Book Title: Vihar Varnan Author(s): Jayantvijay Publisher: Yashovijay Jain Granthmala View full book textPage 3
________________ किञ्चिद्-वक्तव्य प्रारंभ ___ मुसाफरीनां वृत्तान्तो लखवानो रिवाज आननो नहिं, परन्तु बहु लांबा काळयी चाल्यो आवे छे. जूना भंडारोनुं निरीक्षण करतां आवां मुसाफरीनां वृत्तान्तोवाळां सेंकडो पुस्तको उपलब्ध थाय छे. प्राचीन तीर्थमाळाओ ए पण शुं छे ? ए पण मुसाफरीनां वृत्तान्तोज छे. पछी ते वृत्तान्तो गद्यमां लखेलां होय के पद्यमां. जैनमुनिराजोना हाथे प्राचीन समयमां लखायेलां जे वृत्तान्तो मळे छे, ए घणे भागे पंद्यमा लखेलां मळे छे. आवी रीतनां वृत्तान्तो लखवानो रिवाज भारतवर्षना लोकोमांज प्रचलित हतो, एम कर नथी. मेगस्थानिस, हुएनसंग विगेरे चीन अने यूरोपना मुसाफरोए पण पोतानी यात्रानां वर्णनो लख्यां छे; ते उपरथी ए स्पष्ट जणाय छे के तमाम देशना मुसाफरो एवां वृत्तान्तो लखता हता. आवां वृत्तान्तो जो प्रकाशित करवाना-छपाववाना इरादायी लखातां होय तो ते जरा जूदीज ढबे-बहु सावधानता अने बारीकाइ पूर्वक लखाय छे; परन्तु केवळ एक नोंध राखवानी खातरज पोतानी मुसाफरीनी जो कोइ नोंध-टांचन राखे, तो तेमां विशेष हकीकत नज होय. मारा आ विहारवर्णनमां पण एमज थयेलुं छे. सं. १९७१ नी सालमां उदयपुरमा में दीक्षा लीधी, त्यारथी स्वर्गस्थ गुरुदेव श्रीविनयधर्मसूरीश्वरजी महाराजना विहारनी नोंध में लखवी शरु करेली; परन्तु ते वखते मने स्वप्नेये ख्याल न्होतो के मारी आ नोंध बीजाओने पण उपयोगी थशे अथवा आ नोंध छपाववानो प्रसंग प्राप्त थशे. अने तेथी संक्षेपमा नोंध राखवी शरु करेली. परन्तु वखतना व्हेवा साथे मारी ए ढूंकी नोंधनो 'संग्रह पण सारो थतो गयो. अने तेथी अमारो-अमारा गुरुभाइओनो एवो विचार पयो के-आपणा तरफथी गुरुमहाराजना विहारनुं एक पुस्तक बहार पाडवू. आ विचार नकी थतां में मारी नोंध वधारे विस्तारथी लखवी शरु करी; बल्के छेवटना · भागमा लो दरेक गाममाथी उपयोगी हकीकत नोंधी लेवा एक फार्म पण तैयार कर्यु, के जेनी नकल आ पुस्तकनी अंतमां आपेल छे. आम एक तरफथी विहारवें वर्णन कंइक विस्तारथी लखg शरु कर्यु; ज्यारे बीजी तरफथी गुरुमहारानना १९७१ नी साल पहेलांना विहारनी मोंधोPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 158