Book Title: Tattvasangraha Part 01 Author(s): Dwarikadas Shastri Publisher: Bauddh BharatiPage 24
________________ २२. १०. द्रव्यपदार्थपरीक्षा षट्पदार्थपरीक्षोपक्षेपः क्षित्यादिचतुष्टयस्य नित्यानित्यतया विभागः नित्याणुरूपाणां तेषां निषेधः • अविद्धकर्णाभिमतनित्याणुसाधकप्रमाणनिरसनम् अवयविवादनिरास: उद्द्योतकरभाविविक्तादिमतोपन्यासः १६६ १६७ १६९ १७२ १७३ १७४ १७५ १७५ १७६ १७७ १७७ · १७८ १७८ १७९ १८० १८१ १८१, १८१ . १८१ १८२ १८३ १८४ तन्मतखण्डनम् अनैकान्तिकत्वसमर्थनम् अवयवावयविभेदसमर्थननिरासः परं चोदयितुं शिक्षयत्याचार्यः उद्द्योतकरमतम् तन्मतखण्डनम् शङ्करस्वामिमतम् तन्मतखण्डनम् परिहारान्तरम् अवयविवादिनो विशेषेण दूषणम् उद्द्योतकरतम् उद्द्योतकरमतखण्डनम् शङ्करस्वाभिमतम् शङ्करस्वामिमतखण्डनम् आकाशसाधनम् कालसाधनम् दिक्प्रसाधनम् तत्त्वसंग्रहे १६४ १६४ परत्वापरत्वयोर्दूषणम् संख्यादिगुणपदार्थसाधने परकीयमाशङ्कनम् अविद्धकर्णस्याभिमतम् तत्प्रतिविधानम् संस्काराणां प्रतिषेधः . १६४ १६४ १६५ धर्माधर्मयोदूषणम् १६६ १२. कर्मपदार्थपरीक्षा मनसः साधनम् आकाशसाधननिरसनम् कालदिक्प्रतिविधानम् मनसोऽनित्यत्वनिरूपणम् १८५ १८५ ११. गुणपदार्थपरीक्षा गुणादीनां निषेधः पराभिमतरूपादिप्रतिषेधः पराभिमतसङ्ख्याप्रतिषेधः अविद्धकर्णोक्तसङ्ख्यासाधकप्रमाणम् १८७ १८५ १८६ तत्प्रतिविधानम् १८८ १८८ पराभिमतपरिमाणाख्यगुणनिषेधः पृथक्त्वाख्यगुणप्रतिषेधः संयोगविभागयोः प्रतिषेधः १९० १९१ १९१ उद्द्योतकरखण्डनम् संयोगविभागयोर्बाधकं प्रमाणम् १९५ क्षणिकत्वे उत्क्षेपणादिकर्मणा मसम्भवत्वम् भावानां स्थिरत्वेऽपि तेषु कर्म णामसम्भवत्वम् कर्माभ्युपगमे प्रत्यक्षबाधा उक्तोपसंहारः गतिव्यवहारो भ्रान्तिमूलकः १३. सामान्यपदार्थपरीक्षा सामान्यविशेषदूषणोपक्रमः सामान्यविशेषयोः स्वरूपम् पराभिमतविशेषाणां लक्षणम् जातिसाधनम् भ्राविविक्तरचितप्रमाणोपन्यासः उद्द्योतकररचितप्रमाणोपन्यासः तत्प्रतिविधानम् शङ्करस्वामिमतनिरसनम् प्रकारान्तरेण दूषणम् उद्द्योतकरखण्डनम् प्रकारान्तरेण व्यभिचारोपपादनम् शङ्करस्वामिमतम् तत्प्रतिविधांनम् उद्द्योतकरमतम् तत्प्रतिविधानम् उपसंहारः शङ्करस्वामिन उत्तरम् तत्खण्डनम् भाविविक्तमतम् तन्निरास: . आभोगमात्रस्यान्वयव्यतिरेकाभ्या १९६ 1 १९७ १९७ १९७ १९९ २०१ २०२ २०२ २०३ २०४ २०५ २०५ २०६ २०६ २०६ २०६ २०७ २०७ २०८ २०८ २१२ २१३ २१४ २१४ २१५ २१५ २१६ २१६ २१७ २१७ २१७ २१८ २१८ २१८ मनुगतप्रत्ययहेतुत्वम् सामान्यस्यापि तदसम्भवोपपादनम् २१९ २२० उद्द्योतकरमतम् तत्प्रतिविधानम्, २२०Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 ... 444