Book Title: Tiloypannatti Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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(३५७)
पृष्ठ सं०
पंक्ति सं० . अशुद्ध गाथा २८९ की संदृष्टि का शुद्ध मुद्रित रूप इस प्रकार है
२४५
-२+
]
१२ । १५ रि | रि| रि | रि | ऽरि परि
आगम का वर्णन
आगमन का वर्णन
२४८
समझता,
समझता है, मुद्गलिका, मुद्गर
मुगलिका, मुद्गर
गाथा ३११ को संदृष्टि
२५१
(४०००४५)२०००० कोस
अथवा ५००० योजन
(४०० ४५) -- २००० कोस अथवा
५०० योजन फल-पुजा
फल-पूजा
२६५
भव्य
भव
प्रमाणं
पमाणं
२७६
१६०८ और २१५६ में तथा
पाँचव अधिकार की
१९३२ और २१८३ में तथा छठे अधिकार को
२८०
कूद्धारा
कडाण
२८२
गाथा सं० ६३ के बाद गाथा क्रम संख्या ६४ लगना छूट गया है और ६५ से २५५ तक की संख्यायें लग गई हैं । अत: गाथा सं० ६३ को ही ६३.६४ समझे ताकि अन्य सन्दर्भ सही समझे जा सकें ।
२६६
गारिवादिक
पारिषदादिक