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CONCLUSION (सारांश) उपरोक्त कृषि पद्धतियों को अपनाकर कृषि उद्योग में आरम्भिक एवं
औद्योगिक हिंसा को कम करते हुए जैन दर्शन के अहिंसा रूपी मौलिक सिद्धान्त का अनुसरण करते हुए टिकाऊ खेती (Sustainable agriculture) द्वारा मानव जीवन के भरण पोषण का महत्वपूर्ण पर्यावरण अनुकूल कृषि व्यवसाय सुनिश्चित किया जा सकता है।
"हिंसा प्रसूतानि सर्व दुःखानि" हिंसा सम्पूर्ण दुःखों को जन्म देती है।
अहिंसा - आत्म शुद्धि एवं पर्यावरण सुरक्षा का माध्यम है।