइ, सुही भोगे य भुंजई तस्सावि सेवि सेओ, धम्मो य जिणदेसिओ ॥ ५ ॥ किं पृण सपचवाए, जो नरो निधदुक्लिओ सुदुयरं तेण कायो, धम्मो य जिणदेसिओ ॥ ६ ॥ नंदमाणो चरे धम्मं वरं मे लघुतरं भवे। अणंदमाणोवि चरे, मा मे पावतरं भवे ॥ ७॥ नवि जाई कुलं बावि, बिना वाचि सुसिखिया तारे नरं व नारिं वा सर्व्वं पुण्णेहिं बढई ॥ ८ ॥ पुण्णेहिं हायमाणेहिं, पुरिसगारोऽवि हायई। पुण्णेहिं बढमाणेहिं, पुरिसगारोऽवि बढई ||९|| पुण्णाई खलु आउसो किच्चाई करणिजाई पीड़कराई वन० घण० जस० कित्तिः, नो य खलु आउसो ! एवं चिंतेय एसति खलु बहवे समया आवलिया खणा आणापाणू थोवा लवा मुहुत्ता दिवसा अहोरना पक्खा मासा रिऊ अयणा संवच्छरा जुगा वाससया वाससहस्सा वाससयसहस्सा वासकोडीओ वासकोडाफोडीओ जब अम्हे बहूई सीलाई क्याई गुणाई वेरमणाई पञ्चकखाणाई पोसहोववासाई पडिवज्जिस्सामी पट्टविस्सामो करिस्सामो, ता किमत्थं आउसो ! नो एवं चिंतेयवं भवद्द ?, अंतराबहुले खल अयं जीविए, इमे य बहवे बाइयपित्तिअसिंभियसन्निवाइया विविहा रोगायंका फुसंति जीविअं । १३। आसी य खलु आउसो ! पुत्रिं मणुया ववगयरोगायका बहुवास्यस ९१८ तन्दुलवैचारिक, आदा- २५-२ मुनि दीपरत्नसागर కార్కీ స్టిప్పర్ లో Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्सजीविणो, त-जुयलधम्मिआ अरिहंता वा चरबट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा चारणा विजाहरा, ते ण मणुया अणतिवरसोमचाररूवा भोगुत्तमा भोगलक्खणधरा सुजायसवंगसुंदरंगा रतुष्पलपउमकरचरणकोमलंगलितला नगणगरमगरसागरचकंकरिंकलक्खणंकियतला सुपइडियकुम्मचारुचलणा अणुपुविसुजायपीवरंगुलिआ उन्नयतणुतंबनिधनहा संठि. असुसिलिगुढगुप्फा एणीकुरुविंदावत्तवट्टाणपविजंघा समुग्गनिमुम्गगूढजाणू गयससणसुजायसंनिभोरू बरवारणमत्ततुल्लविकमविलासियगई सुजायचरतुरयगुज्झदेसा आइनयन्त्र निस्वव्या पमहाअवरतुरंगसीहअइरेगवट्टियकडी साहअसोणंदमुसलदप्पणनिगरियवरकणगच्छरुसरिसवस्वहरवलियमज्झा गंगावत्नपयाहिणावनतरंगभंगररविकिरणतरुणवोहियाउकोसायंतपउमगभीरवियडनाभा उजुयसमसंहियमुजायजञ्चतणुकसिणनिदयाइजलडहसुकुमालमउयरमणिजरोमराई झसविहगसुजायपीणकुच्छी झसोयरा पम्हविअडनाभा संगयपासा समयपासा सुंदरपासा सुजायपासा मिअमाइयपीणरइयपासा अकरंडयकणगम्यगनिम्मलसुजायनिरुवहयदेहधारी पसत्यवत्तीसलक्खणधरा कणगसिलायकुजलपसन्थसमतल उवधिअविधिन्नपिङलबच्छा सिरिवच्छंकियवच्छा पुरवस्फलिवद्रियभुया भुयगीसरविउलभोगआयाणफलिहउच्छूढदीहवाह जुगसन्निभपीणरइअपीवरपउदृसंठियउबचियघणथिरसुबद्धमुवदृसुसिलिट्टपत्रसंधी रत्तनलोवचियमउयमंसलसुजायलावणपसत्थअच्छिद्दजालपाणी पीवरवट्टियसुजायकोमलवरंगुलिआ संवतलिणसुइहरनिदनक्खा चंदपाणिलेहा सूर० संख० चक्क सोथिअ ससिरविसंखचक्कसोस्थियसुविभत्तसुविरइयपाणिलेहा वरमहिसवराहसीहसदूलउसभनागवरविउल उन्नयतमक्खंधा चउरंगुलसुपमाणकंबुवरसरिसगीचा अबटि. असुविभन्नचित्तमंसू मंसलसंठियपसत्थसद्लविलहणुआ ओअवियसिलप्पबालविवफलसन्निभाधरुट्टा पंडुरससिसगलविमलनिम्मलसंखगोखीरकुंददगरयमुणालियाधवलदंतसेढी अखंडता अफ़डियः अविरल सुनिद्धः सुजाय एगर्दतसेढीविय अणेगर्दता हुयवहनिदंतधोयतत्ततवणिज्जरत्ततलतालुजीहा सारसनवणियमहरगंभीरकुंचनिग्घोसदहिसरा गरु. लाययउतुंगनासा अवदारिअपुंडरीयवयणा कोकासियधवलपुंडरीयपत्तलच्छा आनामिअचावरुइलकिण्हचिहुरराइसुसंठियसंगयआययसुजायभुमया आडीणपमाणजुत्तसवणा सुसवणा पीणमंसलकबोलदेसभागा अइरुग्गयसमासुनिद्धचंददसंठिअनिडाला उडुवइपडिपुन्नसोमवयणा छत्तागारुत्तमंगदेसा पणनिचियसुबद्धलखणुन्नयकूडागारनिम्बमपिंडियग्गसिरायवहनिनधोयनननवणिजकेसंतकेसभूमी सामलीबोंडघणनिचिअच्छोडिअमिउविसयमुहमलक्खणपसत्थसुगंधिमुंदरभुयमोयगभिंगनीलकजलपहह चियकुंचिञपयाहिणावनमुदसिरया लक्खणवंजणगुणोववेया माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसवंगसुंदरंगा ससिसोमागारा कंता पियदसणा सम्भावसिंगारचारुरुवा पासाईया दरिस णिज्जा अभिरूवा पडिरुचा, नेणं मणुया ओहस्सरा मेह, हंस. कोंच० नंदि० नंदिघोसा सीहस्सरा सीहघोसा मंजुसरा मंजुघोसा मुस्सरा सूसरघोसा अणुलोमवाउवेगा कंकग्गहणी का कबोयपरिणामा सउणीपीसपिटुंतरोरुपरिणया पउमुप्पलमुगंधिसरिसनीसासा सुरभिवयणा छवी निरायंका उत्तमपसत्थाइसेसनिरुवमतणू जइमलकलंकसेयरयदासबजियसरीरा निर लेवा छायाउज्जोवियंगमंगा बजरिसनारायसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिया छघणुसहस्साई उड्दउच्चत्तेणं पं०, ते णं मणुया दो छप्पनापिट्टकरंडगसया पं० समणाउसो !, ते णं मणुया पगइभदया पगइविणीया पगइउवसंता पगइपयणुकोहमाणमायालोमा मिउमहवसंपन्ना आडीणा भइया विणीया अप्पिच्छा असन्निहिसंचया अचंडा असिमसिकिसिवाणिजविबजिया विडिमंतरनिवासिणो इच्छियकामकामिणो गेहागारमक्खकयनिलया पुढवीपुष्फफलाहारा ते णं मणुयगणा पं०।१४। आसी य समणाउसो! पुश्विं मणुयार्ण छविहे संघयणे, नं०-बजरिसहनारायसंघयणे रिलहनाराय० नाराय० अद्धनाराय० कीलिया छेवट्टसंघयणे, संपइ खल आउसो ! मणुयाणं ठेवट्टसंघयणे वट्टह, आसीय आउसो ! पुष्धि मणुयाणं छबिहे सठाणे, नं०-समचउरंसे नग्गोहपरिमंडले सादि खुजे बामणे हुंडे, संपइ खलु आउसो ! मणुयाणं हूंडे संठाणे बट्टइ।१५। संघयणं संठाणं उच्चतं आउयं च मणुयाणं । अणुसमयं परिहायइ ओसप्पिणिकालदोसेणं ॥५०॥ कोहमयमायलोभा, उम्सनं बढए य मणुयाणं। कूडतुला कूडमाणा, तेणऽणुमाणेण सर्वपि ॥ १॥ विसमा अज तुलाओ विसमाणि य जणबएस माणाणि। विसमा रायकुलाई नेण 3 विसमाई वासाई ॥२॥ विसमेसु य पासेसु हुँति असाराई ओसहिचलाई। ओसहिदुबाडेण य आई परिहायइ नराणं ॥३॥ एवं परिहायमाणे लोए चंदु कालपक्संमि। जे धम्मिया मणूसा सुजीवियं जीवियं नेसि ॥४॥ आउसो ! से जहानामए केड पुरिसे बहाए कयवलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छिते सिरसिण्हाए कंठेमालकडे आविद्रमणिसुवणे अहअसुमहग्यवन्थपरिहिए चंदणोकिणगायसरीरे सरससुरहिगंधगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते सुइमालावन्नगविलेवणे कप्पियहारदहारतिसरयपालंबपलंब. माणे कडिसुत्तयसुकयसोहे पिणिड्गेविजे अंगुलिनगरलियंगयललियकयाभरणे नाणामणिकणगरयणकडगतुडियर्थभियभुए अहिअरुवे सम्सिरीए कुंडलजोवियाणणे मउडदिनसिरए हारुच्छ्यसुकयरइयवच्छे पावपळवमाणमुकयपड उत्तरिने मुहियापिगुलंगुलिए नाणामणिकणगरयणविमलमहरिहनि उणोवियमिसिमिसितविरहयमुसिलिट्ठविसिट्ठलट्ठआवि. ९१९ नन्दुलबैचारिक, मामा-57-११ मुनि दीपरत्नसागर Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीरवलए, किं बहुणा?, कप्परुक्खए चेव अलंकियविभूसिए सुइपयए भवित्ता अम्मापियरो अभिवादइज्जा, तए णं तं पुरिसं अम्मापियरो एवं वइजा-जीव पुना! बाससयंति, तपि आउं तस्स नो बहुयं भवइ, कम्हा ?, वाससयं जीवंतो वीसं जुगाई जीवइ. वीसं जुगाई जीवनो दो अयणसयाई जीवइ, दो अयणसयाई जीवंतो छ उऊसयाई जीवद. छ उऊसयाई जीवंतो बारस माससयाई जीवइ. बारस माससयाई जीवंतो चउवीसं परखसयाई जीवइ. चवीसं पक्खसयाई जीवंनो छत्तीसं राइंदियसहस्साई जीवइ, उनीस राइंदियसहम्साई जीवतो दस असीयाई मुहुत्तसयसहस्साई जीवइ, दसअसीयाई मुहुत्तसयसहस्साई जीवंतो चनारि ऊसासकोडिसए सत्त य कोडीओ अडयालीसं च सयसहम्साई चनालीसं च ऊसाससहस्साई जीवइ, चनारि य ऊसासकोडिसए जाव चत्तालीसं च ऊसाससहस्साई जीवंतो अदतेवीसं तंबुलवाहे भुंजइ, कहमाउसो ! अदनेवीसं नंदुलवाहे भुंजइ ?. गो० दुब्बलाए खंडियाणं - वलियाए छडियाणं खइरमुसलपञ्चायाणं ववगयतुसकणियाणं अखंडाणं अफुडियाणं फलगसरियाणं इकिकवायाणं अद्धतेरसपलियाणं पत्थए. सेऽविय णं पन्थए मागहए, कई पत्थे सायं पत्थो, चउसहिसाहस्सीओ मागहओ पत्थो, विसाहस्सिएणं कवलेणं बत्तीसं कवला पुरिसस्स आहारो अट्ठावीसं इस्थियाए चउवीसं पंडगस्स, एवामेव आउसो! एयाए गणणाए दो असईओ पसई दो पसईओ य सेइया होइ चत्तारि सेझ्या कुलओ चत्तारि कुलया पत्थो चत्तारि पत्थगा आढगं सहिए आढगाणं जहन्नए कुंभे असीईए आढयाणं मज्झिमे कुंभे आढगसयं उक्कोसए० अहेव य आढगसयाणि वाहे, एएणं वाहप्पमाणेणं अद्धत्तेवीसं तंदुलवाहे भुंजइ, ते य गणियनिदिट्टा-चत्तारियकोडिसया सर्टि चेव य हवंनि कोडीओ। असीई च तंदुलसयसहस्साणि हवंतित्तिमक्खायं ॥५५॥ तंएवं अद्धत्तेवीसं तंदुलवाहे मुंजतो अदछट्टे मुम्गकुंभे भुंजइ, अछट्टे मुग्गकुंभे मुंजनो चउवीसं जेहाढगसयाई भुंजइ. चउबीसं जेहा. ढगसयाई भुंजतो छत्तीसं लवणपलसहस्साई भुंजइ, छत्तीसं लवणपलसहस्साई भुंजतो छप्पडसाडगसयाई नियंसेइ दोमासिएणं परिअट्टएणं, मासिएण वा परियट्टेणं चारस पडसाइगसयाई नियंसेइ, एवामेव आउसो ! बाससयाउयस्स सर्च गणियं तुलियं मवियं नेहलवणभोयणच्छायणंपि, एयं गणियप्पमाणं दुविहं भणियं महरिसीहि, जस्सऽस्थि नस्स गणिजइ, जस्स नत्थि तस्स किं गणिजइ?, 'वबहारगणिअदिदं मुहम निच्छयगयं मुणेयवं। जइ एयं नवि एवं विसमा गणणा मुणेयवा ॥६॥ कालो परमनिम्दो अविभजोनं तु जाण समयं तु । समया य असं. खिज्जा हवंति उस्सासनिस्सासे ।। हङस्स अणवगइस्स, निरुवकिट्ठस्स जंतुणो। एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति वुचइ॥८॥सत्त पाणूणि से थोचे, सत्न थोवाणि से लवे । लवाणं सत्तहत्त. रीए, एस मुहुत्ते बियाहिए॥९॥एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवइया ऊसासा वियाहिया ?, गो! 'तिमि सहस्सा सत्त य सयाई तेवत्तरिं च ऊसासा । एस मुहुत्तो भणिओ सोहि अणंतनाणीहिं॥६०॥दोनालिया मुहुत्तो सद्धिं पुण नालिया अहोरत्तो। पन्नरस अहोरत्ता पक्खो पक्खा दुवे मासो॥१॥ दाडिमपुप्फागारा लोहमई नालिआ उ कायवा। तीसे तलम्मि छिदं छिद्दपमाणं पुणो वोच्छ ॥२॥छन्नउई पुच्छवाला तिवासजायाए गोतिहाणीए। असंवलिया उजुय नायनालियाछिदी॥३॥अह्वा उ पुच्छवाला दुवासजायाए गयकरेणूए। दो वाला उ अभग्गा नायक ॥४॥अहवा मुवष्णमासा चत्तारि सुवट्टिया घणा सई । चउरंगुलप्पमाणा नाय० ॥५॥ उद्गस्स नालिआए भवंति दो आढयाउ परिमाणं । उदगं च भाणिय जारिसयं नं पुणो वुच्छं ॥६॥ उदगं खलु नाय काय दूसपट्टपरिपूर्य महोदगं पसन्न सारइयं वा गिरिनईए॥आवारस मासा संवच्छरो उ पक्खा य ते उचउबीस। तिन्नेव य सट्ठिसया हवंति राईदिआणं च ॥८॥ एगंच नउयं हवंति राइंदिऊसासा ॥९॥ तित्तासा सयसहस्सा पचाणऊई भवे सहस्साई। सत्त य सया अण्णा हर्वति मासेण ऊसासा ।।७॥ 12 चनारि य कोडीओ सत्तेव य हुंति सयसहस्साई। अडयालीससहस्सा चत्तारि सया यबरिसेणं ॥१|| चत्तारि य कोडीसया सन य कोडीउ हुँति अवराओ। अडयारसयसहस्सा चत्तालीसं सहस्सा य ॥२॥ वाससयाउनराणं उस्सासा इत्तिया मुणेयवा । पिच्छह आउस्स खयं अहोनिसं झिज्झमाणम्स ॥३॥राईदिएण तीसं तु मुहुत्ता नव सया य मासेणं । हायति पमनाणं न य णं अबुहा वियाणंति ॥ ४॥ तिन्नि सहस्से सगले छच्च सए उडवरो हरइ आउं। हेमंते गिम्हासु य यासामु य होइ नायचं ॥५॥ वाससयं परमाउं इनो पन्नास हरड निहाए । इत्तो वे य॥६॥सीउण्हपंधगमणे हा पिवासा भयं च सोगे या नाणाविहा य रोगा नीसाइ हरइ पच्छद॥ ॥ एवं पंचासीह नट्ठा पन्नरसमेव जीचंति । जे हुँति वाससइया न य मुलहा वाससयजीवा ॥८॥एवं निस्सारे माणुसनणे जीविए अहिबईने । न करेह चरणधर्म पच्छा पठाणतापिहिह ॥ ५॥ पट्टम्मि संयमोहे जिणेहि परधम्मतित्थमग्गस्स। अत्ताणं च न याणह इह जाया कम्मभूमीए॥८६॥ नइवेगसमं चवलं जीवियं जोधणं च कुसुमसमं । मुकखं च जमनियत्नं तिन्निवि नुरमाणभुजाई ॥१॥ एयं सु जरामरणं परिखिवहे वगराव मियजुहं। न यण पिच्छह पनं समुढा मोहजालेणं ॥२॥ आउसो जपि इमं सरीरं पियं कर्त मणण्ण मणाममणाभिरामं थे वेसासिय संमयं बहुमयं अणुमयं भंडकरंडगसमाण रयणकरंडओविव सुसंपरिग्गहियं तिल पेडाविव सुसंगोवियं मा णं उण्हं मा णं सीयं मा णं म्युहा माणं पिवासा मा णं वाला माण दंसा माणं मसगा माणं याइय. पित्तियसिभियसंनिवाइया विविहा रोगार्यका फुसंतुत्तिकटु एवंपियाई अधुर्व अनिययं असासयं चओवचइयं विपणासधर्म पच्छा व पुरा व अवस्स विप्पचढयवं, एयम्सवियाई (२३०) ९२० तन्दुलवैचारिक, 87-98 - १०२ मुनि दीपरत्नसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आउसो ! अणुपुत्रेणं अवारस य पिट्ठकरंडगसंधीओ पारस पंसुलिकरंडया छप्पंसुलियकडाहे विहित्यया कुच्छी चउरंगुलिया गीवा चउपलिया जिम्मा दुपलियाणि अच्छीणि चउकवालं सिरं बत्तीस दंता सत्तंगुलिया जीहा अबुद्वपलियं हिययं पणवीसं पलाई कालिजं, दो अंता पंचवामा पं० त०-धूलते यतणुअंने य, नत्थ गंजे से थूलते नेणं उचारे परिणमइ, तत्थ णं जे से तणुयंते तेणं पासवणे परिणमइ, दो पासा पं० त०-वामे पासे दाहिणे पासे य, तत्य जे से बामे पासे से सुहपरिणामे, तत्थ गंजे से दाहिणे पासे से दुहपरिणामे, आउसो! इमंमि सरीरए सदि संघिसयं सत्तुत्तरं मम्मसयं तिनि अद्विदामसयाई नव व्हारुयसयाई सत्त सिरासयाई पंच पेसीसयाई नव धमणीउ नवनउई च रोमकृवसयसहस्साई विणा केसमंसुणा, सह A केसमंमुणा अछाउ रोमकृषकोडीओ, आउसो ! इमंमि सरीरए सद्धिं सिरासयं नाभिष्पभवाणं उड्डगामिणीणं सिरमुवागयाणं जाउ रसहरणीओलि चुचंति, जासिं णं निस्वघातेणं चक्खुसोयघाणजीहाबलं च भवाइ, जासिक उवधाएणं चक्रुसोयघाणजीहाबलं उवहम्मइ, आउसो! इमंमि सरीरए सर्दु सिरासयं नाभिप्पभवाणं अहोगामिणीणं पायतलमुवगयाणं जासिणं निरुवधाएणं जंघाचलं हरद, जाणं व उपपाएणं सीसवेयणा अदसीसवेयणा मत्थयसूले अच्छीणि अंधिनि, आउसो ! इमंमि सरीरए सदि सिरासयं नाभिप्पभवाणं तिरियगामिणीणं हत्थतलमुषगयाणं जाणंसि निरुवपाएणं पाहुबलं हवा, तेणं चेव से उवधाएणं पासवेयणा पोट्टवेयणा पुट्टिवेयणा कुच्छिवेयणा कुग्छिमूले भषड, आउसो ! इमस्स जंतुस्स सहि सिरासयं नाभिप्पभवाणं अहोगामिणीर्ण गुदपविट्ठाण, जाणसि निरुवघाएण मुत्तपुरसवाउकम्म पवत्तइ. ताण चव उवधाएण मुत्तपुरासवाउनिराहण आरसाआर भवड, आउसो : इमस्स जंतुस्स पणवीसं सिराओ पित्तधारिणीओ दस सिराउ सुकधारिणीओ, सत्त सिरासयाई पुरिसस्स तीसूणाई इत्थीयाए पीसूणाई पंडगस्स, आउसो ! इमस्स जंतुस्स रुहिरस्स आढयं वसाए अदाढयं मत्थुलंगस्स पत्थो मुत्तस्स आढयं पुरीसस्स पत्थो पित्तम्स कुलवो सिंभस्स कुलबो मुक्कस्स अबकुलयो, जं जाहे दुई भवइ नै ताहे अइप्पमाणं भवइ, पंचकोटे पुरिसे छकोट्ठा इस्थिया, नवसोए पुरिसे इकारससोया इस्थिया, पंच पेसीसयाई पुरिसस्स तीसूणाई इत्थियाए बीसूणाई पंडगस्स ।१६। 'अभंतरसि कुणिमं जो (जइ) परियत्तेउ बाहिरं कुजा। नं असुई बठूर्ण सयावि जणणी दुगुंछिजा ॥८३॥ माणुस्सयं सरीरं पूईयं मंसमुकहड्डेणं । परिसंठवियं सोहइ अच्छायणगंधमतेणं ॥८४ाइम प य सरीरं सीसघडीमे. यमजमसद्वियमत्धुलंगसोणिअवाळुडयचम्मकोसनासियसिंघाणयधीमलालयं अमणुण्णगं सीसघडीभंजिर्य गलंतनयणकण्णोदुगडतालुयं अवालुयाखिडचिकणं चिलिचिलदंतमलमहलं वीभत्थदरिसणिज अंसुलगवाहुलगअंगुलीयंगुहगनहसंधिसंघायसंधियमिणं बहुरसिआगारं नालखंधच्छिराअणेगण्हारबहुधमणिसंधिषवं पागडउदरकवालं कक्सनिक्खु कक्खगकलिअंदुरंतं अद्विधमणिसंताणसंतयं साओ समता परिसवंतं च रोमकूवेहि सयं असुई सभावओ परमदुग्गंधि कालिजयअंतपित्तजरहिययफेफ(फिफि)सपिलिहोदरगुजाकुणिमनवच्छिड्डविधिविथिवितहिययं दुरहिपित्नसिंभमुत्तोसहायतणं सपओ दुरनं गुज्झोरुजाणुजंघापायसंघायसंधियं असुइ कुणिमगंधि, एवं चितिजमाण बीभत्थदरिसणिज अधुवं अनिययं असासयं सडणपडणविसणधम्म पच्छा व पुरा व अवस्सचाइया निच्छयओ सुदृढ़ जाण एवं आइनिहणं, एरिसं सत्रमणुयाणं देह, एस परमस्यओ सभायो ।१७। 'सुकम्मि सोणियम्मि य संभूओ जणणिकुच्छिमझमि।नं व अमिज्झरसं नवमासे धूटिउं संतो ॥८५॥ जोणीमुहनिष्फिडिओ धणगच्छीरेण वढिओ जाओ। पगईअमिज्ममइओ कह देहो धोइउसको , ॥६॥ हा असुइसमुष्पन्ना निग्गया य जेण चेव दारेण । सत्ता मोहपसना मंति तत्थेव असुइदारम्मि ॥आ किह ताव घरकुडीरी कईसहस्सेहिं अपरितंतेहिं । पन्निजाइ अमुइचिलं जघणंति सकजमूहि ? ॥८॥ रागेण न जाणनि य पराया कलमलम्स निदमणं । ताणं परिणदंता फुई नीलुप्पलवर्णव ॥९॥ कित्तिअमित्तं वण्णे ? अमिज्ममइयम्मि पचसंघाए। रागो हुन कायतो विरागमूले सरीरम्मि ॥९०॥ किमिकुन्ठसयसंकिण्णे अमुहमचुक्खे असासयमसारे। सेयमलपुष(पच)डंमी निधेयं पचह सरीरे ॥१॥ दंतमलकण्णगृहगसिंघाणमले य लालमरबहले। एयारिसे बीभत्थे दगंउणिजमि को रागो? ॥२॥को सरणपणबिकिरिणविदसणचयणमरणधम्मम्मि। देहम्मि अहीलासो? कुहियकदिणकट्ठभूयम्मि ॥३॥ कागमुणगाण भक्खे किमिकुलमाने य बाहिभने य। देहम्मि मनु(प० मच्छ)भन्ने सुसाणभत्तम्मि को रागो ? ॥४॥ असुईअमिज्झपुन्नं कुणिमकलेवरकुडि परिसवंति। आगंतुय संठवियं नवच्छिद्दमसासयं जाण ॥५॥ पिच्छसि मुहं सनिलयं सविसेस रायएण अहरेणं । सकडवं सवियारं तरलपिंछ जोषणस्थीए ॥६॥ पिच्छसि बाहिरमट्ठन पिच्छसी उजार कलिमलस्स। मोहेण नचयंतो सीसपडीकंजियं पियसि ॥ ७॥ सीसघडीनिग्गालं जं निहसि दुगुडसी जंचतं चेव रागरनो मूडो अइमुच्छिओ पियसि ॥८॥ पूइयसीसकवाल पूइयनासं च पृइदेहं च। पूइअछिड्डविछिदं पूअचम्मेण य पिणदं ॥९॥ अंजणगुणसुविसुदं यहाणुबट्टणगुणेहिं सुकुमालं । पुप्फुम्मीसियकसं जणेइ बालस्स तं रागं ॥१०॥जं सीसपूरउत्तिा पुष्फाई भणंति मंदविनाणा । पृष्फाई चिजनाई सीसस्सहु पूरयं मुणह ॥ १॥ मेदो बसा य रसिया खेले सिंघाणए लुभसु एवं। अह सीसपूरञो भे नियगसरीरम्मि साहीणो॥२॥सा किर दुष्पडिपूरा ९२१ तन्दुलवैचारिक आका-१०२-१२२ मुनि दीपरनसागर Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वचकुडी दुप्पया नवच्छिड्डा। उक्कडगंधविलित्ता बालजणो मुच्छिउं गिदो ॥३॥ ज पेम्मरागरत्तो अवयासेऊण गूढ(थ)मुत्तोलिं। दंतमलचिकणंग सीसघडीफजियं पियसि ॥४॥ दंतमुसलेमु गहणं गयाण मंसे य ससयमीयाणं । वालेसु य चमरीणं चम्मनहे दीवियाणं च ॥५॥ पृश्यकाए य इहं चवणमुहे निश्चकालवीसत्यो। आइक्ससु सम्मावं किम्हसि गिरो तुमं मूढ ! ॥६॥ दंताबि अकजकरा वालावि विवड्ढमाणवीभच्छा। चम्मंपि य बीभच्छं भण किमसि तं गओ रागं ? ॥७॥ सिंभे पित्ते मुत्ते गृहम्मि वसाई दंतकुंडीसु । मणसु किमय तुझं असुइम्मिवि वढिओ रागो? ॥८॥ जंघट्ठियासु ऊरू पइडिया तट्ठिया कडीपिट्ठी। कडिपट्टिवेडियाई अवारस पिटिअट्ठीणि ॥९॥ दो अच्छिअट्ठियाई सोलस गीवडिया मुणेया। पिट्ठीपइट्ठियाओ बारस किल पंमुली हुँति ॥११०॥ अट्ठियकढिणे सिरण्हारुबंधणे मंसचम्मलेवम्मि। विट्ठाकोट्ठागारे को वचघरोवमे रागो ? ॥१॥जह नाम वचकृवो निचं मिणिभिणिभिर्णतकायकली। किमिएहिं सुलमुलायइ सोएहि य पूइयं वहइ॥२॥ उद्धियनयणं खगमुहविकढियं विष्पदनबाहुलयं । अंतविकढ़ियमालं सीसपडीपागडियघोरं॥३॥ भिणिभिणिमिणतसई विसप्पियं सुलसुलतमंसोडं। मिसिमिसिमिसंतकिमियं थिविथिविथिर्वतबीभत्यं ॥४॥ पागडियांसुलीयं विगरालं सुकसंधिसंघाय। पडियं निवेयणर्य सरीरमेयारिसं जाण ॥५॥ वचाओ असुइतरं नवहिं सोएहिं परिगलंतेहिं । आमगमगरूवे निव्वेयं वचह सरीरे ॥६॥ वो होत्या दो पाया सीसं उच्चंपियं कबंधम्मि। कलिमलकोडागारं परिवहसि दुयादुर्य वचं ॥७॥ तं च किर रूववंतं वचं रायमग्गमोइन। परगंधेहिं मुर्गधय मर्मतो अप्पणो गंध ॥८॥ पाडलचंपयमलियअगुरुयचंदणतुरुक्ष्वामीसं। गंध समोयरंतं मन्नतो अप्पणो गंध ॥९॥ मुहवाससुरहिगंध वातसुहं अगुरुगंधियं अंग। केसा व्हाणसुगंधा कयरो ते अप्पणो गंधो? ॥१२०॥ अच्छिमलो कन्नमलो खेलो सिंघाणओ अ पूजओ अाअसुई रीसो एसो ते अप्पणो गंधो ॥१२१॥१८ जाओवि अ इमाओ इत्थियाओ अणेगेहिं कइवरसहस्सेहिं विविहपासपडिनदेहिं कामरागमोहेहिं पन्नियाओताओऽवि एरिसाओ, तं०पगइविसमाओ (पियरुसणाओ कतिपयइचटुप्पगन्नातो अवकहसियभासियविलासवीसंभभूयाओ अविणयवातूलीओ मोहमहावत्तिणीओ विसमाओ) पियवयणवालरीओ कइयवपेमगिरितडीओ अवराहसहस्सधारिणीओ पभयो सोगस्स विणासो बलस्स सूणा पुरिसाणं नासो लज्जाए संकरो अविणयस्स निलओ निअडीर्ण १० खाणी वइरस्स सरीरं सोगस्स भेओ मजायाणं आसओ रागस्स निलओ दुचरियाणं म(मा)ईए सम्मोहो खलणा नाणस्स चलणं सीलस्स विग्यो धम्मस्स अरी साहूर्ण २० दूसणं आयारपत्ताणं आरामो कम्मरयस्स फलिहो मुफ्समग्गस्स भवणं दरिदस्स, अवि आई ताओ आसीविसोचिव कुवियाओ मत्तगओविव मयणपरवसाओ वग्धीविष दुहृहिअयाओ तणच्छाकूबोविव अप्पगासहिअयाओ मायाकारओविय उपयारसयाबंधणपओत्तीओ आयरिसविंबंपिव दुम्गिझसम्भावाओ ३० फुफयाविव अंतोदहनसीलाओ नग्गयमग्गोविव अणवट्ठियचित्ताओ अंतोदुट्ठवणोविव कुहियहिययाओ कण्हसप्पोविय अविस्ससणिजाओ संथारोविच छनमायाओ संझम्भरागोविव मुहुत्तरागाओ समुहवीचीओविय चलस्सभावाओ मच्छोविच दुपरियत्तणसीलाओ वानरोविव ठोविव निरणुकंपाओ वरुणोविव पासहत्थाओ सलिलमिव निन्नगामिणीओ किवणोविव उत्ताणहत्थाओ नरओविव उत्तासणिज्जाओ खरोइव दुस्सीलाओ दुट्ठस्सोविच दुइमाओ बालोइव मुहुत्तहिययाओ अंधकारमिव दुष्पवेसाओ विसवल्लीविव अणल्लियणिजाओ५० दुहगाहाइव वावी अणवगाहाओ ठाणभट्ठोविय इस्सरो अप्पसंसणिजाओ किंपागफलमिव मुहमहुराओ रित्तमुट्ठीविष पाललोभणिजाओ मंसपेसीगणमिव सोवदवाओ जलियचुडलीविच अमुच्चमाणडहणसीलाओ अरिद्वमित्र दुखंपणिजाओ कडकरिसावणोविव कालविसंवायणसीलाओ चंडसीलोथिव दुक्खरक्सियओ अइविसाओ ६० दुगंछियाओ दुरुखचराओ अगंभीराओ अविस्ससणिजाओ अणवत्थियाओ दुस्सरक्सियाओ दुक्सपालियाओ अरइकराओ ककसाओ दढवेराओ ७० रूवसोहम्गमउम्मत्ताओ भुयगगइकुडिलहिययाओ कंतारगइवाणभूयाओ कुलसयणमित्तमेयणकारियाओ परदोसपगासियाओ कयग्घाओ बलसोहियाओएगंतहरणकोलाओ चंचलाओ जाइयभंडोवगारोविच (जचभंडोबरागो इव) मुहरागविरागाओ ८० अवियाई ताओ(अण)अंतरं भंगसर्य अरजुओ पासो अदारुया अडवी अणालस्सनिलओ अणइक्सा वेयरणी अनामिओ बाही अविओगो विप्पलाचो अरू उवसम्गो रदवंतो चित्तविम्भमो सवंगओ दाहो ९० अणम्भप्पसूया (म० अणम्भा) बजासणी असलिलप्पवाहो समहरओ ९१.अवियाई इत्विआर्ण अणेगाणि नामनिरुताणि पुरिसे कामरागप्पडियदे नाणाविहेहिं उवायसयसहस्सेहिं बहबंधणमा पुरिसाणं नो अन्नो एरिसो अरी अस्थित्ति नारीओ, तं०-नारीसमा न नराणं अरीओ नारीओ, नाणाविहेहि कम्मेहिं सिप्पाइएहिं पुरिसे मोहंतित्ति महिलाओ, पुरिसे मने करतित्ति पमयाओ, महंतं कलिं जणयंतित्ति महिलियाओ, पुरिसे हावभावमाइएहिं रमंतित्ति रामाओ, पुरिसे अंगाणुराए करितित्ति अंगणाओ, नाणाविहेसु जुद्धभंडणसंगामाडवीसु मुहारणगिण्हणसीउण्हतुक्खकिलेसमाइएसु पुरिसे लालंतित्ति ललणाओ, पुरिसे जोगनिओएहिं वसे ठावितित्ति जोसियाओ, पुरिसे नाणाविहेहि भावेहि पणिनिति पणिआओ, काई पमनभावं ९२२सन्दुलवैचारिकं. आहा-१२४ -१३ मुनि दीपरत्नसागर Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काई पणय सविन्भमं काई सामिव ववहरंति काई सत्तुव रोरो इव काई पय(ण)एसु पणमंति काई उवणएस उवणमंतिकाई कोउयनमंतिकाउं सुकडक्वनिरिक्खएहि सविलासमहुरेहि उवहसिएहिं उवगृहिएहिं उक्सद्देहिं गुज्झगदरिसणेहिं भूमिलिहणविलिहणेहिं च आरुहणनट्टणेहि अ वालयउवगृहणेहिं च अंगुलीफोडणथणपीलणकडितडजायणाहिं तजणाहिं च, अवियाई ताओ पासोविब(बब)सिउं जं पंकुछ खुप्पिलं जं मचुव मारेडं जं अगणिव डहिउँ जं असिब छिजिउं जं।१९। असिमसिसारिच्छीणं कतारकवाडचारयसमाणं / घोरनिउरंचकंदरचलंतबीभच्छभावाणं // 122 // दोससयगागरीणं अजससयविसप्पमाणहिययाणं। कइयवपन्नत्तीणं ताणं अनायसीलाणं // 3 // अन्नं स्यंति अन्नं रमंनि अन्नम्स दिति उहावं / अन्नो कडयंतरिओ अन्नो पयड(डय)तरे ठविओ॥४॥ गंगाए वाल्या सायरे जलं हिमवओ य परिमाणं। उग्गस्स तवस्स गई गम्भुप्पत्तिं च विलयाए॥५॥सीहे कुंडुवयारस्स पुट्टलं कुकुहाइयं अस्से। जाणंति बुद्धिमंता महिलाहिययं न याति // 6 // एरिसगुणजुनाणं ताणं कइयवसंठियमणाणं / न हु मे वीससियवं महिलाणं जीवलोगम्मि // 7 // निवन्नयं व खलयं पुष्फेहिं विवजियव आरामं / निदियं वघेणुं लोएवि अतिल्लिय पिंडं // 8 // जेणंतरेण निमिसंति लोयणा तक्रवणं च विगसंनि। तेणंतरेण हिययं वियारसहसाउलं होइ॥१॥ जड्डाणं वुढ्ढाणं निचिण्णाणं च निविसेसाणं / संसारसूयराणं कहियपि निरत्ययं होइ॥१३॥किं पुत्तेहिं पियाहि व अत्येण विढप्पिएणं (प्र०वि पिंडिएणं) बहुएणं / जो मरणदेसकाले न होइ आलंबणं किंचि // 1 // पुत्ता चयंति मित्ता चयंति भन्नावि णं मयं चयइ। तं मरणदेसकाले न चयइ सुबिइजओ (प्र० सुचि अनिओ) धम्मो // 2 // धम्मो ताणं धम्मो सरणं धम्मो गई पइट्ठा या धम्मेण सुच भासकरा जसकराय अभयकराणिबुडकरी य सयय पारत्तबिइजओ धम्मो॥४॥ अमरवरसुअणविमरुवभागावभगिरिद्धी य। विनाणनाणमेव य लब्भह सुकएण धम्मेणं // 5 // देबिंदचक्रवट्टित्तणाई रजाई इच्छिया भोगा। एयाई धम्मलामा फलाई जं वावि निवाणं // 6 // आहारो उस्सासो संधिछिराओ य रोमकूवाई। पित्तं रुहिरं सुकं गणियं गणियपहाणेहिं // 7 // एयं सोउं सरीरस्स वासाणं गणिय पागडमहत्थं / मुक्खपउमस्स ईहह सम्मत्तसहस्सपत्तस्स // 8 // एयं सगइसरीरं जाइजरामरणवेयणाबहुलं / तह उत्तह काउंजे जह मुचह सबदुक्खाणं // 139 // 1-20-586 // इति तन्दुलचारिकप्रकीर्णकम् 5 // [30301-25- संस्तारकप्रकीर्णकम्-काऊण नमुक्कारं