Book Title: Vajsaney Samhita Uttar Vinshati
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Page 577
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 22 धतोगान्त्वचि ॥८२॥सरखतीमनसा / पेशलंबसुनासत्याग्भ्यां हैं। बयतिदर्शतंव्वपुः // रसम्परिस्रुतानरोहितन्ननहुर्डीरस्तसरनवेम / / // 83 // पयसाशुक्रम् // पयसाशुक्रममृतञ्जनित्रसुरैयामूोजन / यन्तरेतः॥अपामतिन्दुर्मतिम्बाधमानाऽऊबड्यंबात सचन्त / दारात् // 84 // इन्द्रःसुत्रामाहृदयेनसत्यम्पुरोडाशैनसविताज जान // यकृत्लोमानंबरुणोभिपज्यन्मतस्नेवायध्यैनमिनाति है। पित्तम् // 85 // आन्त्राणिस्त्थाली॥ आन्त्राणिस्त्थालीमधुपि For Private And Personal

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