Book Title: Vidyano Moj Bharyo Vyasang
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ 233 तो भायाणीसाहेब शुं करे ? तेथी, विदेशी विद्वत्ता तरफ भायाणीसाहेबनो पक्षपात होय तोये ए सार्थक अने उपयोगी पक्षपात छे एम कहेवाय, खरेखर आपणने मूझवे एवी बाबत तो ए छे के भायाणीसाहेब पोते स्वीकारेला विद्यानां उच्च धोरणो साथे केटलीक वार बांधछोड करे छे. विषयने पूरतो न्याय न मळे एवी अनी सीमाओ आंकवी, सूचि जेवां संशोधननां अगत्यनां अंग विना चलावी लेवू, संशोधननी केटलीक झीणवटमां न जवू आq आईं भायाणीसाहेब करे छे के करवा बीजाने प्रेरे छे त्यारे अमणे आपणी समक्ष धरेला पश्चिमनां विद्याध्ययनोना नमूना जूठा पडता लागे छे. कदाच भायाणीसाहेबनो थाक आमां व्यक्त थतो होय, कदाच ओमने घणां बधां काम करी नाखवानी उतावळ आवी जती होय, कदाच आमां अमनी व्यवहारु दृष्टि ज होय. संपूर्णतावादी थवानां जोखमो ए जाणता ज होय. संपूर्णतावादी थवाथी कामो घणीवार अधवच्चे रखडी पडतां होय छे. भृगुराय अंजारियानो दाखलो आपणी नजर सामे छे. अने टांचां साधनो होय तथा घणां कामो करवानां रही जतां होय त्यारे तो व्यवहारुतानो आश्रय लेवो खास जरूरी बनी जतो होय छे. भायाणीसाहेब घणांबधां कामो करी शक्या छे ने करावी शक्या छे ते आ व्यवहारुताने कारणे से स्पष्ट छे. ऊगता अभ्यासीने तो भायाणीसाहेबनी आ व्यवहारुता घणी उपकारक बनी छे. ओमनी यत्किचित शक्तिनो इष्ट लाभ लई शकायो छे. विद्वत्तानां ऊंचां धोरणोनी साथे व्यवहारुतानो मेळ भायाणीसाहेबे बेसाड्यो छे, ओम कहेQ होय, तो कही शकाय अq छे. पण विद्वत्तानां घणां कार्यो जलदीथी फरीफरीने थतां नथी होता, तेथी अमने अमुक तबक्के लाववां जरूरी होय ने ओ माटे खर्चवा जोईता समय-श्रमनो संकोच करवो योग्य नथी होतो. आ बाबत गुजरातमां कोई समजी शके तो भायाणीसाहेब ज समजी शके. अटले विद्याकार्यनां धोरणोनी साचवणी माटे ओ पूरा जाग्रत अने सक्रिय रहे अम इच्छवानु मन थाय छे. धोरणोनी साचवणी माटे सक्रिय बनवू ते केटलीक वार संघर्षमां उतरवा बराबर बनी जाय, विरोधनो झंडो फरकाववो पड़े, असहकारनो मार्ग लेवो पडे. भायाणीसाहेबना स्वभावमां आ होय एवं जणातुं नथी. ओ संघर्षना कायर छे, अथवा कहो के क्लेशभीरु छे. जाहेरमां कशानी तीव्र आलोचना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8