Book Title: Vratya Darshan
Author(s): Mangalpragyashreeji Samni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 8
________________ मंगल संदेश सरस्वती की आराधना एक महान् तपःसाधना है। वह पठन, मनन, लेखन आदि विभिन्न रूपों में की जा सकती है। समणी मंगलप्रज्ञाजी एक प्रतिभा संपन्न समणी हैं। उन्होंने दर्शन के अध्ययन में अपनी प्रतिभा का उपयोग किया है। उसकी एक निष्पत्ति है प्रस्तुत पुस्तक-व्रात्य-दर्शन। लेखिका की बौद्धिक क्षमता के द्वारा महत्त्वपूर्ण दार्शनिक ग्रन्थों का निर्माण भविष्य में भी शृंखलाबद्ध रूप में होता रहे। मंगलकामना। डाबड़ी युवाचार्य महाश्रमण २५ दिसंबर १६६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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