________________
श्रीदुलबैचारिकपकीर्णकम्-निजरियजरामरणं वंदित्ता जिाणवरं महावीर।वोच्छं पइन्नगमिणं तंदुलक्यालियं नाम॥१॥४४८॥सुणह गणिए दस दसा वाससयाउस्स जह विभज्जति। संक
लिए(म योगसिए) वाससए जं चाऊ सेसर्य होइ॥२॥ जत्तियमिते दिवसे जत्तिय राई मुहुन ऊसासे । गम्भंमि वसइ जीवो आहारविहिं च वोच्छामि ॥३॥ (द्वारगाथा) (२२९) 1- ९१६ नन्दुलवैचारिक, 18/-१-३
मुनि दीपरत्नसागर