Book Title: Yoga Shastram
Author(s): Subodhsuri, Ruchaksuri
Publisher: Dharmbhaktipremsubodh Granthamala Prakashan Samiti
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________________ occi योग शाखम्। 758 // एकादेशः प्रकाशा उप्पायठिईभंगाइपज्जवाणं जमेगदव्वम्मि / नाणानयानुसरण पुव्वगयसुयाणुसारेण // 1 // सवियारमत्थवंजणजोगंतरओ तयं पढमसुक्कं / होइ पुहुत्तवियकं सवियारमरागभावस्स // 2 // ननु अर्थव्यञ्जनयोगान्तरेषु संक्रमणात् कयं मनःस्थैर्य ? तदभावाच्च कथं ध्यानत्वं ? उच्यते-एकद्रव्यविषयत्वे मनःस्थैर्यसंभवाध्ध्यानत्वमविरुद्धम् // 6 // द्वितीय भेदं व्याचष्टे एवं श्रुतानुसारादेकत्ववितर्कमेकपर्याये / अर्थव्यञ्जनयोगान्तरेष्वसंक्रमणमन्यत्तु // 7 // ___एवं श्रुतानुसारादिति पूर्वविदां पूवगतश्रुतानुसारादितरेषामन्यथापि एकपर्यायविषयमेकत्ववितर्क नाम द्वितीयं शुक्लध्यानं, तच्चार्थव्यञ्जनयोगेष्वसंक्रमणरूपं / यदाहु: जर पुण सुणिप्पयंपं निवायसरणप्पईवमिव चित्तं / उप्पायठिईभंगाइयाण एगम्मि पज्जाये // 1 // अवियारमत्थर्वजणजोगंतरओ तयं बीयसुक्कं / पुव्वगयसुयालंबणमेगत्तवियकमवियारं // 2 // 7 // (1) उत्पादस्थितिभङ्गादिपर्यवानां यदेकद्रव्ये / नानान यानुसरणं पूर्वगतश्रुतानुसारेण // 1 // सविचारमर्थव्यञ्जनयोगान्तरतः तत् प्रथमशुक्लम् / भवति पृथक्त्ववितर्क सविचारमरागभावस्य / / 2 // (2) यत्पुनः सुनिष्प्रकम्पो निवातशरणप्रदीप इव चित्तम् / उत्पादस्थितिभङ्गादिकानामेकस्मिन् पर्याये // 1 // अविचारमर्थव्यञ्जनयोगान्तरतः तक द्वितीयशुक्लम् / पर्वगतश्रुतालम्बनमेकत्ववितर्कमविचारम् // 2 // // 758 //

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