Book Title: Vedang Prakash
Author(s): Dayanand Sarasvati Swami
Publisher: Dayanand Sarasvati Swami

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org १० सौवरः ॥ २१ - स्वरितात्संहितायामनुदात्तानाम् ॥ अ० ॥ १ । २ । ३९ ॥ स्वरित से परे संहिता में एक दो और बहुत अनुदान्तों को भी पृथक् २ एकश्रुति स्वर होता है ॥ भा०- एकशेष निर्देशो ऽयम् । अनुदात्तस्य चानुदात्तयो इचानुदात्तानामिति ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाष्यकार का अभिप्राय यह है कि जो इस सूत्र में बहुवचनान्त अनुदात्त शब्द पढ़ा है उस में एकशेष समझना चाहिये अर्थात् एक दो और बहुत अनुदातों को भी पृथक् २ कार्य होता है । जैसे । अग्निमो'ड़े पुरोहितम् । यहां 'मौ' स्वरित से परे एक 'डे' अनुदात्त को एक श्रुतिखर हुआ है । एकश्रुति का नियम यही है कि वरित से परे उस पर कोई चिन्ह नहीं होता (होतारं रन॒धात॑मम् ) यहां 'ता' स्वरित से परे दो रेफ अनुदान्त वर्णों को एकश्रुतिस्वर हुआ है तथा । इ॒मं मे' गङ्गे यमुने सरस्वति शुतुद्रि । यहां मे स्वरित वर्ण है उससे परे द्रि पर्यंत सब अनुदात्त हैं उन सब को एकश्रुतिखर इस सूत्र से हुआ है । संहिताग्रहण इसलिये हैकि । इमम् । मे । गङ्गे । यमुने । सरस्वति । शु तु द्रि । यहां पृथक् २ पदों का अवसान होने से एकश्रुतिखर न हुआ ॥ २१ ॥ २२- उदात्तस्वरितपरस्य सन्नतरः ॥ भ० ॥ १ । २ । ४० ॥ उदास और स्वरित जिस से परे हों उस अनुदात्त को एकश्रुतिस्वर न हो किन्तु सन्नतर अर्थात् अनुदात्ततर होजावे । पूर्व सूत्र से सामान्य विषय में एकश्रुतिखर प्राप्त है उस का इस सूत्र से विशेष विषय में निषेध किया है जैसे । पूर्वेभऋषिभिः | यहां ऋषिशव्द आयुदान्त के परे भिस् विभक्ति को कति स्वर प्राप्त है सो न हुआ । किन्तु उसको अनुदात्ततर होगया । तथा । मरुतः क' सुविता | यहां के शब्द स्वरित के परे 'त' अनुदात्त को खरित नहीं होता किन्तु अनुदात्ततर होजाता है ॥ २२ ॥ ง २३- प्रद्युदात्तश्च ॥ भ० ॥ ३ । १ । २ ॥ धातुओं वा प्रातिपदिकेों से जितने प्रत्यय होते हैं उन सब के लिये यह उत्सर्गसूत्र है कि सब प्रत्यय आद्युदात्त हों । जो एकाचर के हो प्रत्यय हैं वे श्रयन्त वह्नाव से उदात्त होजाते हैं जैसे प्रियः । यहां एकाक्षर क प्रत्यय किया है । : aforan | यहाँ इकवक प्रत्यय आयुदात्त हुआ है । इस के अपवाद विषय में अन्य प्रत्ययस्वर विधायकसूत्र बहुत हैं उन में से थोड़े यहां भी आगे लिखे हैं ॥ २३ ॥ For Private And Personal Use Only

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