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अनूठी पत्रिका
लेख प्रथम कक्षा के वास्तव में 'तीर्थंकर' पत्रिका अपने आप तीर्थकर' में दिये जानेवाले लेख में सभी दृष्टियों से एक अनूठी पत्रिका है। प्रथम कक्षा के होते हैं, इसलिए ही हम सदस्य -डॉ. शीतलप्रसाद फौजदार, बड़ा मलहरा बने हैं । मनि महाराजों को भी बताते हैं। जड़त्व पर करारी चोट करने वाला -खेतशी रायमल शाह, बम्बई
संपादकीय (मार्च-अंक) सदा की तरह ही बहुत गंभीर है। जड़त्व पर करारी पुराण-कथा, चर्चा-वार्ता चोट करने वाला है।
स्थायी स्तंभ हों -कन्हैयालाल सेठिया, कलकत्ता
'तीर्थकर' का मार्च-अंक पढ़ कर । गीता का मालवी में प्रथम गद्यानुवाद प्रसन्नता हुई। पहले वाक्य से आपने 'गद्य' शब्द
सुकुमारिका (पुराण-कथा) हिन्दी निकाल कर मुझ पर अन्याय किया है। में नमने की कृति है। 'त्रिशलाका' की गीता का राजस्थानी में पद्यानुवाद है। कथाओं का अनवाद आप कृपया नियमित संपादकीय सुन्दर लिखा गया है।
प्रकाशित कीजिये। -निरंजन जमीदार, इन्दौर
आपके और एलाचार्य मनिश्री विद्याचर्चा, रोचक एवं दिशा बोधक नन्दजी के बीच हुई चर्चा एक दस्तावेज 'तीर्थकार' के मार्च-अंकः में आपकी
.. है। आपने हम-जैसे पाठकों के मन में उठने
वाले प्रश्न पूछे और एलाचार्यजी द्वारा चर्चा एलाचार्य मुनिश्री विद्यानन्दजी से भेदविज्ञान और ट्रस्टीशिप में से अपरिग्रह
जैनधर्म और दर्शन की जो सुगम एवं सुबोध बड़ी रोचक एवं नयी दिशा देने वाली लगी।
व्याख्या की गयी है, वह तो अद्भुत है। ऐसे ही पूज्य विद्यानन्दजी, विद्यासागरजी
ऐसी चर्चा-वार्ता आपकी पत्रिका में स्थायी जैसे भेदविज्ञानी साधुओं की परिचर्चा,
स्तंभ होना चाहिये। प्रवचन, लेख द्वारा अध्यात्म की धारा
___भगवान महावीर : सेवा आज के “तीर्थंकर' के प्रत्येक अंक में उपलब्ध करायें, सन्दर्भ में विचारणीय है। खेदजनक है कि तो निश्चय ही अध्यात्म को नयी दिशा प्राप्त वर्तमान में हम आचार्यों से विशुद्ध धार्मिक होगी।
ज्ञान न लेकर क्रियाकाण्ड और आडम्बर सोनम ले रहे हैं। -सन्तोषकुमार जैन, सागर
___ -शान्तिलाल के. शाह, सांगली चर्चा/वार्ता : मूल्यवान सामग्री
पूज्य एलाचार्य जी से हुई चर्चा/वार्ता नये आजीवन सदस्य रु. १०१ मार्च-अंक की मूल्यवान सामग्री है। आपके सूझबूझ पूर्ण प्रश्न और पूज्यवर के अध्ययन- ३७२ श्री भेरूलाल जैन प्रणीत समाधान विशिष्ट और लोकोपयोगी पारस प्रिंटिंग प्रेस हैं संपादकीय पूर्व-सा बेजोड़ है। डॉ.
पो. आगर-मालवा, जि. शाजापुर राजाराम जैन मेहनत के साथ 'जैन विद्या : ३७३ श्री साकेरलाल बी. शाह विकास-क्रम' दे रहे हैं। उनके सभी लेख ।
२२२, जवाहरनगर भविष्य में पुस्तकाकार होंगे, ऐसा सोचता हूं। गोरेगाँव (पश्चिम)
-सुरेश 'सरल', जबलपुर पा. बम्बई ४०००६२
तीर्थंकर : अप्रैल ७९/४८
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