Book Title: Vachak Yashovijay Rachit Samudra Vahan Samvad
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 3
________________ कृषि गोप्यो जिम कृषि गोख्यो मलई १--३ मले (६) टूहा : : ढाल ७ : in जलहरे in or ८-२ 11111 11111 1111111111111111 111 उत्पति तिम ऊपति मनि सहुं हुं छु सहूं छु हूं जल हरई पुण्य भव० पुण्य ए भव० देखता देखतो वीचि खपे वीचि पंखई ठामनो ठामना दाधे दाधी धन घननु वृष्टि रे वृष्टिं रे दृष्टि रे दृष्टि माननी मानिनि साथ तूं साचलं बिंदु उव संगी रे उचसंगी रे रहतइ सणाजा जातिनो सणीजा नातिनो जे पणि पणि जे दिवसे दृष्टिं रे दृष्टिं ८-३ (७) दूहा : ढाल ८: (८) दूहा : दिवस ४-२ ढाल १०: ४-४ निश्रूक निशूक सरमोहता सरडोहता ऊधांण वलियां ऊधाण बलियां भेळवी निशितशिर धार निशितशर धुर ६-३ मेळवी । । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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