________________
७५. विश्वशांति के पुरोधा : आचार्य श्री तुलसी--डॉ० परमेश्वर सोलंकी
(अंक ३, पृ० २२१-२३२) ७६. विज्ञान पर आध्यात्मिक नियंत्रण की आवश्यकता--डॉ० दयानंद भार्गव
(अंक १, पृ० १०-१५) ७७. शाकाहार : शास्त्रीय पक्ष--चन्द्रकांत शुक्ल
(अंक २, पृ० ७७-८२) ७८. श्वेताम्बर परम्परा का चन्द्र कुल और उसके प्रसिद्ध आचार्य
---शिवप्रसाद (अंक ४, पृ० ३१९-३४४) ७९. समराइच्च कहा : एक धर्म कथा—सुश्री निर्मला चोरड़िया
(अंक ३, पृ० २०७-२१४) ८०. स्थानांग में संगीत कला के तत्त्व-सुश्री निर्मला चोरड़िया
(अंक ४, पृ० ३७५-३८८) ८१. हर्षचरित में कुछ राजकुल--उपेन्द्रनाथ राय
(अंक २, पृ० १२९-१३५) ८२. पुस्तक समीक्षा : १. दर्शन परिचय (राजेन्द्र स्वरूप भटनागर) अंक १, पृ० ४७
डॉ० दशरथसिंह २. आगम संपादन की समस्याएं (युवाचार्य महाप्रज्ञ) अंक २, पृ० डॉ० के० आर० चन्द्र
१६१-१६२ ३. मेरा जीवन : मेरा युग (राजेन्द्र प्रसाद जैन) अंक २, पृ० १६२
परमेश्वर सोलंकी ४. वल्लभ काव्यविभा (श्याम श्रोत्रिय) अंक २, १६३-१६४
आनंद मंगल वाजपेयी ५. आचार्य हरिषेण प्रणीत 'धम्म परिक्खा' अंक ३, पृ० २५७-२५९
(डॉ० भागचंद जैन) परमेश्वर सोलंकी ६. णाण सायर (अशोक जैन, कुसुम जैन) अंक ३, पृ० २५९-२६०
परमेश्वर सोलंकी ७. शोध समवेत (डॉ० श्यामसुन्दर निगम) अंक ३, पृ० २६०
परमेश्वर सोलंकी ८. अनुसंधान (हरिवल्लभ भायाणी) अंक ३, पृ० २६०-२६१
परमेश्वर सोलंकी ९. प्राकृत एवं जैन विद्या शोध संदर्भ अंक ३, पृ० २६१
परमेश्वर सोलंकी
खण्ड १९, अंक ४
३९५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org