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जीवन-परिचय .
उल्लेख मात्र पाया जाता है, पर श्वेताम्बर शास्त्रोंमें इन गणधरोंका विस्तृत वर्णन उपलब्ध है। उपयोगी
दोक्षास्थान
शिष्य | छद्मस्थ- | केवलि- सर्वआयु | 'निर्वाण काल | निर्वाण-| संख्या काल
स्थान
गणधर बनने के पूर्व
शंका
काल
०
३० वर्ष १२ वर्ष ९२वर्ष
४२ वर्ष
जीवके अस्तित्वमें
मध्यम पावा
.
.
.
५००
-भगवान महावीरकी केवलोत्पत्तिके पश्चात
कर्मके विषयमें जीव और शरीरके,, पंचभूतोंसे जीवोत्पत्ति, मरणके बाद भी उसी पर्यायमें उत्पन्न होता है बन्ध और मोक्षके विषयमें
वैभारगिरि ( राजगृह)
३५०
armmmm ४०००
::००
नरकके विषयमें पुण्यके परलोकके मोक्षके
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