Book Title: Urdubhashabaddha Tran Krutio Author(s): Bhuvanchandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ [2] गोरी हम जाहेरी हम जाहेरी (बे) 1 / ते माटे अरजे आव्यो छु. अरजि आहिबो आहिबो हे गोडि पास / गरीब निवाज ! गोडि पास गरीबनिवाज ! जगत के आधार जुगदाईहारा बो ईहारा बो; हमकु दरसन दिया दिदम् दे हम रोज वामाना पुत्र ! अरजी सुणो में कहता हूं / फरजन वामेरा वामेरा, गो० टेक / हाजर हूं में तेरी बंदगी मे, पार कर परवरदिगार ! हाजर हम् दर् बंदगी तोसफ् केइ रातदिन जाता है, उस वास्ते केहता हूं के सबोरोज गुदस्ती बे गुदस्ती बे; महेरबानी कर नीजरभर देषो, अछि तरें सें, लोत्फ कुन् चस्म मून् यायद् (जायज् ?) तेरेसें मेरा दिल मस्त हुवा है देष कर, दिल मन् हस्तम्, अस्ति बे अस्ति बे, अ० गो० 2 मेरि मतलब, में पात्र एता मागता हूं, तीस वास्तद् मेरि मतलब ब्याबम् तल्ब (उ?) न् मूदम् मेरो मन हजारो दम् षेच नांहि (?) अब में न पडषु (?) मन हस्त अल्य कसेदम् बे कसेदम् बे; इसी दुनीयां बहोली बेबफा हे जो सोद् दूनीयां बा (ब ?) होरी बफोई तू दे दस्त रसीदम् बे रसीदम् बे अ० गो० 3 गुनि जीनके ए तरणी हैं गुनागुन् माबूदन् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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