Book Title: Vidyano Moj Bharyo Vyasang
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ 232 वाळ्यो, 'एटलुं तो अ पुस्तकमां सारुं आव्युं !' धार्युं परिणाम मळवानी आशा हमेशां केम राखी शकाय ? ने क्यारेक आवुं परिणाम आवे तेथी भायाणीसाहेब कई विद्यादानमां संकोच अनुभवता थाय नहीं. ओमनी विद्याप्रीति अनन्य छे. बीजाओनी चेतनाने सतत संकोरता रहीने ओमणे प्रजाकीय विद्या पुरुषार्थमां जे योगदान आप्युं छे ए एमना पोताना विद्यापुरुषार्थनी सामे वीसरी न शकाय एटलुं मातबर छे. विद्यानां उच्च धोरणो गुजरातमां जो कोईमां वधुने वधु मूर्तिमंत थता होय तो ओ भायाणीसाहेबमां ज. एमनी शास्त्रबुद्धि अने वैज्ञानिकताने भाग्ये ज कोई पहोंची शके. में मध्यकालीन गुजराती शब्दकोशनुं काम कर्तुं त्यारे जोयुं के भायाणीसाहेबे पोतानां संपादनोमां आपेला शब्दकोशो सौधी वधारे आधारभूत हता. अमां जवल्ले ज अवुं कोई स्थान मळतुं हतुं के ज्यां शुद्धिने अवकाश होय. जेमनी सज्जता अने प्रमाणभूतता माटे मने आदर हतो ओवा आपणा अन्य अग्रिम विद्वानोना शब्दकोशो पण मारे जोवाना थया हता पण भायाणीसाहेबनो आधारभूतता माटेनो आग्रह ते तो ओमनो ज ए जे शब्दार्थो आपे ते आधारभूत रीते अने चोकलाईथी आपी शकाय तो ज आपे अटकळअनुमान, तरंगतुक्कामां अ फसाय नहीं, असाधारणपणे आडमार्गे खेंचाई जाय नहीं, कशुं साहस तो करे ज नहीं, देश-परदेशनां उत्तम विद्याकार्योना संपर्कथी भायाणी साहेबनी आवी सूक्ष्म- तीक्ष्ण शास्त्रबुद्धि घडाई होवानुं समजाय छे. खास करीने पश्चिममां थतां विद्याध्ययनो जाणे ओमनी सामे आदर्श रूपे होय एवं लागे छे, ओना दाखला टांकतां ए थाकता नथी अने अनी प्रशंसाभरी परिचय नोंध ए वारंवार ले छे. आपणे त्यांनां एवां कार्यो भायाणीसाहेबना मनमां झाझां वसतां नथी अने ए विदेशी विद्वत्ताथी वधारे पडता अभिभूत थयेला छे ओवी फरियाद पण क्यांक -क्यांक सांभळवा मळे छे. आवी फरियाद करती वखते आपणे त्यांनी अनेक विद्याप्रवृत्तिओना भायाणीसाहेब प्रेरक प्रोत्साहक बन्या छे, ते वीसरी जवाय छे उपरांत से हकीकत छे के पश्चिममां थतां विद्याध्ययनोमां बीजी रीते कचाश होय तोये अभ्यासनी दृष्टि अने पद्धति परत्वे अमांथी अवश्य कंईक शीखवानुं मळे. एवा नमूना आपणे त्यां ओछा जडता होय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8