Book Title: Aagam Manjusha 18 Uvangsuttam Mool 07 Jambuddivpannatti
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line -आगममजूषा [१८] जम्बूद्दीवपन्नत्ति * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर M.Com. M.Ed., Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॐ नमः ॥ णमो अरिहंताणं । तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिला णामं णयरी होत्था, रित्विमियसमिद्धा वष्णओ, तीसे णं मिहिलाए णयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए एत्थ श्रीमजम्बूद्वीपप्रज्ञप्त्युपाङ्गम्। 81 3 'माणिभहे णामं चेइए होत्या वण्णओ, जियसत्तू राया धारिणी देवी वण्णओ, तेणं कालेणं सामी समोसढो, परिसा णिग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया। १ । नेणं कालेणं. समणस्स भगवओ महावीरस्स जेठे अंतेवासी इंदभूई णामं अणगारे गोअमगोत्तेणं सत्नुस्सेहे समचाउरंससंठाणे जाव तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ बंदद णमंसइत्ता (प. जाव) एवं क्यासी ।२। कहिं णं भंते! जंयुट्टीवे केमहालए णं भंते ! जंयुहीचे किंसंठिए णं भंते ! जंपुदीचे किमायारभावपडोयारेणं भंते ! जंचुरीचे पण्णते?, गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सबदीवसमुदाणं सबभतराए सबसुद्दडाए बढे नेहडापूयसंठाणसंठिए पट्टे रहचकवालसंठाणसंठिए बट्टे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिए पट्टे पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिए एग जोयणसयसहस्सं आयामविखंभेणं तिणि जोयणसयसहस्साई सोलस सहस्साई दोषिण य सत्तावीसे जोयणसए निष्णि य कोसे अट्ठावीस (२०९) 1८३६ जम्यूढीपषज्ञप्तिः, वारा मुनि दीपरनसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ च घणुसयं तेरस अंगुलाई अदंगुलं च किंचिविसेसाहिय परिक्खेवेणं पं०।३। से गं एगाए बरामईए जगईए सबओ समंता संपरिक्खित्ते, साणं जगई अट्ट जोयणाई उइदउचत्तेणं मूले वारस जोअणाई विक्वंमेणं मझे अट्ट जोयणाई विक्खंभेणं उरि पत्तारि जोजणाई विक्खंभेणं मूले विच्छिना मज्झे संक्खित्ता उरि (प० प्पि) तणुया गोपुच्छसंठाणतंठिया सव्ववइरामई अच्छा सम्हा लम्हा घट्टा मट्ठा णीरया जिम्मला मिप्यंका णिकंकडच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासादीया दरिसणिजा अभिरुषा पडिरूवा, सा र्ण जगई एगेर्ण महंतगवक्रव(प० जाल)कडएणं सबओ समंता संपरिक्खित्ता, से गं गवक्सकडए अदजोअणं उइदंउबत्तेणं पंच घणुसयाई विक्खंभेणं सबरयणामए अच्छे जाव पडिकवे, तीसे णं जगईए उप्पि बहुमझदेसभाए एत्थ णं महं एगा पउमवरवेइया पं० अद्धजोयणं उदउच्चत्तेणं पंच घणुसयाई विसंभेणं जगईसमिया परिक्खेवेणं सवरयणामई अच्छा जाव पडिरुवा, तीसे णं पउमवरखेड्याए अयमेयारूवे वण्णावासे पं० २०. बहरामया णेमी एवं जहा जीवाभिगमे जाव अट्ठो जाव धुवा णियया सासया जाव णिचा ।४। तीसे णं जगईए उप्पिं चाहिं पउमवरवेइयाए एत्थ णं महं एगे वणसंडे पं० देसूणाई दो जोअणाई विक्रमेणं जगईसमए परिक्खेवणं वणसंडवण्णओ णायब्बो।५। तस्स णं वणसंडस्स अंतो बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपंचवण्णेहिं मणीहिय तणेहि य उवसोभिए, तं०. किण्हेहिं एवं वण्णो गंधो रसो फासो सदो पुकखरिणीओ पचयगा परगा मंडवगा पुढविसिलाचट्टया यत्रा, तत्थ णं बहवे वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयति सयंति. पुरापोराणाणं सुपरकंताणं सुभाणं कल्डाणाणं कडाण कम्माणं कठाणफलवित्तिविसेसं पचणुभवमाणा विहरंति, तीसे णं जगईए उप्पिं अंतो पउमवरवेइआए एत्य णं एगे महं वणसंडे पं०, देसूणाई दो जोअणाई विक्रखंभेणं वेदियासमएण परिकलेवेणं किण्हे जाच तणविहूणो णेजयो।६। जंबुद्दीवस्स णं भंते! दीवस्स कह दारा पं०१, गो०! चत्तारि दारा पं००-विजए वेजयंते जयंते अपराजिए, एवं चत्तारिवि दारा सरायहाणिआ भाणियबा।।कहिं णं भंते! जंजुद्दीवस्स विजए णामं दारे पं०?, गो! चुदीवे दीवे मंदरस्स पवयस्स पुरथिमेणं पणयालीसं जोयणसहस्साई वीइवइत्ता जचुदीवपुरथिमपेरते लवणसमुहपुरस्थिमबस्स पञ्चत्यिमेणं सीआए महाणईए उप्पिं एत्य गं जंचुदीवस्स विजए णामं दारे पं० अट्ठ जोयणाई उद्धउच्चत्तेणं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं तापइयं चेष पवेसेणं सेए वरकणगयूभियाए जाच दारस्स वष्णओ जाव रायहाणी।८। जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीपस्स दारस्स य दारस्स य केवइए अपाहाए अंतरे पं०१, गो! | अउणासीई जोअणसहस्साई चावणं च जोअणाई देसूर्ण च अद्धजोअर्ण दारस्स य२ अचाहाए अंतरे पं० 'अउणासीइ सहस्सा वावणं चेव जोअणा हुँति। ऊर्ण च अद्धजोअण दारंतर जंबुदीवस्स ॥१॥९॥ कहिं णं भंते ! जंबुहीचे दीचे भरहे णामं वासे पं०१, गो० चुहिमवंतस्स वासहरपश्यस्स दाहिणेणं दाहिणलवणसमुदस्स उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुदस्स पचत्यिमेणं पचत्थिमलवणसमुहस्स पुरथिमेणं एत्य णं जंबुद्दीवे दीवे भरहे णामं वासे पं०, खाणबहुले कंटकाविसमा दुग्ग० पत्रय पवाय उज्झर णिज्झर० खड्डा० दरी० गई० दह रुख गुच्छ० गुम्म लया० बाडी अडवी० सावय तण तकर डिम्ब० डमर दुम्भिक्ख० दुकाल० पासंड.किवण. वणीमग इंति मारि० कुवुट्टि० अणावुद्धिराय रोग संकिलेसबहुले अभिक्खणं २ संखोहबहुले पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे उत्तरओ पलिअंकसंठाणसंठिए दाहिणओ धणुपिट्ठसंठिए तिचा लवणसमुई पुढे गंगासिंधूहि महाणईहिं वेअइटेण य पचएण छम्भागपविभत्ते जंचुदीवदीवणउयसयभागे पंचछबीसे जोअणसए छच्च एगूणवीसहभाए जोअणस्स विकलमेणं, भरहस्सणं वासस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ ण पेअड्ढे णाम पथए पं०,जे णं भरह वासं दुहा विभायमाणे २ चिट्टइ, तं- दाहिणड्ढभरहं च उत्तरढभरहं च।१०। कहिं णं भंते जंबुद्दीवे दीवे दाहिण भरहे णाम वासे पं०?, गो०! वेयवस्स पश्यस्स दाहिणणं दाहिणलवणसमुदस्स उत्तरेणं पुरथिम डीणायए उदीणदाहिणचिच्छिण्णे अदचंदसंठाणसंठिए विहा लवणसमुई पुढे गंगासिंधूहिं महाणईहिं8 तिभागपविभत्ते दोणि अद्रुतीसे जोअणसए तिण्णि अ एगूणवीसइभागे जोयणस्स विक्खंभेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुहं पुट्टा पुरस्थिमिडाए कोडीए पुरथिमिई लवणसमुदं पुट्ठा पञ्चस्थिमिलाए कोडीए पचत्थिमिडं लवणसमुदं पुट्ठा णव जोयणसहस्साई सत्त य अडयाले जोयणसए दुवालस य एगूणवीसहभाए जोयणस्स आयामेणं तीसे धणुपुढे दाहिणेणं णव जोयणसहस्साई सत्त छाबडे जोयणसए इकं च एगणवीसइ. भागे जोयणस्स किंचिपिसेसाहिों परिक्खेवेणं पं०, दाहिणभरहस्स णं भंते! वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे पं०?, गो०! बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं०, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपत्रावष्णेहिं मणीहि तणेहि य उपसोभिए, तं० कित्तिमेहि चेष अकित्तिमेहिचेव, दाहिणभरहे णं भंते ! वासे मणुयाण केरिसए आयारभावपडोयारे पं०?, गो! ते णं मणुआ पहुसंघयणा पहुउचत्तपजवा पहुआउपजवा बहई वासार्ड आर्ड पालेति ता अप्पेगइया णिस्यगामी अप्पेगइया तिरिय अप्पेगइया मणय० अप्पेगइया देव. अप्पेगइआ सिझति बुज्झति मुचंति परिणिवायंति सव्वदुक्खाणमंतं करेंति । ११ । कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे दीये भरहे बासे वेयदे णार्म पञ्चए पं०?, गो! उत्तरदभरहवासस्स दाहिणेणं दाहिणभरहवासस्स उत्तरेणं पुरथिमलपणसमुदस्स पञ्चस्थिमेणं पचत्थिमलवणसमुदस्स पुरस्थिमेणं एत्य णं जंपुदीवे भरहे वासे वेअद्धे णार्म पाए ५० पाईणपड़ीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दुहा लवणसमुहं पुढे पुरस्थिमिडाए कोडीए पुरस्थिमिाडं लवणसमुदं पुढे पचस्थिमिडाए कोडीए पञ्चस्थिमितं लवणसमुदं पुढे पणवीसं जोयणाई उदउचत्तेणं छ सकोसाई जोअणाई उमेहेणं पण्णासं जोअणाई विस्खंभेणं तस्स पाहा पुरथिमपचत्थिमेणं चत्तारि अट्ठासीए जोयणसए सोलस य एगृणवीसइभागे जोअणस्स अद्धभागं च आयामेणं पं०, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपड़ीणायया दुहा लवणसमुई युट्टा पुरथिमिलाए कोडीए पुरस्थिमिाई लवणसमुदं पुडा पचस्थिमिडाए कोडीए पचस्थिमिळ लवणसमुदं पुट्ठा दस जोयणसहस्साई सत्त य बीसे जोजणसए दुवालस य एगूणवीसइमागे जोअणस्स आयामेणं तीसे धणुपट्टे दाहिणेणं दस जोअणसहस्साई सत्तय तेजाले जोयणसए पण्णरस य एगुणवीसइभागे जोयणस्स परिक्खेवणं रुअगसंठाणसंठिए सबस्ययामए अच्छे सोहे लण्हे पढे मढे गीरए णिम्मले णिप्पंके णिकंकडच्छाए सप्पभे जाव पडिरूवे, उभओ पासिं दोहिं पउम८३७ जम्बूद्वीपमज्ञप्तिः, -२ मुनि दीपरत्नसागर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परवेइयाहिं दोहि अषणसंडेहिं सबसओ समंता संपरिक्सित्ते, ताओ णं परमवरवेइयाओ अबजोवर्ण उदउच्चत्तेणं पंच धणुसयाई विक्खंभेणं पश्यसमियाओ आयामेणं पण्णओ भाणियचो, ते णं वणसंडा देसणाई दो जोअणाई विखंभेणं परमवरवेइयासमगा आयामेणं किण्हा किण्होभासा जाव वण्णओ, वेयद्धस्स णं पञ्चयस्स पुरच्छिमपञ्चच्छिमेणं दो गुहाओ पं०, उत्तरदाहिणाययाओ पाईणपडीणविच्छिण्णाओ पण्णासं जोषणाई आयामेणं दुवालस जोअणाई विकसभेणं अट्ट जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं वइरामयकवाडोहाडिआओ जमलजुअलकबाडपणदुष्पवेसाओ णिचंधयारतिमिस्साओ ववगयगहचंदसूरणकखत्तजोइसपहाओ जाव पडिरूयाओ तं०-तमिसगृहा चेव खंडप्पवायगुहा चेव, तत्थ णं दो देवा महिदीया महजुइआ महापला महायसा महासुक्खा महाणुभागा पलिओवमहिइया परिवसति, त० कयमालए चेव णट्टमालए चेव, तेसि णं वणसंडाणं बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ वेदस्स पायस्स उभओ पासिं दस २ जोअणाई उदं उप्पइत्ता एत्य ण दुवे विजाहरसेढीओ पं० पाईणपडीणाययाओ उदीणदाहिणविच्छिण्णाओ दस २ जोअणाई विक्खंभेणं पञ्चयसमियाओ आयामेणं उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खित्ताओ, ताओ णं पउमवरवेइयाओ अद्धजोअणं उद्धंउबत्तेणं पञ्च घणुसयाई विक्खंभेणं पध्ययसमियाओ आयामेणं वष्णओ यचो, पणसंडावि पउमवरवेइयासमगा आयामेण वण्णओ, विजाहरसेढीणं भंते ! भूमीणं केरिसए आयारभावपडोयारे पं०, गो! बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं०, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपंचवष्णेहिं मणीहिं तणेहि य उवसोभिए, तं०- कित्तिमेहि चेव अकित्ति मेहि चेव, तत्थ णं दाहिणिलाए विजाहरसेढीए गगणवहाभपामोक्खा पण्णासं विजाहरणगरापासा पं०, उत्तरिडाए विजाहरसेटीए रहनेउरचकवालपामोक्खा सहि विजाहरणगरावासा पं०, एवामेव सपुवावरेणं दाहिणिपाए 2 उत्तरिछाए विजाहरसेदीए एग दमुत्तरं विजाहरणगरावाससयं भवतीतिमक्खायं, ते विजाहरणगरा रिदस्थिमियसमिदा' तमलयमंदरमहिंदसारा रायवण्णओ भाणिअव्यो, विजाहरसेढीर्ण मंते! मणुआणं केरिसए आयारभावपढोयारे ५०, मो०! ते णं मणुआ बहुसंघयणा बहुसंठाणा बहुउपत्तपजया बहुआउपनवा जाच सय्यदुक्खाणमंतं करेंति. तासिं णं विजाहरसेढीर्ण बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ वेजद्धस्स पब्वयस्स उमओ पासिं दस २ जोअणाई उदं उप्पइत्ता एत्य णं दुचे आभिओगसेडीओ पं० पाईणपड़ीणाययाओ उदीणदाहिणविच्छिण्णाओ दस २जोअणाई विक्संभेणं पव्वयसमियाजो आयामेणं उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि अवणसंडेहि संपरिक्खित्ताओ वण्णो दोण्हवि पव्वयसमियाओ आयामेणं, आमिओगसेढीण भंते ! केरिसए आयारभावपडोयारे पं०१. गो बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० जाव तणेहि य उक्सोभिए वण्णाई जाच तणाणं सदोत्ति, तासिं णं आमिओगसेढीणं तत्थ २ देसे तहिं २ जाच वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति सयंनि जाव फलवित्तिविसेसं पचणुभवमाणा बिहरंति, तासु णं आभिओगसेढीमु सकस्स देविंदस्स देवरपणो सोमजमवरुणवेसमणकाइआणं आमिओगाणं देवाणं बहवे भवणा पं०, ते तत्य णं सकस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमजमवरुणवेसमणकाइया बहवे आमिओगा देवा महिदीआ महजुईआ जाव महामुक्खा पलिओवमहिइया परिवसंति, तासि णं आभिओगसेढीणं बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ वेयड्ढस्स पञ्जयस्स उभओ पासिं पंच २ जोयणाई उद उप्पइत्ता एस्थ णं वेयद्धस्स पबयस्स सिहरतले पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दस जोअणाई विक्खंभेणं पञ्चयसमगे आयामेणं, से णं इक्काए पउमवरवेइयाए इकेणं वणसंडेणं सबओ समंता संपरिक्खित्ते पमाणं वण्णगो दोहंपि, वेयड्ढस्स णं भंते ! पव्वयस्स सिहरतलस्स केरिसए आगारभावफ्ढोआरे पं०?, गो०! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंगपुक्खरेड वा जाय णाणाविहर्षचवण्णेहिं मणीहिं उपसोभिए जाव बाबीओ पुक्खरिणीओ जाव वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति जाव मुंजमाणा विहरति, जंचुदीवेणं भंते! दीवे भारहे वासे वेअड्ढपत्रए कह कूडा पं०?. गो० णव कूडा पं० नं०-सिदाययणकूडे दाहिणड्ढभरहकूडे खंडप्पवायगुहा० माणिभह वेअड्ढ० पुषणभद तिमिसगुहा० उत्तरइभरह बेसमणकूडे ।१२। कहिं णं भंते! जंचुदीवे दीवे भारहे वासे वेअदपचए सिदायतणकूडे णामं कूडे पं०?. गो०: पुरच्छिमलवणसमुदस्स पचच्छिमेणं दाहिणभरहकूडस्स पुरच्छिमेणं एत्य णं जंबुद्दीवे भारहे वासे वेअदे पथए सिद्धायतणकूड़े णामं कूडे पं०, छ सकोसाई जोजणाई उदउचनेणं मूले छ सकोसाई जोयणाई विक्संभेणं मझे देमूणाई पंच जोयणाई विक्खंभेणं उवरिं साइरेगाइं तिष्णि जोअणाई विक्खंभेणं मूले देसूणाई बाबीसं जोअणाई परिक्खेवेणं मज्झे देसूणाई पण्णरस जोजणाई परिक्खेवेणं उचरिं साइरेगाई णव जोअणाई परिक्सेवेणं मूले विछिपणे मन्झे सखित्ते उपि तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सबरवणामए अच्छे सण्हे जाव पडिरूचे, से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेण सबओसमंता संपरिक्खिने पमाणं पाओ दोण्हंपि, सिदायतणकरस्स णं उप्पि बहसमरमणिजे भूमिभागे पं०, से जहाणामए आलिंगपुस्खरेइ वा जाव वाणमंतरा देवा य जाव विहरंति, तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महं एगे सिद्धाययणे पं० कोसं आयामेणं अबकोसं विक्खंभेणं देसूर्ण कोसं उबंउचत्तेणं अणेगखंभसयसमिविढे खंभुग्गयसुकयवइखेइआतोरणवररइअसालभंजिअसुसिलिट्ठविसिट्ठलट्टसंठिअपसस्थवेरुलिअविमलखंभे णाणामणिरयणखचिअउजलबहुसमसुविभत्तभूमिभागे हामिगउसभनुरगणरमगरविहगपालगकिन्नररुरुसरभचमरकुंजरवणलबजावपउमलयभत्तिचित्ते कंचणमणिरयणथूभियाए णाणाविहपंच० वण्णओ घंटापडागपरिमंडिअम्गसिहरे धवले मरीइकवयं विणिम्मुअंते लाउडोइअमहिए जाव झया, तस्स णं सिहायतणस्स तिदिसि तओ दारा पं०. ते णं दारा पंच धणसयाहं उबंउचत्तेणं अदाइजाई धणुसयाई विखंभेणं तावइयं च परसण सावरकणगथूभिआगा दारवण्णा जापवणमाला, तस्स णसिद्धाययणस्स अ मणिजे भूमिभागे पं०, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ या जाच तस्स णं सिद्धाययणस्स णं पहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एल्थ णं महं एगे देवच्छंदए पं० पंच घणुसयाई आयामविक्वंभेणं साइरेगाई पंच धणुसयाई उदउच्चत्तेणं सबस्यणामए, एत्य णं अट्ठसयं जिणपडिमाणं जिणुस्सेहप्पमाणमित्तार्ण संनिक्खित्तं चिट्टइ एवं जाव धूवकटुन्छुगा ।१३। कहिं णं भंते ! वेअड्ढपथए दाहिणड्ढभरहकूडे णामं कूडे पं०१, गो० : खंड८३८ जम्बूद्वीपषज्ञप्तिः पथरार मुनि दीपरनसागर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्पवायकूडस्स पुरच्छिमेणं सिद्धाययणकूडस्स परमिटमेणं एत्य णं वेअड्ढपाए दाहिणड्ढभरहकूडे णामं कूडे पं०, सिद्धाययणकडप्पमाणसरिसे जाप तस्स णं पहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स पहमादेसभाए एत्य णं महं एगे पासायवडिसए पं० कोसं उदउच्चत्तेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं अभुग्णयमूसियपहसिए जाब पासाईए०, तस्स णं पासायवडंसगस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगा मणिपेदिआ पं०, पंच धणुसयाई आयामविक्खंभेणं अड्ढाइजाई धणुसयाई पाहतेणं सबमणिमई, तीसे णं मणिपेदिआए उप्पिं सिंहासणं पं० सपरिवार भाणियचं, से केणट्टेणं भंते ! एवं बुचइ-दाहिणड्ढभरहकूडे २१, गो०! दाहिणइदभरहकूडे गं दाहिणड्ढभरहे णामं देवे महिइडीए जाव पलिओचमडिईए परिक्सइ, से णं तत्थ चउण्हं सामाणिअसाहस्सीणं चउण्डं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्डं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अणियाहिवईणं सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं दाहिणभरहकुडस्स दाहिणड्ढाए (भरहाए पा०) रायहाणीए अण्णेसि बहूर्ण देवाण य देवीण य जाब विहरइ, कहिं णं भंते ! दाहिणड्ढभरहकूडस्स देवस्स दाहिणड्दा णामं रायहाणी पं०?, गो० ! मंदरस्स परतस्स दक्षिणेणं तिरियमसंखेजे. दीवसमुहे वीईवइत्ता जंचुडीवे दीवे दक्खिणेणं चारस जोयणसहस्साई ओगाहिता एत्थ णं दाहिणड्ढभरहकूडस्स देवस्स दाहिणढभरहा णाम रायहाणी भाणिवा जहा विजयस्स देवस्स, एवं सबकूडा यज्ञा जाव वेसमणकडे परोप्परं पुरच्छिमपचस्थिमेणं, इमेसि (इमा से पा०) वण्णावासे गाहा-'मज्ो वेअड्ढस्स उ कणयमया तिण्णि होति कूडा उ। सेसा पाठयकूडा सवे रयणामया हाँति ॥२॥ माणिभदकूडे वेअढकूडे पुण्णभइकूडे एए तिपिण कूडा कणगामया सेसा छप्पि रयणामया, दोण्हं विसरिसणामया देवा कयमालए चेव णट्टमालए चेब, सेसाणं छण्हं सरिसणामया-'जण्णामया य कूडा तन्नामा खलु हति ते देवा। पलिओवमहिईया हवंति पनेअपत्तेयं ॥३॥रायहाणीओ जंबुद्दीचे दीवे० पारस जोअणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं रायहाणीओ भाणिअवाओ विजयरायहाणीसरिसियाओ।१४। से केणटेणं भंते ! एवं युभाइ-वेअड्ढे पवए २?, गोवेअड्ढे णं पचए भरहं वासं दुहा विभयमाणे २ चिट्ठइ, तं०. दाहिणइढभरहं च उत्तरड्ढभरहं च, वेअड्ढगिरिकुमारे अ इत्थ देवे महिढीए जाव पलिओवमट्टिइए परिवसइ, से तेण?णं गो०! एवं चुधइ-वेअड्डे पत्रए २, अदुतरं च णं गो ! वेयड्ढस्स पञ्चयस्स सासए णामधेजे पंजंण कयाइ ण आसी ण कयाइ ण भवइ ण कयाइ ण भविस्सइ भुपिं च भवइ अ भविस्सइ अ धुवे णिअए सासए अक्खए अपए अवहिए णिचे । १५। कहिं णं भंते! जंचुदीवे उत्तरड्ढभरहे णामं वासे पं०?, गो चालहिमवंतस्स वासहरपत्रयस्स दाहिणेणं वेअड्ढस्स पचयस्स उत्तरेणं पुरच्छिमलवणसमुहस्स पच्छिमेणं पञ्चच्छिमलवणसमुदस्स पुरच्छिमेणं एत्य णं जंबुद्दीवे उत्तरड्डभरहे णाम वासे पं० पाईणपड़ीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे पलिअंकसंठिए दुहा लवणसमुई पुढे पुरच्छिमिडाए कोडीए पुरच्छिमिडं लवणसमुदं पुढे पञ्चच्छिमिलाए जाव पुढे गंगासिंधूहि महाणइहिं तिभागपविभत्ते दोषिण अटुतीसे जोअणसए तिग्णि अ एगृणवीसइभागे जोअणस्स पिक्खंभेणं, तस्स पाहा पुरच्छिमपञ्चच्छिमेणं अट्ठारस वाणउए जोअणसए सत्त य एगूणवीसइभागे जोअणस्स अड्भागं च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाइणपडीणायया दुहा लवणसमुदं पुट्टा तहेव जाव योदस जोअणसहस्साई चनारि य एकसत्तरे जोअणसए छम एगूणवीसहभाए जोअणस्स किंचिविसेसूणे आयामेणं पं०, तीसे धणुपट्टे दाहिणेणं चोइस जोअणसहस्साई पंच अट्ठावीसे जोअणसए एकारस य एगणवीसइभाए जोयणस्स परिक्खेयेणं, उत्तरढभरहस्स णं भंते ! वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे ५०?, गो०! बहुसमरमणिजे भूमिभागे ५० से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाब कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं पेच, उत्तरइडभरहे णं भंते ! वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोयारे पं०१, गो० ते णं मणुआ बहुसंघयणा जाच अप्पेगइआ सिझंति जाच सप्तदुक्खाणमंतं करेंति । १६ । कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्डभरहे वासे उसभकूडे णाम पत्रए पं०?, गो०! गंगाकुंडम्स पञ्चत्विमेणं सिंधुकुंडस्स पुरच्छिमेणं चुडहिमवंतस्स वासहरपञ्चयस्स दाहिणिले णितंचे एत्थ णं जंबुद्दीचे उत्तरढभरहे वासे उसहकूडे णाम पाए पं० अट्ठ जोअणाई उड्ढउच्चत्तेणं दो जोयणाईं उबेहेणं मूले अट्ट जोअणाई विश्वंभेण मज्झेछ जोअणाई विक्संभेणं उचरिं चत्तारिजोयणाई विकखंभेणं मूले साइरेगाईपणवीसं जोअणाई परिक्खेवण मज्झे साइरेगाई अट्ठारस जोअणाई परिक्खेवेणं उवरिं साइरेगाई दुवालस जोअणाई परिक्खेवणं वाचनान्तरं- मूले वारस जोअणाई विखंभेणं मझे अट्ट जोअणाई विखंभेणं उप्पि चत्तारि जोअणाई विक्खंभेणं मूले साइरेगाई सत्तत्तीर्स जोअणाई परिक्खेवेणं मझे सातिरेगाई पणवीसं जोयणाई परिक्खेवेणं उप्पिं साइरेगाई पारस जोअणाई परिक्खेवेणं, मूले विच्छिपणे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सबजंचूणयामए अच्छे सण्हे जाब पडिरूवे, से ण एमाए पउमवरवेइआए तहेच जाच भवर्ण कोर्स आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसऊर्ण कोसं उइदउचनेणं अट्ठो तहेब, उप्पलाणि पउमाणि जाव उसमे अ एत्थ देवे महिदीए जाव दाहिणेणं रायहाणी तहेव मंदरस्स पव्वयस्स जहा विजयस्स अविसेसियं खा जंबुडीवे णं भंते ! दीवे मारहे वासे कतिविहे काले ५०?, गो! दुबिहे काले पं० २० ओसप्पिणीकाले अ उस्सप्पिणीकाले अ, ओसप्पिणीकाले णं भंते ! कतिविहे पं०?, गो०! छबिहे पं० त०-सुसमसुसमाकाले सुसमा० सुसमदुस्समा० दुस्सममुसमा० दुस्समा० दुस्समदुम्समा०, उस्सप्पिणीकाले णं भंते ! कतिविहे पं०?, गो० ! छविहे पं० सं०-दुस्समदुस्समा जाव सुसममुसमाकाले, एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवइया उस्सासद्धा विआहिआ ?, गो०! असंखिजाणं समयाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा आयलिअति पचुबइ सखिजाओ आचलिआओ ऊसासे संखिजाओ आवलिआओ नीसासे 'हस्स अणवगलस्स, णिरुवकिट्ठस्स सत्तहनरीए, एस मुहुत्तेत्ति आहिए ॥५॥ तिणि सहस्सा सत्त य सयाई तेवत्तरिं च ऊसासा। एस मुहुत्तो भणिओ सबेहिं अणंतनाणीहिं ॥६॥ एएणं मुहुत्तप्पमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्तो पण्णरस अहोरत्ता पक्खो दो पक्खा मासो दो मासा उऊ तिषिण उऊ अयणे दो अयणा संवच्छरे पंचसंवच्छरिए जुगे वीसं जुगाई वाससए दस वाससयाई वाससहस्से सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्से चउरासीई वाससयसहस्साई से एगे पुवंगे चउरासीई पुवंगसय सहस्साई से एगे पुरे एवं विगुणं २ णेअनं तुडिए २ अडडे २ अचवे २ हुए २ उप्पले २ पउमे २णलिणे २ अच्छिणिउरे २ अउए २ नउए २ पउए २ चूलिये २ सीसपहेलिए २ जाव चउरासीई सीसपहेलिअंगसयसहस्साईसा ८३९ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, क्यारी -१ मुनि दीपरत्नसागर : OS T Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TATOPATRA एगा सीसपहेलिया एतावताव गणिए एतावताव गणिअस्स विसए तेणं पर ओपमिए।१८। से किं तं ओषमिए?,२दुबिहे पं० त०-पलिओक्मे अ सागरोत्रमे अ, से कितै पलिओचमे?, पलिओवमस्स परूषणं करिस्सामि, परमाणू दुविहे पं० त०- सुहमे अ वावहारिए अ, अर्णताणं सुहमपरमाणुपुग्गलाणं समुदयसमिइसमागमेणं वावहारिए परमाणू णिप्फनइ, तत्थ णो सत्थं कमइ 'सत्येण सुतिक्रवणपि छेत्तुं भित्तुं च किर सका। तं परमाणु सिद्धा वयंति आई पमाणाणं ॥७॥ अणंताणं वावहारिअपरमाणूणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा उस्साहसहिआइ वा सहसव्हिाइवा उदरेणूह वा तसरेण्ड वा रहरेणूड वा बालग्गेइ वा लिक्खाइ वा जूआइ वा जबमोइ वा उस्सेहंगुलेइ या, अट्ठ उस्सव्हसहिआओ सा एगा साहसहिया अट्ठ सहसहिआओ सा एगा उद्धरेणू अट्ट उद्धरेणूओ सा एगा तसरेणू अट्ट तसरेणूओ सा एगा रहरेणू अट्ठ रहरेणूओ से एगे देवकुरुत्तरकुराण मणुस्साणं बालग्गे अट्ठ देवकुरू तरकुराण मणुस्साण वालग्गा से एगे हरिवासरम्मयचासाण मणुस्साणं वालग्गे एवं हेमवयहेरण्णवयाण मणुस्साणं पुरविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं अट्ठ पुत्रविदेहअवरचिदेहाण मणुस्साणं वालम्गा सा एगा लिक्खा अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूआ अट्ठ जूआओ से एगे जवमझे अट्ट जपमझा से एगे अंगुले एतेणं अंगुलप्पमाणेणं छ अंगुलाई पाओचारस अंगुलाई बितत्थी चळवीसं अंगुलाई रयणी अड्यालीसं अंगुलाई कुच्छी छण्णउई अंगुलाई से एगे अक्खेइ वा दंडेइ वा धणूइ वा जुगेइ या मुसलेह या णालिआइ वा एतेणं घणुप्पमाणेणं दो घणुसहस्साई गाउअं चत्तारि गाउआई जोअणं एएण जोअणप्पमाणेणं जे पाते जोअणं आयामपिक्संमेणं जोयर्ण उड्ढंउचनेणं तं तिगुणं सवि. सेसं परिक्खेवणं, से ण पाले एगाहिअचेहियतेहिम० उकोसेण सत्तरत्तपरूढाणं संमढे सणिचिए भरिए वालग्गकोडीणं, ते णं बालग्गा णो कुत्येजा णो परिविर्वसेजा णो अग्गी डहेजा णो वाऊ हरेज्जा णो पूइत्ताए हवमागच्छेजा, तओ णं वाससए २ एगमेगं वालगं अपहाय जावइएणं कालेणं से पाछे खीणे णीरए णिवे णिहिए भवइ से तं पलिओवमे, 'एएसिं पाहाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिआ। सागरोषमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं ॥८॥ एएणं सागरोवमप्पमाणेणं चत्तारि सागरोचमकोटाकोडीओ कालो सुसमसुसमा तिणि सागरो सुसमा दो सागरो० सुसमदुस्समा एगा सागरोचमकोडाकोडी बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिा दुस्समसुसमा एकवीसं वाससहस्साई दुस्समा एकवीसं वाससहस्साई दुस्समदुस्समा पुणरवि उस्सप्पिणीए एकवीसं वाससहस्साई कालो दुस्समदुस्समा एवं पडिलोमं अर्थ जाव चत्तारि सागरोषमकोढाकोडीओ कालो सुसमसुसमा० दससागरोचमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी दससागरोवमकोडाकोडीओ कालो उस्सप्पिणी वीसं सागरोषमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणीउस्सप्पिणी (कालचक)।१९। जंबुद्दीवेणं भंते! दीवे भरहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए उत्तमकट्टपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे होत्या?, गो०! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेड वा जावणाणामणिपंचवण्णेहिं तणेहि य मणीहि य उपसोभिए तं०-किण्हेहिं जाव मुकिाडेहि, एवं वष्णो गंधो फासो सहो अतणाण य मणीण य भाणिजपो जाव तत्थ थे पहले मणुस्सा य मणुस्सीओ य आसयंति जाव ललंति, तीसे णं समाए भरहे वासे यह उदाला कुदाला मुहाला कयमाला णड्गमाला दंतमाला नागमाला सिंगमाला संखमाला सेजमाला णामं दुमगणा पं० कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो जाव बीअमंतो पत्तेहि अ पुष्फेहि अ फलेहि य उच्छण्णपडिच्छण्णा सिरीए अईप २ उपसोभेमाणा चिटुंति, तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ २ बहवे भेरुतालवणाई हेरुताल मेरुताल० पभया(वा पा०)लव० सालव० सरल० सत्तिवण्ण० पूअफलिव०इक्सु० खजूरीब० णालिएरीवणाई कुसविकुसविसुद्वरुक्खमूलाई जाव चिट्ठति, तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ २ वहवे सेरिआलगुम्मा णोमालिआ० कोरंटय० बंधुजीव० मणोज० बी० पाण० कणइर० कुजाय० सिंदुवार० मोग्गर० जूहिआ० मलिआ० वासंतिआ० वत्थु० कत्युल० सेवाल० अगस्थि० मगदंतिआ चंपक जाती० णवणीइजा. कुंद महाजाइगुम्मा रम्मा महामेहणिउरंचभूआ दसद्धवणं कुसुमं कुसुमेति जे णं भरहे वासे बहुसमरमणिज भूमिभागं वायविधुअग्गसाला मुक्कपुष्फपुंजोक्यारकलिअं करेंति, तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ २ तहिं २ वहुईओ पउमलयाओ किण्हाओ किण्होभासाओ जाव लयावण्णओ, तीसे णं समाए भरहे वासे तत्थ २ तहिं २ पहुईओ वणराईओ पं० किण्हाओ किण्होभासाओ जाव मणोहराओ स्यमत्तगछप्पयकोरगभिंगारराकोंडलगजीवंजीवगनंदीमुहकविलपिंगलक्खगकारंडवचकवायगकलहंसहंससारसअणेगसउणगणमिहुणविअरिआओ सद्दुण्णइयमहुरसरणाइआओ संपिंडिअ०णाणाविहगुच्छ० बाचीपुकवरणीदीहिआसु अ सुणि विपिन अषि साउत्तिकणिरोगक० सबोउअपुष्फफलसमिद्धाओ पिंडिम जाव पासादीआओ०।२०। तीसे णं समाए भरहे वासे तस्थ २ तहिं २ मत्तंगाणामं दुमगणा पं० जहा से चंदप्पभा जाव छण्णपडिच्छण्णा चिटुंति, एवं जाव अणिगणा (म० आयाणी णार्म दुमगणा पं०)।२१। तीसे णं भंते! समाए भरहे वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोयारे पं०१, गो० ते णं मणुआ सुपइडिअकुम्मचारुचलणा जाव लक्खणवंजणगुणोववेआ सुजायसुविभत्तसंगयंगा पासादीया जाव पडिरूवा, तीसे णं भंते ! समाए भरहे वासे मणुईणं केरिसए आगारभावपडोआरे पं०?, गो० ताओ ण मणुईओ मुजायसवंगसुंदरीओ पहाणमहिलागुणेहिं जुत्ता अइकंतविसप्पमाणमउयसुकुमालकुम्मसंठिअविसिट्ठचलणा उजु(प्र० पउम). मउअपीचरसुसायंगुलीओ अग्भुण्णयरइअतलिणतंवसुइरइयणिदणक्खा रोमरहिअवट्टलट्ठसंठिअअजहष्णपसत्यलक्खणअकोप्पजंघजुअलाओ सुणिम्मिअसुगूढजाणुमंडलसुत्रसंधीओ कयलीखंभाइरेकसंठिअणिवणसुकुमालमउअमंसलअबिरलसमसंहिअसुजायवट्टपीवरणिरंतरोरू अट्ठावयवीइयपगुसंठिअपसस्थविच्छिण्णपिहुलसोणी वयणायामप्पमाणदुगुणिअविसालमंसलसुचजह्णवरचारिणीओ कजविराइअपसस्थलक्षणनिरोदरतिवलिअबलिअतणुणमिअमज्झिमाओ उजुअसमसहिअजमतणुकसिणणिदआइजलडहसुजालसुविभत्तकंतसोभतरुइलरमणिजरोमराई गंगावत्तपयाहिणायत्ततरंगभंगुररविकिरणतरुणयोहिअआकोसायंतपउमगंभीरविअडणाभी अणुभडपसत्थपीणकुच्छीओ सण्णयपासा संगयपासा सुजायपासा मिअमाइअपीणरइअपासा अकरंडुअकणगरुनगणिम्मलमुजायणिरुवहयगायलट्ठीओ कंचणकलसप्पमाणसमसहिअलट्टयुचुआमेलगजमलजुअलबहिअम्भुषणयपीवरपीणरायपो. हराओ भुजंगअणुपुवतणुअगोपुच्छवसमसहिअणमिअआइजललिअचाहा तंत्रणहाओ मंसलम्महत्याओ पीवरकोमलवरंगुलीआओ णिपाणिरेहा रविससिसंखवरचकसोत्थियसुधिभत्तसुचिरइअपाणिलेहाओ पीणुग्णयकरकक्खवस्थिप्पएसा पडिपुण्णगलकपोला चउरंगुलमुप्पमाणकंचुवरसरिसगीवाओ मंसलसंठिअपसत्यहणुगाओ दाडिमपुष्फप्पगासपीकरपलंचकुंचिअवराधराओ सुंदरुत्तरोटाओ दहिदगरयचंदकुंदवासंतिमउलधवलअच्छिरविमलदस- (२१०) ८४० जम्बूद्वीपषज्ञप्तिः पवारो-२ मुनि दीपरत्नसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णाओरत्तुष्पलपत्तमउअसुमालतालुजीहाओ कणवीरमउलअकुडिलअम्भुग्गयउजुतुंगणासाओ सारयणवकमलकुमुअकुवलयविमलदलणिअरसरिसलक्खणपतत्थअजिम्हकंतणयणा पत्तलपवलायतजातंचलोअणाओ आणामित्रचावरुदलकिण्हन्भराइसंगयसुजायभुमगाओ अल्लीणपमाणजुत्तसवणा सुसवणाओ पीणमट्टगंडलेहाओ चउरंसपसत्थसमणिडालाओ कोमुईस्यणिअरविमलपडिपुण्णसोमवयणा छत्तुण्णयुत्तमंगाओ अकविलसुसिणितसुगंधदीहसिस्याओ छत्तज्झयजूअथूभदामणिकमंडलुकलसवाविसोस्थिअफ्डाग१० जवमच्छकुम्भरहवरमगरज्झयअंकसुक्कथालअंकुसअट्ठावयसुपइट्ठग२०मयूरसिरिअभिसेजतोरणमेइणिउदहिवरभवणगिरिवरआयंससलीलगयउसभ३०सीहचामरउत्तम पसत्यवत्तीसलक्खणधरीओ हंससरिसगईओ कोइलमहुरगिरसुस्सराओ कंता सस्स अणुमयाओ ववगयवलिपलिअवंगदुवणवाहिदोहग्गसोगमुक्का उच्चत्तेण य णराण थोवूणमुस्सिआओ सभावसिंगारागारचारुवेसा संगयगयहसियभणिअचिट्टिअक्लिाससलावणिउणजुत्तोवयारकुसला सुंदरथणजहणवयणकरचलणणयणलावण्णवण्णरूवजोषणविलासकलिआ णंदणवणविवरचारिणीउ अचछराओ भरहवासमणुसच्छराओ अच्छेरगपेच्छणिजाओ पासाईआओ जाब पडिरुचाओ, ते णं मणुआ ओहस्सरा हंसस्सरा काँचस्सरा णंदिस्सरा गंदिघोसा सीहस्सरा सीहघोसा सूसरा सूसरणिग्घोसा छायाउज्जोविजंगमंगा वज़रिसहनारायसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिा छविणिरातका अणुलोमवाउवेगा कंकग्गहणी कवीयपरिणामा सणिपोसपिटुंतरोरुपरिणया छडणुसहस्समूसिआ, तेसिं णं मणुआणं चे छप्पण्णा पिट्ठकरंडगसया पं० समणाउसो !, पउमुप्पलगन्धसरिसणीसाससुरभिवयणा, ते णं मणुआ पगईपयणुकोहमाणमायालोमा मिउमदवसंपन्ना आडीणा भदगा विणी अप्पिच्छा असणिहिसंचया विडिमंतरपरिवसणा अहिच्छिअकामकामिणो । २२। तेसि णं भंते ! मणुआणं केवाइकालस्स आहारडे समुपजाइ?, गो ! अट्ठमभत्तस्स आहारट्टे समुप्पजइ, पढवीपुष्फफलाहाराणं ते मण पं० समणाउसो, तीसे णं भंते ! पुढबीए केरिसए आसाए पं०?, गो० से जहाणामए गलेड वा खंडेइ वा सकराइ वा मई डिआइवा पप्पडमोजएडवा भिसेति वा वा पउमुत्तराइ वा विजयाइ वा महाविजयाइ वा आकासिआइ वा आदंसिआइ वा आगासफलोचमाइ वा उग्गाइ वा अणोचमाइ वा, भवे एआरुवे ?, णो इणमटे समढे, सा णं पुढवी इत्तो इद्वतरिआ चेव जाव मणामतरित्रा चेव आसाएणं पं०, तेसिं णं भंते ! पुष्फफलाणं केरिसए आसाए पं०, गो० से जहाणामए रण्णो चाउरंतचक्कबहिस्स कहाणे भोअणजाए सयसहस्सनिष्फल्ने वण्णेणुक्वेए जाप फासेणं उववेए आसायणिजे विसायणिजे नप्पणिजे मयणिजे विहणिजे सबिंदिअगायपल्हायणिजे, भवे एआरूवे ?, णो इणमट्टे समढे, तेसिं पुष्फफलाणं एतो इतराए चेव जाव आसाए पं० ॥२३॥ ते णं भंते ! मणुया तमाहारमाहारेत्ता कहिं वसहिं उति ?, गो० रुस्खगेहालया णं ने मणुया पं० समणाउसो !, तेसि भंते ! रुक्खाणं केरिसए आयारभावपडोआरे पं०१, गो! कूडागारसंठिा पेच्छाच्छत्तझयथूभतोरणगोपुरवेइअचोप्फालगअट्टालगपासायहम्मिअगवक्खवालम्गपोइआवलभीघरसंठिआ अत्थपणे पेस्थ पहवे वरभवणविसिट्टसंठाणसंठिा दुमगणा सुहसीअलच्छाया पं० समणाउसो!।२४ । अस्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे गेहाइ वा गेहावणाइ वा ?, गो! णो इणढे समढे, रुक्खगेहालया णं ते मणुआ पं० समकाउसो !, अस्थि णं भंते ! तीसे समाए भरहे वासे गामाइ चा जाव संणिवेसाइ वा?, गो०! णो इणद्वे समट्टे, जहिच्छिअकामगामिणो णं ते मणुआ पं०, अस्थि णं भंते !० असीइ वा मसीइ वा किसीइ वा पणिएत्ति वा पणिएत्ति वा वाणिजेइ वा?, णो इणढे समढे, ववगयअसिमसिकिसिवणिअपणिअवाणिजा णं ते मणुआ पं० समणाउसो!, अस्थि णं भंते! हिरण्णेइ वा सुवण्णेइ वा कसेइ वा दूसेइ वा मणिमोत्तिअसंखसिलपवालरत्नरयणसावइजेइ वा ?, हंता अन्थि, णो चेव णं तेसि मणुआणं परिभोगत्ताए हबमागच्छद, अस्थि णं भंते ! भरहे रायाइवा जुवरायाइ वा ईसरतलबरमाडचिअकोटुंचिअइब्भसेडिसेणावइसस्थवाहाइ वा ?, गो० ! णो इणढे समढे, वगयइढिसकारा ते मणुआ, अस्थि णं भंते : भरहे वासे दासेइ वा पेसेइ वा सिस्सेइ वा भयगेइ वा भाइहएइ वा कम्मयरएइ वा?, णो इणडे समढे, वयगयअभिओगा णं ते मणुआ पं० समणाउसो!, अस्थि णं भंते! तीसे समाए भरहे वासे मायाइ वा पियाइ या भाया० भगिणी भजा पुत्त० धूआ० मुण्हाइ वा ?, हंता अस्थि, णो चेव णं तिचे पेम्मबंधणे समुष्पजइ, अस्थि णं भंते ! भरहे वासे अरीइ वा वेरिएइ वा घायएइ वा वहएइ वा परिणीयए वा पचामित्तेइ वा?णो इणडे समढे, ववगयवेराणुसया णं ते मणुआ पं० समणाउसो!, अस्थि णं भरहे वासे मित्ताइ वा वयंसाइ वा णायएइ वा संघाडिएइ वा सुहीइ वा संगएइति वा?.हंता अस्थि, णो चेव णं तेसिं मणुआणं तिथे रागचंधणे समुप्पजइ, का अन्थि णं भताभरह वासे आवाहाइवा वीवाहाइवा जपणाइ पा सदाइ वा थालीपागाइ वा पितिपिंडनिवेदणाइ वा. णो इट्टे समढे, परगयआचाहपीचाहजपणसदधातीपाकपितिपिंडनिवेदणाणं ते मणआ पं० समणाउसो!.EM अस्थि णं भंते ! भरहे वासे इंदमहाति वा खंद० णाग जख• भूअ० अगड तडागदह णदी० रुक्ख पपय० थूभ० चेइयमहाइवा ?, णो इगट्टे समढे, बवगयमहिमा णं ते मणुआ पं०, अस्थि णं भंते ! भरहे वासे णडपे. उछाइ वा णट्ट जात० माङ मुहिअ वेलंघग कहग. पवग लासगपेच्छाइ वा ?, णो इणढे समढे, ववगयको उहल्ला णं ते मणुआ पं० समणाउसो !, अस्थि णं भंते ! भरहे वासे सगडाइ वा रहाइ वा जाणाइ वा जुग्गा गिल्डि विडि० सी०संदमाणिआइ वा ?, णो इणढे समढे, पायचारविहारा णं ते मणुआ पं० समणाउसो !, अस्थि णं मंते! भरहे वासे गवाइ वा महिसीइ वा अयाइ वा एलगाइ वा ?.हंता अस्थि, णो क्षेत्र णं तेसि मणुआणं परिभो एलग पसय मि० वराह रु०सरम० चमर कुरंगगोकण्णमाइआ?.हंता अस्थि, णो चेवणं तेसिं परिभोगत्ताए हामागच्छंति, अस्थि णं भंते ! भरहे वासे सीहाइ वा बग्घाइ वा विगदीविगअच्छतरच्छसिआलबिडालमुणगकोकतियकोलसुणगाइ वा ?, हंता अस्थि, णो चेव णं तेसि मणुआणं आचाहं वा वाचाहं वा छविच्छेअं वा उप्पायेंति, पगइभइया णं ते सावयगणा पं० समणाउसो!, अस्थि णं भंते ! भरहे वासे सालीति वा वीहिगोहूमजवजवजवाइ वा कलममसूरमुग्गमासतिलकुलत्थणिष्फावालिसंदगजयसिकुसुंभकोडवकंगुवरालगसणसरिसवमूलगबीआइ वा ?,हंता अस्थि, णो चेव णं तेसि मणुआणं परिभोगत्ताए हवमागच्छति, अस्थि णं भंते ! भरहे वासे गड्डाइ वा दरीओवायपवायचिसमविजलाइ वा ?, णो इणढे समढे, भरहे णं वासे बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंगपुक्त८४१. जम्बूद्वीपमज्ञप्तिः साग-२ मुनि दीपरत्नसागर Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %*&%%Akhan रेइ वा०, अस्थि णं भंते ! भरहे वासे खाणूइ वा कंटगतणकयवराइ वा पत्तकयवराइ वा?, णो इणढे समढे. ववगयखाणुकंटगतणकयवरपत्तकयवरा णं सा समा पं० समणाउसो !, अस्थि णं भंते ! भरहे वासे डंसाइ चा मसगाइ वा जूआइ वा लिक्खाइ वा डिंकुणाइ वा पिसुआइ वा ?, णो इणढे समढे, वगयडसमसगतअलिक्खटिंकुणपिसुआ उबद्दवविरहिआ णं सा समा ५०, अस्थि णं भंते ! भरहे अहीइ वा अयगराइ वा ?, हंता अस्थि, णो चेव णं तेसि मणुआणं आचाहं वा जाव पगइभइया ण ते वालगगणा पं०, अस्थि णं भंते ! भरहे डिंचाइ वा डमराइ वा कलहबोलखारवइरमहाजुदाइ वा महासंगामाइ वा महासस्थपडणाइ वा महापुरिसपडणाइ वा महारुहिरपडणाइ वा ?, गो० णो इणढे समढे, बचगयराणुधा णं ते मणुआ पं० सम०, अस्थिणं भंते ! भरहे वासे दुग्भूआणि वा कुलरोगाइ वा गामरोगाइ वा मंडलरोगाइ वा पोह० सीसवेअणाइ वा कण्णोद्दअच्छिणहदंतवेअणाइ वा कासाइ वा सासाइ या सोसाइ का दाहाइ वा अरिसाइ वा अजीरगाइ वा दओदराइ वा पंडुरोगाइ वा भगंदराइ वा एगाहिआइ वा आहिआइ वा तेआहिआइवा चउत्थाहिआइ वा इंदग्गहाइ वा धणुहाइ वा खंगहाइ वा कुमारग्गहाइ वा जस्खग्गहाइ वा भूअग्गहाइ वा मत्थयमूलाइ वा हियअसूलाइ वा पोट्ट० कुच्छि० जोणिसूलाइ वा गाममारीइ वा जाव सण्णिवेसमारीइ वा पाणिक्खया जणक्खया कुलक्खया वसणभूधमणारिआ ?. गोळ! णो इणट्टे समढे, वगयरोगायंका णं ते मणुआ पं० समणाउसो! ।२५। तीसे णं भंते ! समाए भारहे वासे मणुाणं केवइत्रं कालं ठिई पं०?, गो! जहः देसूणाई तिष्णि पलिओचमाई उको तिष्णि पलिओचमाई, तीसे णं भंते! समाए भारहे वासे मणुआणं सरीरा केवइअं उच्चत्तेणं पं०१, गो० ! जह० देसूणाई तिष्णि गाउआई उक्को तिण्णि गाउजाई. ते णं भंते ! मणुआ किंसंघयणी पं०?, गो० ! वइरोसभणारायसंचयणी पं०, तेसिं णं भंते ! मणुआणं सरीरा किंसंठिा पं०?, उरंससंठाणसंठिा , तेसिं णं मणुआणं बेछप्पण्णा पिट्ठकरंडयसया पं० समणाउसो', ते णं भंते! मणुआ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छन्ति कहिं उववजति?, गो छम्मासाबसेसाउआ जुअलगं पसवंति, एगणपण्णं राइंदिआई सारक्वंति संगोवेति त्ता कासित्ता छीइत्ता जंभाइत्ता अकिट्ठा अबहिना अपरिआविआ कालमासे कालं किच्चा देवलोएसु उवयजति, देवलोअपरिम्गहा णं ते मणुआ पं० सम०!, तीसे णं भंते! समाए भरहे वासे काविहा मणुस्सा अणुसज्जित्था ?, गो०! छविहा तं०- पम्हगंधा मिअगंधा अममा तेअतली सहा सणिचारी।२६। तीसे णं समाए चउहिं सागरोवमकोडाकोडीहिं काले बीइकते अणंतेहिं बण्णपजबेहिं गंध, अणंतेहिं रस० अर्णतेहिं फास० अणंतेहिं संघयण अणंतेहिं संठाण अणतेहिं उच्चत्त० अणंतेहिं आउ० अणंतेहिं गुरुलहु० जणंतेहिं अगुरुलहु अणंतेहिं उठाणकम्मबलवीरिअपुरिसकारपरकमपज्जवेहि अणंतगुणपरिहाणीए परिहायमाणे एन्थ ण सुसमा णामं समाकाले पडिवज्जिसु समणाउसो!, जंबुद्दीचे णं भंते ! दीवे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमाए समाए उत्तमकट्ठपत्ताएभरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे होत्था ?, गो०! बहुसमरमणिजे भूमिभागे होत्था, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा तं चेव जं सुसमसुसमाए पुववण्णिअंणवरं णाणतं चउधणुसहस्समूसिआ एगे अट्ठावीसे पिट्ठकरंडकसए छट्ठभत्तस्स आहारट्टे चउसहि राईदिआई सारक्खंति दो पलिओवमाई आऊ सेसं तं चेव, तीसे णं समाए चउबिहा मणुस्सा अणुसज्जित्था तं०-एका पउरजंघा कुसुमा सुसमणा ।२७। तीसे णं समाए तीहिं सागरोचमकोडाकोडीहिं काले वीइकते अणतेहिं वण्णपज्जवेहिं जाव अर्णतगुणपरिहाणीए परिहायमाणे एस्थ णं मुसम नाए मज्झिमतिभाए पच्छिम तिभाए, जचुदावण भत!दाय इमीस आसोप्पणाए सुसमदुस्समाए समाए पढममज्झिमेसु तिभाएम भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोआरे पुच्छा, गो० बहुसमरमणिजे भूमिभागे होत्था सो चेव गमो अश्वो णाणत्तं दोधणुसहस्साई उड्दउच्चत्तेणं, तेसि च मणुआणं चउसटिपिट्टकरंडगा चउत्थभत्तस्स आहारट्टे समु. प्पजइ ठिई पलिओचमं एगूणासीई राइंदिजाई सारसंति संगोवेंति जाव देवलोगपरिग्गहिआ णं ते मणुअगणा पं० समणाउसो !, तीसे णं भंते ! समाए पच्छिमे तिभाए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे होत्या?, 2 गो०! बहुसमरमणिजे भूमिभागे होत्था से जहानामए आलिंगपुक्सरेइ वा जाप मणीहि उपसोभिए, तं-कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव, तीसे णं भंते ! समाए पच्छिमे तिभागे भरहे वासे मणुआणं केरिसए आया रभावपडोआरे होत्था ?, गो! तेर्सि मणुऔणं छविहे संघयणे छबिहे संठाणे बहूणि धणुसयाणि उदउच्चत्तेणं जह• संखिजाणि वासाणि उको असंखिजाणि वासाणि आउअं पालंति त्ता अप्पेगइया णिस्यगामी अप्पेगइया IS तिरिअगामी अप्पेगइया मणुयगामी अप्पेगइया देवगामी अप्पेगइया सिझंति जाव सपदुक्खाणमंतं करेंति।२८। तीसे णं समाए पच्छिमे तिभाए पलिओवमट्टभागावसेसे एत्य णं इमे पण्णरस कुलगरा समपजित्था, तं०- सुमई पडिस्सुई सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे बिमलवाहणे चक्सुमं जसमं अभिचंदे पसेणई मरुदेवे णाभी उसमेति ।२९। तस्य णं सुमईपडिस्सुईसीमंकरसीमंधरखेर्मकराणं एतेसि पंचण्हं कुलगराणं हक्कारे णाम दण्डणीई होत्था, ते णं मणुआ हकारेणं दंडेणं हया समाणा लजिआ बिलजिआ वेड्डा भीआ तुसिणीआ विणओणया चिट्ठति, तत्थ णं खेमंधरविमलवाहणचक्सुमंजसमंअभिचंदाणं एतेसिं णं पंचण्डं कुलगराणं मकारे णाम दंडणीई होत्या. ते णं मणुआ मक्कारेण दंडेणं या समाणा जाब चिट्ठति, तत्थ णं चंदाभपसेणइमरदेवणाभिउसभाणं एतेसिं णं पंचण्हं कुलगराणं धिक्कारे णाम दंडणीई होस्था, ते णं मणुआ धिक्कारेणं दंडेणं या समाणा जाव चिट्ठति ।३०। णाभिस्स णं कुलगरस्स मरुदेवाए भारिआए कुच्छिसि एत्य णं उसहेणार्म अरहा कोसलिए पढमराया पढमजिणे पढमकेवली पढमतित्थकरे पढमधम्मवरचकपट्टी समप्पजिस्था,तएणं उसमे अरहा कोसलिए वीसं पञ्चसयसहस्साई कमार वासमझे वसइ त्ता तेवदि पुरसयसहस्साई महारायवासमझे वसइ तेवढि पुरसयसहस्साई महारायवासमझे वसमाणे लेहाइआओ गणिअप्पहाणाओ सउणकअपज्जवसाणाओ बावत्तरि कलाओ चोसटैि महिलागुणे सिप्पसयं च कम्माणि तिष्णिवि पवाहिजाए उवदिसइ त्ता पुत्तसयं रजसए अभिसिंचइत्ता तेसीई पुच्चसयसहस्साइं महाराय(अगार)वासमझे वसइ त्ता जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले तस्स णं चित्तबहुलस्स णवमीपक्खेणं दिवसस्स पच्छिमे भागे चइत्ता हिरण्णं सुवणं० कोसं० कोट्ठागारं० बलं० वाहणं० पुरं० विउलघणकणगरयणमणिमोत्तिअसंखसिलप्पवालरत्तरयणसंतसारसावइज विच्छड्डयित्ता विगोवइत्ता दायं दाइआणं परिभाएत्ता सुदसणाए ८४२ जम्यूटीपप्रज्ञप्तिः पयर मुनि दीपरनसागर APRIVERA Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सीआए सदेवमणुासुराए परिसाए समणुगम्ममाणमग्गे संखियचक्किअणंगलिअमुहमंगलिअपूसमाणगवद्धमाणगआइक्खगलंखमंखघंटिअगणेहिं ताहि इटाहिं कंताहिं पियाहिं मणुण्णाहिं मणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरिआहिं हिययगमणिजाहिं हिययपल्हायणिज्जाहिं कण्णमणणि इकरीहिं अपुणरुत्ताहिं अट्ठसइाहिं वग्गूहि अणवरयं अभिणंदंता य अभिक्षुणता य एवं वयासी-जय जय नंदा ! जय जय भहा! धम्मेणं अभीए परीसहोवसम्गाणं खंतिखमे भयमेवाणं धम्मे ते अविग्धं भवउत्तिकटु अभिणंदंति य अमिथुणंति य, तए णं उसमे अरहा कोसलिए णयणमालासहस्सेहिं पिच्छिजमाणे २ एवं जाव णिग्गच्छइ जहा उववाइए जाव ना आसिअसंमजिअसित्तसुइकपुष्फोवयारकलियं सिद्धत्थवणविउलरायमगं करेमाणे हयगयरहपहकरेण पाइकचडकरेण य मंदं २ उद्धतरेणुयं करेमाणे २ जेणेव सिद्धत्थवणे उजाणे जेणेच असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छति ता असोगवरपायवस्स अहे सीअं ठावेइ त्ता सीयाओ पचोरुहइ त्ता सयमेवाभरणालंकारं ओमुअइ त्ता सयमेव पठहिं मुट्ठी(अट्टा)हिं लोअं करेइ त्ता छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं आसाढाहिं णक्खत्तेणं जोगमुवागएणं उग्गाणं भोगाणं राइनाणं खत्तिआणं चउहिं सहस्सेहिं सद्धिं एगं देवदूसमादाय मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पाइए ।३१। उसमे णं अरहा कोसलिए संवच्छर साहिअंचीवरधारी होत्या, तेण परं अचेलए, जप्पभिई च णं उसमे अरहा कोसलिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पवइए तप्पभिई च णं उसमे अरहा कोसलिए णिचं वोसट्टकाए चिअत्तदेहे जे केई उक्सग्गा उप्पजति तं-दिवा वा जाव पडिलोमा वा अणुलोमा बा, तत्थ पडिलोमा वेत्तेण वा जाव कासेण वा काए आउठेजा अणुलोमा वंदेज वा जाव पजुवासेज वा, ते सके सम्म सहइ जाव अहिआसेइ, तए णं से भगवं समणे जाए इरिआसमिए जाव पारिद्वावणिआसमिए मणसमिए क्यसमिए कायसमिए मणगुत्ते जाव गुत्तभयारी अकोहे जाव अलोहे संते पसंते उपसंते परिणित्रुडे डिण्णसोए निरुवलेवे संखमिव निरंजणे जचकणगंव जायरूबे आदरिसपडिभागेइव पागडभाचे कुम्मइब गुत्तिदिए पुक्खरपत्तमिव निस्वलेवे गगणमिव निरालंबणे अणिलेइव णिरालए चंदोइव सोमदसणे सूरोइव तेअंसी विहगइव अपडिबदगामी सागरोइव गंभीरे मंदरोइव अकंपे पुढवीचिव सवफासविसहे जीचोविव अप्पडियगइत्ति, णस्थि णं तस्स भगवंतस्स कथइ पडिचंधे, से पडिचंधे चउबिहे भवति, तं०-दनओ खित्तओ कालओ भावओ, दवओ इह खलु माया मे पिया मे भाया मे भगिणी मे जाव संगंथसंथुआ मे हिरण्णं मे सुवणं मे जाय उवगरणं में, अहवा समासओ सचित्ते वा अचित्ते वा मीसए वा दबजाए, सेवं तस्स ण भवइ, खित्तओ गामे वा णग अहोरते वा पक्खे वा मासे वा उऊए वा अयणे वा संवच्छरे वा अन्नयरे वा दीहकालपटिबंधे, एवं तस्स ण भवइ, भावओ कोहे वा जाव लोहे वा भए वा हासे वा०, एवं तस्स ण भवइ, से णं भगवं वासावासवज हेमंतगिम्हासु गामे एगराइए णगरे पंचराइए क्वगयहाससोगअरइभयपरित्तासे णिम्ममे णिरहंकारे लहुभूए अगथे वासीनच्छणे अवुढे चंदणाणुलेवणे अरते लेदलुमि कंचणमि य समे इह परलोए य अपडियदे जीषियमरणे निरखकखे संसारपारगामी कम्मसंगणिग्घायणट्टाए अभुट्टिए विहरइ, तस्स णं भगवंतस्स एतेणं विहारेणं विहरमाणस्स एगे वाससहस्से विइकंते समाणे पुरिमतालस्स नगरस्स बहिया सगडमुहंसि उज्जाणंसि णिग्योहबरपायवस्स अहे झाणंतरिआए वट्टमा. सणस्स फम्गुणबहुलस्स इकारसीए पुषणहकालसमयंसि अट्ठमेणं भत्तेणं अपाणएणं उत्तरासाढाणक्खत्तेणं जोगमुवागएणं अणुत्तरेणं नाणेणं जाय चरितेणं अणुत्तरेणं तयेणं चलेणं वीरिएणं आलएणं विहारेणं भावणाए खंतीए गुत्तीए मुनीए नुट्टीए अजवेणं महवेणं लापवणं सुचरिअसोबचिअफलनिवाणमग्गेणं अप्पाणं भावमाणस्स अणते अणुत्तरे णिवाघाए णिरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाणदसणे समुप्पण्णे जिणे जाए केवली सचण्णू सवदरिसी सणेरइअतिरिअनरामरस्स लोगस्स पजये जाणइ पासइ, तं०-आगई गई ठिई उपवार्य भुर्त कई पडिसेवि आचीकम्मं रहोकर्म वर्तकाल मणवइकाइये जोगे एवमादी जीवाणवि सबभावे अजीवाणवि समभावे मोस्वमग्गस्स विसुद्धत. राए भावे जाणमाणे पासमाणे एस खलु मोक्खमम्गे मम अण्णेसि च जीवाणं हियसुहणिस्सेयसकरे सबदुक्सविमोक्खणे परमसुहसमाणणे भविस्सइ, तते णं से भगवं समणाणं निम्गंधाण य णिग्गंधीण य पंच महावयाई सभाव4णगाई उच जीवणिकाए धम्म देसमाणे विहरति, तं०- पुढवीकाइए भावणागमेणं पंच महबयाई समावणगाई भाणिजबाईति, उसमस्स णं अरहओ कोसलिअस्स चउरासीईगणा गणहरा होत्या, उसभस्स णं अरहओ कोसलिश्रम्स उसमसेणपामोक्खाओ चुलसीई समणसाहस्सीओ उकोसिआ समणसंपया होत्था, उसमस्स ण चंभीसुंदरीपामोक्खाओ तिणि अजिआसयसाहस्सीओ उकोसिआ अजिआसंपया होत्या, उसमस्सण सेजंसपामोक्खाओ तिष्णि समणोवासगसयसाहस्सीओ पंच य साहस्सीओ उकोसिआ समणोबासगसंपया होत्था, उसमस्स र्ण० सुभद्दापामोक्खाओ पंच समणोवासिआसयसाहस्सीओ चउपण्णं च सहस्सा उकोसिआ समणोबासिआसंपया होत्था, उस भस्स र्ण अजिणार्ण जिणसंकासाणं सबक्सरसन्निवाईणं जिणोविव अवितहं वागरमाणाणं चत्तारि चउद्दसपुवीसहस्सा अदट्ठमा य सया उको चउदसपुत्रीसंपया होत्था, उसमस्स गं० णव ओहिणाणिसहस्सा उक्कोसिआ, उस| भस्स f० वीसं जिणसहस्सा० वीसं वेउधिअसहस्सा छच्च सया उक्कोसिआ० वारस विउलमईसहस्सा छच्च सया पण्णासा० बारस वाईसहस्सा छच सया पण्णासा. उसमस्स गं० गइकलाणाणं ठिकाणाणं आगमेसिभदाणं बाबीसं अणुत्तरोववाइआणं सहस्सा णय य सया, उसभस्स णं बीस समणसहस्सा सिद्धा चत्तालीसं अजिआसहस्सा सिदा सट्ठी अंतेवासीसहस्सा सिद्धा, अरहओ णं उसमस्स० पहले अंतेवासी अणगारा भगवतो अप्पेगइआ मासपरिआया जहा उपचाइए सत्रओ अणगारवण्णओ जाव उजाणू अहोसिरा झाणकोडोवगया संजमेणं तवसा अप्पाणं भाषमाणा विहरति, अरहओ णं उसमस्स दुविहा अंतकरभूमी होत्था, तं०-जुगंतकरभूमी य परिआयंत. करभुमी य, जुर्गतकरभूमी जाव असंखेज्जाई पुरिसजुगाई परिआयंतकरभूमी अंतोमुत्तपरिआए अंतमकासी।३२। उसमे णं अरहा पंचउत्तरासाढे अभीइछडे होत्था, तं०-उत्तरासाढाहिंचुए चइत्ता गम्भं वक्रते उत्तरासादाहि जाए उत्तरासाढाहिं रायाभिसेज पत्ते उत्तरासादाहिं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्यइए उत्तरासादाहिं अणते जाव समुप्पण्णे अभीइणा परिणिब्युए।३३। उसमे णं अरहा कोसलिए पजरिसहनारायसंघयणे समचउरंससं. ८४३ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः , chanainam-र मुनि दीपरत्नसागर Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ठाणसंठिए पंच घणुसयाई उइदउचत्तेणं होत्था, उसमे णं अरहा वीसं पुचसयसहस्साई कुमारवासमजमे वसित्ता तेवढिं पुश्वसयसहस्साई महारजचासमझे वसित्ता तेसीई पुश्सयसहस्साई अगारवासमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पञ्चइए, उसमेणं अरहा एगं वाससहस्सं छउमत्यपरिआय पाउणित्ता एगं पुञ्चसयसहस्सं वाससहस्सूणं केवलिपरिजायं पाउणित्ता एगं पुत्रसयसहस्सं बहुपडिपुण्णं सामण्णपरियं पाउणित्ता चउरासीई पुषसयसहस्साई सघाउ पालइत्ता जे से हेमंताणं तचे मासे पंचमे पक्खे माहबहुले तस्स णं माहबहुलस्स तेरसीपक्खेणं दसहिं अणगारसहस्सेहिं सदि संपरिखुडे अट्ठावयसेलसिहरंसि चोइसमेणं भत्तेणं अपाणएणं संपलिअंकणिसपणे पुषणकालसमयंसि अभीइणा णवत्तेणं जोगमुवागएणं सुसमदूसमाए समाए एगणणबईहिं पक्खेहिं सेसेहिं कालगए वीइकते जाव सबदुक्खपहीणे, जंसमयं च णं उसमे अरहा कोसलिए कालगए बीइकते समुजाए छिण्णजाइजरामरणपंधणे सिदे पुढे जाव सबस्वप्पहीणे तंसमयं च णं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो आसणे चलिए, तए णं से सक्के देविंद देवराया आसणं चलिअं पासइ त्ता ओहिं पउंजइ ना भयवं तित्थयरं ओहिणा आभोएइ ता एवं क्यासी- परिणिग्नुए खलु जंबुद्दीचे दीये भरहे वासे उसहे अरहा कोसलिए तं जीअमेज तीअपचुप्पण्णमणागयाणं सक्काणं देविंदाणं देवराईणं तित्थगराणं परिनिशाणमहिमं करेत्तए,तं गच्छामि णं अहंपि भगवतो तित्थगरस्स परिनिशाणमहिमं करेमित्तिकद बदहणमंसह ता चउरासीईए सामाणिअसाहस्सीहिं तायत्तीसाए तायत्तीसएहिं चउहिं लोगपालेहिं जाच चउहिं पहरासीईहिं आयरस्खदेवसाहस्सीहि अण्णेहि अ बहुहिं सोहम्मकप्पवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि अं सद्धि संपरिखुडे ताए उकिट्ठाए जाच तिरिअमसंखेजाणं दीचसमुदाणं मजझमजोणं जेणेव अट्ठावयपवए जेणेव भगवओ तित्थगरस्स सरीरए तेणेव उवागच्छद ता चिमणे णिराणंदे अंमुपुण्णणयणे तित्थ- 17. यरसरीरयं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता णचासण्णे णाइदूरे मुस्सूसमाणए जाव पजुवासइ, तेणं कालेणं ईसाणे देचिंदे देवराया उत्तरद्धलोगाहिबई अट्ठावीसविमाणसयसहस्साहिबई मूलपाणी वसहवाहणे सुरिंदे अयरंबरवत्यधरे जाब विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरह, तए णं तस्स ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो आसणं चलइ, तए णं से ईसाणे जाच देवराया आसणं चलिअं पासइ त्ता ओहिं पउंजइ त्ता भगवं तित्थगरं ओहिणा आभोएइ त्ता जहा सके निअगपरिवारेणं भणियव्यो जाव पजुवासइ, एवं सच्चे देविंदा जाय अचुए, णिअगपरिवारेणं आणेवा, एवं जाव भवणवासीणं इंदा, वाणमंतराणं सोलस जोइसिआणं दोण्णि निअगपरिवारा अचा, तए णं से सके देविंद देवराया बहवे भवणवइवाणमंतरजोइसोमाणिए देवे एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिा ! णंदणवणाओ सरसाइं गोसीसवरचंदणकटाई साहरह ता तओ चिहगाओ रएह-एगं भगवओ तित्थगरस्स एगं गणघराणं एर्ग अवसेसाणं अणगाराणं, तए णं ते भवणवइजायवेमाणिआ देवा णंदणवणाओ सरसाई गोसीसवरचंदणकट्ठाई साहरंति त्ता तओ चिइगाओ रएंति, एग भगवओ तित्थगरस्स एगं गणहाणं एग अवसेसाणं अणगाराणं, तए ण से सके देविंदे देवराया आमिओगे देवे सहावेह २त्ता एवं पयासी खिपामेच भो देवाणुप्पिया ! खीरोदगसमुदाओ खीरोदगं साहरह, तए णं ते आभिओगा देवा खीरोदगसमुदाओ खीरोदगं साहरंति, तए णं से सके देविंदे देवराया तित्थ गरसरीरगं खीरोदगेणं ण्हाणेति त्ता सरसेणं गोसीसवरचंदणेणं अणुलिंपड़ता हंसलक्खणं पडसाडयं णिअंसेइ २ ता सवालंकारविभूसिअं करेति, तए णं ते भवणवाइजावयेमाणिा गणहरसरीरगाई अणगारसरीरगाईपिय खीरोदगेणं A हार्वति त्ता सरसेणं गोसीसवरचंदणेणं अणुलिंपति ता अहताई दिवाई देवदूसजुअलाईणिअंसंति त्ता सवालंकारविभूसिआई करेंति, तए णं से सके देविंद देवराया ते पहये भवणवहजावचेमाणिए देवे एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिा ! ईहामिगउसमतुरयजाववणलयभत्तिचित्ताओ तओ सिपियाओ विउबह, एग भगवओ तित्थगरस्स एगं गणहाणं एगं अबसेसाणं अणगाराणं, तए णं ते बहवे भवणवइजाववेमाणिआ देवा तओ सिबिआओ विउचंति, एगं भगवओ तित्थगरस्स एगं गणहराणं एग अवसेसाणं अणगाराण, तए णं से सके देविंदे देवराया विमणे णिराणंदे अंसुपुण्णणयणे भगवओ तित्वगरस्स विणट्ठजम्मजरामरणस्स सरीरगं सीअं आल्हेति त्ता चिइगाए ठवेइ, तए णं ते बहवे भवणवइजाववेमाणिआ देवा गणहराणं अणगाराण य विणट्ठजम्मजरामरणाणं सरीरगाइं सीअं आरति त्ता चिइगाए ठवेंति, तए णं से सके देविंद देवराया अग्गिकुमारे देवे सदावेइ ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! तित्थगरचिइगाए जाव अणगारचिइगाए अगणिकायं विउबह त्ता एअमाणत्तियं पचप्पिणह, तए ण ते अग्गिकुमारा देवा विमणा णिराणंदा अंसुपुण्णणयणा तिस्थगरचिइगाए जाव अणगारचिइगाए य अगणिकायं विउचंति, तए णं से सके देविंद देवराया पाउकुमारे देवे सदाइत्ता एवं पयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! तित्थगरचिइगाए जाब अणगारचिइगाए य बाउकार्य विउबहत्ता अगणिकार्य उज्जालेह त्ता तित्थगरसरीरगं गणहरसरीरगाई अणगारसरीरमाइं च सामेह, तए णं ते बाउकुमारा देवा विमणा णिराणंदा असुपुष्णणयणा तित्थगरचिइगाए जाब विउति अगणिकायं उज्जालेति त्ता तिस्थगरसरीरगं जाच अणगारसरीरगाणि य साति, तए णं से सकें देविंदे देवराया ते बहवे भवणवइजाववेमाणिए देवे एवं पयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! तिस्थगरचिइगाए अणगारचिइगाए जाव अगुरुतुरुवषयमधु च कुंभग्गसो य भारग्गसो य साहरह, तए णं ते भवनइ जाच तित्यगर जाव भारम्गसो य साहरंति, तए णं से सके देविंद देवराया मेहमारे देवे सदाबेइत्ता एवं बयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! तित्थगरचिहगं जाव अणगारचिइगं चखीरोदगेणं णिववेह, तएणं ते मेहकुमारा देवा तित्थगरचिइगंजाव णिशाति, तए णं से सके देविंद देवराया भगवओ तित्थगरस्स उपण्डिं दाहिणं सकहं गेहइ ईसाणे देविंदे देवराया उवरिलं वार्म सकह गेण्हइ चमरे असुरिंदे असुरराया हेहिलं दाहिणं सकहं गेण्हइ बली वइरोअणिंदे वयरोअणराया हिद्दिष्वं वार्म सकहं गेण्हइ अवसेसा भवणवइजावयेमाणिआ देवा जहारिहं अवसेसाई अंगमंगाई केई जिणभत्तीए केई जीअमेअंतिकटटु केई धम्मोत्तिकटटु गेण्हंति, तए णं से सके देविंद देवराया बहवे भवणवइजाश्वेमाणिए देवे एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिा ! सबस्यणामए महइमहालए तओ चेहअथूभे करेह, एगं भगवओ तित्थगरस्स चिइगाए एर्ग गणहरचिइगाए एग अबसेसाणं अणगाराणं चिइगाए, तए णं ते पहने जाव करेंति, तए णं ते बहवे भवणक्इजाववेमाणिआ देवा तित्थगरस्स परिणिवाणमहिमं करेंति त्ता जेणेव नंदीसरवरे दीवे तेणेव उवागच्छन्ति, तए णं से सके देविंद देवराया पुरच्छिमिले अंजणगपत्रए अट्ठाहिजे महामहिमं करेति, तए णं सकस्स देविंदस्स० चत्तारि लोगपाला चउसु दहिमुहगपत्रएसु अट्ठाहियं महामहिम करेंति, ईसाणे देविंदे देवराया उत्तरिले अंजणगे अट्टाहिअं० तस्स लोगपाला चउसु दहिमुहगेसु अट्टाहियं० चमरो य दाहिणिले. तस्स लोगपाला (२११) ८४४ जम्बृद्धीपपज्ञप्तिः, पाग-२ मुनि दीपरनसागर Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दहिमुहगपश्ए० बल्दी पचत्थिमिले तस्स लोगपाला दहिमुहगेसु तए णं ते बहवे भवणवचाणमंतर जाव अट्टाहिआओ महामहिमाओ करेंति त्ता जेणेव साई २ विमाणाई जेणेव साई २ भवणाई जेणेव साओ २ सभाओ मुहम्माओ जेणेव सगा २ माणवगा चेइअखंभा तेणेव उपागच्छति ता वइरामएस गोलबट्टसमुग्गएम जिणसकहाओ पक्खिति ता अग्गेहिं वरेहिं महिय गंधेहि य अर्चेति ना बिउलाई भोगभोगाई भुजमाणा विहरति । ३४। तीसे गं समाए दोहिं सागरोपमकोडाकोडीहिं काले बीडते अनंतेहिं वणपजवेहिं तहेब जाव अणतेहिं उट्टाणकम्म जात्र परिहायमाणे एत्थ णं दूसमसुसमाणामं समा काले पडिवजिस समणाउसो, नीसे णं समाए भरहम्स वासम्स केरिसए आगारभाव पडोआरे पं० १. गो० बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंगपुक्खरेड वा जाब मणीहिं उबसोभिए, तं० कितिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव, तीसे णं भने समाए भरहे पासे मणुआणं केरिसए आया. रभाव पडोयारे पं० १, गो० तेसिं णं मणुआणं छबिहे संघयणे छबिहे संठाणे बहई घण्ई उदंउवत्तेणं जह० अंतो० उको पुत्रकोडीआउयं पालेति ता अप्पेगइया गिरयगामी जाय देवगामी अप्पेगइया सिज्झनि जाव समदुक्खाणमंत करेंति, तीसे णं समाए तओ सा समुप्यजित्था तं अरहंतांसे चकवट्टिबसे दसारवंसे, तीसे णं समाए तेवीसं तित्थयरा इकारस चकवट्टी णव चलदेवा णव वासुदेवा समुप्पजित्था । ३५। नीसे णं समाए एकाए सागरोवमकोडाकोडीए बयालीसाए बाससहस्सेहि ऊणिआए काले वीइते अनंतेहिं वण्णपजवेहिं तहेब जाब परिहायमाणीए २ एत्थ णं दूसमाणामं समा काले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो !, तीसे णं भंते! समाए भरहस्स वासम्स केरिसाए आगारभाव पडोजरे भविस्सइ ?, गो० बहुसमरमणिजे भूमिभागे भविस्सइ से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा मुइंगपुक्खरेइ वा जाव णाणामणिपंचवण्णेहि कित्तिमेहिं चैव अकितिमेहिं चैव तीसे णं भंते! समाए भरहम्स वासस्स आणं केरिसए आयारभावपडोयारे पं० १, गो० तीसे णं मणुआणं छवि संघयणे छविहे संठाणे चहुईओ रयणीओ उदंडवत्तेणं जह० अंतोमुद्दत्तं उक्को साइरेगं वाससयं आउयं पालेति ता अप्पेगइया गिरयगामी जाव सङ्घदुक्खाणमंत करेंति, तीसे णं समाए पच्छिमे विभागे गणधम्मे पासंडधम्मे रायधम्मे जायतेए चम्मचरणे य वोच्छिजिस्सइ । ३६। तीसे णं समाए एकवीसाए वाससहस्सेहिं काले चिकने अणतेहिं वण्णपज्जचेहिं जाव परिहायमाणीए २ एत्थ णं दुसमदूसमाणामं समा काले पडिवज्जिस्सह समणाउसो, तीसे णं भंते! समाए उत्तमकट्टपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभाव पडोआरे भविस्सइ ?, गो० काले भविस्सई हाहाभूए भंभाभूए कोलाहलभूए समाणुभावेण य खरफरसधूलिमइला दुझिसहा पाउला भयंकरा य वाया संघट्टगा य बाइस्संति, इह अभिक्खणं २ धूमाहिंति य दिसा समता रउस्सला रेणुकलुसनमपडलणिरालोआ समयलुक्खयाए णं अहिअं चंद्रा सीअं मोच्छिहिति अहि सूरिआ तस्सिंति, अदुत्तरं च णं गो० अभिक्खणं अरसमेहा विरसः खार खत्त ( पा० ) ० अग्गि० विज्जु० विसमेहा (असणि० पा० ) अज (पि पा० ) वणिजोदगा बाहिरोगवेदणीदीरणपरिणामसलिला अमगुण्णपाणिअगा चंडानिलपहततिक्खधाराणित्रातपउरं वासं बासिहिंति, जेणं भरहे वाले गामागरणगरखेडकब्बडमडंवदोणमुहपट्टणासमयं जणवयं चउप्पयगवेलए खयरे पक्सिसंघ गामारण्णप्पयारणिरए तसे य पाणे बहुप्पयारे रुक्खगुच्छ गुम्मलयवलिपवालंकुरमादीए तणवणस्सइकाइए ओसहीओ य विद्वंसेहिंति पश्यगिरिडोंगरुत्थलभट्टिमादीए य वेअड्ढगिरिवजे चिरावेहिंति सलिलबिलबिसमगत्त ( दुग्ग पा० ) णिण्णुण्णयाणि य गंगासिंधुबजाई समीकरेहिनि, नीसे णं भंते! समाए भरहस्स वासस्स भूमीए केरिसए आगारभावपडोआरे भविस्सइ ?, गो० ! भूमी भविस्सइ इंगालभूआ मुम्मुर छारिअ ० तत्तकवेडुअ तत्तसमजोइ० धूलिबहुला रेणु पंक० पणयः चलचिला बहूणं धरणिगो अराणं सत्ताणं दुन्निकमा यात्रि भविस्सइ, तीसे णं भंते! समाए भरहे वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइ ?, गो० ! मणुआ भविस्संति दुरूवा दुबण्णा दुगंधा दुरसा दुफासा अणिडा अकंता अपिजा असुभा अमणुन्ना अमणामा हीणस्सरा दीणस्सरा अणिट्टस्सरा अकंतस्सरा अपिअस्सरा अमणामस्सरा अमणुण्णस्सरा अणादेजवयणपचायाता हिजा कूडकवडकलहबंधवेरनिरया मज्जायातिकमप्पहाणा अकणिया गुरुणिओग. त्रिणयरहिया य विकलरूवा परूढणह केसमंसुरोमा काला खरफरूससा (झा पा० ) मण्णा फुट्टसिरा कविलपलिअकेसा बहुहारुणिसंपिणदुदंसणिजरूवा संकुडिअवलीतरंगपरिबेटि अंगमंगा जरापरिणयत्र थेरगणरा पत्रिरलपरिसडि. अतसेढी उन्भडपड (पाडा पा० ) मुहा विसमणयणवंकणासा बँक (ग पा० ) वलीविगयभेसणमुहा ददुविकिटिभसिच्भफुडिअफरसच्छवी चित्तलंगमंगा कच्छूखसराभिभूआ खरतिक्खणक्खकंडूइ अविकयत टोलागि (लग) ती विसम संधिबंधणा उकडुअअिविभत्तदुच्चलकुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिआ कुरुवा कुट्टाणासणकुसेजकुभोइणी असुइणो अणेगवाहिपीलिअंगमंगा खलंतविन्भलाई निरुच्छाहा सत्तपरिवजिता विगय (विषडु प्र०) बेड़ा नडते अभिक्खणं सीउन्हखरफरुसवायविज्झडिअमलिणपंसुर ओगुंडि अंगमंगा बहुकोमाणमायालोमा बहुमोहा असुभदुक्खभागी ओसण्णं धम्मसण्णसम्मत्तपरिभट्टा उक्को स्यणिप्पमाणमेत्ता सोलसचीसइवासपरमाउसो बहुपुतणनुपरिया लपणयबहुला गंगासिंधूओ महाणईओ वेअड्ढं च पश्यं नीसाए बावन्तरिं बी बी अमेला पिलवासिणो मणुआ भविस्संति, ते णं भंते! मणुआ किमाहारमाहारिस्संति ?, गो० तेणं काले गंगासिंधुओं महाणईओ रहपहमित्त. बित्थराओ अक्खसोअप्पमाणमेत्तं जलं वोज्झिहिंति, सेविअ णं जले बहुमच्छकच्छभाइण्णे णो चैव गं आउचहुले भविस्सइ, तए णं ते मणुआ सूरुम्गमणत्थमणमुत्तंसि य बिलेहिंतो णिदाइस्संति ना मच्छकच्छभे थलाई गाहेसंति ता सीआतवतत्तेहिं मच्छकच्छभेहिं इक्कचीसं वाससहस्साइं वित्ति कप्पेमाणा विहरिस्तंति, ते णं भंते! मणुआ णिस्सीला णिवया णिम्गुणा णिम्मेरा णिप्पञ्चक्खाणपोसहोचवासा ओसण्णं मंसाहारा मच्छाहारा खुड्डा (दा)हारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिंति कहिं उवत्रजिहिंति ?, गो! ओसण्णं णरगतिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिंति, तीसे णं भंते! समाए सीहा वग्धा विगा दीविआ अच्छा तरच्छा परस्सरा सरभ सियालचिरालसुणगा कोलसुणगा ससगा चित्तगा चिललगा ओसण्णं मंसाहारा मच्छाहारा खोद्दाहारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिंति ०१, गो० ! ओसण्णं णरगतिरिक्खजोणिएस उववजिहिंति, ते णं भंते! ढंका कंका पीलगा मग्गुगा सिही ओसण्णं मंसाहारा जाव कहिं गच्छिहिंति ०१, गो० ! ओसण्णं णरगतिरिक्खजोणिए जाव उववज्जिहिंति । ३७। तीसे गं समाए इकबीसाए वाससहस्सेहिं काले वीइकंते आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सावण८४५ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वक्रखरी २ मुनि दीपरत्नसागर Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बहुलपडिवए बालवकरणंसि अभीइणक्खत्ते चोइसपढमसमये अणतेहिं वण्णफजचेहिं जाव अणंतगुणपजवपरिखुड्ढीए परिवद्धमाणे २ एत्थ णं दूसमवूसमाणामं समाकाले पडिवजिस्सइ समणाउसो!, तीसे गं भंते ! समाए भर स्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोआरे भविस्सइ ?, गो०! काले भविस्सइ हाहाभूए भंभाभूए एवं सो चेव दुसमदूसमावेदगो अबो, तीसे णं समाए एकवीसाए वाससहस्सेहिं काले विदक्कते अर्णतेहिं वष्णफ्जवेहिं जाच अर्णतगुणपरिखुद्दीए परिवद्धेमाणे २ एत्य ण दुसमाणामं समाकाले पडिबजिस्सइ समणाउसो ! ।३८। तेणं कालेणं० पुक्खलसंवट्ठए णामं महामेहे पाउम्भविस्सइ भरहप्पमाणमित्ते आयामेणं तदाणुरूर्व चणे विक्खंभवाहल्लेणं, तए णं से पुस्खलसंचट्टए महामेहे खिप्पामेव पतणतणाइस्सह त्ता खिप्पामेव पविजुआइस्सइत्ता खिप्पामेव जुगमुसलमुट्ठिप्पमाणमित्ताहिं धाराहिं ओघमेघ सत्तरत्तं वासं पासिस्सइ, जेणं भरहस्स बासस्स भूमिभागं इंगालभूअं मुम्मुरभू छारिअभूअं तत्तकवेडुगभूअं तत्तसमजोइभू णिवाविस्सतित्ति, तसिं च णं पुक्खलसंवट्टगंसि महामेहंसि सत्तरत्तं णिपतितंसि समाणसि एत्थ णं खीरमेहे णामं महामेहे पाउम्भविस्सइ भरहप्पमाणमेत्ते आयामेणं तवणुरूवं च णं विक्खंभवाहलेणं, तए णं से खीरमेहे णामं महामेहे खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ जाव खिप्पामेव जुगमुसलमुट्ठि जाव सत्तरत्तं वासं वासिस्सइ, जेणं भरहवासस्स भूमीए वणं गंध रसं फासं च जणइस्सइ, तंसि च णं खीरमेहंसि सत्तरतं णिवतितंसि समाणंसि इत्थ णं घयमेहे णामं महामेहे पाउभविस्सइ भरहप्पमाणमेत्ते आयामेणं तवणुरूवं च णं विक्खंभवाहलेणं, तए णं से घयमेहे खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ जाव वासं वासिस्सह, जेणं भरहस्स भूमीए सिणेहभावं जणइस्सइ, तसिं च गं घयमेहंसि सत्तर णिवतितंसि समाणसि एस्थ णं अमयमेहे पाउम्भविस्सड भरहप्पमाणमित्तं आयामेणं जाव वासं वासिस्सड. वतितसि समाणसि एत्य णं अमयमेह पाउभविस्सइ भरहप्पमाणमित आयामेणं जाव वासं वासिस्सइ, जेणं भरहवासे रुक्खगुम्मलयवलितणपनगहरितगओसहिपवालंकुरमाइए तणवणस्सइकाइए जणइस्सइ, तसिं च णं अमयमेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि समाणसि एत्थ णं रसमेहे णामं महामेहे पाउभविस्सइ भरहप्पमाणमित्ते आयामेणं जाव वासं वासिस्सइ, जेणं तेसिं बहूणं रुक्खगुच्छगुम्मलयवालितणपागहरितओसहिपवालंकुरमादीणं तित्तकडुअकसायअंबिलमहुरे पंचविहे रसविसेसे जणइस्सइ, तए ण भरहे वासे भविस्सइ परूढरुक्खगुच्छगुम्मलयवलितणपब्वगहरिओसहिए उपविलयपत्तपवालपालवकुरपुष्फफलसमुहए मुहोवभोगे आवि भविस्सइ । ३९। तए णं ते मणूसा भरहं वासं परूढरुक्ख ओसहियं उवचि०समुइयं सुहोवभोगं जाय २ चावि पासिहिंति त्ता चिलेहितो णिदाइस्संति हद्वतुट्टा अण्णमण्णं सहाविस्संति ता एवं वदिस्संति जाते णं देवाणुप्पिा ! भरहे बासे परुद्रुक्खा जाब मुहोवभोगे, ते जे णं देवाणुप्पिआ ! अम्हे केई अजप्पभिइ असुभं कुणिमं आहार आहारिस्सइ से णं अणेगाहिं छायाहि वजाणिज्जे (बजे पा०)त्तिक? संठिई ठवेस्सति त्ता भरहे वासे मुहंमुहेणं अभिरममाणा २ विहरिस्संति । ४०। तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइ ?, गो०! बहुसमरमणिजे भूमिभागे भविस्सइ जाव कित्तिमेहिं पेष अकित्तिमेहि चेव, नीसे णं भंते ! समाए मणुआणं केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइ, गो०! तीसे णं० मणुआणं उबिहे संघयणे छबिहे संठाणे बहूईओरवणीओ उड्ढउच्चत्तेणं जह• अंतोमुहुत्तं उको साइरेगं बाससयं आउअं पालेहिति ना अप्पेगइआ णिस्यगामी जाब अप्पेगइआ देवगामी, ण सिझंति०, तीसे णं समाए एकवीसाए वाससहस्सेहिं काले वीइकते अणंतेहि वण्णपजवेहिं जाव परिखड्डेमाणे २ एत्थ णं दूसमसुसमाणामं समाकाले पडिवजिस्सा समणाउसो!, तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स बासस्स केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइगो बहसमरमणिजे जाव अकित्तिमेहि चेब, तीसे गंभंते! मणआणं केरि गो! बहुसमरमणिजे जाय अकित्तिमेहि चेब, तीसे णं भंते! मणुआणं केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सह?, गो! तेर्सिणं 18 मणुआणं विहे संघयणे छविहे संठाणे बहई धणूइं उदउच्चत्तेणं जह, अंतोमुहुनं उक्को पुचकोडीआउ पालिहिंति त्ता अप्पेगइआ णिस्यगामी जाव अंतं करहिंति, तीसे णं समाए तओ वंसा समुपजिस्संति, तं०-तिस्थगरसे चकचट्टिबसे दसारवंसे, तीसे णं समाए तेवीसं तिन्थगरा एक्कारस चक्कचट्ठीणच बलदेवा णव वासुदेवा समुप्पजिस्संति, तीसे णं समाएएगाए सागरोत्रमकोडाकोडीए चायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिआए काले वीइकते अणतेहिं जाब अर्णतगु. णपरिखुदीए परिचुद्देमाणे २ एल्थ णं सुसमदूसमाणामं समाकाले पडिवजिस्सइ समणाउसो!, सा णं समा तिहा विभजिस्सइ, तं-पढमे तिभागे मज्झिमे तिभागे पच्छिमे तिभागे, तीसे णं भंते ! समाए पढमे तिभाए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोआरे भविस्सइ?, गो०! बहुसमरमणिजे जाव भविस्सइ, मणुआणं जा चेव ओसप्पिणीए पच्छिमे तिभागे वत्तवया सा भाणिअधा कुलगरवजा उसभसामिवज्जा, अण्णे पदति-तीसे णं समाए पढ़मे तिभाए इमे पण्णरस कुलगरा समुप्पजिम्संति तं०-सुमई जाव उसभे, सेसं तं चेव, दंडणीईओ पडिलोमाओ, तीसे णं समाए पढमे तिभाए रायधम्मे जाव धम्मचरणे य वोच्छिजिस्सइ, तीसे णं समाए मज्झिमपच्छिमेमु तिभागेम जा पढममज्झिमेसु बत्तव्बया ओसप्पिणीए सा भाणिअव्वा, सुसमा तहेव, सुसमासुसमावि तहेब जाव छव्विहा मणुस्सा अणुसजिस्संति जाव सणिचारी ४शा से केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चइ-भरहे वासे २१, गो० भरहे णं वासे वेअदम्स पत्रयम्स दाहिणणं चोहसुत्तर जोअणसर्य एगारस य एगणवीसभाए जोयणस्स अबाहाए लवणसमुहस्स उत्तरेणं चोहसुत्तरं जोयणसयं एकारस य एगुणवीसहभाए जोयणस्स अबाहाए गंगाए महाणहए पचत्धिमेणं सिंधुए महाणइए पुरथिमेणं दाहिणभरहमज्झिडतिभागस्स बहुमझदेसभाए एत्य णं विणीआणामं रायहाणी पं० पाईणपडीणायया उदीणदाहिणविच्छिन्ना दुवालसजोअणायामा णवजोअणविच्छिण्णा धणबइमतिणिम्माया चामीयरपागारा णाणामणिपञ्चवण्णकविसीसगपरिमंडिआभिरामा अलकापुरीसकासा पमुइयपक्कीलिआ पञ्चक्खं देवलोगभूआ रिथिमिअसमिदा पमुइअजण जाणवया जाच पडिरूवा । ४२। तत्थ णं विणीआए रायहागीए भरहे णामं राया चाउरंतचक्कवट्ठी समुप्पजित्था, महयाहिमवंतमलयमंदर जाव रज पसासेमाणे विहरइ, बिइओ गमो रायवण्णगस्स इमो-तत्थ असंखेजकालवासंतरेण उप्पनए जसंसी उत्तमे अभिजाए सत्तवीरिअपरकमगुणे पसत्यवप्रणसरसारसंघयणतणुगबुद्धिधारणमेहासंठाणसीलप्पगई पहाणगारवच्छायाग(परा)इए अणेगवयणप्पहाणे तेअआउबलवीरिअजुत्ने अझुसिरघणणिचिअलोहसंकलणारायवइरउसहसंघयणदेहधारी प्रसजुगभिंगारवद्धमाणगभदासण. गसखच्छत्तवीअणपड़ागचक १० णंगलमुसलरहसोधिअअंकुसचंदाइचअग्गिजूयसागर २०इंदज्झयपुहविपउमकुंजरसीहासणदंडकुम्मगिरिवरतुरगवरवरमउड३० कुंडलणंदावत्तधणुकांतगागरभवणविमाण३६ अणेगलवणपसत्थमुषि८४६ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वरारो-२ मुनि दीपरत्नसागर Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मत्तचित्तकरचरणदेसभागे उद्धामुहलोमजालसुकुमालणिमउआवत्तपसत्थलोमविरहअसिविच्छच्छष्णविउलवच्छे देसखेत्तसुनिभत्तदेहधारी तरुणरविरस्सिबोहिअवरकमलविदगम्भवणे हयपोसणकोससण्णिभपसत्यपिटुंतणिरुव लेवे पउमुप्पलकुंदजाइजूहियवरचंपगणागपुष्फसारंगतुालगंधी छत्तीसाअहिअपसत्थपत्थिवगुणेहिं जुत्ते अघोच्छिण्णातपत्ते पागडउभयजोणी विसुद्धणिअगकुलगयणपुण्णचंदे चंदेइव सोमयाए णयणमणिबुडकरे अक्खोभे सागरोव | थिमिए धणबइ भोगसमुदयसहवयाए समरे अपराइए परमविक्कमगुणे अमरवइसमाणसरिसरुवे मणुअबई भरहचक्कवट्ठी भरहं भुंजइ पणदृसत्तू । ४३। तए णं तस्स भरहस्स रण्णो अण्णया कयाई आउहघरसालाए दिने चकरयणे समुपज्जित्था, तए णं से आउहपरिए भरहस्स रण्णो आउहपरसालाए दिवं चक्करयणं समुप्पणं पासइ त्ता हहतुदृचित्तमाणदिए नंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहिअए जेणामेव से दिवे चकरयणे तेणामेव से उवागच्छइत्ता तिक्युत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइत्ता करयल जाव कटु चक्करयणस्स पणामं करेइ त्ता आउहपरसालाओ पडिणिक्समइत्ता जेणामेव चाहिरिआ उबट्ठाणसाला जेणामेव भरहे राया तेणामेव उवागच्छा त्ता करयल जाच जएणं विजएणं बद्धावेइ त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिआणं आउघरसालाए दिवे चक्करयणे समुप्पणे त एअण्णं देवाणुप्पिआणं पिअट्टयाए पिअं णिवेएमो पिकं भे भवउ, तते णं से भरहे राया तस्स आउहपरिजस्स अंतिए एअमटुं सोचा णिसम्म हट्ट जाव सोमणस्सिए विअसिअवरकमलणयणक्यणे पयलिअवरकडगतुडिअकेऊरमउडकुंडलहारविरायंतरइअवच्छे पालंचपलंचमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरिथ चवलं णरिंदे सीहासणाओ अम्भुढेइ त्ता पायपीढाओ पच्चोरहइ त्ता पाउआओ ओमुअइ त्ता एगसाड़िों उत्तरासंगं करेइ त्ता अंजलिमउलिअग्नहत्थे चक्करयणाभिमुहे सत्तट्ट पयाई अणुगच्छइ त्ता वामं जाणु अंचेइ त्ता दाहिणं जाणुं धरणितलंसि णिहट करयलजावअंजलिं० चकरयणस्स पणामं करेइत्ता तस्स आउहपरिजस्स अहामालिनं मउडवज ओमोजंदलइत्ता विउलं जीविआरिहं पीइदाणं दलइत्ता सकारेइ सम्माणेइत्ता पडिविसलेड त्ता सीहासणवरगए पुरत्था भिमुहे सण्णिसण्णे, तए णं से भरहे राया कोडुनिअपुरिसे सदावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिा ! विणीनं रायहाणिं सम्भितरवाहिरिनं आसिञसंमजिअसित्तसुइगरत्यंतरचीहि मंचाइमंचकलिअंणाणाविहरागव. सणऊसिअझयपडागपडागातिपडागमंडिअं लाउडोइअमहिअं गोसीससरसरत्तचंदणददरदिनपंचंगुलितलं उबचियचंदणकलसं चंदणघडसुकयजावगंधुदुआभिरामं सुगंधवरगंधिों गंधपट्टिभूअं करेह कारचेह ता य एअमाणत्तिों | पञ्चप्पिणह, तए णं ते कोटुंबिअपरिसा भरहेणं रण्णा एवं बुत्ता हट्ठ० करयल जाब एवं सामित्ति आणाए विणएणं वयणं पडिमुणति त्ता भरहस्स अंतिआओ पडिणिक्खमंति त्ता विणीअं रायहाणि जाव करेना कारवेत्ता य तमा. णत्ति पचप्पिणति, तए णं से भरहेराया जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छहत्ता मज्जणघरं अणुपविसइत्ता समुत्तजालाकुलाभिरामे विचित्तमणिरयण कुट्टिमतले रमणिजे पहाणमंडसिणाणामणिरयणभत्तिचित्तसि हाणपीढसि सुहणिसपणे सुहोदएहिं गंधोदएहिं पुष्फोदएहिं सुहोदएहि य पुण्णे कडाणगपवरमजणविहीए मज्जिए तत्व कोउअसएहिं बहुविहेहि कालाणगपवरमजणावसाणे पम्हलमुकुमालगंधकासाइअलूहिअंगे सरससुरहिगोसीसर्चदणाणु. लित्तगत्ते अयसुमहग्धदूसरयणसुसंवुढे सुइमालावण्णगविलेषणे आविद्धमणिसुवणे कपिअहारबहारतिसरिअपालंचपलंचमाणकडिसुत्तसुकयसोहे पिणद्धगेविजगअंगुलिजगललिगयकयाभरणे णाणामणिकडगडिअर्थभित्रभए अहिअसस्सिरीए कुंडलउज्जोइआणणे मउडदित्तसिरए हारोत्थयमुकयवच्छे पालंबपलंघमाणमुकयपडउत्तरिजे मुदिआपिंगलंगुलीए णाणामणिकणगविमलमहरिहणिउणोविअमिसिमिसितविरइअमुसिलिट्ठविसिट्ठलहसं. चामरवालबीइअंगे मंगलजयजयसहकयालोए अणेगगणणायगदंडणायगजाबदअसंधिवाल सदि संपरिवहे धवलमहामेहणिग्गए इव जाव ससिध पियदसणे णरवई धूवपुष्फगंधमालहत्थगए मजणघराओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेच आउहपरसाला जेणामेव चकरयणे तेणामेव पहारेत्य गमणाए, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो वहवे ईसरजावपभिइओ अप्पेगइजा पउमहत्थगया अप्पे उप्पलहत्यगया जाव अप्पेगइआ सयसहस्सपत्तहत्यगया भरहं रायाणं पिटुओ अणुगच्छंति, तए णं तस्स भरहस्सरण्णो बहूईञो- खुजा चिलाइ वामणि बडभीओ ववरी बउसिआओ। जोणिअ पल्हविनाओ ईसिणिज थारुकिणिआओ ॥९॥ लासिज लउसिअ दमिली सिंहलि नह आरची पुलिंदी या पऋणि बहलि मुरुंडी सबरीओ पारसीओ य॥१०॥ अप्पेगइयाओ चंदणकलसहत्थगयाओ चंगेरीपुष्फपडलहत्वगयाओ भिंगारआदसथालपातिसुपइहगवायकरगरयणकरंडपुष्फचंगेरीमलवण्णचुण्णगंधहत्वगयाओ वयाभरणलोमहत्वयचंगेरीपुप्फपडलहत्यगयाओ जाव लोमहत्वहत्थगयाओ अप्पेगइआओ सीहासणहत्थगयाओ छत्तचामरहत्थगयाओ तिइसमपायहत्थगयाओ-तेले कोट्ठसमुग्गे पत्ते चोए य तगरमेला या हरिआले हिंगुलए मणोसिला सासवसमुग्गे ॥११॥ अप्पेगइआओ तालिअंटहत्थगयाओ अप्पे धूवकडुअहत्थगयाओ भरहं रायाणं पिट्टओ अणुगढ़ति, तए णं से भरहे राया सविड्ढीए सब्बजुईए सब्वबलेणं सव्वसमुदयेणं सव्वायरेणं सबविभूसाए सव्यविभूईए सब्बवत्थपुप्फगंधमहालंकारविभूसाए सवतुडियसहसणिणाएणं महया इड्ढीए जाव महया वस्तुडियजमगसमगपबाइएणं सखपणवपडहभरिमारिखरमुहिमुरजमुइगद्दाहनिम्घासणाइएणं जव आउहघरसाला तणय उवागन्छहत्ता आलाए चकरयणस्स पणाम करहना जणव चकरयण नणय उपाग ए चकरयणस्स पणामं करेड ना जेणेव चकरयणे नेणेव उपागच्छहत्ता (१० फारोहणं) लोमहस्वयं परामसा ना चक्करयणं पमजइ ता दिवाए उदगधाराए अम्भुक्खेड ता सरसेणं गोसीसवरचंदणेणं अणुलिंपइ ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि मडेहि अ अचिणइ पुष्फाम्हणं मडगंधवण्णचुण्णवत्थाम्हणं आभरणाम्हण करेइ ना अच्छेहि सण्हे हिं सेएहिं रययामएहिं अच्छरसातंडुलेहिं चक्करयणस्स पुरओ अट्ठमंगलए आलिहइ, तं०. सोस्थियसिविच्छणंदिआवत्तवद्धमाणगभहासणमच्छकलसदप्पण, अट्ठमंगलए आलिहिता करेइ उबयारंति, कि ने ?, पाइलमतिअचंपगअसोगपुण्णागचूअमंजरिणवमालिअबकुलतिलगकणवीरकुंदकोजयकोरंटयपत्तदमणयवरसुरहिसुगंधगंधिअस्स कयग्गाहगहिअकरयलपभट्टविष्पमुक्कस्स इसवण्णम्स कुसुमणिगरस्स तत्थ चित्तं जाणुम्सेहपमाणमिनं ओहनिगरं करेत्ता चं. दप्पभवइरवेरुलिअविमलदंड कंचणमणिरयणभत्तिचित्तं कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कधूक्मघमर्षतगंधुत्तमाणुविद्धं च धूमबढि विणिम्मुअंतं वेरुलिअमयंकडुच्छुअंपग्गहेनु पयते धूवं दहइ ना सत्तट्ट पयाई पञ्चोसक्कड़ ना वामं जाणं ८४७ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वन-३ मुनि दीपरत्नसागर Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंचेइ जाव पणामं करेइ त्ता आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव बाहिरिआ उबट्टागसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उपागच्छइ त्ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुद्दे सण्णिसीअइ ता अट्ठारस सेणिपसेणीओ सदावेइ ता एवं बयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पि ! उस्सुंकं उक्कर उक्किटं अदिजं अमितं अभडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं गणिआवरणाडइज्जकलिमं अणेगतालायराणुचरिअं अणुद्धअमुडंगं अमिलायमइदामं पमुइअपक्कीलिअस - पुरजणजाणवयं विजयवेजयंतचक्करयणस्स अट्टाहियं महामहिमं करेह ता ममेअमाणत्तिअं खिप्पामेव पञ्चप्पिणह, तए णं ताओ अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ भरहेणं रत्ना एवं वृत्ताओ समाणीओ हट्टाओ जाय त्रिणएणं पडिमुणति ता मरहस्त रण्णो अंतिआओ पडिणिक्खमेन्ति ता उस्मुक्कं जाव करेंति अ कावंति अ ता जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छति ता जाव तमाणत्तिअं पचप्पियंति । ४४ । तए णं से दिवे चकरयणे अट्टाहिआए महामहिमाए निवत्ताए समाणीए आउघरसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता अंत लिक्ख पडिवण्णे जक्खसहस्ससंपरिवुडे दिवतुडिअसद्दसण्णिणाएवं आपूतं चैव अंचरतलं विणीआए रायहाणीए मज्झमज्झेणं णिमाच्छ ता गंगाए महाणईए दाहिणिलेणं कूलेणं पुरत्थिमं दिसिं मागहतित्याभिमुहं पयाते आचि होत्था, तए णं से भरहे राया तं दिवं चक्करयणं गंगाए महाणईए दाहिणिलेणं कूलेणं पुरस्थिमं दिसिं मागहतित्याभिमुहं पयातं पास ना हतुहियए कोईत्रिअरिसे सहावे त्ता एवं क्यासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पि ! आभिसेकं हत्थिरयणं पडिकप्पे ह्यगयरह्पवर जोहकलिअं चाउरंगिणि सेण्णं सण्णा हेह ता एतमाणत्तिअं पञ्चप्पिण, तए णं ते कोडुंबिज जात्र पञ्चप्पिणंति, तए णं से भरहे राया जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ त्ता मज्जणघरं अणुपविसइ त्ता समुत्तजालाउलाभिरामे तत्र जात्र धवलमहामेहणिग्गए इव ससिव पियदंसणे णरवई मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ ता हयगयरहपवरवाणभडचडगरपहकरसंकुलाए सेणाए पहिअकित्ती जेणेव बाहिरिआ उबट्टाणसाला जेणेव आभिसेके हत्थिरयणे तेणेत्र उवागच्छइ त्ता अंजणगिरिकडगसण्णिभं गयवरं णरवई दुरूडे, तए णं से भरहाहित्रे णरिंदे हारोत्थयसुकयरइयवच्छे कुंडलउज्जोइ आणणे मउडदित्तसिरए णरसीहे णरवई परिंदे णरवसहे मरुअरायवसभकप्पे अम्महिअरायते अलच्छीए दिप्पमाणे पसत्थमंगलसएहिं संयुवमाणे जयसद्दकयालोए हस्थिखंधवरगए सकोरंटमइदामेण छत्तेण धरिजमाणेणं सेअवरचामराहिं उद्ध्रुवमाणीहिं २ जक्खसहस्ससंपरिबुडे बेसमणे चेव घणवई अमरवइसण्णिभाए इइडीए पहिअकित्ती गंगाए महाणईए दाहिणिणं कूलेणं गामामरणगरखेड कब्बडम डंबदोणमुह पट्टणासमसंवाहसहस्समं - डिजं थिमिअमेडणी वसुहं अभिजिणमाणे २ अम्गाई वराई रयणाई पढिच्छमाणे २ तं दिवं चकरयणं अणुगच्छमाणे २ जोजणंतरिआहिं वसहीहि वसमाणे २ जेणेव मागतित्थे तेणेव उवागच्छइ त्ता मागतित्थस्स अदूरसामंते दुवालसजोयणायामं णवजोअणविच्छिण्णं वरणगरसरिच्छं विजयखंधावारनिवेस करेइ त्ता बढइरयणं सदावेइ त्ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पि ! ममं आवासं पोसहसालं च करेहि ता ममेअमाणत्तिअं पचप्पिणाहि. तए णं से बढइरयणे भरहेणं रण्णा एवं वृत्ते समाणे हतुट्ट जाव वयणं पडिसुणेइ ता भरहस्स रण्णो आवसहं पोसहसालं च करेइ त्ता एअमाणत्तिअं खिप्यामेव पचप्पिणति, तए णं से भरहे राया अभिसेकाजो हत्थिरयणाओ पचोरुहइ ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता पोसहसालं अणुपविसद् त्ता पोसहसालं पमजइ त्ता दम्भसंधारगं संघरइ त्ता दम्भसंधारगं दुरूहइ ता मागहतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिन्हइ ता पोसहसालाए पोस हिए बम्हारी उम्मुकमणिसुवण्णे ववगयमालावण्णगविलेवणे णिक्खित्तसत्थमुसले दम्भसंथारोबगए एगे अबीए अट्टमभत्तं पडिजागरमाणे २ विहरइ, तए णं से भरहे राया अट्टमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमड ना जेणेव बाहिरिआ उवट्टाणसाला तेणेव उवागच्छ त्ता कोडुंचिअपुरिसे सहावेइ ता एवं बयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पि ! हयगयरहपवरजोहकलिअं चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेह चाउग्घंटं च आसरहं पडिकप्पेहत्तिकट्ट मज्जणघरं अणुपचिस त्ता समुत्त तहेव जाव धवलमहामेहणिग्गए जाव मज्जणपराओ पडिणिक्खमइ ता हयगयरहपत्ररजोहवाहण जाव सेणाइ पहिअकित्ती जेणेव बाहिरिआ उवट्टाणसाला जेणेव चाउघंटे आसरहे तेणेव उचागच्छ ता चाउग्र्घटं आसरहं दुरूढे । ४५ । तए णं से भरहे राया चाउग्घंट आसरहं दुरुदे समाणे हयगयरहपत्ररजोहकलिआए सद्धिं सेणाए संपरिवुडे महयाभडचडगरपहगरवंदपरिक्खित्ते चक्करयणदेसिअमग्गे अणेगरायवरसहस्ताणु आयमग्गे महया उकिसीहणायचोलकलकलरवेणं पक्लुझिअमहासमुदरवभूअंपित करेमाणे २ पुरत्थिमदिसाभिमुहे मागतित्येणं लवणसमुदं ओगाहइ जाव रहबरस्स कुप्परा उल्ला, तए णं से भरहे राया तुरगे निगिण्हइ त्ता रहं वेइ त्ता धणुं परामुसइ, तए णं तं अइरुम्गयचालचन्दइंदधणुसन्निकासं वरमहिसदरिअदप्पिअदढघणसिंगग्गरइअसारं उरगवरपवर गबलपचरपरहुअभ्रमरकुलणीलिणिदधंतधोअप णिउणोवि अमिसिमिसितमणिरयणघंटि आजालपरिक्खित्तं तडितरुणतरणिकिरणतवणिवदधिं ददरमलयगिरिसिहरकेसरचामरवालद्धचंदचिंधं कालरिअरत्तपी अकिल चहारुणिसंपिणद्धजीवं जीविअंतकरणं धणुं गहिऊण से णरवई उसुं च वरवरकोडिजं बहरसारतॉर्ड कंचणमणिकणगरयणधोइसकयपुंखं अणेगमणिरयणविविहसुबिरइयनामचिंधं वइसाहं ठाइऊण ठाणं आयतकण्णायतं च काऊण उमुमुदारं इमाई वयणाई तत्थ भणिज से णरवई 'हंदि सुतु भव॑तो बाहिरओ खन्दु सरस्स जे देवा। णागासुरा सुवण्णा ते खुण (प्र० श्रुणि )मो पणिवयामि ॥ १२ ॥ हंदि सुणंतु भवंतो अग्भितरओ सरस्स जे देवा । णागासुरा सुवण्णा सवे मे ते विसयवासी ॥ १३ ॥ इतिकट उसुं णिसिरइत्ति- परिगरणिगरिअमज्झो बाउसोभमाणकोसेजो। चित्तेण सोभए धणुवरेण इंदोच्च पञ्चकखं ॥ १४ ॥ तं चंचलायमाणं पंचमिचंदोवमं महाचावं । छज्जइ वामे हत्थे णरवणो तंमि विजयंमि ॥ १५ ॥ तए णं से सरे भरहेणं रण्णा जिसट्टे समाणे खिप्पामेत्र दुबास जोअणाई गंता मागहतित्याधिपतिस्स देवस्स भवणंसि निवइए, तए णं से मागहतित्थाहिवई देवे भवणंसि सरं शिवइअं पासइ ता आसुरुते रुहे चंडिकिए कुत्रिए मिसिमिसेमाणे निवलिअं भिउडिं पिडाले साहरइ ला एवं बयासी केस णं भो एस अपस्थिअपत्थए दुरंतपंतलक्खणे हीणपुण्णचाउदसे हिरिसिरिपरिवजिए जेणं मम इमाए एआणुरूवाए दिशाए देविदीए दिखाए देवजुईए दिवेणं दिवाणुभावेणं लदाए पत्ताए अभिसमण्णा गयाए उपि अप्पस्सुए भवसि सरं णिसिरइत्तिकट्टु सीहासणाओं उट्ठेइ त्ता जेणेव से णामाहयंके सरे तेणेव उवागच्छ ता तं णामाहयक सरं गेण्हइ त्ता णामंक अणुपवाएछ नामक अणुष्पवाएमाणस्स इमे एआरुवे अम्भस्थिए चिंतिए पन्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था उप्पण्णे खलु भो ! जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे भरहे णामं राया चाउरंतचकवट्टी तं जीअमेजं तीअपचुप्पण्णमणाग्याणं मागहृतित्थकुमाराणं देवाणं राईणमुवत्थाणीयं करेत्तए, तं (२१२) ८४८ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वक्खारो-३ मुनि दीपरत्नसागर 演出が Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गच्छामि णं अहंपि भरहस्स रण्णो उपत्याणी करेमित्तिकद संपेहेति एवं ता हारं मउडं कुंडलाणि य कडगाणि य तडिआणि य वत्याणि य आभरणाणि य सरं च णामाहयक मागहतिस्थोदगं च गेव्हा त्ता ताए उकिटाए तुरिआए षषलाए जयणाए सीहाए सिग्याए उ आए दिवाए देवगईए बीईवयमाणे २ जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइत्ता अंतलिक्खपडिवण्णे सखिंखिणीआई पंचवण्णाई वत्थाई पचरपरिहिए करयलपरिग्गहिजं दसणहं सिर जाप अंजलिं कटु भरहं रायं जएणं विजएणं वदावेइ त्ता एवं वयासी अभिजिए णं देवाणुप्पिएहिं केवलकप्पे भरहे वासे पुरच्छिमेणं मागहतित्यमेराए त अहण्णं देवाणुप्पिाणं विसयवासी अहण्णं देवाणुप्पिआणं आणसीकिंकरे अहण्णं देवाणुप्पिआणं पुरच्छिमिले अंतवाले त पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिआ! ममं इमेआरूर्व पीइदाणंतिकटु हारं मउड़ जाव मागहतित्थोदगं च उवणेइ, तए णं से भरहे राया मागहतित्वकुमारस्स देवस्स इमेयारू पीइदाणं पडिच्छा त्ता मागहतित्यकुमार देवं सकारेइ सम्माणेइ त्ता पडिविसज्जेइ, तए णं से भरहे राया रहं परावत्तेइ त्ता मागहतित्थेणं लवणसमुदाओ पबुत्तरइ त्ता जेणेव विजयसंघाचारणिवेसे जेणेव बाहिरिआ उबट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छा त्ता तुरए णिगिण्हा त्ता रहं ठवेह त्ता रहाओ पञ्चोकहति त्ता जेणेव मजणपरे तेणेव उवागच्छति मजणघरं अणुपविसइ त्ता जाव ससिव पिअदसणे णरवई मजणघराओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव भोअणमंडवे तेणेव उवागच्छा त्ता भोअणमंडसि सुहासणवरगए अहमभत्तं पारेह त्ता भोअणमंडवाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव वाहिरिआ उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छद्द त्ता सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे णीसीअइ त्ता अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सदावत्ता एवं क्यासी-खिप्पामेव भो! देवाणुप्पिया उस्सुकं उकरं जाव मागहतित्यकुमारस्स देवस्स अट्ठाहि महामहिमं करेह त्ता मम एअमाणत्तिअं पचप्पिणह, तए णं ताओ अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ भरहेणं रण्णा एवं वृत्ताओ समाणीओ हट जाव करेंति त्ता एअमाणत्तिअं पचप्पिणंति, तए णं से दिवे चकरयणे वइरामयतुंचे लोहिअक्खमयारए जंघृणयणेमीए णाणामणिखुरप्पथालपरिगए मणिमुत्ताजालभूसिए सणंदिघोसे सखिंखिणीए दिये तरुणरविमंडलणिमे णाणामणिरयणघंटिआजालपरिक्खित्ते सबोउअसुरभिकुसुमआसत्तमबदामे अंतलिक्खपडिवण्णे जक्खसहस्ससंपरिखुडे दिवतुडिअसदसणिणादेणं पूरैते चेव अंबरतलं णामेण य सुदंसणे णर वहस्स पढमे पकारयणे मागहतित्यकुमारस्स देवस्स अट्ठाहिआए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए आउहपरसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता दाहिणपञ्चत्थिमं दिसिं बरदामतित्थाभिमुहं पयाए यावि होत्था । ४६। तए णं से भरहे 2 राया तं विषं चक्करयणं वाहिणपश्चस्थिमं दिसिं वरदामतित्याभिमुहं पयातं चावि पासइ त्ता हतुट्ठ० कोडुषिअपुरिसे सहावइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिा ! हयगयरहपवरचाउरंगिणिं सेण्णं सण्णाहेह आभिसेकं हत्थिरयणं पडिकप्पेहत्तिकटु मजणघरं अणुपविसइ त्ता तेणेव कमेणं जाव सेअवरचामराहिं उबुनमाणीहिं २ माइअवरफलयपवरपरिगरखेड़यवरवम्मकवयमाढीसहस्सकलिए उक्कडवरमउडतिरीडपडागझयवेजयंतीचामरचलं. तछत्तंधयारकलिए असिखेवणिखग्गचावणारायकणयकप्पणिसूललउडभिंडिमालवणुहतोणसरपहरणेहि य कालणीलसहिरपीअसुकिल्लअणेगचिंधसयसण्णिविढे अप्फोडिअसीहणायछेलिअहयहेसिअहत्थिगुलगुलाइअअणेगरहसयसहस्सघणघणेतणीहम्ममाणसहसहिएण जमगसमगभंभाहोरंभकिणितखरमुहिमुगुदसंखिअपरिलिवच्चगपरिवाइणिवंसवेणुवीपंचिमहतिकच्छभिरिगिसिगिअतलतालकंसतालकरदाणुत्थिदेण महता सहसण्णिणादेण सयलमवि जीवलोग प्रयते बलवाहणसमुदएणं एवं जक्ससहस्सपरिखुडे वेसमणे चेव धणवई अमरपतिसण्णिभाइ इबीए पहिअकित्ती गामागरणगरखेडकब्बड तहेव सेसं जाब विजयखंधावारणिवेसं करेह त्ता वदहरयणं सदावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिा ! मम आवसहं पोसहसालं च करेहि त्ता ममेअमाणत्तिअं पञ्चप्पिणाहि। ४७।तएणं से आसमदोणमुहगामपट्टणपुरवरखंघावारगिहावणविभागकुसले एगासीतिपदेसु सवेसु चेव वत्थूसु णेगगुणजाणए पंडिए विहि(म०होण्णू पणयालीसाए वेवयाणं वत्युपरिच्छाए णेमिपासेसु भत्तसालासु कोणिसु अ वासघरेसु ज विभागकुसले छेज्जे वेझे(घेजे) अ दाणकम्मे पहाणबुद्धी जलयाणं भूमियाण य भायणे जलथलगुहासु जंतेसु परिहासुन कालनाणे तहेव सहे वत्युप्पएसे पहाणे गम्भिणिकण्णरुक्खबलिवेढिअगुणदोसविआणए गुणड्ढे सोलसपासायकरणकुसले चउसद्विविकप्पवित्थियमई णंदावत्तेय वद्धमाणे सोस्थिअरुअग तह सबओभइसंणिवेसे अ बहुविसेसे उइंडिअदेवकोट्ठदारूगिरिखायवाहणविभागकुसले 'इस तस्स बहुगुणवे थवईरयणे णरिदचंदस्स। तवसंजमनिबिडे किंकरवाणी तुवट्ठाई ॥१६॥ सो देवकम्मविहिणा खंधावार परिववयणेणं। आवसहभवणकलिअं करेइ सव्वं मुहुत्तेणं ॥१७॥ करेत्ता पवरपोसहघरं करेह त्ता जेणेव भरहे राया जाव एतमाणत्तिअंखिप्पामेव पञ्चप्पिणह, सेसं तहेव जाव (प्र०जणपक्राओ)मजणघराओ पडिणिक्खमइत्ता जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ।४८तते णं तं धरणितलगमणलई ततो बहुलक्खणपसत्यं हिमवंतकंदरंतरणिवायसंवद्धिअचित्ततिणिसदलिअं जंबुणयसुकयकुबरं कणयदंडियारं पुलयवरिंदणीलसासगपवालफलिहवररयणलेठुमणिविदुमविभूसिअं अडयालीसाररइयतवणिजपवसंगहिअजुत्ततुंचे पपसिअपसिअनिम्मिअनवपट्टपुट्टपरिणिट्ठिअं विसिट्ठलट्ठणवलोहबद्धकम्मं हरिपहरणरयणसरिसवर्क कक्केयणइंदणीलसासगसुसमाहिअद्धजालकडगं पसत्यविच्छिण्णसमधुरं । पुरखर व गुर्त सुकिरणतवणिजजुत्तककलिअं कंकटय(म० डग)णिजुत्तकप्पणं पहरणाणुजायं खेडगकणगवणुमंडलम्गवरसत्तिकोततोमरसरसयपत्तीसतोणपरिमंडिअं कणगरयणचित्तं जुलै हलीमुहबलागगयदंतचंदमोत्तिअतणसोछिअकुंदकुडयवरसिंदुवारकंदलवरफेणणिगरहारकासप्पगासधवलेहिं अमरमणपवणजइणचवलसिग्धगामीहिं चउहिं चामराकणगविभूसिअंगेहिं तुरगेहिं सच्छत्तं सज्झयं सघंटे सपढागं सुकयसंधिकम्मं सुसमाहिअसमरकणगगंभीरतुण्डघोसं वरकुप्परं सुचकं वरनेमीमंडलं वरधारातोंडं वरवहरवदतुंचं वरकंचणभूसिरं वरायरिअणिम्मि वरतुरगसंपउत्तं वरसारहिसुसंपग्गहि वरपुरिसे वरमहारहं दुरूढे आरुढे पवररयणपरिमंडिअंकणयखिखिणीजालसोभिअं अउ झं सोआमणिकणगतविअपंकयजासुअणजलणजलिअसुअतोंडरागर्गुजबंधुजीवगरत्तहिंगुलगणिगरसिंदूररुइलकुंकुमपारेक्यचलणणयणकोइलदसणावरणरइतातिरेगरत्तासोगकणगकेसुअगयतालुसुरिंदगोवगसमप्पभप्पगासं चिंचफ - लसिलप्पयालउदितसूरसरिस सबोउअसुरहिकुसुमआसत्तमल्छदाम ऊसिअसेअझयं महामेहरसिअगंभीरणिधोसं सत्तुहिजयकपणं पभाए असस्सिरीअं णामेणं पुहविविजयलंभंति विस्सुतं लोगविस्सुतजसो(घ)ऽयं चाउग्घंटं आस८४९ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, कारो-र मुनि दीपरत्नसागर Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रहं पोसहिए णखई दुरुढे, तए णं से भरहे राया चाउग्घटं आसरहं तुरूढे समाणे सेसं तहेव दाहिणाभिमुहे वरदामतित्थेणं लवणसमुर ओगाहा जाव से रहवरस्स कुप्परा उल्ला जाव पीइदाणं से णवरि चूडामणिं च दिवं उरत्यगे. विज्जगं सोणिअमुत्तगं कड़गाणि अ तुडिआणि अ जाव दाहिणिहड़े अंतवाले जाव अढाहि महामहिमं करेंति त्ता एअमाणत्ति पञ्चप्पिणंति, तए णं से दिवे चक्करयणे वरदामतित्थकुमारस्स देवस्स अट्ठाहिआए महामहिमाए निश्वत्ताए समाणीए आउपरसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता अंतलिक्खपडिवण्णे जाव पूरंते चेव अंबरतलं उत्तरपञ्चत्थिमं दिसि पभासतित्थाभिमुहं पयाते यावि होत्या, तए णं से भरहे राया तं दिवं चक्करयणं जाच उत्तरपञ्चस्थिम दिसि तहेब जाव पचत्थिमदिसाभिमुहं पभासतित्थेणं लवणसमुई ओगाहेइत्ता जाप से रहवरस्स कुप्परा उडा जाब पीइदाणं से णवरं मालं मउड मुत्ताजालं हेमजालं कडगाणि य तुडियाणि य आभरणाणि य सरं च णामाहयंक पभासतित्थोदगं च गिण्हड ला जाव पचस्थिमेणं पभासतित्थमेराए अहणं देवाणुप्पिआर्ण विसयवासी जाव पचत्थिमिड़े अंतवाले, सेसं तहेव जाव अट्टाहिआ निवत्ता । ४९। तए णं से दिवे चकरयणे पभासतित्यकुमारस्स देवस्स अट्टाहिआए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए आउहघरसालाओं पडिणिक्खमइत्ता जाय परेते चेत्र अंबरतलं सिंधए महाणईए दाहिणिछेणं कलेणं परच्छिम दिन लाओं पडिणिक्खमइ त्ता जाब पूरते व अंबरतलं सिंधूए महाणईए दाहिणिलेणं कुलेणं पुरच्छिम दिसि सिंधुदेवीभवणामिमुहं पयाते आचि होत्था, तए णं से भरहे राया तं दिवं चक्करयणं सिंधूए महाणईए दाहिणिलेणं कूलेणं पुरस्थिमं दिसि सिंधुदेवीभवणाभिमुहं पयातं पासइत्ता हट्टतुट्टचित्त० तहेब जाव जेणेच सिंधूए देवीए भवणे तेणेव उवागच्छद्द त्ता सिंधूए देवीए भवणस्स अदूरसामंते दुवालसजोअणायाम णवजोयणविच्छिण्णं वरणगरसारिच्छे विजयखंधावारणिवेसं करेइ जाव सिंधुदेवीए अट्ठमभत्तं पगिण्हइ त्ता पोसहसालाए पोसहिए चंभयारी जाव दम्भसंधारोवगए अट्ठमभत्तिए सिंधुदेविं मणसि करेमाणे चिट्टइ. नए णं तस्स भरहस्स रण्णो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि सिंधूए देवीए आसणं चलइ, तए णं सा सिंधुदेवी आसणं चलिअं पासइ ता ओहिं पउंजइत्ता भरहं रायं ओहिणा आभोएइ त्ता (तीसे) इमे एआरूवे अन्भस्थिए चिनिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था उप्पण्णे खलु भो जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे भरहे णामं राया चाउरंतचकवट्टी, तं जीअमेअंतीअपचुप्पण्णमणागयाणं सिंधूर्ण देवीणं भरहाणं राईणं उवत्याणिों करेत्तए, तं गच्छामि णं अहंपि भरहस्स रण्णो उबस्थाणिों करेमित्तिकटु कुंभट्ठसहस्सं रयणचित्तं णाणामणिकणगरयणभत्तिचित्ताणि अदुवे कणगभद्दासणाणि य कडगाणि अतुडिआणि अ जाव आभरणाणि य गेण्हा त्ता ताए उकिट्ठाए जाव एवं वयासी अभिजिए णं देवाणुप्पिएहिं केवलकप्पे(दाहिणे) भरहे वासे अहण्णं देवाणुप्पिआणं विसयवासिणी अहणं देवाणुप्पिाणं आणत्तिकिंकरी तं पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिा ! मम इमं २एआरूवं पीइदाणंतिकटु कुभट्ठसहस्सं रयणचित्तं णाणामणिकणगकड़गाणि अ जाव सो चेव गमो जाव पविसजइ, तए णं से भरहे राया पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छद त्ता हाए कयवलिकम्मे जाव जेणेव भोअणमंडवे तेणेव उबागच्छदत्ता भोअणमंडसि सुहासणवरगए अट्टमभत्तं परियादियइत्ता जाव सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे णिसीअइ त्ता अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सहावेइत्ता जाव अट्टाहिआए महामहिमाएतमाणत्ति पचप्पिणति।५०॥ तए णं से दिवे चक्करयणे सिंधूए देवीए अट्टाहिआए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए आउहयरसालाओ तहेव जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसि वेअदपवयाभिमुहं पयाए आवि होत्या, तए णं से भरहे राया जाव जेणेच वेअद्धपथए जेणेव वेअदम्स पत्रयम्स दाहिणिले णितं तेणेव उवागच्छइ त्ता वेअद्धस्स पञ्चयस्स दाहिणिले णितंवे दुवालसजोअणआयाम णवजोयणबिच्छिण्णं वरणगरसरिच्छं विजयखंधावारनिवेसं करेइ त्ता जाव वेअद्धगिरिकुमारस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ त्ता पोसहसालाए जाव अट्ठमभत्तिए बेअद्धगिरिकुमारं देवं मणसि करेमाणे २चिट्टइ, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो अटुममत्तंसि परिणममाणंसि वेअद्धगिरिकुमारस्स देवस्स आसणं चलइ, एवं सिंधुगमो अहो, पीहदाणं आभिसेक (हस्थिरयण) रयणालंकार कड़गाणि य तुडिआणि य वस्थाणि य आभरणाणि य गेण्हइत्ता ताए उकिट्ठाए जाव अट्ठाहिअंजाव पचपिणंति, तए णं से दिवे चकरयणे अट्ठाहियाए महामहिमाए णिवत्ताए या समाणीए जाच पञ्चस्थिमं दिसि तिमिस्सगुहाभिमुहं पयाए यावि होस्था, तए णं से भरहे राया तं दिवं चक्करयणं जाव पञ्चत्थिमं दिसि तिमिस्सगुहाभिमुहं पयातं पासइ त्ता हट्टतुट्टचित्त जाव तिमिस्सगुहाए अदरसामंते दुवालसजो. अणायाम णवजोअणविच्छिण्णं जाव कयमालस देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ त्ता पोसहसालाए पोसहिए वंभयारी जाव कयमालगं देवं मणसि करेमाणे २ चिट्टइ, तए णं तस्स भरहस्स रपणो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणसि कय. मालस्स देवस्स आसण चलह तहबजाव(जहावअदगिरिकुमारस्सणवर पाइदाण इत्यारयणस्सतिलगचादस भडालकार कडगाणि य जाच आभरणाणि य गोहद्दत्ता ताए उकि भोअणमंडवे, तहेब महामहिमा कयमालस्स, पञ्चप्पिणति । ५१॥ तए णं से भरहे राया कयमालस्स अट्टाहियाए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावई सहावद त्ता एवं बयासी-गच्छाहि णं भो देवाणुप्पिा ! सिंधूए महाणईए पचस्थिमिई णिक्खुई ससिंधुसागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुड़ाणि य ओअवेहि त्ता अग्गाई पराई रयणाई पडिच्छाहि त्ता ममेअमाणत्ति पञ्चप्पिणाहि, तते णं से सेणावई बलस्स णेआ भरहे वासंमि विस्सुअजसे महावलपरकमे महप्पा ओअंसी अलक्खणजुत्ते मिलक्खुभासाविसारए चित्तचारुभासी भरहे वासंमि णिक्खुडाणं निण्णाण य दुग्गमाण य दुष्पवेसाण य विआणए अत्थसत्यकुसले स्वर्ण सेणावई सुसेणे भरहेणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हद्दतुचिनमाणदिए जाव करयलपरिगहिअं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटटु एवं सामी ! तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ त्ता भरहस्स रण्णो अंतिआओ पडिणिक्खमइ ना जेणेव सए आवासे तेणेव उवागच्छइ ना कोटुंबिअपुरिसे सहावेइ त्ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिा ! आभिसेकं हत्थिरयर्ण पडिकप्पेह हयगयरहपवर जाव चाउरंगिणि सेण्णं सण्णाहेहत्तिकटु जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ ना मजणपरं अणुपविसइ ना हाए कयवलिकम्मे कयकोउअमंगलपायच्छिते सन्नद्धबद्धवम्मिअकबए उप्पीलिअसरासणपट्टिए पिणद्धगेबिज्जे बद्धविमलवरचिंधपट्टे गहिआउहप्पहरणे अणेगगणनायगदंडनायग जाव सद्धिं संपरिखुडे सकोस्टमाङदामेणं इनेणं धरिजमाणेणं मंगलजयसद्दकयालोए मजणघराओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव बाहिरिआ उबट्टाणसाला जेणेव आभिसेक्के हत्थिरयणे तेणेव उवागच्छद ना आभिसेक हत्थिरयणं दुरूडे, तए णं से मुसेणे सेणावई ८५० जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, cravesरो-३ मुनि दीपरत्नसागर Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हत्थिरबंधवरगए सकोरंटमल्छदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं हयगयरहपवरजोहकलिआएएवं चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिखुडे महयाभडचडगरपहगरवंदपरिक्खित्ते महयाउक्किट्ठसीहणायबोलकलकलसदेणं समुहरवभूयंपिष करेमाणे २ सविदीए सबजुईए सबवलेणं जाव निग्घोसनाइएणं जेणेव सिंधू महाणई तेणेव उवागच्छइ ता चम्मरयणं परामुसइ, ते(त)ए णं तं सिविच्छसरिसरुवं मुत्ततारदचंदचित्तं अयलमकंपं अभेजकवयं जंतं सलिलासु सागरेसु य उत्तरणं दिवं चम्मरयणं सणसत्तरसाई सबधाई जत्थ रोहंति एगदिवसेण वाविआई, वासं णाऊण चक्रवट्टिणा परामुढे दिधे चम्मरयणे दुवालस जोअणाई तिरि पवित्थरइ तत्व साहिआई. तए णं से दिवे चम्मरयणे सुसेणसे. णावइणा परामुडे समाणे खिप्पामेव णाबाभूए जाए आचि होत्था, तए णं से सुसेणे सेणावई सखंधावारबलवाहणे णावाभूयं चम्मरयणं दुरूहइत्ता सिंधुं महाणइं विमलजलतुंगवीचिं णायाभूएणं चम्मरयणेणं सपलवाहणे ससेणे समुत्तिण्णे, तओ महाणईमुत्तरित्तुं सिंधु अप्पडिहयसासणे य सेणावई कहिंचि गामागरणगरपञ्चयाणि खेडकबडमडंत्राणि पट्टणाणि सिंहलए चब्बरए य सवं च अंगलोअं बलायलोअंच परमरम्म जवणदीवं च पचरमणिकणगरयणकोसागारसमिदं आरबके रोमके य अलसंडक्सियवासी पिक्सुरे कालमुहे जोणए य उत्तरवेजद्धसंसिआओय मेच्छजाईओ बहुप्पगाराओ दाहिणअवरेण जाब सिंधुसागरंतोत्ति सवपवरकच्छंच ओअबेऊण पडिणिअत्तो बहुसमरमणिजे य भूमिभागे तस्स कच्छस्स सुहणिसण्णे, ताहे ते जणक्याणं णगराणं पट्टणाण य जे य तहिं सामिा पभूआ आगरपती य मंडलपती य पट्टणपती य सचे ते घेत्तूण पाहुडाई आभरणाणि य रयणाणि य भूसणाणि य वस्थाणि य महरिहाणि अण्णं च जं वरिह्र रायारिहं जं च इच्छिअर्थ एवं सेणावइस्स उवणेति मत्ययकयंजलिपुडा, पुणरवि काऊण अंजलिं मत्थयंमि पणया तुम्भे अम्हेऽत्य सामिआ देवयंच सरणागया मो तुम्भे विसयवासिणोत्ति विजय भाजपमाणा सेणावइणा जहारिह ठविअ पूइज विसजिआ णिअत्ता सगाणि गराणि पट्टणाणि अणुपविट्ठा, ताहे सेणावई सविणओ घेत्तुण पाहुडाई आभरणाणि भूसणाणि रयणाणि य पुणरचितं सिंधुणामपेज उत्तिणे अणहसा- 17 सणवले, तहेव भरहस्स रपणो णिवेएइ त्ता य अप्पिणित्ता य पाहुडाई सकारिअसम्माणिए सहरिसे विसज्जिए सगं पडमंडवमइगए, तते णं सुसेणे सेणाबई पहाए कयचलिकम्मे कयकोउअमंगलपायच्छित्ते जिमिअभुतुत्तरागए समाणे सरसगोसीसचंदणुक्खित्तगायसरीरे उपिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं बत्तीसइबद्धेहिं णाडएहि वरतरुणीसंपउत्तेहिं उवणचिजमाणे उवगिजमाणे उबलालिजमाणे महयाहयणगीअवाइअतंतीतलतालतुडिअ. घणमुइंगपडप्पवाइअरवेणं इट्टे सहफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे भुंजमाणे विहरह। ५२। तए णं से भरहे राया अण्णया कयाई सुसेणं सेणावई सहावेइत्ता एवं बयासी-गच्छ णं खिप्पामेव भी देवाणुप्पिआ! तिमि स्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेहि ता मम एअमाणत्ति पञ्चप्पिणाहि, तए णं से सुसेणे सेणावई भरहेणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्टचित्ते जाव करयलपरिग्गहिअं मत्थए अंजलिं कदुद जाव पडिसुणेइ त्ता भरहस्स रण्णो अंतियाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव सए आवासे जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता दम्भसंथारंग संथरइ जाव कयमालगस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ पोसहसालाए पोसहिए भयारी जाव अट्ठमभत्तसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइत्ता हाए कयचलिकम्मे कयकोउअमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे धूवपुष्फर्गधमछहत्यगए मजणघराओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव तिमिस्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कबाडा तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स बहवे राईसरतलवरमाडंबिअजावसत्यवाहप्पभियओ अप्पेगइआ उप्पलहत्थगया जाव सुसेणं सेणावई पिटुओ२ अणुगच्छंति, तए णं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स बहूईओ सुजाओ चिलाइआओ जाव इंगिअचिंतिअपस्थिअविआणिआओ णिउणकुसलाओ विणीआओ अप्पेगइआओ कलसहत्थगयाओ जाव अणुगच्छंति, तए णं से सुसेणे सेणावई सविद्धीए जाच णिग्घोसणाइएणं जेणेव तिमिस्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव उवागच्छद त्ता आलोए पणामं करेइ त्ता लोमहत्थगं परामुसइ ता तिमिस्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडे लोमहत्थेणं पमज्जइत्ता दिवाए उदगधाराए अम्भुक्खेइ त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितले चञ्च(प्र०क)ए यदलेइ त्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि य मडेहि य अचिणेइ त्ता पुप्फाहणं जाव वत्थारुहणं करेइ त्ता आसत्तोसत्तविपुलवट्ट जाव करेइ त्ता अच्छेहि सण्हेहिं श्ययामएहिं अच्छरसातंडुलेहि तिमिस्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडाणं पुरओ अट्ठट्टमंगलए आलिहइ तं०-सोत्थियसिरिवच्छ जाब कयग्गहगहिअकरयल5 पग्भट्ठ० चंदप्पभवइखेरुलिअविमलदंड जाव धूवं दलयइ त्ता वामं जाणुं अंचेइ त्ता करयल जाव मत्थए अंजलिं कटु कवाडाणं पणामं करेइ त्ता दंडरयणं परामुसइ, तए णं तं दंडरयणं पंचलइअं वइरसारमइशं विणासणं सबस तुसेण्णाणं खंधावारे णवइस्स गड्डादरिविसमपन्भारगिरिवरपवायाणं समीकरणं संतिकरं सुभकरं हितकरं रण्णो हिअइच्छिअमणोरहपूरगं दिवमप्पडिहयं दंडरयणं गहाय सत्तट्ठ पयाई पच्चोसकइ त्ता तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्छुस्स दुबारस्स कबाडे दंडरयणेणं महया २ सहेणं तिक्खुत्तो आउद्देइ, तए णं तिमिस्सगुहाए दाहिणितस्स दुवारस्स कवाडा सुसेणसेणावइणा दंडरयणेणं महया २ सद्देणं तिक्खुत्तो आउट्टिया समाणा महया २ सहेणं कोंचारवं करेमाणा सरसरस्स सगाई २ ठाणाई पचोसक्कित्था, तए णं से सुसेणे सेणावई तिमिस्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेइ त्ता जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ त्ता जाव भरहं रायं करयलपरिग्गहिअंजएणं विजएणं बद्धावेइ त्ता एवं वयासी-विहाडिआ णं देवाणुप्पिआ ! तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्स्स दुवारस्स कवाडा एअण्णं देवाणुप्पिआणं पिअं णिवेएमो पिअंभे भवउ, तए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेणावइस्स अंविए एअमट्टं सोचा निसम्म हड्तुट्ट. चित्तमाणदिए जाव हिअए सुसेणं सेणावई सक्कारेइ सम्माणेइ त्ता कोडुंबियपुरिसे सहावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ! आभिसेक हत्थिरयणं पडिकप्पेह हयगयरहपवर तहेब जाव अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवरं णरवई दुरुढे ।५३। तए णं से भरहे राया मणिरयणं परामुसइ तोतं चउरंगुलप्पमाणमित्तं च अणग्धं संसिनं छलंसं अणोबमजुई दिवं मणिरयणपतिसमं वेरुलिनं सबभूअर्कतं जेण व मुद्धागएणं दुक्ख ण किंचि जाति हवइ अरोगे सबकालं तेरिच्छिअदेवमाणसकया य उबसमा सचेण करेंति तस्स दुक्खं संगामेऽवि असत्यवज्झो होइ णरो मणिवरं धरतो ठिअजोवणकेसअवट्ठिअणहो हवइ य सवभयविप्पमुक्को, तं मणिरयणं गहाय से परवई हस्थिरयणस्स ८५१ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, crown-३ मुनि दीपरत्नसागर Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TO दाहिणिडाए कुंभीए णिक्खिवड, तए णं से भरहाहिये परिंदे हारोत्थयसुकयरइअच्छे जाव अमरवइसण्णिभाए इदीए पहिअ कित्ती मणिरयणक उज्जोए चक्करयणदेखि अमग्गे अगरायसहस्साणु आयमग्गे महया उकिसी हणायचोलकलकलरवेणं समुदयम् अपि करेमाणे २ जेणेव निमिम्सगुहाए दाहिणिडे दुवारे नेणेव उवागच्छत्ता तिमिस्सगुहं दाहिणिले दुवारेण अईड ससिन मेधयारनिवहं. नए णं से भरहे राया उत्तल दुबालसंसि अटुकण्णि अहिगरणिसटिजं असोवणिअं कामणिरयणं परामुखइ. तए णं तं चउरंगुलप्पमाणमित्तं अडवणं च बिसहरणं अडलं चउरंसठाणसंदिअं समतलं माणुम्माणपमाणजोगा जतो (जा ता) लोगे चरति सर्वजणपण्णवगा(म० जगंजणगाण व चंदी इ व तत्थ सूरे गइ व अग्गी गइ व नृत्य मणिणो तिमिरं णासंति अंधयारे जत्थ तयं दिवभावजुतं, दुबालसजोअणाई तस्स लेखाउ विवर्द्धति निमिरणियरपडिसेहिआओ, रत्ति च सवका संधावारे करेड आलोअं दिवसभूं जस्स पभावेण चकवट्टी निमिस्सगृहं अनीनि सेण्णसहिए अभिजेतुं वितिअम भरणं. रायवरे कागणि गहाय तिमिस्सगुहाए पुरच्छिमि पचत्थिमिले कडएस जोअनंतरिआई पंचचणुसयविक्खंभाई जोअजोअकराई चकणेमीसंठिआई चंदमंडलपडिणिकासाई एगुणपण्णं मंडलाई आलिहमाणे २ अणुप्पचिस तए णं सा तिमिस्सगुहा भरणं रण्णा तेहि जोयणतरिएहिं जाव जोअणुजोअकरेहिं एगुणपणाएं मंडळेहि आलिहि. जमाणेहिं सिप्पामेव आलोगभूआ उजोअभूआ दिवस (म दीवसय) भूआ जाया यावि होत्था । ५४| तीसे णं तिमिस्सगुहाए बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं उम्मम्गणिमग्गजलाओ णामं दुवे महाणईओ पं. जाओ णं निमिम्सगुहाए पुरमाओ भितिकडगाओ पवूढाओ समाणीओ पञ्चस्थिमेण सिंधुमहाणई समप्यति, से केणट्टेणं भंते! एवं वृच्चइ उम्मग्माणिमगजलाओ महाणईओ, गो० जण्णं उम्मम्गजलाए महाणईए तणं वा पत्तं वा कई वा सक्करा वा आसे वा हत्थी वा रहे वा जोहे वा मणुस्से वा पक्खिप्पड ताणं उम्मम्माजला महाणई तिक्खुत्तो आणि २ एगंते थलंसि एडेड. जण्णं णिमग्गजलाए महाणईए तणं वा जाव मणुस्से वा पक्लिप्पड़ नष्णं णिमम्गजा महाई तितो हुणि २ अंनो जलसि णिमज्जावेद, से तेणद्वेणं गोः ! एवं बुचइ उम्मग्गणिमग्गजलाओ, तए णं से भरहे राया चक्करयणदेसिअमग्गे अणेगरायः महया उकिडसीहणाय जाव करेमाणे सिंधूए महाणईए पुरच्छिमि कूल्लेणं जेणेव उम्मग्गजला महागाई तेणेव उवागच्छद् त्ता बद्धरयणं सदावेइ त्ता एवं क्यासी खिप्पामेव भो देवाणुष्पिआ ! उम्मग्गणिमग्गजलासु महाणईसु अणेगखं भसयसण्णिविट्टे अयलमकंप अमेजकवए सालंवणवाहाए सबरणाम सहकमे करेहिता मम एअमाणत्तिअं खिप्पामेव पञ्चप्पिणाहि. तए णं से बद्धइरयणे भरहेणं रण्णा एवं वृत्ते समाणे हतुचित्तमादिए जाब विणणं पडिसुणेइ ना खिप्पामेव उम्मग्गणिमग्गजलासु महाणईस अणेगभसयसण्णिविट्टे जाव सुहसंक्रमे करेइ ना जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ ता जाव एअमाणत्तिअं पचप्पिणइ, तए णं से भरहे राया सवंधावारबले उम्मग्गणिमग्गजलाओ महाणईओ तेहि अणेगखंभसयसणिविद्वेहिं जाव सुहसकमेहि उत्तरेड़, नए णं तीसे तिमिस्सगुहाए उत्तरिइस्स दुबारस्स कवाडा सयमेव महया २ कोंचार करेमाणा सरसरसरस्स सगाई ठाणाई पञ्चोसक्कित्था (प्र० या) । ५५ । तेणं काले उत्तरइटभरहे वासे बहवे आवाडा णामं चिलाया परिवति अड्ढा दित्ता वित्ता विच्छिष्णविउलभवणसयणासणजाणवाणाइमा बहुधणवहुजायरूवरयया आओगपओगसंपत्ता विच्छडिडअपडरभत्तपाणा बहूदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूआ बहुजणम्स अपरिभूआ सूरा वीरा त्रिकंता चिच्छिण्णविउलवलवाणा बहुसु समरसंपराएस लद्दलक्खा यात्रि होत्या, तर णं तेसिमावाडचिलायाणं अण्णया कयाई विसगंमि बहूई उप्पाइजसयाई पाउञ्भवित्था, नं०-अकाले गजिअं अकाले बिजुआ अकाले पायचा पुष्पंति अभिक्खणं २ आगासे देवयाओ णचंति, तए णं ते आवाढचिलाया विससि बहुई उप्पाइजसयाई पाउच्भूबाई पासंति त्ता अण्णमण्णं सहावेति ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुष्पिआ! अम्हं विससि बहूई उप्पा असवाई पाउ भूजाई तं० अकाले गजिअं अकाले बिजुआ अकाले पायया पुष्पंति अभिक्खणं २ आगासे देवयाओ णचंति, तं ण णज्जइ णं देवाणुष्पिआ! अम्हं विसयस्स के मजे उवदवे भविम्सइनिकट्टु ओहयमणसंकप्पा चितासोगसागरं पविट्ठा करयलपव्हत्यमुहा जट्टज्झाणोत्रगया भूमिगयदिद्विआ झिजयंति तए णं से भरहे राया चक्करयणदेसिअमग्गे जाव समुहरवभूअपिव करेमाणे २ तिमिस्सगुहाओ उत्तरिणं दारणं गीति ससिष मेहंधयारणिवहा. तए णं ते आवाडचिलाया भरहस्त रण्णो जग्गाणीअं एजमाणं पासंति त्ता आमुरुत्ता रुट्ठा चंडिकिआ कुचिआ मिसिमिसेमाणा अण्णमण सहावेति ता एवं क्यासी-एस णं देवाणुष्पिआ ! केई अपस्थिअपत्थए दुरंतर्पतलक्खणे हीणपुण्णचाउदसे हिरिसिरिपरिवज्जिए जे पं अम्हं विसयस्स उवरिं विरि ( प्र० स्स वरवरि) एवं हवमागच्छइ तं तहा णं घत्तामो देवाणुप्पित्रा ! जहा णं एस अहं विसयस्स उचरिं विरिएणं णो हङमागच्छनिकट्ट अण्णमण्णस्स अंतिए एअमई पडिसुर्णेति ता सण्णद्वचदवम्मियकवजा उप्पीलिअसरासणपट्टिआ पिणढगेविना बद्धविद्धविमलवरचिंधपट्टा गहि आउहप्पहरणा जेणेत्र भरहस्त रण्णो अम्माणी नेणेव उवागच्छेति ना रण्णो अ गाणीण सद्धि संपलग्गा याचि होत्या, तए णं ते आवाडचिलाया भरहस्स रण्णो अम्गाणीजं हयमहितपवरवीरघाइ अविवडिअचिंधद्यपडागं किच्छप्पाणोवयं दिसोदिसि पडिसेहिति । ५६ । तए णं से सेणावलम्स आ वेढो जाब भरहस्स रण्णो अग्गाणीअं आवाडचिलाएहिं यमहियपवरवीर जाब दिसोदिसं पडिसेहिअं पासइ ता आसुरुते रुद्धे चंडिकिए कुविए मिसिमिसेमाणे कमलामेल आसरयणं दुरूहइ, तए णं तं असीइमंगलमूसिअं णवणउमंगुलपरिणाहं असयमंगुलमाततं बत्तीसमंगलमूसिअसिरं चउरंगुलकनागं बीसइअंगुलबाहागं चउरंगुलजण्णूकं सोलसअंगुलजंघागं चउरंगुलमूसिअखुरं मुत्तोलीसंवत्तवलिअमज्यं इंसिअंगुलपणयपठ्ठे संणयप संगयप सुजायपठ्ठे पत्थपङ्कं विसिट्टापट्ट एणीजाणुण्णयवित्थययद्धपङ्कं वित्तलयकसणिवाय अंकेड गपहारपरिवजिअगं तवणिज्जयास गाहिलाणं वरकणगसुकुडवासगं विचित्तरयणरज्जुपासं-कंचणमणिकणगपयरगणाणाविटि आजालमुनिआजालएहि परिमंडियेणं पट्टेण सोभमाणेणं सोभमाणं कक्केयण इंदनीलमरगयमसारगड मुहमंडणरइअं आविमाणिकसुत्तगविभूसियं कणगामयपउमसुकयतिलकं देवमइविकप्पिअं सुखदिवाण जोगावयं ( प्र० जोगं च ) सुरु दूइजमाणपंचचारुचामरामेलगं धरत अण (द, पण पा० )हमवाह अभे (प्र० चे )लणयणं कोकासि अबहलपत्तलच्छं सयावरणनवकणगतविअतवणिज्जतालुजीहासर्व सिरिश्रभिसे अघोणं पोक्खरपत्तमिव सलिलबिंदुजु अचंचलसरीरं चोक्खचरगपरिवायगोविव हिलीयमाणं खुरचलणपुवपुडेहिं घरणिअलं अभिहणमाणं २ दोवि य चलणे जमगसमगं मुहाओ विणिग्गमंतं च सिग्घयाए मुलाणतंतुउदगमचि णिस्साए पक्कमनं जाइकुलरूपचयप- (२१३ ) ८५२ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वक्रकारो-३ मुनि दीपरत्नसागर Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्यवारसावनगविमुदटक्सणं मुकुलप्पमृझं मेहावि भयं विणीअं अणुकनणुसमुकुमाललोमनिय िमुजायं अमरमणपवणगरूलजइणं चवलसिग्धगामि इसिंच खंनिसमं मुसीसमिव पञ्चक्खयाविणीयं उदगहुनबहपासाणमुकरमससकरसवाडाइनड़कड़गचिसमपम्भारगिरिदरीमुलंघणपिाहणणिन्धारणासमत्थं अचंडपाडियं दंडयानि अणमुपानि अकाटनालं च कालहेसि जिअनिई गवेसगं जिअपरिसहं जच्चजानी मलिहाणि मुगपत्नमवण्णकोमलं मणाभिरामं कमन्यामेल णामेणं आसरयणं सेणावई कमेणं समभिरूडे कुवलयदलसामलं च स्यणिकरमंडलनिभं सनुजणविणासणं कणगरपणदंड णवमालिअपुष्फमुरहिगंधि णाणामणिलयभनिचिनं च पहोतमिसिमिसिननिक्सधार दिवं खग्गस्यर्ण लोके अणोरमाणं न च पुणो समक्खसगट्टिदंतकालायसविपुललोहदंडकवरवाइरभेदकं जाव सत्रस्थ अप्पडिहयं किं पुण देहेस जंगमार्ण ?-- पण्णासं णो असी भणिओ ॥१८॥ असिरयणं, णरवइस्स हत्याओ नं गहिऊण जेणेव आवाइचिटाया नेणेव उवागच्छइ त्ता आवाइचिलाएहिं सदिं संपलग्गे आवि होस्था, नए णं से सुसेणे सेणावई ने आवाइचिलाए यमहि अपवस्वीरघाअ जाय दिसोदिसि पडिसहेइ । ५७। नए णं ने आबादृचिलाया मुसेणसेणावइणा हयमहिआ जाव पडिसेहिया समाणा भीआ तत्था वहिआ उविग्गा संजायभया अत्यामा अबला अवीरिआ अपरिसकारपरकमा अधा(प करणि जमिनिकटू अणेगाई जोअणाई अवकमंनि ना एगयओ मिलायंति ना जेणेच सिंधू महाणई नेणेष उवागच्छति त्ता बालुआसंथारए संथरेंति ना वालुआसंथारए दुरूहंति त्ता अट्टमभनाई पगिण्हंनि वालुआसंथारोवगया उत्ताणगा असणा अट्ठमभनिआ जे नेसि कुलदेवया मेहमुहा णाम णागकुमारा देवा ते मणसि करेमाणा २चिटुंति, नए णं तेसिमाचाइचिलायाणं अट्ठमभत्तसि परिणममाणंसि मेहमुहाणं णागकुमाराणं देवाणं आसणाई चरति, नए णं ने मेहमुहा णागकुमारा देवा आसणाई चलिआई पासंनि ना ओहिं पउंजंति ना आवाइचिलाए ओहिणा आभोएति त्ता अण्णमण्णं सदावेति त्ता एवं क्यासी-एवं खलु देवाणुप्पिा ! जंबुद्दीवे उत्तरदभरहे वासे आवाइचिनया सिंधूए महाणईए वालासंथारोक्गया उत्ताणगा अबसणा अट्ठमभनित्रा अम्हे कुलदेवए मेहमुहे णागकुमारे देवे मणसीकरेमाणा २चिटुंति, तं सेनं खलु देवाणुप्पिा ! अम्हं आवाइचिल्लायाणं अंतियं पाउभवित्तएनिकट अण्णम णम्स अनिय एअमर्दु पडिसुर्णति ना ताए उकिट्टाए तुरिआए जाव वीतिवयमाणा २ जेणेव जंचुदीचे उत्तरदभरहे वासे जेणेव सिंधूमहाण पंचवण्णाई वत्थाई पचरपरिहिआ ने आचाइचिलाए एवं वयासी-हंभो आचाडचिलाया ! जपणं तुम्भे देवाणुप्पिा ! वालुआसंथारोगया उत्ताणगा अबसणा अट्ठमभनिआ अम्हे कुलदेवए मेहमुहे णागकुमारे देवे मणसीकरमाणा २ चिट्ठह नए णं अम्हे मेहमुहा णागकुमारा देवा तुभं कुलदेवया तुम्हं अंतियं पाउम्भूना, तं पदह णं देवाणुप्पिआ ! किं करेमो कि आउट्टामो के बाभे समणसाइए?, तए णं ते आचाडचिलाया मेहमूहाणं णागकुमाराण देवाणं अंतिए एअमढे सोचा णिसम्म हट्टतुट्ठचित्तमाणंदिया जाच हिअया उट्ठाए उट्टेन्ति ता जेणेव मेहमुहा णागकुमारा देवा तेणेच उबागच्छति त्ता करयलपरिग्गहियं जाव अंजलि कटु मेहमुहे णागकुमारे देवे जएणं विजएणं वद्धाति ना एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! केई अपस्थिअपत्थए दुरंतपंतलक्खणे जाव हिरिसिरिपरिवज्जिए जे णं अम्हं विसयस्स उवरि (प. अवर) विरिएणं हवमागच्छइ, तं तहा णं घनेह देवाणुपिआ ! जहा णं एस अहं विसयम्स उवरि (प. अवर) पिरिएणं णो हब्वमागच्छइ, तए णं ते मेहमुहा णागकुमारा देवा ते आवाडचिलाए एवं वयासी एस णं भो देवाणुप्पिआ ! भरहे णामं राया चाउरंतचकचट्टी महिदीए महजुई(पनी )ए जाव महा. सोक्खे (प्र० सने),णोखलु एस सको केणई देवेण वा दाणवेण वा किण्णरेण वा किंपुरिसेण वा महोरगेण वा गंधरेण वा सत्थप्पओगेण वा अग्गिप्पओगेण वा विसपओगेण वा मंतप्पओगेण वा उद्दविनए वा पडिसेहिनए वा.नहावित्रणंनुभं पिअट्टयाए भरहस्स रण्णो उबसगं करेमोत्तिकटु तेसिं आवाइचिलायाणं अंतिआओ अवकमन्ति त्ता वेउविअसमुग्धाएणं समोहणंति त्ता मेहाणीअं चिउञ्चंति ना जेणेच भरहस्स स्ण्णो विजयक्खंधावारणिवेसे नेणेव उवागच्छनि ना उप्पि विजयक्संधाबारणिवेसस्स खिप्पामेव पतणतणायंति त्ता खिप्पामेव परिजुयायन्ति त्ता खिप्पामेव जुगमुसलमुट्टिप्पमाणमेत्ताहिं धाराहिं ओघमेघ सत्तरत्तं वासं वासिउं पञ्चत्ता याचि होत्था ।५८। नए णं से भरहे राया उप्पिं विजयक्संधावारस्स जुगमुसलमुट्टिप्पमाणमेत्ताहिं धाराहिं ओघमेघ सत्तरत्तं वार्स वासमाणं पासइ त्ता चम्मस्यर्ण परामुसइ, तए णं तं सिरिव(प्र. खिपि)च्छसरिसरुवं वेढो भाणिअश्वो जाव दुवालस जोअणाई निरिअं पवि. स्थरह तत्थ साहिआई, तए णं से भरहे राया सखंधावारचले चम्मरयणं दुरूहइ त्ता दिवं छत्तरयणं परामुसइ, तए तं णवणउइसहस्सकंचणसलागपरिमंडिअं महरिहं अउझं णिवणसुपसत्थरिसिठ्ठलझुकंचणमुपुदंड मिउरायय(प. णतं)बट्टलट्ठअरविंदकण्णिअसमाणरूवं वत्थिपएसे य पंजरविराइअंनिविहभत्तिचित्तं मणिमुत्तपचालतत्ततवणिजपंचवण्णिअधोअ(प० वेदि)रयणरूवरइयं स्यणमरीईसमोप्पणाकप्पकारमणुरंजिएडियं रायलच्छिचिंध अजु. णसुवण्णपंडुरपञ्चत्थुअपट्टदेसभागं तहेव तवणिजपट्टधम्मतपरिगयं अहिअसस्सिरीअं सारयरयणिअरविमलपडिपुण्णचंदमंडलसमाणरूवं णरिंदवामप्पमाणपगइवित्थडं कुमुदसंडधवलं रणो संचारिमं विमाणं सरानववायवृट्टिदोसाण खयकरं तवगुणेहिं लक्ष्-'अहयं बहुगुणदाणं उऊण विवरीअ सुहकयच्छाय। छत्तरयणं पहाणं सुदाइहं अप्पपुण्णाणं ॥१९॥ पमाणराईण तवगुणाण फलेगदेसभागं विमाणवासेवि दुतरं वग्धारिअमाइदामकन्यावं सारयधवलम्भस्ययणिगरप्पगासं दिवं छत्तस्यणं, महीवइस्सधरणिअलपुण्णइंदो, तए णं से दिवे छत्तस्यणे भरहेणं रण्णा परामुडे समाणे खिप्पामेव दुवालस जोअणाई पवित्थरइ साहिआई तिरि।५९। तए णं से भरहे राया इनरयणं खंधावारस्मुवरि ठवेइ त्ता मणिस्वर्ण परामुसइ वेढो जाव छत्तरयणस्स बस्थिभागसि ठवेद, तस्स य अणतीवरं चारुरुवं सिलणिहिअस्थमंतमेत्तसालिजवगोहममुग्गमासतिलकुलत्यसट्टिगनिष्फावचणगकोदवकोत्धुंभरिकंगुवरालगणे. गधण्णाचरणहारिअर्ग आडगमूलगहलिहलाउजतउसतुंचकालिंगकविट्ठअंबअंबिलिअसवणिःफायए मुकुसले गाहावइस्यणेत्ति सवजणवीमुअगुणे, तएणं से गाहावइस्यणे भरा अणेगाई कुंभसहस्साई उबटुवेति. तए ण से भरहे राया चम्मरयणसमारूढे छत्तरयणसमोच्छन्ने मणिरयणकउजोए समुम्गयभूएणं मुहंसुहेणं सत्तरतं परिवसइ 'णवि से खुहा ण विलिज व भर्य व विजए दुक्खं । भरहाहिवम्स ८५३ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, freeरो-३ मुनि दीपरनसागर Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रणो खंधावारस्सपि तहेव ॥२०॥६०।तए णं तस्स भरहस्सरण्णो सत्तरत्तैसि परिणममाणसि इमेआरुवे अब्भस्थिए चिंतिएपस्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था- केस णं भो : अपस्थिअपत्थए दुरंतर्पतटकरणे जाव परिवजिए जे णं ममं इमाए एआणुरूवाए जाच अभिसमण्णागयाए उप्पिं विजयखंधावारस्स जुगमुसल जाव वासे वासइ, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो इमेआरूवं अम्भत्यिों चितियं पत्थिों मणोगयं संकप्पं समुप्पणं जाणिना सोटस देवसहस्सा सपणजिमउं पपत्ता यावि होत्या, तए ण ते देवा सण्णदबदवम्मिअकवया जाव गहिआउहप्पहरणा जेणेच ते मेहमुहा णागकुमारा देवा तेणेव उवागच्छति त्ता मेहमुहे णागकुमारे देवे एवं पयासी-हंभो ! मेहमुहा णागकुमारा ! देवा अप्पस्थियपत्थगा जाव परिवजिआ किर्ण नुम्भे ण याणह भरहं रायं चाउरंतचकवहि महिदिअंजाब उडवित्तए वा पडिसेहित्तए वा तहावि ण तुम्भे भरहस्स रण्णो विजयखंधाचारस्स उर्षि जुगमुसलमुट्टिप्पमाणमित्ताहिं धाराहिं ओघमेषं सत्तरत्नं वासं वासह, तं एवमवि गते इत्तो खिप्पामेव अपकमह अहवणं अज पासह चित्तं जीवलोगं, तए णं ते मेहमुहा णागकुमारा देवा तेहिं देवेहिं एवं वुना समाणा भीआ नत्था बहिआ उशिग्गा संजायभया मेघानीकं पडिसाहरति त्ता जेणेव आवाडचिलाया तेणेव उवागच्छति त्ता आवाइचिलाए एवं वयासी-एस गं देवाणुप्पिा ! भरहे राया महिदीए जाव णो खलु एस सको केणावि देवेण वा जाच अग्गिप्पओगेण वा जाव पडिसेहित्तए वा तहावि पुण अम्हेहिं देवाणुप्पित्रा! तुम्भं पिअट्टयाए भरहस्स रपणो उचसम्गे कए, तं गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिा ! व्हाया कयरलिकम्मा कयकोउअमंगलपायच्छित्ता उहापडसाइगा ओचूलगणिज त्या अग्गाई पराई स्यणाई गहाय पंजलिउडा पावत्रडिआ भरहं रायाणं सरणं उचेह, पणिवइञवच्छला खलु उत्तमपुरिसा, णस्थि भे भरहस्स रपणो अंतिआओ भयमितिकटु, एवं वदित्ता जामेष दिसि पाउम्भूमा तामेव दिसिं दा पडिगया, नए णं ते आचाइचिलाया मेहमुहेहिं जागकुमारेहिं देहिं एवं पुत्ता समाणा उहाए उडेति त्ता व्हाया कयचलिकम्मा कयकोउअमंगलपायच्छित्ता उपडसाडगा ओचूलगणिअत्था अग्गाई पराई रयणाई गहाय जेणेत्र 16 भरह राया नणच उपागच्छति त्ता करयलपरिम्नहिअंजाब मत्थए अंजलिं कर भरह रायं जएणं विजएणं वदाविति त्ता अम्गाई कराई रयणाई उपति त्ता एवं वयासी-वसुहर गुणहर जयहर हिरिसिरिधीकिनिधारक णरिंद!। लस्वणसहस्सधारक रायमिदं णे चिरं धारे ॥२१॥ हयवद गयवइ णरवइ णवणिहिवद भरहवासपढमबई। बत्तीसजणवयसहस्सराय सामी चिरं जीव ॥२२॥ पढमणरीसर ईसर हिअईसर महिलिआसहस्साणं । देवसयसाहसीसर ॥२३॥ सागरगिरिमेरागं उत्तरपाईणमभिजिअं तुमए। ता अम्हे देवाणुप्पिजस्स चिसए परिवसामो ॥२४॥ अहोणं देवाणुप्पियाणं इइढी जई जसे बले पीरिए परिसकारपरकमे दिशा दे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए, तं दिवा णं देवाणुप्पियाणं इदी एवं चेव जाव अभिसमण्णागए, तं खामेमु णं देवाणुप्पिया ! खमंतु णं देवाणुप्पिया ! खंतुमव्हंतु ण देवाणुप्पिया ! णाइ भुजो २ एवंकरणयाएनिकर पंजलिउडा पायवडिआ भरहं रायं सरणं उचिंति, तए णं से भरहे राया तेसिं आवाडचिलायाणं अम्गाई चराई रयणाई पडिच्छति त्ता ते आवाडचिलाए एवं वयासी-गच्छह णं भो तुम्भे मम बाहुच्छायापरिगहिया णिम्भया णिविग्गा सुई सुहेणं परिवसह, णस्थि मे कत्तोचि भयमत्पित्तिकद सकारेइ सम्माणेहता पडिविसजद, नए णं से भरहे राया मुसेणं सेणावई सहावेहता एवं क्यासी-गच्छाहिणं भो देवाणुप्पिा ! दोचंपि सिंधुमहाणईए पचस्थिमं णिक्खुई ससिंधुसागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि य ओअवेहि ता अग्गाई वराई स्यणाई पडिच्छाहि त्ता मम एमाणत्ति खिप्पामेव पञ्चप्पिणाहि जहा दाहिणिाइस्स ओयवर्ण तहा सर्व भाणि जाच पचणुभवमाणा विहरति 1६१। तए णं दिशे चकरयणे अण्णया कयाई आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ ता अंतलिक्खपडिवण्णे जाच उत्तरपुरच्छिमं दिसि चुहिमवंतपश्याभिमुहे पयाते आवि होत्था, तए णं से भरहे राया तं दिवं चक्करयर्ण जाव चुड़हिमवंतवासहरपवयस्स अदूरसामंते दुवालसजोअणायाम जाव चुहिमवंतगिरिकुमारस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ तहेव जहा मागहतित्यस्स जाव समुदखभूअंपिव करेमाणे २ उत्तरदिसाभिमुहे जेणेव चुतहिमवंतवासहरपत्रए तेणेव उवागच्छद्र ला चालहिमवंतवासहरपवयं तिक्मुत्तो रहसिरेणं फुसइ त्ता तुरए णिगिण्हइ त्ता तहेब जाव आयतकण्णायतं च काऊण उसुमुदारं इमाणि वयणाणि तत्थ भणिज से णरवई जाप सो मे ने विसयवासिनिकटु उदं वेहार्स उसुं णिसिरइ परिगरणिगरिअमझे जाव तए ण से सरे भरहेणं रण्णा उड्दै वेहासं णिसढे समाणे खिप्पामेव चावत्तरि जोअणाई गंता चुहिमवंतगिरिकुमारस्स देवस्स मेराए णिवतति, नए णं से चुहिमवंतगिरिकुमारे देवे मेराए सरं णिचा पासइ ता आमुरुले जाच पीइदाणं समोसहिं च मालं गोसीसचंदणं कड़गाणि जाच दहोदगं च गेण्हइ त्ता ताए उकिट्ठाए जाच उत्तरेणं चुत्तहिमवंतगिरिमेराए अहणं देवाणुप्पित्राणं विसयासी जाच अहण्णं 16 देवाणुप्पिआणं उत्तरिते अंतपाले जाव पडिपिसजेइ । ६२। तए णं से भरहे राया तुरए णिगिण्हइ ता रहूं परावत्तेइ त्ता जेणेव उसहकूडे तेणेव उवागच्छद ना उसहकूडं पञ्चयं तिक्त्तो रहसिरेणं फुसइ ना तुरए निगिण्हइ ना रह ठवेइ ना उनलं दुबालसंसिअं अटुकणिों अगिरणिसंठिअं सोचण्णि कागणिरयणं परामुसइ त्ता उसभकूडस्स पश्यस्स पुरथिमिउंसि कडयंति णामगं आउडेइ-ओसप्पिणी इमीसे तइआइ समाइ पच्छिमे भाए। अहमसि चकवट्टी भरहो इअ नामधिजेणं ॥२५॥ अहमंसि पढमराया अहयं भरहाहियो णरवरिंदो। णत्यि महं पडिसत्तू जिलं मए भारहं वासं ॥२६॥ इविक्टु णामय आउडेइ त्ता रहं परावतेइ ना जेणेष विजयसंघाचारणिचेस नेणेच उबागच्छड़ ना जाब चुहितवंतगिरिकुमारस्स देवस्स अट्टाहिआए महामहिमाए णिवत्ताए समाणीए आउघरसालाओ पडिणिक्खमइ ता जाव दाहिणिं दिसि वेअद्धपञ्चयामिमुहे पयाते आवि होत्था ।६३। नए णं से भरहे राया तं दिवं चकरयर्ण जाव वेदस्स पायस्स उत्तरिडे णितंचे तेणेव उवागच्छह ना बेअबस्स पश्यस्स उत्तरिडे णितंचे दुवालसजायणायामं जाच पोसहसालं अणुपविसइ जाच णमिविणमीणं विजाहरराईणं अट्ठमभन्न पगिण्हइ ना पोसहसालाए जाव णमिविणमिविजाहररायाणो मणसीकरेमाणे २ चिट्ठइ, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो अट्ठमभत्तंसि परिणममायसि णमिविणमिविजाहररायाणो दिवाए मईए चोइअमई अण्णमण्णस्स अंनि पाउम्भनि ना एवं वयासी उप्पण्णे खलु भो देवाणुप्पिा ! जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे भरहे राया चाउरंतचकवट्टीतं जीअमेअंतीअपच्चुप्पण्णमणागयाणं विजाहरराईणं चक्कवट्ठीणं उवत्थाणिों करेत्तए, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिा ! अम्हेवि भर८५४ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, -३ मुनि दीपरत्नसागर Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हस्त रण्णो उपस्थाणिअं करेमो इतिकट्टु विणमी णाऊणं चकवहिं दिशाए मईए चोइअमई माणुम्माणप्पमाणजुत्तं तेयंसिं रूचलक्खणजुतं ठिअजुवणके ठिअहं सवरोगणासणि बलकारं इच्छिअसी उहफासजुनं तिसु तणुअं तिसु तं निवन्लीगं निउण्णयं निगंभीरं तिसु कालं तिसु से निजायतं तिसु य विच्छिष्णं ॥ २७॥ समसरीरं भरहे वासंमि सङ्घमहिलप्पहाणं सुंदरथणजघणवदणकर चलणणयण सिरसि जदसण जणहि अयरमणमणहरि सिंगारागार जाब जुत्तोवयारकुसलं अमरवणं सुरु रुवेणं अणुहरंती सुभदं जोडणे वट्टमाणि इत्थीरयणं णमीय रयणाणि य कड़गाणि य तुडिआणि य गेण्हइ ता ताए उकिट्टाए तुरिआए जाव उआए विज्जाहरगईए जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छनिता अंनलिक्खपडिवण्णा सखिखिणीयाई जाव विजएणं याति ता एवं पयासी- अभिजिए णं देवाणुप्पिया जाय अम्हे देवाणुप्पियाणं आणन्तिकिंकरा इतिकटु तं पडिच्छंतु णं देवाणुपिया ! अम्हं इमं जाव विणमी इत्थीरयणं णमी स्वणाई समप्पैनि, नए णं से भरहे राया जाय पडिविसले ता पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ ता मज्जणपरं अणुपविसह ता भोअणमंडवे जाव नमिविनमीणं विजाहरराईणं अट्टाहि अमहामहिमा, तए णं से दिवे चकरपणे आउहपरसालाओ पडिणिक्खमइ जात्र उत्तरपुरत्थिमं दिसिं गंगादेवी भणाभिमुहे पयाए यात्रि होत्था, सच्चैव सवा सिंधुवत्तश्या जाब नवरं कुंभट्टसहस्सं रयणचित्तं णाणामणिकणगरयणभत्तिचित्ताणि य दुबे कणगसीहासणाई से नं चैव जात्र महिमा ६४। तए णं से दिवे चकरपणे गंगाए देवीए अड्डाहियाए महा जाव आउघरसालाओ पडिणिक्खमइ ता जाव गंगाए महाणईए पचत्थिमिलेणं कूलेणं दाहिणदिसिं खंडप्पवायगुहाभिमुहे पयाए आदि होत्था, तने णं से भरहे राया जाव जेणेव खंडप्पवायगुहा तेणेव उपागच्छ ता सहा कयमालकवत्तया अड्डा, गवरि णट्टमालगे देवे, पीतिदाण से आलंकारिअभंड कड़गाणि य से सवं तहेब जाप अठ्ठाहिआ महामहिमा, नए णं से भरहे राया णमालास्स देवस्स अट्ठाहिआए म० णित्रत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावई सदावेह ता जाव सिंधुगमो अवो जाव गंगाए महाणईए पुरथिमि णिक्कुडं सगंगासागरगिरिमेरागं समविसम णिक्खुडाणि य ओअवे ना अग्गाणि वराणि रयणाणि पडिच्छइ ता जेणेव गंगा महाणई तेणेव उवागच्छइ ना दोघंपि ससंधावारबले गंगामहाणई विमलजलतुंगवीइं णावाभूएणं चम्मरयणेणं उत्तर ता जेणेव भरहम्स रणो विजयखंधावारणिवेसे जेणेव बाहिरिआ उवद्वाणसाला तेणेव उपागच्छ ना आभिसेकाओ हस्थिरयणाओ पचोरुहइ ता अम्गाई वराई स्वणाई महाय जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ ता करयलपरिग्गहि जाव अंजलि कट्टु भरहं रायं जएणं विजएणं बद्धावे ता अग्गाई वराई स्थणाई उबणेड. नए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेणावइस्स अम्गाई वराई रवणाई पडिच्छइ ता सुसेणं सेणावई सकारेह सम्माणेइ तां पडिबिसलेइ, तए णं से सुसेणे सेणावई भरहस्त रण्णो सेपि तहेब जाव विहरइ, तए णं से भरहे राया अण्णया कयाई सुसेणं सेणावइत्यणं सहावे ता एवं बयासी गच्छ णं भो देवाणुप्पिआ ! खंडगप्पवायगुहाए उत्तरितस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेहि ता जहा निमि सगुहाए नहा भाणि जाव पिअं मे भवउ से तहेब जाव भरहो तिमिस्सगुहाए उत्तरिडेणं दुवारेणं अईइ ससिङ मेहंधयारनिवहं तहेव पविसंतो मंडलाई आलिहइ तीसे खंडगप्पवायगुहाए बहुमज्यसभाए जाव उम्म गणिमसाजलाओ णामं दुवे महाणईओ तहेव णवरं पचत्थिमिलाओ कडगाओ पवूढाओ समाणीओ पुरस्थिमेणं गंगं महाणई समप्र्पति, सेसं तहेब गवरिं पचत्थिमिले कूलेणं गंगाए संकमवत्तशया तहेब, तए णं खंडगप्पागुहाए दाहिणिस्स दुवारस्स कवाडा सयमेव महया २ कोंचारखं करेमाणा २ सरसरसरस्स सगाई ठाणाई पचीसकित्था, तए णं से भरहे राया चकरयणदेसियमग्गे जाव खंडगप्पवायगुहाओ दक्खिणिणं दारेणं णीणेइ ससिष्ठ मेघयारनिवहाओ । ६५। नए णं से भरहे राया गंगाए महाणईए पचत्थिमिले कूले दुवालसजोअणायामं णवजोअणचिच्छिण्णं जाव विजयक्खधावारणिवेस करेड़, अवसिद्धं तं चेत्र जात्र निहिरयणाणं अट्टमभतं परिण्हर, नए से भरहे राया पोसहसालाए जाब णिहिरयणे मणसीकरेमाणे २ बिट्टइ, तस्स य अपरिमिअरन्तरयणा धुअमक्खयमश्या सदेवा लोकोपचर्यकरा उबगया णव णिहिओ लोगविस्सुअजसा तं नेसप्पे पंडुअए पिंगलए सव्वरयण महफ्उमे काले अ महाकाले माणवगे महानिही सखे ॥ २८ ॥ सप्पमि णिवेसा गामागरणगरपट्टणाणं च दोणमुहमषार्ण संधावारावणगिहाणं ॥ २९ ॥ गणिअस्स य उप्पत्ती माणुम्माणस्स जं पमार्ण च। घण्णस्स य वीआण य उप्पत्नी पंडुए भणिआ ॥ ३० ॥ सव्वा आभरणचिही पुरिसाणं जा य होइ महिलाणं आसाण य हत्थीण व पिंगलगणिहिमि सा भणिजा ॥ ३१ ॥ रयणाई सव्वरयणे चउदसवि वराई चकवहिस्स उप्पजते पंचिदियाई एगिदिआई च ।। ३२ ।। वत्थाण य उप्पत्ती णिफत्ती चैव सव्वभत्तीर्ण रंगाण य धोव्वाण य सब्वा एसा महापउमे ॥ ३३ ॥ काले कालण्णाणं भवपुराणं चतिसुवि वंसेसु सिप्पसयं कम्माणि य तिष्णि पयाए हिअकराणि ॥ ३४ ॥ लोहस्स य उत्पत्नी होइ महाकालि आगराणं च रूप्पस्स सुवण्णस्स य मणिमुत्तसिलप्पवालाणं ॥ ३५ ॥ जोहाण य उप्पत्ती आवरणाणं च पहरणाणं च सवा य जुदणी माणवगे दंडणीई य ॥ ३६ ॥ णट्टविही जाडगविही कबस्स य उ हिम्स उप्पनी । संखे महाणिहिंमी तुडिअंगाणं च सब्वेसि ॥ ३७ ॥ चकटुपड्डाणा अट्टस्सेहा य णव य विक्खंभा वारस दीहा मंजूससंठिआ जण्हवीइ मुहे ॥ ३८ ॥ वेरुलि अमणिकवाडा कणगमया विविहरयणपडिपुण्णा ससिसूरचकलक्खण अणुसमत्रयणोववत्तीया ॥ ३९ ॥ पलिओत्रमडिईओ णिहिसरिणामा य तत्थ खलु देवा ज़ेसिं ते आवासा अकिता आहिस्चाय ॥ ४० ॥ एए णत्र णिहिरयणा पभूयधणरयणसंचयसमिदा जे वसमुत्रगच्छंती भराचिचकवट्टीणं ॥ ४१ ॥ तए णं से भरहे राया अट्टमभत्तंसि परिणयंसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ, एवं मजणघरपवेसो जाव सेणिपसेणिसदावणया जाव णिहिरयणाणं अट्ठाहिअं महामहिमं करेंनि, नए णं से भरहे राया जिहिरयणाणं अड्डाहिआए महामहिमाए णिश्वनाए समाणीए मुसेणं सेणावइरयणं सदावेइ ता एवं बयासी गच्छ णं भो देवाणुप्पिया गंगामहाणईए पुरत्थिमितं णिक्कुडं दुपि सगंगासागरगिरिमेरागं समविसमणिक्म्युडाणि य ओअहिता एमाणत्तिअं पचविणाहि नए णं से सुसेणे तं चैव पुत्रवण्णिअं भाणियवं जाव ओजविता पचप्पिणइ पडिविसजेइ जात्र भोगभोगाई भुजमाणे विहरह, तए णं से दिवे चक्करयणे अक्षया कपाई आउघरा पडिणि. क्खमइत्ता अंतलिक्खपडिवण्णे जक्खसहस्ससंपरिपुडे दिशतुडिअ जाव आपूरते चेत्र विजयक्वंधावारणिवेसं मज्झमज्झेणं णिग्गच्छ ता दाहिणपचत्थिमं दिसिं विणीअं रायहाणि अभिमुद्दे पयाए यात्रि होत्या, तए णं से भरहे राया ८५५ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वक्वारो-३ 1 मुनि दीपरत्नसागर Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाव कोडुपिअपुरिसे सहावेह ना एवं क्यासी-खिप्पामेव भो देवाणुपिया ! आभिसेकं जाव पचप्पिणंति । ६६। तए णं से भरहे राया अज्जि अरज्जो णिजिअसत्तू उप्पण्णसमस्थरयणे पकारयणप्पहाणे णवणिहिबई समिद्धकोसे पतीसरायवरसहम्साणुआयमम्मे सट्टीए परिससहस्सेहि केवलकणं भरहं वासं ओयवेइ ना कोडुंबियपुरिसे सहावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिा ! आभिसेकं हस्थिरयणं हयगयरह नहेब जाव अंजणगिरिकूडसणिभं गयवई गरबई दूरूदे, नए णं तस्स भरहस्स रपणो आभिसेकं हस्थिरयणं दूरुढस्स समाणस्स इमे अट्ठमंगलगा पुरो अहाणुपुत्रीए संपत्थिआ, नं०. सोस्थिअसिविच्छजावदप्पण, तयणंतरं च णं पुष्णकलसभिंगार दिव्वा य उत्तपडागा जाव संपट्टिआ. तयर्णनरं च बेलिअभिसंतविमलदंड जाब अहाणपुब्बीए संपट्टि, नयणंतरं च णं सत्त एगिदिअरयणा पुरओ००-चकरयणे छत्तरयणे चम्मरयणे दंडरयणे असिस्यणे मणिरयणे का रआत०-चक्करयण छत्तरयण चम्मरयण दडरयण सिरयण मणिरयर्ण कागणिस्यणे,तयर्णतरं चणं णत्र महाणिहिओ पुरओ नेणेसप्पे पंडयए जाव संखे, नयणंतरं पणं सोलस देवसहस्सा पुरओ०, तयणंतरं च णं चत्तीसं रायवरसहस्सा०, तयणतरं च णं सेणावइस्यणे०, एवं गाहावइरयणे बदइययणे पुरोहिअरयणे. तयणंतरं च गं इस्थिरयणे,नयर्णतरं च णं बनीसं उडुकलाणिसहस्सा पुरओ०, तयणंतरं च णं बत्तीस जणवयकहाणि आसहस्सा पुरओ०, तयणंतरं च णं बनीस बनीसहबद्धा णाडगसहस्सा०, तयणतरं च णं निणि सहा मूअसया पुरओ०, तयणंतरं च णं अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ पुरओ०,तयणंतरं च णं चउरासीई आससयसहस्सा पुरओ तयणंतरं च णं चउरासीई हत्यिसयसहस्सा पुरओ०, नयणंतरं च णं चउरासीनी रहसयसहस्सा पुरओ०,नयाणंतरं च णं उण्णउई मणुस्सकोडीओ पुरओ०, तयणतरं च णं चहवे राईसरतलवर जाव सत्यवाहप्पभिईओ पुरओ०, तयणंतरं च णं बहवे असिम्गाहा लट्टि- कुंत. चाच. चामर पास फलग० परसु पोत्थय० वीण कुब हडप्फ० दीचिअगाहा सएहि २रूवेहिं एवं वेसेहिं चिंधेहिं निओएहिं सएहिं२ नेवत्थेहिं पुरओ अहाणपुचीए संपत्थिा , तयणंतरं च णं बहवे दंडिणो मुंडिणो सिहंडिणो जडिणो पिच्छिणो हासकारगा खेड्ड० दव० बाडुकारगा कंदपिआ कुकुइआ मोहरिआ मायंता य दीव(प० दाय)ता य वायंता य नचंता य हसंता य रमंता य कीलंता य सासेंता य सावता य जाता य राता य सोम॑ता य (प. सोभावेंता य) आलोअंता य जयजयसई पउंजमाणा पुरओ अहाणु व उवचाइअगमण जाब तस्सरण्णा पुरआमआसा आसधरा उभआ पासि णागाणागधरा पिट्टआरहा रहसगड़ी अहाणुपुत्रीए संपट्टिआ, तए णं से भराहिवे णरिदे हारोस्थयसुकयरइअवच्छे जाव अमरबहसग्णिभाए इबीए पहिअकित्ती चकरयणदेसिअमग्गे अणेगरायवरसहस्साणआयमग्गे जाव समुहवअंपिव करेमाणे २ सविडीए जा विद्धाए जाच णिग्यासणाइयरवेणं गामागरणगरखेडकब्बडमईच जाव जोअर्णतरिआहिं वसहीहि वसमाणे २ जेणेव विणीआ रायहाणी तेणेव उबागच्छइ त्ता विणीआए रायहाणीए अदूरसामंते दुवालसजोअणायाम जाव खंधावारणिवेसं करेइ त्ता बद्धइरयणं सद्दावेइ ना जाय पोसहसालं अणुपविसइ विणीआए रायहाणीए अट्ठमभन्न पगिहइ ता जाव अट्ठमभत्तं पडिजागरमाणे २ विहरइ, तए णं से भरहे राया अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता कोटुंबिअपुरिसे सहावेइ ता तहेव जाव अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयबई णवई दूरुढे तंव सवं जहा हेडा णवरि णव महाणिहिओ पत्तारि सेणाओ ण पचिसंति सेसो सो क्षेत्र गमो जाच णिग्घोसणाइएणं विणीआए रायहाणीए मझमझेणं जेणेव सए गिहे जेणेव भवणवरवडिंसगपडिदुवारे तेणेच पहारेल्थ गमणाए, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो विणीअं रायहाणि मज्झमोणं अणुपविसमाणस्स अप्पेगइआ देवा विणी रायहाणिं सम्भंतरवाहिरिनं आसिअसम्मजिओचलितं करेंति अप्पे० मंचाइमंचकलिअं करेंति एवं सेसेमुवि पएमु अप्पे० णाणाविहरागवसणुस्सियधयपडागमंडितभूमिजं अपे० लाउडोइअमहिअं अप्पे जाव गंधवाद्विभूकं करते, अप्पे हिरण्णवासं वासिंति सुवण्ण रयण बहर आभरण वासेंति.तए णं तस्स भरहस्स रण्णो विणीअं रायहाणि मजलं. मजमेणं अणुपविसमाणस्स जाव महापहेसु पहये अस्थस्थिआ कामस्थिा भोगस्थिआ लाभत्विा इडिसिआ किच्चिसिआ कारोडिआ कारवाहि (प. भारि)आ संखिया चकिआ णंगलिआ मुहमंगलिआ पूसमाणया बद्धमाणया हिं मणुचाहिं मणामाहिं सिवाहिं धण्णाहिं मंगाडाहिं सस्सिरीआहिं हिअयगमणिजाहिं हिअयपल्हायणिजाहि बग्गहि अणवरयं अभिणता य अभिथणता य एवं बयासीजय जय गंदा ! जय जय भहा ! भई ते अजिअं जिणाहि जिअं पालयाहि जिअमज्झे बसाहि इंदोचिव देवाणं चंदोविव ताराणं चमरोवित्र असुराणं धरणेविष नागाणं बहुई पुषसयसहस्साई पहुईओ पुषकोडीओ बहुईओ पुषको. डाकोडीओ विणीआए रायहाणीए चाडहिमवंतगिरिसागरमेरागस्स य केवलकप्पस्स भरहस्स वासस्स सगामागरणगरखेडकबडमडंबदोणमुहपट्टणासमसपिणवेसेसु सम्म पयापालणोवजिअलजसे महया जाव आहे वचं पोरेवचं जाव विहाहित्तिकटु जयजयसई पउंजति, तए णं से भरहे राया णयणमालासहस्सेहिं पिच्छिजमाणे २वयणमालासहस्सेहिं अभियुबमाणे २ हिअयमालासहस्सेहि उष्णदिजमाणे २ मणोरहमालासहस्सेहिं विच्छिापमाणे २ कंतिरूवसोहम्गगुणेहिं पस्थिजमाणे २ अंगुलिमालासहस्सेहिं दाइजमाणे २ दाहिणहत्येणं बहूणं णरणारीसहस्साणं अंजलिमालासहस्साई पडिच्छेमाणे २ भवणपतीसहस्साई समइच्छमाणे २ तंतीतलतालतुडिअगीवाइअरवेणं मधुरेणं मणहरेणं मंजुमंजुणा घोसेणं अपडिबुज्झमाणे २ जेणेव सए गिहे जेणेव भवणवरवडिंसयपडिदुवारे तेणेव उवागच्छद ता आभिसेक हस्थिरयणं ठवेइ त्ता आभिसेकाओ हस्थिरयणाओ पचोरहइ ला सोलस देवसहस्से सकारेइ सम्माणेइ त्ता चत्तीस रायसहस्से सकारेइ सम्माणेइ त्ता सेणाचइरयणं सकारेइ० एवं गाहावहरयणं बद्धहरयणं पुरोहियरणं त्ता तिणि सट्टे सूअसए अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ अण्णेवि बहवे राईसरजावसस्थवाहप्पभिईओ सकारेइ सम्माणेइ त्ता पडिक्सिजेह, इत्थीरयणेणं बत्तीसाए उडुकलाणिआसहस्सेहिं बत्तीसाए जणवयकल्लाणिआसहस्सेहिं पत्नीसाए बत्तीसइबहेहिं णाडयसहस्सेहिं सदि संपरिखुडे भवणवरवडिंसगं अईइ जहा कुरोध देवराया केल्लाससिहरिसिंगभूअं, तएणं से भरहे राया मित्तणाइणिअगसयणसंबंधिपरिअणं पचुवेक्खइत्ता जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइला जाच मजणघराओ पडिणिक्खमहत्ता जेणेव भोअणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्ठमभ पारेइ त्ता उप्पि पासायवरगए फुडमाणेहि मुइंगमस्थएहिं पत्तीसइबहिं णाडएहिं उबलालिजमाणे २ उवणांचजमाण २ उबगिजमाणे २महया जाव भुजमाणे विहरह। ६७। तए णं तस्स भरहस्स रपणो अपणया कयाई रजधर चिंतेमाणस्स इमेआरूखे जाव समुप्पज्जित्था अभिजिए णं मए णिअगवलबीरिअपुरिसक्कारपरक्कमेण चुहिमवंतगिरिसागरमेराए केवलकप्पे भरहे वासे तं सेअं खलु मे अप्पाणं महारायाभिसेएणं अभिसिंचावित्तएत्तिकटु एवं संपेहेति (२१४) ८५६ जम्यूद्वीपप्रज्ञप्तिः, कारो-३ मुनि दीपरत्नसागर Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ताक पाउप्पभायाए जाब जलते जेणेव मज्जणघरे जाव पडिणिक्खमइ ता जेणेव बाहिरिआ उवट्टाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमु निसीअति ता सोलस देवसहस्से बत्तीसं रायवरसहस्से सेणा वइरयणं जान पुरोहियरयणं तिण्णि सट्टे सूअसए अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ अण्णे य बहवे राईसरतलवरजावसत्थवाहपभिअओ सदावेइ ता एवं क्यासी- अभिजिए णं देवाणुप्पिया! मए णिअगबलबीरिय जाव केबलकप्पे भरहे वासे तं तुम्मे णं देवाणुप्पिया! ममं महया रायाभिसेअं विअरह, तए णं ते सोलस देवसहस्सा जावप्यभिइओ भरहेणं रण्णा एवं बुत्ता समाणा हडतुडकरयल मत्थए अंजलि कट्टु भरहस्स रण्णो एअम सम्मं विणएणं पडिसुर्णेति तए णं से भरहे राया जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छ ता जाव अट्टमभत्तिए पडिजागरमाणे विहरह, तए णं से भरहे राया अट्टमभत्तंसि परिणममाणंसि आभिओगिए देवे सदावेइ ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया विणीयाए रायहाणीए उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए एवं महं अभिसेयमण्डवं विउवेह ता मम एयमाणत्तियं पञ्चपिणह, तए णं ते आभिओगा देवा भरहेणं रण्णा एवं वृत्ता समाणा हट्टतुट्ठा जाव एवं सामित्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुर्णेति ता विणीयाए रायहाणीए उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवकमंति त्ता वेडविअसमुग्धाएणं समोहति ता संखिजाई जोयणाई दंडं णिसिरंति, तं० रयणाणं जाव रिट्ठाणं, अहावायरे पुग्गले परिसाइति ता अहासहुमे पुग्गले परिआदिअंति ता दुचंपि वेउनियसमुग्धायेणं समोहति ता बहुसमरमणिजं भूमिभागं विउति से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा० तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झसभाए एत्थ णं महं एवं अभिसेजमंडवं विउति अगखंभसयसणिविद्धं जाव गंधवट्टिभूयं पेच्छाघरमंडववण्णगो तस्स णं अभिसेअमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एवं अभिसेयपेढं विउनि अच्छे सण्हं० तस्स णं अभिसेपेढस्स तिदिसि तओ तिसोवाणपडिरूबए विउर्व्वति, तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवगाणं अयमेरूवे वण्णावासे पं० जाव तोरणा, तस्स णं अभिसेअपेदस्स बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० तस्स णं बहु समरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाएं एत्थ णं महं एवं सीहासणं विउव्वंति, तस्स णं सीहासणस्स अयमेआरुवे वण्णावासे पं० जाव दामवण्णगं समत्तं, तए णं ते देवा अभिसेअमंडवं विउव्वंति त्ता जेणेव भरहे राया जाव पचप्पियंति, तए णं से भरहे राया आभिओगाणं देवाणं अंतिए एअमई सोचा णिसम्म हट्ट जाव पोसहसालाओ पडिणिक्खम त्ता कोबिअपुरिसे सदावेह ता एवं बयासी खिप्पांमेव भो देवाणुप्पिआ! आभिसेक हत्थिरयणं पडिकप्पेह सा हयगय जाव सण्णाहेहता एअमाणनिअं पचप्पिणह जाव पचप्पिणंति, तए णं से भरहे राया मजणघरं अणुपविसद् जाव अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवई णरबई दूरूढे, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो आभिसेकं हरिवरयणं दूरुढस्स समाणस्स इमे अट्टमंगलगा जो चैव गमो विणीअं पविसमाणस्स सो चेव क्विममाणस्सवि जाव अप्पडिबुज्झमाणे विणीयाए रायहाणीए मज्झमज्झेणं णिग्गच्छड ता जेणेव विणीआए रायहाणीए उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए अभिसेअमंडवे तेणेव उवागच्छ ता अभिसे अमंडवदुवारे आभिसेक हत्थिरयणं ठावेइ ता आभिसेकाओ हत्थिरयणाओ पचोरुहइ ता इत्थीरयणेणं बत्तीसाए उडुकडाणिआसहस्सेहिं बत्तीसाए जणवय कहाणि आसहस्सेहिं बत्तीसाए बत्तीसइबदेहिं णाडगसहस्सेहिं सद्धिं संपरिवुडे अभिसेअमंडवं अणुपविसद् ता जेणेव अभिसेजपेढे तेणेव उवागच्छ ता अभिसेजपेढं अणुप्पदाहिणीकरेमाणे पुरत्थिमिलेणं तिसोवाणपडिरूवएणं दुरूहड़ ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ ता जाव पुरस्थाभिमु सण्णिसण्णे, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो बत्तीस रायसहस्सा जेणेव अभिसेअमंडवे तेणेव उपागच्छति ता अमिसेजमंदवं अणुपविसंति ता अभिसेअपेढं अणुपयाहिणीकरेमाणा उत्त रिणं तिसोवाणपडिरूवएणं जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छति ता करयल जाव अंजलि कट्टु भरहं रायाणं जएणं विजएणं वदावैति त्ता भरहस्स रण्णो णचाण्णे गाइदूरे सुस्मृ समाणा जाव पज्जुवासंति, तए णं तस्स भरहस्स सेणावइरयणे जाव सत्थवाहप्पभिडओ तेऽवि तह चेव णवरं दाहिणिणं निसोवाणपडिरूवएणं जाव पज्जुवासंति, तए णं से भरहे राया आभिओगे देवे सदावेइ ता एवं बयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ममं महत्वं महम्धं महरिहं महारायाभिसे उबडवेह. नए णं ते आभिओगिआ देवा भरणं रण्णा एवं चुना समाणा हट्ट चित्ता जाव उत्तरपुरच्छिमं दिलीभागं अवकमति ता बेविअसमुग्पाएणं समाहणंति एवं जहा विजयस्स तहा इथेपि जाव पंडगवणे एगओ मिलायंति ना जेणेव दाहिणढ्ढे भरहे वासे जेणेव विणीआ रायहाणी नेणेव उवागच्छति ता विणीअं रायहाणि अणुप्पयाहिणीकरेमाणा जेणेव अभिसेअमंडवे जेणेव भरहे राया नेणेव उवागच्छति ना नं महन्थ महग्धं महरिहं महारायाभिसे उबवेति नए णं तं भरहं रायाणं बनीसं रायसहस्सा सोभणसि तिहिकरण दिवसणक्खनमुन्नंसि उत्तरपोडवयाविजयंसि तेहि साभाविएहि य उत्तरखेडविएहि य वरकमलपइद्वाणेहिं सुरभिवरवारिपुटिपुण्णेहिं जाव महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचति, अभिसेओ जहा विजयस्स, अभिसिंचिता पत्तेयं २ जाव अंजलि कट्ट ताहि इद्वाहिं जहा पविसंतस्स भणिआ जाय विहराहित्तिकट्टु जयजयसदं पउंजति तए णं तं भरहं रायाणं सेणावइरयणे जाव पुरोहियरयणे निष्णि य सहा सूअसया अट्ठारस सेणि८५७ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वक्वारो-३ मुनि दीपरत्नसागर Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्पसेणीओ अण्णे य पहवे जाव सस्थवाहप्पमिइओ एवं व अभिसिंचति नेहि वरकमलपइहाणेहिं नहेब जाव अभिधुणनि य सोलस देवसाहसी एवं चेव णवर पम्हसुकमालाए जाच मउई पिणद्वेति, नयाणंतरं च णं दहरमलयसुगंधगंधिएहिं गंधहिं गायाहिं अब्भुखंति दिवं च सुमणोदामं पिणद्वेति.कि बहणा. गंठिमवेदिम जाब विभूसियं कनि. नए ण से भरहे राया महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचिए समाणे कोडुबिअपुरिसे सहावेड ना एवं वयासी-खिप्पामेच भो देवाणुप्पिआ ' हन्थिखधवरगया विणीयाए रायहाणीए सिंघानिगचरक चचरजावमहापहपहेसु महया २ सदेणं उग्धोसेमाणा २ उस्सुकं उकरं उकि, अदिनं अमिजं अभटुप्पवेसं अदंडकुदंडिम सपुरजण जाणवयं जाव दुवालससंवरि पमोअंघोसेह ना ममेप्रमाणनि पञ्चप्पिणहत्ति, तए णं ते कोदुविअपुरिसा भरहेणं रण्णा एवं वृना समाणा हट्टतुट्टचिनमाणंदिा पीइमणा हरिसबसविसप्पमाणयिया विणएणं वयणं पडिसुर्णेनि ता खिप्पामेव हथिखंधवरगया जाव घोसति त्ता एअमाणत्ति पञ्चप्पिणंति, नए णं से भरहे राया महया २रायाभिसेएणं अभिसिने समाणे सीहासणाओ अभुट्टेड त्ता इन्थिरयणेणं जाव णाडगसहस्सेहि संपरिखुड़े अभिसेअपेढाओ पुरथिमिल्लेण निसोवाणपडिरूवएण पच्चोम्हाद ना अभिसेअमडवाओं पडिणिक्खमह ना जेणेव आभिसे के हन्थिरयणे नेणेव उवागच्छा ना अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवई नरवई दुरुढे. तए णं तस्स भरहम्स रण्णा बनीसं रायसहम्सा अभिसे अपेढाओ उत्तरिदेणं निसोवाणपहिरु वएणं पच्चोम्हंति, तए णं नम्स भरहम्स रपणो सेणावइस्यणे जाव सत्यवाहप्पभिइओ अभिसेअपेढाआ दाहिणिष्ट्रेणं निसोवाणपडिक वएणं पच्चोम्हंति. तए र्ण नम्स भरहम्स रण्णो आभिसेकं हन्धिरयणं दुरूवम्स समाणम्स इमे अट्टमंगलगा पुरओ जाव संपत्थिआ, जोऽविअ अइगच्छमाणम्स गमो पढमो जाय कुबेरावसाणो सो चेव इहपि कमो सक्कार जढो अश्वो जाव कुबेरोव देवराया केन्याससिहरिसिंगअं. तए णं से भरहे राया मजणघरं अणुपविसह ना जाव भोअणमंडसि सुहासणवरगए अट्टममनं पारद ना भोअणमंडवाओं पडिणिक्खमद ना उप्प पासायवरगए फुडमाणेहि मुहंगमस्थएहि जाव मुंजमाणे विहरततए णं से भरह राया दुवालससंवच्छरिसि पमोसि णिवलसि समाणंसि जेणेव मजणघरे नेणेय उवागच्छर ना जाच मजणघराओ पडिणिक्खमइत्ता जेणेष वाहिरिआ उबट्ठाणसाला जाब सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे णिसीअडना सोलस देवसहम्से सकारेइ सम्माणेद ना पडिविसज्जेह ना बत्तीसं रायबरसहम्सा सेणावहरयणं जाच पुरोहियरवर्ण एवं तिषिण सट्टे मूआरसए अट्टारस सणिप्पसेणीओ अण्णे य बहवे राईसरनलवरजावसथवाहपमिहओ सकारेड सम्माणेहना पडिविसजेनि ना उप्पि पासायवरगए जाब बिहरह।६८ा भरहस्सरण्णा चक्करयण दडस्यण सिरयण छत्तरयण एत ण चत्तारि एागदियरयणा आउहघरसालाए समुप्पण्णा चम्मरयण मणिरयण महाणिहओ एए णं सिरिघरंसि समप्पण्णा सेणावहरयणे गाहावइस्यणे बदइरयणे पुरोहिअरयणे एए णं यत्नारि मणुअरयणा विणीआए रायहाणीए समप्पण्णा आसरयणे हस्थिरयणे एए णं दुवे पंचिदिअरयणा येतद्धगिरिपायमूले समुप्पण्णा सुभद्दा इन्धीरयणे उनरिडाए विजाहरसेटीए समुप्पण्णे । ६९। तए णं से भरहे राया चउहसण्हं रयणाण णवण्हं महाणिहीणं सोलसहं देवसहस्साणं बत्तीसाए रायसहस्साणं बत्तीसाए उडुकाहाणिआसहसाणं बनीसाए जणवयकाडाणिआसहम्साणं बत्तीसाए बत्तीसहबदाणं णाडगसहस्साणं निण्हं सट्ठीणं सूयारसयाणं अट्ठारसण्हं सेणिप्पसेणीणं चउरासीईए आससयसहम्साणं चउरासीईए दंतिसयसहस्साणं चउरासीईए रहसयसहम्साणं छण्णउईए मणम्सकोडीण बावनरीए पुरवरसहम्साणं बत्तीसाए जणवयसहस्साणं छण्ण उईए गामकोडीणं णवणउडए दोणमुहसहम्साणं अड्यालीसाए पट्टणसहस्साणं चउचीसाए कम्बडसहम्साणं चउसाए मडबसहम्साणं बीसाए आगरसहस्साणं सोलसण्हं खेडगसहस्साणं चउहसण्हं संवाहसहस्साणं छप्पण्णाए अंतरोदगाणं एगृणपण्णाए कृरजाणं विणीआए रायहाणीए चाइहिमवंतांगरिसागरमेरागम्स केवलकप्पस्स भरहम्स बासम्स अण्णेसिं च बहूर्ण राईसरतलवरजावसत्यवाहप्पभिडणं आहेबच्चं पोरेवच्च भट्टिनं सामिनं महनरगनं आणासरसेणावरचं कारेमाणे पालेमाणे ओहयणिहएसु कंटएसु उदिअमलिएसु सव्यसनुसु णिजिएसु भरहाहिये णरिंदे वरचंदणचच्चियंगे वरहाररह अवच्छे वरमउडविसिटुए बरबन्धभूसणधर समोउअमरहिकसमबरमाइसोभिअसिरे वरणाडगनाइजवरइन्थिगुम्म सदि संपरिखुढे समोसहिसबरयणसवसमिइसमग्गे संपुषणमणोरहे हयामिनमाणमहणे पुवकयनवपभावनिविद्रुचिअफले भुजह माणुस्सए सुहे भरहे णामधेजे । ७ । तए णं से भरहे राया अण्णया कयाई जेणेव मजणघरे नेणेव उवागच्छद ना जाय ससिब्ब पिसणे णरवई मजणघराओ पडिणिस्वमह ना जेणेव आदंसघरे जेणेव सीहासणे नेणेव उवागच्छद ना सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे णिसीअइ ता आईसघरंसि अत्ताणं देहमाणे २ चिट्ठइ, नए णं तम्स भरहम्स रगणो सुभेणं परिणामेण पसन्थेहि अन्झवसाणेहि लेसाहिं बिसुज्झमाणीहि २ ईहापोहमम्गणगवेसणं करेमाणस्स तयावरणिजाणं कम्मार्ण खएणं कम्मरयविकिरणकर अपुपकरण पचिट्ठम्स अणने अणुनरे निवाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाणदसणे समुप्पण्णे, तए णं से भरहे केवली सयमेवाभरणालंकारं ओमुअइना संयमेव पंचमुट्ठिअंन्टोनं करे ना आयंसघराओ ८५८. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, प री -२ मुनि दीपरत्नसागर s ough Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न पडिणिक्खमइ ना अंतेउरमझमजोणं णिग्गच्छइ त्ता दसहिं रायवरसहस्सेहिं सद्धिं संपरिबुडे विणीअं रायहाणि मज्झमोणं णिग्गच्छद लता मज्झदेसे सुहंसुहेणं विहरइ त्ता जेणेव E अट्ठावए पवते तेणेव उवागच्छदत्ता अट्ठावयं पवयं सणिअं२ दुरूहइत्ता मेघषणसण्णिकासं देवसण्णिवायं पुढवीसिलावट्टयं पडिलेहेइ त्ता सलेहणासुसणाझूसिए भत्तपाणपडिआइ क्खिए पाओवगए कालं अणवकखमाणे विहरइ, तए णं से भरहे केवली सत्तत्तरि पुषसयसहस्साई कुमारवासमझे वसित्ता एग वाससहस्सं मंडलिअरायमझे वसिना छ पुरसयसहस्साई - वाससहस्सूणगाई महारायमझे बसित्ता तेसीई पुरसयसहस्साई अगारवासमझे यसित्ता एगं पुश्वसयसहस्सं देसूणगं केवलिपरिआय पाउणित्ना तमेव बहुपडिपुण्णां सामनपरिआर्य का पाउणिना चउरासीई पुरसयसहस्साई सघाउ पाउणित्ता मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं सवणेणं णक्खनेणं जोगमुवागएणं खीणे वेअणिजे आउए णामे गोए कालगाए बीइकते समुजाए डिण्णजाइजरामरणवन्धणे सिदे बुदे मुने परिणिधुडे अंतगडे सवदुक्खप्पहीणे । ७१। भरहे य इत्थ देवे महिदीए महजुइए जाव पलिओवमदिइए परिखसइ, से एएणडेणं गो! एवं बुचड़-भरहे वासे २, अदुसरं पण गो! भरहस्स वासस्स सासए णामधिजे पं० जण कयाई ण आसीण कयाई णस्थिण कयाई ण भविस्सइ भविं च भवद अ भविम्सइ । अधुर्वे णिअए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिचे भरहे वासे कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे चुलहिमवंते णामं वासहरपव्यए पं०?, गो० हेमक्यस्स वासस्स दाहिणेणं भरहस्स बासस्स उत्तरेणं पुरथिमलवणसमुहस्स पञ्चस्थिमेणं पञ्चस्थिमलवणसमुदस्स पुरस्थिमेणं एत्थणं जंबुहीवे चुहिमवंते णामं वासहरपबए पं० पाईणपढीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दुहा लवणसमुहं पुढे पुरस्थिमिडाए कोडीए पुरस्थिमिरडं लवणसमुहं पुढे पचस्थिमिछाए कोडीए पचस्थिमिलं लवणसमुहं पुढे. एग जोअणसयं उदउच्चत्तेणं पणवीसं जोअणाई उज्वेहर्ण एगजाअणसहस बावण्ण च जाणाई दुबारस य एगृणवीसइभाए जोअणस्स विक्खभण, तस्स बाहा पुरथिमपचत्थिमण पच जाअणस सए पण्णरस य एगणवीसइभाए जोअणम्स अदभागं च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया जाव पचस्थिमिडाए कोडीए पचस्थिमिडं लवणसमई पट्ठा चउच्चीसं जोअणसहस्साई णच य बत्तीसे जोअणसए अदभागं च किंचिविसेसूणा आयामेणं पं०, तीसे घणुपट्टे दाहिणेणं पणवीसं जोअणसहस्साई दोषिण यतीसे जोअणसए चत्तारि य एगणवीसइभाए जोअणस्स परिक्खेवेणं पं० रुअगसंठाणसंठिए सवकणगामए अच्छे जाव पडिरूबे उभओ पासि दोहिं पउमवरवेइआहिं दोहि य वणसंडेहि परिक्खित्ते दुण्हवि पमाणं वणगो, चाङहिमपन्नस्स वासहरपवयस्स उवरि बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव बहवे वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति जाव विहरति 1७३। तम्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्मदेसभाए इत्य णं इके महं पउमड़हे णाम दहे पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे इक जोअणसहस्सं आयामेणं पच जायणसपाइविक्सभण दस जाणाइ उचहण अच्छसण्ह स्ययामयकूल जाव पासाईए जाव पहिरुबे, सणं एगाए परमवरखेडआए एगेण य वणसंडणं साओ समता संपरि. क्खिने वेइयावणसंडवण्णओ भाणियत्रो, तम्स णं पउमदहस्स चउदिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पं० वण्णावासो भाणियघोत्ति, तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरओ पत्तेयं तोरणा मिया.तस्सणं पउमरहस्स बहमजादेसभाए एथर्ण महंएगे पउमेपं. जोयर्ण आयामविक्खमेणं अदजोयण वाहतेणं दस जोयणाई उबेहेणं दोकोसे ऊसिए जलंताओ साइरेगाई दसजोयणाई सत्रम्गेण पं०.सेणं एगाए जगईए सबओ समता संपरिक्खिने जम्बुद्दीवजगइप्पमाणा गवक्खकडएचितह चेव पमाणेणंति, तस्स र्ण पउमस्स अयमेयारूवे वण्णावास १००-वडरामया मूला रिट्ठामए कद बलियामए णाल वरूलिआमया बाहिरपत्ता जम्बूणयामया ब्मि मया पोक्खरस्थिभाया कणगामई कण्णिगा अदजोयणं आयामविक्खंभेण कोसं बाहलेणं सबकणगामई अच्छा०, तीसे णं कण्णिआए उप्पि बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंग०, तम्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमझदेसभाए एत्य णं महं एगे भवणे पं० कोसं आयामेणं अदकोसं विक्खंभेणं देखणगं कोसं उदउचत्तेणं अणेगवंभसयसण्णिविढे पासाईए.. तस्स णं भवणस्स तिदिसि नओ दारा पं०, ते णं दारा पश घणुसयाई उदउचत्तेणं अदाइजाई घणुसयाई विक्रमेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेआ वरकणगधूभिआगा जाय वणमालाओ यत्राओ, तस्स णं भवणस्स अंतो बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंग०, तस्स णं बहुमझदेसभाए एत्थ णं महई एगा मणिपेढिआ पं०सा णं मणिपेदिआ पंच धणुसयाई आयामविक्खंभेणं अद्धाइजाई घणुसयाई बाहलेणं सबमणिमई अच्छा०, तीसे णं मणिपेढियाए उपि एस्थ णं महं एगे सयणिजे पं० सय. णिजवण्णओ भाणियो. से णं पउमे अण्णेणं अट्ठसएणं पउमाणं तदङ्घचत्तप्पमाणमित्ताणं सबओ समंता संपरिक्खित्ते, ते णं पउमा अवजोयणं आयामविक्खंभेणं कोसं बाहरेणं दस जोयणाई उमेहेणं कोसं ऊसिया जलंताओ साइरेगाई दस जोयणाई उच्चत्तेणं, तेसिं णं पउमाणं अयमेआरूवे वण्णावासे पं०२०-वइरामया मूला जाव कणगामई कण्णिा , सा ८५९ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः Sain मुनि दीपरत्नसागर Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णं कणिआ कोसं आयामेणं अदकोसं वाहालेणं सबकणगामई अच्छा०, तीसे णं उप्पिं बहुसमरमणिजे जाव मणीहिं उपसोभिए, तस्स णं पउमस्स अवरुत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरस्थिमेणं एत्य णं सिरीए देवीए चउण्हं सामाणिअसाहस्सीणं चत्तारि पउमसाहस्सीओ पं०, तस्स णं फउमस्स पुरस्थिमेणं एत्य णं सिरीए देवीए चउण्डं महत्तरिआणं चत्तारि पउमा पं०, तस्स णं पउमस्स दाहिणपुरस्थिमेणं सिरीए देवीए अभितरियाए परिसाए अट्ठण्हं देवसाहस्सीणं अट्ठ पउमसाहस्सीओ पं०, दाहिणेणं मजिसमपरिसाए दसहं देवसाहम्सीणं इस पउमसाहस्सीओ पं०, दाहिणपञ्चस्थिमेणं बाहिरियाए परिसाए बारसहं देवसाहस्सीणं वास्स पउमसाहस्सीओ पं०, पञ्चत्यिमेणं सत्तण्हं अणियाहिबईणं सत्त पउमा ५०, तस्स णं पउमस्स पउदिसिं सबओ समंता इत्य णं सिरीए देवीए सोलसहं आयरक्खदेवसाहस्सीणं सोलस पउमसाहस्सीओ पं०, से णं तीहिं पउमपरिक्खेवेहिं सबओ समंता संपरिक्खिते तं०-अम्भितरकेणं मजिसमएणं बाहिरएणं, अभितरए पउमपरिक्लेवे बत्तीसं पउमसयसाहस्सीओ पं० मज्झिमए पउमपरिक्खेवे चत्तालीस पउमसयसाहस्सीओ पं० बाहिरए पउ. मपरिक्खेये अडयालीसं पउमसयसाहस्सीओ पं०. एवामेव सपुवावरेणं तीहिं पउमपरिक्खेवेहिं एगा पउमकोडी वीसं च पउमसयसाहस्सीओ भवतीति अक्खायं, से केणद्वेणं मते एवं बुच्चाइ-पउमरहे २१, गो०! पउमहहेर्ण तत्थ २ से २ तहिं२वहवे उप्पलाई जावसयसहस्सपत्ताई पउमहहप्पभाई पउमडवण्णाई पउमदहवण्णाभाई सिरी य इत्य देवी महिदीआ जाव पलिओवमद्विआ परिवसइ, से एएणडेणं जाय अतुत्तरं च णं गो०! पउमदहस्स सासए णामधेजे ५०ण कयाई णासी न०1७४ । तस्स णं पउमदहस्स पुरस्थिमिलेणं तोरणेणं गंगा महाणई पढा समाणा पुरत्याभिमुही पञ्च जोअणसयाई पत्रएणं गंता गंगावत्तणकडे आवत्ता समाणी पञ्च तेवीसे जोअणसए तिण्णि य एगृणवीसइमाए जोअणस्स दाहिणाभिमुही | पचएणं गता मया घडमुहपवत्तएण मुत्तावलिहारसाठएण साइरगजाअणसइएण पवाएण पचडह, गगा महाणइ जा पवडा अजोअणं आयामेणं उसकोसाइं जोजणाई विक्खंभेणं अडकोसं बाहलेणं मगरमुहविउद्दसंठाणसंठिा सबबइरामई अच्छा०, गंगा महाणई जत्थ पवडइ एत्य णं महं एगे गंगप्पबायकुंडे णामं कुंडे पं० सर्व्हि जोअणाई आयामविक्खंभेणं णठअं जोअणसयं किंचिबिसेसाहिलं परिक्खेवेणं दस जोअणाई उबेहेणं अच्छे० स्ययामयकले समतीरे पइरामयपासाणे वहरतले सुषण्णसुम्भस्ययमणिमयवालआए बेसलिअमणिफालिअपडलपबोअडे सुहोआरे सुहोत्तारे णाणामणितित्थमुपदे बट्टे अणुपुवमुजायवप्पगंभीरसीअलजले संछण्णपत्तभिसमु. णाले बहुउप्पलकुमुअणलिणसुभगसोगंधिअपॉडरीअमहापोंडरीअसयपत्तसहस्सपत्तसयसहस्सपत्तपप्फुलकेसरोवचिए छप्पयमहुयरपरिभुजमाणकमले अच्छविमलपत्थसलिले पुण्णे पडिहत्यभमन्तमच्छकच्छमअणेगसउणगणमिहुणपविअरियसदुबइअमहुरसरणाइए पासाईए०, सेणं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य पणसण्डेणं सबओ समंता संपरिक्खित्ते बेइ. आषणसंडगाणं पउमाणं च वणओ भाणियो, तस्स गं गंगप्पवायकुंडस्स तिदिसिं तओ तिसोवाणपडिरूवगा पं० सं०-पुरस्थिमेणं दाहिणेणं पचत्यिमेणं, तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवाणं अयमेयारुवे वण्णावासे पं० सं०-वइरामया णेम्मा रिहामया पइट्ठाणा बेरुलिआमया खंभा सुवण्णरुप्पमया फलया लोहिक्खमईओ सूईओ पदरामया संधी णाणामणिमया आलंबणा आलंबणयाहाओत्ति, तेसिंण तिसोवाणपडिरूषगाणं पुरजओ पत्तेजं२ तोरणा पं०, ते ण तोरणा जाणामणिमया जाणामणिमएसुखंभेमु उपणिविट्ठसनिविट्ठा विविहम(सु) विविहतारारूबोवचिआईहामिजउसहतुरगणरमगरविहगवालगकिष्णरहस्सरमचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्ता खंभुम्गयबरवइस्खेइआपरिगयाभिरामा विजाहरजमलजुअलर्जतजुत्ताविव अविसहस्समालणीआ रूक्गसहस्सकलिमा मिसमाणा मिम्भिसमाणा चक्सुडोअणलेसा सुहफासा सस्सिरीअरुवा घंटावलिचलिअमहुरमणहरसरा पासादीआ०, तेसिं गं तोरणाणं उवरि बहवे अट्ठमंगलगा पं० त०-सोत्थिए सिविच्छे जाव पढिरूबा, तेसिं गं तोरणाणं उवार पहवे किण्हचामराया जाय सुफिउचामरजाया अच्छा सण्हा रुप्पपट्टा वइ. रामयदण्डा जलयामलगंधिया सुरम्मा पासाईया, तेसिं थे तोरणार्ण उप्पिं बहवे उत्ताइच्छत्ता पडागाइपडागा घंटाजुअला चामरजुअला उप्पलहत्थगा पउमहत्थगा जाय सयसहस्सपतहत्यगा सबरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तस्स णं गंगाप्पवायकुंडस्स बहुमज्झदेसमाए एत्य णं महं एगे गंगादीवे णाम दीवे पं० अट्ठ जोअणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाई पणवीस जोअणाई परिक्खेवेणं दो कोसे ऊसिए जलंताओ सञ्चवइरामए अच्छे सण्हे०, से गं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं सबओ समन्ता संपरिक्खित्ते वण्णओ माणि. अयो, गंगादीवस्स णं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, तस्स णं बहुमज्मदेसभाए एत्थ णं महं गंगाए देवीए एगे भवणे पं० कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसूणगं च कोसं उदउच्चत्तेणं अणेगवंभसयसण्णिविढे जाव बहुमज्मदेसभाए मणिपेदियाए सयणिजे, से केणतुणं जाव सासए णामधेजे पं०, तस्स णं गंगप्पवायकुंडस्स दक्खिणिलेणं तोरणेणं गंगा महाणई पढा समाणी उत्तरदभरहवासं एजमाणी २ सत्तहिं सलिलासहस्सेहिं आउरेमाणी२ अहे खण्डप्पयायगुहाए वेजदपवयं डालइत्ता दाहिणभरहवासं एजमाणी२ दाहिणद्ध. भरहवासस्स बहुमजमदेसभागे गंता पुरत्याभिमुही आवत्ता समाणी चोदसहिं सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगई दालइत्ता पुरथिमेणं लवणसमुह समप्पेह, गंगा णं महाणई (२१५) ८६० जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः वा - मुनि दीपरत्नसागर Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पबहे उसकोसाई जोअणाई चिक्संमेणं अबकोसं उबेहेणं तयणतरं च मायाए २ परिवनमाणी २ मुहे वासहि जोअणाई अबजोअणं च विक्खंभेणं सकोसं जोअणं उमेहेणं उभओ पासि दोहिं पउमवरवेइआहिं दोहिं पणसंडेहिं संपरिक्खित्ता वेइभाषणसंडपण्णओ भाणिअश्वो, एवं सिंधूएविणेज जाय तस्स णं पउमरहस्स पचस्थिमिलेणं तोरणेणं सिंधुआवत्तणकुंडे दाहिणाभिमुही सिंधुप्पवायकुंडं सिंधुदीयो अट्ठो सो चेव अहे तिमिसगुहाए वेअदपश्यं दालइत्ता पञ्चस्थिमाभिमुही आवत्ता समाणी चोइससलिला अहे जगई पञ्चस्थिमेणं लवणसमुदं जाव समप्पेड़ सेसं तं चेवनि, तस्स णं पउमदहस्स उत्तरिलेणं तोरणेणं रोहिअंसा महाणई पबूढा समाणी दोणि छावत्तरे जोअणसए छच एगूणवीसइभाए जोअणस्स उत्तराभिमुही पगएणं गंता मया घडमुहपवनिएणं मुन्नावलिहारसंठिएणं साइरेगजोअणसइएणं पवाएणं पवन, रोहिअंसा णामं महाणई जओ पवडइ एत्य णं महं एगा जिभिआ पं०, सा णं जिम्भिआ जोअणं आयामेणं अद्धतेरसजोअणाई विक्खंभेणं कोसं (बाहाले) उबेहेणं मगरमुहविउट्ठसंठाणसंठिा सबवइरामई अच्छा०, रोहिअंसा महाणई जहिं पवडइ एत्य णं महं एगे रोहिअंसापवायकुण्डे णाम कुण्डे पं० सवीसं जोअणसयं आयामविश्वंभेणं तिषिण असीए जोअणसए किंचिविसेसूणे परिक्लेवेणं दसजोअणाई उमेहेणं अच्छे० कुंडवण्णओ जाव तोरणा, नस्स णं रोहिअंसापवायकुंटस्स बहुमजादेसभाए एत्थ णं महं एगे रोहिअंसे णामं दीवे पं० सोलस जोअणाई दो कोसे ऊसिए जलंताओ सबस्यणामए अच्छे सण्हे सेसं तं चैव जाव भवणं अट्ठो य भाणिजो, तस्स णं रोहिअंसप्पवायकुंडस्स उत्तरिलेणं तोरणेणं रोहिअंसा महाणई पढा समाणी हेमवर्य वासं एजमाणी २ पाउदसहिं सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी २ सदावइबट्टवेअढं अद्धजोअणेणं असंपत्ता समाणी पञ्चस्थिमाभिमुही आपत्ता समाणी हेमवयं दुहा विभयमाणी२ अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगई दालइत्ता पचत्यिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ, रोहिअंसा णं पबहे अद्धतेरसजोयणाई विक्खंभेणं कोसं उबेहेणं तयणंतरं च मायाए २ परिवदमाणी २ मुहमूले पणवीसं जोअणसयं विक्खंभेणं अदाइजाई जोयणाई उल्लेहेणं उभओ पासि दोहिं पउमवरवेइआहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खिता । ७५। चुहिमवन्ने णं भन्ते! वासहरपत्रए कइ कूडा पं०१, गो! इकारस कूडा पं० त०-सिद्धायणकूडे चुलहिमवन्त भरह इलादेवी गंगादेवी० सिरि० रोहिअंस. सिन्धु० सुरादेवी० हेमवय वेसमणकूडे, कहिं गं भन्ते ! चुहिमवन्ते वासहरपथए सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पं०?, गो०! पुरच्छिमलवणसमुहस्स पञ्चस्थिमेणं चालहिवन्तकूडस्स पुरथिमेणं एत्थ णं सिदाययणकूडे णामं कूडे पं० पंच जोअणसयाई उदउच्चत्तेणं मूले पंच जोअणसयाई विक्खंभेणं मझे तिषिण य पण्णत्तरे जोअणसए विक्खंभेणं उप्पि अद्धाइजे जोअणसए विक्सं. A भेणं मूले एगं जोअणसहस्सं पंच य एगासीए जोअणसए किंचिबिसेसाहिए परिक्खेवेणं मझे एग जोअणसहस्सं एगं च छलसीअं जोअणसयं किंचिविसेमूणं परिक्खेवणं उप्पि सत्त इकाणउए जोयणसए किंचिबिसेसूणे परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णे मज्झे संखिते उप्पि तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सवरयणामए अच्छे०, से णं एगाए परमवस्वेइयाए एगेण य वणसं टेणं सबओ समंता संपरिक्खिने, सिद्धाययणकूडस्स णं उप्पिं बहुसमरमणिजे भूमिमागे जाव तस्स णं बहुगमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमझदेसभाए एल्थ णं महं एगे सिदाययणे पं० पण्णासं जोयणाई आयामेणं पणवीसं जोयणाई विक्खंभेणं छत्तीसं जोयणाई उदंउच्चत्तेणं जाव जिणपाडेमावण्णओ माणिग्यो, कहिं णं भन्ते ! चुहिमवन्ते वासहरपथए चुहिमवन्तकूडे नामं कूडे पं०?, गो० भरहकूडस्स पुरस्थिमेणं सिद्धाययणकूडस्स पचत्यिमेणं एत्य णं चुडहिमवन्ते वासहरपञ्चए चुडहिमवन्तकूडे णाम कुडे पं०, एवं जो चेव S| सिद्धाययणकूडस्स उचत्तचिक्खंभपरिक्खेयो जाव बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे पासायवडेंसए पं० बासद्धिं जोयणाई अदजोयणं व विक्संभेणं इकतीसं जोयणाई कोसं च उच्चनेणं अब्भुग्गयमसिअपहसिएचिव विविहमणिरयणभत्तिचित्ते वाउडुअविजयवेजयंतीपडागच्छत्ताहच्छत्तकलिए तुंगे गगणतलमभिलंघमाणसिहरे जालं. तररयणपंजरुम्मीलितेत्र मणिरयणथूभिआए विअसिअसयवत्तपुंडरीअतिलयरयणदचंदचित्ते णाणामणिमयदामालंकिए अंतो बहिं च सबहरतवणिजमइन्थ्यालगापन्थडे मुहफासे स. स्सिरीअरुये पासाईए जाव पडिरूवे, तस्स णं पासायब.सगस्स अंतो पहुसमरमणिजे भूमिभागे जाव सीहासणं सपरिवार, से केण?णं भन्ते ! एवं वुबइ-चुत हिमवन्तकूडे २१, गो! तणाम देव महिदाए जाव परिवसा. काह णभन्त:चुद्धाहमवन्त णाम देब महिद्धाए जाव परिवसह, कहिण भन्त:चुहिमवन्तगिरिकुमारस्स देवस्स चुडाहमवन्ता णामं रायहाणी पं०?, गो०! चुहिमवन्तकूडस्स दक्षिणेणं तिरियमसंखेजे दीवस मुद्दे वीइवइत्ता अण्णं जम्बुद्दीव दक्षिणेणं बारस जोयणसहस्साई ओगाहिना इन्थ णं चुहिमयन्तस्स कूडस्स देवस्स चुहिमवन्ता णामं रायहाणी पं० बारस जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं एवं विजयरायहाणी सरिसा भाणियवा, एवं अवसेसाणवि कूडाणं वनवया णेयवा, आयामविक्खंभपरिक्खेवपासायदेवयाओ सीहासणं परिवारो अट्ठो य देवाण य देवीण य रायहाणीओ णेयवाओ, चउसु देवा चुडहिमवन्तभरहहेमवयवेसमणकडेसु सेसेमु देवयाओ, ८६१ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः , - मुनि दीपरनसागर Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ से केणटेणं भन्ते ! एवं बुधइ- चुल्डहिमवन्ते वासहरपथए २१, गो०! महाहिमवन्तवासहरपञ्चयं पणिहाय आयामुचत्तुबेहविक्खंभपरिक्खेवं पञ्च ईसि खुड्डतराए चेव ईसिं हस्सतराए चेव, चुडहिमवन्ते य इत्थ देवे महिदीए जाव पलिओवमट्ठिइए परिवसइ, से एएणतुणं गो०! एवं वुचइ-चुल्लहिमवन्ते वासहरपत्रए २, अदुत्तरं च णं गो! चुलहिमवन्तस्स सासए णाम घेजे पं० ज ण कयाई णासी०1७६। कहिणं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे हेमवए णामं वासे पं०?, गो०! महाहिमवन्तस्सै वासहरपवयस्स दक्खिणेणं चुलहिमवन्तस्स वासहरपत्रयस्स उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुहस्स पञ्चन्थिमेण पञ्चस्थिमलवणसमुदस्स पुरस्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे हेमवए णाम वासे पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिपणे पलिअंकसंठाणसंठिए दुहा लवणसमुदं पुढे पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरस्थिमिळ लवणसमुदं पुढे पञ्चस्थिमिलाए कोडीए पच्छिमिई लवणसमुहं पुढे दोषिण जोअणसहस्साई एगं च पंचुत्तरं जोअणसयं पंच य एगणवीसइभाए जोअणस्स विक्खंभेणं, तस्स बाहा पुरथिमपञ्चस्थिमेणं छज्जोअणसहस्साई सत्त य पणवपणे जोअणसए तिण्णि य एगूणवीसइभाए जोअणस्स आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहओ लवणसमुदं पुट्ठा जाव पुट्ठा सत्ततीसं जोअणसहस्साई छच्च चउवत्तरे लोअणसए सोलस य एगूणवीसइभाए जोअणस्स किंचिविसेसूणे आयामेणं, तस्स घणु दाहिणेणं अद्रुतीसं जोअणसहस्साई सत्त चत्ताले जोअणसए दस य एगणवीसइभाए जोअणस्स परिक्खेवणं, हेमवयस्स णं भन्ते ! वासस्स के. रिसए आयारभावपडोआरे पं०१, गो०! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, एवं तहअसमाणुभावो अयो। ७७ कहिं णं भन्ते! हेमवए वासे सद्दावई णामं पट्टवेअदपथए पं०, गो०! रोहिआए महाणईए पच्छिमेणं रोहिअंसाए महाणईए पुरस्थिमेणं हेमवयवासस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं सदावई णामं बट्टवेअदपव्वए पं० एगं जोअणसहस्सं उद्धउच्चत्तेणं अदाइजाई जोअणसयाई उबेहेणं सवस्थ समे पल्लंगसंठाणसंठिए एगं जोअणसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोअणसहस्साई एगं च वाव? जोयणसयं किंचिबिसेसाहि परिक्खेवणं सवस्यणामए अच्छे०, से णं एगाए पउमवरवेइआएएगेण य वणसंडेणं सवओ समंता संपरिक्खित्ते वेइआवणसंडवण्णओ भाणिअयो, सदावहस्स णं यहवेअदपवयस्स उवरि बहुसमरमणिजे भूमिभागे ५०, तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे पासायवडेंसए पं० बावडिं जोअणाई अदजोयणं च उदंउच्चत्तेणं इकतीसं जोयणाई कोसं च आयामविक्खंभेणं जाव सीहासणं सपरिवारं, से केणगुणं भंते! एवं वुच्चइ-सहावई वट्टवेयद्धपव्यए २१, गो०! सदावइवट्टवेयद्धपव्वए ण सुड्डाखुड्डिआसु वावीसु जाब बिलपंतिआसु बहवे उप्पलाई पउमाई सदावइप्पभाई सद्दावइवण्णाई सहावतिवण्णाभाई सदावई य इत्थ देवे महिदीए जाव महाणुभावे पलिओवमठिइए परिवसइ, से णं तत्थ चउण्हं सामाणिअसाहस्सीणं जाव रायहाणीवि नेयवा मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं अण्णंमि जंबुद्दीचे दीचे । ७८ासे केण?णं भंते! एवं बुच्चइ-हेमवए वासे २१, गो०! चुलहिमवन्तमहाहि. मवन्तेहिं वासहरपत्रएहिं दुहओ समवगूढे णिचं हेमं दलइ णिचं हेमं मुंचति णिचं हेमं पगासह हेमवए य इत्य देवे जाच पलिओवमट्टिइए परिवसइ से तेणतुणं गो ! एवं पुच्चइ हेमबए बासे २१७९। कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे महाहिमवन्ते णामं वासहरपत्रए पं०?, गो० हरिवासस्स दाहिणेणं हेमवयस्स बासस्स उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुहस्स पञ्चस्थिमेणं पञ्च स्थिमलवणसमुहस्स पुरस्थिमेणं एत्थ जंबुद्दीवे महाहिमवते णामं वासहरपवएपं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिपणे पलियंकसंठाणसंठिए दुहा लवणसमुई पुढे पुरस्थिमिडाए 5 कोडीए जाव पुढे पञ्चस्थिमिलाए कोडीए पचस्थिमिाई लवणसमुदं पुढे दो जोअणसयाई उदउच्चत्तेणं पण्णास जोअणाई उन्हेणं चत्तारि जोअणसहस्साई दोषिण य दसुत्तरे जोअण सए दस य एग्णवीसहभाए जोअणस्स विक्रमेणं, तस्स बाहा पुरस्थिमपञ्चस्थिमेणं णव जोअणसहस्साई दोण्णि य छावत्तरे जोअणसए णव य एगूणवीसइभाए जोअणस्स अवभार्ग च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुई पुट्ठा पुरस्थिमिलाए कोडीए पुरस्थिमिडं लवणसमुई पुट्ठा पञ्चस्थिमिालाए जाच पुट्ठा तेवणं जोअणसहस्साई नव य एगतीसे जोअणसए उस एगणवीसइभाए जोअणम्स किंचिविसेसाहिए आयामेणं, तस्स घणु दाहिणेणं सत्तावणं जोअणसहस्साई दोण्णि य नेणउए जोअणसए दस य एगूणवीसइभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, रुअगसंठाणसंठिए सपरयणामए अच्छे उभओ पासिं दोहि पउमवरवेदाहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खत्ते, महाहिमवन्तस्स णं बासहरपवयस्स उप्पि बहुसमरमणिजे भूमिभागे पंजाव णाणाविहपशवण्णेहिं मणीहि य तणेहि य उवसोभिए जाव आसयंति सयंति०।८०। महाहिमवंतस्स णं बहुमज्झदेसभाए एल्थ णं एगे महापउमहहे णामं दहे पं0 दो जोअणसहस्साई आयामेणं एग जोअणसहस्सं विक्खंभेणं दस जोअणाई उबेहेणं अच्छे श्ययामयकले एवं आयामविक्खंभविहणा जा चेव पउम स्स बत्तवया सा चेव णेअत्रा. पउमप्पमाणं दो जोअणाई अट्ठो जाव महापउमहवण्णाभाई हिरी य इत्थ देवी जाव पलिओवमहिइया परिवसइ. से एएणडेणं गो०! एवं बुच्चइ०, अदुतरं च णं गो! महापउमहहम्स सासए णामधिजे पं० जण कयाई णासी०, तस्स णं महापउमदहस्स दक्खिणिलेणं तोरणेणं रोहिआ महाणई पबूढा समाणी सोलस पंचुनरे जोअणसए ८६२ जम्यूद्वीपप्रज्ञप्तिः, धारा-7 मुनि दीपरत्नसागर Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंच य एगूणवीसइभाए जोअणस्स दाहिणाभिमुही पत्रएणं गता महया घडमुहपवित्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगदोजोअणसइएणं पवाएणं पक्डइ, रोहिआ णं महाणई जओ पडद एत्थ णं महं एगा जिभिया पं०, सा णं जिम्भिा जोअणं आयामेणं अबतेरसजोअणाई विक्संभेणं कोस बाहरणं मगरमुहविउद्संठिा समवइरामई अच्छा,रोहिआ णं महाणई जहिं पवडइ एस्थ णे महं एगे रोहिअपवायकुंडे णामं कुंडे पं० सवीस जोअणसय आयामविसंभेणं पंतिपिण असीए जोयणसए किथिविसेसणे परिक्खेवेणं दस जोय. जाई उनेहेणं अच्छे सण्हे सो चेव वण्णओ वइरतले बढे समतीरे जाव तोरणा, नस्स णं रोहिअपवायकुण्डस्स बहुमज्झदेसभाए एस्थ णं महं एगे रोहिअदीवे णाम दीवे पं० सोलस जोयणाई आयामविकसंमेणं साइरेगाई पण्णासं जोयणाई परिक्खेवेणं दो कोसं ऊसिए जलंताओ सधवरामए अच्छे०, से गं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सबओ समंता संपरिक्खिने, रोहिअदीवस्सणं उपि बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं०, तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसमाए एल्थ णं महं एगे भवणे पं०. कोसं आयामेणं सेसं तं चेव, पमाणं च अट्ठोय भाणियो, तस्स णं रोहिअपवायकुण्डस्स दक्खिणिलेणं तोरणेणं रोहिया महाणई पढा समाणी हेमवयं वासं एजेमाणी २ सदावइवट्टवेअदपवयं अदजोयणेणं असंपत्ता पुरत्याभिमुहा आवत्ता समाणी हेमवयं वासं दुहा विभयमाणी २ अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगई दालइत्ता पुरस्थिमेणं लवणसमुई समापेइ. रोहि आ णं जहा रोहिअंसा तहा पचाहे य मुहे य भाणिया जाव संपरिक्खिना, तस्स णं महापउमहहस्स उत्तरिडेणं तोरणेणं हरिकता महाणई पवृदा समाणी सोलस पंचुनरे जोयणसए | पंच य एगूणवीसइभाए जोयणस्स उत्तराभिमुहा पत्रएणं गंता महया घडमुहपवनिएणं मुन्नावलिहारसंठिएणं साइरेगदुजोयणसइएणं पवाएणं पक्डइ. हरिकता महाणई जओ पवटद एत्य णं महं एगा जिभिआ पं0 दो जोयणाई आयामेणं पणवीसं जोयणाई विस्खंभेणं अदं जोयणं चाहतेणं मगरमहविउट्ठसंठाणसं गई जहिं पवडड एत्थ णं महं एगे हरिकंतप्पवायकुंडे णामं कुंडे पं0 दोण्णि य चत्ताले जोयणसए आयामविक्खंभेणं सनअउण8 जोयणसए परिकखेवेणं अच्छे - एवं कुण्डवनवया सबा नेयवा जाव तोरणा, तस्स णं हरिकतप्पवायकुण्डस्स बहुमज्झदेसभाए एत्य णं महं एगे हरिकंतदीचे णाम दीवे पं० बत्तीसं जोयणाई आयामविकसभेणं एगृत्तरं जोयणसर्य परिकलेवेणं दो कोसे ऊसिए जलंताओ सवस्यणामए अच्छे०, से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं जाव संपरिक्खिने वण्णओ भाणियव्यो, पमाणं च सयणिजं च अट्ठो कुण्डस्स उत्तरािहणतारणण जाव पवृढा समाणीहारवस्स वास एजमाणी २विअडाव(वा)इववअजायणण असपत्ता पचात्धमाभिमुहा आवत्ता सेहि समम्गा अहे जगई दालइत्ता पचस्थिमेणं लवणसमई समप्पेड. हरिकता णं महाणई पबहे पणवीसं जोयणाई विकसं. मेणं अदजोयणं उब्बेहेणं तयणतरं च णं मायाए २ परिवदमाणी मुहमूले अदाइजाई जोयणसयाई विक्खम्भेणं पज जोयणाई उबेहेणं उभओ पासि दोहिं पठमवरखेइआहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिकिखत्ता । ८१। महाहिमवंते णं भंते ! वासहरपचए कइ कूडा पं०१, गो! अट्ठ कूडा पं० तं-सिद्धाययणकडे महाहिमवन्त हेमवय रोहिन हिरि हरिकंतर हरिवास वेरुलिन०, एवं चुहिमवंतकूडाणं जा चेव वत्तवया सच्चेव अवा, से केणतुणं भन्ते ! एवं बुच्चइ-महाहिमवते वासहरपव्वए २१, गो०! महाहिमवंते णं वासहरपच्चए चुहिमवंतवासहरपब्वयं पणिहाय आयामुच्चनुव्येहविक्सम्भपरिक्खेवेणं महंततराए चेव दीहतराए थेव, महाहिमवंते अ इत्थ देवे महिदीए जाव पलिओवमट्टिइए परिवसइ । ८२। कहिं णं भन्ते ! जम्बुद्दीचे दीवे हरिवासे णामं वासे पं०?, गो०! णिसहस्स वासहरपव्ययस्स दक्खिणेणं महाहिमवंतवासहरपव्ययस्स उत्तरेण पुरस्थिमलवणसमुदस्स पचस्थिमेणं पचस्थिमलवणसमुहस्स पुरस्थिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीचे हरिवासे णामं वासे पं० एवं जाव पञ्चस्थिमिडाए कोडीए पच्चस्थिमितं लवणसमुदं पुढे अट्ठ जोअणसहस्साई चत्तारि अ एगवीसे जोअणसए एगं च एगूणवीसइभागं जोअणस्स विक्खम्भेणं, तस्स बाहा पुरथिमपञ्चत्थिमेणं तेरस जोअणसहस्साई तिण्णि अ एगसट्टे जोअणसए उच्च एगणवीसइभाए जोअणम्स अदभागं च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा लवणसमुई पुट्ठा पुरत्विमिडाए कोडीए पुरथिमिा जाय लवणसमुदं पुट्ठा तेवन्तरि जोअणसहस्साई णव य एगुत्तरे जोअणसए सत्तरस य एगूणवीसइभाए जोअणस्स अदभार्ग च आयामेणं, तस्स धणु दाहिणेणं चउरासीई जोअणसहस्साई सोलस जोअणाई चनारि एगुणवीसइभाए जोजणम्स परिक्खेवेणं, हरिवासस्स गं भंते ! वासस्स केरिसए आगारभावपडोआरे पं०?, गो! बहुसमरमणिजे भूमिमागे पं० जाव मणीहिं तणेहि य उपसोभिए एवं मणीर्ण तणाण य वष्णो गन्धो फासो सहो भाणियो, हरिवासे णं तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे खुड्डाखुड्डिआओ एवं जो सुसमाए अणुभावो सो चेव अपरिसेसो वनवोनि, कहि णं भन्ते ! हरिवासे बासे विअढावई णामं वहवेअद्धपत्रए पं०?, गो०! हरीए महाणईए पञ्चस्थिमेणं हरिकताए महाणईए पुरथिमेणं हरिवासस्स बासस्स बहुमज्झदेसभाए एस्थ णं विअडावद णाम बट्टवेअद्ध - ८६३ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः वातारा- मुनि दीपरत्नसागर Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचए पं०, एवं जो चेव सद्दावइस्स विक्वंभुनत्तुबेहपरिक्खेवसंठाणवण्णावासो य सो चेव विअडावइस्सवि माणिअबो णवरं अरुणो देवो पउमाइं जाव विअडावइवण्णाभाई० अरुणे य * इत्थ देवे महदिए दाहिणणं रायहाणी अथा, से केणद्वेणं भन्ते! एवं वुचाइ-हरिचासे २१, गो०! हरिखासे णं वासे मणुआ अरुणा अरुणोभासा सेआ संखदलसण्णिकासा हरिवासे य इत्य देवे महिदीए जाव पलिओवमट्टिइए परिवसइ, से तेणडेणं गो०! एवं वुश्चइ०1८३ । कहिं णं भन्ते! जम्बुद्दीचे निसहे णामं वासहरपवए पं.?, गो० ! महाविदेहस्स पासस्स द. मक्खिणेणं हरिवासस्स उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुहस्स पञ्चस्थिमेणं पचस्थिमलवणसमुहस्स पुरच्छिमेणं एत्थ णं जम्बुहीवे दीवे णिसहे णामं वासहरपथए पं० पाईणपडीणायए उदीण. | दाहिणविच्छिण्णे दुहा लवणसमुदं पुढे पुरथिमिल्लाए जाव पुढे पचस्थिमिलाए जाव पुढे चत्तारि जोयणसयाई उद्धंउचत्तेणं चत्तारि गाउअसयाई उबेहेणं सोलस जोअणसहस्साई अट्ट य वायाले जोअणसए दोण्णि य एगूणवीसइभाए जोअणस्स विक्खम्भेणं, तस्स पाहा पुरस्थिमपञ्चत्थिमेणं वीसं जोअणसहस्साई एगं च पण्णहूँ जोअणसयं दुण्णि य एगणवी. सइमाए जोअणस्स अद्धभागं च आयामेणं, तस्स जीवा उत्तरेणं जाव चउणवई जोअणसहस्साइं एगं च छप्पणं जोअणसयं दुषिण य एगूणवीसइभाए जोअणस्स आयामेणं, तस्स धणु दाहिणणं एगं जोअणसयसहस्सं चउवीसं च जोअणसहस्साई तिषिण य छायाले जोअणसए णव य एगूणवीसइभाए जोअणस्स परिक्खेवेणं रुअगसंठाणसंठिए सवतबणिजमए अच्छे०, उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं दोहि य वणसंडेहिं जाय संपरिक्खित्ते, णिसहस्स णं वासहरपञ्चयस्स उप्पिं बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० जाव आसयंति सयंति०, तस्स णं पहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे तिगिछिरहे णामं दहे पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे चत्तारि जोअणसहस्साई आयामेणं दो जोअणसहस्साई विक्खम्भेणं दस जोअणाई उनेहेणं अच्छे सण्हे० स्ययामयकूले, तस्स णं तिगिछिदहस्स चउदिसिं चत्तारि विसोवाणपडिरूवगा पं० एवं जाव आयामविक्खम्भबिहूणा जा चेव महापउमहहस्स बत्तवया सा चेव तिगिरिदहस्सवि वत्तवया, पउमद्दहप्पमाणं अट्ठो जाव तिगिंछिवण्णाई, धिई य इत्थ देवी पलिओवमद्विइआ परिवसइ, से तेणट्रेणं गो०! एवं बचाइ-तिगिछिदहे२।८४ा तस्स र्ण तिगिछिरहस्स दक्खिणिडेणं तोरणेणं हरी महाणई पबूढा समाणी सत्त जोयणसहस्साई चत्तारिय एकवास जायणसए एग दा च एगृणवीसहभाग जायणस्स दाहिणाभिमुहा पवएणं गता मया घडमुहपवित्तिएर्ण जाव साइरेगचउजोअणसइएर्ण पवाएणं पवढह एवं जा चेव हरिकन्ताए पत्ताया सा चेव हरि एविणेअवा, जिभिआए कुंडस्स दीवस्स भवणस्स तं चेव पमाणं, अट्ठोऽवि माणिअबो जाव अहे जगई दालइत्ता छप्पण्णाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरस्थिमं लवणसमुई समप्पेइ तं चेव पबहे य मुहमूले य पमाणं उबेहो य जो हरिकन्ताए जाव वणसंडसंपरिक्खित्ता, तस्स णं तिगिंछिद्दहस्स उत्तरिडेणं तोरणेणं सीओआ महाणई पवूढा समाणी सत्त जोयणसहस्साई चत्तारि य एगवीसे जोयणसए एगं च एगणवीसहभागं जोयणस्स उत्तराभिमुही पब्बएणं गता महया घडमुहपवित्तिएणं जाव साइरेगचउजोअणसइएणं पवाएणं पवडा, सीओआ णं महाणई जओ पवडइ एस्थ णं महं एगा जिभिआ पं० चत्तारि जोयणाई आयामेणं पण्णासं जोअणाई विक्खम्भेणं जोअर्ण बाहलेणं मगरमुहविउट्ठसंठाणसंठिा सव्ववहरामई अच्छा, सीओआ णं महाणई जहिं पपडइ एस्थ णं महं एगे सीओयप्पवायकुण्डे णामं कुण्डे पं० चत्तारि असीए जोयणसए आयामविक्खंभेणं पण्णरसअट्ठारे जोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं अच्छे०, एवं कुंडवत्तव्यया णेअब्बा जाच तोरणा, तस्स णं सीओअप्पवायकुण्डस्स बहुमझदेसभाए एत्य णं महं एगे सीओअदीचे णामं दीवे पं० चउसहि जोयणाई आयामविक्खंभेणं दोण्णि बिउत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं दो कोसे ऊसिए जलंताओ सब्बबइरामए अच्छे सेसं तमेव, बेइयावणसंडभूमिभागभवणसयणिजअट्ठा भाणियव्या, तस्स णं सीओअप्पवायकुण्डस्स उत्तरितणं तोरणेणं सीओआ महाणई पढा समाणी देवकुलं एजेमाणी २ चित्तविचित्तकूडे पव्यए निसढदेवकुरुसूरसुलसविजुप्पभदहे य वुहा विभयमाणी २ चउरासीए सलिलासहस्सेहिं आपुरेमाणी२ भहसालवर्ण एजेमाणी२ मंदरं पव्ययं दोहिं जोयणेहिं असंपत्ता पच्चधिमाभिमुही आवत्ता समाणी अहे विजुप्पमं यक्वारपव्वर्य दारइत्ता मन्दरस्स पब्बयस्स पच्चत्यिमेणं अवरविदेहं वासं दुहा विभयमाणी२एगमेगाओ चक्कवट्टिविजयाओ अट्ठावीसाए २ सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी २ पञ्चहिं सलिलासयसहस्सेहिं दु(अट्ठ प्र०)तीसाए य सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जयंतस्स दारगस्स जगई दालइत्ता पच्चस्थिमेणं लवणसमुहं समप्पेति, सीओआ णं महाणई पवहे पण्णार्स जोय. णाई विक्खम्भेणं जोयणं उबेहेणं, तयाणंतरं च णं मायाए २ परिवदमाणी २ मुहमूले पञ्च जोयणसयाई विकखम्मेणं दस जोयणाई उनेहेणं उभओ पासिं दोहिं पउमक्वेडआहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्रिखत्ता, णिसढे णं भंते ! वासहरपब्बए कति कूडा पं०?, गो. नव कूडा पं० तं०-सिद्धाययणकूडे णिसढ हरिवास पुनविदेह हरि घिई०सीओआ. अवरविदेह रुअगकूडे जो चेव चुडहिमवंतकूडाणं उच्चत्तविक्खंभपरिक्खेवो पुर्व वण्णिओ रायहाणी यसबेव इहपि णेयव्वा, से केणतुणं भंते ! एवं बुच्चइ-णिसहे वासहरपब्वए २१, गो०! णिसहे णं वासहरपव्वए बहवे कृडा णिसहसंठाणसंठिया उसमसंठाणसंठिया, णिसहे य इत्य देवे महिदीए जाव पलिओवमठिइए परिवसइ, से तेणटेणं गो०! एवं (२१६) ८६४ जम्बूद्वीपमज्ञप्तिः, वारा-3 मुनि दीपरत्नसागर Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बुच्चइ-णिसहे वासहरपव्वए २१८५। कहिणं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे णामं वासे पं०१, गो ! भीलवंतस्स वासहरपत्रयस्स दक्खिणेणं णिसहस्स वासहस्पवयस्स उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुहस्स पच्चत्यिमेणं पच्चस्थिमलवणसमुहस्स पुरस्थिमेणं एत्य णं जंबुद्दीवे महाविदेहे णाम वासे पं० पाईणपढीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे पलिअंकसंठाणसंठिए दुहा लवणसमुदं पुढे पुरस्थिमजावपुढे पुरस्थिम जाव पुढे पच्चस्थिमिााए कोडीए पच्चस्थिमिळ जाव पुढे तित्तीसं जोअणसहस्साई उथ चुलसीए जोअणसए चत्तारि य एगूणवीसइभाए जोअणस्स विक्वंभेणं, तस्स बाहा पुरस्थिमपञ्चस्थिमेणं तेत्तीसं जोअणसहस्साई सत्त य सत्तसट्टे जोअणसए सत्त य एगूणवीसहभाए जोअणस्स आयामेणं, तस्स जीवा बहुमहादेसभाए पाइणपडीणायया दुहा लवणसमुदं पुवा पुरस्थिमिालाए कोडीए पुरस्थिमित्रं जाव पुट्ठा एवं पञ्चस्थिमिालाए जाव पुट्ठा एग जोयणसयसहस्सं आयामेणं, तस्स धणं उभओ पासि उत्तरदाहिणेणं एग जोयणसयसहस्स अट्ठावण्णं च जोअणसहस्साई एगं च तेरसुत्तरं जोअणसयं सोलस य एगूणवीसइभागे जोयणस्स किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, महाविदेहे णं वासे चउबिहे चउप्पडोआरे पं० २०. पुषविदेहे अवरचिदेहे देवकुरा उत्तरकुरा, महाविदेहस्स णं वासस्स भंते ! केरिसए आगारभावपडोआरे पं०१, गो! बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० जाव कित्तिमेहि चेव अकित्तिमेहि चेव, महाविदेहे णं भंते ! वासे मणुआणं केरिसए आयारभावपडोआरे पं०?, गो० तेसि णं मणुआणं छविहे संघयणे छबिहे संठाणे | पावणुसयाई उदउच्चत्तेणं जह• अंतोमुहतं० उक्को० पुषकोडीआउअंपालेति त्ता अप्पेगइआ णिस्यगामी जाव अप्पेगइआ सिझंति जाव अंतं करेंति, से केणतुणं भंते ! एवं बुच्चइ. हा महाविदेहे वासे २१, गो! महाविदेहे णं वासे भरहेरखयहेमवयहरण्णवयहरिवासरम्मगवासेहितो आयामविश्वंभसंठाणपरिणाहेणं विच्छिण्णतराए चेव महंततराए चेव सुप्पमाणत राए चेव महाविनेहा य इत्य मणूसा परिवसंति, महाविदेहे य इत्य देवे महिदीए जाच पलिओवमडिइए परिवसह,से तेणट्टेणं गो एवं बाड़-महाविदेहे वासे २. अत्तरं चणं गो! महाविदेहस्स बासस्स सासते णामधेजे पं० जण कयाई णासी०।८६। कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे गन्धमायणे णामं वक्खारपञ्चए पं०?, गो०! णीलवन्तस्स वासहरपव्ययस्स दाहिणेणं मंदरस्स पब्वयस्स उत्तरपञ्चस्थिमेणं गंधिलाबइस्स विजयस्स पुरच्छिमेणं उत्तरकुराए पञ्चस्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे गन्धमायणे णामं वक्खारपब्बए पं० उत्तरदाहि. णायए पाइणपडीणविच्छिपणे तीसं जोयणसहस्साई दुण्णि य णउत्तरे जोयणसए छच्च य एगृणवीसहभाए जोयणस्स आयामेणं णीलवंतवासहरपव्ययंतेणं चत्तारि जोयणसयाई उद्धं । उच्चत्तेणं चत्तारि गाउअसयाई उब्बेहेणं पञ्च जोअणसयाई विक्खम्भेणं तयणतरं च णं मायाए २ उस्सेहुब्बेहपरिवद्रीए परिवद्धमाणे २ विक्रखंभपरिहाणीए परिहायमाणे २ मंदरप. ब्वयंतेणं पा जोयणसयाई उदउच्चत्तेणं पा गाउअसयाई उव्वेहेणं अंगुलस्स असंखिज्जइभागं विक्खंभेणं पं० गयदंतसंठाणसंठिए सब्बरयणामए अच्छे उभओ पासिं दोहि पउ. मवरवेइआहिं दोहि य वणसंडेहिं सब्बओ समंता संपरिक्खित्ते, गंधमायणस्स णं वक्खारपव्ययस्स उप्पिं बहुसमरमणिजे भूमिभागे जाव आसयंति०, गंधमायणे णं वक्रवारपव्वए कति कूडा पं०?, गो! सत्त कूडा पं० २०-सिद्धाययणकूड़े गंधमायण गंधिलावई० उत्तरकुरु० फलिह० लोहियक्व आणंदकुडे, कहिं णं भंते ! गंधमायणे वक्वारपञ्चए सिद्धाय यणकडे णामं कूडे पं०?, गो! मंदरस्स पत्रयस्स उत्तरपञ्चत्यिमेणं गंधमायणकूडस्स दाहिणपुरस्थिमेणं एत्य णं गंधमायणे वक्खारपथए सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पं० जं चेव चुछLal हिमवंते सिद्धाययणकूडस्स पमाणं तं चेव एएसि सवेसि भाणियवं, एवं चेव विदिसाहिं तिषिण कुडा भाणियबा, चउत्थे ततियस्स उत्तरपचत्यिमेणं पञ्चमस्स दाहिणेणं, सेसा उ उत्त रभोगवईओ देवयाओ सेसेसु सरिसणामया देवा, छमुवि पासायवडेंसगा, रायहाणीओ विदिसासु. से केणद्वेणं भंते! एवं बुचइ-गंधमायणे व. क्खारपत्रए २१, गो. गंधमायणस्स वखारपायस्स गंधे से जहाणामए कोट्ठपुडाण वा जाव पीसिजमाणाण वा उकिरिजमाणाण वा जाय ओराला मणुण्णा जाव अभिणिसवंति, भवे एयारूवे , णो इण? समढे, गंधमायणस्स णं इत्तो इद्वतराए व जाच गंधे पं०. से एएणद्वेणं गो एवं बुच्चर-गंधमायणे वक्खारपत्रए २, गंधमायणे य इत्थ देवे महिदीए परिवसह, अदुत्तरं च णं सासए णामधिजे । ८७। कहिं णं भंते! महाविदेहे यासे उत्तरकुरा णामं कुरा पं०. गो० मंदरस्स पव्ययस्स उत्तरेणं णीलवंतस्स बासहरपब्वयस्स दक्षिणेणं गंधमायणम्स वक्खारपब्वयस्स पुरस्थिमेणं मालवंतस्स बक्खारपब्वयस्स पच्चत्यिमेणं एत्य णं उत्तरकुराणामं कुरा पं० पाईणपढीणायया उदीणदाहिणविच्छिण्णा अदचंदसंठाणसं. ठिआ इकारस जोयणसहस्साई अट्ट य चायाले जोयणसए दोषिण य एगूणवीसइभाए जोयणस्स क्विंभेणं, तीसे जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहा वक्खारपब्बयं पुढा. तं०. पुरस्थिमिालाए कोडीए पुरस्थिमित वक्रवारपब्वयं पुट्ठा एवं पच्चस्थिमिलाए जाव पच्चस्थिमिदं वक्वारपव्ययं पुट्ठा, नेवणं जोयणसहस्साई आयामेर्ण, नीसे गं घणु दाहिणेणं सर्द्धि जोयणसहस्साई चत्तारि य अद्वारे जोयणसर बालस य एगणवीसइभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, उत्तरकुराए णं भंते ! कुराए केरिसए आयारभावपडोआरे पं०?, गो० बहसमरम८६५ जम्बूद्वीपमज्ञप्तिः, cont मुनि दीपरत्नसागर Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णिजे भूमिभागे ५०, एवं पुष्ववण्णिआ जच्चेव सुसमसुसमावत्तव्यया सच्चेव णेअब्बा जाव पउमगंधा मिअगंधा अममा सहा तेतली सणिंचारी । ८८ा कहिं णं भंते ! उत्तरकुराए जमगा णाम दुवे पव्वया पं०१, गो०! णीलवंतस्स वासहरपव्ययस्स दक्खिणिलाओ चरिमन्ताओ अट्ठ जोअणसए चोत्तीसे चत्तारिय सत्तभाए जोअणस्स अबाहाए सीआए महाण - ईए उभओ कूले एत्य णं जमगा णाम दुवे पच्चया पं० जोअणसहस्सं उदउच्चत्तेणं अढाइजाई जोअणसयाई उच्वेहेणं मूले एगं जोअणसहस्सं आयामविक्खम्भेणं मज्झे अट्ठमाणि जोअणसयाई आयामविक्खम्भेणं उपरि पंच जोअणसयाई आयामविक्खम्भेणं मूले तिणि जोअणसहस्साई एगं च चावटुं जोअणसयं किंचिविसेसाहिलं परिक्खेवेणं मझे दो जोअणसहस्साई तिणि य बावत्तरे जोअणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं उवरि एगं जोअणसहस्सं पंच य एकासीए जोअणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णा मझे संखित्ता उप्पि तणुआ जमगसंठाणसंठिा सवकणगामया अच्छा सण्हा० पत्तेअं२ पउमवरवेइआपरिक्खित्ता पत्तेअं२ वणसंडपरिक्खित्ता, ताओ णं पउमवरवेइआओ दो गाऊआई उदंउच्चत्तेणं पञ्च घणुसयाई विक्खम्भेणं वेइआवणसण्डवण्णओ भाणियो, तेसिं णं जमगपञ्चयाणं उप्पिं बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० जाव तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमझदेसभाए एल्थ णं दुवे पासायवडेंसगा पं०, ते णं पासायवडेंसगा बावडिं जोअणाई अद्धजोअणं च उबंउचत्तेणं इकतीसं जोअणाई कोसं च आयामविक्खंभेणं पासायवष्णओ भाणियो, सीहासणा सपरिवारा जाव एत्थ णं जमगाणं देवाणं सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीर्ण सोलस भदासणसाहस्सीओ पं०, से केणट्टेणं भंते! एवं बुच्चइ. जमगा पचया २१, गो०! जमगपञ्चएम णं तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे खुड्डाखुड्डियासु वावीसु जाव बिलपंतियासु बहवे उप्पलाइ जाव जमगवण्णाभाई जमगा य इत्य दुवे देवा दीया०, ते णं तत्थ चउण्हं सामाणिअसाहस्सीणं जाव भुजमाणा विहरति, से तेणटेणं गो०! एवं वचह-जमगपत्रया २. अदत्तरं च णं सासए णामधिजे जाव जमगपष्टया २. कहिं णं भंते ! जमगाणं देवाणं जमिगाओ रायहाणीओ पं०?, गो! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पायस्स उत्तरेणं अण्णंमि जंबुद्दीचे वारस जोअणसहस्साई ओगाहित्ता एत्य णं जमगाणं देवाणं जमिगाओ रायहाणीओ पं० पारस जोअणसहस्साई आयामविक्खंभेणं सत्तत्तीसं जोअणसहस्साई णव य अडयाले जोअणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पत्तेयं २ पायापरिक्खित्ता, ते णं पागारा सत्तत्तीसं जोअणाई अद्धजोअर्ण च उदंउच्चत्तेणं मूले अद्धत्तेरस जोअणाई विक्खंभेणं मझे छ सकोसाई जोअणाई विक्खंभेणं उरि तिण्णि सअद्धकोसाई जोअणाई चिक्खंभेणं मूले विच्छिण्णा मझे संखित्ता उप्पि तणुआ बाहिं बड़ा अंतो चउरंसा सवरयणामया अच्छा०, ते णं पागारा णाणामणिपञ्चवण्णेहिं कविसीसएहिं उक्सोहिया, तं०-किण्हेहिं जाव सुकिलेहि, ते णं कविसीसगा अद्धकोसं आयामेणं देसूर्ण अद्धकोसं उदउच्चत्तेणं पा धणुसयाई वाहलेणं सामणिमया अच्छा०,जमिगाणं रायहाणीणं एगमेगाए बाहाए पणवीसं २ दारसयं पं०, ते णं दारा बावढि जोअणाई अद्धजोअणं च उदउच्चत्तेणं इकत्तीसं जोअणाई कोसं च विक्खंभेणं तावइ चेव पवेसेणं सेआ वरकणगथूमिआगा एवं रायप्पेसणइजविमाणवत्तवयाए दारवण्णओ जाव अट्ठमंगलगा, जमियाण रायहाणीणं चउहिसिं पञ्च २ जोयणसए अबाहाए चत्तारि वणसण्डा पं० त० असोगवणे सत्तवण्णः चंपग अवणे, ते णं वणसंडा साइरेगाई वारसजोयणसहस्साई आयामेण पञ्च जोयणसयाई विक्खंभेणं पत्तेयं २ पागारपरिक्खित्ता किण्हा० षणसण्डवण्णओ भूमीओ पासायवडे. | सगा भाणियचा, जमिगाणं रायहाणीणं अंतो बहुसमरमणिजे भूमिभागे वण्णगो, तेसि णं बहुसमरमणिजाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए एत्य णं दुवे उवयारियालयणा पं० बारस जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं तिष्णि जोयणसहस्साई सत्तय पञ्चाणउए जोयणसए परिक्खेवणं अद्धकोसं च बाहल्लेणं सबवणयामया अच्छा० पत्तेयं २ पउमवरखेडयापरिक्खित्ता पत्तेयं २ वणसंडवण्णओ माणियो, विसोवाणपडिरूवगा तोरणा चउहिसिं भूमिभागा य भाणियबा, तस्स णं बहुमझदेसभाए एत्व णं एगे पासायवडेंसए पं० वावहि जोयणाई अजोयणं च उचउच्चत्तेणं इकतीसं च जोयणाई कोसं आयामविक्खंभेणं वण्णओ उल्लोआ भूमिभागा सीहासणा सपरिवारा, एवं पासायपतीओ एकतीसं जोयणाई कोसं च उद्धं - उच्चत्तेणं साइरेगाई अद्धसोलसजोयणाई आयामविक्खंभेणं, बिइअपासायपंती ते णं पासायवडेंसया साइरेगाई अवसोलसजोयणाई उदउचत्तेणं साइरेगाइं अट्ठमाई जोयणाई आयामविक्खंभेणं, तइअपासायपंती ते णं पासायव.सया साइरेगाई अट्ठमाई जोयणाई उदउच्चत्तेणं साइरेगाई अधुट्टजोयणाई आयामविक्खंभेणं, वण्णओ सीहासणा सपरिवारा, तेसि णं मूलपासायवडिंसयाणं उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्य णं जमगाणं देवगाणं सहाओ सुहम्माओ पं० अदतेरस जोयणाई आयामेणं छस्सकोसाई जोयणाई विक्खंभेणं णव जोयणाई उद्धउच्चत्तेणं अणेगखम्भसयसण्णिविट्ठा सभावण्णओ, तासिं णं सभाणं सुहम्माणं तिदिसि तओ दारा पं०, ते णं दारा दो जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं जोयणं विक्संभेणं नावइयं चेव पवे. सेणं, सेआ वण्णओ जाव वणमाला, तेसिंण दाराणं पुरओ पत्तेयं २ तओ मुहमंडवा पं०. ते णं मुहमंडवा अद्धत्तेरसजोअणाई आयामेणं छस्सकोसाई जोअणाई विक्खंभेणं साइरेगाई ८६६ जम्बूद्वीपयज्ञप्तिः, वा मुनि दीपरतसागर Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दो जोअणाई उदंउच्चत्तेणं जाव दारा भूमिभागा य, पेच्छाघरमंडवाणं तं चेव पमाणं भूमिभागो मणिपेदिआओ, ताओ णं मणिपेदिआओ जोअणं आयामविस्खम्भेणं अइजोअणं भवाहालेणं सत्रमणिमइओ सीहासणा माणिजबा, तेसिं णं पेच्छाघरमंडवाणं पुरओ मणिपेडिआओ पं०, ताओ णं मणिपेढिआओ दो जोअणाई आयामविक्खम्भेणं जोअणं चाहतेणं सब . मणिमइओ, तासिं णं उप्पि पत्तेअंतओ थूभा, ते णं थूभा दो जोअणाई उदउच्चत्तेणं दो जोअणाई आयामविक्खम्भेणं सेआ संखतल जाव अझुट्ठमंगलया, तेसिं गं धूभाण चाउदिसि चत्तारि मणिपेढिआओ पं०, ताओ णं मणिपेढिआओ जोयर्ण आयामविक्खंभेणं अदजोयर्ण वाहडेणं, जिणपडिमाओ वत्तवाओ, चेइअक्साणं मणिपेढिाओ दो जोयणाई आयामविक्खम्भेणं जोयणं वाहाडेणं चेइअरुक्खवष्णओ, तेसि णं चेइअरुक्खाणं पुरओ तओ मणिपेढिआओ पं०, ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणं आयामविक्खंभेणं अद्धजोयण बाहालेणं, तासिं णं उप्पिं पत्तेअं महिंदजाया पं०, ते णं अट्ठमाइं जोयणाई उदउच्चत्तेणं अद्धकोसं उबेहेणं अद्धकोसं बाहल्लेणं वइरामय वह पण्णओ वेइआवणसंडतिसोवाणतोरणा य भाणिया, तासि णं सभाणं सुहम्माणं छच मणोगुलिआसाहस्सीओ पं० तं०-पुरस्थिमेणं दो साहस्सीओ पचस्थिमेणं दो साहस्सीओ दक्खिणेणं एगा साहस्सी उत्तरेणं एगा जाव दामा चिटुंति, एवं गोमाणसियाओ, णवरं घूवघडियाओत्ति, तासिं णं सुहम्माणं सभाणं अंतो बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं०, मणिपेदिया दो जोयणाई आयामविक्वंभेणं जोयणं दावाहलेणं, तासिणं मणिपेढियाणं उप्पिं माणवए चेडयखंभे महिंदझयप्पमाणे उवार छकोसे ओगाहित्ता हेवा उकोसे बज्जित्ता जिणसकहा सपरिवारा पञ्चस्थिमेणं सयणिजवण्णओ, सयणिजाणं उत्तरपुरस्थिमे दिसिभाए खुड्ड्गमहिंदज्झया मणिपेढिआविहूणा महिंदज्झयप्पमाणा, तेसि अवरेणं चोष्फाला पहरणकोसा, तत्य णं बहवे फलिहस्यणपामुक्खा जाव चिटुंति, सुहम्माणं उप्पिं अट्ठमंगलगा, तासिं णं उत्तरपुरस्थिमेणं सिदाययणा एस चेव जिणघराणवि गमो, णवरं इमं णाणत-एतेसि णं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ मणिपेढियाओ दो जोयणाई आयामविकखंभेणं जोयणं बाहल्लेणं, तासि उप्पिं पत्तेयं २ देवच्छंदया पं० दो जोयणाई आयामविकखंभेणं साइरेगाई दो जोयणाई उदउच्चत्तेणं सवरयणामया, जिणपडिमा वण्णओ जाव धूवकडुच्छुगा, एवं अवसेसाणवि सभाणं जाव उववायसभाए सणिज (हरओ पा०) अभिसेअसभाए बहु आभिसेके भंडे हरओ य, अलंकारिअसभाए बहु अलंकारिअ चिट्ठाइ, ववसायसमासु पुत्थयरपणा, गंदा पुकूखरिणीओ, बलिपेढा सवरपणामया दो जोयणाई आयामविकखमेणं जोयर्ण बाहारेणं जाव-' उववाओ संकप्पो अभिसेज विहसणा य ववसाओ। अच्चणिअ सुधम्मगमो जहा य परियारणा इदी॥४२॥ जावइयंमि पमाणमि हुँति जमगाओ णीलवंताओ। ताबइअमन्तरं खलु जमगदहाणं दहाणं च ॥४३॥ ८९। कहिणं भन्ते! उत्तरकुराए णीलवन्तदहे णामं दहे पं०?, गो०! जमगाणं दक्खिणिडाओ चरिमन्ताओ अहसए चोत्तीसे चत्तारि असत्तभाए जोअणस्स अबाहाए सीआए महाणईए बहुमजादेसभाए एत्व णं णीलवन्तदहे णामं दहे पं० दाहिणउत्तरायए पाईणपडीणविच्छिपणे जहेर पउमरहे तहेव वणओ णाअव्यो, णा. णत्तं दोहिं पउमवरवेइआहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खित्ते, णीलवन्ते णाम णागकुमारे देवे सेसं तं चेव णेअव्वं, णीलवन्तहहस्स पुव्यावरे पासे दस २ जोषणाई अबाहाए एन्थ णं नवीस कंचणगपण्या पं० एग जोयणसयं उदउच्चत्तेणं मलंमि जोयणसयं पण्णत्तरि जोयणाई मज्झमि। उवरितले कंचणगा पण्णासं जोयणा हुंति॥४४॥ मूलाम तिणि सान सत्तत्तीसाई दुषिण मॉमि। अट्ठावण्णं च सर्व उवरितले परिरओ होई ॥४५॥ पदमित्थ नीलवन्तो वितिओ उत्तरकुरू मुणेअव्वो। चंदरहोत्थ नइओ एरावण मालवन्तो य ॥४६॥ एवं वण्णओ अट्ठो पमाणं पलिओचमद्विइआ देवा ।९०। कहिं णं भन्ते ! उत्तरकुराए कुराए जम्बूपेढे णामं पेढे पं०?, गो० णीलवन्तस्स यासहरपब्वयस्स दक्षिणेणं मन्दरम्स उनरेणं मालवन्तस्स वक्खारपवयस्स पचस्थिमेणं सीआए महाणईए पुरथिमिले कूले एत्थ णं उत्तरकुराए कुराए जम्बूपेढे णामं पेढे पं० पंच जोअणसयाई आयामविकसंमेणं पण्णरस एकासीयाई जोअणसयाई किंचिविसेसाहिआई परिक्खेवेणं बहुमझदेसभाए पारस जोअणाई बाहडेणं तयणंतरं च णं मायाए २ पदेसपरिहाणीए परिहीयमाणे २ सनेसुणं चरिमपेरतेसु दो दो गाऊआई माहालेणं सबजम्बूणयामए अच्छे ०, से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेण सबओ समन्ता संपरिक्खित्ते दुण्हपि वण्णओ. तस्स णं जम्बूपेढम्स चउदिसि चत्तारि तिसोबाणपडिरूवगा पं० वण्णओ जाव तोरणाई, तस्स णं जम्बूपेढस्स बहुमजादेसभाए एत्थ णं मणिपेदिआ पं० अट्ठजोअणाई आयामविक्खमेणं चत्तारि जोअणाई पाहाडेणं, नीसे णं मणिपेदिआए उप्पिं एत्य जम्बू सुदंसणा पं० अट्ठ जोयणाई उदंउच्तेणं अदजोवणं उचेहेणं, तीसेक संघो दो जोयणाई उदउच्चत्तेणं अदजोअणं पाहाडेणं. तीसे णं सान्या छ जोअणाई उदउचत्तेणं बहुमझदेसभाए अट्ट जोअणाई आयामविक्संमेणं साइरेगाई अट्ट जोयणाई सम्बग्गेण, तीसे णं अयमेजारूबे वष्णाबासे पं० बरामया मूला श्ययसुपइविधिडिमा जाव अहिअ(प.हियय)मणणिबुडकरी पासाईआदरिसणिजा०, जंचुए णं सुदंसणाए चउदिसिं चत्तारि साला पंतेसिं गं सालाणं बहुमजदेसभाए एल्थ णं सिदाययणे पं. ८६७ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, -7 मुनि दीपरत्नसागर Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नकोसं आयामेणं अदकोसं विकखम्भेणं देसणगं कोसं उदउच्चत्तेणं अणेगखम्भसयसण्णिविढे जाव दारा पञ्चवणुसयाई उदउच्चत्तेणं जाव वणमालाओ मणिपेदिआ पञ्चवणुसयाई आयामविकखम्भेणं अदाइजाई घणुसयाई बाहतेणं, तीसे णं मणिपेढिआए उप्पि देवच्छन्दए पंचधणुसयाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाई पंचधणुसयाई उद्धंउच्चत्तेणं, जिणपडि. मावण्णओ समोणेअध्यो, तत्थ णं जे से पुरस्थिमिले साले एत्थ णं भवणे पं०, कोसं आयामेणं एवामेव णवरमित्थ सयणिज्ज सेसेसु पासायवडेंसया सीहासणा य सपरिवारा, जम्बू णं चारसहिं पउमवरवेइताहिं सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ता, वेइआण वण्णओ, जम्बू णं अण्णेणं अट्ठसएणं जम्बूणं तदुच्चत्ताणं सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ता, तासि णं वण्णओ, ताओ णं जम्म छहिं पउमवरवेइआहिं संपरिक्खित्ता, जम्यूए णं सुदंसणाए उत्तरपुरस्थिमेणं उत्तरेणं उत्तरपञ्चस्थिमेणं एत्य णं अणाढिअस्स देवस्स चउण्हं सामाणिअसाहस्सीणं चत्तारिज. म्यूसाहस्सीओ पं०, तीसे णं पुरथिमेणं चउण्हं अगमहिसीर्ण चत्तारि जम्बूओ पं०, 'दक्षिणपुरस्थिमे दक्खिणेण तह अवरदक्खिणेणं चा अट्ट दस बारसेव य भवन्ति जम्बूसहस्साई ॥४७॥ अणिआहिवाण पञ्चरिथमेण सत्तेव होंति जम्बूओ। सोलस साहस्सीओ चउदिसिं आयरक्खाणं ॥४८॥ जम्बूर्ण तीहिं सइएहिं वणसंडेहिं सबओ समन्ता संपरिक्खित्ता, जम्यूए णं पुरथिमेणं पण्णासं जोअणाई पढमं वणसंडं ओगाहित्ता एत्य णं भवणे पं० कोसं आयामेणं सो चेच वण्णओ सयणिजं च, एवं सेसामुवि दिसामु भवणा, जम्बूए णं उत्तरपुरस्थिमेणं । जोअणाई ओगाहित्ता एत्थ णं चत्तारि पुक्खरिणीओ पं० २०.पउमा पउमप्पभा कुमदा कमदप्पभा, ताओ णं कोसं आयामेणं अद्धकोसं चिक्खम्भेर्ण पत्र धणसयाई उबेहेणं यण्णओ, तासिंण मज्झे पासायव.सगा कोसं आयामेणं अदकोसं विकखम्भेणं देसूर्ण कोसं उदउच्चत्तेणं वण्णओ, सीहासणा सपरिवारा, एवं सेसासु विदिसास, 'पउर पउमप्पभा चेव, कुमुदा कुमुदप्पहा। उप्पलगुम्मा णलिणा, उप्पला उप्पलुजला ॥४९॥ भिंगा भिंगप्पभा चेव, अंजणा कजलप्पभा। सिरिकता सिरिमहिआ, सिरिचंदा चेव सिरिनि. लया ॥५०॥ जम्बूए णं पुरस्थिमिइस्स भवणस्स उत्तरेणं उत्तरपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स दकिखणेणं एत्थ णं कडे पं० अट्ठ जोयणाई उदंउच्चत्तेणं दो जोयणाई उबेहेणं मूले अट्ठ जोयणाई आयामविकखम्भेणं बहुमज्झदेसभाए छ जोयणाई आयामविकखम्भेणं उवरिं चत्तारि जोयणाई आयामविकूखम्मेणं पणवीसऽद्वारस बारसेव मूले यमज्झि उवरिंच। सविसेसाई परिरओ कूडस्स इमस्स बोडशो ॥५१॥ मूले विच्छिण्णे मज्झे सखित्ते उवरि तणुए सबकणगमए अच्छे० वेइआवणसंढवण्णओ, एवं सेसावि कूडा, जम्बूए णं सुदंसणाए दुवालस णामधेजा पं० तं०- सुदंसणा अमोहा य, सुष्पबुद्धा जसोहरा। विदेहजम्बू सोमणसा, णिइया णिच्चमंडिआ॥५२॥सुभदा य विसाला य, सुजया सुमणाऽवि। सुदसणाए जम्बूए, णामधेजा दुवालस ॥५३॥ जम्बूए णं अवमंगलगा०, सेकेणतुणं भंते ! एवं वुचइ-जम्बू सुदंसणा २१, गो०! जम्बूए णं सुदंसणाए अणाढिए णामं देवे जम्बुद्दीवाहिवई परिवIAN सइ महिद्धीए०, सेणं तत्थ पाउण्हं सामाणिअसाहस्सीणं जाव आयरक्खदेवसाहस्सीणं०, जम्बुडीवस्स णं दीवस्स जम्बूए सुदंसणाए अणादिआए रायहाणीए अण्णेसि च बहूर्ण देवाण काय जाब विहरइ. से तेणद्वेणं गो०! एवं बुचड़, अदुरुत्तरं च णं मो०! जम्बू सुदसणा जाव भुविं च धुवा णिअआ सासया अक्खया जाव अवडिआ, कहिं णं भंते ! अणाढिअस्स देवस्स अणादिआ णामं रायहाणी पं०१. गो जम्बहीवे मन्दरस्स पत्यस्स उत्तरेणं जं चेव पत्रवणि जमिगापमाणं तं चेव A से केण?भंते! एवं वुचइ-उत्तरकुरा कुरा ?, गो०! उत्तरकुराए उत्तरकुरु णाम देवे परिवसइ महिदीए जाय पलिओवमट्ठिइए, से तेणटेणं गो०! एवं बुच्चइ-उत्तरकुरा २, अदुत्तरं च णं जाव सासए०, कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे मालवंते णामं वक्खारपत्रए पं०?, गो०! मंदरस्स पक्ष्यस्स उत्तरपुरस्थिमेणं णी(प० ने)लवंतस्स वासहरपवयस्स दाहिणेणं उत्तरकुराए FIपुरस्थिमेणं वच्छस्स चकवादिविजयस्स पच्चस्थिमेणं एत्य णं महाविदेहे वासे मालवंते णामं वक्खारपबए पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपढीणविच्छिपणे जं व गंधमायणस्स पमाणं विक्वंभो य णवरमिमं णाणतं सबवेरुलिआमए अवसिटुं तं चेव जाव गो० ! नव कूडा पं० त०-सिद्धाययणकूडे० 'सिदे य मालवंते उत्तरकुरु कच्छ सागरे स्यए। सीओय पुण्णभहे हरिस्सहे चेव बोडवे ॥५४॥ कहिं णं भंते ! मालवते बक्सारपचए सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पं०?, गो०! मंदरस्स पञ्चयस्स उत्तरपुरस्थिमेणं मालवंतस्स कूडस्स दाहिणपञ्चस्थिमेणं एस्थ गं सिदाययणकडे णामं कूडे पं० पंच जोयणसवाई उबंउचत्तेणं अवसिद्ध तं चेव जाव रायहाणी, एवं मालवंतस्स कूटस्स उत्तरकुरुकूटस्स कच्छकूटस्स, एए चत्तारि कडा दिसाहिं पमाणेहि ययत्रा, कूडसरिसणामया देवा, कहिणं मंत! मालवते सागरकूटे नाम कूडे पं०?, गो! कच्छकूडस्स उत्तरपुरस्थिमेण श्ययकूडस्स दक्षिणेणं एत्य णं सागरकडे णाम कूटे पं० पंच जोयणसयाई उदउबत्तेणं अवसिढुंत व सुभोगा देवी रायहाणी उत्तरपुरत्यिमेणं रययकूडे भोगमालिणी देवी रायहाणी उत्तरपुरस्थिमेणं, अवसिट्ठा कूडा उत्तरदाहिणेणं यत्रा एकेणं पमाणेणं । ९२। कहिं णं भन्ते ! मालते हरिस्सहकडे णाम कडे पं०१, गो० पुण्णभदस्स उत्तरेणं णी(प्र०ने)लवंतस्स दकिखणेणं एत्य णं हरिस्सहकडे णामं कडे पं० एग जोअणसहस्सं उबंउबत्तेणं जमगपमाणेणं णेया रायहाणी उत्तरेणं असंखेजे दीवे अण्णमि जम्युटीवे दीवे उत्तरेणं पारस जोअणसहस्साई ओगाहिता एत्यण हरिस्सहस्स (२१७) ८६८ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः Son-3 मुनि दीपरत्नसागर Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवस्स हरिस्सहा णामं रायहाणी पं० चउरासीई जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं ये जोयणसयसहस्साई पण्णढिं च सहस्साई छच्च छत्तीसे जोयणसए परिक्खेवेणं सेसं जहा चमरचाए रायहाणीए तहा पमाणं भाणियचं, महिदीए महजुईए०, से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-मालवन्ते वक्खारपत्रए २१, गो०! मालवन्ते णं वक्खारपञ्चए तत्य २ देसे २ तहिं २ बहवे सरिआगुम्मा णोमालिआगुम्मा जाव मगदन्तिागुम्मा ते गं गुम्मा दसदवणं कुसुमं कुसुमेति जे णं तं मालवन्तस्स वक्खारपायस्स बहसमरमणिजं भूमिभागं वायविधजम्गसाला मुकपुष्फपुंजोवयारकलिअं करेन्ति, मालवंते य इत्य देवे महिदीए जाव पलिओवमट्ठिइए परिवसइ, से तेणद्वेणं गो०! एवं वुच्चइ०, अदुत्तरं च णं जाव णिचे।९३। कहिणं भंते! जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे कच्छे णामं विजए पं०?, गो०! सीआए महाणईए उत्तरेणं णीलवंतस्स वासहरपञ्चयस्स दक्खिणेणं चित्तकूडस्स वक्खारपञ्चयस्स पञ्चत्थिमेणं मालवंतस्स वक्खारपायस्स पुरस्थिमेणं एत्य णं जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे कच्छे णाम विजए पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे पलिअंकसंठाणसंठिए गंगासिंधूहिं महाणईहिं वेयद्धण य पत्रएर्ण छम्भागपविभत्ते सोलस जोयणसहस्साई पंच य बाणउए जोयणसए दोण्णि य एगूणवीसइभाए जोयणस्स आयामेणं दो जोयणसहस्साई दोषिण य तेरसुत्तरे जोयणसए किंचिविसेसूणे विक्रखंभेणं, कच्छस्स णं विजयस्स बहुमझदेसभाए एत्थ ण वेअदे णामं पञ्चए पं०, जे णं कच्छ विजयं दुहा विभयमाणे २ चिट्ठइ, त०-दाहिणद्धकच्छ च उत्तर दकच्छं च, कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे दाहिणद्धकच्छे णामं विजए पं०?, गो०! वेयद्धस्स पव्वयस्स दाहिणेणं सीआए महाणईए उत्तरेणं चित्तकूडस्स वक्खारपब्वयस्स | पञ्चत्यिमेणं मालवंतस्स बक्खारपब्वयस्स पुरथिमेणं एत्य णं जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे दाहिणद्धकच्छे णामं विजए 40 उत्तरदाहिणायए पाईणपढीणविच्छिण्णे अट्ठ जोयणसहस्साई दोणि य एगसत्तरे जोयणसए एकं च एगूणवीसइभार्ग जोयणस्स आयामेणं दो जोयणसहस्साई दोषिण य तेस्सुत्तरे जोयणसए किंचिविसेसूणे विकखंभेणं पलिअंकसंठाणसंठिए, दाहिणद्धकच्छस्स णं भंते ! विजयस्स केरिसए आयारभावपडोआरे पं०१, गो०! बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० जाव अकित्तिमेहिं चेव, दाहिणद्धकच्छे णं भंते ! विजए मणुआणं केरिसए आयारभावपडोयारे पं०?, गो० तेसिंणं मणुआणं छविहे संघयणे जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंति, कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे कच्छे विजए वेयद्धे णाम पव्वए पं०?, गो०! दाहिणद्धकच्छविजयस्स उत्तरेणं उत्तरदकच्छस्स दाहिणेणं चित्तकूडस्स पञ्चत्थिमेणं मालवंतस्स बक्खारपवयस्स पुरथिमेणं एत्य णं कच्छे विजए वेअ णामं पत्रए | पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे दुहा वक्खारपश्वयं पुढे-पुरस्थिमिडाए कोडीए जाच दोहिवि पुढे भरहवेअद्धसरिसए णवरं दो वाहाओ जीवा धणुपटुं च ण काय विज. यविक्खंभसरिसे आयामेणं, विक्खंभो उचत्तं उबेहो तहञ्चेव, विजाहरआभिओगसेढीओ तहेव. णवरं पणपण्णे २ विजाहरणगरावासा पं०, आभिओगसेढीए उत्तरिडाओ सेढीओ सी. याए ईसाणस्स सेसाओ सकस्स, कूडा-- सिद्ध कच्छे खंडग माणी वेद पुण्ण तिमिसगुहा। कच्छे वेसमणे वा वेअद्धे होति कूडाई॥५५॥ कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे उत्तरदकच्छे णामं विजए पं०?, गो०! बेयरस्स पञ्चयस्स उत्तरेणं णीलवंतस्स वासहरपवयस्स दाहिणेणं मालवंतस्स वक्वारपञ्चयस्स पुरथिमेणं चित्तकूडस्स वक्खारपत्रयस्स पचत्थिमेणं एत्य णं जंबुद्दीचे जाब सिझंति, नहेब यचं, कहिं णं भंते! जंचुदीवे उत्तरदकच्छे विजए सिंधुकुंडे णामं कुंडे पं०?, गो! मालवंतस्स वक्वारपञ्चयस्स पुरथिमेणं उसभकूड वहीचे उत्तरढकच्छविजए सिंथकंडे जाम कंडे पं० सद्धिं जोयणाणि आयामविक्खंभेणं जाव भवणं अहो रायहाणी य णेयवा, भरहसिंधुकुंडसरिस सयं णेयवं जाव तस्स णं सिंधुकुण्डस्स दाहिणिल्डेणं तोरणेणं सिंधुमहाणई पबूढा समाणी उत्तरदकच्छविजय एजेमाणी २ सत्तहिं सलिला. सहस्सेहिं आपूरेमाणी २ अहे तिमिसगुहाए वेअदपवयं दालयित्ता दाहिणकच्छबिजय एजेमाणी २ चोहसहिं सलिलासहस्सेहिं समग्गा दाहिणे सीयं महाणई समप्पेड़, सिंधुमहाणई पवहे य मूले य भरहसिंधुसरिसा पमाणेणं जाव दोहिं वणसंडेहिं संपरिक्खित्ता, कहिं णं भंते ! उत्तरदकच्छविजए उसभकूडे णामं पथए पं०१, गो०! सिंधुकुंडस्स पुरथिमेणं गंगाकु. ण्डस्स पचत्थिमेणं णीलवंतस्स वासहरपवयस्स दाहिणिले णितंबे एत्य णं उत्तरबकच्छविजए उसहकूडे णामं पथए पं० अट्ट जोयणाई उचउच्चत्तेणं तं चेव पमाणं जाव रायहाणी से णवरं उत्तरेणं भाणियचा, कहिं णं भंते! उत्तरदकच्छे विजए गंगाकुण्डे णामं कुण्डे पं०१, गो०! चित्तकूडस्स पक्खारपत्रयस्स पचस्थिमेणं उसहकूडस्स पब्वयस्स पुरत्यिमेणं णीलवं. तस्स बासहरपब्वयस्स दाहिणिले णितचे एत्थ णं उत्तरदकच्छे गंगाकुण्डे णाम कुण्डे पं० सढि जोयणाई आयामविक्खंभेणं तहेव जहा सिंधू जाव वणसंडेण य संपरिक्सित्ते, से केण. टेणं भंते ! एवं बुचइ-कच्छे विजए २१, गो ! कच्छे विजए वेयद्धस्स पायस्स दाहिणेणं सीयाए महाणईए उत्तरेणं गंगाए महाणईए पचत्यिमेणं सिंधूए महाणईए पुरथिमेणं बाहिणदकच्छविजयस्स बहुमज्मदेसभाए एत्य गं खेमाणामं रायहाणी पं० विणीआरायहाणीसरिसा भाणियबा, तत्वगं खेमाए रायहाणीए कच्छे णार्मराया समुप्पजा,महया८६९ जम्मूढीपषज्ञप्तिः पारी-? मुनि दीपरत्नसागर Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हिमवंत जावस भरहो अवर्ण भाणियां निक्खमणवजं सेसं सवं भाणियां जाव भुंजए माणुस्सए सुहे, कच्छणामधेजे य कच्छे इत्थ देवे महदीए जाव पलिओवमहिइए परिवसई, से एएणणं गो० ! एवं बुम्बइ-कच्छे विजए २, जाव णिचे । ९४ । कहिं णं भन्ते! जम्बुदीवे दीवे महाविदेहे वासे चित्तकूडे णामं वक्खारपव्यए पं० १, गो० सीयाए महाणईए उत्तरेणं नीलवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं कच्छविजयस्स पुरस्थिमेणं सुकच्छविजयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे महाविदेहे वासे चित्तकूडे णामं वक्खारपव्यए पं० उत्तरदा हिणायए पाईणपडीणविच्छिष्णे सोलसजोयणसहस्साई पञ्च य बाणउए जोयणसए दुण्णि य एगूणवीसइभाए जोयणस्स आयामेणं पच जोयणसयाई विक्खम्भेणं नीलवन्तवासहरपव्वयंतेणं चत्तारि जोयणसयाई उदंउचत्तेणं चत्तारि गाऊअसयाई उत्रेहेणं तयणंतरं च णं मायाए २ उस्सेहोनेह परिवृद्धीए परिवद्धमाणे २ सीआमहाणई अंतेणं पञ्च जोअणसयाई उडवलेणं पञ्च गाऊअसयाई उब्बेहेणं अस्सखन्धसंठाणसंठिए सम्वरयणामए अच्छे सहे जाव पडिरूवे उमओ पासिं दोहिं पउमचरवेइआहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खिते, वण्णओ दुहवि, चित्तकूडस्स वक्रवारपव्वयस्स उप्पिं बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० जाव आसयन्ति०, चित्तकूडे णं मन्ते! वक्खारपत्रए कति कूडा पं०१, गो० ! चत्तारि कूडा पं० तं० सिद्धाययणकूडे चित्तकूडे कच्छकूडे सुकच्छकूडे समा उत्तरदाहिणेणं परुप्परं, पढमं सीआए उत्तरेणं चउत्थए नीलवन्तस्स वासहरपश्यस्स दाहिणेणं, अट्ठो चित्तकूडे णामं देवे महिदीए जाव रायहाणी से। ९५। कहिं णं भंते! जम्बुद्दीवे महाविदेहे वासे सुकच्छे णामं विजए पं०१, गो० सीआए महाणईए उत्तरेणं णीलवन्तस्स वासहरपश्यस्स दाहिणेणं गाहावईए महाणईए पचस्थिमेणं चित्तकूडस्स वक्रखारपत्रयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जम्बुदीने महाविदेहे वासे सुकच्छे णामं विजए पं० उत्तरदाहिणायए जहेव कच्छे विजए तहेव सुकच्छे विजए, णवरं खेमपुरा रायहाणी सुकच्छे राया समुप्पज्जइ तहेव सवं, कहिं णं भंते! जंबुद्दीचे महाविदेहे वाले गाहावइकुंडे नामं कुंडे पं० १. गो० ! सुकच्छविजयस्स पुरत्थिमेणं महाकच्छस्स विजयस्स पश्चत्थिमेणं णीलवन्तस्स वासहरपश्यस्स दाहिणिले णितम्बे एत्थ णं जंबुद्दीचे महाविदेहे वासे गाहावइकुंडे णामं कुण्डे पं०, जहेव रोहिअंसाकुण्डे तहेब जाव गाहावइदीवे भवणे, तस्स णं गाहावइस्स कुण्डस्स दाहिणिलेणं तोरणेणं गाहावई महाणई पबूढा समाणी सुकच्छमहाकच्छविजए दुहा विभयमाणी २ अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा दाहिणेणं सीअं महाणई समप्पेइ, गाहावई णं महाणई पवहे य मुहे य सङ्घत्थ समा पणवीसं जोअणसयं विक्खम्भेणं अढाइलाई जोयणाई उद्देहेणं उभओ पासि दोहि य० वणसण्डेहिं जाव दुहवि वण्णओ, कहिं णं भंते! महाकच्छे णामं विजये पं०१, गो०! नीलवंतस्स वासहरपण्ययस्स दाहिणेणं सीआए महाणईए उत्तरेणं पम्हकूडस्स बक्रवारपव्वयस्स पञ्चत्थिमेणं गाहावईए महाणईए पुरत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे महाकच्छे णामं विजए पं०, सेसं जहा कच्छविजयस्स जाव महाकच्छे इत्थ देवे महिदीए०, अट्टो भाणियो कहिं णं भंते! महाविदेहे वासे पम्हकूडे णामं वक्खारपव्वए पं०१, गो० नीलवंतस्स दक्खिणं सीआए महाणईए उत्तरेणं महाकच्छस्स पुरत्थिमेणं कच्छावड़विजयस्स पश्चच्छिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वामे पम्हकूडे णामं वक्खारपव्त्रए पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिष्णे सेसं जहा चित्तकूडस्स जाव आसयन्ति०, पम्हकूडे चत्तारि कुडा पं० नं०. सिद्धाययणकूडे पम्हकूडे महाकच्छकूडे कच्छगावइकूडे एवं जाव अट्ठो, पम्हकूडे इत्थ देवे महदिए पलिओक्मठिइए परिवसइ से तेणद्वेणं गो० ! एवं वुञ्चइ०, कहिं णं भंते! महाविदेहे वासे कच्छावती णामं विजए पं०१, गो० नीलवन्तस्स दाहिणेणं सीआए महाणईए उत्तरेणं दहावतीए महाणईए पञ्चत्थिमेणं पम्हकूडस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे क गावती णामं विजए पंः उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिष्णे सेसं जहा कच्छस्स विजयस्स जाव कच्छगावई य इत्थ देवे०, कहिं णं भंते! महाविदेहे वासे दहावई कुण्डे णामं कुण्डे पं०१, गो०! आवत्तस्स विजयस्स पञ्चत्थिमेणं कच्छगावईए विजयस्स पुरत्थिमेणं नीलवन्तस्स दाहिणिले णितंबे एत्थ णं महाविदेहे वासे दहावईकुण्डे णामं कुण्डे पं० सेसं जहा गाहावईकुण्डस्स जाव अट्टो, तस्स णं दहावईकुण्डस्स दाहिणेणं तोरणेणं दहावई महाणई पवूढा समाणी कच्छावइआवते विजए दुहा विभयमाणी २ दाहिणेणं सीअं महाणई सम प्पे से जहा गाहावईए, कहिं णं भंते! महाविदेहे वासे आवत्ते णामं विजए पं० १. गो० ! णीलवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं सीआए महाणईए उत्तरेणं णलिणकूडस्स वक्खापव्वयस्स पञ्चत्थिमेणं दहावतीए महाणईए पुरत्थिमेणं एत्य णं महाविदेहे वासे आवत्ते णामं विजए पं०, सेसं जहा कच्छविजयस्स, कहिं णं भंते! महाविदेहे वासे णलिणकूडे णामं वक्खारपत्र पं० १. गो० णीलवन्तस्स दाहिणेणं सीआए उत्तरेणं मंगलावइस्स विजयस्स पञ्चत्थिमेणं आवत्तविजयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे णलिणकूडे णामं वक्खारपत्र पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिष्णे सेसं जहा चित्तकूडस्स जाव आसयंति०, णलिणकूडे णं भंते! कति कूड़ा पं० १, गो० चत्तारि कूडा पं० तं सिद्धाययणकूडे लिण० आवृत्त० मंगलावतिकूडे एए कूडा पञ्चसइआ रायहाणीओ उत्तरेणं, कहिं णं भंते! महाविदेहे वासे मंगलावती (ते) णामं विजए पं० १, गो० णीलवन्तस्स दक्खिणेणं सीआए ८७० जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वयस्वारो-४ मुनि दीपरत्नसागर Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व उत्तरेणं गलिणकूडस्स पुरस्थिमेणं पंकाचईए पञ्चत्विमेणं एस्थ ण मंगलावइ(म० ते) णामं विजए पं० जहा कच्छविजए तहा एसो भाणियत्रो जाय मंगलावई (प० ते) य इत्थ देवे घपरिवसह, से एएणद्वेण०, कहिण भंते ! महाविदेहे पासे पंकाचई कुंडे णामं कुंडे पं०१, गो०! मंगलावास्स विजयस्स परस्थिमेणं पुक्खलापतिविजयस्स पच्चस्थिमेणं णीलवन्तस्स दाहिणे णितंबे एत्य णं पंकावई तब गाहावाकण्डमाण जाव मंगलावइपुक्खलाबत्तविजये दहा विभयमाणी २ अबसेस त ब ज व गाहावईए, कहिणं भंते ! महाविदेहे वासे पुक्खले णामं विजए पं०?, गो०! णीलवन्तस्स दाहिणेणं सीआए उत्तरेणं पंकावईए पुरस्थिमेणं एकसेलस्स वक्खारपण्यस्स पञ्चस्थिमेणं एत्य ण पुक्सले णामं विजए पं० जहा कच्छ. विजए तहा भाणि जाय पुक्खले य इत्य देवे महिडिदए पलिओक्मद्विइए परिवसइ, से एएणद्वेणं०, कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे एगसेले णामं वक्रवारपञ्चए पं०१, गो० पुक्ख. लचकवहिविजयस्स पुरत्विमेणं पोक्सावाचावहिविजयस्स पचत्यिमेणणीलवन्तस्स दक्विणेणं सीआए उत्तरेणं एत्व एगसेले गामं वक्रवारपत्रएपं.चित्तकडगमेणं अत्रो जाव देवा आसयन्ति०, चत्तारि कुडा, तं०-सिदाययणकडे एगसेलकूडे पुक्खलकडे पुक्खलाबईकूडे, कूडाणं तं चेव पञ्जसइ परिमाणं जाव एगसेले य देवे महिदीए०, कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे पुक्खलावई णामं चंकहिविजए पं०?, गो०! णीलवन्तस्स दक्खिणेणं सीआए उत्तरेणं उत्तरिखस्स सीयमुहवणस्स पञ्चत्यिमेणं एगसेलस्स बक्सारपश्यस्स पुरथिमेणं एत्य णं.महाविदेहे वासे पुक्खलापई णाम विजए पं० उत्तरदाहिणायए एवं जहा कच्छविजयस्स जाव पुक्खलावई य इत्य देवे परिवसह, एएणतुणं०, कहिं णं भंते ! महाविदेहे वासे सीआए महाणईए उत्तरि सीआमुहवणे णामं वणे पं०?, गो० णीलवन्तस्स दक्खिणेणं सीआए उत्तरेणं पुरस्थिमलवणसमुदस्स पचस्थिमेणं पुक्खलावदचकवहिविजयस्स पुरस्थिमेणं एत्य णं सीआमुहवणे णाम वणे पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे सोलसजोअणसहस्साई पन य वाणउए जोअणसए दोण्णि य एगूणवीसइभाए जोअणस्स आयामेणं सीआमहाणईतेण दो जोअणसहस्साई नव य बाबीसे जोअणसए विक्खम्भेणं तयणंतरं च णं मायाए २ परिहायमाणे २ णीलवन्तवासहरपश्यंतेणं एग एगृणवीसइभागं जोअणस्स PA विक्खंभेणं, से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसण्डेणं संपरिक्खिते वण्णओ सीआमुहवणस्स जाब देवा आसयन्ति०, एवं उत्तरिलं पासं समनं, विजया भणिआ, रायहाणीओ द इमाओ खेमा खेमपुरा चेव, रिहा रिहपुरा तहा। खग्गी मंजूसा अविअ, ओसही पुंडरीगिणी ॥५६॥ सोलस विजाहरसेढीओ तावइआओ अभिओगसेढीओ, सबाओ इमाओ ईसाण स्स, सक्वेसु विजएसु कच्छवत्तवया जाव अट्ठो रायाणो सरिसणामगा विजएम सोलसण्हं वक्खारपचयाणं चित्तकूडवत्तत्रया जाव कूडा चत्तारि २ बारसण्हं गईणं गाहावइवत्ताया जाव उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं वणसण्डेहि य० वण्णओ।९६। कहिं णं भंते ! जंबुदीवे महाविदेहे वासे सीआए महाणईए दाहिणिले सीयामुहवणे णामं वणे पं०?, एवं जह चेव उत्तरिडं सीआमुहवणं तह चेव दाहिणिपि भाणिअणवरं णिसहस्स वासहरपञ्चयस्स उत्तरेणं सीआए महाणईए दाहिणेणं पुरत्थिमलवणसमुहस्स पञ्चत्थिमेणं यच्छस्स विजयस्स पुरस्थिमेणं एत्य णं जंबुदीवे महाविदेहे वासे सीआए महाणईए दाहिणिड्डे सीआमुहवणे णाम वणे पं० उत्तरदाहिणायए तहेव सर्व णवरं णिसहवासहरपञ्चयंतेणं एगमेगूणवीसहभाग किण्होभासे जाव महया गन्धद्धा(घ)णि मुअंत जाच आसयन्ति० उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइआहिं० वणओ, कहिणं भंते! जंबुदीचे महाविदहे वासे वच्छे णाम विजए पं०?, गो०! णिसहस्स वासहरपवयस्स उत्तरेणं सीयाए महाणईए दाहिणेणं दाहिणिलस्स सीयामुहवणस्स पच्चत्थिमेणं तिउडस्स पक्खारपवयस्स पुरस्थिमेणं एत्य णं जंबुहीवे महाविदेहे वासे वच्छे णामं विजए पं० तं चेव पमाणं सुसीमा रायहाणी तिउडे वक्खारपपए, सुवच्छे विजए कुण्डला रायहाणी तत्तजला णई, महावच्छे विजए अपराजिया रायहाणी वेसमणकडे वक्लारपत्रए, बच्छावई विजए पभंकरा रायहाणी मत्तजल्ला णई, रम्मे विजए अंकाचई रायहाणी अंजणे चक्रवारपव्यए, रम्मगे विजए पम्हावई रायहाणी उम्मत्तजला महाणई, रमणिजे विजए मुभा रायहाणी मायंजणे वक्खारपब्वए, मंगलावई विजए स्यणसंचया रायहाणीति, एवं जह चेव सीयाए महाणईए उत्तरं पास तह चेव दक्खिणिलं भाणियव्वं दाहिणिलसीआमुहवणाइ, इमे वक्खारकूडा तं-तिउडे वेसमणकूडे अंजणे मातंजणे, विजया 'वच्छे सुवच्छे महावच्छे चउत्थे वच्छगाबई । रम्मे य रम्मए चेव. रमणिजे मंगलाबई ॥५७॥ रायहाणीओ-सुसीमा कुण्डला चेव, अवराइय पहंकरा। अंकावई पम्हावई, सुभा रयणसंचया ॥५८॥ वच्छस्स विजयस्स णिसहे दाहिणेणं सीया उत्तरेणं दाहिणिउसीदामुहवणे पुरस्थिमेणं तिउडे पच्चस्थिमेणं सुसीमारायहाणी पमाणं तं चेव, वच्छाणंतरं तिउडे तओ सुवच्छे विजए एएणं कमेणं नत्नजला मई महावच्छे विजए बेसमणकडे वखारपब्वए बच्छावई विजए मत्तजला णई रम्मे विजए अंजणे वक्रवारपब्वए रम्मए विजए उम्मत्तजला गई रमणिजे विजए मायंजणे वक्रवारपव्वए मंगलावई विजए।९७। कहिणं भंते ! जंबुद्दीचे महाविदेहे वासे सोमणसे णामं वक्खारपत्रए पं०?, गो०! णिसहस्स वासहरपवयस्स उत्तरेणं मंदरस्स पायस्स दाहिणपुरस्थिमेणं मंगलावईवि८७१ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः,Toein-१ मुनि दीपरनसागर Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जयस्स पच्चत्थिमेणं देवकुराए पुरत्यिमेणं एत्य णं जंबुरीचे महाविदेहे वासे सोमणसे णामं वक्वारपव्वए पं० उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिष्णे जहा मालवंते वक्खारपण्याए नहा णवरं सब्वरययामए अच्छे जाव पडिरूवे जिसहवासहरपव्ययंतेणं चत्तारि जोयणसहस्साइं उउच्चत्तेणं चत्तारि गाऊयसयाई उच्द्देहेणं सेसं तहेव सव्यं णवरं अट्ठो से, गो०! सोमणसे णं वक्रवारपण्यए महवे देवा य देवीओ य सोमा सुमणा सुमणसिया, सोमणसे य इत्थ देवे महिदीए जान परिवस, से एएणद्वेणं गो०! जाव णिच्चे, सोमणसे पक्खारपण्यए कह कूडा पं०१, गो० सत्त कूडा पं० [सं० सिद्धे सोमणसेऽवित्र बोद्धव्ये मंगलावईकूडे देवकुरु विमल कंचण वसिहकूडे य बोद्धव्वे ॥ ५९ ॥ एवं सव्वे पञ्चसइआ कूडा, एएसिं पुच्छाए दिसिविदिसाए भाणियस्वं जहा गंधमायणस्स, विमलकशणकूडेसु णवरं देवयाओ सुवच्छा वच्छमित्ता य अवसिद्धेषु कूडेसु सरिसणामया देवा, रायहाणीओ दक्खिणेणं, कहिं णं भंते! महाविदेहे वासे देवकुराणाभं कुरा पं०१, गो० ! मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं णिसहस्स उत्तरेणं विज्जुप्पहस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं सोमणसवक्वारपव्ययस्स पश्चत्थिमेणं एत्य णं महाविदेहे वासे देवकुराणामं कुरा पं० पाईणपडीणायया उदीणदाहिणविच्छिण्णा इकारस जोयणसहस्साई अट्ठ य बायाले जोयणसए दुष्णि य एगूणबीसहभाए जोयणस्स विक्संभेणं जहा उत्तरकुराए बत्तब्वया जान अणुसजमाणा मियगंधा पम्हगंधा अममा सहा तेतली सर्णिचारी । ९८। कहिं णं भंते! देवकुराए चित्तविश्वित्तकूडा णामं दुवे पब्वया पं० १. गो० णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरिहाओ चरिमंताओ अट्ठचोत्तीसे जोयणसए चत्तारि य सत्तभाए जोयणस्स अवाहाए सीओआए महाणईए पुरस्थिमपचत्थिमेणं उभ ओकूले एत्थ णं चित्तविचित्तकूडा णामं दुबे पश्या पं० एवं जचैव जमगपश्याणं सचेव, एएसिं रायहाणीओ दक्खिणं । ९९। कहिं णं भंते! देवकुराए णिसढरहे णामं दहे पं० १, गो० ! तेसिं चित्तविचित्तकूडाणं पञ्चयार्ण उत्तरिहाओ चरिमंताओ अट्टचीतीसे जोयणसए चत्तारि य सत्तभाए जोयणस्स अबाहाए सीओआए महाणईए बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं सिहद्द णामं दहे पं०, एवं जच्चैव नीलवंतउत्तरकुरुचन्देरावयमालवंताणं वत्तवया सच्चेव णिसहदेवकुरुसूरसुलसविजुष्पभाणं णेअशा, रायहाणीओ दक्खिणेणं । १०० । कहिं णं भंते! देवकुराए २ कूडसामलिपेढे णामं पेढे पं० १. गो०! मन्दरस्स पव्वयस्स दाहिणपचत्थिमेणं णिसहस्स वासहपव्वयस्स उत्तरेणं विज्जुप्पभस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं सीओआए महाणईए पथस्थिमेणं देवकुरुपञ्च्चत्थिमदस्स बहुमज्झदेसभाए एत्य णं देवकुराए कूडसामली पेढे णामं पेढे पं० एवं जचैव जंबूए सुदंसणाए बत्तव्वया सच्चैव सामलीएवि भाणि - अव्वा णामविणा गरुलवेणुदेवे रायहाणी दक्खिणेणं अवसिद्धं तं चैव जाव देवकुरु य इत्थ देवे पलिओवमडिइए परिवसइ, से तेणद्वेणं गो० एवं बुबइ देवकुरा २. अदुत्तरं चणं देवकुराए० । १०१ । कहिं णं भंते! जंबुद्दीचे महाविदेहे वासे विज्जुप्पमे णामं वक्खारपण्यए पं०१, गो० ! णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं मन्दरस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं देवकुराए पत्रत्थिमेणं पम्हस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे विज्जुप्पभे वक्खारपव्यए पं० उत्तरदाहिणायए एवं जहा मालवन्ते णवरि सव्वतवणिजमए अच्छे जाव देवा आ सयन्ति०, विज्जुप्पमे णं भंते! वक्खारपब्चए कइ कूडा पं०१, गो० नव कूडा पं० [सं० सिद्धाययणकूडे विज्जुप्पम० देवकुरुः पम्ह० कणग० सोवस्थिअ० सीओओ० सयञ्जल० हरिकूडे, 'सिद्धे य बिज्जुणामे देवकुरू पम्ह कणग सोवत्थी सीओओ य सयञ्जल हरिकूडे चैव बोद्धवे ॥ ६० ॥ एए हरिकूडवजा पंचसइआ णेअड्डा, एएसि कूडाणं पुच्छाए दिसिविदिसाओ जाओ, जहा मालवन्तस्स हरिस्सहकूडे तह चैव हरिकूडे, रायहाणी जह चैव दाहिणेणं चमरचंचा रायहाणी तह णेअवा, कणगसोवत्थि अकूडेसु वारिणबलाहयाओ दो देवयाओ अवसिद्वेस कूडेसु कूडसरिसणामया देवा, रायहाणीओ दाहिणेणं, से केणद्वेणं भंते! एवं बुचइ-विज्जुप्पमे वक्खारपए २१, गो० ! विज्जुप्पमे णं वक्खारपव्वए विज्जुमिव सच्चओ समन्ता ओभासेह उज्जोवेइ पभासद विज्जुप्पभे य इत्थ देवे पलिओ मडिइए जाब परिवसइ से एएणद्वेणं गो० ! एवं बुम्बइ-विज्जुप्पभे २, अदुत्तरं च णं जाव णिचे । १०२ । एवं हे विज अस्सपुरा रायहाणी अंकावई वक्खारपत्राए, सुपम्हे बिजए सीहपुरा रायहाणी खीरोदा महाणई, महापम्हे विजए महापुरा रायहाणी पम्हावई वखारपष्डए, पम्हगावई विजए विजयपुरा रायहाणी सीअसोज महाणई, संखे बिजए अवराइआ रायहाणी आसीविसे वक्खारपइए, कुमुदे विजए अरजा रायहाणी अंतोवाहिणी महाणई, णलिणे बिजए असोगा रायहाणी सुहावए वक्खारपत्रए, णलिणावई बिजए बीयसोगा रायहाणी दाहिणिले सीओओमुहवणसंडे, उत्तरिलेवि एमेव भाणिअत्रे जहा सीआए, वप्पे बिजए विजया रायहाणी चन्दे वक्खारपत्र, सुवप्पे विजए जयन्ती रायहाणी उम्मिमालिणी जई, महावप्पे विजए जयन्ती रायहाणी सूरे वक्खारपशए, बप्पावई विजए अपराइआ रायहाणी फेणमालिनी ई, वम्मू विजए चकपुरा रायहाणी णागे वक्खारपनए, सुवम्मू विजए खम्मपुरा रायहाणी गंभीरमालिणी अंतरणई, गंधिले विजए अवज्झा रायहाणी देवे वक्खारपव्वए, गंधिलावई विजए अओझा रायहाणी, एवं मन्दरस्स पश्चयस्स पचत्थिमिद्धं पासं भाणिअयं तत्थ ताव सीओआए महाणईए दक्खिणिले कूले इमे विजया, तं० पम्हे सुपम्हे महापम्हे, चउत्थे पम्हगावई । संखे कुमुए णलिणे, अट्ठमे णलिणावई ॥ ६१ ॥ इमाओ रायहाणीओ, तं० आसपुरा सीहपुरा महापुरा चेव हवइ विजयपुरा। अवराइज य अवरा असोय तह (२१८) ८७२ जम्बूदीपप्रज्ञप्तिः वक्वारी ४ मुनि दीपरत्नसागर Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीअसोगा य ॥६२॥ इमे वक्तारा, तं० अंके पम्हे आसीविसे सुहावहे. एवं इत्य परिवाडीए दो दो विजया कुटसरिसणामया भाणियबा दिसा विदिसाओ य भाणियबाओ सीओया हाणिया, सीओयाए दाहिणिलं उत्तरितच, सीओयाए उत्तरित पासे इमे विजया, तं०-वप्पे सवये महारप्ये. कउत्थे वप्पयाचई। वा यसवय य.गंधिले चिलाई। ॥६३॥ रायहाणीओ इमाओ तं०-'विजया वेजयंती य, जयंती अपराजिया। चक्कपुरा खग्णपुरा हवइ अवज्झा अउज्झा य ॥६४॥ इमे वक्खारा तं०. चंद० सूर० नाग देवपचए, इमाओ गईओ सीओयाए महाणईए दाहिणिते कूले-खीरोया सीहसोया अंतरवाहिणीओणईओ, उम्मिमालिणी फेणमालिणी गंभीरमालिणी उत्तरितविजयाणंतराउत्ति, इत्य परिवाडीए दो दो कूडा विजयसरिसणामया माणिवा, इमे दो दो कूडा अवडिआ तं०-सिदाययणकडे पञ्चयसरिसणामकूडे । १०३। कहिं णं भंते ! जंचुरीचे महाविदेहे वासे मंदरे णाम पत्रए पं० १, गो० ! उत्तरकुराए दक्खिणेणं देवकुराए उत्तरेण पुष्वविदेहस्स पञ्चस्थिमेणं अवरविदेहस्स वासस्स पुरस्थिमेणं जंबुद्दीवस्स बहुमादेसभाए एत्य णं जंचुडीवे मंदरे णाम पवए पं० गवणउतिजोअणसहस्साई उबंउच्चत्तेणं एग जोअणसहस्सं उन्हेणं मूले दसजोयणसहस्साई गवई च जोयणाई दस य एगारसभाए जोयणस्स विक्खंभेणं धरणियले दस जोयणसहस्साई विश्वम्भेणं तयणंतरं च णं मायाए २ परिहायमाणे २ उवरितले एगं जोयणसहस्सं विक्खम्भेणं मूले एकत्तीस जोयणसहस्साई णव य दसुत्तरे जोयणसए तिष्णि य एगारसभाए जायणस्स परिक्खवणं घरणियले एकत्तीस जोयणसहस्साई उच तेवीसं जोयणसए परिक्खेवणं उपरितले तिष्णि जोयणसहस्साई एगच बारई जोयणसय किचिपि 10 सेसाहियं परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णे मजो सखित्ते उवरिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सवरयणामए अच्छे सण्हे०, से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सबओ समंता संपरिक्खिते वण्णओ, मंदरे णं भंते ! पच्चए कावणा पं०१, गो ! चत्तारि वणा पं० त०-भहसाल. गंदण० सोमणस पंडगवणे, कहिणं भंते ! मंदरे पब्बए भरसालवणे णामं वणे पं०१, गो०! धरणियले एत्य णं मंदरे पब्बए भरसालवणे णाम वणे पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिष्णे सोमणसविजुष्पहगंधमायणमालवंतेहि वक्खारपब्वएहिं सीआसी. ओयाहि य महाणईहिं अगुभागपविभत्ते मंदरस्स पुरस्थिमपचत्यिमेणं वावीस जोयणसहस्साई आयामेणं उत्तरेणं दाहिणेणं च अदाइजाई जोअणसयाई विक्सम्मेणं, सेणं एगाए पउ. मवरवेश्याए एगेण य वणसंडेणं साओ समन्ता संपरिक्खित्ते दुण्हवि वण्णओ भाणिअवो किण्हे किण्होभासे जाव देवा आसयन्ति०, मन्दरस्स णं पश्यस्स पुरस्थिमेणं भहसालवर्ण पण्णासं जोअणाई ओगाहित्ता एत्य मह एगे सिद्धाययणे पं० पण्णासं जोयणाई आयामेणं पणवीसं जोअणाई विक्खम्भेणं उत्तीर्स जोअणाई उउथत्तेणं अणेगखम्भसयसण्णिविट्टे वण्णओ, तस्स णं सिद्धाययणस्स तिदिसि तओ दारा पं०, ते णं दारा अट्ट जोयणाइं उबंउच्चत्तेणं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं तावाश्य व पवेसेणं सेा वरकणगथूभिआगा जाव वणमालाओ भूमिभागो य भाणियचा, तस्स णं बहुमजादेसभाए एत्थ णं महं एगा मणिपेढिया पं० अट्ठजोयणाई आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई वाहतेणं सव्वरयणामई अच्छा०, तीसे णं मणिपेदिआए उपरि देवच्छन्दए अट्ठजोयणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाई अट्ठजोयणाई उबंउच्चत्तेणं जाव जिणपडिमा वणो देवच्छन्दगस्स जाव धूवकडुच्छ्र. आणं, मंदरस्स णं पव्वयस्स दाहिणणं भहसालवणं पण्णास एवं चठदिसिपि मंदरस्स भहसालवणे चत्तारि सिद्धाययणा भाणियथा, मंदरस्स णं पव्ययस्स उत्तरपुरस्थिमेणं भहसालवणं पण्णासं जोयणाई ओगाहित्ता एत्य णं चत्तारि गंदापुक्खरिणीओ पं० त०-पउमा पउमप्पभा चेव, कुमुद्दा कुमुदप्पभा, ताओ णं पुक्खरिणीओ पण्णास जोयणाई आयामेणं पणवी. संजोयणाई विक्सम्मेणं दसजोषणाई उमेहेणं वण्णओ वेइआवणसंडाणं माणिअञ्चो, चउद्दिसिं तोरणा जाब तासिं गं पुक्खरिणीणं बहुमजादेसभाए एत्य णं महं एगे ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो पासायचडिंसएपं० पशजोयणसयाई उबंउचत्तेणं अदाइजाई जोअणसयाई आयामविक्खम्भेणं अब्भुग्गयमूसिय एवं सपरिवारो पासायवडिंसओ भाणियब्बो, मंदरस्स दाहि-5 णपुरस्थिमेणं पुक्खरिणीओ उप्पलगुम्मा णलिणा उप्पला उप्पलुजला तं चेव पमाणं मझे पासायवडिंसओ सकस्स सपरिवारो तेणं व पमाणेणं, दाहिणपस्थिमेणवि पुस्खरिणीओ 'भिंगा भिंगनिभा घेय, अंजणा अंजण(प०कजल)प्पभा, पासायचडिंसओ सकस्स सीहासणं सपरिवार, उत्तरपुरस्थिमेणं पुक्खरिणीओ- सिरिकता सिरिचंदा, सिरिमहिआ चेव सि. रिणिलया, पासायवडिंसओ ईसाणस्स सीहासणं सपरिवारं, मंदरे णं भंते ! पाए भइसालवणे कइ दिसाहत्यिकूडा पं०१, गो० अट्ट दिसाहत्यिकूडा पं० सं०. पाउमुत्तरे णीलवंते, मुह. त्थी अंजणागिरी। कमदेय पलासे य. बर्दिसे रोअणागिरी ॥६५॥ कहिणं मंते! मंदरे पञ्चए भइसालवणे पउमुत्तरे णाम दिसाहत्यिकडे पं०१, गो० मंदरस्स पायस्स उत्तरपुरच्छिमेणं पुरथिमिठाए सीआए उत्तरेण एत्व पउमुत्तरे णाम दिसाहत्यिकृडे पं० पञ्चजोयणसयाई उद्धंउच्चत्तेणं पागाउअसयाई उमेहेणं एवं विक्सम्मपरिक्खेवो भाणियको चालहिमवन्तसरिसो, पासायाण य तं चेव पउमुत्तरो देवो रायहाणी उत्तरपुरस्थिमेणं, एवं णीलवंतदिसाहत्थिकूटे मंदरस्स दाहिणपुरस्थिमेणं पुरथिमिलाए सीआए दक्खिणेणं एयस्सवि ८७३ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः कारो- मुनि दीपरत्नसागर Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | नीलवनो देवो रायहाणी दाहिणपुरन्थिमेणं, एवं मुहन्थितिसाहत्यिकूड़े मंदरम्स दाहिणपुरच्छिमेणं दक्विणिडाए सीओआए पुरथिमेणं एयस्सवि महत्थी देवो रायहाणी दाहिणपुर - थिमेणं, एवं चेष अंजणागिरितिसाहन्थिकूडे मंदरम्स दाहिणपन्थिमेणं दक्विणिलाए सीओआए पञ्चत्थिमेणं एअस्सवि अंजणागिरी देवो रायहाणी दाहिणपञ्चस्थिमेणं, एवं कमदेवि दिसाहन्थिकूडे मंदरम्स दाहिणपस्थिमेणं पथस्थिमिडाए सीओआए दक्खिणेणं एअस्सवि कुमुदो देवो रायहाणी दाहिणपस्थिमेणं, एवं पलासेवि कूडे मंदरस्स उत्तरपचस्थिमेणं पचस्थिमिाडाए सीओआए उनरेणं एअस्सवि पलासो देवो रायहाणी पचत्थिमेणं. एवं बडेसेवि दिसाहस्थिकूडे मन्दरस्स उत्तरपच्चस्थिमेणं सीआए महाणईए पञ्चस्थिमेणं एअम्सवि बडेंसो देवो रायहाणी उत्तरपच्चस्टिमेणं, एवं रोणागिरी दिसाहत्थिक मंदरस्स उत्तरपुरस्थिमेणं उत्तरिडाए सीआए पुरस्थिमेणं एयरसविरोअणागिरी देवो रायहाणी उत्तर नि! मन्दरे पच्चए गंदणवणे णाम पणे ५०. गो भदसालवणस्स बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ पंचजोअणसयाई उदं उपहना एत्य णं मन्दरे पच्चए णन्दणवणे णामं वणे पंचजोअणसयाई चकवादविक्खम्भेणं बडे वलयाकारसंठाणसंठिए जे णं मन्दरं पव्वयं सबओ समन्ता संपरिक्सिवित्ताणं चिट्ठा णव जोअणसहस्साई णव य चउप्पण्णे जोअणसए उचेगारसभाए जोअणस्स बाहिं गिरिविक्खम्भो एगत्तीसं जोअणसहस्साई चत्नारि य अउणासीए जोअणसए किपिपिसेसाहिए वाहिं गिरिपरिरएणं अट्ठ जोअणसहस्साई णव य चउप्पण्णे जोअणसए उच्चेगारसभाए जोअणस्स अंतो गिरिविक्खम्भो अट्ठावीसं जोअणसहस्साई तिण्णि य सोलसुत्तरे जोअणसए अट्ट य इकारसभाए जोअणस्स अंतो गिरिपरिरएणं, सेणं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं सबओ समन्ता संपरिक्खिने वण्णओ जाव देवा आसयन्ति०, मंदरस्स णं पश्यस्स पुरस्थिमेणं एत्य णं महं एगे सिद्धाययणे पं०.एवं चाउदिसिंचनारि सिद्धाययणा. विदिसासु पुक्खरिणीओ,तं चेव पमाणं सिद्धाययणाणं पुस्खरिणीणं च, पासायचडिंसगा तह व सकेसासाणं तेणं चेव पमाणेणं, गंदणवणे णं भंते ! कइ कूडा पं०१, गो० णव कूडा पं० २०-णन्दणवणकूडे मन्दरणिसह हिमवय स्यय अग सागरचित्त पर बलकूडे, कहिं णं भंते ! णन्दणवणे णंदणकडे णामं कुडे ५०१, गो० मन्दरस्स पपयस्स पुरस्थिमिाउस्स सिद्धाययणस्स उत्तरेणं उत्तरपुरस्थिमिस्स पासायवडेंसयस्स दक्खिणेणं एल्थ ण णन्दणवणे गंदणकडे णामं कटे 8 पं० पासइआ कूडा पुत्रवणिया भाणियत्रा, देवी मेहंकरा रायहाणी विदिसाए, एाहिं येव पुवाभिलावेणं णेयचा, इमे कूडा इमाहिं दिसाहि-पुरस्थिमितस्स भवणस्स दाहिणेणं दा. हिणपुरस्थिमिउस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं मन्दरे कूडे मेहावई रायहाणी पुवेणं, दक्खिणिहस्स भवणस्स पुरस्थिमेणं दाहिणपुरस्थिमित्तस्स पासायपसगस्स पचस्थिमेणं णिसहे कुडे सुमेहा देवी रायहाणी दक्षिणेणं, दक्खिणितस्स भवणस्स पच्चस्थिमेणं दक्षिणपञ्चस्थिमिद्धस्स पासायब.सगस्स पुरस्थिमेणं हेमपए कूडे हेम(प० मेह)मालिणी देवी राय. हाणी दक्खिणेणं, पञ्चस्थिमितस्स भवणस्स दक्षिणेणं दाहिणपच्चस्थिमिउस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं स्यए कूडे सुवच्छा देवी रायहाणी पञ्चस्थिमेणं, पच्चस्थिमिाइस्स भव. णस्स उत्तरेणं उत्तरपञ्चस्थिमिातस्स पासायवसगस्स दक्षिणेणं रुअगे कूडे वच्छमित्ता देवी रायहाणी पच्चस्थिमेणं, उत्तरितस्स भवणस्स पच्चस्थिमेणं उत्तरपञ्चस्थिमिाइम्स पासायवसगस्स पुरस्थिमेणं सागरचित्ते कूडे बहरसेणा देवी रायहाणी उत्तरेणं, उत्तरिखस्स भवणस्स पुरथिमेणं उत्तरपुरस्थिमिातस्स पासायवसगस्स पचस्थिमेणं वहस्कूडे बन्याहया देवी रायहाणी उत्तरेणं, कहिणं भंते ! णन्दणवणे बलकूडे णामं कूडे पं० १. गो०! मन्दरस्स पचयस्स उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं णन्द्रणवणे बलकूडे णामं कूडे पं०, एवं जं व हरि. स्सहकडस्स पाणं रायहाणी यतं व बलकूडस्सवि, णवरंबलो देवो रायहाणी उत्तरपुरस्थिमेणं । १०५। कहिं णं भंते ! मन्दरए पव्यए सोमणसवणे णामं पणे पं०?, गो०णन्दणव. ओ भूमिभागाओ अद्धतेवहिजोअणसहस्साई उद्धं उप्पइत्ता एत्थ णं मन्दरे पव्वए सोमणसवणे णामं वणे पं. पंचजोयणसयाई चकवालविस्तम्भेणं बड़े वलयाकारसंठाणसंठिए जे गं मन्दरं पव्वयं सचओ समन्ता संपरिक्खिताणम चिट्ठइ, चत्तारि जोयणसहस्साई दुषिण य वायत्तरे जोयणसए अट्ठ य इकारसभाए जोयणस्स बाहिं गिरिविक्खम्मेणं तेरस जोयणसहस्साई पंच य एकारे जोयणसए छच इकारसभाए जोअणस्स बाहिं गिरिपरिरएणं तिषिण जोअणसहस्साई दुण्णि य बावत्तरे जोअणसए अट्ट य इका. रसभाए जोयणस्स अंतो गिरिविक्खम्भेणं दस जोअणसहस्साई तिण्णि य अउणापण्णे जोअणसए तिण्णि य इकारसभाए जोअणस्स अंतो गिरिपरिरएणं, से णं एगाए पङमवरखे. इआए एगेण य वणसंडेणं सव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ते यण्णओ किण्हे किण्होभासे जाव आसयन्तिक, एवं कूडवजा सबेव णन्दणवणवत्तत्रया भाणियचा, न चेव ओमाहिऊण जाव पासायवडेंसगा सकीसाणाणं । १०६। कहिं णं भंते ! मन्दरपत्रए पंडगवणे णामं वणे पं०?, गो ! सोमणसवणस्स बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ उत्तीर्स जोअणसहस्साई उर्व उप्पइत्ता एत्य णं मन्दरे पाए सिहरतले पंडगवणे गार्म बने पं. चत्वारि चउणउए जोयणसए चक्वालविक्सम्मेणं बट्टे वलयाकारसंठाणसंठिए, जेणं मंदरचूलिअं सबओ समन्ता ८७४ जम्बूद्वीपपज्ञप्तिः, Jan-2 मुनि दीपरनसागर Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपरिक्खि ताण चिट्टइ तिण्णि जोयणसहस्साई एग च बावट्ट जोयणसयं किंचिविसेसाहि परिक्खेवेणं, सेणं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं जाव किण्हे देवा आस. यन्ति०, पंडगवणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं मंदरचूलिआ णामं चूलिआ पं० चत्तालीसं जोयणाई उद्धउच्चत्तेणं मूले वारस जोयणाई विक्खम्भेणं मजझे अट्ठ जोयणाई विक्खम्भेणं उप्पिं चत्तारि जोयणाई विक्खम्भेणं मूले साइरेगाई सत्तत्तीसं जोयणाई परिक्खेवेणं मझे साइरेगाई पणवीसं जोयणाई परिक्खेवेणं उप्पिं साइरेगाईबारस जोयणाई परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णा मझे संखित्ता उप्पि तणुआ गोपुच्छसंठाणसंठिा सबवेलिआमई अच्छा०, साणं एगाए पउमवरवेइआए जाव संपरिक्खित्ता, उप्पिं बहुसमरमणिजे भूमिभागे जाव सिद्धाययर्ण कोर्स आयामेणं अद्धकोसं विक्खम्भेणं देसूणगं कोसं उद्धंउचत्तेणं अणेगखंभसय जाव घृक्कडुच्छुगा, मन्दरचूलिआए ण पुरथिमणं पंडगवणं पण्णासं जोयणाई ओगाहित्ता एत्य णं महं एगे भवणे पं०, एवं जच्चेव सोमणसे पुष्ववण्णिओ गमो भवणाणं पुक्खरिणीणं पासायवडेंसगाण य सो चेव णेअब्बो जाव सकीसाणवडेंसगा तेणं चेव परिमाणेणं ।१०७। पण्डगवणे णं भंते ! वणे कइ अभिसेअसिलाओ पं०१, गो०! चत्तारि अभिसेअसिलाओ पं० त०-पंडुसिला पण्डकंबलसिला रत्तसिला रत्तकम्बलसिला, कहिणं भंते! पण्डगवणे पण्डुसिला णामं सिला पं०१, गो०! मन्दरचूलिआए पुरस्थिमेणं पंडगवणपुरस्थिमपेरंते एत्थ णं पंडगवणे पंडुसिला णामं सिला पं० उत्तरदाहिणायया पाईणपडीणविच्छिण्णा अवचन्द - संठाणसंठिा पंचजोयणसयाई आयामेणं अदाइजाई जोयणसयाई विक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहातेणं सबकणगामई अच्छा वेइआवणसंडेणं सबओ समंता संपरिक्खित्ता वण्ण7 ओ, तीसे णं पण्डुसिलाए चाउदिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरुवगा पंजाव तोरणा वण्णओ, वीसे णं पण्डसिलाए उप्पिं बहुसमरमणिजे भूमिभागे पंजाव देवा आसयंति०, तस्सणं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमझदेसभाए उत्तरदाहिणेणं एत्य णं दुवे अमिसेयसीहासणा पं० पाणुसयाई आयामविक्खंभेणं अदाइजाई घणुसयाई बाहाणं सीहासणवण्णओ भाणियको विजयदूसवजोत्ति, तस्थ णं जे से उत्तरिले सीहासणे तत्य णं बहूहिं भवणवइवाणमंतरजोइसियवेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य कच्छाइा तित्ययरा अभिसिचंति, तत्थ णं जे से दाहिणिले सिंहासणे तत्थ णं बहूहिं भवणजाववेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य पच्छाईया तित्थयरा अभिसिचंति, कहिणं भंते ! पंडगवणे पंडुकंबलसिला णामं सिला पं०१, गो०! मंदरचूलिआए दक्षिणेणं पंडगवणदाहिणपेरंते एत्थ णं पंडगवणे पंडुकंबलसिला णामं सिला पं० पाईणपडीणायया एवं तं चैव पमाणं वत्तच्या य माणियहा जाव तस्स र्ण बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे सीहासणे पं० तं चेव सीहासणप्पमाणं, तत्य णं बहूहिं भवणवइ जाच मारहगा तित्ययरा अहिसिच्चति, कहिं गं भंते ! पंडगवणे रत्तसिला णामं सिला पं०?, गो! मंदरचलिआए पच्चत्थिमेणं पंडगवणपच्चस्थिमपेरते एत्य णं पंडगवणे रत्तसिला णामं सिला पं० उत्तरवाहिणायया पाईणपडीणविच्छिण्णा जावतं चेव पमाणं सबतवणिजमई अच्छा०, उत्तरदाहिणेणं एत्थ ण दुवे सीहासणा पं०, तत्य णं जे से दाहिणिल्ले सीहासणे तत्थ ण बहूहिं भवण० पम्हाइआ तित्थयरा अहिसिच्वंति, तत्थर्ण जे से उत्तरिडे सीहासणे तत्थ गं बहूहिं भवण जाव वप्पाइआ तित्वयरा अहिसिचंति, कहिं णं भंते ! पंडगवणे रत्तकंचलसिला णामं सिला 40?, गो०! मंदरचू. लिआए उत्तरेणं पंडगवणउत्तरचरिमते एत्य णं पंडगवणे रत्तकंबलसिला जार्म सिला पं० पाईणपडीणायया उदीणदाहिणविच्छिष्णा सबतवणिजमई अच्छा जाव मझदेसमाए सी. हासणे, तत्थ ण बहूहिं भवणवइ जाव देवेहिं देवीहि य एरावयका तित्थयरा अहिसिचंति । १०८। मन्दरस्स णं भंते! पञ्चयस्स कइ कण्डा पं०१, गो० ! तओ कंडा पं० त०-हिडिले मझिाडे उवरािडे कण्डे, मन्दरस्स णं भंते ! पचयस्स हिड्डिाले कण्डे कतिविहे पं०१, गो०! चउबिहे पं० त०-पुढवी उबले बहरे सकरा, मज्झिमिल्ले गं भंते! कण्डे कतिविहे पं०१, गो०! चउविहे पं० त० अंके फलिहे जायरूवे स्यए, उवरिले कण्डे कतिविहे ५०?, गो० एगागारे पं० समजबूणयामए, मन्दरस्स णे भंते ! पञ्चयस्स हेहिले कण्डे केवइयं बाहलेणं पं० १, गो०! एर्ग जोयणसहस्सं बाहडेणं पं०, मज्झिमिले कण्डे पुच्छा, गो०! तेवढिं जोयणसहस्साई बाहलेणं पं०, उवरिले पुच्छा, गो० ! छत्तीसं जोयणसहस्साई बाहलेणं पं०, एवामेव सपुश्चावरेणं मन्दरे पथए एर्ग जोयणसयसहस्सं सम्यग्गेणं पं०।१०९। मन्दरस्स णं भंते! पञ्चयस्स कति णामधेजा पं०?, गो०! सोलस णामधेजा पं० त०'मन्दर मेरु मणोरम सुईसण सर्यपभेज गिरिराया। स्यणोच्चये सिलोचय मझे लोगस्स णाभी य॥६६॥ अच्छे अ सूरिजावत्ते, सूरित्रावरणेतिज । उत्तमे अ दिसादी अ, वडेंसेति असोलसे ॥ ६७ ॥ से केणटेणं भंते ! एवं बुचइ-मन्दरे पञ्चए २१. गो० मन्दरे पञ्चए मन्दरे णामं देवे परिवसइ महिदीए जाब पलिओवमट्टिइए, से तेणद्वेणं गो०! एवं वुच्चइ-मन्दरे पञ्चए २, अदुत्तरं तं चेव । ११०। कहि णं भंते! जंबुद्दीचे णीलबंते णामं वासहरपवये पं०१, गो०! महाविदेहस्स बासस्स उत्तरेणं रम्मगवासस्स दक्खिणेणं पुरत्यिमिललवणसमुदस्स पचत्यिमेणं पचस्थिमलवणसमुदस्स पुरथिमेणं एत्य जमुदीचे णीलवते णाम वासहरपव्यए पाईणपडीणायए उदीणवाहिणविभिपणे णिसहवत्तम्बया भीलवंतस्स भाणियच्या गपरं जीवा वाहिणणं ८७५ जम्बूद्वीपमज्ञप्तिः पधारो-7 मुनि दीपरत्नसागर Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घणु उत्तरेणं, एत्मण केसरिरहो, दाहिणेणं सीया महाणई पवढा समाणी उत्तरकुरु एबमाणी २जमगपव्यए णीलयंतउत्तरकुरुचंदेरावतमालयतरहे य दुहा विभयमाणी २ चउरासीए सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी २ भदसालपण एजेमाणी २ मंदरं पब्वयं दोहिं जोयणेहिं असंपत्ता पुरत्याभिमुही आवत्ता समाणी अहे मालवन्तववारपव्ययं दालयित्ना मंदरस्स पवयस्स पुरत्यिमेणं पुष्वविदेहवासं दुहा विभयमाणी २ एगमेगाओ चकवट्टिविजयाओ अट्ठावीसाए २ सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी२ पञ्चाहिं सलिलासयसहस्सेहिं दुवनीसाए य सलिलासहस्सेहि समस्या अहे विजयस्स दारस्स जगई दालइत्ता पुरस्थिमेणं लवणसमुई समप्पेइ, अवसिटुं तं चेव, एवं णारीकंतावि उत्तराभिमुही णेयव्या, गवरमिमं णाणनं गंधाबड़वहवेयद्यपव्ययं जोयणेणं असंपत्ता पचत्याभिमुही आपत्ता समाणी अवसिहूं तं चेव पवहे यमुहे य जहा हरिकतासलिला, णीलवंते णं भंते ! वासहरपच्चए कइ कूडा पं०?, गो० नव कडा पं००-सिवाययणकडे० 'सिदे णीले पुषविदेहे सीया य कित्ति णारी य। अवरविदेहे रम्मगकडे उवदसणे व ॥ ६८॥ सोऽयेते कृडा पासहआ रायहाणीउ उतरेणं, से केणद्वेणं भंते ! एवं पुजा-णीलर्वते वासहरपल्यए २१, गो०! णीले णीलोभासे णीलवंते य इत्य देवे महिदीए जाव परिवसह सम्बवेरुलिआमए णीलयंते जाव णिचे । ११० । कहिं णं भंते! जंबुटीवे रम्मए णाम वासे पं०१, गोणीलवन्तस्स उत्तरेणं रुप्पिस्स दक्षिणेणं पुरथिमलवणसमुदस्स पञ्चस्थिमेणं पञ्चत्थिमलवणसमुहस्स पुरस्थिमेणं एवं जह चेव हरिवासं नह चेष रम्मयं वास माणिजब गवरं दक्खिणेणं जीवा उत्तरेणं घणु अवसेसं तं चेव, कहिं णं भंते ! रम्मए वासे गन्धावई णाम बहवेअदपव्वए पं०?, गो०! णरकन्ताए पचस्थिमेणं णारी. कन्ताए परस्थिमेण रम्मगवासस्स बहुमजादेसभाए एत्य णं गन्धाचई णामं बट्टवेअद्दे पश्चए पं०. जंचेव विडावडस्स तंचेवगंधावहस्सवि पत्ता. अहो बहवे उप्पलाई जाव गंधावट. प्पभाईपउमेयइत्य देवे महिदीए जाप पलिओवमठिाएपरिवसइ रायहाणी उत्तरेणं, से केणडेणं मंते ! एवं चुच्चइ-रम्मए वासे २१, गो०रम्मगवासे गं रम्मे रम्मए रमणिजे रई (मए) यइत्य देवे जाय परिवसा से तेणद्वेण०, कहिणं भंते ! जंबुद्दीचे रुप्पी णामं वासहरपथए पं०?, गो०! रम्मगवासस्स उत्तरेणं हेरण्णवयवासस्स दक्षिणेणं पुरस्थिमलवणसमुदस्स पच. स्थिमेणं पचस्थिमलषणसमुदस्स पुरस्थिमेणं एत्य णं जंबुद्दीवे रुप्पी णामं वासहरपचए पं० पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिण्णे एवं जा चेव महाहिमवंतवत्तश्या सा चेव रुपिस्सवि णवरं दाहिणेणं जीवा उत्तरेणं धर्ण अवसेस ते चेव, महापुंडरीए दहे णरकता णदी दक्षिणेणं यथा जहा रोहिआ पुरस्थिमेणं गच्छा, रुप्पकूला उत्तरेणं णेअत्रा जहा हरिकता पचस्थिमेणं गच्छा अवसेस ते घेव, कप्पिमिण भंते ! वासहरपथए कह कूडा पं०?, गो०! अट्ठ कूडा पं० त०-'सिद्धे रुप्पी रम्मग णरकता बुदि कप्पकूला या हेरण्णवय (पये) म. णिकंचण अट्ठ य(पणेय) रुपिमि कूडाई ॥६९॥ सोचिएए पंचसहा रायहाणीओ उत्तरेणं, से केणतुणं भंते ! एवं पुचह-कप्पी पासहरपत्रए २', गोसप्पी णामं वासहरपत्रए रुप्पी रुप्पपट्टे रुप्पोमासे सारुष्पामए रुप्पी य इत्य देवे पलिओवमठिइए परिवसइ, से एएणद्वेणं गो०! एवं बुच्चइ०, कहिं णं भंते! जंबुद्दीवे हेरण्णवए णामं वासे पं०?, गो० रुप्पिस्स उत्तरेण सिहरिस्स दक्षिणेणं पुरस्थिमलपणसमुदस्स पच्चस्थिमेणं पच्चस्थिमलवणसमुदस्स पुरस्थिमेणं एस्थ णं जंबुद्दीवे हिरण्णवए वासे पं० एवं जह व हेमवयं तह व हेरण्णवयंपि भाणिय णवरं जीचा दाहिणेणं उत्तरेण धणु अवसिट्ठ तं चेव, कहिणं भंते! हेरण्णवए बासे मालवन्तपरिआए णामं वट्टवेअदपत्रए पै०१, गो०! सुवण्णकूलाए पचस्थिमेणं रुप्पकूलाए पुरस्थिमेणं मालवन्तपरिआए णाम बहवेअड्ढे पं० जह व सदावई तहवेव मालवंतपरिआएवि, अट्ठो उप्पलाई पठमाई मालवन्तप्पभाई मालवन्तवण्णाई मालवन्तवण्णाभाई पभासे य इत्य देवे महिदीए पलिओचमद्विइए परिवसह से एएणद्वेणं० रायहाणी उत्तरेणं, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ-हेरण्णवए वासे २१. गो०! हेरण्णवए णं वासे रुप्पीसिहरीहिं वासहरप पण दलइ णिचं हिरणं मुंचइ जिचं हिरणं पगासइ हेरण्णदए य इत्य देवे परिवसई से एएणतुण, कहिं र्ण भंते ! जंचुहीये सिहरी णामं वासहरपत्रए पं०१, गो०! हेरण्णवयस्स उत्तरेणं एरावयस्स दाहिणेणं पुरस्थिमलवणसमुदस्स पचत्यिमेणं पच्चस्थिमलवणसमुदस्स पुरस्थिमेणं एवं जह येव पाडहिमवंतो तह चेव सिहरीविणवरं जीचा दाहिणेणं घणु उत्तरेणं अवसिटु त चेष, पुंडरीए दहे सुवण्णकूला महाणई दाहिणेणं णेअब्बा जहा रोहिअंसा पुरथिमेणं गच्छड, एवं जह व गंगासिन्धूओ तह चेव रत्तारत्नवईओ णेबाओ पुरस्थिमेणं रत्ता पचस्थिमेणं रत्तवई अवसिटुंतचेव अपरिसेर्स नेयवं, सिहरिम्मि र्ण भंते ! वासहरपञ्चए कइ कूड़ा पं०१, गो० इफारस कूडा पं० २०-सिदाययण सिहरिक हेरण्णवय सुवणकला मुरादेवी रत्ता लच्छी रत्तवई० इलादेवी० एखयतिगिच्छिकडे.एए सब्वेवि कडा पंचसहआरायहाणीओ उत्तरेणं. से केण री वासहरपव्यए २१, गो०! सिहरिमि वासहरपव्यए बहवे कूडा सिहरिसंठाणसंठिआ सव्वरयणामया सिहरी अ इत्थ देये जाव परिवसद से तेणद्वेणं०, कहिणं भंते ! जम्बुद्दीवे एराबए णामं वासे पं०१, गो०! सिहरिस्स उत्तरेण उत्तरलवणसमुदस्स दक्खिणेणं पुरस्थिमलवणसमुदस्स पञ्चस्थिमेणं पञ्चस्थिमलवणसमुदस्स पुरस्थिमेणं एस्थ णं जंबुद्दीवे एरावए णाम वासे पं० खाणुबहुले कंटकबहुले एवं जच्चेव भरहस्स बत्तव्बया सच्चेव सव्वा निरवसेसा अव्वा सओअवणा सणिक्खमणा सपरिनिव्वाणा णवर एरापओ चकवट्ठी एरावओ देवो (२१९) ७६ जम्बूद्वीपमज्ञप्तिः, बारी-४ मुनि दीपरत्नसागर Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ E से तेण्डेणं. एराषए वासे २।११२श वासहरवासवण्यो । जया में एकमेके पकवष्टिविजए भगवन्तो तित्थयरा समुप्पज्जन्ति तेणं कालेणं० अहेलोगवत्यवाओ अट्ठ विसाकुमारीया महत्तरिआओ सएहिं २ कूडेहिं सएहिं २ मवणेहिं सएहिर पासायव.सएहिं पत्ते २ चउहिं सामाणिजसाहस्सीहिं चउहिं महत्तरिआहिं सपरिवाराहिँ सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अपाणिआहिवईहिं सोलसहिं आयरक्खदेक्साहस्सीहि अण्णेहि य बहुहिं(प० मवणवइयाणमंतरेहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिखुडाओ महयाहयणगीयवाइय जाव भोगभोगाई भुंजमा णीओ विहरंति, तं०. मोगंकरा भोगवई, सुमोगा मोगमालिनी। तोयधारा विचित्ता य, पुष्फमाला अणिदिया ॥७॥ तए णं तासिं अहेलोगवत्थव्वाणं अट्ठण्हं दिसाकुमारीणं मयह रियाणं पत्तेयं २ आसणाई चलंति, तए ण ताओ अहेलोगवत्यव्याओ अट्ठ दिसाकुमारीओ महत्तरियाओ पत्तेयं २ आसणाई चलिआई पासंति त्ता ओहिं पउंजंति ला भगवं तित्थयर Aओहिणा आमोएंति त्ता अण्णमण्णं सदाविति त्ता एवं क्यासी-उप्पण्णे खलु मो! जंबुद्दीवे भयवं तित्ययरे तं जीयमेयं तीअपचुप्पण्णमणागयाणं आहेलोगवत्यवाणं अट्ठण्हं दिसाकुमारी महत्तरियाणं भगवओ तित्यगरस्स जम्मणमहिमं करेत्तए तं गच्छामो णं अम्हेवि भगवओ जम्मणमहिमं करेमोत्तिकटु एवं वयंति चा पत्तेयं २ आमिओगिए देवे सहावेति त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अणेगखम्भसयसणिविढे लीलट्ठिा एवं विमाणवण्णओ भाणियहो जाव जोजणविच्छिण्णे दिवे जाणविमाणे विउवित्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तए णं आमिओगा देवा अणेगसमसय जाव पञ्चप्पिणति, तए णं ताओ आहेलोगवत्यव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ हद्वतुट्ठ पत्तेयं २ चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं उहि य महत्तरियाहिं जाव अण्णेहिंगहहिं देवेहिं देवीहि य सदिसंपरिखुडाओ तंतं दिवं जाणविमार्ण दुरूहंति त्ता सविड्ढीए घणमुइंगपणव पवाइअरवेणं ताए उकिट्ठाए जाव देवगPईए जेणेव भगवओ तित्यगरस्स जम्मणगरे जेणेव जम्मभवणे तेणेव उवागच्छन्ति त्ता भगवओ तित्थयरस्स जम्मभवणं तेहिं दिशेहिं जाणविमाणेहिं तिक्सुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेंति भत्ता उत्तरपुरस्थिमे विसीमाए इंसिं चउरंगुलमसंपत घरणिअले ते दिवे जाणविमाणे ठविंति त्ता पत्तेयं २ बउहिं सामाणियसहस्सेहिं जाव सहिं संपरिखुडाओ दिवेहितो जाणविमा हिंतो पचोव्हंति त्ता सविडीए जाव णाइएणं जेणेव भगवं तित्थयरे वित्ययरमाया य तेणेव उवागच्छन्ति त्ता भगवं तित्ययरं तित्थयरमायरं च तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेंति त्ता पत्तेयं २ करयलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्यए अंजलिं कल एवं वयासी णमोत्यु ते स्वणकृच्छिचारिए ! जगप्पईवदाईए सवजगमंगलस्स चक्सुणो य मुत्तस्स सबजगजींबवबालस्स हिअकारगममादेसियपामिद्धिविमुपभुस्स जिणस्स णाणिस्स नायगस्स बहस्स बोहगस्स सकललोगनाहस्स सब्बजगमंगलस्स निम्ममस्स पवरकुलसमुम्भवस्स जाई यस्स जं सि लोगुत्तमस्स जणणी घण्णा सि तं पुण्णा सि कयत्था सिं अम्हे णं देवाणुप्पिए! अहेलोगवत्यव्याओ अट्ट दिसाकुमारीमहत्तरियाओ भगवओ तित्थगरस्स जम्मणमहिम करिस्सामो तणं तुम्भाहिण भाइयवं इतिकटु उत्तरपुरस्थिमं दिसीभार्ग अवकमति त्ता केउविजसमग्याएणं समोहणंति सा संखिजाई जोयणाई दंड निसरंति, त०- रयणाणं जाव संवहगवाए विउति त्ता तेणं सिवेणं मउएणं मारुएर्ण अणुइएणं भूमितलविमलकरणेणं मणहरेणं सबोउअसुरहिकुसुमगन्धाणुवासिएणं पिंडिमणिहारिमेणं गन्धुद्धएणं तिरिसं पवाइएणं भगवओ तित्ययरस्स जम्मणभवणस्स सक्यो समन्ता जोअणपरिमंडल से जहाणामए कम्मारदारए सिया जाव तहेव जं तत्थ तणं वा पत्तं वा कटुं वा कयवरं वा असुइमचोपखं पूहयं दुम्भिगंध तं सर्व आहुणिज २ एगते एडेंति त्ता जेणेव भगचं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छति त्ता भगवओ तित्ययरस्स तित्ययरमायाए य अदूरसामते आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठति । ११३ । तेणं कालेणं. उदलोगवत्यासाओ अट्ट दिसाकुमारीमहत्तरियाओ सएहिं २ कडेहिं सएहिं २ भवणेहिं सएहिं २ पासायक्डसएहिं पत्तेयं २चरहिं सामाणिअसाहस्सीहिं एवं तं चेय पुश्वण्णि जान बिहरंति, त०-मेहंकरा मेहबई, सुमेहा मेहमालिनी। सुवच्छा बच्छमित्ता य, वारिसेणा बलाहगा ॥७१॥ तए ण तासिं इण्हं दिसाकुमारीमहत्तरियाणं पत्तेयं २ आसणाई चलति एवं तं चेव पञ्चवषिणयं भाणिय जाव अम्हेणं देवाणप्पिए! उद्योगवत्यवाओ अट्ट दिसाकुमारीमहत्तरियाओ जेणं भगवओ तित्थगरस्स जम्मणमहिमं करिस्सामो तेणं तुम्माहिण भाइअतिकटु उत्तरपुरस्थिमं दिसीभार्ग अवकर्मति त्ता जाव अम्भवइलए विउचंति त्ता जावत नियस्य णहरयं भट्ठस्य पसंवरयं उपसंतश्यं करेंति त्ता खिप्पामेच पच्चुवसमंति एवं पुष्फवाहलंसि पुष्फवासं वासंति त्ता जाव कालागुरुपवर जाच सुरवराभिगमणजोगं करेंति त्ता जेणेव भययं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेच उवागच्छंति त्ता जाव आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठति । ११४। तेणं कालेणं० पुरस्थिमरुअगवत्थशाओ अट्ट दिसाकुमारीमहत्तरिआओ सएहिं २ कृडेहिं तहेब जाव विहरंति, तं०-णंदुत्तरा य णन्दा, आणन्दा गंदिवक्षणा। विजया य वेजयंती, जयंती अपराजिआ ॥७२॥ सेसं तं चेव जाव तुम्हेहिं ण भाइयतिकटु भगवजो तिस्थयरस्स वित्ययरमायाए य पुरस्थिमेणं आयसहत्यगयाओ आगाथमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठति, तेणं कालेणं० दाहिणरुअगवत्यवाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरि८७७ जम्मूतीपयज्ञप्तिः cont-८ मुनि दीपरत्नसागर Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आओ नहेब जाव विहरनि न.- समाहारा मुप्पइण्णा, सुप्पयुद्धा जसोहरा । लच्छिमई सेसवई, चित्तगुत्ता वसुंधरा ॥७३॥ तहेव जाच तं न भाइयचंतिकटु भगवओ नित्थयरस्स तित्य चयरमाऊए य दाहिणेणं भिंगारहत्यगयाओ आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिटुंति, तेणं कालेणं० पचत्थिमम्अगवत्यवाओ अट्ट दिसाकुमारीमहत्तरित्राओ सएहिं जाब विहरति, तं०-' इत्यदेवी सुरादेवी, पुहवी पउमावई। एगणासा णवमिआ, भद्दा सीआ य अट्ठमा ॥ ४॥ तहेब जाव तुम्भेहि ण भाइयवंतिकव जाव भगवजओ तित्ययरस्स तित्थयरमाऊए य पचत्यिमेणं तालिअंटहत्थगयाओ आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठति, तेणं कालेणं उत्तरिडरुअगवत्यवाओ जाब विहरति तं०- अलंबुसा मिस्सकेसी, पुंडरीया य वारुणी। हासा सञ्चप्पभा चेव, सिरि हिरि चेव उत्तरओ ॥ ७५॥ तहेब जाव वंदित्ता भगवओ तित्थयरस्स नित्ययरमाऊए य उत्तरेणं चामरहत्यगयाओ आगायमाणीओ परिमायमाणीओ चिट्ठति, तेणं कालेणं विदिसकअगवत्यवाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरिआओ जाच विहरंति, त०'चित्ता य चित्तकणगा, सतेरा य सोदामिणी, तहेब जाव ण भाइयवंतिकटु भगवओ तित्ययरस्स तित्ययरमाऊए य चउसु चिदिसासु दीविाहत्यगयाओ आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिटुंति, वेर्ण कालेणं० मजिझमरुअगवत्यवाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहतरिआओ सएहिं २ कृडेहिं तहेब जाव चिहरंति, त-रूआ रुयंसा सुरूया रूअगावई तहेब जाव तुम्भेहिंण भाइयब्बतिकर भगवओ तित्ययरस्स चउरंगुलवज णाभिणालं कप्पंति ता वियरगं खणति ता बियरगे णाभि णिहणंति त्ता स्वणाण य वइराण य पूति त्ता हरिआलियाए पेटं बंधति त्ता तिदिसि तओ कयलीहरए चिउब्वंति, तए णं तेसिं कयलीहरगाणं बहुमज्मदेसभाए तो चाउस्सालए विडव्वंति, तए णं तेसिं चाउस्सालगाणं बहुमज्मदेसभाए तओ सीहासणे विउव्वंति, तेसिं सीहासणाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पं० सम्यो । सवण्णगो भाणियब्वो, तए णं ताओ रुअगमावत्यवाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तराओ जेणेव भयवं तित्ययरे तित्ययरमाया य तेणेव उवागच्छंति ना भगवं तित्ययरं करयलसं-14 पुडेणं गिर्हति तित्ययरमायरं च बाहाहिं गिण्हंति ना जेणेव दाहिणिले कयलीहरए जेणेव चाउसालए जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छंति त्ता भगवं तित्ययरं तित्ययरमायरं च सी-6 हासणे णिसीयाति त्ता सयपागसहस्सपागेहिं तिडेहिं अम्भंगेति त्ता सुरभिणा गंधवट्टएणं उब्वटुंति त्ता भगवं तित्थयरं करयलपुडेहिं तित्थयरमायरं च वाहासु गिव्हंति त्ता जेणेव पुरस्थिमिड़े कयलीहरए जेणेव चउसालए जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छंति त्ता भगवं तित्ययरं तित्थयरमायरं च सीहासणे णिसीआवेति ता तिहिं उदएहिं मजाति, तं०-गंधोदएणं पुष्फोदएणं सुद्धोदएणं, मज्जावित्ता सव्वालंकारविभूसियं करेंति त्ता भगवं तित्थयरं करयलपडेहिं तित्ययरमायरं च बाहाहिं गिण्हति त्ता जेणेव उर जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छंति त्ता भगवं तित्ययरं तित्थयरमायरं च सीहासणे णिसीआविति ता आभिओगे देवे सदाविति त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चुलहि. मवन्ताओ वासहरपवयाओ गोसीसचंदणकट्ठाई साहरह, तए णं ते आभिओगा देवा ताहिं रुअगमज्झवत्थचाहिं चउहिं दिसाकुमारीमहत्तरियाहिं एवं वुत्ता समाणा हतुट्ठा जाच विणएणं वयणं पडिच्छन्ति ता खिप्पामेव चुडहिमवन्ताओ वासहरपत्रयाओ सरसाई गोसीसचंदणकट्ठाई साहरंति, तए णं ताओ मज्झिमरुअगवत्थवाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरियाओ सरगं करेंति त्ता अरणिं घडेति त्ता सरएणं अरणिं महिंति त्ता अगिंग पाति त्ता अग्गि संयुक्खंति त्ता गोसीसचंदणकट्ठे परिक्खिवंति त्ता अम्गि उज्जालंति ता समिहाकट्ठाई पक्सिविति त्ता अग्गिहोम करेंति त्ता भूतिकम्मं करेंति त्ता रक्खापोडलियं बंधति त्ता णाणामणिरयणभत्तिचित्ते दुवे पाहाणवद्गगे गहाय भगवओ तित्थयरस्स कण्णमूलंमि टिट्टियावितिभवउ भयवं! पञ्चयाउए २, तए णं ताओ रुअगमज्झवत्थवाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरियाओ भयवं तित्थयरं करयलपुडेहिं तित्थयरमायरं च वाहाहिं गिण्हंति त्ता जेणेव भगवओ तित्ययरस्स जम्मणभवणे तेणेव उवागच्छंति त्ता वित्थयरमायरं सयणिजसि णिसीयाविति त्ता भयवं तित्ययरं माउए पासे ठवेति त्ता आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिटुंति १११५॥ तेणं कालेणं० सके णाम देविंद देवराया बजपाणी पुरंदरे सयकङ सहस्सक्खे मघवं पागसासणे दाहिणलोकाहिबई बत्तीसविमाणावाससयसहस्साहिबई एरावणवाहणे सुरिंदे अरयंवरवत्यधरे आलइयमालमउडे नवहेमचारुचित्तचंचलकुण्डलविलिहिजमाणगंडे (म० गाडे) भासुरवरचोंदी पलंबवणमाले महिदीए महजुईए महावले महायसे महाणुभागे महा. सोक्से सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिसए चिमाणे सभाए सुहम्माए सकंसि सीहासणंसि से णं तत्थ बत्तीसाए विमाणावाससयसाहस्सीणं चउरासीए सामाणियसाहस्सीणं तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं चउण्हं लोगपालाणं अट्टण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तहँ अणियाणं सत्तण्हं अणियाहिबईणं चउण्हं चउरासीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूर्ण सोहम्मकप्पवासीणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य (प० अण्णे पति-अण्णेसि बहूणं देवाण य देवीण य अभियोगिउववष्णगाणं) आहेवचं पोरेवचं सामित्तं भट्टित्तं महयरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाहयणगीयवाइयतंतीतलतालतुडियघणमुइंगपडपडहपयाइअरवेणं दिवाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ, तए णं तस्स सकस्स देविंदस्स ८७८ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वा -८ मुनि दीपरत्नसागर Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवरज्यो आसणं चला, तए गं से सके जाव आसणं चलियं पासइ त्ता ओहिं पउंजइ त्ता भगवं तित्ययरं ओहिणा आभोएइ त्ता हतुट्टचित्ते आणदिए नंदिए पीइमणे परमसोमण. स्सिए हरिसक्सविसप्पमाणहियए धाराहयकयंव(प्र०नीपसुरभि)कुसुमचंचुमालइजऊसवियरोमकवे वियसियवरकमलनयणवयणे पचलियवरकडगतुडिअकेऊरमउडे कुण्डलहारविराय-8 तस्यवच्छे पालंबपलंगमाणघोलंतभूसणधरे ससंममं तुरियं चवलं सुरिंदे सीहासणाओ अम्भुढेइ त्ता पायपीटाओ पचोव्हइत्ता वेरुलियवरिद्वरिट्ठअंजणनिउणोविअमिसिमिसिंतमणिस्यगमंडियाओ पाउयाओ ओमुअइत्ता एगसाडियं उत्तरासंग करेह त्ता अंजलिमउलियग्महत्ये तित्थयराभिमुहे सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छइत्ता वामं जाणुं अंचेइ त्ता दाहिणं जाणुं धरणीयलंसि सा(प्र० नि)हर तिक्त्युत्तो मुवाणं धरणियलंसि निवेसे(म० बाडे) त्ता ईसिं पषुण्णमइत्ता कडगतुडियर्षभियाओ भुआजो साहरा ता करयलपरिग्गहियं दसहं सिरसावत्त मत्यए अंजलि कटु एवं क्यासी- णमोत्यु णं अरहताणं भगवंताणं, आइगराणं तित्थयराणं सयंसंबुदाणं, पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुण्डरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं, लोगुसमाणं लोगणाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपज्जोयगराणं, अभयदयाणं चक्खुदयाणं मम्गदयाणं सरणदयाणं जीवदयाणं बोहिदयाण, धम्मदयाण धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरन्तचकवहीणं, दीवो ताणं सरणं गई पट्ठा, अप्पढिहयवरनाणदसणघराणं वियदृच्छउमाणं, जिणाणं जावयाणं तिण्णाणं तारयाणं युद्धाणं मोहयाणं मुत्ताणं मोयगाणं, सबन्नूणं सबदरिसीणं सिक्मयलमरुयमणन्तमक्खयमचावाहमपुणरावित्ति(म० त्तय)सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपत्ताणं णमो जिणाणं जियभयाणं, णमोऽत्यु णं भगवओ तित्थगरस्स आइगरस्स जाव संपाविउकामस्स, बंदामिण भगवंतं तत्थगयं इहगए, पासउ मे भयवं! तत्थगए इहगयंतिकटु वन्दइ णमंसइ त्ता सीहासणवरंसि पुरत्याभिमुहे सण्णि. सण्णे, तए णं तस्स सकस्स देविंदस्स देवरण्यो अयमेरुवे जाव संकप्पे समुप्पजित्था-उप्पण्णे खलु भो जंबुडीवे भगवं तित्थयरे तं जीयमेयं तीअपचुप्पण्णमणागयाण सकाणं देषि. वाणं देवराईणं तित्थयराणं जमणमहिर्म करेत्तए, तं गच्छामि गं अहंपि भगवओ तित्यगरस्स जम्मणमहिमं करेमित्तिकटु एवं संपेहेइत्ता हरिणेगमेसि पायत्ताणीयाहिवई देवं सदावेति त्ता एवं बयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ! सभाए सुहम्माए मेपोपरसिझं गंभीरमहुरपरसई जोयणपरिमण्डलं सुघोर्स सूसरं घंटं तिक्खुत्तो उल्लालेमाणे २ महया सदेणं उन्योसेमाणे २ एवं वयाहि-आणवेइ णं मो सके देविंद देवराया गच्छदणं भो सके जंबुद्दीवं भगवओ तित्ययरस्स जम्मणमहिमं करित्तए, तं तुम्भेऽविय णं देवाणुप्पिा ! सचिदीए सव्वजु. ए सव्यवलेणं सव्वसमुदएणं सबायरेणं सव्वविभूईए सम्बविभूसाए सव्यसंभमेणं सचनाडएहिं सबोरोहेहिं सव्वपुष्फवस्थगन्धमलालंकारविभूसाए सव्वदिव्वतुडिअसहसण्णिणाएणं - Is महया इवीए जाय रवेणं णिजयपरिआलसंपरिखुडा सयाई २ जाणविमाणवाहणाई दुरूदा समाणा अकालपरिहीणं चैव सकस्स अंतियं पाउम्भवह, तए णं से हरिणेगमेसी देवे पाय ताणीयाहिबई सकेणं जाव एवं वुत्ते समाणे हतुट्ठ जाव एवं देवोत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ ता सकस्स अंतियाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव सभाए मुहम्माए मेघोघरसियगम्भीरमहुस्परसदा जोयणपरिमंडला सुघोसा घण्टा तेणेव उवागच्छा त्ता मेघोघरसियगम्भीरमहुस्सदं जोयणपरिमंडलं सुघोसं घष्टं तिक्खुत्तो उल्लालेइ, तए णं तीसे मेघोघरसियगम्भीरमहुरसदाए जोयणपरिमंडलाए सुघोसाए घष्ाए तिक्सुत्तो उहालियाए समाणीए सोहम्मे कप्पे अण्णेहिं एगणेहिं बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्सेहिं अण्णाई एगुणाईच. तीस घंटासयसहस्साईजमगसमर्ग कणकणारावं काउं पयत्ताई याविहुत्था, तए णं सोहम्मे कप्पे पासायविमाणनिक्सुडावडिअसहसमुट्ठिअघंटापटेंसुआसयसहस्ससंकुले जाए यावि होत्था, तए गं बेसि सोहम्मकप्पवासीणं पहुर्ण बेमाणियाण देवाण य देवीण य एगन्तरहपसत्तणिचपमत्तविसयसहसच्छिआणं ससरचंटारसियक्डिलबोलपरिचवलपडिबोहणे कए समाएँ । घोसणकोहलदिण्णकण्णएगग्गचित्तउवउत्तमाणसाणं से पायत्ताणीआहिवई देवे तंसि घण्टास्वंसि निसंतपडिणिसंतसि समाणसितत्य २ तहिं२ देसे २मया २ सद्देणं उरघोसेमाणे : एवं पयासी-हन्त ! सुणंतु भवंतो यह सोहम्मकप्पवासी वेमाणिया देवा देवीओ य सोहम्मकप्पवइणो इणमो वयणं हिअसुहत्य आणावइ णं भो सके तं चेव जाव अंतियं पाउम्भवह, तए णं ते देवा देवीओ य एयम8 सोचा हद्वतह जाव हियया अप्पेगइआ बंदणवत्तियं एवं पूअणवत्तियं सकारवत्तिय सम्माणवत्तियं दसणवत्तियं कोऊहलवत्तियं सक्कवयणं अणुवत्तमाणा अण्णमणं अणुवत्तमाणा जिणभत्तिरागेणं अप्पेगइया तं जीयमेयं एवमादित्तिकटु जाच पाउम्भवंति, नए णं से सके देविंद देवराया ते विमाणिए देवे देवीओ य अकालपरिहीणं चेव अंतियं पाउम्मचमाणे पासइ त्ता हड० पालयं णामं आमिओगियं देवं सहावेइ त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अणेगखभसयसण्णिविट्ठ लीलट्ठियसालभंजिआकलियं हामिअउसमतुरगणरमगरविहगवालगकिण्णररुरुसरभचमरकुंजरवणलयपउमलयमत्तिचित्तं खंभुग्गयवइरखेडाभिरामं विजाहरजमलजुअलजंतजुत्तपिव अच्चीसहस्समालिणीयं रूवगसहस्सकलियं मिसमाणं मिम्भिसमाण पक्लुलोजणलेसं सुहफास सस्सिरीयरूवं घंटावलिअचलियमहुरमणहरसरं सुई कन्तं दरिसणिजं णिउणोविअमिसिमिसिंतमणिरयणघंटि. ८७९ जन्यूडीपयज्ञप्तिः, Tone7-. मुनि दीपरत्नसागर Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आजालपरिक्खित्तं जोयणसयसहस्सविच्छिण्ण पाजोयणसयमुचिदं सिग्छ तुरियं जइणणिवाहिं दिवं जाणविमाणं विउवाहिता एयमाणत्तिय पचप्पिणाहि । ११६। तए णं से पालयदेवे सकेणं देविदेणं देवरपणा एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्ठ जाव केउनिअसमुग्घाएणं समोहणइ त्ता तहेव करेइ, तस्स र्ण दिवस जाणविमाणस्स विदिसिं तो तिसोवाणपडिरूवगा वण्णओ, तेसि णं तिसोवाणपडिरूवाणं पुरओ पत्तेअं२ तोरणा वण्णओ जाव पडिरूवा, तस्स णं जाणविमाणस्स अंतो बहुसमरमणिजे भूमिभागे से जहानामए आलिंगपुक्खरेह वा जाव दीविअचम्मेइ वा अणेगसंकुकीलकसहस्सवितते आवडपचावडसेढिप(प०डि)सेढिसुस्थिअसोवस्थिअवद्धमाणपूसमाणवमच्छंडगमगरंडगजारमार(प०णा अच्छदाममोरा अंडालारामंडा)फुलावलीपउमपत्तसागरतरंगवसंतलयपउमलयभत्तिचित्तेहिं सच्छाएहिं सप्पभेहिं समरीइएहिं सउज्जोएहिं णाणाविहपञ्चवण्णेहिं मणीहिं उवसोभिए, तेसिं णं मणीणं वण्णे गन्धे फासे अ भाणिअने जहा रायप्पसेणइज्जे, तस्स णं भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए पिच्छाघरमण्डवे अणेगखम्भसयसण्णिविढे वण्णओ जाव पडिरूवे, तस्स उडोए पउमलयभ जाव सबताणजमए जाव पडिरूवं, तस्स ण मण्डवस्स बहुसमरमाणजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागसि मह एगा मणिपढिा अट्ठजाअणाई आयामविक्खम्भेणं चत्तारि जोअणाई वाहालेणं सनमणिमयी वण्णओ, तीए उवरिं महं एगे सीहासणे वण्णओ, तस्सुवरिं महं एगे विजयदूसे सवरयणामए वण्णओ, तस्स मज्मदेसभाए एगे बहरामए अंकुसे, एत्थ णं महं एगे कुम्भिके मुत्तादामे, से णं अनेहिं तद चत्तप्पमाणमित्तेहिं चउहिं अद्धकुम्भिक्केहिं मुत्तादामेहिं सबओ समन्ता संपरिक्खित्ते, ते णं दामा तवणिजलंबसगा सुवण्णपयरगमण्डिआ णाणामणिरयणविविहहारबहारउवसोभिअसमुदया ईसि अण्णमण्णमसंपत्ता पुवाइएहिं वाएहिं मन्दं एइज्जमाणा २ जाव निबुइकरेणं सदेणं ते पएसे आपूरेमाणा २ जाव अईव उपसोभेमाणा २ चिट्ठति, तस्स णं सीहासणस्स अवरुत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरस्थिमेणं एत्य णं सकस्स चउरासीए सामाणिअसाहस्सीणं चउरासीई भदासणसाह - | स्सीओ पुरस्थिमेणं अट्ठण्हं अग्गमहिसीणं एवं दाहिणपुरत्विमेणं अम्भितरपरिसाए दुचालसण्हं देवसाहस्सीणं दाहिणेणं मज्झिमपरिसाए चउद्दसण्हं देवसाहस्सीणं दाहिणपश्चस्थिमेण बाहिरपरिसाए सोलसण्हं देवसाहस्सीणं पञ्चत्यिमेणं सत्तहँ अणिआहिवईणं, तए णं तस्स सीहासणस्स चउदिसि चउण्हं चउरासीणं आयरक्सदेवसाहस्सीणं एवमाई विभासिअश्वं सूरिआ| भगमेणं जाव पञ्चप्पिणन्ति ।११७। तए णं से सक्के जाच हवहिअए दिव्वं जिणेदाभिगमणजुम्गं सव्वालंकारविभूसिअं उत्तरवेउविरुवं विउब्बइ त्ता अट्ठहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं पाणहाणीएणं गन्धव्वाणीएण य सद्धिं तं विमाणं अणुप्पयाहिणीकरेमाणे पुग्विाडेणं तिसोबाणेर्ण दुरूहइत्ता जाव सीहासणंसि परत्याभिमहे सण्णिसपणे, एवं चेव सामाणिआ तिसोवाणेणं दुरूहित्ता पत्तेअं२ पुव्वण्णत्येसु भद्दासणेसु णिसीअंति, अवसेसा देवा देवीओ अ दाहिणिजेणं दुरूहित्ता तहेव जाव णिसीअंति, तए णं तस्स सकस्स तंसि विमाणसि दुरुढस्स इमे अट्ठमंगलगा पुरओ अहाणुपुब्बीए संपद्विआ, तयणतरं पुण्णकलप्तभिंगारं दिव्या य छत्तपडागा सचामरा य दंसणरइअआलोअदरितणिज्जा वाउडुअविजयवेजयन्ती अ समूसिया गगणतलमणुलिहंती पुरओ०, तयणन्तरं छत्तभिंगारं, तयणतरं वइरामयवट्टलट्ठसंठिअसुसिलिट्ठपरिघट्टमहसुपइट्ठिए विसिट्टे अणेगवरपञ्चवण्णकुडभीसहस्सपरिमाण्डिाभिरामे वाउन्धुअविजयवेजयन्तीपहागाछत्ताइच्छत्तकलिए तुंगे गयणतलमणुलिहंतसिहरे जोअणसहस्समूसिए महइमहालए महिंदज्झए पुरओ०, तयणन्तरं च णं सरुवनेवस्थपरिच्छिन. वेसा सव्यालंकारविभूसिआ पञ्च अणिा पत्र अणिआहिवइणो०, तयणन्तरं च णं बहवे आभिओगिआ देवा य देवीओ असएहिं सएहिं वेहिं जाव णिओगेहिं सकं देविंदं देवराय पुरओ अमग्गओ अ पासओ य अहा०, तयणन्तरं च बहवे सोहम्मकप्पवासी देवा य देवीओ अ सबिदीए जाय दुरुढा समाणा मग्गओ अ जाव संपडिआ, तए णं से सके० तेणं पञ्चाणिअपरिक्खित्तेणं जाब महिंदज्झएणं पुरओ पकड्ढिजमाणेणं चउरासीए सामाणिजजाब परिवुढे सविधीए जाय वेणं से उबदसेमाणे २ जेणेव सोहम्मस्स कप्पस्स उत्तरिले निजाणमग्गे तेणेव उवागच्छह जोअणसयसाहस्सिएहिं विग्गहेहिं ओवयमाणे २ ताए उकिट्टाए जाव देव रियमसंखिजाणं दीवसमुदाणं मझमझेणं जेणेव गंदीसरवरे दीवे जेणेव दाहिणपुरथिमिल्ले रइकरगपचए तेणेव उवागच्छइ त्ता एवं जा चेव सूरियाभस्स बत्नश्वया णवरं सकाहिगारो वत्तको जाव तं दिवं देविद्धिं जाव दिवं जाणविमाणं पडिसाहरमाणे जाव जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मणनगरे जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मणभवणे तेणेव उबागच्छति त्ता भगवओ तित्थयरस्स जम्मणभवणं तेणं दिघेणं जाणविमाणेणं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइत्ता भगवओ वित्थयरस्स जम्मणभवणस्स उत्तरपुरस्थिमे दिसाभागे चतुरंगुलमसंपर्त धरणियले तं दिवं जाणविमाणं ठवेइ त्ता अट्ठहिं अग्गम हिसीहिं दोहि अणीएहिं गंधवाणीएण य गट्टाणीएण य सदि ताओ दिखाओ जाणविमाणाओ पुरथिमिलेणं तिसोवाणपडि. रूपएणं पञ्चोहा, तए णं सफस्स देविंदस्स देवरण्णो चउरासीई सामाणियसाहस्सीओ ताओ दिवाओ जाणविमाणाओ उचरिलेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पञ्चोव्हंति, अक्सेसा देवा य देवीओ य ताओ दिशाओ जाणविमाणाओ दाहिणिलेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पञ्चोहंति, तए णं से सके देविंदे देवराया चउरासीए सामाणियसाहस्सीहिं जाप सहिं (२२०) ८८० जम्बूद्वीपयज्ञप्तिः, पानशे-4 मुनि दीपरत्नसागर Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपरिबुडे सविदीए जाव इंदुभिणिग्घोसणाइयरवेणं जेणेच भगवं निन्थयरे निन्थयरमाया य नेणेव उपागच्छइत्ता आलोए चेव पणाम करेइ ना भगवं नित्ययरं नित्ययरमायरं च निक्युत्तो आयाहिणपयाहिर्ण करेइ ना करयल जाय एवं क्यासी- णमोऽन्धु ने रयणकुच्छिधारए एवं जहा दिसाकुमारीओ जाव धण्णा सि पुण्णा सि नं कयस्था सि, अहण्णं देवाणुप्पिए ! सके णाम देविंदे देवराया भगवओ निस्थयरस्स जम्मणमहिमं करिस्सामि नणं नुम्भाहिण भाइयतिकटटु ओसोवणि दलयह ना तिब्धयरपडिरुवयं विउबड़ ना तिथयरमाउयाए पासे ठवड ना पज सके विउवह ना एगे सके भगवं निस्थयरं करवरपुडेणं गिण्हह एगे सके पिट्टओ आयवन धरेइ दुवे सका उमओ पासिं चामरुक्वेवं करेंति एगे सके पुरओ वजपाणी पकड, तए णं से सके देविदे देवराया अण्णेहि बहूहि भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिएहि देवेहिं देवीहि य सदि संपरिखुडे सविदीए जावणाइएणनाए उकिट्टाए जाव वीईव( उत्प)यमाणे जेणेव मंदरे पत्रए जेणेच पंडगवणे जेणेव अभिसेअसिला जेणेव अभिसे असीहासणे नेणेव उवागच्छद ना सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे सण्णिसण्णे ।११८। तेणं कालेणं ईसाणे देविंद देवराया मूलपाणी वसभवाहणे सुरिन्दे उत्तरदलोगाहिबई अट्ठाचीसविमाणावाससयसहम्साहिबई अत्यंचरवत्यधरे एवं जहा सके इमं णाणन महाघोसा घण्टा लहुपरकमो पायत्तांणियाहिबई पुष्फओ विमाणकारी दक्षिणे निजाणमम्गे उत्तरपुरस्थिमिडो रइकरपत्रओ मंदरे समोसरिओ जाब पनवासइ, एवं अवसिद्वावि इंदा भाणिया जाय अचओ, इर्म णाणनं-चउरासीइमसीई चावन्तरि सत्तरी य सट्ठी य । पण्णा चत्तालीसा तीसा वीसा दस सहस्सा ॥ ६॥ एए सामाणियाणं, “चनीसऽडावीसा चारस अट्ठ चउरे यसयसहस्सा। पण्णा चनालीसा छच सहस्सा सहम्सारे॥ ७७॥आणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणचुए तिण्णि। एए विमाणाणं, इमे जाणविमाणकारी देवा, नं.' पालय पुष्फय सोमणसे सिविच्छे य णंदिआवने। कामगम पीइगम मणोरमे विमल सबओभरे ॥ ७८॥ सोहम्मगाणं सर्णकुमारगाणं बंभोयगाणं महासुक्याणं पाणयगाणं इंदाणं सुघोसा घण्टा हरिणेगमेसी पायनाणीआहिवई उनसिडा णिजाणभूमी दाहिणपुरस्थिमिाडे रहकरगपत्रए, ईसाणगाणं माहिदलंगसहस्सारअचुअगाण य इंदाणं महाघोसा घण्टा लहुपरक्रमो पायनाणीआहिवई दक्विणिड़े णिजाणमम्गे उत्तरपुरस्थिमिड़े रहकरगपत्रए, परिसा णं जहा जीवाभिगमे. आयरक्सा सामाणियचउम्गुणा जाणविमाणा सोसि जोयणसयसहस्सविचिठपणा उचनेणं सविमाणप्पमाणा, महिंदज्झया सधेसि जोयणसाहस्सिया, सकवजा.मंदरे समोअरति जाच पजुवासंति।११९। नेणं कालेणं चमरे असुरिन्दे असुरराया चमरचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि चउसट्टीए सामाणिअसाहस्सीहि नायत्तीसाए तायनीसेहिं चरहिं लोगपालेहिं पजाहिं अग्गमाहिसीहि सपरिवाराहि तीहि परिसाहिं सनहिं अणिएहि सनहिं अणियाहिवइंहि चरहिं चउसट्ठीहिं आयरक्ससाहम्सीहि अण्णेहि अजहा सके णवरं इमं णाणत्तं दुमो पायत्ताणीआहिबई ओघस्सरा घंटा विमाणं पण्णास जोअणसहस्साईमहिन्दज्दाओ पजजोअणसयाई विमाणकारी आभिओगिओ देवो अवसिद्ध नचव जाच मन्दर समासरह पज्जुबासइ. नेण कालणवली असुरिन्दे एवमेव णवर सट्टा सामाणिअसाहस्साआचउम्गुणा आयरक्खा म मेव णवरं सट्टी सामाणिअसाहस्सीओ चउम्गुणा आयरक्खा महादुमो पायताणीआहिवई महाओहस्सरा घण्टा सेसं नंचव, परिसाा जहा जीवाभिगमे तेणं कालेण धरणे तहेब, णाणनं छ सामाणिअसाहस्सीओ छ अग्गमहिसीओ चउरगुणा आयरक्खा मेघस्सरा घण्टा भहसेणो पायत्ताणीयाहिबई विमाणं पणवीसं जोअणसहस्साई महिंदज्झओ अदाइजाई जोअणसवाई एवमसुरिन्दवजिआणं भवणवासिइंदाणं, णवरं असुराण ओघस्सरा घण्टा णागाणं मेघस्सरा सुवण्णाणं हंसस्सरा विज्जूणं कोंचस्सरा अम्गीणं मंजुस्सरा दिसाणं मंजुघोसा उदहीणं सुस्सरा दीवाणं महुरम्सरा बाऊणं णंदिस्सरा थणिआणं णंदिघासा. चउसट्ठी सट्टी खलु छच सहस्सा उ असुखजाणं । सामाणिआ उ एए चउम्गुणा आयरक्खा उ ॥७९॥ दाहिणिडाणं पायत्नाणीआहिबई भहसेणो उनरिडाणं दक्सो, वाणमन्तरजोइसिआ णेवा एवं चेब, णवरं चत्तारि सामाणिअसाहस्सीओ चत्तारि अग्गमहिसीओ सोलस आयरस्वसहस्सा बिमाणा सहस्सं महिन्दज्झया पणुवीसं जोअणसयं घण्टा दाहिणाणं मंजुम्सरा उत्तराणं मंजुघोसा पायत्ताणीआहिवई विमाणकारी य आभिओगा देवा जोइसिआणं सुस्सय सुस्सरणिग्घोसाओ घण्टाओ मन्दरे समोसरणं जाच पन्तवासंति।१२० तएणं से अथए देविंद देवराया महं देवाहिवे आभिओगे देवे सदावेदत्ता एवं बयासी-खिप्पामेव भो देवाणप्पिया ! महन्थ महग्धं महारिहं विउलं तित्वयराभिसेयं उबटुवेह. तए ण ते आभिओगा देवा हतुट्ट जाव पडिसुणित्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवकमंति त्ता वेउवियसमुग्घाएणं जाच समोहणित्ता असहस्सं सोचण्णिअकलसाणं एवं रुपमयाणं मणिमयाण सुवष्णरुप्पमयाणं सुवण्णमणिमयार्ण रुप्पमणिमयाण सुवष्णरुप्पमणिमयाणं अट्ठसहस्सं भोमिजाणं अट्ठसहस्सं चंदणकलसाणं एवं भिंगाराणं आयंसाणं थान्लाणं पाईणं सुपइट्ठगाणं चिनार्ण स्यणकरंडगाणं वायकरगाणं पुष्फर्चगेरीणं. एवं जहा सूरियाभस्स, सवचंगेरीओ सवपडलगाईविसेसियतराई भाणियञ्चाई, सीहासणच्छत्तचामरतेडसमुम्गजावसरिसवसमुग्गा तालिजंटा जाव असहस्सं कडुड़गाणं विउति ना साहाविए विउथिए य कलसे जाब कडुच्छुए य गिण्हित्ता जेणेव खीरोदए समुद्दे तेणेव आगम्म खीरोदगं गिण्हति त्ता जाई तत्थ उप्पलाई पउमाई जाव सहस्सपत्नाई ताई गिण्हंति, एवं पुक्खरोदाओ जाव भरहेरखयाणं मागहाईणं तिस्थाणं उदगं महिअं च गिण्हति ता एवं गंगाईर्ण महाणईणं जाव चुहिमवंताओ सचतुयरे सवपुप्फे सवगंधे सचमड़े जाव सचोसहीओ सिद्धत्थए य गिण्हंति ता पउमदहाओ दहोअगं उप्पलादीणि य एवं सत्रकुलपत्रएसु बहुवेअढेसु सव्वमहदहेसु सयवासेसु सब्बचकचट्टिविजएसु वक्खारपब्वएसु अंतरणईसु विभासिजा जाब उत्तरकुरुसु जाच सुदंसणभहसालवणे सव्वतुयरे जाब सिद्धथए य गिव्हंति, एवं गंदणवणाओ सब्यतुयरे जाच सिद्धथए य सरसं च गोसीसचंदणं दिवं च सुमणोदाम गेण्हंति, एवं सोमणसपंडगवणाओ य सब्बतुयरे जाव सुमणसदामं ददरमलयसुगंधे य गिण्हंति त्ता एगओ मिलायति ता जेणेव सामी तेणेव उवागच्छंति ना महत्थं जाव तित्थयराभिसेयं उबट्ठति । १२१॥ तए णं से अञ्चुए देविन्दे दसहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाच आयरक्खदेवसाहस्सीहिं सहि संपvिडे तेहिं साभाविएहिं विउविएहि य बरकमलपइहाणेहिं सुरभिवरवारिपडिपुण्णेहिं चन्दणकयचच्चाएहिं आविद्धकंठेगुणेहिं पउमुष्पलापिहाणेहिं करयलसुकुमारपरिग्गहिएहिं अट्ठसहस्सेणं सोचणियाणं कलसाणं जाव अडसहस्सेणं भोमेजाणं जाव सबोदएहिं सबमहियाहिं सचतुअरेहिं जाय सोसहिसिद्धत्यएहिं सचिड्ढीए जाच खेणं महया २ तित्ययराभिसेएणं अभिसिं८८१ जम्मूदीपयज्ञप्तिः, -4 मुनि दीपरनसागर Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ति, नए णं सामिस्स महया २ अभिसेयंसि वट्टमाणंसि इंदाइया देवा छत्तचामरकलसधूवकडुच्छु अपुप्फगन्धजावहत्थगया हट्ठ जाव कलसूलपाणी पुरओ चिति पंजलिउडा, एवं विजयानुसारेण जाव अप्पेगइया देवा आसि असंमजिओलिनं करेन्नि जाब गन्धवट्टिभूयं अप्पेग हिरण्णवास वासिति एवं सुत्रण्णरयणवइरआभरणपत्तपुष्पफलबी अमलगन्धवण्णजाव चुण्णवासं वासंति, अप्पे० हिरण्णविहिं भाइंति एवं जाव चुण्णविधि भाइंति, अप्पे० विहं बजे बानि नं० ततं विततं घणं सिरं, अप्पे० चउब्विहं गेयं गायंति, तं० उक्खित्तं पायत्तं मन्दाइयं रोइ आवसाणं, अप्पे० चउब्विहं ण णचंति, सं०. अचियं दुयं आरभडं भसोलं, अप्पे० चउब्विहं अभिणयं अभिनंति, तं० दिनंनियं पाडिस्सुइ(इंति) यं सामन्तोववाइयं लोगमज्झावसाणियं, अप्पे० बत्तीसइविहं दिव्वं णट्टविहिं उपदंसेन्ति, अप्पे० उप्पयनिवयं निवयउप्पयं संकुचिअपसारियं जाव भन्तसंभन्तणामं दिव्वं नट्टविहि उपदसति अप्पे तंडवेति अप्पे लासन्ति अप्पे० पीणेन्ति एवं बुकारेंति अप्फोर्डेति वग्र्गति सीणायं णदंति अप्पे सब्वाई करेन्ति अप्पे यहेसियं एवं हत्यिगुलगुलाइयं रघणघणाइयं अप्पे तिष्णिवि, अप्पे० उच्च्छति अप्पे पच्छोलंति अप्पे तिवई छिंदनि पायदद्दरयं करेन्ति भूमिचवेडे दलयन्ति अप्पे महया सहेणं रार्वेति एवं संजोगा विभासियच्या, अप्पे० हकारेन्ति एवं पुकारेन्ति बुकारेन्ति ओवर्यति उप्पयंति परिप्पवंति जलंति तर्वति पयवंति गर्जति विज्जुआयंति वासिंति अप्पे देवकलियं करेन्ति एवं देवकहकहां करेंति अप्पे० देवदुहुहुहुगं करेंति अप्पे० विकिअभूयाइरूवाई विउचित्ता पणबंति एवमाई विभासेजा जहा विजयस्स जाब सबओ समन्ता आहावेति परिधावैति । १२२ । नए णं से अच्चुइदे सपरिवारे सामिं तेणं महया २ अभिसेएणं अभिसिंचइ ना करयलपरिग्गहिअं जाव मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं बद्धावेइ ता ताहिं इहाहिं जाब जयजयसहं परंजति जाव पहलमुकुमान्ाए सुरभीए गन्धकासाईए गायाई रहे ता एवं जाव कप्परुक्खर्गपिव अलंकियविभूसिअं करेइ ता जाव णट्टविहिं उपदंसे ता अच्छेहिं सहेहिं स्ययामएहिं अच्छरसातण्डुलेहिं भगवओ सामिस्स पुरओ अट्टमंगलगे आलिइ नं०दप्पण भासण वमाण वरकस मच्छ सिरिवच्छा। सोत्थि णन्दापत्ता लिहिआ अट्टट्ठमंगलगा ॥ ८० ॥ लिहिऊण करेइ उपयारं, किं ते?, पाडलमलि अचंपगासोगपुना अच्यमंजरिणवमालिअवउलनिलयकणचीरकुक्कुज्जगकोरंटपत्तदमणगवरसुरभिगन्धगंधियस्स कयग्गहगहियकरयलप भविष्यमुकस्स दसवण्णरस कुसुमणियरस्स तत्थ चित्तं जण्णुस्सेहप्यमाणमित्तं ओहिनिकरं करेता चंदष्पभरयणवरवइरवेरुलियाविमलदंडं कंचणमणिरयणभत्तिचित्त का लागुरुपवरकुंदुरुतुरुकधूवगंधुत्तमाणुविद्धं च धूमवहिं विणिम्मुअंतं वेरुलियमयं कडुच्छ्रयं पग्गहित्तु पयएणं पूर्व दाऊण जिणवरिंदस्स सत्तट्ठ पयाई ओसरिता दसंगुलियं अंजलिं करिय मत्थर्यमि पयओ अडसयविसुद्धगन्धजुतेहिं महावित्नेहि अपुणरुतेहि अत्थजुत्तेहिं संथुणइ ता वामं जाणुं अंचे ता जाव करयलपरिम्गाहियं मत्थए अंजलि कट्टु एवं वयासी- णमोऽत्यु ते सिद्धबुद्धणीरयसमणसामाहियसमत्तसम जोगिसागत्तणणिभयणीरागदोसणिम्ममणिस्संगणीसामाणमूरणगुणरयणसीलसागरमणतमप्पमेय भवियधम्मवरचाउरंतचकवट्टी नमोऽत्यु ते अरहओत्तिकट्टु एवं बंद णमंसइ ता णचासण्णे गाइदूरे सुस्सूसमाणे जात्र पजुवासइ, एवं जहा अचुयस्स नहा जाव ईसाणस्सवि भाणिय, एवं भवणवइवाणमन्तरजोइसिया य सूरपजवसाणा सरणं परिवारेणं पत्तेयं २ अभिसिंयंति, तए णं से ईसाणे देविंदे देवराया पञ्च ईसागे विउब्बड़ ता एगे ईसाणे भगवं नित्ययरं करयलसंपुर्ण गिन्हइ ना सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सण्णिसण्णे एगे ईसाणे पिडओ आयवन्तं परेइ दुवे ईसाणा उभओ पासिं थामरुक्खेवं करेंति एगे ईसाणे पुरओ सूलपाणी चिट्टड, तए णं से सके देविंदे देवराया आभिओगे देवे सहावे ना एसोवि नह चैव अभिसे आणति देइ तेऽवि तह चेव उवर्णेति, तए णं से सके देविंदे देवराया भगवओ तित्थयरस्स चउद्दिसिं चत्तारि धवलवसभे विडवेइ सेए संखदलविमलनिम्मलदधिषणगोखीरफेणरयणिगरप्पमासे पासाईए दरसणिजे अभिरू पडिरूवे, तए णं तेसिं चउन्हं धवलवसभाणं अहिं सिंगेहितो अट्ट तोयधाराओ निमाच्छंति, तए णं ताओ अट्ट तोयधाराओं उद्धं बेहासं उप्पयंति एगयओ मिलायंति ता भगवओ तित्थयरम्स मुद्रासि निवयंति, नए र्ण से सके देविंदे देवराया चउरासीईए सामाणियसाहस्सीहिं एयस्सवि तहेव अभिसेज भाणियतो जाव णमोऽत्यु ते अरहओतिकट्टु वंदइ णर्मसह जाय पज्जुवासइ । १२३ । तए णं से सके देविंदे देवराया पंच सके विशद ना एगे सके भयवं तित्ययरं करयलपुडेणं गिन्हइ एगे सके पिटुओ आयवत्तं घरेइ दुवे सका उमओ पासिं चामरुक्खेवं करेंति एगे सके वज्रपाणी पुरओ पगड्ढइ, तए णं से सके चउरासीईए सामाणियसाहस्सीहिं जात्र अण्णेहि य भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिबुडे सविदीए जाव णाइअरवेणं ताए उकिद्वाए जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मणणयरे जेणेव जम्मणभवणे जेणेव तित्ययरमाया नेणेव उवागच्छ ता भगवं तिन्थयरं माऊए पासे ठवे ता तित्थयरपडिरूवगं पडिसाहरइ ता ओसोवणि पडिसाहरइ ता एवं महं लोमजुअलं कुंडलजुअलं च भगवओ तित्थयरस्स उस्सीसगमूले ठवेइ ता एवं महं सिरिदामगंडं तवणिजलंबूसगं सुवण्णपयरगमंडियं णाणामणिरयणविविहहारहारउवसोहिअसमुदयं भगवओ तित्थयरस्स उल्लोयंसि निक्खिवह, तण्णं भगवं तित्थयरे अणिमिसाए दिडीए देहमाणे २ सुहंसुहेणं अभिरममाणे चिह्न, तए णं से सके देविदे देवराया बेसमणं देवं सदावेइ ता एवं वदासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया बत्तीसं हिरण्णकोडीओ बत्तीसं सुवण्णकोडीओ बत्तीसं नंदाई बत्तीसं भदाई सुभगे सुभगसोभग्गरूवजुङ्गणलावण्णेय भगवओ तित्थयरस्स जम्मणभवणंसि साहराहि ना एयमाणत्तियं पचविणाहि, तए णं से वेसमणे देवे सकेणं जाव विणएणं वयणं पडिसुणेइ सा जम्भए देवे सदावेइ ता एवं वदासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! बत्तीसं हिरण्णकोडीओ जाव भगवओ तित्थयरस्स जम्मणभवणंसि साहरह ता एयमाणत्तियं पद्मप्पिणह, तए णं ते जंभगा देवा बेसमणेणं देवेणं एवं वृत्ता समाणा हट्ट जाव खिप्पामेव बत्तीसं हिरण्णकोडीओ जाव भगवओ तित्थगरस्स जम्मणभवणंसि साहरंति त्ता जेणेव बेसमणे देवे जाव पथप्पिति, तए से बेसमणे देवे जेणेव सके देविंदे देवराया जाव पञ्चपिणइ, तए णं से सके देविंदे देवराया अभिओगे देवे सदावेइ सा एवं क्यासी खिप्पामेव भो देवाणुष्पिआ! भगवओ तित्थयरस्स जम्मणणयरंसि सिंघाडगजावमहापहृपहेसु महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वदह- हंदि सुणंतु भवंतो बहवे भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिया देवा य देवीओ अ जेणं देवाणुष्पिा तित्ययरस्स तित्ययरमाऊए वा असुभं मणं पधारेइ तस्स णं अजगमं८८२ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः वक्रखारो-५ मुनि दीपरत्नसागर क http Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जरिभाइच सय(न)या मुदाणं फुटनिकटटु घोसणं घोसेह ना एमाणनिजं पञ्चप्पिणह, नए णं ते आभिओगा देवा जाव एवं देवोत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति ला सकस्स देविंदस्स देवरण्णो अंतिआओ पडिणिस्वमंति ना खिप्पामेव भगवओ नित्थगरम्स जम्मणणगरंसि सिंघाडग जाब एवं वयासी-हंदि मुणतु भनो बर्वे भवणवइ जाव जेणं देवाणुप्पिआ! तित्थयरस्स जाव कुहिहित्तिकद घोसणगं घोसंति ना एमाणत्तिों पच्चप्पिणति, नए ण ने बहने भवणवइयाणमंतरजोइसवेमाणिआ देवा भगवओ नित्थगरम्स जम्मणमहिमं करेंतिना जेणेच णंदीसस्वरदीवे तेणेव उवागमतिना अट्ठाहियाओ महामहिमाओ करति त्ता जामेव दिसि पाउम्भूआ तामेव दिसि पडिगया रिश बुहीवम्स णं भंते ! दीयम्स पदेसा लवणसमुदं पुट्टा ?.हंता पुढा, ने णं भंने! किं जंधुदीचे लवणसमुहे ?, गो जंचुदीचे णं दीवे ते णो खलु लवणसमुद्दे, एवं लवणसमुदस्सवि पएसा जंचुदी पुट्टा भाणि अत्रा, जंबुडीचे ण भंते ! जीवा उदाइना२लपणसमुद्र पचायनि?, गो अत्येगहना पचायति अत्येगइआ नो पचायति एवं लवणस्सवि जंबुद्दीवे अपमिति।१२५॥ खंडा जोअण वासा पाय कूटा य तित्थ सेढीओ। विजय दह सहिलाओ पिटए होई संगहणी ॥८१॥ जंधुदीचे णं भंते ! दीवे भरहप्पमाणमेनेहिं खंडेहि केवइ खंडगणिएणं पं०?, गोणउ खंडसयं खंडगणिएणं पं०, जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइ जोयणगणिएर्ण पं०?, गो! 'सनेव य कोडिसया उभा उटप्पण्ण सयसहस्साई। चउणवई च सहस्सा सयं दिवढं च गणिअपयं ॥८२॥ जंबुद्दीचे णं भंते ! दीये कति वासा पं०?, गो सत्त वासा पं० त०-भरहे एखए हेमचए हिरण्णवए हरियासे रम्मगवासे महाविदेहे. जचुदीये केवइआ पत्रया करइआ कचणपत्रया कराइआ वाखारा कबइआदाहवादा कबइआ पट्टवेअद्धा प०१. गाजचुदीवछ वासहरपपया एगे मंदरे पत्रए एगे चिनकूडे एगे विचिनकडे दो जमगपचया दो कंचणगपश्यसया वीसं वक्वारपवया चोत्तीस दीहवेयदा चत्तारि बट्टवेयदा, एवामेव सपुत्वावरेणं जंबुद्दीचे दुण्णि अउणनरा पत्रयसया भवतीनिमक्सायं, जंबुटीचे केवड्या वासहरकूडा केवइया वक्तारकूडा केवइया वेयडकूडा केवइया मंदरकूडा पं०?, गो०! छप्पणं वासहरकूडा छयाउई वक्खारकूडा तिण्णि छलुत्तरा वेयरकूडसया नव मंदरकूडा पं०. एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे चनारि सनट्ठा कूडसया भयंतीनिमस्सायं, जंबुद्दीवे भरहे वासे कति नित्था पं० १. गो! तो तित्था पं० त०-मागहे वरदामे पभासे, जंबुद्दीवे एखए वासे कति नित्था पं०१, गो! तो तित्था पं० त० मागहे वरदामे पभासे, जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे एगमेगे चकवाट्टिविजए कति तिस्था पं० १. गो०! तओ तित्था पं० तं-मागहे वरदामे पभासे, एवामेव सपुवावरेणं जंबुडीचे एगे विउत्तरे तित्थसए भवतीतिमक्खायं, जंचुटीवे केवडयाओ विजाहरसेढीओ केवइयाओ अभिओगसेडीओ पं०१, गो! चुदीचे अट्ठसट्ठी विजाहरसेडीओ अट्ठसडी आभिओगसेढीओ पं०, एवामेव सपुवावरेणं जंचुडीचे छत्तीसे सेढिसए भवनीनिमक्खायं, जंबुद्दीचे केवइया चकवादिविजया केवड - याओ रायहाणीओ केवइयाओ तिमिसगुहाओ केवइयाओ खंडप्पवायगुहाओ केवइया कयमालया देवा केवइया गट्टमालया देवा केवइया उसभकूडा पं.?, गो! चुदीवे चोलीस चकचट्टिविजया चोचीसं रायहाणीओ चोतीस तिमिसगुहाओ चोनीसं संडप्पवायगुहाओ चोत्तीसं कयमालया देवा चोत्तीसं णट्टमालया देवा चोत्तीसं उसभकूडा पवया पं०, जंचुदीवेणं भंते ! दीवे केवइया महदहा पं०१, गो! सोलस महदहा पं०, जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे केवड्याओ महाणईओ वासहरप्पवहाओ केवइयाओ महाणईओ कंडप्पवहाओ पं०१, गो! चुदीवे चोइस महाणईओ वासहरपवहाओ छावतरि महाणईओ कंपवहाओ, एवामेव सपवावरेणं वहीवेणउती महाणईओ। मक्खायं, जंबुदीचे भरहेरखएम वासेमु कइ महाणईओ पं०?, गोवत्तारि महानईओ पं० २०-गंगा सिंधू रत्ता रत्तवई, तत्थर्ण एगमेगा महाणई चउद्दसहिं २ सलिलासहस्सेहि समग्गा पुरथिमपचत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ, एवामेव सपुधावरेणं जंचुदीवे भरहएखएमु वासेसु छप्पण्णं सलिलासहस्सा भवतीतिमक्खायं, जंचुदीचे णं भंते ! हेमवयहेरण्णवएमु वासेसु कति महाणईओ पं०?, गो! चनारि महाणईओ पं० तं-रोहिना रोहिअंसा सुवण्णकूला कप्पकून्या, तत्थ णं एगमेगा महाणई अट्ठावीसाए २ सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरथिमपचत्यिमेणं लवणसमुई समप्पेइ.एवामेव सपुवावरणं जंबद्दीवे हेमवयहेरण्णवएस वासेस बारसुनरे सलिलासयसहस्से भयंतीतिमासायं, जंचीवे हरिवासर- 1 म्मगचासेसु कइ महाणईओ पं०?. गो! चत्तारि महाणईओ पं० तं-हरी हरिकता नरकंता णारीकंता, तत्व णं एगमेगा महाणई छप्पण्णाए २ सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरन्थिमपचत्यिमेणं लवणसमुदं समप्पेड़, एवामेव सपुत्रावरेणं जंबुहीवे हरिवासरम्मगवासेम दो चउवीसा सलिलासयसहस्सा भवंतीतिमक्खायं, जंचुदीचे महाविदेहे बासे कइ महाणईओ ?, गो०! दो महाणईओ पं० २०-सीआय सीओआ य, तत्व णं एगमेगा महाणई पंचहिं २ सलि. लासयसहस्सेहिं पत्तीसाए य सलिलासहस्सेहिं समग्मा पुरस्थिमपञ्चत्यिमेणं लवणसमुदं समप्पेड़, एवामेव सपुवावरेणं महाविदेहे वासे इस सलिलासयसहस्सा चउसद्धिं च सलिलासहस्सा भवन्तीतिमक्सायं, जंबुद्दीचे मंदरम्स पवयस्स दक्खिणेणं केवइया सलिलासयसहस्सा पुरथिमपचत्थिमाभिमुहा लवणसमुहं समप्पेंति?, गो०! एगे छण्णउए सलिलासयसहस्से पुरथिमपञ्चत्यिमाभिमुहे लवणसमुहं समप्पति, जंबुडीवे मंदरस्स पायस्स उत्तरेणं केवइया सलिलासयसहस्सा पुरस्थिमपचस्थिमाभिमुहा लवणसमुदं समप्पेंति ?, गो! एगे छण्णउए सलिलासयसहस्से पुरस्थिमपञ्चस्थिमाभिमुहे जाव समप्पड़, जंबुहीवे केवइआ सलिलासयसहस्सा पुरथिमाभिमुहा लवणसमुहं समप्पति, गो! सत्त सलिलासयसहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा जाव समप्पेंति, जंबुद्दीचे णं भंते ! दीये केवइ सलिलासयसहस्सा पञ्चस्थिमाभिमुहा लवण०?, गो०! सत्त सलिलासयसहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा जाव समप्पंति, एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीचे चोइस सलिलासयसहस्सा छप्पण्णं च सहस्सा भवतीतिमक्खायं (२६) जंबुद्दीवेणं भंते! कइ चंदा पभासिंसु पभासंति पभासिस्संति कइ सूरिया तबइंसु तति तविस्संति केवइया णक्खता जोगं जोईमु जोयंति जोइस्संति केवइया महग्गहा चारं चरिंसु चरंति चरिस्संति केवइयाओ तारागणकोडाकोडीओ सोभं सोभिंसु सोभति सोभिस्संति?, गो०! दो चंदा पभासिमुदो सूरिया नवइंसु छप्पणं णक्खत्ता जोगं जोइंसु छाबत्तरं महम्गहसर्व चार चरिंसु 'एगं च सयसहस्सं तेत्तीसं खलु मवे सहस्साई। णव य सया पण्णासा तारागणकोडिकोडीणं ॥८३॥१२७१ करणं भंते ! सूरमंडला पं०?, गो! एगे चउरासीए मंडलसए पं०, जंचुदीवे णं भंते ! दीवे केवइयं ८८३ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वारो मुनि दीपरनसागर Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओगाहिना केवइया सूरमंडला पं०?, गो! जंबुद्दीचे असीयं जोयणसयं ओगाहिना एत्य णं पण्णही मुरमंडला पं०, लवणे णं भंते ! समुदे केवइयं ओगाहिता केवइया मुरमंडला पं०१, गो० लवणे समुहे तिणि तीसे जोयणसए ओगाहिना एत्य णं एगुणबीसे सूरमंडलसए पं०, एवामेच सपुत्रावरेणं जंबुद्दीचे लवणे य समुद्दे एगे चुलसीए सूरमंडलसए भवंतीतिमक्खायं । १२८ा सबभतराओ णं भने ! मूरमंडलाओ केवइयं अचाहाए सत्रचाहिरए मूरमंडले पं०?, गो! पंचदसुनरे जोयणसए अचाहाए सबभाहिरए सूरमंडले पं० ॥१२९। सूरमंडलस्स णं भंते ! सूरमंडलस्स य केवइयं अचाहाए अंतरे पं०?, गो! दो जोयणाई अचाहाए अंतरे पं०।१३। मूरमंडले. णं भंते केवड्यं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं केवइयं पाहाणं पं.?, गो अडयालीसं एगसविभाए जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं. सविसेसं परिक्वेवेणं चउवीस जोयणस्स एगसट्ठीभाए चाहलेणं पं०।१३१ । जंबुहीवे णं भंते ! दीवे मंदरम्स पश्यस्स केवइ अचाहाए सबभनरे सूरमंडले पं०१, गो! चोआलीसं जोयणसहस्साई अट्ट य वीसे जोयणसए अबाहाए सबभतरे सूरमंडले पं०, जंचुदीवे मंदरस्स पव्ययस्स केवइयं अचाहाए अभंतराणंतरे मूरमंडले पं०?, गो चोआलीसं जोयणसहस्साई अट्ठय चाचीसे जोयणसए अडयालीसं च एगसहिभागे जोयणस्स अचाहाए अभंतराणतरे सूरमंडले पं०, चुहीवेणं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयाए अबाहाए अभंतरतचे सूरमंडले 40१, गो! चोआलीसं जोयणसहस्साई अट्ट य पणवीसे जोयणसए पणतीसं च एगसट्ठिभागे जोयणस्स अचाहाए अभंतरतचे सूरमंडले पं०. एवं खलु एतेर्ण उवाएर्ण णिक्खममाणे मूरिए तयणतराओ मंडलाओ तयणंतर 01 मंडल संकममाणे २ दो दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले अचाहाचुइिंढ अभिवदेमाणे २ सब्वचाहिर मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, जंचुहीवे मंदरस्स परयस्स केवइयं अबाहाए सत्रबाहिरे सरPA मंडले पं०१. गो! पणयालीसं जोयणसहस्साई तिण्णि य तीसे जोयणसए अचाहाए सबचाहिरे सूरमंडले पं०, जंबुद्दीवे मंदरस्स केवइआए अचाहाए चाहिराणतरे सूरमंडले पं०?, गो०! पणयालीसं जोयणसहस्साई तिण्णि य सत्ताAबीसे जोयणसए तेरस य एगट्ठिभाए जोयणस्स अचाहाए बाहिराणंतरे सूरमंडले पं०, जंचुटीचे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पञ्चयस्स केवइयाए अचाहाए बाहिस्तच्चे सूरमंडले पं०?, गो०! पणयालीसं जोयणसहस्साई निण्णि य चउचीसे जोयणसए छब्बीसं च एगसट्टिभाए जोयणस्स अचाहाए चाहिस्तचे सूरमंडले पं०, एवं खलु एएणं उपाएणं पक्सिमाणे मूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ दो दो जोयणाई अडयालीसं च एगसविभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले अचाहावुदि णिवुद्धमाणे २ सयभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ । १३२॥ जंबुद्दीचे सबभतरे णं भंते! सूरमंडले केवइयं आयामविक्वंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं०?, गो० णवणउई जोयणसहस्साई उथ चत्ताले जोयणसए आयामविश्वंभेणं तिष्णि य जोयणसयसहस्साई पण्णरस य जोयणसहस्साई एगृणणउई च जोयणाई किचिपिसेसाहियाई परिक्खेवणं, अभंतराणंतरेणं भंते ! सूरमंडले केवइयं आयामविक्संभेणं केवइयं परिक्खेवणं पं०?, गो! णवणउई जोयणसहस्साई छच पणयाले जोयणसए पणतीसं च एगसहिभाए जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिष्णि जोयणसयसहस्साई पण्णरस य जोयणसहस्साई एमं च सनुत्तरं जोयणसयं परिक्खेवेणं पं०, अभंतस्तचे णं भंते ! सूरमंडले केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं०?, गो० णवणउई जोयणसहस्साई छच्च एकावण्णे जोयणसए णव य एगट्टिभाए जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिग्णि य जोयणसयसहस्साई - पण्णरस य जोयणसहस्साई एगं च पणवीसं जोयणसय परिक्खेवेणं, एवं खल एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सुरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणतरं मंडलं उपसंकममाणे २पंच२ जोयणाई पणतीसं च एगसहि एगमेगे मंडले विक्संभवृद्धि अभिवढेमाणे २ अट्ठारस २ जोयणाई परिरयबुद्धि अभिवबेमाणे २ सवनाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, सप्नचाहिरए णं भंते ! सूरमंडले केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं०?, गो० एग जोयणसयसहस्सं छच सट्टे जोयणसए आयामविक्वंभेणं तिणि य जोयणसयसहस्साई अट्ठारस य सहस्साई तिषिण य पण्णरसुत्तरे जोयणसए परिक्खेवणं, बाहिराणंतरे णं भंते ! सूरमंडले केवइयं आयामविखंभेणं केवइयं परिक्खेवेर्ण पं०१. गो! एर्ग जोयणसयसहस्सं छच चउपण्णे जोयणसए छत्रीसं च एगसट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिणि य जोयणसयसहस्साई अट्ठारस य सहस्साई दोण्णि य सत्ताणउए जोयणसए परिक्खेवेणं, चाहिरत भंते ! सूरमंडले केवइयं आयामविसंमेण केवइयं परिक्सेवेणं पं०१, गो! एगं जोयणसयसहस्सं उच्च अडयाले जोयणसए चाचणं च एगसद्विभाए जोयणस्स आयामविसंमेणं तिष्णि जोयणसयसहस्साई अट्ठारस य सहस्साई दोणि य अउणासीए जोयणसए किंचिबिसेसाहिए परिक्खेवेणं, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयणंतराओ मंडलाओ तयणतरं मंडलं संकममाणे २पंच २जोयणाई पणतीसंच एगसट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्वं. भवृद्धि णिषुद्देमाणे अट्ठारस २ जोयणाई परिस्यवृद्धि णिबुड्ढेमाणे सबभंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ । १३३। जया णं भंते ! सूरिए सचभंतरं मंडलं उचसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहत्तेणं केवइयं खेतं गच्छइ ?, गो० : पंच२ जोयणसहस्साई दोणि य एगाषणे जोयणसए एगणतीसं च सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मण्सस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवढेहिं जोयणसएहि एगवीसाए य जोयणस्स सट्ठिभाएहिं सूरिए चक्खुष्कासं हवमागच्छइ, से णिक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयमाणे पढ़मंसि अहोरत्तंसि अभंतराणंतरं मंडलं उचसंकमित्ता चार चरइ, जया णं भंते सूरिए अभंतराणंतर मंडलं उपसंकभित्ता चारै चरति तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेले गच्छइ?, गो! पंच २ जोयणसहस्साई दोणि य एगावण्णे जोयणसए सीआलीसं च सहिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसस्स सीआलीसाए जोयणसहस्सेहिं एगणासीए जोयणसएण सत्तावण्णेणं च सहिभाएहिं जोयणस्स सहिभागं च एगसद्विधा छेत्ता एगूणवीसाए चुण्णिाभागेहिं सूरिए चक्नुफासं हनमागच्छइसे णिक्खममाणे सुरिए दोचंसि अहोरतसि अभंतरतचं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं भंते ! सूरिए अम्भंतरतचं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेतं गच्छइ ?, गो! पंच २ जोयणसहस्साई दोण्णि य वाचण्णे जोयणसए पंच य सद्विभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छा, तया णं इहगयस्स मणूसस्स सीआलीसाए जोयणसहस्सेहिं छण्णउईए जोयणेहिं तेत्तीसाए सविभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगसहिया छेत्ता दोहिं चुण्णिआभागेहि सूरिए चक्खुफासं हलमागच्छति, एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ अट्ठारस २ सहिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहत्तगई अभिवड्ढेमाणे २ चुलसीई २(२२१) ८८४ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, cavend मुनि दीपरत्नसागर Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सीआई जोयणाई पुरिसच्छायं णिवेमाणे २ सबबाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चार चरह, जदा णे भंते ! सूरिए सबबाहिरं मंडल उपसंकमित्ता चार चरइ तया ण एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेतं गच्छइ ?, गो०! पंच जोयणसहस्साई तिण्णि य पंचुत्तरे जोयणसए पण्णरस य सद्विभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छा, तया णं इहगयस्स मणूसस्स एगतीसाए जोयणसहस्सेहिं अट्ठहि य एगत्तीसेहिं जोयणसएहिं तीसाए य सट्ठिभाएहिं जोयणस्स सूरिए पक्ष्फास हबमागच्छइ, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे, से सूरिए दोचं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतर मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ, जया णं भंते ! सूरिए पाहिराणं. तरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइअं खेत्तं गच्छइ ?, गो०! पंच जोयणसहस्साई तिणि य चउरुत्तरे जोयणसए सत्तावणं च सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, तया णं इहगयस्स मणूसस्स एगत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं णपहि य सोलसुत्तरेहिं जोयणसएहिं इगुणालीसाए य सद्विभाएहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगसट्ठिया छेत्ता सट्ठीए चुण्णिाभागेहिं सूरिए चक्लुप्फासं हवमागच्छइ, से पविसमाणे सूरिए भवोचंसि अहोरतसि बाहिरतचं मंडलं उपसंकमित्ता चार पर, जया णं भंते ! सूरिए चाहिस्तच्र्च मंडलं उक्संकमित्ता चार चरइ तया णं एगमेगेणं मुहलेणं केयहां खेत्तं गच्छद', गो० पंच जोयणसहस्साई तिषिण य चउत्तरे इजोषणसए गुणालीसं च सद्विभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहत्तेणं गच्छा, तया णं इहगयस्स मणुवस्स एगाहिएहिं बत्तीसाए जोअणसहस्सेहिं एगणपण्णाए य सद्विभाएहिं जोयणस्स सद्विभागं च एगसद्विधा छत्ता तेवीसाए चुण्णिआमाएहि सूरिए बक्सुण्फासं हवमागच्छह, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ अट्ठारस २ सहिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगई निवड्ढेमाणे २ सातिरेगाई पंचासीति २ जोयणाई पुरिसच्छायें अभिवडेमाणे २ सयभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरह, एस णं दोचे छम्मासे एस णं दोश्चस्स उम्मासस्स पजवसाणे एस णं आइये संवच्छरे एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स फ्जवसाणे । १३४ । जया णं भंते ! सूरिए सबभतरं मंडलं उक्संकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालिया राई भवा?, गो०! तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहण्णिा दुवालसमुहुत्ता राई भषाद, से णिक्खममाणे सूरिए गर्व संपच्छरं अयमाणे पढ़मंसि अहोरसि अभंतराणतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं भंते ! सूरिए अभंतराणतरं मंडल उक्संकमित्ता चार चरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालिया राई भवइ ?, गो०! तया णं अट्ठारसमुहूते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहि य एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिआ, से णिक्खममाणे सूरिए दोचंसि अहोरतसि जाच चारै चरति तदा णं केमहालिया राई भवद ?, गो०! तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिआ, एवं खलु एएणं उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणतरं मंडलं संकममाणे २ दो दो एगट्ठिभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले दिवसखित्तस्स निवुद्धेमाणे २ स्यणिखित्तस्स अभिवढेमाणे २ सववाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ, जया णं सूरिए सञ्चभतराओ मंडलाओ सपाहिरे मंडल उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सबभतरमंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइंदिअसएणं तिण्णि छाबढे एगसद्विभागमुहुत्तसए दिवसखेत्तस्स निव्वुद्धता स्यणिखेत्तस्स अभिवुद्धेता चार चरइ, जया णं भंते ! सरिए सबबाहिरं मंडलं उबसंकमित्ता चारं घरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालिया राई भवद ?, गो० तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उकोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुने दिवसे भवइ, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पजवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोचं छम्मास अयमाणे पढमंसि अहोरतसि बाहिराणतरं मंडलं उपसंकामेत्ता चार चरद, जया ण भंते ! सूरिए वाहिराणतरं मंडलं उपसंकमित्ता चार चरह तया ण डा केमहालए दिवसे भवइ केमहालिया राई भवइ ?, गो! अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, से पविसमाणे सूरिए दोश्चंसि अहोरत्तैसि बाहि रतर्ष मंडल उपसंकमित्ता चारं चरह, जया णं मत ! सरिए बाडिरतचं मंडलं उपसंकमित्ता चारं बरहतया । | ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, एवं खलु एएणं उबाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ दो दो एगसविभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले स्यणिखेत्तस्स नियुद्धमाणे २ दिवसखेत्तस्स अभिवृद्धेमाणे २ सञ्चभतरं मंडलं उपसंकमित्ता चार चरख, जया णं सरिए सवजाहिराओ मंडलाओ साम्भंतर मंडलं उपसंकमित्ता चार चरह तया णं सबबाहिरं मंडलं पणिहाय एगेण तेसीएणं राई. विजसएणं तिण्णि छाववे एगसद्विभागमुहृत्तसए रयणिखेत्तस्स णिवुद्धत्ता दिवसखेत्तस्स अभिववेत्ता चारं चरइ, एस दोचे छम्मासे एस णं दुचस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आइये संवच्छरे एस र्ण आइबस्स संवचछरस्स पजवसाणे । १३५। जया णं भंते ! सूरिए सव्यम्भंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं किंसंठिआ तावखित्तसंठिई पं०१, गो० उद्धीमुहकलंबुआपुष्पसंठाणसंठिआ तारखेत्तसंठिई पं० अंतो संकुआ बाहिं वित्थडा अंतो वट्टा बाहिं पिहला अंतो अंकमुहसंठिा बाहिं सगडुडीमुहसंठिआ उभओ(प० अवहो)पासे णं तीसे दो चाहाओ अवडिआओ हवंति पणयालीसं २ जोयणसहस्साई आयामेणं, दुवे य णं तीसे चाहाओ अणवद्विआओ हवंति, सं०-सत्रभंतरिया चेष वाहा सव्वबाहिरिया चेव बाहा, तीसे णं सव्वम्भंतरिया पाहा मंदरपब्वयंतेणं णवजोयणसहस्साई चत्तारि छलसीए जोयणसए णच य दसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, एस णं भंते ! परिक्खेवविसेसे कओ आहिएत्ति बएजा?, गो०! जे णं मंदरस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं तिहिं गुणेत्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस परिक्खेवविसेसे आहिएत्ति वदेजा, तीसे णं सत्रबाहिरिआ चाहा लवणसमुहंतेणं चउणवई जोयणसहस्साई अट्ठय सट्टे जो. वेणं, सेणं भंते! परिक्खेवविससे कओ आहिएत्ति वएजा, मो०! जेणं जंबुद्दीवस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं तिहिं गुणेत्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे आहिएत्ति वएजा, तया णं मंते ! तावखित्ते केवइजं आयामेणं पं०१, गो०! अहहत्तरिजोयणसहस्साई तिषिण य तेत्तीसे जोयणसए जोयणस्स विभागं च आयामेणं पं०, 'मेरुस्स मज्झयारे जाव य लवणस्स कंदछम्भागो। तावा८८५ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः rand मुनि दीपरत्नसागर Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यामो एसो सगहुदीसंठिो नियमा ॥ ८४॥ तया णं भंते ! किंसंठिया अंधकारसंठिई पं०?, गो०! उदीमुहकलंबुआपुष्फसठाणसंठिआ अंधकारसंठिई ५० अंतो संकुत्रा चाहिं वित्थडा त चेष जाव तीसे णं सवभंतरिआ याहा मंदरपचयंतेणं छजोयणसहस्साई तिणि य पाउबीसे जोयणसए उप सभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, से णं भंते! परिक्खेवविसेसे कओ आहि०१. गो! जे णं मंदरस्स पश्यस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं दोहिं गुणेत्ता वसहिं छेत्ता दसहिं मागे हीरमाणे एस णं परिक्खेवविसेसे आहि०, तीसे णं समाहिरिया पाहा लवणसमुईतेणं तेसट्ठी जोयणसहस्साई दोषिण य पणयाले जोयणसए उब दसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, से णं भंते ! परिक्वेवबिसेसे कओ आहि०?. टागोजे णं जंपनीवस्स परिक्लेवे तं परिक्खे दोहिंगणेत्ता जाधव, तया णं भते! अंधयारे केवइए आयामेणं पं०?, गो अहहत्तार जोयणसहस्साई तिष्णि य तेत्तीस जोयणसए जोयणतिभागं च आयामेणं पं०, जया णं 2 मंते ! सूरिए सावाहिरमंडलं उपसंकमित्ता चारं घरह तया णं किंसंठिया तावक्खित्तसंठिई ५०?, गो०! उद्धीमुहकलंयुयापुष्पसंठाणसंठिया पं०, तं चेव सवं याचं णवरं णाणत्तं जं अंधयारसंठिईए पुश्ववणियं पमाणं तं तापखिससं - ठिईए णेय जं-तापखित्तसंठिईए पुष्षषणियं पमाणं तं अंधयारसंठिईए णेयध्वं । १३६। जंबुद्दीवे सूरिआ उग्गमणमुहुत्तंसि तूरे य मूले य दीसंति मज्झतिअमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसति अत्थमणमुहुर्ससि दूरे य मूले य बीसंति ?, हंता गो० ते व जाय वीसंति, जंपुदीचे सूरिआ उम्मामणमुहुरासि य ममंतिअमुहुर्ससि य अस्थमणमुहुर्तसि य सम्वत्य समा उच्चत्तेणं ?, हंता तं चेष जाव उच्चत्तेणं, जहणं भंते ! जंपुदीये मुरिआ उग्गमणमुहुर्ससि य मझ• अस्थ० सव्वस्थ समा उचतेणं फम्हा गं भंते ! जंपुदीचे सूरिया उग्गमणमुहुर्तसि दूरे य मूले य दीसंति०, गो०! लेसापडियाएर्ण उग्गमणमुहुर्तसि दूरे य मूले य दीसति लेसाहितावेणं ममंतिअमुहुर्ससि मूले य दूरे य दीसति लेखापडियाएणं अस्थमणमुहुर्ससि दुरे य मूले यदीसंति, एवं खलु गो० तं चेव जाव दीसंति।१३७। जंबुद्दीवे सूरिआ कि तीअं खेतं गच्छंति पटुप्पणं खेतं गच्छन्ति अणागयं खेत्तं गच्छन्ति?, गो० णो तीअं खेतं गच्छन्ति पडुप्पणं खेत्तं गच्छन्ति णो अणागय खेत्तं गच्छन्ति, तं भंते ! किं पुढे गच्छति जाच नियमा छदिसिं, एवं ओभासेंति, तं भंते! किं पुढे जोभासेंति?, एवं आहारपयाई णेयवाई 'पुडो(पटुं)गाढमणतरमणुमहजादिविसयाणपुच्ची य, जाव णियमा छरिसिं, एवं उज्जोति तति पभासेंति।१३८ा जंबुदीचे सूरियाणं किं तीते खित्ते किरिया कजइ पप्पणे० अणागए.?, गो०! णो तीए खित्ते किरिया कजइ पटुप्पपणे कजइ णो अणागए. सा मंते! कि पट्टा कजा अपठा०१, गो० पट्ठा णो अपट्टा कजा जाब णियमा उहिसि । १३९। जंहीवे मूरिया केवइयं खेतं उदं तवयंति अहे तिरियं च?, गो! एग जोयणसयं उदं तवयंति अवारसजोयणलयाई अहे तपयंति सीयालीसं जोयणसहस्साई दोष्णि य तेवढे जोयणसए एगवीसं च सद्विभाए जोयणस्स तिरियं तवयंति।१४०। अंतो णं मंते ! माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स जे चंदिमसूरियगहगणणक्खत्ततारारुवा ते णं भंते ! देषा किं उद्योबवण्णमा कप्पोषषण्णगा विमाणोक्षण्णगा चारोवषण्णगा चारद्विईया गइरहया गइसमावण्णगा?, गो०! अंतो णं माणुसुत्तरस्स पायस्स जे चंदिमसूरियजावतारारूवा ते ण देवा उद्घोवषण्णगा णो कप्पोषवण्णगा विमाणोक्षणगा चारोषवष्णगा णो चारविश्या गइहया गइसमावण्णगा, उदीमुहकलं यापुष्पसंठाणसंठिएहिं जोयणसाहस्सिएहिं तावखेत्तेहि, साहस्सियाहिं सयसाहस्सियाहिं येउपियाहिं वाहिराहिं परिसाहिं महयाहयणगीयवाइयतंतीतलतालतुडियषणमुइंगपडुप्पचाइयरवेणं दिवाई भोगभोगाई मुंजमाणा महया उक्किडिसीहणायचोलकलकलरवेणं अच्छं पश्यरायं पयाहिणावत्तमण्डलचारं मेलं अणुपरिषद॒ति । १४१॥ तेसिं गं भंते ! देवाणं जाहे ईद ए भवद से कहमिबाणिं पकरेंति ?, गो०! ताहे पत्तारिपंच सामाणिजा देवा तं ठाणं उपसंपजित्ताणं विहरति जाव तत्थ अण्णे इंदे उववष्णे भवइ, ईदहाणे णं मंते! केवइअं कालं उववाएणं विरहिए पं०?, गो० जह० एग समयं उको उम्मासे उषाएर्ण विरहिए पं०, बहिया णं भंते ! माणुमुत्तरस्स पचयस्स जे चंदिमजावतारारूवा ते चेव अयं णाणत्तं विमाणोचवण्णगा णो चारोषवण्णगा चारठिईआ णो गइरइजा णो गइसमावण्णगा, पक्ट्ठिगसँठाणसैठिएहिं जोजणसयसाहस्सिएहिं तावखित्तेहि, सयसाहस्सिाहिं वेउब्विाहिं बाहिराहिं परिसाहिं महयाहयण जाव भुंजमाणा सुहलेसा मन्दलेसा मन्दातवलेसा चित्तंतरलेसा अण्णोष्णसमोगाढाहिं लेसाहिं कूडाचिव ठाणठिा सबओ समन्ता ते पएसे ओभासति उज्जोति तति पभासेन्ति, तेसिं णं भंते ! देवाणं जाहे इंदे चुए भवइ से कहमियाणि पकरेन्ति जाव जह० एकं समयं उक्को छम्मासा । १४२। कइ णं भंते! चंदमण्डला पं०?, गो०! पण्णरस चंदमण्डला ५०, जंबुहीये केवाइयं ओगाहित्ता केवइया चंदमण्डला पं०१, गो० जंबुद्दीये असीयं जोयणसयं ओगाहित्ता पंच चंदमण्डला पं०, लवणे णं भंते ! पुच्छा, गो०! लवणे णं समुद्दे तिणि तीसे जोयणसए ओगाहित्ता एत्य णं दस चंदमंडला पं०, एषामेव सपुशावरेणं जंचुडीवे लषणे य समुहे पण्णरस चंदमंडला भवतीतिमक्खाय । १४३। सबभंतराओ णं भंते ! चंदमंडलाओ केवइयं अवाहाए सव्ववाहिरए चंदमंडले पं०?, गो० पंचदसुत्तरे जोयणसए अचाहाए सबषाहिरए चंवमंडले पं०।१४४ाचंदमंडलस्स णं मंते! चंदमंडलस्स य केवइयं अचाहाए अंतरे पं०?, गो०! पणतीसं २ जोयणाई तीसं च एगसट्ठिभाए जोयणस्स एगसहिभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि बुण्णियामाए बंदमंडलस्स २ य अबाहाए अंतरे पं०।१४५। चंदमंडले णं भंते ! केवइयं आयामविक्रमेण केवइयं परिक्खेवणं केवइयं पाहाडेणं पं०?, गो०! छप्पण्णं एगसहिभाए जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अट्ठावीसं च एगस. ट्ठिभाए जोयणस्स चाहलेणं । १४६। जंबुद्दीवे मंदरस्स पश्यस्स केवइयं अचाहाए सबभंतरं चन्दमंडलं पं०?, गो०! चोयालीसं जोयणसहस्साई अट्ट य वीसे जोअणसए अचाहाए सव्वम्भंतरए चन्दमंडले पं०, जंबुद्दीवे मंदरस्स केवइयं अबाहाए अभंतराणतरे चंदमंडले ५०?, गो चोयालीसं जोयणसहस्साई अट्ठ य छप्पण्णे जोअणसए पणवीसं च एगसट्ठिभाए जोअणस्स एगढिभार्ग च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुण्णिाभाए अचाहाए अम्भतरार्णतरं चन्द्रमंडलं पं०, जंबुद्दीचे मंदरस्स पश्यस्स केवइयं अचाहाए अभंतरतचं मंडलं पं०?, गो! चोआलीसं जोअणसहस्साइं अट्ठय वाणउए जोअणसए एगावण्णं च एगसट्ठिभाए जोअणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता एग चुण्णिआभागं अचाहाए अभंतरतचे चंदमंडले पं०, एवं खल एएणं उवाएणं मिक्सममाणे चंदे तयाणन्तराओ मंडलाजो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे २ उत्तीसं २ जोषणाई पणवीसं च एगढिमाए जोयणस्स एगविभागं च सत्तहा ८८६ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वारी.. मुनि दीपरनसागर Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छेत्ता पत्तारि चुणिजाभाए एगमेगे मंडले अचाहाए पनि अभिवडेमाणे २ सबबाहिरं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरइ, जंबुहीवे मंदरस्स पञ्चयस्स केवइयं अबाहाए सञ्चबाहिरे चंदमंडले पं०?, पणयालीसं जोअणसहस्साई तिणि यि तीसे जोअणसए अवाहाए सञ्चबाहिरए चंदमंडले ५०, जम्बुद्दीवे मन्दरस्स पञ्चयस्स केवइयं अवाहाए वाहिराणन्तरे चंदमंडले पं०१, गो०! पणयालीसं जोयणसहस्साई दोण्णि य तेणउए जोयणसए पणतीस च एगविभाए जोषणस्स एगदिठमार्गच सत्तहा छेत्ता तिण्णि चुण्णिाभाए अवाहाए वाहिराणन्तरे चंदमंडले ५०, जंचुडीवे दीवे मन्दरस्स पञ्चयस्स केवइयाए अथाहाए पाहिरतचे चंदमंडले ५०१, गो०! पणयालीसं जोयणसहस्साई दोणि Fय सत्तावणे जोयणसए णव य एगदिमागे जोयणस्स एगद्विभार्ग च सत्तहा छेत्ता छ चुण्णिाभाए अचाहाए चाहिस्तचे चंदमंडले ५०, एवं खलु एएणं उपाएणं पविसमाणे चंदे तयाणन्तराओ मंडलाओ तयाणतरं मंडल संक. |ममाणे २ छतीसं २ जोअणाई पणवीसं च एगसद्विभाए जोयणस्स एगट्ठिभागं च सत्तहा छेत्ता चत्तारि चुण्णिाभाए एगमेगे मंडले अथाहाए बुद्धि णिदेमाणे २ सयभंतर मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ । १४७ । समभंतरे गंमत! चंवर्मडले फेवा आयामविक्खम्मेणं केवइ परिक्खेवर्ण पं०?, गो०! णवण उई जोयणसहस्साई उच्च चत्ताले जोयणसए आयामविक्खम्भेणं तिषिण य जोयणसयसहस्साई पण्णरस य जोयणसहस्साई अउणाणउर्ति च 2जोयणाई किंचिबिसेसाहिए परिक्खेवणं, अभ्भन्तराणंतरे सा चेव पुच्छा, गो०! णवणउई जोयणसहस्साई सत्त य वारसुत्तरे जोयणसए एगावणं च एगट्ठिभागे एगट्ठिभागं च सत्तहा छत्ता एग चुण्णिाभार्ग आयामविक्खम्भेणं प्रतिष्णि यजोयणसयसहस्साई पचर सहस्साई तिष्णि य एगणवीसे जोयणसए किंचिबिसेसाहिए परिक्खेवेणं, अभंतस्तच्चेणं जावपं०१, मो०! णवणउई जोयणसहस्साई सत्तय पचासीए जोअणसए इगतालीसं च एगविभाए जोयणस्स एगद्विभार्ग च सत्तहा छेत्ता दोणि य चुण्णिाभाए आयामविक्खम्भेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साई पण्णरस जोयणसहस्साई पंच य इगुणापण्णे जोयणसए किंचिबिसेसाहिए परिक्खेवणं, एवं स्खलु एएर्ण उवाएणं णिस्वमधमाणे चंदे जाप संकममाणे २ बावत्तरि २ जोअणाई एगावणं च एगविभाए जोअणस्स एगविभागं च सत्तहा छेत्ता एगेच चुण्णिाभार्ग एगमेगे मंडले विक्खंभवृदि अभिवढेमाणे २ दो तीसाई जोयणसयाई परित्यत्रुदि अभि बढेमाणे २ सबबाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ, सबबाहिरए णं भंते! चन्दमंडले केवइयं आयामविक्खम्भेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं०१, मो० एगंजोयणसयसहस्सं छच सट्टे जोयणसए आयामविक्खम्मेणं तिण्णि जोयणसयसइस्साई अवारस सहस्साई तिमिय पण्णरसुत्तरे जोअणसए परिक्खेवणं, वाहिराणन्तरेण पुच्छा, गो०! एर्ग जोअणसयसहसं पत्र सत्तासीए जोयणसएणव य एगट्ठिभाए जोयणस्स एगट्ठिभार्ग च सत्तहा छेत्ता छ चुण्णिाभाए आयामविक्खम्भेणं तिण्णि य जोयणसयसहस्साई अट्ठारस य सहस्साई पंचासीईच जोयणाई परिक्खेवेणं, वाहिरतचे णं भंते ! चन्दमंडले० पं०१, गो० एगं जोअणसयसहस्सं पंच य चउदसुत्तरे जोयणसए एगणवीसं च एगसहिभाए जोअणस्स एगद्विभार्ग च सत्तहा छेत्ता पंच चुण्णिाभाए आयामविकखम्भेणं तिणि य जोयणसयसहस्साई सत्तरस सहस्साई अट्ठयपणपणं जोअणसए परिकखेवेणं, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे चंदे जाव संकममाणे २ पावत्तरि जोअणाई एगावणं च एगढिमाए जोअणस्स एगद्विभार्ग च सत्तहा छेत्ता एगं चुण्णिाभार्ग एगमेगे मण्डले विक्सम्भवुद्धिं णिबुद्धेमाणे २ दो तीसाई जोअणसयाई परियवृद्धि णिवुद्देमाणे २ सबभतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरह।१४८। जया णं भंते ! पन्चे समग्भन्तरमंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्ते केवइ खेत्तं गच्छइ?, गो०! पंच जोयणसहस्साइं तेवत्तरिंच जोयणाइं सत्तत्तरिंच चोआले भागसए गच्छइ मंडलं तेरसहिं सहस्सेहिं सत्तहि य पणवीसेहिं सएहि छेत्ता, तया णं इहगयस्स मणुयस्स सीआलीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवढेहिं जोयणसएहिं एगवीसाए य सद्विभाएहिं जोयणस्स चन्दे चक्खुप्फासं हसमागच्छइ, जया णं भंते ! चन्दे अम्भन्तराणन्तरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं घरह जाय केवइज खेत्तं गच्छइ ?, गो ! पंच जायणसहस्साई सत्तत्तरिं च जोयणाई छत्तीसं च चोवत्तरे भागसए गच्छद मंडलं तेरसहिं सहस्सेहिं जाव छेत्ता, जया णं भंते! चन्दे अभंतरतचं मंडलं उवसंक. मित्ता चार घर तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइ खेतं गच्छह?, गो०! पंच जोयणसहस्साई असीईच जोयणाई तेरस य भागसहस्साई तिण्णि य एगणवीसे भागसए गच्छद मंडलं तेरसहिं जाव छेत्ता, एवं खलु एएणं उवाएणं जिक्सममाणे बन्दे तयाणन्तराओ जाव संकममाणे २ तिष्णि जोयणाई छण्णउई च पंचावण्णे भागसए एगमेगे मंडले मुहुत्तगई अभिवढेमाणे २ सव्ववाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं मंते ! चंदे सबबाहिरं मंडलं a उपसंकमित्ता चारं घरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेतं गच्छद?, गो० पंच जोयणसहस्साई एगं च पणवीसं जोयणसर्य अउणत्तरिं च णउए भागसए गच्छइ मंडलं तेरसहिं भागसहस्सेहिं सत्तहि य जाव छेत्ता, तया णं गयस्स मणसस्स एकतीसाए जोयणसहस्सेहिं अहहिय एगत्तीसेहिं जोयणसएहिं चंदे चक्सुफासं हवमागच्छइ, जया णं भंते! बाहिराणतरं पुच्छा, गो०! पंच जोयणसहस्साई एकवीसउत्तरं जोयणसय एकारस य सट्टे भागसहस्से गच्छड़ मंडलं तेरसहिं जाव छेत्ता, जया णं भंते ! बाहिरतचं पुच्छा, मो० पंच जोयणसहस्साई एर्ग च अट्ठारसुत्तरं जोयणसयं चोइस य पंचुत्तरे भागसए गच्छद मंडलं तेरसहिं सहस्सेहिं सत्तहिं पणवीसेहिं सएहिं छेत्ता, एवं खलु एएणं उवाएणं जाव संकममाणे २ तिणि २ जोयणाई छण्णउतिं च पंचावणे भागसए एगमेगे मंडले मुहुत्तगई णिवुढेमाणे २ सयभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ । १४९। कइ णं भंते! णक्खत्तमंडला पं०१, गो! अट्ठ णक्खत्तमंडला पं०, जंयुदीवे केवइयं ओगाहित्ता केवइया णक्खत्तमंडला पं०?, गो० जंबुद्दीवे असीयं जोयणसयं ओगाहेत्ता एल्थ णं दो णक्खत्तमंडला पं०, लवणे णं समुद्दे केवइयं ओगाहेत्ता केवइया णक्खत्तमंडला पं०१, गो०! लवणे णं समुहे तिण्णि तीसे जोयणसए ओगाहित्ता एत्य णं छ णक्खत्तमंडला पं०, एवामेव सपुत्रावरेणं जंबुद्दीवे लवणसमुदे य अट्ट णक्खत्तमंडला भवंतीतिमक्खायं, सबभंतराओ णं भंते! गक्खत्तमंडलाओ केवइयं अचाहाए सावाहिरए णक्वत्तमंडले पं०१, गो०! पंचदसुत्तरे जोयणसए अबाहाए सप्तवाहिरए णक्खत्तमंडले पं०, णक्खत्तमंडलस्स णं भंते ! णक्खत्तमंडलस्स य एस णं केवइयं अचाहाए अंतरे पं०१, मो०! दो जोयणाई णक्ख. समंडलस्स य णक्खत्तमंडलस्स य अचाहाए अंतरे पं०, णक्खत्तमंडले णं भंते ! केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं केवइयं चाहल्लेणं पं०?, गो०! गाउयं आयामविक्रमेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्लेवेणं अगाउयं ८८७ जम्बूढीपपज्ञप्तिः रो -3 मुनि दीपरत्नसागर Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाहाणं पं० जंबूरीचे मंदरम्स पश्यम्स केवइयं अचाहाए सबभंतरे णकखत्तमंडले पं० १. गो० ! चोयालीसं जोयणसहस्साइं अट्ठ य वीसे जोयणसए अचाहाए सतरे णक्खनमंडले पं० जंधुरीचे मंदरस्त पश्यम्स केवइयाए अचाहाए सवाहिरए णफसनमंडले पं० १. गो० पणयालीसं जोयणसहम्साइं निणय तीसे जोयणसए अवाहाए सङ्घबाहिरए णक्सनमंडले पं०. सभंतरं णक्खत्तमंडलं केवयं आयामविभेण केवड्यं परिक्षेत्रेणं पं० १. गो० णवण जोयणसहस्साइं उम चनाले जोयणसए आयामविकसंमेणं निण्णि य जोयणसयसहम्साई पण्णरस सहस्साई एगुणवनिंच जोयणाई किंचिविसेसाहिए परिवेषेणं पं वाहिरए णं भंते! णक्खनमंडले केव आयामचिक्स मेणं केवइयं परिक्रये येणं पं० १. गो! एवं जोयणसयसहम्सं उच्च सडे जोयणसए आयामविसंभेणं निष्णि य जोयणसयसहस्साई अट्टारस य सहस्साइं निष्णि य पण्णरत्नरे जोअणसए परिवेवेणं, जया ण भने ! णवत्ते सामंतरमंडल उवसंकमिना चारं चरइ तया णं एगमेगेणं मुहनेणं केवइयं खेनं गच्छ ? गो० पत्र जोयणसहस्साई दोणि य पण्णट्टे जोअणसए अट्टारस य भागसहम्से दोणि य तेवढे भागसए गच्छ मंडल एक बीसाए भागसहम्सेहिं णवहि य सहिं सएहिं लेता, जया णं भंते! णक्खने सबबाहिर मंडल उपसंकमिता चारं चरइ नया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेनं गच्छ ? गो० पञ्च जोअणसहस्साई निष्णिय एगूणवीसे जोयणसए सोन्स भागसहम्सेहिं निष्णि य पण्णडे भागसए गच्छद मंडलं एगवीसाए भागसहस्सेहिं णवहिय सहिं सएहिं छेना, एते णं अट्टणक्खनमंडन्टा कतिहि चंदमंडलेहिं समोअरंनि ? गो० अटलहिं चंदमंडळे समोअनि नं०पढमे चंदमंडले ननिए छठे सनमे अठमे इसमे इकारसमे पण्णरसमे चंदमंडले, एगमेगेणं भंते! मुहुत्तेणं चंदे केवइयाई भागसयाई गच्छइ ? गो० जं जं मंडलं उवसंकमिला चारं चरइ नम्स २ मंडलपरिम्स सनरस अल भागसएच्छे मंडल सयसहम्सेणं अट्ठाणउईए य सएहिं छेना. एगमेगेणं भंते! मुहत्तेणं सूरिए केपइआई भागसवाई गच्छ गो० जं जं मंडल उपसंक्रमिता चारं चरई तस्स २ मंडलपरिकखेवम्स अट्ठारसनीसे भागसए गच्छ मंडल सयसहम्सेणं अठाणउनीए य सएहिं लेता. एगमेगेणं भंते! मुहणं णक्वतं केवइयाई गच्छइ ?, गो० जं जं मंडल उवसंकमित्ता चारं चरइ तस्स २ मंडलपरिवेक्स्स अट्ठारस पणनी से भागसए गच्छ मंडल ससहस्सेणं अड्डाण उईए य सएहिं छेना १५० । जत्रुदीचे सूरिआ उदीणपाईणमुग्गच्छ पाईणदाहिणमागच्छति पाईणदाहिणमुग्गच्छ दाहिणपडीणमागच्छति दाहिणपडीणमुग्गच्छ पटीण उदीणमागच्छंत पडीणउदीणमुग्गच्छ उदीणपाईणमागच्छति? हंता गो जहा पंचमसए पढमे उसे जाव णेत्रत्थि उस्सप्पिणी अवट्टिए णं तत्थ काले पं० समणा उसो !. इचेसा जंबुद्दीवपण्णत्तीए सूरपण्णत्ती वत्युं समासेणं समता भवइ, जंबूदीचे चंदिमा उदीणपाईणमुग्गच्छ पाईणदाहिणमागच्छति जहा मूरयत्तत्रया जहा पंचमसयस्स दसमे उसे जाब अबट्टिए णं तत्थ काले पं० समणाउसो, इचेसा जंबुद्दीवपण्णत्तीए चंदपण्णत्ती वत्युं समासेणं समता भवइ । १५१ । कनिर्ण भंते पं० १. गो० पंच संवछरा पं० नं०णक्खत्तः जुगः पमाण लकखण सणिच्छरसं वच्छरे णक्खत्तसंवच्छरे णं भंते! कवि पं० १. गो० ! दुवालसविहे पं० नं०-सावणे जाव आसाढे, जं वा चिफई महग्महे दुवालसहि संहिं सव्वणक्लत्तमंडलं समाणेइ सेतं णक्खत्तसंयच्छरे, जुगसंच्छरे णं भंते! कतिविहे पं० १. गो०! पंचविहे पं० सं० चंद्रे चंदे अभिवद्धिए चंद्रे अभिवद्धिए चेव, पढमम्स णं भंते! चंदवरम्स कपच्या पं० १. गो० ! चोवीसं पव्वा पं०, चितियस्स णं भंते! चंदसंच्छरस्स कइ पव्वा पं० १. गो० चडब्बीसं पव्वा पं० एवं पुच्छा, ततियस्स अभि०, गो० छब्बीसं पब्वा पं० चउत्थस्स चंदसंच्छरम्स चोवीसं पव्वा, पंचमम्स णं अहिवदियस्स छब्बीसं पवा पं० एवामेव सपुण्यावरेणं पंचसवच्छरिए जुए एगे चब्बीसे पञ्चसए पं० सेत्तं जुगसंबच्छरे, पमाणसंच्छरे णं भंते! कतिविहे पं० १. गो० पंचविहे पं० नं० णकसने चंदे उऊ आइचे अभिवदिए. सेनं पमासंवच्छ, लवणसंचच्छरे णं भंते! कतिविहे पं० १. गो० पंचविहे पं० [सं०] समयं नक्खत्ता जोगं जोएंति उऊ परिणमंति णमुण्ह णाइसीओ बहूदओ होइ णक्खते ॥ ८५ ॥ ससि समग पुण्णमासि जोएनी विसमचारिण खत्ता कटुओ बहूओ या तमाहु संच्छरं चंदं ॥ ८६ ॥ विसमं पचालिणो परिणमंति अणुऊखु दिति पुष्फफलं। वासं न सम्म वासइ तमाहु सवच्छर कम्मं ॥ ८७ ॥ पुढविदगाणं च रसं पुण्फफलाणं च देड आइचो अप्पेणव वासे सम्म निष्फलए सस्सं ॥ ८८ ॥ आइचतेयतत्रिया खणलवदिवसा उऊ परिणमति पूरेइ णिण्णयथले तमाहु अभिवद्धियं जाण ॥ ८९ ॥ से तं णक्खनसंवछरे, सणिसंच्छरे णं भने कनिविहे पं० ? गो० ! अट्ठावीसविहे पं० नं * अभिई सवण पणिट्टा सयभितया दो य होंति भवया रेवइ अस्सिणि भरणी कत्तिय तह रोहिणी क्षेत्र ॥ ९० ॥ जाब उत्तराओ आसाढाओ जं वा सणिबरे महग्गहे तीसाए संच्छरेहिं स णक्खनमंडल समाणेइ, सेनं सणिम रच्छरे । १५२। एगमेगस्स णं भंते! संगच्छरस्स कइ मासा पं० १. गो०! दुबालस मासा पं० तेसिं णं दुबिहा णामभेजा पं० नं०- लोइआ लोउत्तरिआ य, तत्थ लोइआ णामा इमे तंत्र-सावणे भहवए जाब आसाटे, लोउनरिआ णामा इमे नं० अभिनंदिए पइडे य. विजए पीइवदणे असे य सिवे चैव सिसिरे य सहेमवं ॥ ९१ ॥ णवमे वसंतमासे, दसमे कुसुमसंभवे एकारसे निदाहे य, वणविरोही य वारसे ॥ ९२ ॥ एगमेगस्स णं भने मासम्स कति पक्खा पं० १. गो० दो पक्खा पं० तं बहुलपक्खे य सुकिलपकखे य. एगमेगस्स णं भंते पक्खस्स कइ दिवसा पं०१, गो० पण्णरस दिवसा पं० नं० पडिवादिवसे जाव पण्णरसीदिवसे एनेसि णं भने पण्णरसण्टं दिवसाणं कइ णामभेजा पं० १. गो०! पण्णरस नामजा पं० नं० पुगे सिद्धमणोरमे य तत्तो मणोरहे चैव जसभडे य जसधरे छडे सङ्घकामसमिदे य ॥ ९३ ॥ ईद मुद्धाभिसिने य सोमणस पर्णजए य बोदवे अत्यसिदे अभिजाए असणे सयंजए चैव ॥ ९४ ॥ अगिवेसे उसमे दिवसाणं होति णामधेजाई. एतेसिं णं भने पण्णरसहं दिवसाणं कति निही पं० १. गो०! पण्णरस तिही पं० नं०नंदे महे जए तुच्छे पुण्णे पक्सस्स पंचमी पुणरवि गंदे भडे जए तुम पुणे पक्वम्स दसमी पुणरचि णंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स पण्णरसी. एवं तिगुणा तिहीओ सबेसि दिवसाणं, एगमेगस्स णं मंते पक्खस्स कइ सईओ पं० १. गो०! पण्णरस राईओ पं० नं० परिवाराई जाय पण्णरसीराई. एआसि णं भंते! पण्णरसहं राईणं कइ णामधेजा पं०१, गोः पण्णरस नामभेजा पं० तं० उत्तमा य सुणक्खत्ता, एलावचा जसोहरा सोमणसा चैव तहा, सिरिसंभूआ य बोदवा ॥ ९५ ॥ विजया य वैजयन्ती जयंति अपराजिआ य इच्छा य समाहारा चैव तहा तेआ य तहेब अईते ॥ ९६ ॥ देवाणंदा गिरई रयणीणं णामधिजाई, एयासिं णं भंते! पण्णरसहं राई कइ तिही पं० १. गो! पण्णरस तिही पं० तं० उगवई भोगवई जसबई (२२२) ८८८ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वपसारो-3 " मुनि दीपरत्नसागर Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8 साथ()सिद्धा सुहणामा पुणरवि उम्गवई भोगवई जसवई सवसिद्धा मुहणामा, पुणरवि उम्गवई भोगवई जसबई सव्वसिद्धा मुहणामा, एवं तिगुणा एते तिहीओ सबेसि राईणं, एगमेगस्स णं भंते ! अहोरत्तस्स कइ मुहत्ता पं०?, गो० नीस मुहुना पं० २० रहे सेए मित्ने बाउ सुची(पी)ए नहेब अभिचंदे। माहिंदचलव बभे पहुसच्चे चेव ईसाणे ॥९७॥ तठे य भाविअप्पा वेसमणे वारुणे य आणंदे। बिजए य वीससेणे पायावच्चे उपसमे य॥९८॥ गंधव अग्गिवेसे सवपसहे आयवेय त्रममे या अणचं भोमे वसहे सवढे रक्खसे चेच॥९९॥१५३। कइणं भंते ! करणा पं०१, गो! एकारस करणा पं० २०-बवं बालचं कोलवं थीविलोअणं गराइ वणिजं विट्ठी सउणी चउप्पयं नागं कित्युग्धं, एतेसिं णं भंने ! एकारसण्हं करणाणं कति करणा चरा कति करणा थिरा पं०१, गो० सत्त करणा चरा चत्तारि करणा चिरा पं० सं०- बवं बालवं कोलवं थीविलोअणं गरादि वणिजं विट्ठी एते णं सन्न करणा चरा, चत्तारि करणा थिरा पं० नं.-सउणी चउप्पर्य णागं कित्युग्धं, एते णं चत्तारि करणा थिरा पं०. एते णं भंते! चरा चिरा वा कया भवन्ति?, गो०! मुक्तपक्सस्स पडिवाए राओ ववे करणे भवइ, वितियाए दिवा चालवे करणे भवइ, राओ कोलवं करणं भवइ, तनिआए दिवा थीविलोअणं करणं भवइ, राओ गराइ करणं भवइ, चउत्थीए दिवा वणिज राओ चिट्ठी, पंचमीए दिवा बर्व राओ बालयं, छट्ठीए दिवा कोलवं राओ थीविलोअर्ण, सत्तमीए दिवा गराइ राओ वणिज, अट्ठमीए दिवा चिट्ठी राओ बर्ष, नवमीए दिया चालवं राओ कोलच, दसमीए दिवा थीचिलोअर्ण राओ गराइ, एकारसीए दिवा वणिज्जं राओ विट्ठी, पारसीए दिवा चवं राओ बालयं, तेरसीए दिवा कोलवं राओ धीविलोअण, चउडसीए दिवा गराति राओ वणिज, पुण्णिमाए दिवा चिट्ठी राओ पर्व, बहुलपस्खस्स पडिवाए दिवा चालवं राओ कोलवं चितिआए दिवा थीबिलोअणं राओ गरादि ततिआए दिवा पणिज राओ चिट्ठी चउत्थीए दिवा पर्व राओ चालवं पंचमीए दिवा कोलव राओ थीक्लिोअणं छट्ठीए दिवा गराइ राओ वणिज सनमीए दिवा चिट्ठी राओ व अट्ठमीए दिवा पालवं राओ कोलवं णवमीए दिवा थीबिलोअणं राओ गराइ दसमीए दिवा वणिज राओ चिट्ठी एकारसीए दिवा बवं राओ चालवं बारसीए दिवा कोलवं राजो थीचिलोअणं तेरसीए दिवा गराइ राओ वणिज चउद्दसीए दिवा चिट्ठी राओ सउणी अमावासाए दिवा चउप्पयं राओ णागं मुक्तपक्खस्स पाडिवए दिवा कित्थुग्ध करणं भवइ । १५४ । किमाइआ णं भंते ! संवच्छरा किमाइआ अयणा किमाइआ उऊ किमाइबा मासा किमाइआ पक्खा किमाइजा अहोरत्ता किमाइआ मुहुत्ता किमाइआ करणा किमाइआ णवत्ता पं०१, गो! चंदाइआ संवच्छरा दक्विणाइया अयणा पाउसाइआ उऊ सावणाइआ मासा बहुलाइआ पक्खा दिवसाइआ अहोरत्ता रोदाइजा मुहुत्ता बचाइया करणा अभिजिआइआ णक्सत्ता पं० समणाउसो, पंचसंवच्छरिए णं भंते! जुगे केवइआ अयणा केवइया उऊ एवं मासा पस्खा अहोरता केवईआ मुहत्ता पं०?, गो! पंचसंवच्छरिए णं जुगे दस अयणा तीसं उऊ सट्ठी मासा एगे बीमुत्तरे पक्खसए अट्ठारसतीसा अहोरत्तसया चउप्पणं महत्तसहस्सा णव सया पं०।१५५॥ जोगा देवय तारम्ग गोत्त संठाणचंदरविजोगा। कुल पुण्णिम अवमंसा य सण्णिवाए य णेता य॥१०॥ कति णं भंते ! णक्सत्ता ५०१, गो! अट्ठावीसं णक्खत्ता पं० सं० अभिई सवणो धणिट्ठा सयभिसया पुषभहवया उत्तरभहवया रेखई अस्सिणी भरणी कत्तिआ रोहिणी मिअसिर अदा पुणवसू पृसो अस्सेसा मघा पुवफग्गुणी उत्तरफग्गुणी हत्यो चित्ता साई विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूलो पुषासादा उत्तरासाढा ।१५६। एतेसि भंते ! अट्ठावीसाए णवत्ताणं कयरे णक्खत्ता जे णं सया चन्दस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति कयरे णक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेणं० कयरे णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमहंपि० कयरे णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणंपि पमदंपि० कयरे णक्खत्ता जेणे सया चन्दस्स पमरं?, गो! एतेसिं गं अट्ठावीसाए णवत्ताणं तत्व जेते णवत्ता चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति ते णं छ, तं०-'संठाण अद पुस्सो ऽसिलेस हत्थो तहेच मूलोय। बाहिरओ बाहिरमंडलस्स छप्पेते होंति पक्वत्ता ॥१०१॥ तस्थ णं जेते णक्सत्ता जे णं सया चन्दस्स उत्तरेणं जोगं जोएंति ते णं चारस, तं०-अभिई सवणो धणिट्ठा सयभिसया पुजभवया उत्तरभहवया रेवई अस्सिणी भरणी पुवाफम्गुणी उत्तराफम्गुणी साई, तत्थ णं जेते नकसत्ता जे णं सया चन्दस्स दाहिणोषि उत्तरओवि पमदंपि० ते ण सत्त, त० कत्तिा रोहिणी पुणबसू मघा चित्ता विसाहा अणुराहा, तत्थ णं जेते णवत्ता जे णं सया चन्दस्स दाहिणोवि पमहंपि० ताओ णं दुवे आसाढाओ सबवाहिरए मंडले जोर्ग जोअंसु बा०, तत्थ णं जेसे णक्खत्ते जेणं सया चंदस्स पमहंसाएगा जेटठा । १५७। एतेरि धणिट्ठा वसुदेवयाए, एएणं कमेणं णेयचा अणुपरिवाडीय इमाओ देवयाओ-चम्हा विण्हु वसू वरुणे अय अमिवद्धी पृसे आसे जमे अग्मी पयाबई सोमे रुहे अदिती वहस्सई सप्पे पिऊ भगे अजम सविआ तट्ठा वाऊ इंदग्गी मित्तो इंदे निरई आऊ विस्से य, एवं णक्खत्ताणं एया परिवाडी यत्रा जाव उत्तरासाढा किंदेवया पं०?, गो! विस्सदेवयाए पं०।१५८। एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते कतितारे पं०१, गो०! तितारे ५०, एवं यथा जस्स जइआओ ताराओ, इमं च तं तारगं-'विग तिग पंचेग सयं दुग दुग बत्तीसगं तिग तिगं या छप्पंचग तिग एकग पंचग(चाउक)तिग छकगं च ॥१०२॥ सत्तग दुग दुगपंचग एकेकग पंच चट तिगं चेव। एकारसग चउर्फ चउक्कग चेव तारगं ॥१०३॥१५९। एतेसिं णं भंते ! अट्ठावीसाए णखत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंगोत्ते पं०?, गो०! मोग्गाठायणगोत्ते, 'मोगडायण संखायणे य तह अग्गभाव कण्णिाले । तत्तो य जाउकण्णे धणंजए चेव बोदरे ॥१०४॥ पुस्सायणे य अस्सायणे य भगवेस अग्गिवेसे १० य। गोयम भारदाए लोहिचे चेव वासिठे ॥१०५॥ ओमजायण मंडबायण पिंगायणे य गोवाडे । कासव कोसिय २० दुम्भाय चामरच्छाय सुंगा य ॥१०६॥ गोवाडायण तेगिच्छायणे य कचायणे हवइ मूले। तत्तो य बज्झियायण वग्धावचे य गोत्ताई।१०७॥ एतेसिंणं भंते! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते किंसंठिए पं०?,गो० गोसीसावलिसठिए पं०, गोसीसावलि काहार सउणि पुष्फोक्यार वाची या णाचा आसक्संधग भग एरपरए १० य सगडुदी॥१०८॥ मिगसीसावलि सहिरबिंदु तुल परमाणग पडागा। पागारे पलिके हत्ये २० मुहातए पेच ॥१०९॥ स्वीलग दामणि एगावली य गयदंत विच्छ अयले य। गयक्किमे य तत्तो सीहनिसाई य २८ संठाणा ॥११०॥१६०। एतेसिं णं भंते ! अट्ठावीसाए णकखत्ताणं अभिइणकखत्ते कतिमुत्ते चन्देणं सहिं जोगं जोएइ ?, गो०! णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्टि८८९ जम्बूद्वीपपज्ञप्तिः, croelam मुनि दीपरत्नसागर Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० ० माए मुस्स चन्द्रेण सद्धिं जोगं जोएइ, एवं इमाहिं गाहाहिं अणुगन्तयं' अभिइस्स चंदजोगो सत्तट्ठिखंडिओ अहोरतो ते हुति णव मुहुत्ता सत्तावीसं कलाओ य ॥ १११ ॥ सवभिसया भरणीओ अदा अस्सेस साइ जेद्दा य एने गुणवत्ता पण्णरसमुत्तसंजोगा ॥ ११२ ॥ निण्णेव उत्तराई पुणवसू रोहिणी बिसाहा य। एए छष्णक्खत्ता पणयालमुत्तसंजोगा ॥ ११३ ॥ अवसेसा णक्खना पण्णरसवि हुति तीसइमुहुत्ता। चंदमि एस जोगो णक्खत्ताणं मुणेो ॥ ११४ ॥ एतेसिं णं मंते! अट्ठावीसाए णवत्ताणं अभिईणक्खत्ते कति अहोरते सूरेण सद्धिं जोगं जोएइ ?, गो० ! चत्तारि अहोरने उच्च मुहुत्ते मूरेण सद्धिं जोगं जोएड एवं इमाहिं गाहाहिं णेयवं अभिइ उच्च मुने चत्तारिय केवले अहोरते। सूरेण समं गच्छइ एनो सेसाण योच्छामि ॥ ११५ ॥ सयभिसया भरणीओ अद्दा अस्सेस साइ जेट्टा य वच्चति मुहुत्ते इकवीसं छच्चेवऽहोरते ॥ ११६ ॥ तिष्णेव उत्तराई पुणवम् रोहिणी बिसाहा य वचनि मुने निष्णि चैव वीस अहोरते ॥ ११७ ॥ अत्रसेसा णवत्ता पण्णरसत्रि सूरसहगया जंति । पारस चेत्र मुहुत्ते तेरस य समे अहोरते ॥ ११८ ॥ १६१ । कति णं भंते! कुला कति उचकुला कति कुलोकुला पं० गो! वारस कुला बारस उचकुला चन्नारि कुल्लोषकुला पं०, वारस कुला तं धणिडाकुलं उत्तरभदवयाः अस्सिणी कत्तिया मिगसिर पुस्सी० मघाः उत्तरफग्गुणी० चित्ताः विसाहा० मूलो उत्तरासाडाकुलं 'मासाणं परिणामा हाँति कुला उबकुलाउ हेडमगा । होति पुण कुलोबकुला अभीइ सय अ अणुराहा ॥ ११९ ॥ वारस उवकुला तं०-सवणी उचकुलं पुचभदवया रेवई भरणी रोहिणी पुणश्वसुः अस्सेला पुढफग्गुणी० हत्थो: साई जेडा० पुत्रासादाउबकुलं, चार कुलोवकुला, ० अभिकुलोबकुलं सयभिसया अहा अणुराहाकुलोचकुलं, कति णं भंते! पुण्णिमाओ कति अमावासाओ पं० १. गो० ! वारस पुण्णिमाओ वारस अमावासाओ पं० तं साविट्टी पोट्टवई आसोई कत्तिगी मगसिरी पोसी माही फग्गुणी बेत्ती वइसाही जेट्ठामूली आसाडी, साविद्दिष्णं भंते! पुण्णमासि कृति णक्खत्ता जोगं जोएंति ?, गो० तिष्णि णक्खत्ता जोगं जोएंति, तं० अभिई सवणो घणिट्ठा, पोडवण्णं भंते! पुण्णिमं कइ क्खता - ?, गो० ! तिणि तंत्र सयभिसया पुत्र भदवया उत्तरभदवया, अस्सोइण्णं दो० नं०- रेवई अस्सिणी य, कत्तिइण्णं दो०- भरणी कतिया य, मगसिरिणं दो-रोहिणी मगसिरं च, पोसिं निष्णि- अहा पुणइस पुस्सी, माघिण दो-अस्सेसा मघा य, फग्गुणिं णं दो-पुत्राफग्गुणी य उत्तराफग्गुणी य, चेत्तिणं दो- हत्थो चित्ता य, विसाहिणं दो- साई विसाहा य, जेामूलिष्णं तिष्णि अणुराहा जेट्टा मूलो, आसाढिण्णं दो-पुत्रासादा उत्तरासादा, साविद्विर्णं अंते! पुष्णिमं किं कुलं उबकुल० कुलोबकुलं जोएड ? गो० कुलं वा जोएइ उबकुलं वा जोएइ कुलोबकुलं वा जोएइ, कुलं जोएमाणे घणिट्ठा णक्खत्ते जोएइ उबकुलं जोएमाणे सवणे णक्खत्ते जोएइ कुलोबकुलं जोएमाणे अभि क्वते जोए, साविट्ठीष्णं पुष्णमासिणिं कुलं वा जोएइ जात्र कुलोबकुलं वा जोएइ, कुलेण वा जुत्ता उबकुलेण वा जुत्ता कुलोचकुलेण वा जुत्ता साबिट्टी पुण्णिमा जुत्तत्ति वत्तवं सिया, पोट्टत्रदिण्णं भंते! पुष्णिमं किं कुलं जोएड० पुच्छा, गो०! कुलं वा उबकुलं वा कुलोबकुलं या जोएइ, कुल जोएमाणे उत्तरभश्वया उत्र पुष्वभद्दवयाः कुलोवः सयभिसया णक्खत्ते जोएइ, पोट्टवइण्णं पुष्णिमं कुलं वा जोएइ जात्र कुलोबकुलं वा जोएड कुलेण वा जुत्ता जाव कुलोवकुलेण वा जुत्ता पोट्टबई पुण्णमासी जुत्तत्ति वत्तवं सिया, अस्सोइण्णं भंते! पुच्छा, गो०! कुलं वा जोए उनकुलं वा जोएइ णो लब्भइ कुलोबकुलं कुलं जोएमाणे अस्सिणी णक्खत्ते उबकुलं जोएमाणे रेवणक्खते जोएइ, अस्सोइण्णं पुष्णिमं कुलं वा उबकुलं वा जोएइ कुलेण वा उत्रकुलेण वा जुत्ता अस्सोई पुष्णिमा जुत्तत्ति वत्तवं सिया, कत्तिइण्णं भंते! पुष्णिमं किं कुलं पुच्छा, गो०! कुलं वा उपकुलं वा णो कुलोवकुलं जोएड, कुलं जोएमा कत्तिआणक्खते जोएड उप० भरणी कतिईण्णं जाव वत्तत्रं, मगसिरिणं भंते! पुष्णिमं किं कुलं तं चैव दो जोएइ णो भवइ कुलोवकुलं कुलं जोएमाणे मग्गसिरणक्खते जोएइ उब रोहिणी, मग्गसिरी गं पुष्णिमा सिआ एवं सिआओवि जान आसाढी पोर्सि जेट्ठामूलिं च कुलं वा उब० वा कुलोवकुलं वा, सेसिआणं कुलं वा उबकुलं वा कुलोवकुलं ण भण्णइ, साविद्विष्णं भंते! अमावासं कति णक्खत्ता जोएति १, गो० दो क्खत्ता जोएंति, तं अस्सेसा य महा य, पोवइण्णं भंते! अमावासं कति णक्खत्ता जोएंति ?, गो०! दो०- पुवाफम्गुणी उत्तराफम्गुणी य, अस्सोइण्णं भंते! दो हत्थे चित्ता य, कतिइष्णं दो- साई बिसाहा य, मग्गसिरिणं तिष्णिअणुराहा जेट्टा मूलोय, पोसण्णं दो- पुश्वासाढा उत्तरासाढा, माहिण्णं तिष्णि अभिई सवणो घणिट्ठा, फग्गुणिं तिष्णि-सयभिसया पुव्यभद्दवया उत्तरभदवया, चेत्तिष्णं दो-रेवई अस्सिणी य, वइसाहिण्णं दो-भरणी कन्तिआ य जेामूलिणं दो- रोहिणी मग्गसिरं च, आसादिष्णं तिष्णि- अदा पुणश्वसू पुस्तो, साविद्विष्णं भंते! अमावासं किं कुलं उबकुलं० कुलोबकुलं जोएइ ?, गो०! कुलं वा उबकुलं वा णो लब्भइ कुलोबकुलं कुठं जोएमाणे महाणक्खने जोड, उबकुलं जोएमाणे अस्सेसाणक्खत्ते जोएइ, साविद्दिष्णं अमावासं कुलं वा उवकुलं वा जोएइ, कुलेण वा उबकुलेण वा जुत्ता साविट्टिअमावासा जुत्तत्ति वत्तवं सिया, पोट्टवइण्णं भंते! अमावास तं चेत्र दो जोएइ कुलं वा जोएड उपकुलं०, कुलं जोएमाणे उत्तराफग्गुणीणक्खत्ते जोएड उ० पुवाफम्गुणी, पोडवण्णं अमावास जाव वत्तवं सिआ, मग्गसिरिणं तं चेत्र कुलं मूले णक्खत्ते जोएइ उव जेठा कुलोबकु अणुराहा जाब जुत्तत्ति बल स एवं माही फग्गुणीए आसाढीए कुलं वा उबकुलं वा कुलोबकुलं वा, अवसेसिआणं कुलं वा उवकुलं वा जोएइ, जया णं भंते! साविट्ठी पुष्णिमा भवइ तथा णं माही अमावासा भवइ ? जया णं भंते! माही पुण्णिमा भव तया णं साविट्ठी अमावासा भवइ ?, हंता! गो! जया णं साबिट्ठी तं चेत्र वत्तवं जया णं भंते! पोट्ठवई पुण्णिमा भवइ तथा णं कम्गुणी अमावासा भवइ जया णं फग्गुणी पुष्णिमा भवइ तया णं पोटुवई अमावासा भवइ ?. हंता! गो! तंत्र एवं एतेर्ण अभिलावेणं इमाओ पुण्णिमाओ इमाओ अमावासाओ णेयवाओ अस्सिणी पुण्णिमा चेत्ती अमावासा कत्तिगी पुण्णिमा वइसाही अमावासा मग्गसिरी पुण्णिमा जेट्टामुली अमावासा पोसी पुण्णिमा आसाढी अमावासा । १६२ वासाणं पढमं मासं कति णक्खत्ता ति ?, मो० ! चत्तारि णक्खत्ता र्णेति तं० उत्तरासाढा अभिई सत्रणो घणिट्टा, उत्तरासादा चउदस अहोरते णेइ अभिई सत्त अहोरने णेइ सबणो अट्टऽहोरते ह घट्ठिा एवं अहोरते इ, तंसि च णं मासंसि चउरंगुलपोरसीए छायाए सूरिए अणुपरिञदृइ, तस्स णं मासस्स चरिमदिवसे दो पदा चत्तारि य अंगुला पोरिसी भवइ, वासाणं भंते! दोखं मासं कइ णक्खत्ता ति ?, गो० ! चत्तारि ८९० जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः वक्वारो-3 मुनि दीपरत्नसागर Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4 घणा सयभितया पुत्रभावया उत्तरभहवया, घणिट्ठा ण चउद्दस अहोरले णेइ सयभिसया सत्त पुढभदवया अट्ठ उत्तरमद्दवया एगं, तंसि च णं मासंसि अड़ंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियहइ, तस्स मासस्स चरिमे दिवसे दो पया अट्ठ य अंगुला पोरिसी भवइ, वासाणं भंते! तइयं मासं कह णक्खत्ता ति ?, गो० ! तिण्णि णक्खत्ता र्णेति तं० उत्तरभद्दवया रेवई अस्सिणी, उत्तरभद्दवया चउद्दस राईदिए णेइ रेवई पण्णरस अस्सिणी एगं, तंसि च णं मासंसि दालसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियद्द, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहडाई तिष्णि पयाई पोरिसी भवइ, वासाणं भंते! चउत्यं मासं कति णक्खत्ता जेति ?, गो०! तिष्णि- अस्सिणी भरणी कलिया, अस्सिणी चउदस भरणी पश्चरस कलिया एवं तंसि च णं मासंसि सोलसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियगृह, तस्स णं मासस्स चरमे दिवसे तिष्णि पयाइं चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवइ, हेमंताणं भंते पढमं मासं कति णक्खत्ता जति ?, गो० ! तिष्णि- कत्तिया रोहिणी मिगसिरं, कत्तिया चउदस रोहिणी पण्णरस मिगसिरं एवं अहोरतं णेइ, तंसि च णं मासंसि वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियगृह, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसिं चणं दिवसंसि तिणि पयाई अटु य अंगुलाई पोरिसी भवद्द, हेमंताणं भंते! दोघं मासं कति णक्खत्ता ति १, गो० ! चत्तारि णक्वत्ता र्णेति तं० मिगसिरं अदा पुणश्वसू पुस्तो, मियसिरं चउदस राईदियाई णेइ अहा अट्ट णे पुणसू सन्त राईदियाई पुरसो एवं राईदियं णेइ, तया णं चउबीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियगृह, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि लेहडाई चत्तारि पयाई पोरिसी भवइ, हेमंताणं भंते! तवं मासं कति णक्खत्ता र्णेति ?, गो० तिष्णिपुस्सो असिलेसा महा, पुस्सो चोदस राईदियाई गेइ असिलेसा पण्णरस महा एकं तथा णं वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियगृह, तस्स णं मासस्स जे से परिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि तिणि पयाई अहंगुलाई पोरिसी भवर, हेमंताणं भंते! चउत्थं मासं कति णक्खत्ता ति?, गो० तिष्णि, तं० महा पुत्राफग्गुणी उत्तराफग्गुणी, महा चउदस राईदियाई णेइ पुढाफग्गुणी पण्णरस राईदियाई गेइ उत्तराफग्गुणी एगं राइदियं णेइ, तया णं सोलसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियहद्द, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि तिष्णि पयाइं चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवह, गिम्हाणं भंते! पढमं मासं कति णक्खत्ता ति ?, गो० ! तिष्णि णक्खत्ता ति- उत्तराफग्गुणी हत्यो चित्ता, उत्तराफम्गुणी चउदस हत्थो पण्णरस चित्ता एवं राईदियं णेइ, तथा णं दुबालसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियद्द, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवससि लेहडाई तिणि पयाई पोरिसी भवइ, गिम्हाणं भंते! दोघं मासं कति णक्खत्ता ति ?, गो० तिष्णि णक्खत्ता र्णेति तं० चित्ता साई विसाहा, चित्ता चउदस राइंडियाई णेइ साई पण्णरस राईदियाई गेइ बिसाहा एवं राईदियं णेइ. तया णं अडंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियगृह, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि दो पयाई अहंगुलाई पोरिसी भवइ, गिम्हाणं भंते! तवं मासं कति णक्खत्ता र्णेति ? गो० चत्तारि तं०विसाहाऽणुराहा जेट्टा मूलो, चिसाहा चउदस अणुराहा अट्ट जेट्ठा सत्त मूलो एवं राईदियं, तथा णं चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियगृह, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि दो पयाहं चत्तारि य अंगुलाई पोरिसी भट्ट, गिम्हाणं भंते! चउत्थं मासं कति णक्खत्ता र्णेति ?, गो० तिष्णि तं० मूलो पुष्वासाढा उत्तरासाढा, मूलो चउदस पुछ्वासाढा पण्णरस उत्तरासादा एवं राइंद्रियं णेइ, तथा णं बहाए समचउरंसठाणसंठिआए गोहपरिमंडला सकायमणुरंगिआए छायाए सूरिए अणुपरियगृह, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि टेहट्टाई दो पयाई पोरिसी भवइ, एतेसि णं पुत्रवण्णिआणं पयाणं इमा संग्रहणी, तं० 'जोगो देवयतारंग्ग गोत संठाण चंदरबिजोगो कुल पुण्णिम अवमंसा गेया छाया य बोद्धव्वा ॥ १२० ॥ १६३ । हिहिं ससिपरिवारो मंदरऽबाधा तहेब लोगते। घरणितलाओ अबाधा अंतो चाहिं च उढमहे ॥ १२१ ॥ संठाणं च पमाणं बहंति सीहगई। इद्धिमन्ताय तारंतऽग्गमहिसी तुडिओ पहु ठिई य अप्पय ॥ १२२ ॥ अस्थि णं भंते! चंदिमसरिआणं हिडिपि तारारूवा अणुंपि तुह्याचि समेचि तारारूया अणुपि हावि उप्पिपि तारारूचा अणुपि तुझाचि ?, हंता गो० ! तं चेष उच्चारेअ से केणणं भंते! एवं बुच्चइ- अस्थि गं०१, जहा २ णं तेसि देवाणं तवनियमबंभचेराणि ऊसिआई भवन्ति तहा २ णं तेसिं णं देवाणं एवं पण्णायए तं०- अणुले वा तुने था, जहा २ णं तेसिं देवाणं तवनियमर्षभचेराणि णो ऊसिआई भर्वति तहा २ णं तेसिं देवाणं णो एवं पण्णायए, तं० अणुत्ते या तुलने वा । १६४। एगमेगस्स णं भंते! चन्दस्स केवइया महग्गा परिवारो केवइया णक्खत्ता परिवारो केवड्या तारागणकोडाकोडीओ परिवारो पं०१, गो० अट्टासीई महमा अट्ठावीस णक्खत्ता छावट्टिसहस्साई गव सया पण्णत्तरा तारागणकोडिकोडी पं० । १६५ मन्दरस्स णं भंते! पञ्चयस्त्र केवइयाए अथाहाए जोइस चारं चरह ?, गो० इकारसहि इक्वीसेहिं जोअणसएहिं अपाहाए जोइस चारं चर, लोगंताओ णं भंते! केवइयाए अचाहाए जोइसे पं०१, गो० एकारस एकारसेहिं जोयणसएहिं अत्राहाए जोइसे पं०, धरणितलाओ णं भंते! सत्तहिं णउएहिं जोयणसएहिं जोइसे चारं चरइ. एवं सूरविमाणे अहि सएहि चंदविमाणे अहिं असीएहिं उपरि तारारूवे नवहिं जोयणसएहिं चारं परइ. जोइसस्स णं भंते! हेडिडाओ तलाओ केवइआए अवाहाए सूरविमाणे चारं चरह ? गो० दसहिं जो अहिं अबाहाए चारं चरइ, एवं चन्द्रविमाणे णउईए जोयणेहिं चारं चरइ, उवरिले तारारूचे दमुत्तरे जोयणसए चारं चरड़, सूरविमाणाओ चन्दविमाणे असीईए जोयणेहिं चारं चरड़, सुरविमाणाओ जोयणसए उपरि तारारूवे चारं चर, चन्दविमाणाओ बीसाए जोयणेहिं उपरि णं नारारूचे चारं चरइ। १६६। जंबुद्दीवे णं दीवे अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ते समभंतरितं चारं चरड़ कयरे णक्खने सवाहिरं कयरे सहिट्टि करे सब उवरिडं चारं चरइ ?, गो० ! अभिई क्ख सतरं मूलो सङ्घवाहिरं भरणी सहिलिगं साई सत्रुवरिगं चारं चरइ, चन्द्रविमाणे णं भंते किंसंठिए पं०१, गो० अद्धकविसंठाणसंठिए सङ्घकालिआमए अच्भुग्गयमूसिए एवं सवाई णेयशाई, चन्द्रविमाणे णं भंते! केवइयं आयामविसंभेणं केवइयं बाह्येणं ?, गो० छप्पण्णं खलु भाए विच्छिण्णं चन्दमंडलं होइ। अट्ठाषीसं भाए बाह तस्स चोदनं ॥ १२३ ॥ अडयालीसं भाए विच्छिण्णं मूरमंडल होइ चउवीसं खलु भाए बाहर तस्स बोद्धवं ।। १२४ ।। दो कोसे य गहाणं णक्खत्ताणं तु हवइ तस्सद्धं तस्सद्धं वाराणं तस्सद्धं चेव पाहतं ।। १२५ ।। १६७ । चन्दविमाणं णं भंते! कति देवसाहस्सीओ परिवर्हति ? गो० सोलस देवसाहस्सीओ परिवहति चन्द्रविमाणस्स ८९१ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, वक्यारी- 3 मुनि दीपरत्नसागर Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुरस्थिमेणं आणं सुभगाणं सुप्पभाणं संखद्लविमलनिम्मलदधिषणगोलीरफेणरययणिगरप्पगासार्ण चिरलट्ठपट्टपीवरसुसिद्विविसिद्धतिक्खदाढाविडंचिअमुहाणं स्तुप्पलपत्तमउयसूमालतालुजीहाणं महुगुलि अपिंगलक्खाणं पीवरवरोरुपडिपुण्णविलखधाणं मिउविसयहुमलक्खणपसत्यवरवण्णकेसरसडोवसोहिआणं ऊसिअसुनमियसुजायअप्फोडिअलंगूलाणं वइरामयणक्खाणं बद्दरामयदाढाणं पइरामयदन्ताणं तवणिजजीहाणं तवणिजतालुआणं तव निजोजोआ कामगमाणं पीइगमाणं मणोगमाणं मणोरमाणं अमिअगईणं अमिअचलवीरिअरिसकारपरकमार्ण महया अप्फोडिअसीहणायचोलकलकलरवेणं महुरेणं मणहरेणं पूरेंता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ सीहरूषधारीणं पुरात्थिमिद्धं बाहं वहति, चंदविमाणस्स णं दाहिणेणं सेआणं सुभगाणं सुप्पभाणं संखतलजावप्पगासाणं वइरामयकुंभजुअलसुडिअपीवरवरवइरसॉडबडिअदित्तमुपउमप्पगासाणं अम्भुण्णयमुहाणं तवणिज्जविसालकण्णचंचल चलंतविमलुजलाणं महुवण्णभिसंतणिपत्तलनिम्मलतिवण्णमणिरयणलोअणाणं अब्भुग्गयम उलमडिआधवलसरिससंठियणिवणदढकठिणफालियामयमुजायदन्तमुसलोवसोभियाणं कंचनको सीपविदन्ताविमलमणिरयणरुहलपेरंतचित्तरूवगविराइयाणं तवणिज्जविसालतिलगप्पमुहपरिमंडियाणं नानामणिरयणसुद्धचिजपद्धगलयवरभूसणाणं वेरुलियचिचित्तदंडनिम्मलबइरामयतिक्खलदृअंकुसकुंभजुयलयंतरोडियाणं तवणिजमुबद्धकच्छदपियबलुदराणं विमलघणमण्डलवइरामयलालाललियतालाणं णाणामणिरयणपष्टपसगवयरामयबद्धरज्जुलंबियघंटाजुयलमडुरसरमणहराणं अहीणपमाणजुत्तवट्टियसुजायलक्खणपसत्थरमणिजवालगत्तपरिपुंणाणं उपचियपडिपुण्णकुम्मचलणलडुविकमाणं अंकामयणक्खाणं तवणिज्जजीहाणं जाव महयागंभीरगुलगुलाइतरत्रेणं महुरेणं मणहरेणं पूरेंता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ गयरूवधारीणं देवाणं दक्खिणि बाहं परिवति, चंदविमाणस्स णं पञ्चत्थिमेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं चलचवलककुहसालीणं पणनिचियमुचदलक्खणुण्णयईसियाणयवसभोद्वाणं कमियललिय पुलियचलचवलगवियगईणं समतपासाणं संगतपासाणं सुजायपासाणं पीचरवट्टियसुसंठियकडीणं ओलंबपलंबलक्खणपमाणजुत्तरमणिजवालगण्डाणं समखुरबालिघाणार्णं समलिहियसिंगतिक्खम्गसंगयाणं तनुमुहुमसुजायणिद्धलोमच्छविधराणं उवचियमंसलविसालपडिपुण्णखंधपएसदराणं वेकलियभिसंतकडक्खसुनिरिक्खणाणं जुत्तपमाणपहाणलक्खणपसत्थरमणि जगग्गरमसोभियाणं घरघरगमुसद्दद्धकंठपरिमंडियाणं णाणामणिकणगरयणघटिआवेगच्छिगसुकयमालियाणं वरघण्टागलयमालुज्जलसिरिघराणं पउमुप्पलसगलसुरभिमालाविभूसियाणं वइरखुराणं विविवि (पी) खुराणं फालिआमयदन्ताणं तवणिजजीहाणं जाब महयागजियगंभीररवेणं महुरेर्ण मणहरेण पूरेंता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ वसहरूवधारणं देवानं पश्चत्थिमितं बाई परिवहति, चंदविमाणस्स णं उत्तरेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं तरमहिहायणाणं हरिमेलामउलमलियच्छानं चंचुचिअललिअपुलिअचलचपलचंचलगईणं लंघणवग्गणधावणधोरणतिवद्दजइणसिक्खियगईणं ललंतलासगललामवरभूसणाणं सन्नयपासाणं संगयपासाणं सुजायपासाणं पीवरवट्टियसुसंठियकडीणं ओलंबपल्बलक्खणपमाणजुत्तरमणिजवालपुच्छार्ण तणुमुहममुजायणिदलोमच्छविहराणं मिडविसयहुमलक्खणपसत्यविच्छिष्णकेसरवालिहराणं ललंत (लामय) ललाडवर भूसणाणं मुहमण्डगओचूलगचामरथासगपरिमंडियकडीणं तवणिज सुराणं तवणिज्जजीहाणं जाव मह्याहयहेसियकिलिकिलाइयरवेणं महुरेणं मणहरेणं पूरेंता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ हयरूपधारीणं देवार्ण उत्तरिलं बाहं परिवहंति 'सोलस देवसहस्सा हवंति चंदेसु चैव सूरेसु अट्ठेव सहस्साई एकेकंमी गहविमाणे ॥ १२६ ॥ चत्तारि सहस्साई णक्खत्तंमि य हवंति इक्किके दो चेव सहस्साई तारारूयेकमेकसि ॥ १२७ ॥ एवं सूरविमाणाणं जाव तारारूवविमाणाणं णवरं एस देवसंघाए। १६८ । एतेसिं णं भंते! चंदिमसूरिअगहगणनक्खत्ततारारूवाणं कयरे सव्वसिग्धगई कयरे सब्बसिग्धगतितराए चैत्र १, गो० ! चन्देहिंतो सूरा सव्वसिग्धगई सूरेहिंतो गहा गहेहिंतो णक्खत्ता णक्खतेहिंतो तारारूवा सब्वप्पगई चंदा सम्बसिग्धगई तारारूवा । १६९ । एतेसिं गं भंते । चंदिमसूरिभग्रहणक्खत्ततारारूवाणं कयरे सव्यमहिद्धिआ कयरे सब्वप्पडिआ ?. गो० ! तारारूहिंतो णक्खत्ता महिदिआ णक्खत्तेहिंतो गहा महिदिआ गहेहिंतो सूरिआ सूरेहिंतो चन्दा महिदिआ सव्वप्पिद्धिआ तारारूवा सव्वमहिडिया चन्दा १७० । जम्बूदीचे णं भंते! ताराए ताराए य केवइए अबाहाए अंतरे पं० १. गो०! दुबिहे अंतरे वाघाइए य निवाघाइए य, निवाघाइए जहणेणं पंचधणुसयाई उकोसेणं दो गाऊआई, वाघाइए जहणणेणं दोण्णि छावडे जोयणसए उकोसेणं बारस जोअणसहस्साइं दोणि य पायाले जो अणसर तारास्स २ अाहाए अंतरे पं० । १७१ । चन्दस्स णं भंते! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कइ अम्गमहिसीओ पं०१, गो० ! चत्तारि अग्गमहितीओ पं० तं० चन्दप्पभा दोसिणाभा अचिमाली पभंकरा, ताओ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि २ देवीसहस्साई परिवारो पं० पभू णं ताओ एगमेगा देवी अनं देवीसहस्सं विउवित्तए, एवामेव सपुचावरेण सोलस देवीसहस्सा, सेत्तं तुडिए, पहू णं भंते! चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडेंसए विमाणे चन्दाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धिं महयायणट्टगीअवाइअ जाव दिवाई भोगभोगाई मुंजमाणे विहरितए १, गो० ! णो इणट्टे समट्टे से केणद्वेणं जाव विहरित्तए १, गो० ! चंदस्स णं जोइसिंदस्स० चंदवडेंसए विमाणे चंदाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए मानवए चेइअखंभे वइरामएस गोलबट्टसमुग्गएसु बहूईओ जिणसकहाओ समिक्खित्ताओ चिट्ठति ताओ णं चंदस्स अण्णेसिं च बहूणं देवाण य देवीण य अच्चणिजाओ जाव पज्जुवासणिजाओ, से ते गो! णो पभू, प णं चंदे सभाए सुहम्माए चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं एवं जाव दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए केवलं परिआरिद्धीए, गो चैत्र णं मेहुणवत्तियं, विजया बेजयंती जयंती अपराजिआ सवेसिं गहाईणं एयाओ अग्गमहिसीओ, छावत्तरस्सवि गहसयस्स एयाओ अग्गमहिसीओ वत्तव्याओ, इमाहिं गाहाहिं-इंगालए बिआलय लोहिअंके सणिच्छरे चेव आहुणिए पाहुणिए कणगसणामा य पंचैत्र ११ ।। १२८ ॥ सोमे सहिए अच्चासणे य कज्जोवर अ कब्बु (प्र० ब्व) रए। आतरए दुंदुभए संखसनामेवि तिण्णिव ॥ १२९ ॥ एवं भाणियव्वं जाव भावके उस्स अग्गमहिसीओ । १७२ । चंदविमाणे णं भंते! देवाणं केवइयं कालं ठिई पं०१, गो० जह० चउभागपलिओचमं उको पलिओचमं बाससयसहस्समम्भहियं, चंदविमाणे णं देवीणं० १, जह० चडभागपलिओचमं उको अद्धपलियोवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिमन्महियं, सूरचिमाणे देवाणं ०१, जह० चउब्भागपलिओवमं उको० पलिओ वमं वाससहस्समम्भहियं, सूरविमाणे देवीणं०१, जह० चउच्भागपलिओवमं उको० अद्धपलिओयमं पंचहिं वाससएहिं अम्महियं, गहविमाणे देवाण०१, जह० चउम्भागपलिओनमं उक्को० पलिओवमं, गहविमाणे देवीगं०१, (२२३) ८९२ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः, धवस्तारो - 9 O मुनि दीपरत्नसागर Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जह चउम्भागपलिओचर्म उको अदपलिओचम, णक्खत्तचिमाणे देवाण०१,जह चउभागपलिओवम उक्को अद्धपलिओवर्म, पक्वत्तविमाणे देवीणं०१, जह• पउभागपलिओचमं उको साहियं चउम्भागपलिओचम, ताराविमाणे देवाण०?,जह अहभागपलिओवम उको पउभागपलिओचम, ताराविमाणे देवीण०?, जह• अट्ठभागपलिजओचमं उक्को० साइरेग अट्ठभागपलिओचमं / 173 / 'बमा विण्हू य वस् वरुणे अय बुटि पूस आस जमे। अग्गि पयावइ सोमे रुद अदिती बहस्सई सप्पे // 130 // पिउ मग अजम सविआ तडा पाऊ तहेव इंदगी। मिते इंदे निरुई आउ पिस्साय बोदडे // 131 // 174 / एतेसिणं भंते ! चंदिमसूरिजगहणक्खत्ततारारूवाणं कयरे०१. गो! चंदिमसूरिआ दुताहा सत्रस्थोवा णक्खत्ता संखेजगुणा गहा संखेजगुणा ताराओ संखेजगुणाओ।१७५। जंबुद्दीचे जहण्णपए वा उक्कोसपए वा केवइआतित्थयरा सनग्गेणं पं तित्थयरा सनग्गेणं पं०, जंधुरीवे केवइआ जहण्णपए वा उकोसपए या चक्कवट्टी सनग्गेणं पं०१. गो०! जहण्णपदे चत्तारि उक्कोसपदे तीस चकवट्ठी सम्बोणं पं०, वलदेवा तत्तिया चेव जत्तिा चकवट्टी, वासुदेवावि तत्तिया चेब, जंबुदीचे केवइआ निहिरयणा सजग्गेण पं०१, गो० तिषिण छलुत्तरा णिहिरवणसया सवग्गणं पं०, जंबुद्दीवे केवइआ णिहिरयणसया परिभोगत्ताए हबमागच्छंति', गो! जहण्णपए छत्तीर्स उक्कोसपए दोणि सत्तरा णिहिरयणसया परिभोगत्ताए हवमागच्छति, जंचुदीचे केवइआ पंचिंदिअरयणसया सबम्गेण पं०?, गो०! दो दसुत्तरा पंचिंदिअस्यणसया समग्गेण पं०, जंबुदीचे जहष्णपदे वा उकोसपदे वा केवाआ पंचिंदिअस्यणसया परिभोगत्ताए हनमागच्छंति ?. गो०! जणपए अट्टाबीसं उक्रोसपए दोण्णि दसुत्तरा पंचिंदिअरयणसया परिभोगत्ताए हवमागच्छंति, जंबुद्दीवे केवइआ एगिदिअरयणसया सचम्गेणं पं०१, गो०! दो दसुत्तरा एगिदिअस्यणसया समग्गेणं पं०, जंधुद्दीचे केवहा एगिदिअरयणसया परिभोगत्ताए हमागच्छन्ति ?, गोजहष्णपए अट्ठावीसं उको दोणि दसुत्तरा एगिदिअरयणसया परिभोगत्ताए हामागच्छति / 176 / जंबुद्दीचे गं भंते ! दीये केवइयं आयामरिक्खंभेणं केवइयं परिक्खे. वेणं केवइयं उबेहेणं केवइयं उबंउचत्तेणं केवइयं सबम्गेणं पं०१, गो० जंचुदीवे एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं विणि जोयणसयसहस्साई सोलस य सहस्साई दोणिय सत्तावीसं जोयणसए तिणि य कोसे अट्ठावीसं च घणुसयं तेरस अंगुलाई अबंगुलं च किंचिबिसेसाहियं परिक्खेवेणं पं०, एग जोयणसहस्सं उबेहेणं णवणउति जोयणसहस्साइं साइरेगाई उदंउच्चत्तेणं साइरेगं जोयणसयसहस्सं सनग्गेणं पं०।१७७। जंबुद्दीवे किं सासए असासए ?, गो सिय सासए सिय असासए, से केणद्वेणं भंते! एवं बुबइ-सिय सासए सिय असासए?, गो०! दबट्टयाए सासए वणपजचेहिं गंध रस० फासपज्जवेहिं असासए, से तेणट्टेणं गो! एवं वुचइ-सिय सासए सिय असासए, जंबुरीचे! कालओ केवचिर होइ?, गो ! ण कयाविणासीण कयाविणस्थिण कयाविण भविस्सइ, भूविंच भवइ य भविस्सइ य, धुणिइए सासए अक्सए अच्चए अवहिए णिचे जंबुद्दीवे पं०।१७८ा जंबुद्दीवे णं भंते ! किं पुढवीपरिणामे आउपरिणामे जीवपरिणामे पोग्गलपरिणामे ?, गो०! पुढवीपरिणामेवि आउपरिणामेवि जीवपरिणामेवि पुग्गलपरिणामेषि, जंबुद्दीचे सव्वपाणा सव्वजीवा सव्वभूया सब्वसत्ता पुढवीकाइयत्ताए आउका तेउ० वाउ० वणस्सइकाइयत्ताए उपवण्णपुड्या ?, हंता गो० असई अदुवा अणंतखुत्तो। 179 / से केणद्वेर्ण भते! एवं बुचइ-जंबुद्दीये 21, गो०! जंबुद्दीवे तत्थ 2 देसे 2 तहिं 2 बहवे जंचूमक्खा जंधूयणा जंचूवणसंडा णिचं कुसुमिआ जाय पिडिम. जरिवडेंसगधरा सिरीए अईच उपसोभेमाणा चिटुंति, जंबूए सुदसणाए अणादिए णाम देवे महिदीए जाप पलिओवमट्टिइए परिवसइ, से तेणतुणं गो! एवं बुबह-जंबुद्दीचे 2 / 180 / तए णं समणे भगवं महावीरे मिहिरीयाए णयरीए माणिभदे चेइए बहुणं समणाणं बहणं समणीर्ण बहूर्ण सापयाणं बहूर्ण साबियाणं बहूर्ण देवाणं बरणं देवीणं मझगए एकमाइक्खद एवं भासइ एवं पण्णवेद एवं परूबेइ-जंबूदीपपण्णत्ती णामत्ति अजो! अज्झयणं, अहूं च हेउं च पसिणं च कारणं च बागरणं च भुजो२ उवदंसेइत्ति बेमि (18 श्रीजंबूद्वीपप्रज्ञप्त्युपांग 7 सौराष्ट्र श्रीसिद्धाचलागितलहडिकालंकारश्रीवर्धमानजैनआगममंदिरे शिलायामुत्कारितं वीरस्य 2468 श्रावणासितसप्तम्यां // श्रीनिरयावलिकोपाङ्गम्। महावीरस अंतेवासी अजसुहम्मे नाम अणगारे ज नमः श्रुतदेवतायै॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामंजयरे होत्था रिदस्थिमियसमिद्धे गुणसिलए चेइए वन्नओ, असोगपरपायवे पुढवीसिलापट्टए।१। तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ " महावीरस्स अंतेवासी अजसुहम्मे नाम अणगारे जातिसंपन्ने जहा केसी जाच पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिखुडे पुब्वाणुपुत्रि चरमाणे जेणेव रायगिहे नगरे जाव अहापडिरूवं उम्गहँ जोगिण्हिता संजमेणं जाव विहरति, परिसा निग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया।२। तेणं कालेणं. अजसुहम्मस्स अणगारस्स अंतेवासी जंचू णाम अणगारे समचाउरंससठाणसंठिए जाव संखित्तविउलतेयलेस्से अनसुहम्मस्स अणगारस्स अदूरसामंते उड्ढंजाणू जाव विहरति / 3 / तए णं से भगवं जंचू जातसड्ढे जाव फ्जुवासमाणे एवं वयासी-उबंगाणं भंते! समणेणं जाव संपत्तेर्ण के अट्टे पण्णत्ते?, एवं खलु जंचू ! समणेणं भगवया जाच संपत्तेर्ण एवं उबंगाणं पंच यग्गा पं० त०निरयावलियाओ कप्पबडिसियाओ पुष्फियाओ पुष्फचूलियाओ वहिदसाओ, जइ र्ण भंते ! समणेणं जाप संपत्तेणं उवंगाणं पंच वग्गा पं० सं०-निरयावलियाओ जाव वहिदसाओ पढमस्स णं भंते! वास्स उचंगार्ग निरयावलियाणं समणेणं भगवया जाच संपत्तेणं फइ अज्झयणा पं.2, एवं खलु जंबू! समणेणं जाच संपत्तेणं उबंगाणं पढमस्स बम्गस्स निरयावलियाणं दस अज्झयणा पं० 20 काले मुकाले महाकाले कण्हे सुकण्हे तहा महाकण्हे वीरकण्हे य चोदवे रामकण्हे तहेब य पिउसेणकव्हे नवमे दसमे महासेणकण्हे उ / 4 जइणं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं उबंगाणं पढमस्स वग्गस्स निरयावलियाणं दस अज्झयणा पं० पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स निरयावलियाणं समणेणं जाच संपत्तेणं के अट्टे पं०१,एवं खलु जंचू ! तेणं कालेणं. इहेब जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपा नाम नयरी होत्या रिख०, पुन्नभद्दे चेइए, तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रो पुत्ते चेङणाए देवीए अत्तए कृणिए नामं राया होत्या महता०, तस्स कूणियस्स रनो पउमावई नामं देवी होत्था सोमाला जाब विहरइ, तत्व णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रनो भजा कूणियस्स रनो चुङमाउया काली नाम देवी होत्था सोमाला जाब 893 निरयावल्यायुपांगपंचकरियापलिया , GAR मुनि दीपरळसागर