Book Title: Vir Vardhaman Charitam
Author(s): Sakalkirti, Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 287
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवन-परिचय . उल्लेख मात्र पाया जाता है, पर श्वेताम्बर शास्त्रोंमें इन गणधरोंका विस्तृत वर्णन उपलब्ध है। उपयोगी दोक्षास्थान शिष्य | छद्मस्थ- | केवलि- सर्वआयु | 'निर्वाण काल | निर्वाण-| संख्या काल स्थान गणधर बनने के पूर्व शंका काल ० ३० वर्ष १२ वर्ष ९२वर्ष ४२ वर्ष जीवके अस्तित्वमें मध्यम पावा . . . ५०० -भगवान महावीरकी केवलोत्पत्तिके पश्चात कर्मके विषयमें जीव और शरीरके,, पंचभूतोंसे जीवोत्पत्ति, मरणके बाद भी उसी पर्यायमें उत्पन्न होता है बन्ध और मोक्षके विषयमें वैभारगिरि ( राजगृह) ३५० armmmm ४००० ::०० नरकके विषयमें पुण्यके परलोकके मोक्षके For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296