Book Title: Terapanth Pavas Pravas Author(s): Navratnamalmuni Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 9
________________ आशीर्वचन इतिहास एक ऐसी विधा है जो अतीत को जीवन्त रखती है, वर्तमान को प्रेरणा देती है और भविष्य को संवारती है। इससे रुचि परिष्कार के साथ ज्ञान की वृद्धि भी होती है। इस विधा का उपयोग सब पीढ़ियों के लिए समान रूप से होता है । तेरापंथ धर्मसंघ का इतिहास जितना रोमांचक है, उतना ही रोचक और प्रेरक है। शासन-समुद्र ग्रन्थमाला में तेरापंथ के उपलब्ध इतिहास को अविकल रूप से संकलित करने का प्रयत्न किया गया है। आचार्य भिक्षु से लेकर अब तक के बहुआयामी प्रसंगों को प्रामाणिक रूप में प्रस्तुत करना बहुत ही श्रमसाध्य और समयसाध्य काम है। 'शासनसमुद्र' एक प्रकार से घटनाओं और तथ्यों का विशाल खजाना है। उसके आधार पर अनेक वर्गीकृत ग्रन्थ तैयार किए जा सकते हैं। इसका एक उदाहरण है-तेरापंथ पावस-प्रवास । तेरापंथ धर्मसंघ में आचार्यों और साधु-साध्वियों के २२५ वर्षों में हुए चातुर्मासों का अकारादि क्रम से पूरा संकलन एक दुर्लभ ऐतिहासिक सामग्री है । समग्र विवरण के बाद आचार्यों के चातुर्मासों और मर्यादामहोत्सवों का संकलन अलग से किया गया है। कुछ और बातें भी इस ग्रंथ में जोड़ी गई हैं। कुल मिलाकर यह ग्रन्थ अनेक दृष्टियों से उपयोगी बन गया है। इस ग्रन्थ के संकलन और संपादन में मुनि नवरत्नमल का श्रम और समय लगा है। कृशकाय होने पर भी उसका मस्तिष्क और हाथ अनवरत क्रियाशील रहा है। उस क्रियाशीलता का साक्षी यह ग्रन्थ अपने पाठकों को ही नहीं तेरापंथ के विषय में शोध करने वाले अनुसंधाताओं को भी एक दिशा दे सकेगा, ऐसा विश्वास है। -आचार्य तुलसी छोटी रावलिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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