Book Title: Vishwa Shanti ke Sandarbh me Nari ki Bhumika Author(s): Nemichandra Shastri Publisher: Z_Mahasati_Dway_Smruti_Granth_012025.pdf View full book textPage 7
________________ सेवा और सहानुभूति के क्षेत्र में नारी का योगदान सेवा और सहानुभूति भी विश्वशान्ति के दो फेफड़े है। इन दोनों क्षेत्रों में पुरुषों की अपेक्षा विश्वभर की महिलाएं आगे हैं। उन्होंने अपने शरीर की सुख-सुविधाओं तथा ऐश-आराम की परवाह किये बिना सेवा के विभिन्न कार्यक्रमों में अपना योगदान दिया है, दे रही हैं। हॉस्पिटलों में घायलों, दुःसाध्य रोगियों, कुष्टरोगियों तथा विभिन्न चेपी रोगों से पीड़ित रोगियों विशेषतः प्रसवकाल की पीड़ा से पीड़ित महिलाओं की सेवा के लिए विश्वभर में सर्वत्र नर्से तो कार्य करती ही हैं, उनके अलावा भी ऐसी महिलाएँ भी हैं, जो सर्दी, गर्मी, वर्षा आदि की परवाह किये बिना निःस्वार्थ भाव से चिकित्सालयों में अपनी सेवाएँ देती रहती हैं। गुजरात में कु. काशीबहन मेहता (जैन) तथा महाराष्ट्र में श्रीमती मनोरमाबहन, ब. खण्डेरिया (जैन) प्रभृति कई महिलाएँ वर्तमान में चिकित्सा-सेवा के क्षेत्र में निःस्वार्थरूप से पूर्णरूपेण सेवा दे रही हैं। कई महिलाएँ शिक्षा के क्षेत्र में, कई महिलाएँ उदाहरणार्थ-बम्बई में ललिताबहन, अहमदाबाद में लीलाबहिन मु-शाह, कलकत्ता में प्राणकुंवर बहन आदि बहनें महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने वाली संस्थाओं में अपनी सेवाएं दे रही हैं। मैंने स्वयं अपनी आँखों से देखा है कि आँखों के ऑपरेशन के समय नेत्ररोगी की सेवा सुश्रुषा में सैकड़ों महिलाएँ (जो पेशे से नर्स नहीं हैं) अपना योगदान देती हैं। __पशु-पक्षियों की सेवा और रक्षा करना भी विश्व शान्ति का अंग है। महात्मा गाँधी जी की शिष्या मीराबहन (मिस स्लेड) ने हिमालय की गोद में रह कर ‘पशुलोक' संस्था के द्वारा वहाँ के मानवों और पशुपक्षियों की सेवा में अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया था। अनाथ, असहाय, एवं अभावपीड़ित बालकों, मनुष्यों तता भूकम्प, बाढ़ आदि प्राकृतिक प्रकोपों से पीड़ित मानवों की सेवा में मातृहृदय मदरटेरेसा ने अपना समग्र जीवन समर्पित कर दिया है। बंगाल के सतीशचन्द्र विद्याभूषण, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर आदि भारतीयजनों की माताओं ने भूकम्प, बाढ़ दुष्काल तथा अन्य प्राकृतिक प्रकोपों से पीड़ित नरनारियों की सेवा के लिए अपने हाथों से दान की अजस्त्र धारा प्रवाहित की। रेड क्रोस आन्दोलन को जन्म देने वाली 'फ्लोरेंस नाइटिंगल' को कौन नहीं जानता? जिसने युद्ध में घायलों तथा अन्यान्य प्रकार से पीड़ितों की सेवा के लिए महिलाओं की टीम विभिन्न देशों में तैयार की थी। अनेक रोगों को मिटाने में अचूक रेडियम' की आविष्कारक 'मैडम क्यूरी' का नाम विश्व शान्ति के इतिहास में अमर है। प्लेग, मलेरिया, कैंसर, टी.बी. आदि दुःसाध्य व्याधियाँ, भूकम्प, बाढ़, दुष्काल आदि प्राकृतिक प्रकोप, तथा अन्य उपद्रव भी मानवजाति की अशान्ति के कारण हैं। इन और ऐसी ही अन्य प्रकोपों या उपद्रवों के समय पीड़ित जनता की सेवा सुश्रुषा करना तथा रोग-निवारण में सहयोग देना इत्यादि कार्य भी शान्तिदायक हैं, इन सेवाकार्यों में भी पुरुषों के अनुपात में महिलाएँ बहुसंख्यक रही हैं। दुर्व्यसनों से बचाने में महिलाओं का हाथ ___जुआ, चोरी (डकैती, तुस्करी ठगी, लूटपाट आदि), मांसाहार, शिकार, मद्यपान, वैश्यामन, परस्त्रीगमन सिगरेट, बीड़ी, अफीम, हिरोइन ब्राउनशुगर आदि नशीली चीजों में से किसी भी प्रकार का (१२) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9