Book Title: Vadopnishada
Author(s): Siddhasen Divakarsuri, 
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 64
________________ वादोपनिषद् 107 128 वादोपनिषद् पडिपुन्नंगोवंगा पयंसिया पास-पडिम त्ति / / 5 / / तं दणं लोओ निव-पमुहो विम्हिओ तओ राया। सिरि-सिद्धसूरिणेवं भणिओ निसुणेसु मम वयणं / / 66 / / देवाहिदेव देवो एसो सो मम थुईए अरिहो त्ति / अरहंतो भयवंतो सव्वन्नू सव्वदंसी य।।६७।।। जस्स पभावे लीलाए जंति पावे नणु तरंति भव-जलहिं / इय दळूणाइसयं पडिबुद्धा पाणिणो बहवे / / 68 / / जयइ जिण सासणमहो जम्मी एयारिसा महापुरिसा / [पत्र 10 अप्राप्य....... ...] / / 69 / / / [11A] ....... ...... गतो वादी सिद्धसेन दिवाकर / / 7 / / / सिद्धसेन-दिवाकर-(क)थानकं कथितं / 1. स्फुरन्ति वादिखद्योताः साम्प्रतं दक्षिणापथे। नूनमस्तं गतो वादी, सिद्धसेनदिवाकरः।। (प्राभवकचरिते प्रबन्धकोशे च)

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