Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Vishayaanukram 02
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 48
________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखी 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि श्री उपां ० विषयानुक्रमे ॥ ३४ ॥ उपांग+प्रकीर्णकसूत्र-लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [ उपांगसूत्र-४ “प्रज्ञापना" ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः उपांग+प्रकीर्णक-सूत्रस्य विषयानुक्रमः (आगम-संबंधी-साहित्य) [आगम-१५] उपांग-४ “प्रज्ञापना" श्रीप्रज्ञापनायाः विषयसूचि. १* श्रीवीर जिननति रूपं मंगलम् २* आसन्नोपकारितादर्शनम् ३४ आर्यश्यामनमनं (प्र.) ५* भगवद्वचोऽनुसारिता ~48~ २ ६- ९* पत्रिंशत्पदनामानि १. प्रज्ञापनाभेदी २ अजीवप्रज्ञापनाभेदौ ४ ३ अरूप्य जीवप्रज्ञापनाभेदाः ४ रूप्यजीव प्रज्ञापना मेदा: ५ जीवप्रज्ञापनाभेदौ ६ असंसारसमापन जीवप्रज्ञापनाभेदौ ७ अनन्तर सिद्धप्रज्ञापनाभेदाः (स्त्रीमुक्तिसिद्धिः) (१५) (प्रत्येक बुद्धस्वयं बुद्धभेदाः) ८ परम्पर सिद्धप्रज्ञापनाभेदाः १६ १७ १८ १८ २३ ९. संसारसमापन्नजीवप्रज्ञापनाभेदाः (५), ५ १० एकेन्द्रियप्रज्ञापनाभेदाः ( ५ ) २४ ६ १९ पृथ्वीकायप्रज्ञापना भेदा: " AVASADANANANAN जीवाजीव विषयानुक्रमः ॥ ३४ ॥

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