Book Title: Tirthankar 1978 11 12
Author(s): Nemichand Jain
Publisher: Hira Bhaiyya Prakashan Indore

View full book text
Previous | Next

Page 278
________________ उमेश जोशी : रोशनी का वह चेहरा (कविता), चन्दनसिंह भरकतिया : उपयुक्त व्यक्ति, जून, नव.-दिस., पृ. २७;-हँसते हुए गुलाब के सान्निध्य पृ. ३४ । में (कविता), जन.-फर., पृ. १२। चास्कीति स्वामी : अर्थमुक्त प्रतिष्ठामुक्त ___ कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' : अबे , तू आदमी पण्डितजी, जन, पृ. २४ ।। है या जानवर? अक्टूबर, पृ. ५;-आनन्द का क्षण, जमनालाल जैन : अपने पर भी हँसें कभी, जन.-फर., पृ. ७। जन-फर., पृ. २१;-कैसी भूमिका (पण्डित : भावी ___ कन्हैयालाल सरावगी : गुरु : एक आवश्यकता, भूमिका), जून, पृ. १३१ । जन, प.७६;-तु हाँसे जग रोय, जन.-फर.,प.२१%; ___ जमनालाल जैन, प्रो. : पण्डितजी/एक खुली स्वर्ग और नरक : कितना सत्य, कितना असत्य अगस्त, पृ.६। पुस्तक, जून, पृ. २८ । __कन्हैयालाल सेठिया : कारा! (कविता), ___जयकुमार 'जलज', डॉ. : क्या हम किसी दुष्काल जन. फर., पृ. १ (आवरण)। " से गजरने को हैं ? , जून, पृ. ६३ । ___ कल्याणकुमार 'शशि' : जंगली कहीं के (बोध- जयसेन जैन, पं. : वात्सल्यपूर्ण आशीष, जून, कथा), अप्रैल, पृ. ४८; जो हँसने से रोकें, तोड़ें पृ. ३५ । ऐसी परम्पराएँ (कविता), जन.-फर., पृ. ४१। दलसुख मालवणिया, पं. : जैन पत्र-पत्रिकाएँ : __ कस्तूरचन्द कासलीवाल, डॉ. : क्या भट्रारक पहला पुरखा-जैन दीपक, जुलाई, पृ. ५; -जैन पण्डित-पुरखे हैं ?, जून, पृ. १०१;-विनीत स्वभाव पण्डित समाज, जून, पृ. ६६ । के धनी, जन. पृ. २६; समस्याओं से घिरा आज का दिनकर सोनवलकर, प्रो. : गहन व्यक्तित्व की शोध-छात्र, नव-दिस., पृ. ८६ । तलाश (कविता), मई, पृ. ११; -निराली पहचान': ___ कान्तिकुमार जैन, डॉ. : लहनासिंह यदि आज । अब कहाँ (संदर्भ, 'तीर्थंकर' का) मई, पृ. २८; जीवित होता, सितम्बर, पृ. ७ । -पण्डित-परिभाषा (कविता), जून, पृ ५; कालेलकर, काका : रूढ़ि के ताल ऐसे खलते हैं, -मन की कृपणता (कविता), मई, प. १२; जन.-फर., पृ. ४० । -प्रार्थना | इन्सान के हमदर्दी का स्वर (कविता), कुन्तल गोयल, डॉ. : ज़िन्दगी का एक दिन, मई, प. १२; -साधना-भ्रष्ट (कविता), जन.मार्च, पृ. ५; जीवन : हरा हर पल, भरा हर पल, फर., पृ. ३ (आवरण)। जन. फर., पृ. ३७; -बचें हम प्रश्नों की भीड़ से, देवेन्द्रकुमार शास्त्री, डॉ. : जैन साधु की चर्या, नव.-दिस., पृ. ८१:; -समय थोड़ा है, अक्टबर, नव.-दिस., पृ. १५। पृ. १७। ___ नरेन्द्र प्रकाश जैन, प्राचार्य : आदमी हो, आदमी कैलाशचन्द्र शास्त्री, पं.: जैन परम्परा में पण्डित की तरह जीना जरा जानो (कविता), जन.-फर., और उनका योगदान, जन, प. ६५: णमो लोए पृ. ४३; -सब रुचिकर : कुछ अरुचिकर (संदर्भ, सव्वसाहूणं, नव.-दिस., पृ.। 'तीर्थंकर' का), मई, प. ३०; -स्थितप्रज्ञ बनें कैलाश मड़बया : बन्दौ रे तीरथ नैनागिरि (पण्डित : भावी भूमिका), जून, पृ. १२६; -वह (गीत), नव-दिस., पृ. १ (आवरण)। लाजवाब है (शब्दचित्र), नव.-दिस., पृ. २० । कोमलचन्द वकील : भेंट-स्वरूप केवल नारियल ___ नाथूलाल शास्त्री, पं. : आत्मकथन, जन, प. जून, पृ. ३०। ११; -पण्डित अपर नाम गृहस्थाचार्य, जून, पृ. केशरीमल जैन : जैन पारिभाषिक शब्दों के १९; -विचार-यात्रा/अगले पड़ाव, जून, पृ. ३८; अंग्रेजी-पर्याय (टिप्पणी), जन-फर., पृ. ४६।। -विचार-यात्रा (सन् १९४२-४६), जून, पृ. ४७ । __ निजामउद्दीन, डॉ. : अहिसा की भाव-भूमि, ___ कौशल, अ. कुमारी : पण्डित, नहीं ज्ञानी, सित अक्टूबर, पृ. १४; -महान् ज्योति महान् तीर्थ म्बर, पृ. ३१। (बोकथा), मार्च, पृ. ३ (आवरण); हँसते____ गणेश ललवानी : सुकुमारिका (पुराण-कथा), हंमते जियें करें, जन.-पर., पृ. १६। मार्च, पृ. १० ;-हँगते-हँसते मरना, जन.-फर., नीरज जैन : क और विद्यानन्दि, नब.-दिस., प.२८। पृ. १७; -वन्दनीय छवि, जून, पृ. २४ । गलाबचन्द्र 'आदित्य' : महानता की कसौटियाँ नेमीचन्द पटोरिया : असली माँ (सत्यकथा), (टिप्पणी), नव.-दिल., पृ. ६६ । मई, पृ. २५; -कहाँ-से-कहाँ (बोधकथा), सितम्बर, गोकुलचन्द्र जैन, डॉ : वैदुष्य और सौजन्य का पृ. १०; जनेऊ और जहर (बोधकथा), जुलाई, बहुमान, जून, पृ. २५। पृ. १ (आवरण); -नहीं जाऊँगा, नहीं जाऊँगा, तीर्थंकर : अप्रैल ७९/५४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288