Book Title: Vajsaney Samhita Uttar Vinshati
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir SANGACANGALAMAUSAMACHAR मन्धसऽइन्द्रस्येन्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु // 76 // दृष्ट्वारूपे / च्याकरोत्सत्यानुतेप्प्रजापतिः ॥अश्रद्धामनृतेदधाच्छुद्धासत्ये / प्रजापति // ऋते सत्यमिन्द्रियविपान शुक्रमन्धसऽइन्द्रस्ये न्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु // 77 // वेदेनरूपे। व्यपिबत्सुतासुतौ प्रजापतिः // ऋतेनसत्यमिन्द्रियंबिपान शुक्रमन्धसऽइन्द्रस्ये न्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु॥७८॥ दृष्ट्वापरिनुतः // दृष्ट्वापरिस्रुतो है। रसन्शुक्रेणशुक्रंध्यपिबत्पयत्सोम॑म्प्रजापतिः // ऋतेनसत्यमि CANCIENCCA550454543 For Private And Personal

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