Book Title: Tulsi Shabda Kosh Part 01
Author(s): Bacchulal Avasthi
Publisher: Books and Books
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करे : वि०पु० (आँकड़े = अंक गणना में आने वाले) खरे, उत्तम । 'अँकरे किये खोटेउ' - कवि० ७.१२७
अंकोर : सं० स्त्री० (सं० उत्कोच > प्रा० अक्कोड़ा ) घूस, रिश्वत, प्रलोभन । 'दै अँकोर राखे जुग रुचिर भोर' गी० ७.३.३
अँखियन : अँखियाँ + सं०ब० – आँखों के । 'अँखियनु बीच' बर, ३०
अँखियाँ : अँखिया + बहु० । आँखें । 'ए अँखियाँ दोउ बेरिनि देत बुझाई' बर० ३६ अँखिया : 'आँख' का रूपा० । स्नेहपूर्ण आँख । 'सोभा सुधा पियें करि अंखिया दोनी ।' गी० २.२२.२
अंग : अंग । मा० २.३१५
अँगइ : पूक अङ्गीकार करके, शरीर पर झेल कर । 'अंगइ अनट अपमान दो० ४६६
अंगना : सं० पु० (सं० अङ्गन) आंगन, आजिर गी० १.८.३
अँगनाई : सं० [स्त्री० (सं० अङ्गनवेदी>प्रा० अंगणेई) आँगन का भूभाग । मा० ७.७६.४
आँगनैया : अँगनाई (सं० अङ्गनवेदिका > प्रा० अंगणेइया) गी० १.६.३
गरी : सं० स्त्री० (सं अङ्गिका = कञ्चुक > प्रा० अंगिया > सं० अंगडी) कवच, अङ्गत्राण । मा० २.१६१.५
अगवनिहारे : वि० पुं बहु० । अङ्गों पर झेलने वाले । सूल कुलिस असि अंगवनिहारे - मा० २.२५.४
अंगार : अंगार । मा० ६.५३
अंगारू : अंगार + कए० | अंगार । 'पाके छत जनु लाग
२.१६१.५
गुरिन : अँगुलियों से । 'अंगुरिन खांडि अकास' — पर २८ अंगुरियन्ह : अंगुलियों में । रा० न० १५
अंगारू ।' मा०

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