Book Title: Uttaradhyayana Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 10
________________ तेली रात्रि राजनीगोधना देवी तराईीदा श्रीमान् अहो दस्ती राज गजगति नावाजदार सर्वलक्षण संपूर्ण सामली राय ने सुमाकर इनई पूर्वन वसंताचेा ददनाम इनगरमुनामनगरते महानता नित्य ती समारालजी पर तिव्हास्थान में समवैति हमे जाला एक नदेस्वाकरराष्यों जिगरेते नाता लीली जेमोसर नोवी झोली जेतेवर त्रदान दी जई महालान है ब्राह्म एते घावन देवक है। पात्रतेसा६ दस नमो न नदेव नोजीकन घरे नंदोरा लीनोपुत्रनंदन ते दोन लोग पानोलो श्रीसचानक हाथी थमो ते सर्वसम्मली जातिसमनियनोप्रदामेत्तलो बिबेक३० नो मैराजाइहा थीममा तलीन इवअनेक मंगनी करी हस्ती था एक दस्ताव न विनाकोल राष्या को लिक हिसाला टीटी मनुष्यनीको तीर पापमी दिदिज्ञालाले वाइनदी नित्य सिंचनद वढीराती वाल गद्गलितथा कोलि कुरा जानेका कस्या पदी श्री सना वैजिकम स्वइते सर्वज्ञान करी जाऐति हरई निवारयति विचार कोण के कब को इहा श्री ने एक ही ल्पात तथा नारैतेद्नलक्ष सवर्णच्या तिवारइ एक एकत कसमा के गर्ता निश्रितज्ञली की ते सर्व विफलनितनविन पनीतकटकमा हि नरीपरीको स्थिति लेकर कोई न जाए के दो नाली बाएक दिन सिंघराज्य एक दिसिं सिधर।। व्यां एकें दिसि मनुष्य जसीयार छिन थी सिवानीकी कटकम दिनमा तैलिसमा श्री सर्व दिसीसी जाणीव माहित जाली मन तिवारी माथी बेलवलदा थीनचा न निवारे लक है अहोदा श्री मीरानपादन लाइबेट तोकूल नलोथासी । एहसानजोदाली चीताज्ञानी कान जाएइतिवार स्वनाच अप्पा वेद मेमोयात्मादमीनी (नेदम्पेसुथायाच्प्रनिभाननावशयी दल दि दलाईनजतारितेतिमा दियो । मरीन ददगतीया मी हलादिना तक की वियरागई महावीर स्वामी दासदीया जी श्रीमायामा दमको इति सी दान ककथा नवसनसनापति ने निमेश निमाचार्य न०म० इकाई इठिन इस नवसान डाइअनंतगुणोश्रो पइजिहारायनी कमविरोधेनार दशकी एक नाक कराय टहानीका २० अपनी कोबे एफ०रुनो ने करी गुरुन शिष्यमक (गटोक देवता ज०ज० नम्वर ६० कविनवचन नगरून इसी सभीति । तमुऊन विपरीत अली वर एकात इह सीबा म देतादिए । क० मनसा रातिका साइनो दिवसल वीकएण्ड पहिली बाया की राजवार दस्ते ने कमाईQ29 नए स्कंनन पुरन नेव किंजा दिन इसमी न० से छूटोकाई 30 पोतानी सुखासी देवी १० बानी की जिने कु०२००० ला हायसारी म० इमन र मुगुरुन ० याद साथ श्री गुरुनीसानो रुम इतरनं दाल राजीन नवसई दिलनवइस इस०] सा05 ननिसगान समय ऐनो पहिले नेपलि स्किड कपमंचमंदा यासारिएवातिनिछे गुरुतिर आरि अदिक इ दा० लामो च्छायो नरक के दिए प्रसाद की कन इस दर ३० मे इस २० आ० गएका होलानन्द इसी नरक मारमानादि कु रोगादिस्था इविए २०५० जाली नि० मोक्ष इस० संघ काल एदिवार्दितो उसी एलीन नकमाईगि एसाययेही नियागही उवविद्वेगुरुसा। 20 दाल नानाश्वा लामो लर्वते जयंतेवाडs न निस्सी एडा कमाईsss

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