Book Title: Vargchulika Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 7
________________ ★उपरे नेमलीकाने समाधियईतेमाधि के पाली२ मादिमक बुदि प्रमुख श् याशास्वा इमंशा दिगम्पन्न समादियाजय शिविॐनिनले असणं लावालाकुलनीता अलंकार अवेनिहां सुधियोहचे एहतेजीतदा ननेदेवेकरी वैद्य ने संतो पर जाया ते गए. प्रमु मंत्र साईगावचा मल्लानं कारणं था। जीवियारिहा। पीइदा रोएाय तो सइया विस स्वादिमते तिवार तेकामा गएका तेजे कमी की मां प्रते देखिने पूर्वे बाध्यात रागने करीने Jain Education International विचार पविते वैद्य ने विस्ती एपि नहाने मिथुला बाई वेत्तेमध्ये गरनेपरिसर एसा का मलयागशिया ॥ तेरूकिमीकि गे सं । पुत्रबधाणं सुथा तेंकरुणा अपनी नेवा करुलाइ हमारे हाथ मरण्थाए डे एमीवमुकने उपरोधे मारे हाथ एनोमरण लेकीमाते मितवे थाए मजा लिने जाजन महर सकारुपचितेऽमाइमे मे संघ व रोएं || दबाने सविस्aत्रिगायामहि या सुकुंळे ली हिजे नोएड्वाजे नेमहिने किमामु निवासी तिहा अन्नर लाए स्वायमशन प्रिया करुण्यको गमियाचवितेऽ सूरनितायेकरि जुमनबाईकरिनेपराचव्याथका एक अंतर मुशस्त्रमात्र माहि बावीस कमी किडा विस्रकिमि किमया आयच बुदागतदेति कथासमाए। अंतमत्रपते. For Personal & Private Use Only www.janelibrary.orgPage Navigation
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