Book Title: Tiloypannatti Part 1
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 431
________________ ********* * शुद्धि-पत्र पृष्ठ सं० पंक्तिसं. अभ्युदय वाण अब्भुदय बाग विसय यिसय भव्य भव किरण आठ-आठ गुरिणत रथ रेणु उस्सेहस्य चौथे भाग से अर्थात् अद्ध व्यास के वर्ग से परिधि को कर्मभूमि के बालाग्र, मध्यम भोगभूमि के बालान किर गए आठ-आठ गुणित क्रमश: रथरेगु उस्सेहस्स चौथे भाग से परिधि को कर्मभुमि के बालान, जधान्य भोगभूमि के वालान, मध्यम भोग भूमि के बालान ___ च चच" SLC गाथा २३४ संदृष्टि गाथा के बीच में दी गई है, उसे गाथा के बाद पढ़ना चाहिए।

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