Book Title: Vir Vardhaman Charitam
Author(s): Sakalkirti, Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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पौराणिक-नामसूची
२५३
प्रभास-एकादशम गणधर (१९.२०६) प्रियकारिणी-भ. महावीरकी माता (७.२८) प्रिय मित्र चक्रवर्ती-भ, महावीरका २९वाँ भव
(५.३८) प्रोप्ठिल मुनि-नन्दराजाके दीक्षा गुरु (६.२) मरत-प्रथम चक्री (२.६४) भारद्वाज -भ. महावीरका १४वाँ भव (२.१२६) मगध-एक प्रसिद्ध देश (३.२) मथुरा-प्रसिद्ध नगरी (३.४७) मयूरग्रीव--प्रथम प्रतिनारायणका पिता (३.६८) मागध-एक देश (३.६) मागधदेव-एक व्यन्तर देव (२.६५) मृगावती-त्रिपृष्ठकी माता (३.६३) मैत्रेय-सप्तम गणधर (१९.२०६) मौण्ड्य पुत्र-षष्ठ गणधर (१९.२०६) मौर्य पुत्र-पंचम गणधर (१९.२०६) रथनूपुर चक्रवाल-विजयाका एक नगर (३.७१) रथावर्ताचल-प्रथम नारायण -प्रतिनारायणका युद्ध__स्थल (३.९८) राजगृह-प्रसिद्ध नगर (३.६) रुद्र-महादेव (१.६) वत्सदेश-जम्बू द्वीपस्थ भरतका एक देश (१३.९१) वज्रसेन-हरिषेणका पिता (४.१२२) वायुभूति-तृतीय गणधर (१९.२०६) वायुवेगा-चन्द्राभकी पुत्री (३.७४) विजयाध पर्वत-भरत क्षेत्रका एक पर्वत (३.६८) विदेह-एक देश (७.२) विनीता अयोध्या (२.५६) विशाखनन्द-विशाखभूतिका पुत्र (३.९) विशाखभूति-विश्वभूतिका अनुज (३.८) विश्वभूति राजा-विश्वनन्दीका पिता (३.६) विश्वनन्दी-महावीरका १७वाँ भव (३.७) वीरमती-नन्दिवर्धनकी रानी (५.१३५)
वृषभसेन-एक सेठ जिसने चन्दनाको आश्रम दिया
था । (१३.८७) व्यक्त-नवम गणधर (१९.२०६) शाण्डिलिब्राह्मण-स्थावरका पिता (३.२) शीलवती-हरिषेणकी माता (४.१२२) शुभा-एक व्यभिचारिणी द्विजपुत्री (१९.१६७) श्रीधर-पूर्व विदेहके तीर्थकर (४.३६) श्रुतसागर मुनि-हरिषेण राजाके दीक्षा गुरु (५.१३) सच्चम्पानगर-जहाँसे भगवान्ने निर्वाण प्राप्त किया
(१९.२३०) समाधिगप्त मुनि-खदिरसारको व्रत देनेवाले साध
(१९.९९) साकेता-अयोध्या (२.१०७) सागरसेन-पुरूरवाको सम्बोधित करनेवाले मनिराज
(२.१०) सारसपुर-एक नगर (१९.११३) सालंकायन विप्र-भारद्वाजका पिता (२.१२५) सिंह-भगवान्का २१वां भव (४.२) सिंह-भगवान्का २२वां भव (४.५) सिद्धार्थ नरेश-भ. महावीरके पिता (७.२२) सुधर्मा-चतुर्थ गणधर (१९.२०६) सुन्दर विप्रपुत्र-अभयकुमारके पूर्व भवका नाम
(१९.१७१) सुभद्रा-चन्दनाको बन्धनमें डालनेवाली सेठानी (१३.८८) समित्र-राजा-प्रियमित्र चक्रवर्तीके पिता (५.३७) सुव्रता रानी-प्रियमित्र चक्रवर्तीको माता (५.३७) सूरवीर-खदिरसारका साला (१९.११३) सौधर्म कल्प-प्रथम स्वर्ग (२.३८) स्थाणु-अन्तिम रुद्र (१३.६१) स्थावर-महावीरका १५वाँ भव (३.३) स्थूणागार-एक नगर (२.११२) स्वयम्प्रभा-त्रिपृष्ठकी पट्टरानी (३.७५) . हरिषेण-भ. महावीरका २७वा भव (४.१२३)
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