Book Title: Swayambhukrut Ritthanemicharitra matthi Pacchis Deshya Shabdo
Author(s): H C Bhayani
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf

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Page 3
________________ हरिवल्लभ चूनीलाल भायाणी २३५ ] (जुवो स्टडिज इन हेमचन्द्र गु. देशीनाममाला; १९६६ संख्यांक २००) कांतिल्लु पिच्छिने छुधहीरि (७-६-१) “(स्वप्न मां) चन्द्र जोयो तेथी (जन्मनारो पुत्र) कांतिमान थशे' । छरण छुधहीर छवि छाय मुहिय (१३-७-३) 'पूनम ना चंद्रनी कांति जेवा कांति धरायता मुख वाली' । ७. झल झलाव् 'छलकाववु' 'उभराववु' प्राकृत कोश 'झलहलिय' शब्द 'सायर' साथे वपरोयानु नोंध छ। अर्थ 'क्षुब्धता' करतां उभराइ ऊठवानो जारगाय छ । पाछलना संस्कृत मां 'झल जगुला' अांख मां आपतां झल झलियां ना अर्थ मांछे तेमां पण आंखों उभराया नो भाव छ । नीचे नी पंक्ति मां कृष्णे फ केला शंखनो घोर शब्द वर्णवतां तेथी सागर पण छलकाइ ऊठ्या अवु कह्यछे : झल गुलाविय सयल विसायर (६-१०-७) 'बधा सागरो ने पण ऊभराबी दीधा' ८. लघुतावाचक 'ड' प्रत्यय स्वयंभू मां 'ड' प्रत्यय अनिवार्यपणे तुच्छ तानोज भाव दर्शाववा वपरायो छे । 'पउमचरिउ' मां क बे उदाहरण छ । रिट्ठ० मांथी नीचेनां जुप्रो : विज्जाहरि तुहं रणव बहुडिय हे किह रणमिय सवत्ति हे लहुडिय है । (१०-६-३) 'तु विद्याधरी होवा छतां ताराथी नानकडी अने नव वधू ग्रेवी तारी सपत्नीने केम नमन करयू ? (सत्यभामा ने उद्देशीने रूकिमरणीना संबंध मां आ कृष्णनी उक्ति छे) श्रे पछीनी पंक्ति मां 'तणुतणुयडिय' - 'कृश अने शुकुमार शरीर वाली वो प्रयोग छ । उपर ५. ४. नीचे आपेला उद्धरणमा 'मुडियडेण' ग्रे प्रयोग भी पण 'ड' प्रत्यय तुच्छकार वाचक वाचक छ । अने तेज प्रमाणे ते 'खोल्लड' मां पण छ । 8. डिक्करूय 'छोकरू' __'दीकरो' ना मूल साथे संकलायेण प्रा शब्द मां प्राशस्त्य वाचक ‘रूय' प्रत्यय उपर थी थयेले , 'रूय' प्राकृत प्राप्त नामो मां (वच्छरुप, पड्डरूप) तथा गुजराती 'भांडरू', 'छोरू', 'वाछरू 'अरू', वगेरे मां मले छे । मराठी 'लेकरू' अही नोंघेला शब्दनी घणो नजीक छ । कंदिउ सेट्टिहिं विहडप्फडेहिं । डिक्करख्यई खद्धई मक्कडेहिं (१३-१०-६) 'श्रेष्ठीयो आक्रद करता हांफलाफंफला बोलता अाव्या के अमारा छोकरां ने माकडामोरे फाडी खाधा' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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