Book Title: Vakrokti Jivitam
Author(s): Radhyshyam Mishr
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 506
________________ चतुर्थोन्मेषः ४४५ पुष्ट करती है )-वहीं उसकी निष्पत्ति हो जाने से वहीं अर्थात् दूसरे कार्य की सिद्धि में ही इस आविकारिक ( फल) की सिद्धि हो जाने से। और इसी लिए निर्विघ्न रस से उज्ज्वल अर्थात् विना किसी, बाधा के प्रवाहित होने वाले मुख्य रस की कान्ति से सुशोभित (प्रबन्ध वक्रता को दृढ़ करती है ) अयमस्य परमार्थः-या कलाधिकारिककथानिषेधिकार्यान्तरव्यवधानान्झगिति विघटमाना अलब्धावकाशापि विकाश्यमाना सा प्रस्तुतेतरव्यापारादेवं प्रस्तुतनिष्पन्नेन्दीवरसितरसनिर्भरा प्रबन्धस्य रामणीयकमनोहरं वक्रिमाणमादधाति । इसका सार यह है कि-जो आधिकारिक कथा, बाधक अन्य कार्य के व्यवधान से शीघ्र ही विघटित होकर अवसर न पाकर भी विकसित होने वाली होती है, वह इस प्रकार प्रस्तुत से भिन्न व्यापार के कारण प्रस्तुत को निष्पन्न कर देनेवाली सफेद कमल के रस से परिपूर्ण सी प्रबन्ध की रममणीयता से मनोहर वक्रता को धारण करती है । इसके उदाहरण रूप में कुन्तक ने 'शिशुपालवध' को उद्धृत किया है। इसके बाद प्रबन्धवक्रता के अन्य भेद का विवेचन प्रारम्भ किया गया है जो इस प्रकार है यत्रैकफलसम्पत्ति-समुद्युक्तोऽपि नायकः । फलान्तरेष्वनन्तेषु तत्तल्यप्रतिपत्तिषु ॥ २२ ॥ धत्ते निमित्ततां स्फारयशःसम्भारमाजनम् । स्वमाहात्म्यचमत्कारात् सापरा चास्य वक्रता॥ २३ ॥ जहां प्रभूत यशःसमृद्धि का पात्र नामक अपने माहात्म्य के चमत्कार से एक ही फल की प्राप्ति में लगा हुआ होने पर भी उसी के सदृश सिदियों वाले दूसरे असंख्य फलों के प्रति निमित बन जाता है वह इस ( प्रबन्ध ) की अन्य (चतुर्थ) वक्रता होती है ॥ २२-२३ ॥ सापरापि अन्यापि, न प्रागुक्ता, अस्य रूपकादेर्वक्रता वक्रभावो भवतीति सम्बन्धः। यत्रैकफलसम्पत्तिसमुद्यक्तोऽपि नायकः-यत्र यस्याम एकफलसम्पत्तिसमुधुक्तोऽपिअपराभिमतवस्तुसाधनव्यवसितोऽपिनायकः फलान्तरेष्वनन्तेषु तत्तुल्यप्रतिपत्तिषु धत्ते निमित्तताम् । फलान्तरेष्वपि साध्यरूपेषु वस्तुषु अनन्तेषु अगणनां नीतेषु तत्तुल्यप्रतिपत्तिषु आधिकारिकफलसमानोपपत्तिषु, प्रस्तुतार्थसिद्धरेवाधिगतसिदिष्विति । वह अपर बर्षात बन्य भी, पहले न प्रतिपादित की गई, इस रूपक वादि

Loading...

Page Navigation
1 ... 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522