Book Title: Swayambhukrut Ritthanemicharitra matthi Pacchis Deshya Shabdo
Author(s): H C Bhayani
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf

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Page 7
________________ हरिवल्लभं चूनीलाल भायाणी 236 ] रस्ता 'वच्चे' 'मध्यमां' वा अर्थ मां अपभ्र शमां 'विच्चि' नोंचायो छ / (सिद्ध हेम, 8-4-421) 'पाल' प्रत्यय लागीने थयेला 'विच्चाल' मांथी गुजराती 'वचाल' याव्यु छ / 23. सत्तावी संजोयण 'चन्द्र' सत्तावी संजोमण मुहिय हे वासहो ससहो परासरु दुहियहे (1-4-5) व्यास नी बहेन अने पराशरनी पुत्र चंद्रमुखी (सुभद्रानु) दे. ना. 8-22 मा आशब्द नोंचायो छे / 'पउमचरिउ' 41-4-3 मां पण या शब्द वपरायो छ। 'सत्यावीश नक्षत्रो प्रत्ये जोनार' वा यौगिक अर्थ मां रूढार्थ बन्यो छ। 24. साहुलिय 'शाखा' णं रणवतरु अहिणव साहुलिय करपल्लव गह कुसुमावलिय (7-1-8) 'जाणे के कर पल्लव अने नख कुसुम थी युक्त अवी नवीन तरुनी अभिनव शाखायो' / दे. ना. 8-52 मां 'साहुलो' ना अन्य अर्थोनी साये 'शाखा' अने 'भुज' अर्थ पण प्रापेला छै / 25. हेवाइयउ 'कोप्यो' मगहारिउ तो हेवाइयउ (7-2-1) 'ग्रेटले मगधराज ( = जरासंध) कोप्यो' / 'पउमचरिउ' मा 'हेवाइउ' 20-8-2, 56-10-6, 74-4-1, 82-11-4 शब्दनों टिप्पण मां. 'गर्वनीत', 'पृद्धि प्रात, वो अर्थ प्राप्यो छ / संस्कृत 'हेवाक' 'हवाकिन्' अने गुजराती 'हेवायो' नी साथे तेनो संबंध होवानु जणाय छे / अहीं नोंघेलो शब्द 'पउमचरिउ' मा मलता 'वेहाविद्दउ' (86-1, 7-5-8 वगेरे) ने अर्थ दष्ट ग्रे मलतो छ / तेनो अर्थ 'कोपातुर' थाय छे, अने दे. ना. 7-65 मा बेह किम' शब्द रोषाविष्ट' मा अर्थ मां प्राप्यो छे / अहीनू 'हेवाइय' ग्रे प्रत्यय थी 'वेहाइय' उपर थी थयु होय / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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