Book Title: Vidhipaksh Gacchiya Shravakna Daivasikadik Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(५)
॥ श्छाकारेण संदिसह, जगवन् ! इरियावहियं पडिकमुं जी. श्ठं ॥ श्छामि पडिकमिजं ॥
॥अथ शरिया वहिया ॥ ॥ इरियावहियाए, विराहणाए, गमणागमणे, पाणकमणे, बीअकमणे, हरिभक्कमणे, उसा, उत्तिंग, पणगदग, मट्टी, मक्कडा, संताणा संकमणे, जे मेजीवा विराहिया, एगिदिया, बेदिया, तेइंदिया, चरिं दिया, पंचिंदिया, अनिहया, वत्तिया, लेसिया, सं घाश्या, संघट्टिया, परिश्राविया, किलामिया, उद्द विया, गणा गणं संकामिया, जीविश्रा ववरो विया, तस्स मिठा मि मुक्कडं ॥ इति ॥
॥अथ तस्स उत्तरी॥ ॥ तस्स उत्तरीकरणेणं, पायबित्तकरणेणं, विसोही करणेणं, विसजीकरणेणं, पावाणं कम्माणं, निग्घायण हाए, गमि काउस्सग्गं.
॥अथ अन्नब उससिएणं ॥ ॥अन्नब उससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, बी एणं, जंजाइएणं, उम्एणं, वायनिसग्गेणं, नमलिए, पित्तमुखाए, सुहुमहिं अंगसंचालेहिं, सुहुमेहिं खेलसं
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