Book Title: Upaang Prakirnak Sootra Vishayaanukram 02
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 47
________________ आगम संबंधी साहित्य उपांग+प्रकीर्णकसूत्र-लघुबृहविषयानुक्रमौ [ उपांगसूत्र-३ "जीवाजीवाभिगम"] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: उपांग+प्रकीर्णक-सूत्रस्य विषयानुक्रम: (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक श्रीउपां० श्रीजीवाजीव विषयानुक्रमः यहां विषयानुक्रमे देखीए ॥३४॥ दीप क्रमांक के लिए देखीए | २५७ भव्यादि २५६ सादिस्थित्यादि। | २६८ मत्यादिज्ञान्यज्ञानिस्थित्यादि । ४६० ४४२२६९ नारकादिस्थित्यादि । १६१ २५८ मनोयोग्यादिस्थित्यादि। . २७. एकेन्द्रियादिस्थित्यादि। ४६२ (सम्पदायमामाण्यम्) ४५०/२७१ प्रथमसमयनारकादिस्थित्यादि । ४६४ २५९ स्यादिस्थित्यादि। ४५१ २७२ पृथ्व्यादिस्थित्यादि। ४६५ | २६० चक्षुर्दर्शन्यादिस्थित्यादि। ४५२| २७३ प्रथमसमयनारकादिस्थित्यादि। ४६७ | २६१ संयतादिस्थित्यादि। ४५३| | प्रशस्तिः ।। २६२,९३* क्रोधादिस्थित्यादि। ४५४ ॥ इति जीवाजीवाभिगमसूत्र विषयानुक्रमः।। २६३ नारकादिस्थित्यादि। २६४ मतिज्ञान्यायेकेन्द्रियादिस्थित्यादि। ४५६ २६५ औदारिकादिस्थित्यादि। ४५७ २६६ पृथ्वीकायिकादिस्थित्यादि । २६७ कृष्णलेश्यादिस्थित्यादि। ४५९ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ३४॥ ~ 47~

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